हाईवे पर बुड्ढे ने मेरी बुर फाड़ दी

Old man fuck sex story – दोस्तों मैं सुलेखा आपको अपने जीवन की सबसे बड़ी घटना बता रही हूँ, हालांकि ये कोई सुखद घटना नहीं है पर ये सच्चाई तो जरूर है। मैं उस दिन अपने घर अलीगढ़ से आगरा अपनी स्विफ्ट कार से निकली थी, मैं नेशनल हाईवे 509 से अपने घर आ रही थी। मैं अलीगढ़ के मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ती थी और मेरे एनुअल एग्जाम खत्म हो गए थे, मैंने अपना सामान पैक कर लिया था और अपने हॉस्टल वाले कमरे पर ताला लगा दिया था। अपनी स्विफ्ट कार लेकर मैं बड़ी खुश होकर नेशनल हाईवे पर चल पड़ी थी।

चेतावनी: यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है तथा वयस्क मनोरंजन के लिए लिखी गई है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ एवं स्थान काल्पनिक हैं और किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इनका कोई संबंध नहीं है। यह कहानी किसी भी प्रकार की हिंसा, बलात्कार या गैरकानूनी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देती। पाठकों से अनुरोध है कि इसे केवल कथा के रूप में लें तथा वास्तविक जीवन में ऐसी किसी भी गतिविधि का अनुसरण न करें। यह सामग्री 18+ आयु वर्ग के लिए है। यह कहानी किसी अन्य वेबसाइट से प्रेरित या ली गई है तथा मूल स्रोत का सम्मान करते हुए यहाँ पुनर्लिखित रूप में प्रस्तुत की गई है।

आज धूप खिली हुई थी और मौसम बड़ा सुहावना लग रहा था, मैंने अपनी कार का स्टीरियो ऑन कर दिया था और नए गाने सुनते हुए मजे से गाड़ी चला रही थी। कुछ दिनों पहले ही मैंने अपनी कार की सर्विसिंग करवाई थी, मेरी कार बिलकुल जहाज सी चल रही थी और बसी सुंदर ड्राइव थी मेरी। मेरी ये यात्रा ढाई घंटों की थी पर मैं जिस रफ्तार से अस्सी नब्बे में गाड़ी चला रही थी उससे लग रहा था कि मैं डेढ़ घंटे में ही आगरा पहुँच जाऊंगी, मैं खूब तेजी से गाडी चला रही थी। हाईवे नम्बर 509 पर आज ट्रैफिक भी बहुत कम था, एक घंटे बाद मैं हाथरस पहुँच गयी थी और पचास किलोमीटर की दूरी मैंने तय कर ली थी।

हाथरस में एक ढाबे के पास मैंने कार रोकी, गई और एक कप चाय पी फिर कार में बैठकर निकल पड़ी। करीब बीस मिनट बाद मैं खुशी खुशी जा रही थी कि इतने में मुझे एक कार दिखाई दी, वो बार हाईवे के एक पेड़ से टकरा गई थी और कार के बोनट से धुंआ निकल रहा था। मैंने अपनी गाड़ी रोक दी और बाहर निकली, मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि कहीं कार के ड्राइवर का एक्सीडेंट ना हो गया हो और कहीं वो मर ना गया हो। मैं कार की सीट की ओर देखी तो कोई नहीं था, कार का बड़ा बुरा एक्सीडेंट हुआ था और आगे से पिचक गयी थी, पूरी तरह चकनाचूर हो गयी थी।

कोई है, कोई घायल तो नहीं है, मैंने आवाज लगाई। हाथ ऊपर करो, उधर कार के शीशे पर दोनों हाथ रखकर खड़ी हो जाओ, वो बोला। मैं डर से थर थर कांपने लगी और डर कर दोनों हाथ उठा लिए, मैं पीछे मुड़ी और देखा वो एक साठ सत्तर साल का बूढ़ा अर्धविक्षिप्त आदमी था, वो देखने से हटा कटा लगता था। उसके बाल काले थे पर दाढ़ी सफेद थी, सायद वो नशे में था और उसके हाथ में एक बड़ी दोनाली बंदूक थी।

