नमस्ते दोस्तों, मैं अंजलि हूँ और ये कहानी मेरे साथ भिलाई में हुई थी। उस दिन को मैं शायद कभी नहीं भूल सकती। बात उन दिनों की है जब मुझे कुछ काम से भिलाई जाना पड़ा था।
दिनभर का काम इतना बढ़ गया कि अंदाजा ही नहीं था कि रात हो जाएगी। अब भिलाई में किसी और के पास जाने का सवाल ही नहीं था, और होटल में रुकने का मन नहीं था। तभी अचानक से मेरे दिमाग में राज का नाम आया – मेरे जीजा जी के छोटे भाई।
मैंने झट से उसका नंबर निकाला और फोन लगा दिया।
“हैलो, राज? मैं अंजलि बोल रही हूँ,” मैंने धीरे से कहा।
“अरे वाह! अंजलि, बोलो, कैसे याद किया?” वो मुस्कुराते हुए बोला।
“मैं भिलाई आई हूँ, लेकिन रात यहीं रुकना पड़ेगा। क्या मैं तुम्हारे रूम पर रुक सकती हूँ?”
मैं थोड़ा हिचकिचा रही थी, पर राज ने बिना देर किए हां कर दी।
“अरे, क्यों नहीं! मेरे कमरे में कभी भी आ सकती हो। तुम जैसी स्वीट लड़की अगर मेरे साथ होगी तो भला मना कौन करेगा?” उसने हंसते हुए कहा।
उसकी ये बात सुनकर मुझे हंसी आ गई।
“बहुत फ्लर्ट करने लगे हो तुम,” मैंने मजाक में कहा।
“साली हो मेरी, तो हक बनता है फ्लर्ट करने का,” राज ने फिर वही अंदाज में जवाब दिया।
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मुझे भी अब लग रहा था कि राज के साथ रात गुजारने में कोई बुराई नहीं है। आखिर वो मेरे अपने परिवार का हिस्सा था, और सच कहूँ तो कहीं ना कहीं मैं भी उसके लिए थोड़ा सॉफ्ट फील करती थी।
मैंने उससे जगह पूछी और वो रात 9 बजे शोरूम से फ्री होकर मुझे लेने आ गया।
राज ने जब मुझे अपने कमरे पर लाकर छोड़ा तो मैंने इधर-उधर नज़रें घुमाई। कमरा बैचलर जैसा ही था – थोड़ा बिखरा हुआ पर काफी साफ-सुथरा।
“चलो अंजलि, आराम से बैठो। क्या खाओगी?” उसने बड़े ही अपनापन से कहा।
हमने साथ में खाना खाया और फिर बातें करते रहे। राज मुझसे मजाक करता रहा और मैं उसकी बातों पर हंसती रही।
बातें करते-करते काफी रात हो गई थी। अब बिस्तर पर जाने का समय आ गया था।
राज के कमरे में सिर्फ एक ही बेड था। जब हम दोनों बेड पर लेटे तो उसने थोड़ दूरी बना ली। लेकिन मेरे दिमाग में अजीब ख्याल आने लगे – कहीं ना कहीं मेरे अंदर भी एक अजीब सी हलचल थी।
राज की नज़रें बार-बार मुझ पर पड़ रही थीं, पर वो कुछ बोल नहीं रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने चुप्पी तोड़ी, “अंजलि, क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?”
