होटल में एक खूबसूरत कुंवारी लड़की की चुदाई

मैं, मन्नी, 24 साल का, पढ़ाई में औसत, मगर दोस्तों के साथ मस्ती में उस्ताद। पतला बदन, पर चेहरा ऐसा कि लड़कियां रुककर देख लें। मेरा दोस्त रवि, 25 का, लंबा, गोरा, थोड़ा शर्मीला, पर अपनी गर्लफ्रेंड निम्मी के सामने बिल्कुल खुल जाता है। निम्मी, 22 की, सांवली, भरा हुआ बदन, और हंसी इतनी कातिल कि दिल धड़क जाए। उसकी सहेली अलका, 21 की, गोरी, लंबे काले बाल, टाइट जींस में कसी हुई गांड और 32 इंच की चुचियां, आंखों में शरारत और मुस्कान में मासूमियत। उसका चुलबुला अंदाज और नाजुक होंठ जैसे दिल में आग लगा दें।
यह कहानी तब की है जब मैं और रवि एक दूर के शहर में एग्जाम देने गए। शहर इतना दूर था कि ट्रेन से रात भर का सफर करना पड़ा। रवि ने बताया कि उसकी गर्लफ्रेंड निम्मी, जो उसी शहर के हॉस्टल में रहती थी, हमसे मिलने आएगी, और अपनी सहेली अलका को भी लाएगी। मैंने सोचा, “चलो, माहौल बन जाएगा,” पर दिल में एक अजीब सी हलचल थी।
रात दो बजे स्टेशन पहुंचे। ठंडी हवा, टिमटिमाती लाइट्स, और प्लेटफॉर्म का सन्नाटा। थकान से शरीर टूट रहा था। मैंने रवि से कहा, “यार, होटल में रूम ले ले।” वो बोला, “सुबह पांच बजे लेंगे, किराया बचेगा।” मैंने हंसकर कहा, “कंजूस!” रात वेटिंग रूम की ठंडी बेंच पर काटी। नींद नहीं आई, बस आंखें मूंदकर लेटे रहे।
सुबह पांच बजे रवि का फोन बजा। वो किसी से बात करके मुस्कुराया, और तभी दो लड़कियां वेटिंग रूम में आईं। निम्मी और अलका। अलका को देखते ही मेरे होश उड़ गए। टाइट जींस और रेड टॉप में उसका बदन मॉडल जैसा लग रहा था। उसकी आंखों की शरारत और होंठों की मुस्कान ने मुझे बेकाबू कर दिया। रवि ने मुझे हिलाया, “क्या हुआ? ये निम्मी है, और ये अलका।” मैंने हड़बड़ाते हुए हैलो बोला।
थोड़ी बातचीत के बाद हम होटल के लिए निकले। रास्ते में अलका मेरे बगल में थी। उसकी परफ्यूम की खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ रही थी। होटल पहुंचकर रवि ने दो रूम बुक किए। मैंने सोचा था कि मैं और रवि एक रूम शेयर करेंगे, पर वो निम्मी के रूम में चला गया। मैंने मन में सोचा, “भाई का सेटिंग पक्का है!” थकान से मैं अपने रूम में गया और बिस्तर पर ढेर हो गया।
सुबह दस बजे नींद खुली। अलका मेरे बगल में सोई थी। उसका रेड टॉप ऊपर खिसक गया था, और उसकी गोरी कमर चमक रही थी। मैं चौंक गया। “ये यहाँ कैसे?” मैंने रवि को फोन किया। वो निम्मी के साथ मस्ती में था। मैं उठा, नहाया, और तैयार होने लगा। मगर मेरी नजरें अलका पर अटक रही थीं। उसकी चुचियां टॉप में उभरी हुई थीं, और होंठ जैसे मुझे बुला रहे थे। मैंने खुद को कंट्रोल किया और एग्जाम देने निकल गया। जल्दबाजी में फोन रूम में छोड़ दिया।
एग्जाम देकर लौटा तो अलका नहाकर बाहर निकली थी। मिनी शॉट्स और ढीला टॉप, गीले बाल उसकी गर्दन पर चिपके, और पानी की बूंदें उसकी चुचियों की ओर लुढ़क रही थीं। मेरा लंड जींस में तंबू बन गया। वो बोली, “कहां खो गए? कभी लड़की को नहाकर नहीं देखा?”
