मैं, राजू, 22 साल का जवान लड़का, मोटरबाइक पर अपनी माँ सविता और बहन को कई बार मामा के घर ले जा चुका था। मामा का टाउन हमारे शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर था। माँ, 42 साल की, गदराया हुआ बदन, गोल-मटोल चेहरा, गोरी-गोरी त्वचा, और भारी-भरकम चुचियाँ, जो उनकी साड़ी में हमेशा उभरी रहती थीं। उनकी गाण्ड इतनी मोटी थी कि जब वो चलती थीं, तो हर कदम पर लहराती थी। बहन की शादी हो चुकी थी, और अब वो अपने ससुराल में थी। एक दिन माँ ने कहा, “राजू, चल, तेरे मामा से मिलके आते हैं।” मैंने बाइक निकाली, माँ पीछे बैठीं, उनकी मोटी-मोटी जाँघें मेरी कमर से टच हो रही थीं, और हम निकल पड़े। रात को मामा के यहाँ रुके, खाना-पीना हुआ, और अगले दिन, 22 मई को, हम वापस निकले।
हाईवे पर बाइक चलाते हुए मैंने माँ से कहा, “मम्मी, क्यों ना कच्ची सड़क से चलें? जंगल के रास्ते, समुंदर के किनारे से?” माँ ने हँसते हुए कहा, “ठीक है, बेटा, चल। वैसे भी समुंदर का रास्ता शांत होता है।” कच्ची सड़क पर समुंदर की लहरों की आवाज़ आने लगी। दूर-दूर तक कोई नहीं था, बस हम और समुंदर का शोर। रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा था, पर मैं बाइक चलाने में माहिर था। माँ ने कहा, “बेटा, थोड़ा ध्यान से, ये रास्ता उबड़-खाबड़ है।” मैंने हँसकर कहा, “मम्मी, टेंशन मत लो, मैं हूँ ना।”
थोड़ी देर बाद समुंदर दिखने लगा, उसकी लहरें, नीला पानी, और हवा में नमकीन गंध। मैंने माँ से कहा, “मम्मी, चलो थोड़ा समुंदर देखकर चलते हैं।” माँ ने हामी भरी। मैंने बाइक जंगल के रास्ते नीचे की ओर चलाई, जहाँ कोई पक्का रास्ता नहीं था। पत्थरों और रेत पर बाइक को संभालते हुए हम समुंदर के बिल्कुल किनारे पहुँचे। लहरों की आवाज़ इतनी तेज थी कि मन में एक अजीब सी उत्तेजना जाग रही थी। मैंने माँ से कहा, “मम्मी, मुझे तो नहाने का मन कर रहा है।” माँ ने हँसकर कहा, “जा, तू नहा ले, मैं यहीं बैठती हूँ।”
मैंने अपनी शर्ट, पैंट, सब उतार दिया, सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया। समुंदर में कूद पड़ा। पानी ठंडा था, लहरें बदन से टकरा रही थीं, और मज़ा आने लगा। मैंने माँ को पुकारा, “मम्मी, आओ ना, कम से कम पैर तो डुबाओ!” माँ ने पहले मना किया, लेकिन फिर उनकी साड़ी और पेटीकोट को घुटनों तक उठाकर पानी में उतर आईं। वो धीरे-धीरे पानी में आईं, लेकिन तभी एक तेज़ लहर आई, और माँ फिसलकर रेत पर गिर पड़ीं। उनकी साड़ी और पेटीकोट लहरों के साथ ऊपर उठ गए। पानी उनकी चूत के पास तक गया, और उनकी गोरी-गोरी जाँघें साफ़ दिख रही थीं। मैं दौड़कर उनके पास गया, उन्हें उठाया, और हँसते हुए कहा, “मम्मी, जब भीग ही गई हो, तो थोड़ा मज़ा लो ना!”
