करवाचौथ में ससुर से चुदवाकर व्रत पूरा किया

Sasur ke saath karwachauth ki chudai: मेरा नाम कावेरी है। मैं गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 35 साल है, और मैं एक ऐसी औरत हूँ जिसे अपनी जवानी पर नाज़ है। मेरा कद 5 फीट 4 इंच है, रंग इतना गोरा कि लोग मुझे देखकर दोबारा पलटकर देखते हैं। मेरा फिगर 38-32-36 का है, और मेरे भरे हुए मम्मे 38 इंच के हैं, जो मेरी साड़ी के ब्लाउज़ में से उभरकर हर मर्द की नज़र को अपनी ओर खींच लेते हैं। मेरे होंठ गुलाबी, आँखें बड़ी-बड़ी, और चेहरा ऐसा कि लोग कहते हैं, “कावेरी, तू तो किसी अप्सरा से कम नहीं!” मेरी शादी को 7 साल हो चुके हैं, लेकिन बच्चे नहीं हुए। मेरे पति शिवा कोलकाता में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और 2-3 महीने में एक बार ही घर आते हैं। जब आते हैं, तो मेरी चूत को इतना चोदते हैं कि मैं कई दिन तक उनकी गर्मी महसूस करती रहती हूँ। लेकिन अब कुछ महीनों से मुझे पता चला कि शिवा का अपनी सेक्रेटरी के साथ चक्कर चल रहा है। ऑफिस में ही दोनों मजे लूटते हैं। ये सुनकर मेरा दिल टूट गया था।

मेरे ससुर जी, जिन्हें मैं पापा जी कहती हूँ, 58 साल के हैं, लेकिन उनकी कद-काठी और मर्दानगी देखकर कोई कह नहीं सकता कि वो इतनी उम्र के हैं। उनका रंग सांवला है, चौड़ा सीना, और मजबूत बाजुएँ। वो बहुत ही प्यार करने वाले इंसान हैं। मेरे देवर की नौकरी लखनऊ में लग गई, तो अब घर में सिर्फ़ मैं और पापा जी रहते हैं। पापा जी मेरी बहुत देखभाल करते हैं, और मैं भी उनकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ। लेकिन मेरी जवानी और अकेलापन शायद उनकी नज़रों से छुपा नहीं था।

दो दिन पहले करवाचौथ का त्योहार था। मैंने शिवा को फोन किया, “जान, तुम करवाचौथ पर घर नहीं आ रहे? हर बार तुम नहीं आते, ये ठीक नहीं है। मैं किसके साथ पूजा करूँगी?” मेरी आवाज़ में गुस्सा और मायूसी थी। शिवा ने फिर वही पुराना बहाना बनाया, “देखो, मैं बॉस से छुट्टी की बात करूँगा। अगर मिली, तो आ जाऊँगा।” लेकिन मुझे पता था, वो नहीं आएगा। उसकी सेक्रेटरी के साथ मस्ती उसे ज़्यादा प्यारी थी।

करवाचौथ की सुबह मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी, जो मेरी शादी की थी। साड़ी के साथ गहरा गुलाबी रंग का ब्लाउज़, जिसका गला इतना गहरा था कि मेरे 38 इंच के मम्मों की क्लीवेज साफ़ दिख रही थी। मैंने मेहंदी लगाई, चूड़ियाँ पहनीं, और माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी लगाई। मैं पूरी तरह नई दुल्हन सी सज गई थी। पापा जी ने भी मेरे साथ व्रत रखा था। वो भी सुबह से कुछ नहीं खाए-पिए थे। दिन ढलते-ढलते चाँद निकल आया, और शिवा का कोई अता-पता नहीं था।

“पापा जी, वो नहीं आए,” मैंने आँसुओं से भरी आँखों से कहा। मेरी आवाज़ काँप रही थी। पापा जी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया। उनकी गर्मजोशी और प्यार भरी बाहों में मैं थोड़ा सुकून महसूस करने लगी। “रो मत, मेरी बच्ची। मेरा बेटा इतना नालायक निकलेगा, मुझे नहीं पता था,” उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। उनकी आवाज़ में दर्द था, लेकिन साथ ही एक अजीब सी गर्मी भी।

“पापा जी, अब मैं पूजा किसके साथ करूँ? चाँद भी निकल आया है,” मैंने रोते हुए पूछा। पापा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो, बहू, मेरे साथ पूजा कर लो।” मैंने उनकी बात मान ली। हम दोनों छत पर गए। पापा जी ने भी नया कुर्ता-पायजामा पहना था, सफ़ेद रंग का, जिसमें वो बहुत जच रहे थे। मैंने चाँद को देखकर पूजा की, फिर छलनी में पापा जी का चेहरा देखा। पति की जगह पापा जी थे, तो मैंने झुककर उनके पैर छुए। उन्होंने मुझे पानी पिलाकर मेरा व्रत तुड़वाया। हम दोनों ने एक-दूसरे को खाना खिलाया। मैं उनके लिए पूरी और सब्ज़ी लेकर आई, और वो मेरे लिए। रात के 10 बज चुके थे। घर में सन्नाटा था, सिर्फ़ हम दो लोग थे।