मैंने हंसकर कहा, “नहीं… इतना करीब से आज ही देखा है।”
वो बोली, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?”
मैंने कहा, “नहीं… अब तक तो कोई नहीं।”
वो हंसी, “एग्जाम कैसा हुआ?”
मैंने जवाब दिया, “अच्छा ही हुआ। और ये दोनों कहां हैं?”
अलका ने ठहाका लगाया, “सुबह से रूम से बाहर ही नहीं निकले। लगता है हनीमून मना रहे हैं।”
मैंने कहा, “मुझे भूख लगी है, चलो बाहर खाते हैं?”
वो बोली, “हां, दो मिनट में रेडी हो जाऊं।”
मैंने मजाक में कहा, “अब और कितना रेडी होना है… वैसे भी तू कमाल लग रही है।”
वो हंसी, “थैंक्यू… पर क्या लाइन मार रहे हो?”
मैंने कहा, “नहीं यार, सच बोल रहा हूं।”
हम बाहर निकले। रास्ते में अलका का हाथ मेरे हाथ से छू रहा था। मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया। उसने मुस्कुराकर मेरी ओर देखा। उसका नरम, गर्म हाथ मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा रहा था। खाना खाते वक्त उसकी आंखें मेरी आंखों से मिल रही थीं। मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था, और उसने भी ये देख लिया था।
वापस रूम में आए तो दिन के तीन बजे थे। मैंने रवि को फोन किया। वो और निम्मी अपने रूम में थे। हम उनके रूम गए। वहां निम्मी की ब्रा बेड पर पड़ी थी। मैं समझ गया कि इनका काम हो चुका है। हमने प्लान बनाया कि शाम को सिटी घूमने जाएंगे।
अपने रूम में लौटकर मैं और अलका रेडी होने लगे। वो टॉप चेंज कर रही थी। मैं वॉशरूम से लौटा तो देखा वो सिर्फ ब्रा में थी। उसकी गोरी चुचियां ब्रा से बाहर झांक रही थीं। उसने टॉप से खुद को ढकने की कोशिश की, पर मैं उसके पास गया और उसे बाहों में भर लिया। उसने आंखें बंद कर लीं, और उसके होंठ कांपने लगे। मैंने कहा, “आई रियली लाइक यू, अलका।”
मैंने उसके होंठों पर किस करना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी। उसका गर्म बदन मेरे सीने से चिपक गया। वो मेरा पूरा साथ दे रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। रवि और निम्मी बाहर थे। अलका बाथरूम चली गई, और मैं रेडी होकर बाहर निकला।
शाम को सिटी घूमने गए, पर मेरा और अलका का मन कहीं और था। हम चोरी-छिपे एक-दूसरे को देख रहे थे। रास्ते में उसकी उंगलियां मेरी उंगलियों से टकराईं। रात नौ बजे होटल लौटे। रवि निम्मी के रूम में चला गया। मैं और अलका अपने रूम में आए। कमरे में सन्नाटा था, बस हमारी सांसों की आवाज।
मैंने कहा, “शाम को तू बहुत खूबसूरत लग रही थी।”
वो बोली, “थैंक्स।”
वो बैग से कपड़े निकालने लगी और बाथरूम जाने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। वो मेरी बाहों में आ गिरी। हम एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे। फिर हम लिपलॉक में खो गए। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं। उसकी जीभ मेरे होंठों पर रेंग रही थी, और उसका नरम बदन मेरे सीने से चिपक गया। मैंने उसका टॉप ऊपर खींचा और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। उसकी 32 इंच की चुचियां मेरे सामने थीं—गोरी, गोल, और निप्पल्स सख्त जैसे पके हुए आम। मैंने एक चुची को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका निप्पल मेरी जीभ पर सख्त हो गया। मैंने दूसरी चुची को हाथ से दबाया, और वो सिसकारी, “आह… मन्नी… और करो… कम ऑन… सक मी…”
