दीदी साथ खेलते खेलते सेक्स कर लिया

मेरा नाम संदीप है, मैं 22 साल का हूँ, और आंध्र प्रदेश के एक छोटे से शहर में रहता हूँ। मैं पतला-दुबला हूँ, लेकिन जिम जाने की वजह से मेरा बदन कसा हुआ है। मेरा रंग सांवला है, और मेरे काले घने बाल मेरी बहन सुनन्दा को हमेशा पसंद रहे हैं, क्योंकि वो अक्सर मजाक में इन्हें सहलाती है। मेरे पिताजी, रमेश, 50 साल के हैं, एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं, और हमेशा अपनी किताबों और अखबारों में खोए रहते हैं। उनका चेहरा गंभीर है, लेकिन दिल में बहुत प्यार है। मेरी माँ, सुशीला, 45 साल की हैं, गृहिणी हैं, और उनका गोरा रंग और हल्की झुर्रियाँ उनकी मेहनती जिंदगी की कहानी बयान करती हैं। वो हमेशा साड़ी में रहती हैं और अपनी मुस्कान से घर को रोशन रखती हैं। Bahan Gulabi Chut

मेरी बड़ी बहन सुनन्दा, 24 साल की है, और कॉलेज में बी.कॉम फाइनल ईयर में है। वो 5 फुट 4 इंच की है, उसका रंग दूध सा गोरा है, और उसकी लंबी काली चोटी उसकी कमर तक लहराती है। सुनन्दा का फिगर कर्वी है, और उसकी आँखें इतनी बोल्ड हैं कि कोई भी उसे देखकर थोड़ा घबराए। वो कॉलेज में सबसे स्टाइलिश लड़कियों में से एक है, लेकिन घर में वो हमेशा सलवार-कमीज में रहती है, बिना दुपट्टे, जिससे उसका टाइट फिगर और उभार साफ दिखते हैं। सुनन्दा और मेरा रिश्ता बचपन से खास है। हम एक-दूसरे के हर राज जानते हैं, हर मस्ती में साथ होते हैं, और कॉलेज के बाद सारा वक्त एक-दूसरे के साथ बिताते हैं।

हमारा घर छोटा सा है, दो बेडरूम, एक हॉल, और एक छोटी सी रसोई। सुनन्दा और मैं एक ही कमरे में अलग-अलग बेड पर सोते हैं, क्योंकि दूसरा कमरा मम्मी-पापा का है। बचपन से हमारी आदत है कि हम साथ में हँसते-खेलते हैं, एक-दूसरे को छेड़ते हैं, और कभी-कभी चिपककर सो भी जाते हैं। सुनन्दा को मेरे साथ गुदगुदी करना, मेरे गाल खींचना, या मेरे बालों में उंगलियाँ फिराना बहुत पसंद है। मुझे भी उसकी मुलायम त्वचा को छूना, उसकी कमर को हल्के से सहलाना, और उसकी साँसों की गर्मी महसूस करना अच्छा लगता है। उसकी खुशबू, जो कभी-कभी उसकी त्वचा से, तो कभी-कभी उसके बालों से आती है, मुझे हमेशा एक अजीब सा सुकून देती है। लेकिन हमने कभी उस हद को पार नहीं किया, जो भाई-बहन के रिश्ते को तोड़ दे। फिर भी, कहीं न कहीं मेरे मन में उसके लिए एक अलग सी फीलिंग थी, जो मैं खुद से भी छिपाता था।

अब उस दिन की बात बताता हूँ, जब सब कुछ बदल गया। ये पिछले महीने की बात है। मम्मी-पापा को एक रिश्तेदार की शादी में दो दिन के लिए बाहर जाना था। सुनन्दा और मुझे शादी में जाना कभी पसंद नहीं था। हमें वहाँ की भीड़, वो दिखावटी बातें, और बोरिंग रस्में बिल्कुल नहीं भाती थीं। सो, हमने कहा कि हम घर पर ही रहेंगे। मम्मी-पापा ने हमें खाना-पानी का इंतजाम करके चले गए, और हम दोनों घर में अकेले थे। ये मौका हमारे लिए आजादी की तरह था।

