jeth Bahu sex story: हाय दोस्तों, मेरा नाम प्रताप है। मैं दिल्ली में रहता हूँ और कारों का बिज़नेस करता हूँ। मेरी पत्नी पम्मी और मैं एक खुले विचारों वाले परिवार से हैं। मेरे छोटे भाई संजीव की पत्नी अंशिका, जो मेरी भाभी है, एक शादीशुदा महिला है और अपने पति व सास के साथ अम्बाला में रहती है। संजीव एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग का काम करता है। उनकी शादी को दो साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ। इसलिए वो दोनों सेक्स का भरपूर मज़ा लेते हैं। उनका परिवार भी हमारी तरह काफ़ी ओपन माइंडेड है। मेरी माँ ने अंशिका को शादी के अगले दिन ही कह दिया था, “हमारे घर में पर्दा प्रथा नहीं है, इसलिए घूँघट लेने की कोई ज़रूरत नहीं।”
अंशिका घर में गाउन या सलवार कमीज़ पहनती थी, जो कभी-कभी बेहद सेक्सी भी होती थी, लेकिन किसी ने उसे कभी टोका नहीं। मेरी पत्नी पम्मी की डिलीवरी के वक़्त कुछ कॉम्प्लिकेशन्स हो गए थे, जिसके चलते अंशिका को अर्जेंसी में दिल्ली आना पड़ा। मैंने शादी के बाद से ही महसूस किया था कि अंशिका की खूबसूरती और उसका जवानी भरा बदन मुझे अपनी ओर खींचता है। वो भी मेरे साथ कुछ ज़्यादा ही मेहरबानी दिखाती थी। देखने में वो इतनी खूबसूरत है कि मैं उसकी आग को और भड़काने की कोशिश करता रहा। मैं अक्सर उसे छूने या उसके करीब रहने का मौका ढूंढता था।
वो भी मौका देखकर मुझे अपने यौवन के दर्शन कराती थी। मेरी पत्नी पम्मी बड़ी प्यारी और सेक्सी महिला है। अंशिका और उसकी खूब पटती थी। सेक्स के मामले में पम्मी भी काफ़ी खुले विचारों वाली है। उस दिन सुबह दस बजे हम दोनों दिल्ली पहुँचे और सीधे हॉस्पिटल गए। पम्मी पहले से ही एडमिट थी। संजीव को वापस जाना था, तो वो पम्मी और मुझसे मिलकर अंशिका को वहीं छोड़कर निकल गया। अंशिका बारह बजे तक हॉस्पिटल में बैठी रही।
तभी मैंने उसे घर चलने को कहा। पम्मी के लिए खाना बनाकर भेजना था, और विज़िटिंग आवर्स भी खत्म हो रहे थे। सो, अंशिका मेरे साथ घर के लिए निकल पड़ी। कार में बैठते वक़्त मैंने कहा, “पम्मी का पिछली बार मिसकैरेज हो गया था, इसलिए इस बार हम कोई रिस्क नहीं लेना चाहते।” फिर उसे देखते हुए मुस्कुराकर बोला, “तुम्हारी भी तो शादी को दो साल हो गए, अब तो तुम्हें भी बच्चे के लिए तैयारी शुरू करनी चाहिए।”
वो शर्माकर नीचे देखने लगी। मैंने फिर पूछा, “क्यों, तैयारी चल रही है कि नहीं?” उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा। उसकी नज़र मुझसे मिली, तो उसने मुस्कुराकर नज़रें झुका लीं। मैंने अपनी बाँह फैलाकर उसके कंधे पर रख दी और उंगलियों से उसके गाल सहलाने लगा। “अगर संजीव से नहीं होता तो मैं कोशिश करूँ?” उसने हल्के से मेरी ओर खिसककर अपना सिर मेरी बाँहों पर रख दिया। मैं उसी तरह उसके गालों और ज़ुल्फों से खेलता रहा। मेरे हाथ उसकी गर्दन को हल्के से छू रहे थे।
कुछ ही देर में हम घर पहुँच गए। मैं नीचे उतरा और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे घर तक ले गया। घर में घुसते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में समा लिया। मेरा खड़ा लिंग उसे साफ महसूस हो रहा था। उसने एक हाथ से मुझे रोका और बोली, “जल्दबाज़ी नहीं। पहले दीदी के लिए खाना बना दूँ। आप तब तक नहा लो।” कहकर वो मेरी बाँहों से निकल गई और मुझे धकेलते हुए बाथरूम में ले गई। उसने जल्दी-जल्दी खाना तैयार करके टिफिन में पैक कर दिया। मैं तैयार होकर आया और खाना लेकर हॉस्पिटल चला गया।