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खाना खाते वक़्त मैंने देखा कि पापा जी बार-बार मेरे मम्मों की तरफ़ देख रहे थे। मेरा ब्लाउज़ इतना टाइट था कि मेरे मम्मे बाहर को उभर रहे थे, और गहरा गला उनकी पूरी क्लीवेज दिखा रहा था। मैंने गुलाबी रंग की लेस वाली ब्रा पहनी थी, जो ब्लाउज़ के नीचे से हल्की-हल्की झलक रही थी। पापा जी की नज़रें मेरे मम्मों पर टिक रही थीं, और जैसे ही मैं उनकी तरफ़ देखती, वो नज़रें फेर लेते। मैं समझ गई थी कि मेरी जवानी उनकी आँखों को भा रही थी। फिर मैंने सोचा, क्यों न मैं पापा जी को अपने हाथ से खाना खिलाऊँ। मैंने पूरी का एक टुकड़ा तोड़ा, सब्ज़ी में डुबोया, और उनके मुँह की तरफ़ बढ़ाया।

“पापा जी, लीजिए ना, अपनी बहू के हाथ से खा लीजिए। अब शर्म कैसी?” मैंने हँसते हुए कहा। वो थोड़ा संकोच कर रहे थे, लेकिन फिर मुँह खोल लिया। जल्दबाजी में मेरा हाथ उनके मुँह में चला गया, और उन्होंने गलती से मेरी उँगली काट ली। “अई… अई… अह्ह्ह… सी सी, लग गई!” मैं चिल्लाई। पापा जी ने तुरंत मेरी उँगली अपने मुँह में ले ली और चूसने लगे, ताकि दर्द कम हो। उनकी गर्म जीभ मेरी उँगली पर फिर रही थी, और मुझे एक अजीब सा नशा चढ़ने लगा। वो चूसते रहे, और मैं उनकी आँखों में देखने लगी। उनकी नज़रों में कुछ और ही था।

अचानक पापा जी ने मुझे कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी चुस्कियाँ इतनी तेज़ थीं कि मुझे सोचने का मौक़ा ही नहीं मिला। “पापा जी… ये… ये क्या…” मैंने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन उनकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं हिल भी नहीं पाई। पाँच मिनट तक वो मेरे रसीले होंठ चूसते रहे, मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरी जीभ से खेलने लगे। मैं हल्का-हल्का विरोध कर रही थी, लेकिन मेरे जिस्म में एक आग सी जलने लगी थी।

फिर पापा जी ने मुझे गोद में उठा लिया और अपने बेडरूम की तरफ़ चल पड़े। मैं चुप थी, मेरे दिमाग़ में हज़ारों ख्याल आ रहे थे। क्या मैं ये होने दूँ? क्या ये गलत है? लेकिन मेरे जिस्म की प्यास मुझे कुछ और ही कह रही थी। उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और अपनी शर्ट के बटन खोलकर उसे फेंक दिया। उनका सांवला, मज़बूत सीना मेरे सामने था। वो मेरे ऊपर लेट गए और मेरे गालों, गले, और कानों पर चुम्मियाँ देने लगे। मैं परेशान थी, लेकिन मेरे जिस्म ने विरोध छोड़ दिया।

पापा जी ने मेरी साड़ी का पल्लू मेरे ब्लाउज़ से हटाया और मेरे भरे हुए मम्मों को देखने लगे। “कावेरी, तुम तो बिल्कुल अप्सरा हो,” उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा। उनकी उँगलियाँ मेरे ब्लाउज़ पर फिरने लगीं, मेरे मम्मों को हल्के-हल्के सहलाने लगीं। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “अह्ह… पापा जी…” वो मेरे गले पर चूमने लगे, मेरे कानों को हल्के से काटने लगे। मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं।

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“बहू, तुमने आज मेरे साथ करवाचौथ की पूजा की है। आज रात तुम मेरी बीवी हो। अपने व्रत को मेरे साथ पूरा करो,” पापा जी ने कहा, उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मैं हाँफ रही थी, मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था। “पापा जी… आप… आप चाहते हैं कि मैं… मैं आपको अपनी चूत दे दूँ?” मैंने शर्माते हुए कहा। “हाँ, कावेरी। तुम्हारा पति वहाँ मज़े ले रहा है, और तुम यहाँ प्यासी रहो? ये गलत है। बोलो, क्या ख्याल है?” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी मर्दानगी थी। मैंने हल्के से सिर हिलाया, और बस फिर क्या था।

पापा जी मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरे मम्मों को मसलने लगे। मेरे 38 इंच के मम्मे उनके बड़े-बड़े हाथों में समा नहीं रहे थे। “अह्ह… पापा जी… धीरे… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी। उन्होंने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने की कोशिश की, लेकिन जल्दबाजी में बटन नहीं खुल रहे थे। गुस्से में उन्होंने ब्लाउज़ को दोनों हाथों से पकड़ा और फाड़ दिया। मेरी गुलाबी लेस वाली ब्रा उनके सामने थी, जिसमें मेरे मम्मे कसे हुए थे। मेरी निपल्स ब्रा के ऊपर से उभर रही थीं, गुलाबी रंग की, सख्त और तनी हुई। पापा जी ने ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाना शुरू किया, मेरी निपल्स को उँगलियों से मसलने लगे। “आह्ह… सी सी… पापा जी… उह्ह…” मैं कराह रही थी।

