जीजा जी का मोटा लंड और मैं कच्ची कली

मेरा नाम सोनी है। मैं आज पहली बार अपनी कहानी लिख रही हूँ। मेरे पास पहले कोई ऐसी कहानी थी ही नहीं जो लिखूँ, पर अब मुझे मौका मिल गया है। ये कहानी मेरे और मेरे जीजा जी के बीच की है। मैं आपको खुलकर बताने जा रही हूँ कि कैसे मैंने अपने जीजा जी का मोटा लंड अपनी टाइट चूत में लिया, वो भी तब, जब मैं इतना मोटा लंड लेने के लायक थी ही नहीं। लेकिन वासना ऐसी चीज है, जो इंसान को चुदने के लिए मजबूर कर देती है। ये कहानी मेरी जिंदगी का वो पल है, जब मैंने अपनी सील तुड़वाई और वो मजा लिया, जो पहले कभी नहीं मिला था।मेरी दीदी की शादी पिछले साल हुई थी। दीदी और जीजा जी भोपाल में रहते हैं, और मैं लखनऊ में अपनी मम्मी-पापा के साथ। हम दो बहनें हैं, और अब दीदी की शादी के बाद मैं घर में अकेली रह गई हूँ। मेरे मम्मी-पापा दोनों बैंक में जॉब करते हैं, सुबह नौ बजे घर से निकल जाते हैं और शाम छह बजे लौटते हैं। इस बीच घर में मैं अकेली होती हूँ।जीजा जी अपनी कंपनी के काम से लखनऊ हेड ऑफिस आए थे। दीदी भोपाल में ही रुक गईं, और जीजा जी अकेले आए। वो हमारे घर पर ही रुके थे। उनका ऑफिस का काम दोपहर दो बजे तक खत्म हो जाता था, और एक दिन छोड़कर एक दिन उन्हें ऑफिस जाना पड़ता था, क्योंकि उनकी ट्रेनिंग चल रही थी। तो दिन का ज्यादातर वक्त हम दोनों घर पर अकेले ही थे। ये मेरे लिए जीजा जी के साथ टाइम स्पेंड करने का सुनहरा मौका था।एक दिन की बात है, हम दोनों बेड पर लेटे हुए इधर-उधर की बातें कर रहे थे। जीजा जी बड़े हॉट और स्मार्ट हैं, उनके काले घने बाल, चौड़ी छाती और वो गहरी आँखें मुझे बार-बार अपनी ओर खींच रही थीं। मैंने पहले कभी किसी लड़के के साथ इतने करीब से वक्त नहीं बिताया था, न ही कभी किसी के साथ अकेले एक कमरे में, एक बेड पर लेटी थी। मेरे मन में हल्की-हल्की सिहरन होने लगी थी। तभी जीजा जी ने मुझसे पूछा, “सोनी, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?” मैंने झट से कह दिया, “नहीं, जीजा जी, कोई नहीं है।”उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “फिर तो तुम्हें आज तक किसी ने छुआ भी नहीं होगा, है ना?” मैं थोड़ा शरमा गई, लेकिन हिम्मत करके बोली, “हाँ, जीजा जी, आज तक किसी ने मेरे किसी अंग को नहीं छुआ। हाँ, कभी ट्रेन में, बाजार में या बस में कुछ आवारा लोग छू लेते हैं, पर मैंने कभी किसी को जानबूझकर छूने नहीं दिया।”जीजा जी की बातें सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो रही थी। वो मेरे इतने करीब लेटे थे कि उनकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। मैं उनके स्मार्ट लुक्स और मर्दाना अंदाज की वजह से बार-बार उनकी ओर आकर्षित हो रही थी। फिर मैंने हिम्मत करके पूछ लिया, “जीजा जी, आपने दीदी के अलावा किसी और लड़की या औरत के साथ कुछ किया है?”उन्होंने बिना हिचके जवाब दिया, “हाँ, सोनी, मैंने अपनी भाभी और अपनी कजिन बहन के साथ भी सेक्स किया है।” ये सुनकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं, लेकिन उन्होंने तुरंत कहा, “पर तुम ये बात दीदी को मत बताना।” मैंने हँसते हुए कहा, “ठीक है, जीजा जी, मैं नहीं बताऊँगी।”फिर मैंने पूछा, “जीजा जी, अलग-अलग लोगों के साथ सेक्स करने में कैसा लगता है?” उन्होंने बड़े कूल अंदाज में जवाब दिया, “मजा तो तभी है, सोनी, जब तुम अलग-अलग लोगों के साथ करो। जरा सोचो, अगर तुम्हें रोज एक ही खाना खाने को मिले, तो बोर नहीं हो जाओगी? वैसे ही सेक्स में भी वैरायटी चाहिए।” मैंने कहा, “पर खाना और सेक्स तो अलग-अलग चीजें हैं ना?”