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शाम को हमने साथ मिलकर खाना बनाया। सुनन्दा ने अपनी स्पेशल मसाला चाय बनाई, और हम हँसते-हँसते खाना खा रहे थे। सुनन्दा ने उस दिन गुलाबी रंग की सलवार-कमीज पहनी थी, जो इतनी टाइट थी कि उसकी कमर और बूब्स साफ दिख रहे थे। खाने के बाद हम लिविंग रूम में बैठ गए और हमारा पुराना गेम ‘चोर-पुलिस’ शुरू हुआ। सुनन्दा ने मुझे छेड़ना शुरू किया। कभी मेरे गाल पर चपत मारती, कभी मेरे कानों को मरोड़ती, तो कभी मेरे पेट पर चिकोटी काटती। उसकी हर शरारत मुझे और उकसाती थी। मैंने सोचा, अब मैं भी मजा लूँ। मैं चुपके से उसके पीछे गया और उसकी कमर पर गुदगुदी करने लगा। वो जोर से चीखी, “संदीप, रुक जा, पागल!” और हँसते हुए मुझसे भागने लगी। उसकी हँसी और उसकी वो शरारती आवाज मेरे दिल को और तेज धड़काती थी।

हम पूरे घर में एक-दूसरे के पीछे भाग रहे थे। सुनन्दा की सलवार-कमीज उड़ रही थी, और उसका गोरा बदन हर बार मेरी आँखों के सामने आ रहा था। खेलते-खेलते हम बेडरूम में पहुँच गए और हँसते-हँसते बेड पर गिर पड़े। हमारी साँसें तेज थीं, और हम एक-दूसरे से चिपक गए थे। सुनन्दा का बदन मेरे बदन से सटा हुआ था, और उसकी गर्मी मुझे अंदर तक महसूस हो रही थी। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने मजाक में उसकी कमीज के अंदर हाथ डाला और उसकी कमर को सहलाने लगा। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ रुक नहीं रहे थे। सुनन्दा ने भी जवाब में मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और मेरे सीने को सहलाने लगी। उसने अचानक मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को छू लिया और हँसते हुए बोली, “अरे, ये क्या, इतना सख्त हो गया?” उसकी बात सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया, लेकिन मेरे लंड में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई।

मैंने उसकी कमीज को और ऊपर उठाया और देखा कि उसने काली ब्रा पहनी थी। उसकी ब्रा में उसके बूब्स इतने टाइट थे कि वो बाहर निकलने को बेताब लग रहे थे। मैंने उसकी नाभि पर उंगली फिराई और धीरे से वहाँ kiss किया। सुनन्दा ने मेरे बाल पकड़ लिए और बोली, “संदीप, ये क्या कर रहा है? गुदगुदी हो रही है…” लेकिन उसकी आवाज में वो शरारत थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने उससे कहा, “दीदी, तुझे मजा आएगा, बस देखती जा।” उसने हल्का सा सिर हिलाया, लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं, जैसे वो भी इस नए खेल को आजमाने के लिए तैयार थी।

मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके कंधों पर kiss करना शुरू किया। उसकी त्वचा इतनी गर्म थी कि मेरे होंठ जल रहे थे। मैंने धीरे-धीरे उसकी कमीज को पूरी तरह ऊपर उठाया और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। सुनन्दा के गोल, मुलायम बूब्स मेरे सामने थे। उनके भूरे निप्पल्स कड़क हो चुके थे, और मैंने उन्हें हल्के से दबाया। सुनन्दा की साँसें और तेज हो गईं, और वो बोली, “संदीप… ये गलत है… हमें नहीं करना चाहिए…” लेकिन उसकी आवाज में वो दृढ़ता नहीं थी। मैंने उसके होंठों पर kiss किया और कहा, “दीदी, बस एक बार… तुझे बहुत मजा आएगा।” उसने कुछ नहीं कहा, बस मेरी ओर देखती रही।

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मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने उसके एक बूब को मुँह में लिया और निप्पल को चूसने लगा। सुनन्दा की सिसकियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… संदीप… धीरे… उह्ह…” उसकी आवाज में शर्म और उत्तेजना का मिश्रण था। मैंने दूसरे निप्पल को भी चूसा, और उसका बदन काँपने लगा। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उसके ऊपर लेट गया। उसका नंगा बदन मेरे बदन से रगड़ रहा था। मैंने उसके पूरे बदन पर kiss किए, कभी उसकी गर्दन पर, कभी उसके पेट पर, और कभी उसके बूब्स को हल्के से काट लिया। सुनन्दा हर बार सिसकती और बोली, “संदीप… तू पागल है… आह्ह…”

