हनीमून पर हुआ मेरा गैंगबैंग

Honeymoon Gangbang Sex Story – Train Group Sex Story: हाय, मेरा नाम स्मिता है। मैं 24 साल की हूँ, गोरा रंग, 5 फीट 7 इंच की हाइट, और मेरी बॉडी का साइज 34-32-34 है। मैं एक एमएनसी में जॉब करती हूँ, और मेरी शादी को अभी दो महीने ही हुए हैं। मेरे पति का नाम दिनेश है, जो 28 साल के हैं और एक बैंक में काम करते हैं। वो देखने में स्मार्ट हैं, 5 फीट 10 इंच की हाइट, और हमेशा साफ-सुथरे कपड़ों में रहते हैं। हमारी शादी के बाद हमने हिमाचल प्रदेश में हनीमून का प्लान बनाया था। मैं शादी के वक्त वर्जिन थी और मैंने हमेशा सोचा था कि अपनी वर्जिनिटी अपने पति के साथ ही लूँगी। लेकिन किस्मत का खेल देखिए, जो मैंने सोचा था, वो हुआ नहीं। मेरी पहली चुदाई पराये मर्दों ने की, और इस बात का मेरे पति को कुछ भी पता नहीं है। अगर उन्हें पता चला, तो शायद वो मुझे तलाक दे दें।

हमारा हिमाचल जाने का प्लान पक्का हुआ, और दिनेश ने राजधानी एक्सप्रेस की फर्स्ट क्लास में टिकट बुक करवाया। हम दिल्ली से कार लेकर हिमाचल जाने वाले थे। लेकिन बदकिस्मती से हमें अलग-अलग कम्पार्टमेंट में बर्थ मिली। मेरा बर्थ एक कूप (दो बर्थ वाला प्राइवेट केबिन) में था, और दिनेश का एक केबिन (चार बर्थ वाला) में। मुझे थोड़ी टेंशन हुई, लेकिन दिनेश ने कहा कि ट्रेन में चढ़ने के बाद टीटीई से बात करके बर्थ एक साथ कर लेंगे। मैं थोड़ा रिलैक्स हुई और पैकिंग में जुट गई।

जर्नी का दिन आया। ट्रेन का टाइम शाम 4 बजे का था। हम दोपहर 2 बजे घर से निकले और 3 बजे तक स्टेशन पहुँच गए। मैंने पिंक टॉप और ब्लू जीन्स पहनी थी, जिसमें मेरी फिगर बिल्कुल कॉलेज गोइंग लड़की जैसी लग रही थी। मेरे लंबे बाल खुले थे, और मैंने हल्का मेकअप किया था। ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आई, और हम चढ़ गए। पहले हम दोनों मेरे कूप में बैठे। थोड़ी देर बाद एक 50 साल का आदमी आया। वो सफेद कुर्ता-पजामा पहने था, और उसकी शक्ल से वो किसी पॉलिटिशियन जैसा लग रहा था। उसकी भूरी आँखें थीं, और चेहरा ऐसा कि जैसे वो कई सालों से ताकतवर जगहों पर रहा हो। वो मुझे देखते ही ठिठक गया, और उसकी नजरें मेरे टॉप के ऊपर से मेरे कर्व्स पर टिक गईं।

वो मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठ गया। दिनेश को कुछ काम से बाहर जाना पड़ा, और वो टीटीई से बात करने चले गए। अब मैं और वो आदमी अकेले थे। मैं खिड़की की तरफ देख रही थी, लेकिन मुझे महसूस हो रहा था कि वो मुझे ऊपर से नीचे तक घूर रहा था। उसकी नजरें मेरे टॉप के गले से मेरे क्लीवेज पर रुक रही थीं। तभी दिनेश वापस आए और उस आदमी से बोले, “हम दोनों नई-नई शादीशुदा हैं। हमारी बर्थ अलग-अलग कम्पार्टमेंट में हैं। टीटीई से बात की, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकते। किसी पैसेंजर से ही एक्सचेंज करना पड़ेगा।”