उन्होंने हँसते हुए कहा, “जब मौका मिले, तो उसे गँवाना नहीं चाहिए। मौका मिले तो चुदाई कर लेनी चाहिए।” उनकी बात सुनकर मैं हँस पड़ी और मजाक में बोली, “तो क्या आपको लगता है कि आज मैं अकेली हूँ, तो मुझे भी आपके साथ सेक्स कर लेना चाहिए?” मैं हँस रही थी, लेकिन मेरे अंदर की वासना जाग चुकी थी।जीजा जी ने मेरी आँखों में देखा और गंभीर होकर बोले, “सोनी, अगर तुम मुझे अपनी वर्जिनिटी दे दो, तो मैं तुम्हें वो दूंगा जो तुम चाहोगी।” मैंने मजाक में ही पूछ लिया, “क्या आप मेरे मम्मी-पापा को मना लेंगे? मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहती हूँ, और वो लोग तैयार नहीं हैं।”उन्होंने तुरंत कहा, “बस इतनी सी बात? मैं कसम खाता हूँ, तुम्हारा काम हो जाएगा।” सच कहूँ तो मैं खुद भी चुदने को बेताब थी। मेरी दो सहेलियों ने पिछले महीने ही अपने जीजा से अपनी सील तुड़वाई थी, और वो मुझे बार-बार इसके मजे बता रही थीं। मेरे सामने भी ऐसा मौका था – मम्मी-पापा घर पर नहीं, मैं और जीजा जी अकेले, और वो इतने हॉट। मैंने सोच लिया कि ये मौका नहीं छोड़ना है।मैं उनकी ओर देखने लगी। जीजा जी ने धीरे से अपनी उँगली मेरे होठों पर रख दी। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। उनके स्पर्श से मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई। वो धीरे-धीरे मेरे होठों को छूने लगे, फिर मेरे गाल पर हल्का सा किस किया। मैं सिहर उठी। फिर उन्होंने मेरे दूसरे गाल को चूमा, और आखिरकार उनके होंठ मेरे होंठों पर आ गए। जैसे ही उनके गर्म होंठ मेरे होंठों से टकराए, मेरे पूरे शरीर में आग सी लग गई। मेरा गला सूखने लगा, साँसें तेज हो गईं।वो मेरे होंठों को चूसने लगे, और मैं काठ की तरह बस चुपचाप लेटी रही। मेरे मन में डर, शर्म और उत्तेजना का तूफान चल रहा था। फिर उन्होंने मेरी सलवार की डोरी खोलने की कोशिश की। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन मेरे अंदर की आग इतनी तेज थी कि मैंने ज्यादा विरोध नहीं किया। उन्होंने फिर से मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, और इस बार मैंने भी जवाब दिया। मैं उनके होंठों को चूसने लगी, उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगी, उनकी चौड़ी छाती पर हाथ फेरने लगी।जीजा जी ने अपनी शर्ट उतार दी। उनकी नंगी छाती देखकर मेरी साँसें और तेज हो गईं। मैं उनके ऊपर चढ़ गई और उनकी छाती को सहलाते हुए उनके होंठों को चूसने लगी। हम दोनों के होंठ एक-दूसरे में डूब गए। फिर जीजा जी ने मुझे नीचे किया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मेरी चूचियाँ संतरे जितनी थीं, टाइट और गोल, ऊपर से मेरे पिंक निप्पल छोटे-छोटे, जैसे गुलाब की कली। मेरी चूत गोरी थी, बिल्कुल साफ, बिना बालों की।उन्होंने मेरे जिस्म के साथ खेलना शुरू किया। मेरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाया, फिर मेरे निप्पल्स को उंगलियों से सहलाया। मैं सिसकारियाँ लेने लगी। मेरे मुँह से “आह… जीजा जी…” निकल रहा था। वो मेरे एक-एक अंग को चूमने लगे – मेरी गर्दन, मेरी चूचियाँ, मेरा पेट। फिर वो नीचे आए और मेरे दोनों पैरों को अलग किया। मेरी चूत को पहले उंगलियों से सहलाया, फिर अपनी जीभ से चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत पर लगते ही मैं पागल सी हो गई। मेरी चूत बार-बार गीली हो रही थी, पानी निकल रहा था। मैं “आह… ऊह…” की आवाजें निकाल रही थी।वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार को खा रहा हो। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं बार-बार सिहर रही थी। करीब दस मिनट तक वो मेरी चूत चाटते रहे, और मैं बस मजे में डूबी रही। फिर वो ऊपर आए, और मैंने उनका लंड देखा। मैं हैरान रह गई। उनका लंड इतना मोटा और लंबा था कि मैं डर गई। मेरी चूत तो इतनी छोटी थी, मुझे लगा कि ये अंदर कैसे जाएगा? लेकिन मेरी वासना इतनी ज्यादा थी कि मैंने डर को दिमाग से निकाल दिया। मैं बस चुदना चाहती थी।जीजा जी ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया, ताकि मेरी चूत उनकी तरफ उठ जाए। फिर उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। उनकी लंड की गर्मी मेरी चूत पर महसूस हो रही थी। वो बार-बार लंड को मेरी चूत के मुँह पर सेट करते, लेकिन जैसे ही अंदर डालने की कोशिश करते, मुझे तेज दर्द होता और मैं पीछे हट जाती। ऐसा करीब पांच मिनट तक चला।फिर जीजा जी ने मेरी चूचियों को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूमा और बोले, “सोनी, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन बाद में मजा आएगा।” मैंने हिम्मत की और कहा, “जीजा जी, डाल दो, मैं तैयार हूँ।” उन्होंने मेरी चूत पर लंड सेट किया और पहले शांत रहे। फिर अचानक एक जोरदार झटका मारा। मैं चीख पड़ी। मेरी चूत फट गई थी, खून निकलने लगा। मैं रोने लगी, लेकिन जीजा जी ने मुझे सहलाया और कहा, “बस, सोनी, पहली बार ऐसा होता है। अब तुम्हारी सील टूट गई है। अब दर्द नहीं होगा, सिर्फ मजा आएगा।”वो धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगे। शुरू में दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। जीजा जी मेरी चूचियों को मसल रहे थे, मेरे निप्पल्स को चूस रहे थे। मैं भी अब अपनी गांड उठा-उठाकर उनका साथ देने लगी। वो मेरे जिस्म को सहलाते हुए मुझे चोदने लगे। मैं “आह… जीजा जी… और जोर से…” चिल्ला रही थी। वो मेरी चूत में अपने मोटे लंड को बार-बार अंदर-बाहर कर रहे थे। मेरी चूत अब उनके लंड के आकार की हो चुकी थी।करीब एक घंटे तक जीजा जी मुझे चोदते रहे। कभी वो मेरे ऊपर थे, कभी मैं उनके ऊपर चढ़कर अपनी चूत में उनका लंड ले रही थी। मैं बार-बार झड़ रही थी, मेरी चूत से पानी निकल रहा था। आखिरकार जीजा जी ने कहा, “सोनी, मैं झड़ने वाला हूँ।” मैंने कहा, “जीजा जी, मेरे मुँह में डाल दो।” उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। उनका गर्म-गर्म वीर्य मेरे मुँह में गिरा। उसका नमकीन स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उनके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया।उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। मेरे जिस्म में अभी भी वो सिहरन थी, वो गर्मी थी। उस दिन के बाद तो हम दोनों का रिश्ता और गहरा हो गया। जब भी मौका मिलता, हम चुदाई करते। जीजा जी ने मुझे वो सारे मजे दिए, जिनके बारे में मैंने अपनी सहेलियों से सुना था। और हाँ, उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को मना लिया, और अब मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने जा रही हूँ। लेकिन वो मजे, वो आग, वो जीजा जी का मोटा लंड… मैं उसे कभी नहीं भूल सकती।

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