फिर उन्होंने मेरी ब्रा के हुक खोले और उसे भी फेंक दिया। मेरे गोरे, गोल-मटोल मम्मे अब उनके सामने थे, निपल्स गुलाबी और सख्त। वो मेरे मम्मों पर टूट पड़े, एक को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनकी जीभ मेरी निपल पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे हल्के से दाँतों से काट रहे थे। “अई… अई… पापा जी… आह्ह… धीरे…” मैं चिल्ला रही थी, लेकिन मज़ा भी ले रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उन्होंने मेरे दूसरे मम्मे को हाथ से मसलना शुरू किया, उसे गूँथने लगे जैसे आटा गूँथ रहे हों। मेरे मम्मों पर उनके दाँतों के निशान पड़ गए थे।

“पापा जी… आज मुझे चोद लीजिए… मैं आपकी हूँ आज रात,” मैंने नशे में कहा। वो मेरी साड़ी की सिलवटें खोलने लगे, और धीरे-धीरे उसे मेरी कमर से उतार दिया। मैंने लाल रंग का पेटीकोट पहना था, जो मेरी चिकनी जाँघों को और उभार रहा था। पापा जी ने पेटीकोट का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरका दिया। मेरी गुलाबी पैंटी पूरी तरह मेरे चूत के रस से भीग चुकी थी। उन्होंने पैंटी को धीरे-धीरे उतारा, और मेरी चिकनी, गुलाबी चूत उनके सामने थी। मेरी चूत की फाँकों के बीच हल्का सा गीलापन चमक रहा था, और मेरी क्लिट सख्त होकर उभर रही थी।

पापा जी मेरी जाँघों को सहलाने लगे, उनके हाथ मेरे गोरे, चिकने पैरों पर फिर रहे थे। फिर उन्होंने मेरे पैर खोल दिए और मेरी चूत के दर्शन करने लगे। “कावेरी, तुम्हारी चूत तो रबड़ी जैसी है,” उन्होंने कहा और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया। उनकी जीभ मेरी चूत की फाँकों पर फिरने लगी, मेरी क्लिट को चाटने लगी। “अई… अई… पापा जी… आह्ह… सी सी… उह्ह…” मैं सिसकार रही थी। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई भूखा शेर दावत खा रहा हो। उनकी जीभ मेरी चूत के छेद में अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं अपने चेहरे को हाथों से ढक रही थी। मज़ा इतना था कि मैं चिल्लाए बिना रह नहीं पा रही थी।

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करीब 15 मिनट तक उन्होंने मेरी चूत चाटी, मेरे चूत के रस को चटकारे लेकर पिया। फिर वो उठे और अपनी पैंट उतार दी। उनका 8 इंच का लंड तना हुआ था, सुपारा गुलाबी और चमकदार। उन्होंने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “आऊ… आऊ… अह्ह… सी सी…” मैं दर्द से चिल्ला पड़ी। उनका लंड 4 इंच अंदर घुसा था। फिर एक और धक्का, और पूरा 8 इंच मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, लेकिन मज़ा भी आ रहा था।

पापा जी ने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और बिस्तर पर दबा दिए। “कावेरी, आज तेरी चूत की प्यास बुझा दूँगा,” उन्होंने कहा और धक्के मारने शुरू कर दिए। उनकी कमर तेज़ी से हिल रही थी, और उनका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। “पच-पच… फच-फच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मेरे मम्मे उछल रहे थे, ऊपर-नीचे डांस कर रहे थे। “आह्ह… पापा जी… चोदो… और ज़ोर से… आह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरी चूत को ऐसे पेल रहे थे जैसे कोई मशीन चल रही हो।

करीब 20 मिनट तक उन्होंने मुझे उसी पोज़िशन में चोदा। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैंने अपने घुटनों और हाथों के बल बिस्तर पर पोज़िशन ले ली। मेरी चूत पीछे से और उभर रही थी। पापा जी ने मेरी कमर पकड़ी और फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह… सी सी… पापा जी… धीरे… उह्ह…” मैं सिसकार रही थी। वो पीछे से मेरी चूत को पेल रहे थे, और उनके हर धक्के के साथ मेरे मम्मे हिल रहे थे। “कावेरी, तेरी चूत तो जन्नत है,” उन्होंने कहा।

फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे पैर अपने कंधों पर रख लिए। इस पोज़िशन में उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “पच-पच… फच-फच…” की आवाज़ और तेज़ हो गई। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… पापा जी… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो… उह्ह…” करीब 10 मिनट और चुदाई के बाद उनका चेहरा ढीला पड़ गया। उन्होंने मेरी चूत में अपना गर्म-गर्म माल छोड़ दिया और मेरे ऊपर थककर गिर गए। मैंने उनके होंठ चूमे और उनकी बाहों में लेट गई।

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