Choti Behen ki Chudai: मेरा नाम धवल है, और मैं हाल ही में आर्मी में भर्ती हुआ हूँ। मेरी उम्र 25 साल है, कद 5 फीट 10 इंच, और शरीर गठीला, क्योंकि आर्मी की ट्रेनिंग ने मुझे कड़ा बना दिया है। मैं छुट्टी लेकर अपने गाँव लौटा था, और ये कहानी पिछले महीने की है, जब मैंने अपनी छोटी बहन प्रिया के साथ खेत में कुछ ऐसा किया, जो शायद मैंने पहले कभी सोचा भी नहीं था। प्रिया की उम्र 21 साल है, वो बी.टेक कर रही है, और उसका फिगर 36-28-34 है। वो शहर में रहकर पढ़ाई करती है, और वहाँ की आज़ादी ने उसे काफ़ी बोल्ड और आधुनिक बना दिया है। उसकी खूबसूरती ऐसी है कि कोई भी उसे देखकर लट्टू हो जाए। बड़े-बड़े गोरे बूब्स, पतली कमर, और बाहर निकली हुई गोल गाँड—उसका फिगर देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
प्रिया जब से गाँव वापस आई थी, तब से वो छोटे-छोटे कपड़े पहनती थी—टाइट टॉप, शॉर्ट्स, या फिर जींस, जिसमें उसका फिगर और भी ज़्यादा उभरता था। मैं आर्मी कैंप में रहता हूँ, जहाँ औरतों का नामोनिशान तक नहीं होता। ऐसे में घर आकर प्रिया को देखकर मेरे मन में कुछ और ही ख्याल आने लगे। मैं दिन-रात बस यही सोचता था कि बस किसी की मिल जाए, चाहे वो प्रिया ही क्यों न हो।
एक दिन की बात है, मैं सुबह-सुबह घर पर बैठा था, और मेरी नज़र बार-बार प्रिया के बूब्स पर जा रही थी। वो एक टाइट टी-शर्ट और जींस में थी, जिसमें उसके बूब्स ऐसे उभर रहे थे जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हवा में लटक रहे हों। तभी माँ ने आवाज़ लगाई, “धवल, बेटा, जा अपने बाबूजी को खेत पर खाना दे आ।” मैंने कहा, “ठीक है, माँ, खाना पैक कर दो, मैं बाबूजी को दे आता हूँ।” तभी प्रिया ने कहा, “माँ, मैं भी भैया के साथ खेत देखने चलूँगी। बहुत दिन हो गए, खेत पर गई नहीं हूँ।” माँ ने हामी भर दी और खाना पैक करके दे दिया।
मैंने साइकिल निकाली और प्रिया को आगे बैठने को कहा। वो मेरे सामने साइकिल पर बैठ गई, और उसकी गाँड मेरे लंड के ठीक सामने थी। उसकी जींस इतनी टाइट थी कि उसकी गाँड का शेप साफ दिख रहा था। रास्ते में साइकिल के हर उछाल पर उसकी गाँड मेरे लंड से टकरा रही थी, और मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। मैंने मन ही मन सोचा, “ये तो बस शुरुआत है, धवल।”
खेत पर पहुँचकर हमने बाबूजी को खाना दिया। बाबूजी ने खाना खाया और फिर बोले, “मैं पास के मज़दूर के घर जा रहा हूँ, उसे बुलाने। शायद थोड़ा वक़्त लगे। तुम लोग खेत में टहल लो, फिर घर चले जाना।” ये सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। बाबूजी चले गए, और मैं और प्रिया खेत में टहलने लगे। हमारे पास गन्ने का खेत था। मैंने एक गन्ना तोड़ा और उसे चूसने लगा। प्रिया ने कहा, “भैया, मुझे भी चाहिए।” मैंने उसके लिए भी एक गन्ना तोड़कर दे दिया।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
थोड़ी देर बाद प्रिया ने कहा, “भैया, मुझे टॉयलेट लगी है।” मैंने हँसते हुए कहा, “यहाँ कर ले, आसपास कोई नहीं है।” मैं थोड़ा आगे चला गया, लेकिन मन में शरारत सूझी। मैंने गन्नों के झुरमुट के पीछे छिपकर प्रिया को देखना शुरू किया। उसने अपनी जींस खोली और नीचे सरकाई। अंदर उसने पिंक रंग की पैंटी पहनी थी, जो उसने भी उतार दी। उसकी गोरी गाँड देखकर मेरा लंड तुरंत टेंट बन गया। जब वो झुकी, तो उसकी गाँड का गुलाबी छेद साफ दिखा। मेरे मन में बस एक ही ख्याल था—इसे चोदना है।
