जीजा जी ने मेरी बुर फाड़ के रख दिया

मेरा नाम दिशा है, उम्र 19 साल, और मैं गोरखपुर की रहने वाली हूँ। मेरा रंग गोरा है, लंबाई 5 फीट 4 इंच, और फिगर 34-28-36। मेरी चूचियां भरी-भरी हैं, 34 साइज की ब्रा में भी टाइट फिट होती हैं। मुझे पैंटी पहनना पसंद नहीं, और मेरी बुर अभी बिल्कुल चिकनी है, गुलाबी रंग की, जिसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। मेरी गांड चौड़ी और गोल है, जो चलते वक्त लचकती है और लोगों की नजरें खींचती है। मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ, और मेरी सेक्सी अदाओं की वजह से लड़के मेरे पीछे पागल रहते हैं। मेरी दीदी, प्रिया, 24 साल की हैं, स्लिम फिगर वाली, रंग थोड़ा सांवला, लेकिन चेहरा इतना खूबसूरत कि लोग देखते रह जाएं। मेरे जीजा जी, राकेश, 26 साल के हैं, 6 फीट लंबे, गठीले बदन वाले, और चेहरे पर एक मर्दाना तेज। उनका लंड, जैसा बाद में मुझे पता चला, मोटा और लंबा है, जो किसी को भी दीवाना बना दे। मेरे मम्मी-पापा मध्यमवर्गीय हैं, मम्मी 45 साल की, गृहिणी, और पापा 50 साल के, सरकारी नौकरी में। मेरा भाई, राहुल, 22 साल का है, दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है।

ये कहानी दीदी की शादी के सात दिन बाद की है। दीदी की शादी को अभी हफ्ता ही हुआ था, और माहौल में अभी भी उत्सव की रौनक थी। जीजा जी शादी के तीन दिन बाद अपने घर चले गए थे, क्योंकि उनका कोई जरूरी एग्जाम था। एग्जाम देकर वो बिना किसी को बताए गोरखपुर वापस आ गए। उस दिन घर पर मैं अकेली थी। मम्मी-पापा और दीदी अयोध्या पूजा करने गए थे। अयोध्या गोरखपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर है, तो वो रात को ही लौटने वाले थे। भाई तो दिल्ली में था, सो घर में सन्नाटा पसरा था।

दोपहर के तीन बजे जीजा जी घर आए। मैं उस वक्त एक टाइट टॉप और कैप्री में थी, जिससे मेरा फिगर और भी उभर रहा था। जीजा जी को देखकर मैं थोड़ी घबरा गई, क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो अचानक आ जाएंगे। “अरे, जीजा जी, आप? कोई खबर तो दी नहीं!” मैंने हंसते हुए कहा। वो बोले, “हां, दिशा, सरप्राइज देना चाहता था।” उनकी मुस्कान में कुछ शरारत थी, जो मुझे अंदर तक गुदगुदा गई। मैंने उनके लिए खाना बनाया—आलू की सब्जी, रोटी, और दाल। हम दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। खाने के दौरान जीजा जी की नजरें बार-बार मेरे चेहरे और सीने पर जा रही थीं। मैंने भी उनकी हरकतों को नोटिस किया, लेकिन कुछ बोली नहीं।

खाने के बाद हम ड्राइंग रूम में बैठे। जीजा जी ने मजाक शुरू किया। “दिशा, तुम तो कॉलेज की रानी लगती हो। कोई बॉयफ्रेंड बना कि नहीं?” मैंने शरमाते हुए कहा, “जीजा जी, बस पढ़ाई पर ध्यान है।” वो हंस पड़े, “अच्छा, इतनी हॉट लड़की और सिर्फ पढ़ाई? विश्वास नहीं होता।” उनकी बातों में एक छेड़खानी का पुट था, जो मुझे बुरा नहीं लग रहा था। उनकी गहरी आवाज और मर्दाना अंदाज मुझे खींच रहा था। वो कभी मेरे गाल छू लेते, कभी मेरे कंधे पर हाथ रख देते। उनकी छुअन से मेरे शरीर में हल्की सी सिहरन होने लगी। मैंने सोचा, मौका है, क्यों न थोड़ा मजा लिया जाए? शादी में अभी वक्त है, और जीजा जी जैसे मर्द के साथ वक्त बिताने का मौका बार-बार नहीं मिलता।