मैं उसकी तरफ चौंक कर देख रही थी।
“क्या? नहीं, पागल हो क्या?” मैंने तुरंत कहा।
पर राज मुस्कुरा रहा था।
“तो क्या हुआ? एक किस में क्या बुरा है? साली से थोड़ा मस्ती करना तो बनता है।”
मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, पर अंदर ही अंदर ये सोच रही थी कि वो गलत भी नहीं कह रहा था।
राज ने बिना कोई और मौका दिए, मेरी तरफ झुककर मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं एकदम सुन्न थी, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
एक-दो बार मैंने हटने की कोशिश की, लेकिन राज ने मुझे कसकर पकड़े रखा। और सच कहूँ तो मुझे भी उस वक्त कोई ऐतराज नहीं था।
अगर मुझे ये सब पसंद ना होता, तो मैं चिल्ला सकती थी। पर मैंने ऐसा नहीं किया।
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उसके होंठ मेरे होंठों पर थे, और मैं धीरे-धीरे उसकी बाहों में समाती जा रही थी।
राज ने मेरी चूचियों को दबाना शुरू किया। वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरे छोटे से मम्मे को मसल रहा था।
“तुम्हारी चूचियाँ कितनी प्यारी हैं, अंजलि,” उसने कहा।
मुझे सुनकर शर्म आई, लेकिन मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की।
उसने मेरा टॉप ऊपर किया और मेरी कमर और पेट को सहलाने लगा। मुझे उसकी छुअन से अजीब सा अहसास हो रहा था।
उसके होंठ मेरे होंठों पर थे और उसका हाथ धीरे-धीरे मेरी चूची को कपड़े के नीचे से दबाने लगा।
मेरे अंदर हलचल बढ़ रही थी। मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी।
कुछ ही देर में राज ने मेरे कपड़े उतार दिए। अब मैं उसके सामने सिर्फ पैंटी में थी।
राज के हाथ अब मेरे पूरे जिस्म पर फिर रहे थे। उसकी सांसें मेरे कानों के पास महसूस हो रही थीं, जिससे मेरी धड़कनें और तेज़ हो रही थीं। मैं सिर्फ अपनी पैंटी में थी, और वो भी अब सिर्फ अपने अंडरवियर में मेरे ऊपर था।
उसका गरम जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ खा रहा था। जब उसकी छाती मेरे मम्मों से टकराई, तो मेरे अंदर एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई।
राज ने मेरे गालों पर हल्की-हल्की किस की, फिर धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा। उसकी ज़ुबान मेरी गर्दन पर फिरने लगी, और मैं बस आँखें बंद कर लेटी रही।
“तुम बहुत हसीन लग रही हो अंजलि,” राज ने फुसफुसाते हुए कहा।
मुझे उसकी बातें सुनकर शर्म भी आ रही थी और मज़ा भी। उसके होंठ मेरे मम्मों के पास पहुँच गए थे। उसने मेरी ब्रा को नीचे सरका कर धीरे-धीरे चूचियों को चूसना शुरू कर दिया।
“आह…” मेरे मुँह से हल्की सिसकी निकली।
राज ने मेरी नज़रें पकड़ीं और कहा, “अभी तो बस शुरुआत है।”
मुझे पता था कि अब रुकना नामुमकिन है।
उसने मेरी पैंटी के ऊपर से ही चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मेरा पूरा जिस्म उसकी छुअन से गर्म हो चुका था। जब उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के ऊपर फेरने लगीं, तो मेरा जिस्म काँपने लगा।
“राज, ये सब ठीक नहीं लग रहा…” मैंने थोड़ा सा विरोध जताया, लेकिन राज को रुकने का कोई इरादा नहीं था।
“बस, थोड़ी देर और,” राज ने मेरी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए मेरी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया।
जैसे ही उसकी उंगली मेरी चूत पर पड़ी, मैं तड़प उठी।
“आह! राज…” मैं धीरे से कराह उठी।
मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। राज ने मेरी पैंटी नीचे सरका दी और धीरे-धीरे मेरी चूत को सहलाने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरी फांकों में घूम रही थीं।
“तुम बहुत टाइट हो अंजलि,” राज ने कहा।
मुझे पता था कि ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि मैं अब तक किसी के साथ नहीं सोई थी।
राज ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। पहले तो मैंने झिझकते हुए हाथ खींच लिया, लेकिन उसने फिर से मेरा हाथ पकड़कर अपने तंबू जैसे खड़े लंड पर रखवा दिया।
“डरो मत अंजलि… इसे छूकर देखो,” राज ने फुसफुसाकर कहा।
मैंने उसके लंड को पकड़ लिया। वो गर्म था और काफी बड़ा महसूस हो रहा था।
“तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है…” मेरे मुँह से अचानक निकल गया।
राज हंस पड़ा, “तुम्हारी चूत के लिए तो बिल्कुल सही है।”
राज ने धीरे-धीरे मेरे पैरों को खोला और मेरी चूत के ऊपर अपने लंड का टॉपा रख दिया।
“आराम से करना, राज…” मैंने धीरे से कहा।
“ध्यान रखूँगा,” उसने मुझे भरोसा दिलाया।
जैसे ही उसने लंड को हल्का सा अन्दर धकेला, मेरी चूत कसकर बंद हो गई।