हे लड़की, मैं कहा उधर, वो पागल सा बुद्धा मुझ पर चिल्लाया। मैं बेहद घबरा गई और दोनों हाथ ऊपर कर उसकी कार के पास गई, मैंने दोनों हाथ शीशे पर रख आत्मसमर्पण कर दिया। देखो गोली मत चलाना, प्लीज मुझे मत मारो, जो चाहो ले लो, मैं उससे मिन्नते करने लगी और थर थर कांपने लगी। वो बूढ़ा बंदूक मुझ पर ताने मेरे पास आया, हा जो मुझे चाहिए वो तो मैं जरूर लूंगा, पागल बूढ़ा बोला। उसने अचानक मेरे सर पर अपनी बंदूक की नली से वार किया, मुझे चक्कर आ गया और मैं जमीन पर गिर गयी, बेहोश हो गयी। बूढ़े साफ साफ नहीं बोल पा रहा था, उसके मुंह से शराब की तीखी बू आ रही थी और बूढ़ा लंगड़ाकर चल रहा था। उसने मेरी जीन्स में हाथ डालकर मेरा मोबाइल, पर्स और कार की चाबियां ले ली।

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दोस्तों मेरी किस्मत इतनी खराब थी कि हाइवे पर कोई कार गाडी वगैरह नहीं दिख रही थी, मैं बार बार सोच रही थी काश कोई गाडी गुजरे तो मेरी मदद करे। मैं अभी तो उस हरामी के वार से अधमरी ही गयी थी, मेरे सिर का एक हिस्सा सुन्न हो गया था। बूढ़ा मेरी कार के पास और कीमती चीज ढूंढने लगा पर उसे कुछ नहीं मिला, फिर वो लंगड़ाते हुए मेरे पास आया। मेरी एक टांग पकड़ी और उड़ाकर मुझे एक झाड़ी की तरफ ले जाने लगा, मैं अधमरी थी और वो कमीना मुझे हाईवे से बड़ी दूर जमीन में घसीटते हुए ले गया।

अब धीरे धीरे मुझे होश आ रहा था, मेरी चेतना लौट रही थी और मैं धुंधला धुंधला देख पा रही थी। उसने एक एक करके मेरी शर्ट की एक एक बटन खोल दी, मेरे मस्त गोल गोल भरे भरे मम्मे दिखने लगे। उसने मेरी दूध भरी छातियों को देखा तो थोड़ा मुसकुरा दिया, मैं सोचने लगी हे राम मैं किस समस्या में फस गयी हूँ और मन ही मन भोलेशंकर को याद करने लगी। कमीने बूढ़े ने मुझे एक जगह समतल जमीन पर लिटा दिया, वो मुझे हाईवे से काफी दूर ले आया था।

अब मैं होश में आ गयी थी, मुझे छोड़ दो प्लीज मुझे जाने दो, मैं हाथ जोड़ने लगी और रो रोकर मेरा बुरा हाल था, मेरा पूरा चेहरा मेरे आंसुओं से भीग गया था। ऐ चुप साली, बुद्धा गुर्राया और उसने दो चार चांटे मेरे गाल पर जड़ दिए, मैं और जोर जोर से रोने लगी। उस हरामी ने मेरी ब्रा जोर से खींची, ब्रा पीछे से टूट गयी और मैं ऊपर से नंगी हो गयी। बूढ़ा मेरे ऊपर झुका और मेरे मम्मे पीने लगा, मैं रोई जा रही थी और बूढ़े ने एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया।

मैं सिसकने लगी, वो मेरे मस्त बड़े बड़े गोल मम्मे पीने लगा और मैं छटपटा रही थी, मेरा गला घूट रहा था। मैं दोनों पैर चलाकर उस कमीने को दूर करना चाहती थी पर बुढ़ा काफी भारी था, मैं कुछ नहीं कर पाई। बूढ़ा मजे से मेरी काली निपल्स को चबा चबाकर पीने लगा, मैं सिर्फ रो रही थी और मेरी आवाज बाहर नहीं जा पा रही थी। फिर उस हरामी ने अपनी बेल्ट निकाल के बेल्ट से मेरे दोनों हाथ कस दिए, अब तो मैं बिलकुल असहाय हो गयी। बूढ़ा फिर से मेरी दोनों मस्त छातियां पीने लगा, बार बार मैं खुद को कोस रही थी कि आखिर मैंने उसकी मदद करने की क्यों सोची।

बूढ़े ने अपनी पैंट निकाल दी, उसने अंडरवेयर नहीं पहना था और उसने मुझे दो तीन चपत और मारे। उसने मुझे घुटनों पर बैठा दिया, अपना बहुत से झांटों वाला लण्ड मुझे दे दिया। ले चूस, वो बोला और मेरे मुंह में लण्ड ठूस दिया। उसके लण्ड से बहुत बदबू आ रही थी, शराब की बू उसके मुंह से आ रही थी और मैं मन मारकर चूसने लगी। सायद उस हरामी ने महीनों से ना ही नहाया था और ना ही झांटे बनाई थी, मैं उसका लण्ड चूसने लगी।