माँ ने हँसकर मेरी बात मान ली। हम दोनों पानी में डुबकी मारने लगे। माँ की साड़ी बार-बार पानी में फँस रही थी, जिससे वो परेशान हो रही थीं। मैंने कहा, “मम्मी, ये साड़ी तो सूखानी पड़ेगी। यहाँ कोई देखने वाला नहीं है, निकाल दो।” माँ ने पहले मना किया, “नहीं-नहीं, ये क्या कह रहा है?” लेकिन मेरे बार-बार कहने पर उन्होंने साड़ी खोल दी। मैंने साड़ी को बाहर चार पत्थरों पर सुखाने के लिए रख दिया और वापस पानी में आ गया।
अब माँ सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थीं। हम दोनों डुबकी मार रहे थे, लेकिन लहरें माँ के पेटीकोट को बार-बार ऊपर उठा रही थीं। मैंने कहा, “मम्मी, इस पेटीकोट में स्विमिंग नहीं होगी। औरतें तो स्विमिंग ड्रेस पहनती हैं। यहाँ कोई नहीं है, इसे भी निकाल दो।” माँ ने शर्माते हुए मना किया, लेकिन मेरे ज़िद करने पर उन्होंने पानी में ही पेटीकोट निकालकर मुझे दे दिया। मैंने उसे भी बाहर सुखाने रखा। जब वापस आया, तो माँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी गोरी गाण्ड और मोटी जाँघें पानी में चमक रही थीं। मैं उनके पास गया, और हम दोनों फिर स्विमिंग करने लगे।
पानी के अंदर जब मैं डुबकी मारता, तो माँ का गोरा बदन साफ़ दिखता। उनकी ब्रा में कैद चुचियाँ और पैंटी में उनकी चूत का उभार मेरे लंड को खड़ा कर रहा था। दो-तीन बार मेरा खड़ा लंड माँ को टच हो गया। मैं वासना से गरम हो रहा था। माँ भी जब डुबकी मारतीं, तो उन्हें मेरा खड़ा लंड दिख जाता। एक बार मैंने जानबूझकर उनकी गाण्ड पर लंड रगड़ा। माँ गुस्सा हो गईं, “बेटा, ये क्या कर रहा है? मैं तेरी माँ हूँ!” लेकिन उनकी गोरी गाण्ड और गीला बदन मेरे अंदर आग लगा रहा था।
मैंने मौका देखकर अपना अंडरवियर नीचे सरकाया और लंड बाहर निकाल लिया। पानी के अंदर माँ को मेरा लंड साफ़ दिख रहा था। जब माँ ने फिर डुबकी मारी, मैं उनके बिल्कुल करीब गया और उनका हाथ अपने लंड पर टच करवाया। माँ ने झटके से हाथ हटाया, “बेटा, ये क्या कर रहा है? ये गलत है!” मैंने याचना भरे स्वर में कहा, “मम्मी, प्लीज़, बस एक बार हाथ लगाओ ना!” मैंने उनका हाथ पकड़कर जबरदस्ती लंड पर रखा। माँ ने पहले मना किया, लेकिन फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे-धीरे मुठ मारने लगीं। दस-बारह बार मुठ मारने के बाद वो पानी से बाहर निकलने लगीं। मैंने उनका हाथ पकड़ा, लेकिन माँ बोलीं, “बेटा, ऐसा नहीं करते!” और भागने लगीं।
मैंने उनका पैर पकड़ा, और माँ रेत पर गिर गईं। मैं तुरंत उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी पैंटी नीचे सरकाने लगा। तभी एक और लहर आई, खारा पानी माँ की चूत में घुस गया। माँ संभलने की कोशिश कर रही थीं, तभी मैंने अपना 7 इंच का कड़ा लंड उनकी चूत में घुसा दिया। माँ चिल्लाईं, “आआह्ह्ह… बेटा, ये क्या किया!” उन्होंने मुझे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। माँ कराहने लगीं, “आआह्ह्ह… आआह्ह्ह… बेटा, रुक जा!” वो मुझे मारने लगीं, लेकिन मैं रुका नहीं।
मैं सटासट धक्के मारने लगा। माँ की चूत गीली थी, और मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। “धप-धप-धप” की आवाज़ समुंदर की लहरों के साथ मिल रही थी। माँ चिल्ला रही थीं, “बेटा, ये गलत है… आआह्ह्ह… रुक जा!” लेकिन मैं बिना रुके दनादन धक्के मार रहा था। माँ की मोटी-मोटी चुचियाँ ब्रा में उछल रही थीं। मैंने उनकी ब्रा खींचकर उतार दी और उनकी चुचियों को मसलने लगा। माँ की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आआह्ह्ह… बेटा… ऊऊऊह्ह्ह…” मैंने कहा, “मम्मी, तू कितनी मस्त है रे! तेरी चूत कितनी टाइट है!” माँ अब भी विरोध कर रही थीं, लेकिन उनकी सिसकारियों में एक अजीब सी मस्ती थी।
करीब 10 मिनट तक मैंने माँ को चोदा। मेरा लंड उनकी चूत में गपागप अंदर-बाहर हो रहा था। आखिरकार मेरा झड़ने वाला था। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, “मम्मी… आआह्ह्ह… मैं झड़ने वाला हूँ!” और मेरी पिचकारी माँ की चूत में उड़ गई। मैं चिल्लाया, “मम्मी… मम्मी…” माँ भी चिल्ला रही थीं, “बेटा, ये क्या कर दिया तूने… आआह्ह्ह…” वो मुझे कसकर पकड़कर सिसकारने लगीं। कुछ देर बाद हम दोनों शांत हुए। मुझे बहुत पछतावा होने लगा। माँ उठीं और बोलीं, “बेटा, जो हो गया, सो हो गया। अब अफसोस मत कर। चल, कपड़े सूखने तक थोड़ा और स्विमिंग करते हैं।”
मैंने कहा, “मम्मी, ब्लाउज़ और ब्रा भी दे दो, सुखाने रख देता हूँ।” माँ ने मुझे घूरा और हँसते हुए कहा, “बड़ा चालू हो गया है तू!” फिर उन्होंने ब्लाउज़ और ब्रा निकालकर मुझे दे दिए। मैंने उन्हें सुखाने रखा और वापस पानी में आ गया। अब माँ पूरी नंगी थीं। उनकी गोरी चुचियाँ और चूत पानी में चमक रही थीं। मैं उनके पास गया और उनकी चुचियों को दबाने लगा। माँ भी मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगीं। हम दोनों फिर गरम हो गए। मैंने कहा, “मम्मी, यहाँ कोई नहीं आता। चल, रेत पर फिर से करते हैं।” माँ ने मेरी पैंटी में हाथ डालकर लंड निकाला और बोलीं, “बेटा, तेरा लंड कितना कड़ा है रे!”