वो आदमी बोला, “भाई, मैं बूढ़ा आदमी हूँ, थका हुआ हूँ। मुझे थोड़ी प्राइवेसी चाहिए, इसलिए मैं बर्थ एक्सचेंज नहीं कर सकता।” उसका लहजा ऐसा था जैसे वो कोई बड़ा आदमी हो। दिनेश ने कहा, “ठीक है, सर। मैं दूसरे कम्पार्टमेंट में पूछता हूँ।”

दिनेश गए और पता चला कि उनके कम्पार्टमेंट में एक तीन लोगों की फैमिली थी। वो समझ गए कि फैमिली बर्थ एक्सचेंज नहीं करेगी। वो वापस आए और मुझसे बोले, “स्मिता, बर्थ एक्सचेंज नहीं हो पाएगी। तुम्हें यहाँ अपनी बर्थ पर ही रहना होगा। बस एक रात की बात है। कल सुबह हम साथ होंगे। और ये अंकल भी अच्छे लग रहे हैं, जैसे तुम्हारे पापा। अपना ध्यान रखना।”

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मैंने कहा, “ठीक है, आप टेंशन मत लो। आप आराम करो। कल हम साथ में अच्छा टाइम स्पेंड करेंगे।” दिनेश ने कूप का दरवाजा बंद किया और चले गए। अब मैं और वो अंकल अकेले थे। मैं खिड़की की तरफ देख रही थी, और ट्रेन अपनी रफ्तार से चल रही थी। अचानक अंकल बोले, “सुनिए, अगर मैं यहाँ कपड़े बदल लूँ, तो आपको कोई दिक्कत तो नहीं?”

मैंने कहा, “ठीक है, कर लीजिए।”

वो उठे और अपना कुर्ता-पजामा उतारने लगे। मैं खिड़की की तरफ देख रही थी, लेकिन कोने से उनकी हरकतें देख रही थी। वो सिर्फ अंडरवियर और बनियान में खड़े थे। फिर उन्होंने बैग से एक लुंगी निकाली और पहन ली। इसके बाद उन्होंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया। मैं समझ गई कि वो जानबूझकर ऐसा कर रहे थे। अब वो सिर्फ लुंगी और बनियान में बैठे थे।

थोड़ी देर बाद वो बोले, “18-20 घंटे की जर्नी है। तुम भी कपड़े बदल लो। ये टाइट जीन्स-टॉप में तकलीफ होगी। कुछ ढीला-ढाला पहन लो।”

मैंने कहा, “ठीक है।” मैं झुकी और अपने बैग से नाइट ट्राउजर और एक ढीला टॉप निकाला। जब मैं झुकी, तो मेरे टॉप का गला थोड़ा नीचे गया, और मेरे बूब्स का क्लीवेज साफ दिख रहा था। अंकल की नजरें मेरे बूब्स पर टिकी थीं। जैसे ही मैंने ऊपर देखा, मेरी नजर सीधे उनकी लुंगी के नीचे गई। उन्होंने जानबूझकर टाँगें फैलाई थीं, और उनका काला, खड़ा लंड साफ दिख रहा था।

मैं घबरा गई और जल्दी से खड़ी हुई। मेरा बैलेंस बिगड़ा, और मैं सीधे अंकल के ऊपर गिर पड़ी। उनकी बाहें मेरी कमर पर गईं, और उसी बहाने उन्होंने मेरे बूब्स को जोर से दबा दिया। मेरे मुँह से “आह” निकल गया, और मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। मैं जल्दी से उठी और “सॉरी” बोलकर टॉयलेट चली गई। वहाँ मैंने अपने कपड़े बदले—ब्लैक नाइट ट्राउजर और व्हाइट टॉप। जब मैं वापस कूप में आई, तो वहाँ दो और लोग थे—एक कोच अटेंडेंट और एक टीटीई। दोनों की उम्र करीब 30 साल थी। अटेंडेंट का नाम राजू था, और टीटीई का नाम संजय। दोनों मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगे।