, और इधर अंशिका ने जी भरकर नहाया। जब मैं वापस लौटने वाला था, उसने अपने बदन को तौलिये से लपेटकर बाहर कदम रखा। फिर आईने के सामने जाकर उसने तौलिया हटा दिया। उसका सारा बदन मानो सांचे में ढला हुआ था—फर्म और बड़े-बड़े ब्रेस्ट, जिन पर मोटे निपल्स, और जांघों के जोड़ पर हल्के से ट्रिम किए हुए बाल बेहद खूबसूरत लग रहे थे। वो खुद को ऊपर से नीचे तक निहारती रही। फिर उसने एक ट्रांसपेरेंट पैंटी पहनी और ऊपर से एक स्लीवलेस, पतला सा गाउन डाल लिया। उसके बड़े-बड़े ब्रेस्ट और काले निपल्स गाउन के ऊपर से साफ दिखाई दे रहे थे।
वो सोफे पर बैठकर मैगज़ीन के पन्ने उलटने लगी। उसकी आँखें बार-बार दीवार पर लगी घड़ी की तरफ उठ रही थीं। कोई 15 मिनट बाद मेरी गाड़ी की आवाज़ सुनकर वो सतर्क हो गई। उसने आईने में अपने सौंदर्य को एक बार फिर निहारा। आज वो मुझे पूरी तरह से अपने जाल में फंसाने के लिए तैयार थी। जैसे ही बेल बजी, उसने दरवाजा खोलकर मुझे अंदर आने दिया। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक गहरी नज़रों से देखा और हल्के से मुस्कुराने लगा।
“आज तो कत्ल करके रहोगी लगता है,” मैंने कहा। “भगवान ही अब मुझे बचा सकता है।” मेरी बात सुनकर वो शरमा गई। मैंने उसे अपनी बाँहों में लेकर डाइनिंग टेबल तक पहुँचाया। फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को खाना खिलाया। मैं उसके बदन पर हाथ फेरता रहा—कभी उसके ब्रेस्ट सहलाता, कभी निपल्स से खेलता, तो कभी उसकी जांघों को छूता। खाना खत्म करके वो दो ग्लास ऑरेंज जूस बना लाई। मैं ड्रॉइंग रूम में सोफे पर बैठा था। उसने मुझे एक ग्लास देकर दूसरा अपने हाथ में लिया और मेरे पास बैठ गई।
मैंने अपने ग्लास से एक घूँट लिया और फिर ग्लास उसके होंठों पर रख दिया। हम दोनों एक-दूसरे के ग्लास से जूस पीने लगे। जूस खत्म करते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हम दोनों एक-दूसरे के आलिंगन में खड़े हो गए। वो मेरी बाँहों में पिघलती जा रही थी। मैंने उसके गाउन के स्ट्रैप्स उसके कंधों से हटा दिए। गाउन उसके बदन से फिसलता हुआ ज़मीन पर ढेर हो गया। अब उसके बदन पर सिर्फ एक छोटी सी पैंटी बची थी।
उसकी उंगलियाँ मेरी शर्ट के बटनों से खेल रही थीं। उसने भी मेरे बदन से शर्ट हटा दी। हमारे नग्न बदन एक-दूसरे के सामने बेताब हो रहे थे। उसके बदन की छुअन ने मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ा दी थी। फिर उसने अपने हाथ मेरी पैंट की ओर बढ़ाए। मेरी जीभ उसके मुँह का मुआयना करते हुए उसकी जीभ के साथ अठखेलियाँ कर रही थी। उसने पैंट के ऊपर से कुछ देर तक मेरे लिंग को सहलाया, फिर धीरे से ज़िप खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया। अंदर मेरा लिंग भट्टी की तरह गर्म हो रहा था।
उसने पूरी तरह तने हुए लिंग को अपनी मुट्ठी में भरकर कुछ देर तक सहलाया। फिर पैंट के बटन्स खोलकर मेरे पूरे बदन को नग्न कर दिया। मैंने अपने हाथ उसके कंधों पर रखकर उसे नीचे झुकाने के लिए हल्का दबाव डाला। वो थोड़ा झिझकती हुई अपने घुटनों पर झुक गई। उसकी आँखों के सामने मेरा पूरा तना हुआ लिंग झटके खा रहा था। मेरा लिंग काफ़ी मोटा और लंबा है—शायद संजीव से दोगुना। तभी मुझे समझ आया कि क्यों पम्मी कहती थी, “इनका लिंग तो आज भी मेरी जान निकाल देता है।”