हम बाहर रेत पर आए। माँ रेत पर लेट गईं। मैं उनके ऊपर चढ़ा और उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत का नमकीन स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने कहा, “मम्मी, तेरी चूत कितनी नमकीन है!” माँ ने मेरा लंड पकड़ा और चूसने लगीं, “बेटा, तेरा लंड कितना मस्त है… ऊऊम्म्म…” हम 69 की पोज़िशन में आ गए। माँ मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थीं, और मैं उनकी चूत को चाट रहा था। माँ बोलीं, “बेटा, अब रहा नहीं जाता… जल्दी चोद!”
माँ ने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर लपेटे। मैंने उनका पैंटी पूरी तरह उतार दिया और लंड उनकी चूत में घुसा दिया। माँ चिल्लाईं, “आआह्ह्ह… बेटा… हहहह… कितना मज़ा आ रहा है!” मैं दनादन धक्के मारने लगा, “धप-धप-धप” की आवाज़ गूँज रही थी। माँ की चुचियाँ उछल रही थीं। मैंने उनके दूध मसलते हुए कहा, “मम्मी, तेरे दूध कितने रसीले हैं!” माँ सिसकार रही थीं, “हहहह… बेटा, चोद… और ज़ोर से चोद… आआह्ह्ह… शाबाश!” मैंने स्पीड बढ़ा दी, “मम्मी, तू कितनी मस्त माल है रे! दिन-रात तुझे चोदूँ, इतनी मस्त है तू!”
माँ भी उछल-उछलकर मेरा साथ दे रही थीं। मेरा फिर से झड़ने वाला था। मैंने कहा, “मम्मी, मैं फिर झड़ने वाला हूँ!” माँ ने मुझे कसकर पकड़ा, “बेटा, रुक मत… सारा माल मेरी चूत में डाल दे!” मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और सारा माल उनकी चूत में गिरा दिया। माँ चिल्लाईं, “आआह्ह्ह… बेटा… कितना मज़ा आया!” हम दोनों शांत हुए। माँ ने मुझे गले लगाया और बोलीं, “बेटा, कई सालों बाद मेरी तड़प तूने पूरी की। घर चल, तुझे बहुत प्यार करूँगी।”
माँ ने फिर कहा, “बेटा, जाने का मन नहीं कर रहा। एक बार और कर ना!” वो मुझे चूमने लगीं। उन्होंने मेरा लंड फिर से पकड़ा, मेरी ज़िप खोली, और लंड बाहर निकाला। माँ ने अपनी साड़ी ऊपर उठाई, घोड़ी बन गईं, और बोलीं, “बेटा, पीछे से घुसा ना!” मैंने उनकी गाण्ड दबाई और चूत में लंड घुसाया। माँ सिसकारीं, “आआह्ह्ह… बेटा, कितना मज़ा आ रहा है!” मैंने उनके दूध पकड़े और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। माँ चिल्ला रही थीं, “बेटा, मेरे दूध दबा… और ज़ोर से चोद!” मैं खड़े-खड़े उन्हें चोदने लगा, “धप-धप-धप” की आवाज़ गूँज रही थी।
मैंने कहा, “मम्मी, अब मैं फिर झड़ने वाला हूँ!” माँ तुरंत रेत पर लेट गईं, अपने पैर आसमान की ओर उठाए, और बोलीं, “आ, बेटा, जल्दी घुसा!” मैं उनके ऊपर लेटा और दनादन चोदने लगा। सारा माल उनकी चूत में गिरा दिया। माँ ने मुझे कसकर गले लगाया। हम दोनों शांत हुए और कपड़े पहनकर घर आए।
घर पहुँचते ही माँ बोलीं, “बेटा, आज रात हनीमून समझकर मुझे सारी रात चोद!” इसके बाद करीब तीन महीने तक मैंने माँ को खूब चोदा। फिर मेरी शादी हो गई, और हम अलग रहने लगे। सात-आठ महीने बाद, 21 मई को माँ का फोन आया। मैं 22 मई को उनके पास गया और दिन-रात उन्हें चोदा। आज 20 साल हो गए हैं, माँ अब 60 की हो चुकी हैं, लेकिन हर साल मैं उनके पास जाता हूँ और उन्हें चोदता हूँ। 21 साल से ये सिलसिला चल रहा है, और आज तक किसी को कुछ पता नहीं चला।
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