प्रिया ने टॉयलेट किया, अपनी जींस और पैंटी पहनी, और मुझे आवाज़ दी। मैं उसके पास गया। उसकी नज़र मेरे लोअर पर पड़ी, जहाँ मेरा लंड साफ उभर रहा था। वो मुस्कुराई और बोली, “भैया, मुझे एक अच्छा सा गन्ना दो ना।” उसकी बात में कुछ शरारत थी। मैंने कहा, “तू यहीं रुक, मैं तेरे लिए एक अच्छा गन्ना लाता हूँ।” वो बोली, “जल्दी करो, भैया, मुझसे रहा नहीं जा रहा।” उसकी बात सुनकर मेरे मन में आग लग गई।
मैं गन्नों के बीच गया, जहाँ एक खाली और साफ जगह थी। मेरे दिमाग में बस प्रिया की गोरी गाँड घूम रही थी। मैंने अपना 8 इंच का लंड बाहर निकाला और मुठ मारने लगा। मेरी आँखें बंद थीं, और मैं प्रिया की गाँड के बारे में सोच रहा था। तभी मुझे अपने लंड पर किसी का हाथ महसूस हुआ। मैंने आँखें खोलीं तो देखा प्रिया घुटनों के बल बैठी मेरे लंड को सहला रही थी। मैंने चौंककर कहा, “प्रिया, ये क्या कर रही है?” उसने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “भैया, ये हालत तो मेरी वजह से हुई है ना? तो इसे ठीक भी मैं ही करूँगी।”
उसकी बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। मैंने कुछ नहीं कहा, और उसने इसे मेरी हामी समझ लिया। प्रिया ने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। वो इतनी माहिर थी जैसे उसने पहले भी कई बार लंड चूसा हो। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो धीरे-धीरे पूरे लंड को अपने मुँह में ले रही थी। मैं उसके सिर पर हाथ फेर रहा था, और मेरे मुँह से “आह्ह… आआह्ह…” की आवाज़ें निकल रही थीं। वो कभी मेरे लंड को चूसती, कभी मेरे टट्टों को सहलाती। मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था।
काफ़ी देर तक वो मेरा लंड चूसती रही। फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स दबाने शुरू किए। उसके बूब्स इतने मुलायम और भरे हुए थे कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे थे। मैंने कहा, “प्रिया, रुक, मैं अभी आता हूँ।” वो बोली, “कहाँ जा रहे हो, भैया?” मैंने कहा, “बस दो मिनट में आया।” मैं भागकर गया और वो चादर लाया, जिस पर बाबूजी ने खाना खाया था। मैंने चादर बिछाई और प्रिया को उस पर लिटा दिया।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी, और उसकी काली ब्रा में कैद उसके बूब्स बाहर निकल आए। मैंने ब्रा भी उतार दी, और उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने थे। वो पपीते की तरह हवा में हिल रहे थे। मैंने एक बूब्स को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा बूब्स मैं अपने हाथ से दबा रहा था। उसका निप्पल सख्त हो गया था, और मैं उसे हल्के से काट रहा था। प्रिया की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… भैया… और चूसो…”
मैंने उसकी जींस खोली और नीचे सरकाई। उसकी पिंक पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी उतारी और उसकी चूत को देखा। उसकी चूत गुलाबी थी, और छोटे-छोटे बालों से सजी थी। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। प्रिया की साँसें तेज़ हो गईं, और वो बोली, “भैया… आह्ह… और करो…” मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को और गीला कर दिया। उसकी चूत से पानी बहने लगा था।
प्रिया ने कहा, “भैया, अब रहा नहीं जा रहा… जल्दी से चोदो मुझे।” मैंने अपने कपड़े उतारे और अपना 8 इंच का लंड उसकी चूत पर रखा। मैंने थूक लगाकर लंड को गीला किया और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। प्रिया की चीख निकली, “आह्ह… भैया… धीरे…” मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लग रहा था जैसे मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में घुस गया हो।