मैंने अपना लिंग उसके होंठों पर रगड़ना शुरू किया। उसने मेरे लिंग पर एक गहरा चुम्बन लिया। मैंने अपना लिंग उसके होंठों पर दबाकर कहा, “मुँह में लो इसे।” उसने बताया कि उसने आज तक किसी लिंग को मुँह में नहीं लिया था, लेकिन आज वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसका अपने ऊपर कोई कंट्रोल नहीं रहा। उसने अपने होंठ थोड़ा सा खोल दिए। मेरा गर्म, मोटा लिंग उसकी जीभ के ऊपर से सरसराता हुआ उसके मुँह में प्रवेश कर गया। शुरू-शुरू में उसे थोड़ी घिन सी लगी, लेकिन बहुत जल्दी ही उसे मज़ा आने लगा।
मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और अपने लिंग को उसके मुँह के अंदर-बाहर करने लगा। वो भी मस्त हो गई और अपने सिर को आगे-पीछे करने लगी। मैं एक तरह से उसके मुँह को ही उसकी योनि की तरह इस्तेमाल कर रहा था। कुछ देर में मैंने अपने लिंग को उसके मुँह से निकाल लिया। पूरा लिंग उसकी लार से गीला हो चुका था। मैंने उसे कंधों से पकड़कर उठाया और उसकी छातियों को मसलने लगा। फिर उसे खींचते हुए बेडरूम में ले गया। अब मेरे सब्र का पैमाना भी छलकने लगा था। मैंने उसके आखिरी वस्त्र को भी उतारकर उसे बेड पर लिटा दिया।
अब अंशिका मेरे बिस्तर पर नंगी पड़ी थी, और मेरा लंड उसकी चिकनी चूत को देखकर और सख्त हो गया। मैंने पहले अपने होंठों से उसकी पलकों को हल्के से चूमा, फिर नीचे सरकते हुए उसकी नाक को छुआ और उसके रसीले होंठों पर आ टिका। मेरे होंठ उसके गले तक फिसले, इतने हल्के से कि मानो कोई पंख उसके जिस्म को सहला रहा हो। उसकी चूत इतना बर्दाश्त न कर सकी—जैसे ही मेरे होंठ उसके मोटे, कड़क निपल्स पर पड़े, उसने मेरा सिर पकड़कर अपनी भारी छातियों में दबा लिया। एक झटके के साथ उसका पहला गर्म, नशीला रस बह निकला। वो हाँफ रही थी, और मैं उसके निपल्स को चूसता रहा, उनकी मिठास को जीभ से चाटता हुआ।
वो धीरे-धीरे फिर गर्म होने लगी। मेरे होंठ उसके निपल्स से खेलते रहे, फिर नीचे की ओर फिसल पड़े। उसके चिकने पेट को चूमते हुए मैं उसकी चूत तक पहुँच गया। उसकी सिल्की झाँटों से थोड़ी देर खेलने के बाद, मैंने उसकी गीली चूत को एक गहरा चुम्बन दे दिया। उसने अपने पैर जितना हो सके फैला दिए। मेरी जीभ बाहर निकली और उसकी चूत के अंदर घुस गई। वो फिर से छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर अपनी चूत में दबा दिया। मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, उसका रस मेरे मुँह में भर रहा था।
उसका कमर ऊपर उठा हुआ था, ताकि मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई तक जा सके। वो एक बार फिर झड़ गई। आज पहली बार ऐसा हुआ था कि मेरे लंड को उसकी चूत में डाले बिना ही वो दो-दो बार झड़ चुकी थी। मैं अपने काम में डूबा रहा। उसने ज़बरदस्ती मेरा सिर अपनी जांघों के बीच से हटाया। मेरे होंठ उसके चूत के रस से चमक रहे थे। “बस भी करो, पागल कर दोगे क्या,” उसने कहा। “अब और सहा नहीं जाता। प्लीज़, मेरे जिस्म को मसल डालो। अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।”
मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और उसकी चूत के द्वार पर अपना मोटा लंड सटाकर ज़ोर से धक्का मारा। उसकी चूत उसके रस से पूरी तरह गीली थी, फिर भी मेरे लंड के घुसते ही उसकी चीख निकल गई। उसने सिर उठाकर देखा—मेरा सिर्फ आधा लंड ही अंदर गया था। मैंने धीरे-धीरे दो-चार बार अंदर-बाहर किया, तो उसका दर्द एकदम कम हो गया। फिर मैंने एक और तगड़ा झटका मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गया।
