गर्मियों की दोपहर थी, हवा में गर्मी और सुस्ती का आलम था। मैं, रिया, 22 साल की, गोरी, लंबे काले बालों वाली, और एकदम भरी हुई फिगर की मालकिन थी। मेरा फिगर 34-28-36 था, और टाइट कपड़ों में मेरे चूचे और गांड हमेशा उभरकर सामने आते थे। मेरा भाई रवि, 25 साल का, लंबा, गठीला, और गेहुंआ रंग का था। उसकी कलाई पर एक पुराना टैटू था, जो उसने कॉलेज के दिनों में बनवाया था, और उसकी मूंछें उसे एक रफ लुक देती थीं। हम दोनों का रिश्ता हमेशा से खुला और मस्ती भरा था, लेकिन कभी हदें पार नहीं हुई थीं। उस दिन घर पर कोई नहीं था। मम्मी-पापा पड़ोस के शहर में रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और घर में सन्नाटा पसरा था।
रवि ने अचानक कहा, “रिया, बोर हो रहे हैं। चल, जंगल की सैर करें? पिकनिक मनाएंगे, कुछ खाएंगे, मज़ा आएगा।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे वो कुछ और सोच रहा हो। मैंने हल्का सा मेकअप किया—गुलाबी लिपस्टिक, हल्का काजल, और एक टाइट लाल कुर्ता और सफेद सलवार पहनी, जिसमें मेरी कमर और चूचे साफ़ झलक रहे थे। मेरी चुन्नी हल्की सी थी, जो बार-बार सरक रही थी। मैंने सोचा, जंगल में हवा-पानी का मज़ा ले लूँगी, और रवि के साथ वक़्त बिताना हमेशा मज़ेदार होता था। हम बाइक पर निकल पड़े। रवि ने अपनी काली पल्सर निकाली, और मैं पीछे बैठ गई, उसकी कमर को हल्के से पकड़कर। रास्ते में हवा मेरे बालों को उड़ा रही थी, और रवि की पीठ की गर्मी मुझे अजीब सा सुकून दे रही थी।
जंगल का रास्ता सुनसान था। पेड़ों की घनी छाँव थी, और दूर-दूर तक सिर्फ़ पंछियों की चहचहाहट और पत्तियों की सरसराहट सुनाई दे रही थी। रवि ने एक ऐसी जगह पर बाइक रोकी, जहाँ चारों तरफ़ घने पेड़ थे, और ज़मीन पर नरम घास बिछी थी। एक छोटा सा तालाब पास में था, जिसका पानी धूप में चमक रहा था। “यहीं रुकते हैं,” रवि ने कहा और बाइक से उतर गया। उसने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल रखे थे, और उसकी छाती की हल्की झलक दिख रही थी। मैंने अपनी चुन्नी ठीक की, लेकिन मेरे टाइट कुर्ते में मेरे चूचे उभर रहे थे, और सलवार में मेरी गांड की शेप साफ़ दिख रही थी। रवि की नज़रें मेरी कमर और चूत की तरफ़ थीं। मैंने हँसते हुए कहा, “क्या देख रहा है, भैया? कुछ खाने को लाया है या बस पेड़-पौधे देखने आए हैं?”
