Hot Bhabhi Chudai: हेलो दोस्तों, सबसे पहले मैं आप सभी का दिल से स्वागत करता हूँ। मेरा नाम विनोद है, उम्र 29 साल, और मैं एक जवान, हट्टा-कट्टा मर्द हूँ। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है, जो किसी भी औरत को पागल कर सकता है। मुझे सेक्स बहुत पसंद है, और अलग-अलग पोजीशन में चुदाई करना मेरी कमजोरी है। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं दो साल पहले दिल्ली आया था। मैंने MBA किया था, और मुझे एक कॉल सेंटर में मैनेजर की जॉब मिल गई थी।
मैं जिस मकान में किराए पर रहता था, उसके नीचे वाले फ्लोर पर एक कपल और उनकी 4 साल की बेटी रहते थे। भाभी का नाम कोमल था, उम्र 25 साल, और वो इतनी खूबसूरत और सेक्सी थी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनकी चूची 34 साइज की, कमर 30, और गांड 38 की होगी। उनकी गोरी-चिट्टी स्किन, लंबे काले बाल, और गुलाबी होंठ किसी को भी दीवाना बना दें। जब वो चलती थी, तो उनकी गांड का मटकना ऐसा था कि मेरा लंड पैंट में तनकर सलामी देने लगता था।
जब भी हमारी नजरें मिलतीं, कोमल भाभी के चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ जाती, जो मुझे उनके बारे में और सोचने पर मजबूर कर देती थी। उनके घर के बाहर रस्सी पर उनकी ब्रा और पैंटी सुखाने को लटकी रहती थीं। मैं सीढ़ियों से चढ़ते वक्त उन्हें देखता, और कई बार जब वो घर में नहीं होती थीं, तो उनकी पैंटी को सूंघता। यार, क्या मादक खुशबू थी! उस खुशबू में एक नशा था, जो मेरे लंड को और बेकाबू कर देता था।
मैंने कई बार सुना कि कोमल भाभी और उनके पति की लड़ाई होती थी। हमारे कमरे पास-पास थे, तो उनकी झगड़े की आवाजें मेरे कानों तक पहुंचती थीं। मुझे लगता था कि भाभी अपने पति से खुश नहीं थीं। उनका पति अक्सर देर रात घर लौटता था, और शायद यही वजह थी कि कोमल भाभी उदास रहती थीं। मैंने कई बार उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन मौका ही नहीं मिलता था।
एक दिन मेरा अखबार नहीं आया। मैंने सोचा, क्यों न भाभी के घर से अखबार ले आऊं? मैं उनके घर पहुंचा और बेल बजाई। मुझे पता था कि उनके पति उस वक्त घर पर नहीं थे। कोमल भाभी ने दरवाजा खोला। ओह यार, वो अभी-अभी नहाकर निकली थीं। गीले बाल, गुलाबी चेहरा, और टाइट नाइटी में उनकी चूचियां और गांड साफ उभर रही थीं। मैंने पूछा, “भाभी जी, अखबार मिल जाएगा? आज मेरे घर नहीं आया।”
वो मुस्कुराईं और बोलीं, “हां, रुको, अभी लाती हूँ।” जब वो अंदर गईं, तो मैं उनकी मटकती गांड को देखता रह गया। क्या कमाल का माल थी वो! मेरा लंड तो उसी वक्त टाइट हो गया। मैं अखबार लेकर अपने कमरे में आया, लेकिन मेरा मन अखबार में कहां लग रहा था? मैं बस कोमल भाभी के बारे में सोचता रहा, और उनके साथ चुदाई का प्लान बनाने लगा।
कहते हैं न, ऊपरवाले के घर देर है, अंधेर नहीं। एक दिन मुझे मौका मिल ही गया। उस दिन बारिश हो रही थी, और उनके पति तीन दिन के लिए कहीं बाहर गए थे। मैं अपने कमरे में ब्लू फिल्म देख रहा था। मेरा लंड तनकर लोहे की रॉड जैसा हो गया था। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और दरवाजा खोला। सामने कोमल भाभी खड़ी थीं। वो थोड़ा घबराई हुई लग रही थीं। मैंने पूछा, “क्या हुआ, भाभी?”