उसके हाथ मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रहे थे। उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसकी जींस का बटन खोला और उसे नीचे सरकाया। उसकी टाइट जींस उसकी गोरी टांगों से लिपटी थी, और उसे उतारते वक्त उसकी गांड की गोलाई मेरे सामने आई। उसकी पैंटी में कैद चूत फूली हुई थी, और छोटे-छोटे बाल उसकी खूबसूरती बढ़ा रहे थे। मैंने उसकी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा। उसकी चूत गीली थी, और उसकी मादक खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ गई। मैंने उसकी टांगें फैलाईं और अपनी जीभ उसकी चूत की फांकों पर फिराई। उसका रस नमकीन और खट्टा था, जैसे कोई नशा। मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू किया, और वो चिल्लाई, “आह… मन्नी… प्लीज… डोंट बाइट हार्ड… डू इट सॉफ्टर… मुझे बहुत मजा आ रहा है… यू आर अ लवली सकर…”
मैं उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ रहा था, और वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह में धकेल रही थी। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, और वो और तेज सिसकारी, “आआआ… मन्नी… और करो…” मेरी उंगली उसकी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रही थी, और उसका रस मेरे हाथ पर बह रहा था। तभी वो अकड़ गई, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने उसका सारा रस चाट लिया। उसका नमकीन-खट्टा शहद मेरे होंठों और नाक पर सन गया। मैंने अपनी जीभ से अपने होंठ चाटे और उसे वासना से देखा। वो आंखें बंद किए शिथिल पड़ी थी, उसकी सांसें तेज थीं।
मैं उसके बगल में लेट गया। उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी। मेरा लंड पहले से ही सख्त था, और उसकी नरम उंगलियों ने उसे और तनाव दे दिया। वो नीचे झुकी और मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ फिराई। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर रेंग रही थी, और मैं जोश में सिसकारी ले रहा था। उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे सुपारे के चारों ओर घूम रही थी, और वो मेरे लंड को गले तक ले रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर दबाया। वो बोली, “क्या जान से मारना है? तेरा लंड बहुत मोटा है… मैं धीरे-धीरे लूंगी।”
मैंने हंसकर कहा, “ठीक है, आराम से ले।”
वो मेरे लंड को चूसती रही, कभी धीरे, कभी तेज। उसकी जीभ मेरे लंड की नसों पर रेंग रही थी, और उसका लंड चूसने का अंदाज मुझे पागल कर रहा था। दस मिनट बाद मेरा माल उसके मुँह में छूट गया। उसने उसे डस्टबिन में थूक दिया और टांगें फैलाकर बोली, “अब मेरी बारी।”
मैंने उसकी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत की फांकों में गहरे तक जा रही थी, और वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह में धकेल रही थी। उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, “आह… मन्नी… और चाट… मुझे बहुत मजा आ रहा है…” मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डालीं और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। उसका रस मेरे हाथ पर बह रहा था। वो फिर से अकड़ गई, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने उसका सारा रस चाट लिया, और उसकी चूत को अपनी जीभ से साफ किया।
मैंने अपना लंड उसकी चूत की फांकों पर रगड़ा। उसकी चूत गीली और गर्म थी, और उसकी महक मुझे और जोश दे रही थी। वो बोली, “प्लीज अब डाल दो।”
मैंने पूछा, “क्या कहां डाल दूं?”