उसने मेरी तरफ़ देखा, और उसकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी। “खाना तो लाया है, पर तू ही बता, क्या खाना है, रिया। तेरी चूत तो लंड माँग रही है।” मैं सन्न रह गई। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। “ये क्या बोल रहा है, भैया?” मैंने पूछा, लेकिन मेरी आवाज़ में डर कम और उत्तेजना ज़्यादा थी। मेरी चूत में एक गुदगुदी सी होने लगी, और मेरे मुँह से बिना सोचे निकला, “ये ग़लत है, भैया। तू मेरा भाई है।” लेकिन मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं, और मेरी नज़रें रवि के चेहरे पर टिक गई थीं। उसने मेरे पास आकर मेरी चुन्नी खींच ली। “रिया, आज तुझे असली मज़ा दूँगा,” उसने कहा और मेरे कुर्ते को एक झटके में फाड़ दिया। मेरे चूचे काले रंग की ब्रा में क़ैद थे, और मेरी गोरी कमर धूप में चमक रही थी।
“भैया, ये क्या कर रहा है?” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज़ में अब वो मना करने वाला जोर नहीं था। मेरे मन में डर था, हिचक थी, लेकिन साथ ही एक अजीब सी चाहत भी थी। रवि ने मेरी ब्रा को एक झटके में खींचकर फाड़ दिया। मेरे चूचे आज़ाद हो गए, और मेरे गुलाबी निप्पल सख्त होकर हवा में तन गए। “क्या मस्त चूचे हैं, रिया। इन्हें चूस-चूस कर लाल कर दूँगा,” उसने कहा और मेरे एक चूचे को अपने मुँह में ले लिया। “आह्ह… भैया… और चूस… आह्ह!” मैं सिसक उठी। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और उसका दूसरा हाथ मेरे दूसरे चूचे को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। मेरी चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था, और मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं। “भैया… मेरी चूत गीली हो रही है… आह्ह!” मैंने कराहते हुए कहा।
रवि ने मुझे घास पर लिटा दिया। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खींचा, और मेरी सलवार नीचे सरक गई। मेरी चूत, जो अब पूरी तरह गीली थी, हवा में चमक रही थी। रवि ने मेरी चूत को देखा और बोला, “साली, तेरी चूत तो रस से तर है।” उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फेरीं, और फिर अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… भैया… चाट ले मेरी चूत… इसे चूस डाल… आह्ह!” मैं चिल्ला उठी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मेरा रस उसके मुँह में भर रहा था। मैंने उसके बाल पकड़े और अपनी चूत को उसके मुँह पर और ज़ोर से दबाया। “चाट, भैया… मेरी चूत का रस पी ले!” मेरी सिसकियाँ जंगल में गूँज रही थीं।
“क्या स्वाद है, रिया। तेरी चूत को चोदने का मन कर रहा है,” उसने कहा और अपनी पैंट उतार दी। उसका मोटा, सख्त लंड बाहर निकला, जो कम से कम 7 इंच का था। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और लंड का सुपारा गुलाबी और चमकदार था। मैंने उसे देखा और मेरे मुँह से निकला, “भैया, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा। जल्दी डाल दे इसे अंदर!” मैंने उसका लंड अपने हाथ में लिया और उसे सहलाने लगी। उसका लंड मेरे हाथ में गर्म और सख्त था, जैसे कोई लोहे की रॉड। “कितना मोटा है तेरा लंड, भैया,” मैंने फुसफुसाया। उसने मुझे कुतिया की तरह झुका दिया। मेरी गांड हवा में उठ गई, और मेरी चूत उसके सामने खुली थी।
“अब तेरी चूत और गांड दोनों चोदूँगा,” उसने कहा और मेरी गांड पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा। “आह्ह… मारो, भैया… मेरी गांड लाल कर दो!” मैंने चीखते हुए कहा। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, और फिर एक जोरदार धक्के के साथ उसे अंदर पेल दिया। “आह्ह… मेरी चूत फट गई… और जोर से चोद, भैया… आह्ह!” मेरी चीख जंगल में गूँज उठी। थप-थप की आवाज़ हवा में फैल रही थी, और मेरी गांड हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। रवि ने मेरे बाल पकड़े और मुझे और ज़ोर से पेलने लगा। “तेरी चूत तो मेरे लंड को चूस रही है, साली,” उसने चीखते हुए कहा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मैं चिल्ला रही थी, “और गहरा डाल… मेरी चूत को फाड़ डाल… आह्ह!”