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धीरे धीरे उस हरामी का लण्ड बड़ा होने लगा, फिर और बड़ा होता गया और कुछ देर बाद दोस्तों उस हरामी का लण्ड बिलकुल सांड जैसा हो गया। वो जबर्दस्ती मेरे मुँह में अंदर तक ढकेलने लगा, मुझे पेलने लगा और मुझे अपने लण्ड से मंजन कराने लगा। मैं मजबूर थी, रोते चीखते मैं उसका लण्ड बेमन से चूस रही थी, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. उसके लण्ड से बड़ी बू आ रही थी। मेरे दोनों हाथ उस हरामी ने अपनी चमड़े की बेल्ट से बांध दिए थे, मैं हाईवे पर जाते हुए कारों को देख रही थी। बूढ़ा मुझे इतनी दूर ले आया था कि मेरी पुकार अब कोई नहीं सुन सकता था।

दोस्तों बड़ी देर तक उस मादरचोद ने मुझे अपना बदबूदार लेकिन बड़ा मोटा सा लण्ड चुसवाया, उसकी बहुत सी झांटे टूट कर मेरे मुँह और चेहरे पर चिपक गयी। ये दिन सायद मेरी लाइफ का सबसे बुरा और डरावना दिन था। फिर उसने मेरी जीन्स निकाल दी, मेरी नीली रंग की पैंटी भी निकाल दी और मेरी दोनों टांगे फैला दी। मैं बेहद डर गई थी, मैं जान गई थी कि अब वो मेरा बलात्कार करेगा और अब वो मुझे चोदेगा। मैं बचाओ बचाओ चिल्लाने लगी, उसने मेरी शर्ट ही मेरे मुँह में बांध दी, अब मेरी चीख बाहर नहीं जा रही थी।

बूढे आकर मेरी गदराई बुर चाटने लगा, जब मैं इधर उधर पैर चलाने लगी तो उसने पास पड़ी एक कांटेदार लकड़ी उठा ली और मेरी चिकनी नंगी गोरी जंघों पर सट से मार दी। उस कांटेदार लकड़ी से मेरे पैर में खून निकलने लगा, मैं जान गई कि ज्यादा विरोध करूंगी तो वो मुझे अपनी बंदूक से गोली भी मार सकता है। मैं खामोश हो गयी और अब कोई विरोध नहीं किया। बूढ़ा अपने पान मसालेदार दांतों और जीभ से मेरी बेहद नाजुक बुर चाटने लगा, उसकी जीभ से पान मसाले का तेज स्वाद मेरी बुर में आ गया और फिर मेरी बुर से वो मेरे मुँह में आ गया।

बूढ़ा मेरी लपलपी मस्त रसीली बुर पर टूट पड़ा, अच्छी चूत अच्छी चुट, वो हल्का सर उठाकर हँसा फिर से मेरी बुर चाटने लगा। मेरे दोनों हाथ उसकी चमड़े वाली बेल्ट से बंधे हुए थे, मेरे मुँह मेरी शर्ट से बंधा था। फिर बूढ़े ने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और पकापक मुझे चोदने लगा, आह इह्ह ओह्ह ओह, इससे पहले मेरे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी वाले बॉयफ्रेंड ने मुझे कई बार ठोका था पर उसका लौड़ा भी इतना बड़ा नहीं था। बूढ़ा बिना मेरी कोई परवाह किये मुझे पकापक चोदे जा रहा था, चप चप चप की आवाजें आ रही थीं, मेरी नंगी गोरी जांघ से खून बह रहा था। मैं आज के दिन को बार बार कोस रही थी कि मैंने आगरा जाने के लिए कोई बस क्यों नहीं पकड़ ली।

बड़ी देर बुड्ढे ने मेरी चूत फाड़ी, फिर अचानक उसे प्यास लगी और वो मुझे छोड़कर अपनी कार की तरफ चला गया। मैंने सोचा यही मौका है भाग लो, बुढ़ा पानी की बोतल लाने चला गया। मैं उठी और दूर दौड़ने लगी, तभी अचानक जहाँ मेरे पैर से खून निकल रहा था वहां बड़ी जोर दर्द उठा, मैं एक गड्ढे में गिर गई। फिर भी मैं लगातार टांग घिसट घिसट कर चल रही थी, बूढ़े से जान बचाकर भागने की कोशिश कर रही थी और मैं बड़ी दूर तक भाग गई। तभी इतने में वो हरामी बूढ़ा आ गया, वो शिकारी की तरह मुझे खोजने लगा और जल्दी जल्दी इधर उधर दौड़ कर मुझे ढूंढ रहा था। मैं फिर से जमीन पर टांग लड़खड़ाकर रेंग रही थी।