“आह! बहुत दर्द हो रहा है,” मैंने कराहते हुए कहा।
राज ने तुरंत अपना लंड बाहर खींचा और मेरे होंठों को चूमने लगा।
“थोड़ा आराम करो, मैं वेसलीन लगा देता हूँ,” राज ने कहा और खिड़की के पास रखी वेसलीन को उठाकर लाया।
उसने मेरे लंड और चूत दोनों पर वेसलीन लगाई, फिर एक बार फिर से लंड को चूत के मुहाने पर रखा।
इस बार उसने थोड़ी ताकत लगाई, और लंड का टॉपा मेरी चूत में घुस गया।
“आहह! राज… धीरे…” मैं दर्द से कराह उठी।
पर राज ने रुकने के बजाय मुझे अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया, ताकि मेरा ध्यान दर्द से हट सके।
कुछ देर बाद जब मेरी चूत थोड़ी नरम हो गई, तो उसने धीरे-धीरे पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया।
“ओह्हह…” मेरी आँखें आँसुओं से भर गईं, लेकिन साथ ही एक अजीब सा सुख भी महसूस हुआ।
राज ने हल्के-हल्के धक्के मारना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे दर्द कम हो रहा था और उसकी जगह मजा ले रहा था।
“अंजलि, अब तो तुम पूरी तरह से मेरी हो…” राज ने मेरे कान में फुसफुसाया।
मैंने अपनी आँखें बंद की और उसके लंड का आनंद लेना शुरू कर दिया।
राज अब पूरी तरह से मुझ पर हावी हो चुका था। उसके हर धक्के के साथ मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही थी। मेरी चूत अब पहले से ढीली हो चुकी थी, और उसका लंड आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था।
“राज, धीरे करो… आह्ह! ये बहुत गहरा जा रहा है…” मैंने कराहते हुए कहा।
पर राज रुकने के मूड में नहीं था। उसने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा, “अंजलि, अब मैं तुम्हें पूरी तरह महसूस करना चाहता हूँ।”
उसके हर झटके के साथ मेरा दर्द अब धीरे-धीरे सुख में बदल रहा था। मैंने अपनी टाँगें और फैला दीं ताकि वो मुझे और गहराई तक चोद सके।
राज का लंड अब मेरी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था। उसने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली और तेज़ी से धक्के मारने लगा।
“आह्ह राज… और तेज़ करो…” मेरे मुँह से बिना सोचे-समझे निकला।
उसने मेरी बात मानते हुए अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। मेरी चूत से अब पानी निकलने लगा था, जिससे उसकी हर मूवमेंट और भी आसान हो रही थी।
“तुम्हारी चूत तो बिल्कुल स्वर्ग जैसी है, अंजलि,” राज ने कहा।
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मुझे उसकी बातें सुनकर और भी अच्छा लगने लगा। मैंने अपनी बाँहों को उसकी कमर के चारों ओर कस लिया और उसे अपने और करीब खींच लिया।
करीब 10 मिनट तक राज मुझे लगातार चोदता रहा। मेरी चूत अब पूरी तरह से उसका लंड स्वीकार कर चुकी थी।
“अंजलि, मैं अब नहीं रोक सकता…” राज ने एक लंबी सिसकारी ली।
और अगले ही पल उसने मेरी चूत के अंदर अपना सारा पानी छोड़ दिया। गर्म वीर्य की धार को महसूस करते ही मेरे शरीर में एक अलग ही सिहरन दौड़ गई।
“आह्ह… राज…” मैंने उसकी पीठ को कसकर पकड़ लिया।
हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे। मेरा शरीर अब पूरी तरह थक चुका था, लेकिन मेरे होंठों पर हल्की मुस्कान थी।
रात भर की चुदाई के बाद, मैं इतनी थक चुकी थी कि तुरंत सो गई। पर सुबह राज ने मुझे फिर से छेड़ना शुरू कर दिया। उसने अपनी उंगलियों से मेरी चूत को सहलाना शुरू किया, और मैं फिर से गरम होने लगी।
“राज, अब मत तड़पाओ… सीधा शुरू करो,” मैंने अपनी शर्म को भूलकर कहा।
राज ने बिना देर किए मेरा एक पैर ऊपर उठाया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
इस बार मेरी चूत पूरी तरह तैयार थी। उसने मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।
“आह्ह राज… और तेज़… मुझे चोदते रहो…” मैं अब पूरी तरह से अपनी चुदाई का आनंद ले रही थी।
इस बार मैं भी उसके हर झटके के साथ अपनी कमर ऊपर कर रही थी। हम दोनों का समर्पण एक दूसरे के लिए अब पूरी तरह से स्पष्ट था।
सुबह की चुदाई के बाद, हमने एक साथ नहाने का फैसला किया। जैसे ही मैं बाथरूम में गई, राज पीछे से आकर मुझे पकड़ लिया।
“अंजलि, तुम्हें नहाते हुए देखना मेरी सबसे बड़ी इच्छा थी,” उसने मेरे कान में कहा।
उसने मुझे दीवार के सहारे लगाया और अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया।
पानी की बूँदें हमारे जिस्म पर गिर रही थीं, और राज मुझे बिना रुके चोदता जा रहा था।
“राज, मुझे तुमसे यही चाहिए था,” मैंने पहली बार खुलेआम अपनी ख्वाहिश जाहिर की।
कहानी जारी रहेगी… अगली बार बताऊँगी कि कैसे राज ने मुझे गांव में एक बार फिर बेड पर बुरी तरह से चोदा था…