उसने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट दीं। उसने अपने लंड को मेरी चूत में फिर से ठोका। “आह्ह… भैया… मेरी चूत चीर डाल… और तेज़… आह्ह!” मैं चिल्ला रही थी। थप-थप की आवाज़ तेज़ हो रही थी, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “तेरी चूत तो रस की नदी है, रिया। इसे चोद-चोद कर सूखा दूँगा,” उसने कहा और मेरे चूचों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए और चिल्लाई, “चोद मुझे, भैया… मेरी चूत को अपने लंड का गुलाम बना दे… आह्ह!” मेरी सिसकियाँ और थप-थप की आवाज़ जंगल में गूँज रही थी।
चुदाई का खेल अब और गरम हो गया। रवि ने मुझे उठाया और एक पेड़ से सटा दिया। मेरी टाँगें हवा में लटक रही थीं। “अब तेरी गांड की बारी है,” उसने कहा और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर रगड़ा। “डाल दे, भैया… मेरी गांड को चोद-चोद कर ढीली कर दे… आह्ह!” मैंने चीखते हुए कहा। उसने अपने लंड को मेरी गांड में धीरे-धीरे पेला। “आह्ह… मेरी गांड फट गई… और जोर से चोद!” मेरी चीखें और थप-थप की आवाज़ जंगल में फैल रही थीं। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और मेरी गांड रवि के लंड को चूस रही थी। “तेरी गांड तो चूत से भी टाइट है, रिया। इसे रगड़ डालूँगा,” उसने कहा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।
उसने मुझे फिर से घास पर लिटाया और मेरे होंठों को चूसना शुरू किया। “तेरे होंठ तो शहद हैं,” उसने कहा और मेरे होंठों को अपने दाँतों से हल्के से काटा। मैंने उसका लंड पकड़ा और मसलते हुए कहा, “तो मेरी चूत को भी काट, भैया… इसे चोद-चोद कर फाड़ दे!” उसने मुझे फिर से कुतिया बनाया और मेरी चूत में लंड ठोका। “तेरी चूत और गांड दोनों को रस से भर दूँगा,” उसने चीखते हुए कहा। थप-थप की आवाज़ तेज़ हो रही थी, और मेरी चूत उसके लंड को निचोड़ रही थी। “चोद मुझे, भैया… मेरी चूत की आग बुझा दे… आह्ह!” मैं चिल्ला रही थी।
अब रवि ने मुझे घुटनों पर बिठाया। “चूस मेरे लंड को, रिया,” उसने कहा और अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लंड को चाटने लगी। “आह्ह… भैया… तेरा लंड तो मज़ेदार है… इसे पूरा मुँह में लूँगी,” मैंने कहा और उसके लंड को गले तक ठूँस लिया। रवि ने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। “चूस ले, साली… मेरे लंड को निचोड़ डाल!” उसने चीखा। मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और मैं अपनी उंगलियाँ उसमें डालकर हिलाने लगी। “तेरे लंड का रस मेरे मुँह में डाल दे, भैया,” मैंने फुसफुसाया।
आख़िर में रवि का लंड फट पड़ा। उसका गरम रस मेरी चूत में, फिर मेरी गांड में, और बाक़ी मेरे चूचों और होंठों पर छिड़क गया। “आह्ह… भैया… तेरा रस मेरे होंठों पर लगा दे,” मैंने कहा और उसके लंड से टपकते रस को चाट लिया। हम दोनों हाँफते हुए घास पर गिर पड़े। “रिया, तू तो कमाल है,” रवि ने हाँफते हुए कहा। “और तेरा लंड मेरी चूत का दीवाना,” मैंने हँसते हुए जवाब दिया। मेरी चूत अभी भी गुदगुदी कर रही थी। “अगली बार फिर से जंगल में ले चल, भैया,” मैंने कहा। “तेरी चूत और गांड को बार-बार चोदूँगा,” उसने जवाब दिया।
सूरज ढलने लगा था। हमने कपड़े पहने, लेकिन मेरी चूत में अभी भी वो गर्मी थी। “भैया, ये पिकनिक तो ज़िंदगी भर याद रहेगी,” मैंने हँसते हुए कहा। रवि ने मेरी गांड पर एक और थप्पड़ मारा और बोला, “अगली बार और गहरा चोदूँगा।” जंगल की हवा में हमारी चुदाई की गर्मी बसी थी। घर लौटते वक़्त मेरी चूत फिर से लंड माँग रही थी, और रवि की मुस्कान में वही शरारत थी। पिकनिक का बहाना बन गया था हमारी चुदाई का खेल।
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