मैंने नजरें झुका लीं। मेरे टॉप में मेरे बूब्स की शेप साफ दिख रही थी, और ट्राउजर मेरी गांड को हल्का उभार रहा था। दोनों कुछ देर बाद चले गए, और कूप का दरवाजा फिर बंद हो गया। मैंने अपना मोबाइल निकाला और गाने सुनने लगी। अंकल चुपचाप बैठे थे। रात हुई, डिनर सर्व हुआ। मैंने अच्छे से खाना खाया, लेकिन थकान की वजह से मुझे नींद आने लगी। मैं अपनी नीचे वाली बर्थ पर लेट गई और सो गई।

रात को अचानक मेरी नींद खुली। मुझे लगा कि मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठी हुई हैं, और मेरे हाथ ऊपर की तरफ बंधे हुए हैं। मेरी चूत में हल्का दर्द और जलन हो रही थी। मैंने धीरे-धीरे आँखें खोलीं, तो देखा कि वो अंकल मेरे ऊपर थे और मुझे चोद रहे थे। उनका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ “चप-चप” की आवाज आ रही थी। मैंने साइड में देखा, तो वहाँ तीन और लोग थे—कोच अटेंडेंट राजू, टीटीई संजय, और एक पैंट्री का लड़का, जिसकी उम्र 20-21 साल होगी। उसका नाम बाद में पता चला, विजय। तीनों अपने लंड निकालकर हिला रहे थे।

मैं हक्का-बक्का रह गई। कुछ बोलने की कोशिश की, लेकिन अंकल ने मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और वो मुझे चूस रहे थे। मैं डर के साथ-साथ उत्तेजित भी हो रही थी। मेरी चूत गीली थी, और अंकल के हर धक्के के साथ मेरे मुँह से “आह… उह…” की आवाजें निकल रही थीं। मैंने अपनी गांड हिलानी शुरू की, ताकि उनका लंड और गहरा जाए। अंकल ने मेरे टॉप को ऊपर उठा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स को मसलने लगे। मेरी निप्पल्स सख्त हो गई थीं।

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अंकल ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बूब्स को आजाद कर दिया। वो मेरे एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे, और दूसरे को उंगलियों से मसलने लगे। मेरे मुँह से “आह… ओह… और जोर से…” निकल रहा था। मैं अब पूरी तरह से मस्ती में थी। अंकल का 6 इंच का लंड मेरी चूत में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था। “चप-चप… फच-फच…” की आवाजें पूरे कूप में गूँज रही थीं।

थोड़ी देर बाद अंकल ने एक जोरदार धक्का मारा और मेरी चूत में झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं भी उसी वक्त झड़ गई। मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। अंकल हटे, और अब टीटीई संजय मेरे पास आया। उसका लंड 7 इंच का था, और वो मेरी चूत में धीरे-धीरे घुसाने लगा। मैंने अपनी टाँगें और फैलाईं, ताकि वो आसानी से अंदर जा सके। संजय ने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “आह… उह… और गहरा…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।

संजय ने मेरे टॉप को पूरी तरह उतार दिया और मेरे बूब्स को दोनों हाथों से दबाने लगा। वो मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, और उसकी जीभ मेरे बूब्स पर गोल-गोल घूम रही थी। मेरी चूत अब और गीली हो चुकी थी। संजय ने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और “फच-फच” की आवाज तेज हो गई। तभी कोच अटेंडेंट राजू मेरे पास आया और अपना 8 इंच का लंड मेरे मुँह के पास ले आया। “चूस इसे, रंडी,” उसने कहा। मैंने उसका लंड मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरा मुँह पूरा भर गया।

संजय अब जोर-जोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूत में जलन हो रही थी, लेकिन मजा भी आ रहा था। “आह… ओह… चोदो मुझे…” मैं बड़बड़ा रही थी। संजय ने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और गहराई तक चोदने लगा। मैं फिर से झड़ गई, और मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। संजय भी मेरी चूत में झड़ गया, और उसका गर्म माल मेरे अंदर भर गया।

अब राजू मेरे पास आया। उसने मेरी चूत को टॉवल से साफ किया और अपना 8 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया। उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरी चूत फटने लगी। “आह… धीरे… बहुत बड़ा है…” मैं चीखी। लेकिन राजू ने मेरी एक न सुनी। वो जंगली की तरह चोदने लगा। उसने मेरे बूब्स को इतनी जोर से मसला कि मेरे मुँह से चीख निकल गई। “चुप, साली,” उसने कहा और मेरे मुँह में अपना रूमाल ठूँस दिया।