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इतने में वो कमीना आ गया, उसने मेरे बालों से मुझे पकड़ लिया और दो तीन लात मेरे पेट में जमा दी, मैं पागल हो गयी थी। तू क्या समझी भाग जाएगी, मेरा शिकार मुझसे भाग नहीं सकता है, वो चिल्लाया। उसने गैस पर मुझे फिर से खींच लिया, सूरज निकला हुआ था और धुप की रौशनी में वो फिर से मुझे चोदने लगा। मैं फिर से लाचार थी, बूढ़े धुप की रौशनी में हाईवे से दूर मुझे गचागच चोदे जा रहा था, थप थप थप की आवाजें गूंज रही थीं। उसने पानी की बोतल वहीँ पास में घास पर रख दी थी, वो मेरी बुर फाड़ता था, बोतल का ढक्कन खोलकर पानी पीता था, ढक्कन बंद करता था और मुझे पेलता जाता था, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह।

फिर उसने मुझे सूखी घास पर ही कुतिया बना दिया, वो हरामी तो मेरे पैर भी बांध देता पर मुझे तब वो चोद नहीं पाता, सायद तभी उसने मेरे पैर नहीं बांधे। उसने ना जाने कहाँ से एक रबर का लण्ड निकाला और पेल दिया मेरी चूत में, मैं अपने दोनों हाथों पर नंगी कुतिया बनी थी। बुढ़ा रबर के लण्ड से मेरी चूत को जल्दी जल्दी चोदने लगा, मैं सिसक गयी। फिर उसने वो रबर का लण्ड मेरी गाण्ड में पेल दिया और मेरी गाण्ड चोदने लगा, मेरी तो माँ ही चुद गयी। फिर वो मादरचोद बूढ़ा पता नहीं कहाँ से एक चमड़े की पतली पेटी ले आया, एक हाथ से मेरी गाण्ड चोद रहा था वहीँ दूसरे हाथ से मेरे दोनों गोल पूट्ठों पर सट सट वो चमड़े की पेटी मारने लगा, वहां पड़ती लाल लाल लाइन बन जाती।

मेरी तो गाण्ड ही फट गई, मैं मन ही मन उसे माँ बहन की गाली देने लगी। फिर वो हरामी मेरे पीछे आया, मेरी गाण्ड में उसने अपना सांड़े जैसा लण्ड लगाया और मजे से मेरी गाण्ड चोदने लगा, बिच बीच में वो अपने चमड़े वाले हंटर से मेरे दोनों बेहद गोल नर्म चुत्तड़ों पर सट सट मार देता। बड़ा दर्द होता गया दोस्तों, जहाँ हंटर पड़ता था लाल हो जाता था। बूढ़ा निर्ममता से मेरी गाण्ड चोदे जा रहा था, मेरी गाण्ड से खून भी निकल रहा था, वो मेरी गाण्ड लगातार चोदे जा रहा था, ऊउइ ..ऊई ..उईईई। फिर उसने मेरी चूत में वो रबर वाला लण्ड पेल दिया और जल्दी जल्दी चलाने लगा, फिर उधर दूसरी तरफ से मेरी गांड़ भी चोदने लगा। अब मुझे दोनों छेदों में दर्द आने लगा, वो मुझे बिना रुके पेलता गया।

दोस्तों उस हरामी बुड्ढे ने मुझे चार पांच घंटे वही झाड़ी के किनारे पेला, फिर मेरी कार मोबाइल मेरा पर्स मेरी कार लेकर वो हरामी भाग गया। मैं नंगी रोती रोती लड़खड़ाकर हाईवे नंबर 509 तक आयी, मैंने देखकर एक गाड़ी रुकी। वो हस्बैंड वाइफ आगरा जा रहे थे, उसकी वाइफ ने मुझे नंगे देखा तो शॉक हो गयी। उसने अपनी जैकेट मुझे उढा दी, मुझे अपनी कार में बिठाया और मुझे पानी पिलाया। मेरे शरीर से जगह जगह खून निकल रहा था, उस औरत ने फर्स्ट एड किट निकाली और रुई से मेरे जख्म पर दवा लगाने लगी। मैंने अपनी पूरी दुर्घटना की कहानी उन पति पत्नी को सुनाई।

सच में दोस्तों वो आगरे की हाईवे मेरी जिंदगी की सबसे भयावह कार यात्रा बन गयी थी।

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