वो बोलीं, “विनोद, मेरी बेटी को बुखार आ गया है। उसके पापा घर पर नहीं हैं। मुझे उसे हॉस्पिटल ले जाना है। क्या तुम मेरी मदद करोगे?” मैंने तुरंत हां कहा। उनके घर गया, तो देखा उनकी बेटी को तेज बुखार था। मैंने नीचे जाकर ऑटो लिया, और तब तक भाभी अपनी बेटी को गोद में उठाकर तैयार हो गईं। हम तीनों ऑटो में बैठकर हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने बच्ची को देखा और बोला, “घबराने की बात नहीं है। अभी इंजेक्शन देता हूँ, बुखार उतर जाएगा।” इंजेक्शन देने के बाद बच्ची को एक घंटे के लिए बेड पर लेटाया गया।
एक घंटे बाद हम घर वापस आए। बच्ची तब तक नॉर्मल हो चुकी थी और सो गई थी। बारिश में हम थोड़ा भीग गए थे। मैं तो ज्यादा ही भीग गया था। भाभी ने मुझे तौलिया दिया और बोलीं, “विनोद, सिर पोंछ लो।” उनके चेहरे पर एक अजीब-सी चमक थी। मैं सिर पोंछने लगा। तभी भाभी पिंक कलर की मैक्सी पहनकर आईं। उनके खुले बाल और गीली मैक्सी में उनका फिगर और भी सेक्सी लग रहा था। मेरा लंड फिर से बेकाबू होने लगा।
बाहर बारिश तेज हो गई थी, और बिजली चमकने लगी थी। तेज गड़गड़ाहट के साथ भाभी डर गईं। वो बोलीं, “विनोद, क्या तुम आज यहीं रुक सकते हो? मुझे थोड़ा डर लग रहा है।” मेरे तो जैसे लड्डू फूट पड़े। मैं इतने दिनों से यही मौका ढूंढ रहा था। मैंने तुरंत हां कहा। वो खुश हो गईं और बोलीं, “मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” तभी अचानक लाइट चली गई।
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अंधेरे में एक जोरदार बिजली कड़की। भाभी डर के मारे मुझसे लिपट गईं। उनका गर्म बदन मेरे बदन से टच हुआ, तो मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं। वो शरमाकर मुझसे अलग हुईं। मैंने हिम्मत करके उनके चेहरे को अपने हाथों में लिया और धीरे से कहा, “भाभी, तुम बहुत खूबसूरत हो।” वो और शरमा गईं, लेकिन कोई विरोध नहीं किया।
मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने कहा, “भाभी, मैं तुम्हें अपनी बाहों में भरना चाहता हूँ।” वो बोलीं, “तो भर लो।” मैंने उन्हें कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी पीठ पर किस करने लगा। उनकी सांसें तेज हो गईं। मैंने उनके चेहरे को अपने चेहरे के पास लाया और उनके माथे पर एक हल्का-सा किस किया। उनका कोई विरोध न देखकर मुझे यकीन हो गया कि वो आज चुदवाने के मूड में हैं।
मैंने उनके गालों को चूमा, फिर उनके नरम, गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। ओह्ह्ह्ह… क्या नरम होंठ थे! मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया। मैं उनके होंठों को चूसने लगा, और वो भी मेरे होंठों को चूसने लगीं। हम दोनों की जीभ एक-दूसरे से खेलने लगी। मैंने उनकी जीभ को अपने मुंह में खींच लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। वो भी जोश में आ गई थीं। “आह्ह्ह्ह… विनोद…” वो सिसकारियां लेने लगीं।
मैंने उनके टाइट चूचों को मैक्सी के ऊपर से दबाना शुरू किया। “उफ्फ्फ… क्या चूचियां थीं!” एकदम टाइट और रसीली। मैंने जोर से दबाया, तो वो चिल्लाईं, “आह्ह्ह… धीरे दबाओ, विनोद… दर्द हो रहा है।” मैंने उनके पूरे चेहरे को चूमना शुरू किया। फिर मैंने उनकी मैक्सी को धीरे-धीरे ऊपर खींचा और उतार दिया। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थीं। यार, क्या लग रही थीं! उनकी गोरी स्किन, टाइट चूचियां, और गीली पैंटी देखकर मेरा लंड पैंट फाड़ने को बेताब हो गया।
मैंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। अब मैं सिर्फ अंडरवेयर में था। मेरा लंड तनकर बाहर निकलने को बेकरार था। मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उनके पूरे बदन को चाटना शुरू किया। उनकी स्किन में शराब से भी ज्यादा नशा था। मैं उनके गले को चूमता हुआ उनकी चूचियों तक पहुंचा। मैंने उनकी ब्रा खींचकर उतार दी। उनके 34 साइज के चूचे बाहर आ गए। गुलाबी निप्पल एकदम टाइट थे। मैंने एक चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह्ह्ह… विनोद… और जोर से चूसो…” वो सिसकारियां लेने लगीं।
मैंने एक चूची को चूसते हुए दूसरी को जोर-जोर से दबाया। फिर मैंने दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसा और लाल कर दिया। “उफ्फ्फ… कितनी रसीली चूचियां हैं तुम्हारी, भाभी…” मैंने कहा। वो शरमाकर बोलीं, “बस करो, विनोद… तुम तो पागल कर दोगे।” मैंने उनके पेट को चूमा, उनकी नाभि में जीभ डालकर चाटा। फिर मैं नीचे आया और उनकी पैंटी को दांतों से पकड़कर खींचा। उनकी चूत पूरी गीली थी। मैंने उनकी पैंटी उतार दी। उनकी साफ, गुलाबी चूत मेरे सामने थी।