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “पच-पच” की आवाज़ खेत में गूँज रही थी। प्रिया की सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं, “आह्ह… भैया… और तेज़… चोदो मुझे…” मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने देखा कि प्रिया की चूत इतनी आसानी से मेरा लंड ले रही थी, शायद वो पहले भी चुद चुकी थी। लेकिन मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था। मेरी बहन इतनी सेक्सी थी कि कोई भी उसे चोदने के लिए तैयार हो जाए।
मैंने उसे करीब 20 मिनट तक चोदा। प्रिया बोली, “भैया… मैं झड़ने वाली हूँ… आह्ह…” मैंने और तेज़ धक्के मारे, और वो झड़ गई। उसकी चूत से गर्म पानी निकला, जो मेरे लंड को और गीला कर गया। मैं भी झड़ने वाला था। मैंने लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर झड़ गया। हम दोनों हाँफ रहे थे। तभी हमने सामने देखा तो हमारे होश उड़ गए। बाबूजी सामने खड़े थे।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
हमारी साँसें अटक गईं। मैंने सोचा, अब तो गए। लेकिन बाबूजी ने कुछ और ही किया। वो प्रिया के पास आए और उसकी गाँड पर हाथ फेरते हुए बोले, “प्रिया, तू तो शहर जाकर और भी मस्त माल बन गई है।” ये सुनकर हमारी जान में जान आई। प्रिया ने हँसते हुए बाबूजी का लंड पकड़ा, जो उनके लोअर में तंबू बना रहा था। बाबूजी का लंड 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था। प्रिया ने उसे बाहर निकाला और बोली, “इतना मोटा लंड हमारे घर में ही है, और मैं बाहर के मर्दों से चुदवाती रही।”
प्रिया ने बाबूजी का लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। वो कभी बाबूजी का लंड चूसती, कभी मेरा। मैं फिर से खड़ा हो गया। बाबूजी चादर पर लेट गए, और प्रिया उनकी चूत में लंड डालकर बैठ गई। वो ऊपर-नीचे होने लगी, और “पच-पच” की आवाज़ फिर से गूँजने लगी। प्रिया बोली, “बाबूजी… आह्ह… और तेज़…” मैं पीछे गया और प्रिया की गाँड देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गाँड के गुलाबी छेद पर रखा। प्रिया ने पीछे मुड़कर मुझे एक शरारती मुस्कान दी।
मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी गाँड में घुस गया। प्रिया की चीख निकली, “आह्ह… भैया… धीरे…” लेकिन मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए। बाबूजी नीचे से उसकी चूत चोद रहे थे, और मैं उसकी गाँड मार रहा था। प्रिया की सिसकारियाँ पूरे खेत में गूँज रही थीं, “आह्ह… बाबूजी… भैया… और तेज़… चोदो मुझे…” हम तीनों एक रिदम में चुदाई कर रहे थे। करीब 30 मिनट बाद हम बारी-बारी झड़ गए। प्रिया ने मेरे और बाबूजी के लंड को चूसकर साफ किया।
हमने कपड़े पहने और घर लौट आए। उस रात, माँ के सोने के बाद हम तीनों ने छत पर फिर से चुदाई की। जब तक मेरी छुट्टियाँ थीं, हमने खूब मज़े लिए। फिर प्रिया अपने कॉलेज चली गई, और मैं अपने कैंप। अब मैं रोज़ रात को प्रिया से फोन पर बात करता हूँ। जल्द ही दीवाली की छुट्टियों में मैं फिर गाँव जाऊँगा, और प्रिया भी आएगी। तब मैं आपको अगली कहानी सुनाऊँगा।
तो दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? ज़रूर बताना।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
Wah ghar me hi masti , mazedar kahani
Mast story gher mall gher may wow