तभी पैंट्री वाला लड़का विजय मेरे पास आया और अपना 6 इंच का लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं अब पूरी तरह से उनकी मर्जी की गुलाम थी। राजू ने मेरी टाँगें ऊपर उठाईं और कुत्तिया स्टाइल में चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था। “फच-फच-फच…” की आवाजें तेज थीं, और मेरे बूब्स हवा में उछल रहे थे। राजू ने मेरी गांड पर एक जोरदार चमाट मारी, और मैं “उह…” करके सिसकारी।

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10 मिनट तक राजू ने मुझे बेरहमी से चोदा। मेरे पेट, कमर, और बूब्स पर उसके नाखूनों के निशान पड़ गए। मैं दो बार और झड़ चुकी थी। आखिरकार राजू ने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। मेरा शरीर थक चुका था, और मैं हाँफ रही थी। मैंने विजय को मना किया, “प्लीज, बस करो… मेरे शरीर में और जान नहीं बची।”

लेकिन विजय ने कहा, “चुप कर, साली। तेरे जैसी गोरी चिकनी माल दोबारा नहीं मिलेगी।” उसने मेरी टाँगें फैलाईं और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। वो 15 मिनट तक मुझे चोदता रहा। उसने बीच-बीच में मेरे बूब्स को चूसा और मेरी गांड को सहलाया। मैं अब सिर्फ सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… उह… और करो…”

विजय ने आखिरकार मेरी चूत में झड़ गया। इसके बाद चारों मेरे ऊपर आए और अपने-अपने लंड से मेरे मुँह और बूब्स पर मुठ मारने लगे। उनका गर्म माल मेरे चेहरे और बूब्स पर गिरा। फिर वो चारों चले गए। 5 मिनट बाद अंकल वापस आए और बोले, “आज तेरे जैसी हॉट रंडी को चोदकर मजा आ गया। जा, खुद को साफ कर।”

मैं अपने कपड़े लेने उठी, तो अंकल ने मेरे कपड़े छीन लिए और बोले, “ऐसे ही जा, नंगी।” मैं नंगी ही कूप से बाहर निकली। टॉयलेट के पास एक आरपीएफ जवान खड़ा था। उसके साथ वो टीटीई संजय भी था। मुझे देखकर संजय बोला, “यही है वो रंडी। जा, चोद ले।”

आरपीएफ जवान, जिसका नाम अजय था, मुझे टॉयलेट के अंदर ले गया। उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी चूत में अपना 7 इंच का लंड घुसा दिया। मैं पहले ही 4 लंड ले चुकी थी, तो मुझे अब कुछ खास महसूस नहीं हो रहा था। लेकिन अजय ने मुझे 10 मिनट तक चोदा और अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया। मैंने शावर ऑन किया और 10 मिनट तक खुद को साफ किया।

वापस कूप में आई, तो सुबह के 3 बज रहे थे। अंकल सो चुके थे। मैंने अपनी ट्राउजर और टॉप पहना और सो गई। सुबह जब नींद खुली, तो दिनेश मुझे जगा रहे थे। मैं डर गई और आसपास देखा, तो कूप खाली था। दिनेश बोले, “वो अंकल सुबह 6 बजे कानपुर उतर गए। उन्होंने मुझे अपनी बर्थ पर बुला लिया। कितने अच्छे अंकल थे न?”

मैं मन ही मन सोच रही थी, “हाँ, बहुत अच्छे थे। एक रात में 5 लंड दिलवाए।” हम दिल्ली पहुँचे और वहाँ से हिमाचल गए। वहाँ मैंने अपने पति के साथ खूब चुदाई की। अब सब ठीक है, लेकिन परेशानी तब होगी जब मैं प्रेगनेंट होऊँगी। पता नहीं किसके स्पर्म से मेरा बच्चा होगा। ये तो वक्त ही बताएगा।

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