मैंने उनकी चूत पर अपनी उंगली फेरी। “आह्ह्ह्ह…” वो चिहुंक पड़ीं। उनकी चूत से रस टपक रहा था। मैंने एक उंगली उनकी चूत में डाली। “उफ्फ्फ… विनोद… आह्ह्ह…” वो सिसकारी लेने लगीं। मैंने दो उंगलियां डालकर उनकी चूत को चोदना शुरू किया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियां पूरी तरह भीग गईं। “आह्ह्ह… विनोद… और करो… उफ्फ्फ…” वो पागल हो रही थीं।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में डाल दी और चाटना शुरू किया। “आह्ह्ह्ह… उह्ह्ह… विनोद… ये क्या कर रहे हो… आह्ह्ह…” उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनकी चूत का रस चाटा। क्या स्वाद था! मैं जोर-जोर से उनकी चूत को चाटने लगा। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं। “आह्ह्ह… और जोर से चाटो… उफ्फ्फ…” मैंने लगभग 20 मिनट तक उनकी चूत का रसपान किया।
फिर मैंने उनके होंठों को फिर से चूसा। “भाभी, मेरे लंड को चूसो न…” मैंने कहा। वो नीचे बैठ गईं और मेरे अंडरवेयर को उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। वो उसे देखकर बोलीं, “विनोद, ये तो बहुत मोटा है!” वो मेरे लंड को सहलाने लगीं, फिर उसे अपने मुंह में ले लिया। “आह्ह्ह… भाभी… उफ्फ्फ…” मैं सिसकारी लेने लगा। वो मेरे लंड के सुपाड़े को चूसने लगीं, कभी मेरे टट्टों को मुंह में लेकर चाटने लगीं। “उह्ह्ह… भाभी… कितना मजा आ रहा है…” मैंने कहा।
वो मेरे लंड को जोर-जोर से चूसने लगीं। 15 मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद वो बोलीं, “विनोद, अब मेरी चूत में डाल दो।” मैंने उन्हें बेड पर लिटाया। उनकी टांगें फैलाईं और अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर नहीं जा रहा था। मैंने जोर लगाया, और एक झटके में मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। “आह्ह्ह्ह… उह्ह्ह… विनोद… धीरे… दर्द हो रहा है!” वो चिल्लाईं।
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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “उफ्फ्फ… भाभी, तुम्हारी चूत कितनी टाइट है!” मैंने कहा। वो बोलीं, “आह्ह्ह… विनोद… और जोर से चोदो…” मैंने स्पीड बढ़ा दी। “पच… पच… पच…” मेरे लंड के धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए उन्हें चोदने लगा। “आह्ह्ह… उह्ह्ह… विनोद… और जोर से…” वो चिल्ला रही थीं।
15 मिनट तक चोदने के बाद मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में आने को कहा। वो घुटनों के बल झुक गईं। उनकी मोटी गांड मेरे सामने थी। मैंने उनके चूतड़ों को सहलाया और अपने लंड को फिर से उनकी चूत में डाल दिया। “आह्ह्ह… उह्ह्ह…” वो सिसकारियां लेने लगीं। मैंने पीछे से जोर-जोर से धक्के मारे। “पच… पच… पच…” उनकी चूत का रस मेरे लंड पर लग रहा था।
10 मिनट बाद मैंने उन्हें अपने लंड पर बैठने को कहा। वो मेरे लंड पर बैठ गईं और अपनी चूत में मेरा लंड लेकर उछलने लगीं। “आह्ह्ह… विनोद… कितना मोटा है तेरा लंड… उफ्फ्फ…” वो जोर-जोर से उछल रही थीं। उनकी चूचियां मेरे सामने उछल रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को पकड़कर दबाया। “आह्ह्ह… उह्ह्ह…” हम दोनों को गजब का मजा आ रहा था।
आखिरकार मैंने कहा, “भाभी, अब मेरा निकलने वाला है।” वो बोलीं, “विनोद, मेरी चूत में ही छोड़ दो।” मैंने उन्हें फिर से बेड पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपने लंड को उनकी चूत में डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। “पच… पच… पच…” उनकी सिसकारियां तेज हो गईं। “आह्ह्ह… उह्ह्ह… विनोद… और जोर से…” वो दो-तीन बार झड़ चुकी थीं।
अब मेरी बारी थी। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे और आखिरकार “आह्ह्ह्ह…” कहते हुए मैंने अपनी मलाई उनकी चूत में छोड़ दी। इतना सारा माल निकला कि उनकी चूत से बाहर बहने लगा। मैं उनके ऊपर ही लेट गया। हम दोनों थक चुके थे, लेकिन उनके चेहरे पर संतुष्टि की चमक थी। मैंने उन्हें किस किया और कहा, “भाभी, मुझे आज तक इतना मजा कभी नहीं आया।”
वो बोलीं, “विनोद, मुझे भी बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिला है।” उस रात हमने चार बार अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। मैंने उनकी गांड मारने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। एक दिन मैं चॉकलेट वाला केक लाया। मैंने उनके पूरे बदन पर केक लगाया और चाटा। फिर अपने लंड पर केक लगाया और उन्हें चुसवाया। अब जब भी मौका मिलता है, हम नए-नए पोजीशन में चुदाई करते हैं।
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