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी के साथ उसे उतार दिया। अब सुनन्दा पूरी तरह नंगी थी। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो पूरी तरह गीली थी। उसकी चूत से आती महक मुझे और दीवाना कर रही थी। मैंने उसके पैर फैलाए और उसकी चूत को हल्के से सहलाया। उसका गुलाबी दाना मुझे बुला रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया। सुनन्दा का बदन तड़पने लगा, और वो चिल्लाई, “आह्ह… संदीप… ये क्या… मत कर… उह्ह…” लेकिन उसकी सिसकियाँ मुझे और उकसा रही थीं। मैंने उसकी चूत को और फैलाया और अपनी जीभ अंदर तक डाल दी। उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं उसे चूस रहा था। सुनन्दा की सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “संदीप… आह्ह… मुझे कुछ हो रहा है… रुक जा…”

मैं अब और रुक नहीं सकता था। मेरा लंड कड़क हो चुका था। मैंने उसे कहा, “दीदी, इसे गीला कर दे।” उसने हिचकते हुए मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी, और वो बोली, “संदीप… तेरा लंड कितना मोटा है… आह्ह… इसका स्वाद नमकीन है…” उसकी बातें मुझे और जोश दिला रही थीं। जब मेरा लंड पूरी तरह गीला हो गया, मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी चूत के छेद पर अपना लंड सेट किया। मैंने धीरे से धक्का मारा, लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फिसल गया। सुनन्दा कराह उठी, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने उसके होंठों को चूमा और उसके बूब्स को सहलाते हुए फिर कोशिश की। इस बार मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो जोर से चीखी, “संदीप… निकाल… बहुत दर्द हो रहा है…”

मैंने उसे शांत करने के लिए उसके होंठों को चूसा और उसके बूब्स को दबाया। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। सुनन्दा के आँसू निकल आए, और वो मेरी पीठ पर मुक्के मारने लगी। मैंने उसे कसकर पकड़ा और उसके बदन को सहलाने लगा। धीरे-धीरे उसका दर्द कम हुआ, और वो फिर से उत्तेजित होने लगी। मैंने अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी टाइट चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे लंड को चूस रही हो। सुनन्दा भी अब मेरे साथ थी। वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी और बोली, “संदीप… और जोर से… चोद मुझे… आह्ह… तेरा लंड कितना गहरा जा रहा है…”

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मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत का रस मेरे लंड को और गीला कर रहा था। मैं उसके होंठों को चूस रहा था, उसके बूब्स को दबा रहा था, और उसकी चूत में अपने लंड को बार-बार अंदर-बाहर कर रहा था। सुनन्दा का बदन अकड़ने लगा, और वो चिल्लाई, “आह्ह… संदीप… मैं झड़ रही हूँ… उह्ह…” उसने अपना पानी छोड़ दिया, और उसकी चूत का गर्म रस मेरे लंड को भिगो रहा था। ये महसूस करके मेरा भी बांध टूट गया। मैंने और जोर से धक्के मारे, और मेरा गर्म वीर्य उसकी चूत में भर गया। हम दोनों का पानी मिलकर उसकी चूत से बाहर बहने लगा।

हम थककर एक-दूसरे के बगल में लेट गए। हमारी साँसें तेज थीं, और हम चुप थे। सुनन्दा ने धीरे से कहा, “संदीप… ये गलत था… अगर किसी को पता चला तो?” मैंने उसे गले लगाया और कहा, “कोई नहीं जानेगा, दीदी। हम सावधान रहेंगे।” हमने बेडशीट पर खून और वीर्य के निशान देखे और घबरा गए। हमने उसे तुरंत वॉशिंग मशीन में डाला और बाथरूम में जाकर नहाए। नहाते वक्त भी हम एक-दूसरे को छू रहे थे, और वो पल फिर से हमें उत्तेजित कर रहा था।

बाहर आने के बाद मैंने दर्द की गोली और गर्भनिरोधक गोली ली। मम्मी-पापा के आने तक हमने कई बार इस चुदाई को दोहराया। हर बार हम और बेफिक्र होकर मजे ले रहे थे। जब मम्मी-पापा आए, हमने बाहर से भाई-बहन की तरह बर्ताव किया, लेकिन रात में जब सब सो जाते, हमारा चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाता। हमने हर तरीके को आजमाया, और हर बार वो मजा पहले से ज्यादा था।

आपको हमारी कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसा कुछ किया? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएँ!

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