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मैंने भी थोड़ा खुलकर बात शुरू की। “जीजा जी, आप तो इतने हैंडसम हैं, दीदी तो लकी हैं।” वो मेरी तारीफ सुनकर और खुल गए। “दिशा, तुम भी तो कम नहीं। तुम्हारा ये फिगर किसी को भी पागल कर दे।” उनकी बात सुनकर मेरी सांसें तेज हो गईं। मैंने जानबूझकर अपनी टॉप को थोड़ा ऊपर किया, ताकि मेरी कमर दिखे। जीजा जी की नजरें मेरी कमर पर टिक गईं। फिर वो मेरे करीब आए और मेरी चूचियों को हल्के से दबाया। “जीजा जी, ये क्या कर रहे हो?” मैंने नकली गुस्से में कहा, लेकिन मेरी आवाज में शरारत थी। वो बोले, “क्यों, बुरा लग रहा है?” मैंने मुस्कुराकर कहा, “नहीं, पर थोड़ा और करो ना।”

उनके हाथ मेरी चूचियों पर और सख्त हुए। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मेरी बुर में पानी बहने लगा। पहली बार किसी मर्द का स्पर्श मेरे जिस्म को इस तरह गरम कर रहा था। मैं बेचैन हो उठी। मैंने जीजा जी को पकड़ा और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ को चूसने लगी। वो मुझे अपनी बाहों में जकड़कर बेडरूम में ले गए और बेड पर पटक दिया। मैंने भी उन्हें अपनी बाहों में कस लिया, उनके सीने से चिपक गई। मेरी चूचियां उनकी चौड़ी छाती से दब रही थीं। “आह्ह… जीजा जी…” मैंने सिसकारी भरी।

जीजा जी ने मेरी टॉप उतार दी, और फिर मेरी ब्रा खोल दी। मेरी गोरी, भरी-भरी चूचियां आजाद हो गईं। वो मेरी चूचियों को चूसने लगे, मेरे निप्पल्स को हल्के से काटने लगे। “उफ्फ… जीजा जी… और चूसो…” मैं सिसकियां ले रही थी। मैंने पूछा, “कुछ निकल रहा है क्या?” वो हंस पड़े, “यहां से तो कुछ नहीं निकलेगा, पर तुम्हारी बुर जरूर गीली हो रही होगी।” मैंने शरमाते हुए कहा, “वो तो कब की गीली हो चुकी है।”

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जीजा जी ने मेरा नाड़ा खोला और मेरी कैप्री उतार दी। मेरी चिकनी, गुलाबी बुर उनके सामने थी। वो मेरी दोनों टांगें उठाकर मेरी बुर चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरे दाने पर रगड़ रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… जीजा जी… और चाटो… उफ्फ…” मैं पागल हो रही थी। मेरा शरीर अंगड़ाइयां ले रहा था। मैं उनके बाल पकड़कर अपनी बुर चटवा रही थी। बार-बार मेरी बुर पानी छोड़ रही थी। “जीजा जी, तुम तो जादूगर हो… और चूसो ना…” मैं सिसकियां ले रही थी।

उन्होंने मेरी बुर में उंगली डाली। जब उंगली गीली हो गई, तो उसे मेरी गांड में डाल दिया। “आह्ह… ये क्या कर रहे हो?” मैंने कराहते हुए कहा। दर्द हो रहा था, पर उसमें भी एक अजीब सा मजा था। “जीजा जी, मेरी बुर को शांत करो ना… मैं चुदना चाहती हूँ… तुम्हारा लौड़ा मेरी बुर में डालो…” मैंने बेशर्मी से कहा।