उसने चीखने के लिए मुँह खोला, लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए और उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूस लिया। अंदर-बाहर, अंदर-बाहर, हम दोनों एक ही लय में अपने जिस्म को हिलाने लगे। कुछ देर तक उसकी चूत को इस तरह चोदने के बाद, मैंने उसे उल्टा करके घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर ठोकना शुरू कर दिया। उसके मुँह से “आह, ऊऊ” की गंदी आवाज़ें निकल रही थीं। मेरा तगड़ा लंड उसकी चूत को झनझोड़ रहा था। कुछ देर इस पोज़िशन में चोदने के बाद, मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा।
मैं बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया। मेरा मूसल जैसा लंड छत की ओर तना हुआ था। उसने अपने हाथों से अपनी चूत को मेरे लंड पर सटाया और धम्म से उस पर बैठ गई। फिर ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे, वो काफ़ी देर तक मेरे लंड पर उछलती रही। उसकी बड़ी-बड़ी छातियाँ भी उसके साथ ऊपर-नीचे कूद रही थीं। मैंने उसकी दोनों छातियों पर हाथ रखकर उन्हें मसलना शुरू कर दिया। घंटे भर तक हमारी ये गंदी कबड्डी चलती रही।
वो हार मानने को तैयार ही नहीं थी, और मैं बार-बार उसे चोदकर भी पूरे जोश से मैदान में कूद पड़ता। क्या शानदार चूत मिली थी—उसके एक-एक अंग में दर्द की लहरें उठ रही थीं। उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ था। घंटे भर उसे रौंदने के बाद, मैंने ढेर सारा गरम वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। वो निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी। कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे से सटे हुए हाँफते रहे। फिर मैंने उठकर उसे उठाया। उसके पैर काँप रहे थे।
मैंने उसे सहारा देकर बाथरूम तक पहुँचाया। फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को खूब मसल-मसलकर नहलाया। एक-दूसरे को रगड़ते हुए हम फिर गर्म हो गए। मैंने उसे वहीं फर्श पर घोड़ी बनाकर चोदा। शावर की बूंदों के नीचे उसकी चूत को ठोकते हुए गज़ब का मज़ा आ रहा था। एक बार फिर मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य भर दिया। हम दोनों ने एक-दूसरे के बदन को तौलिये से पोंछ दिया।
जब वो अपने कपड़ों की ओर बढ़ी, मैंने उसका हाथ रोककर कहा, “जब तक तुम्हारी दीदी हॉस्पिटल से नहीं आती, तुम ऐसे ही नंगी रहना।” मैंने उसके पूरे नंगे जिस्म पर अपनी भूखी नज़रें फिराईं। वो मेरी आँखों में देखकर शर्मा गई। “इस बीच आपके छोटे भाई मिलने आ गए तो?” उसने नीची नज़र करके पूछा। “तो क्या, देखेगा कि उसकी सेक्सी बीवी कैसे अपने जेठ जी की सेवा कर रही है। कितना पुण्य कमा रही है,” मैंने हँसते हुए कहा। “धत्त,” कहकर उसने मेरे नंगे सीने पर मुक्का मारा।
हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। शाम को तैयार होकर पम्मी से मिलने गए। उसे खाना खिलाकर वापस घर आ गए। रात भर हम जागते रहे, एक-दूसरे को भोगते हुए। जब तक पम्मी घर नहीं आई, हमने खूब मस्ती की। दो दिन बाद पम्मी को लड़का हुआ। संजीव उसे देखने आया और शाम को लौट गया। कॉम्प्लिकेशन्स की वजह से पम्मी को हफ्ते भर रुकना पड़ा, और इस दौरान मैंने अंशिका की चूत को खूब रगड़ा।