वो नशीली आंखों से बोली, “अपना लंड मेरी बुर में डाल दो।”
मैंने धीरे से लंड उसकी चूत में डाला। वो कुंवारी थी, तो उसे दर्द हुआ। उसने अपने होंठ दांतों से दबा लिए, और उसकी आंखों में हल्के आंसू चमकने लगे। मैंने धीरे-धीरे हिलना शुरू किया, और उसकी चूत मेरे लंड को कस रही थी। वो दर्द से सिसकारी, पर मैंने उसे होंठों पर चूमकर शांत किया। धीरे-धीरे उसका दर्द कम हुआ, और वो मजा लेने लगी। वो बोली, “आह मन्नी… मजा आ रहा है… तू करता रह… रुकना नहीं… मैं कब से इस दिन का इंतजार कर रही थी… मेरी बुर पर तेरा ही नाम लिखा था…”
मैंने उसे बेड पर लिटाया और तेजी से चोदना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत में गहरे तक जा रहा था, और उसकी टाइट चूत मेरे लंड को कस रही थी। वो अपनी गांड उठाकर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी। उसकी चुचियां मेरे धक्कों के साथ उछल रही थीं, और मैंने उन्हें पकड़कर दबाना शुरू किया। उसकी सिसकारियां और तेज हो गईं, “आह… मन्नी… और जोर से… चोद मुझे… आह… बहुत मजा आ रहा है…”
मैंने उसे पलटकर डॉगी स्टाइल में किया। उसकी गोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उसकी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा। वो हंसी और बोली, “हाय… और मारो… मुझे अच्छा लग रहा है…” मैंने अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाला और तेजी से धक्के मारने लगा। उसकी गांड मेरे धक्कों से थरथरा रही थी, और उसकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे और तेजी से चोदा। उसकी सिसकारियां चीखों में बदल गईं, “आह… मन्नी… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… आह…”
मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रखीं। इस पोज में मेरा लंड उसकी चूत में और गहरे तक जा रहा था। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर चमक रहा था, और उसकी सिसकारियां मुझे और जोश दे रही थीं। वो चिल्लाई, “आह… मन्नी… मैं छूटने वाली हूं… रुकना नहीं…” तभी वो अकड़ गई, और उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया। उसका रस मेरे लंड पर बह रहा था, और मैंने उसे और तेजी से चोदा। कुछ देर बाद मेरा माल भी उसकी चूत में छूट गया। मैं उसके ऊपर ढेर हो गया, और हम दोनों की सांसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे। उसकी चुचियां मेरे सीने से चिपकी थीं, और उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थीं। कुछ देर बाद वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर आ गई। वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, और उसकी चुचियां मेरे चेहरे के सामने हिल रही थीं। मैंने उसकी एक चुची मुँह में ली और चूसने लगा। वो बोली, “आह… मन्नी… तू बहुत मस्त है… और चूस… मेरी चूत में फिर से डाल…”
उसने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत में डाला और ऊपर-नीचे होने लगी। उसकी गांड मेरे जांघों पर टकरा रही थी, और उसकी चूत मेरे लंड को कस रही थी। वो अपनी चुचियां मेरे मुँह में धकेल रही थी, और मैं उन्हें चूसते हुए उसकी गांड को दबा रहा था। उसकी सिसकारियां फिर से गूंजने लगीं, “आह… मन्नी… और जोर से… मुझे चोद… आह…” वो तेजी से उछल रही थी, और उसकी चूत का रस मेरे लंड पर बह रहा था। वो फिर से छूटी, और मैंने भी उसकी चूत में माल छोड़ दिया।
हम दोनों पसीने से तर थे। एसी की ठंडक में भी हमारी गर्मी कम नहीं हुई थी। हम नंगे ही बेड पर ढेर हो गए, और कब नींद आ गई, पता नहीं चला।
सुबह छह बजे नींद खुली। अलका मेरे बगल में नंगी लेटी थी। बेड पर खून के हल्के दाग थे। मैंने उसे छुआ, तो वो जाग गई। मैंने पूछा, “रात का मजा आया?”
वो बोली, “बहुत ज्यादा मजा आया… तू बहुत अच्छा है… तूने बड़े प्यार से मेरी सील तोड़ी… आई लव यू, मन्नी।”
मैंने कहा, “आई लव यू टू।” हमने एक बार बेड पर और एक बार बाथरूम में चुदाई की। शावर के नीचे उसका गीला बदन, उसकी चुचियां, और उसकी चूत मेरे लिए स्वर्ग थी। मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा करके चोदा। उसकी टांगें मेरी कमर पर लिपटी थीं, और उसकी चूत मेरे लंड को कस रही थी। वो चिल्ला रही थी, “आह… मन्नी… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… आह…” हम दोनों फिर से छूट गए।
रवि का फोन आया, तो मैंने एक दिन और रुकने को कहा। उस दिन हमने सिटी घूमी, पर शाम को फिर रूम में चुदाई का दौर चला। अलका की सिसकारियां, उसका गर्म बदन, और उसकी वासना भरी आंखें मेरे दिमाग में बस गईं। अगले दिन जब हम निकलने लगे, तो अलका की आंखों में आंसू थे। मैंने उसे गले लगाकर फिर मिलने का वादा किया। बाद में मैं तीन बार उसके हॉस्टल गया, और हमने वही मजा लिया। वो होटल की रात आज भी मेरे दिल में बसी है।

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