वो हंस पड़े और अपना मोटा, तगड़ा लंड निकाला। मैंने देखा तो मेरी आंखें फट गईं। इतना बड़ा और मोटा लंड मैंने पहले कभी नहीं देखा था। उन्होंने उसे मेरे मुँह में डाल दिया। “उम्म… उफ्फ…” मेरी सांस रुकने लगी। मुझे उल्टी जैसा महसूस हुआ, पर वो मेरे मुँह में लंड ठूंसते रहे। “जीजा जी, बस… अब बुर में डालो…” मैंने हांफते हुए कहा।

वो बोले, “रुको, दिशा, पहले इसे चूसकर और गीला कर।” मैंने उनके लंड को चाटा, उसका टेस्टी स्वाद मेरे मुँह में घुल गया। फिर उन्होंने लंड मेरी बुर के मुँह पर रखा और धीरे से घुसाने की कोशिश की। “आह्ह… दर्द हो रहा है…” मैंने कहा। वो रुक गए। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “नहीं, डालो… मुझे चाहिए।” इस बार उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… ऊह्ह… उफ्फ्फ…” मैं दर्द से चिल्ला उठी। मेरी बुर से खून निकलने लगा। मेरा सील टूट चुका था। मेरी आंखों में आंसू आ गए।

जीजा जी ने मुझे सहलाया, “पहली बार में ऐसा होता है, दिशा। तुम्हारी दीदी के साथ भी यही हुआ था।” उनकी बातों से मुझे थोड़ी राहत मिली। फिर वो धीरे-धीरे चोदने लगे। “थप… थप… थप…” लंड के धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। “आह्ह… ऊह्ह… जीजा जी… और गहरा… चोदो मुझे…” मैं सिसकियां ले रही थी। वो मेरी जीभ चूस रहे थे, मेरी चूचियों को मसल रहे थे, और हर धक्के में मेरी बुर को रगड़ रहे थे। “दिशा, तुम्हारी बुर कितनी टाइट है… मजा आ रहा है…” वो बोले।

दर्द अब मजे में बदल चुका था। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवा रही थी। “जीजा जी… और जोर से… फाड़ दो मेरी बुर…” मैं चिल्ला रही थी। “थप… थप… आह्ह… ऊह्ह…” मेरी सिसकियां और चुदाई की आवाजें मिलकर कमरे को गरम कर रही थीं। जीजा जी झड़ गए, और उनका गर्म माल मेरी बुर में गिर गया। जो लंड पर लगा था, उसे मैंने चाट लिया। “उम्म… कितना टेस्टी है…” मैंने शरारत से कहा।

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मैं अभी पूरी तरह झड़ी नहीं थी, और मेरी बुर में हल्का दर्द था। मैंने अंगूर लाए और उन्हें अपने होंठों पर रखकर खिलाए। फिर एक अंगूर अपनी चूची पर रखा, और जीजा जी ने उसे चूस लिया। “दिशा, तुम तो पूरी कातिल हो…” वो बोले। आधे घंटे बाद वो फिर गरम हो गए। इस बार चुदाई और जोरदार थी। “थप… थप… थप…” उनके धक्के इतने तेज थे कि बेड हिल रहा था। “आह्ह… ऊह्ह… जीजा जी… और जोर से… मेरी बुर को चोद डालो…” मैं चिल्ला रही थी।

मेरे शरीर में सिहरन होने लगी। मैंने अपनी जांघें टाइट कीं, दांत पीसने लगी, और उनके बाल कसकर पकड़ लिए। “आह्ह… ओह्ह… मैं झड़ रही हूँ…” मैं चिल्लाई और झड़ गई। जीजा जी ने लंड निकाला और सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चाटकर साफ कर दिया। “जीजा जी, और चोदो ना…” मैंने बेशर्मी से कहा।

एक घंटे बाद फिर चुदाई शुरू हुई। जीजा जी बोले, “दिशा, तुम्हारी गांड भी मारने दे।” मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं, जीजा जी, बस बुर में चोदो।” इस बार चुदाई करीब 30 मिनट चली। “थप… थप… आह्ह… ऊह्ह…” मेरी सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। तीन घंटे में तीन बार चुदाई के बाद मेरी बुर सूज गई थी। दर्द इतना था कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। जीजा जी ने मेरी बुर को सचमुच फाड़ के रख दिया था।

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