दोस्तों, आज मुझे ये बात बताने में बहुत शर्मिंदगी हो रही है, लेकिन इस दर्द को मैं और ज्यादा अपने सीने में दबाकर नहीं रख सकता। जब भी मैं अपनी माँ को देखता हूँ, उस रात की वो भयानक घटना मेरी आँखों के सामने बार-बार घूमने लगती है। उस वक्त माँ ने मुझे कसम दी थी कि मैं ये बात किसी को न बताऊँ, लेकिन मैं अंदर ही अंदर घुट रहा हूँ। इसीलिए मैं ये वाकया आप सबके साथ साझा करने जा रहा हूँ। ये कहानी मेरे दिल का बोझ है, जो मुझे हर पल सताता है।
मेरे परिवार में हम तीन लोग हैं – मैं, मेरी माँ और मेरे पिताजी। मेरे पिताजी एक डॉक्टर हैं, जो हमेशा अपने अस्पताल में व्यस्त रहते हैं। मेरी माँ एक गृहिणी हैं, लेकिन वो बाकी गृहिणियों से थोड़ी अलग हैं। वो मॉडर्न हैं, अपने कपड़ों और रहन-सहन में एक अलग ही स्टाइल रखती हैं। माँ की उम्र 38 साल है, उनकी हाइट 5 फुट 6 इंच है, और उनका फिगर 38-36-40 का है। उनकी गोरी चमकती त्वचा और भरा हुआ बदन किसी को भी दीवाना बना सकता है। मैं ये सब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि उस रात के बाद मेरी नजरों में माँ की छवि बदल गई। मेरे मन में उनकी तरफ गलत ख्याल आने लगे, जो मुझे आज भी सताते हैं। मैं उस वक्त 18 साल का था, स्कूल छोड़कर कॉलेज में नया-नया दाखिल हुआ था।
बात उस गर्मी के मौसम की है, जब शादियों का सीजन जोरों पर था। हमें अपने एक रिश्तेदार की शादी में जाना था। पिताजी ने कहा था कि वो अस्पताल से जल्दी घर आ जाएँगे, और हम तीनों साथ में शादी में जाएँगे। शाम हो चुकी थी, मैं और माँ तैयार होकर पिताजी का इंतजार कर रहे थे। माँ ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें वो किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थीं। उनकी गोरी त्वचा, गहरी काली आँखें, और साड़ी में उभरता हुआ उनका फिगर किसी का भी दिल चुरा सकता था। मैं उन्हें देखता ही रह गया। माँ की साड़ी उनके कर्व्स को पूरी तरह उभार रही थी, और उनके ब्लाउज का गला इतना गहरा था कि उनकी भारी-भरकम छातियाँ साफ नजर आ रही थीं।
शाम के सात बज गए, लेकिन पिताजी घर नहीं आए। हमें दूर जाना था, इसलिए माँ ने पिताजी को फोन किया, पर उनका फोन बंद आया। करीब एक घंटे बाद, रात आठ बजे, पिताजी का फोन आया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में एक इमरजेंसी केस आ गया है, और वो शादी में नहीं जा पाएँगे। उन्होंने माँ को कहा कि हम दोनों ही शादी में चले जाएँ। माँ ने थोड़ा सोचा, फिर मुझसे कहा, “चल बेटा, हम दोनों ही चलते हैं।” माँ कार ड्राइव करना जानती थीं, तो हम दोनों कार में बैठकर शादी के लिए निकल पड़े।
माँ ने अपनी साड़ी को संभाला और ड्राइवर सीट पर बैठ गईं। उनकी साड़ी का पल्लू हल्का-हल्का सरक रहा था, जिससे उनकी गहरी नाभि और पतली कमर साफ दिख रही थी। मैं अगली सीट पर बैठा जंगल की तरफ देख रहा था। रास्ता सुनसान था, और जंगल से आने वाली अजीब-अजीब सी आवाजें मुझे थोड़ा डरा रही थीं। हमने करीब एक घंटे का सफर तय कर लिया था, जब अचानक दूर से टॉर्च की रोशनी दिखाई दी। रोशनी सीधे हमारी कार की तरफ थी, और चार लोग सड़क पर खड़े होकर हमें रुकने का इशारा कर रहे थे।
माँ ने डरते-डरते कार रोक दी। मैंने माँ से कहा, “मम्मी, कार चलाओ, कुछ गड़बड़ लग रही है।” लेकिन उन चारों में से दो लोग कार के सामने खड़े हो गए, और बाकी दो माँ को खिड़की खोलने का इशारा करने लगे। मेरे दिल में डर बैठ गया था। माँ ने काँपते हाथों से खिड़की नीचे की। अब उनकी आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं। वो माँ को देखकर गंदी-गंदी बातें करने लगे।
पहला गुंडा बोला, “देखो यार, क्या माल है! आज रात तो मजा आ जाएगा। इसकी चूत मिल जाए, तो बात बन जाए!” दूसरा माँ के गालों को छूते हुए बोला, “इसके गाल जितने नरम हैं, इसकी चूत भी उतनी ही मुलायम होगी। मैं पहले इसकी चूत में अपना लंड डालूँगा।” माँ की आँखों में आँसू छलक आए, और वो गिड़गिड़ाने लगीं, “प्लीज, हमें जाने दो, मेरा बेटा मेरे साथ है।” लेकिन उन दरिंदों पर कोई असर नहीं हुआ।
मैं डर के मारे चुपचाप बैठा था। वो चारों देखने में ऐसे लग रहे थे जैसे जंगल के भेड़िए। एक ने कार का दरवाजा खोला और माँ को जबरदस्ती बाहर खींच लिया। मुझे भी बाहर निकाला गया। दो गुंडों ने हमें कार की पिछली सीट के फुटरेस्ट वाली जगह पर बिठा दिया, और वो दोनों पिछली सीट पर बैठ गए। बाकी दो आगे की सीट पर थे। माँ अब भी रो रही थीं, लेकिन उन गुंडों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
एक गुंडे ने कार स्टार्ट की और बोला, “अड्डे पर चलते हैं, वहाँ इस माल की जमकर चुदाई करेंगे।” माँ ये सुनकर जोर-जोर से रोने लगीं। तभी पीछे बैठे एक गुंडे ने माँ के ब्लाउज में हाथ डाल दिया और उनकी भारी छातियों को मसलने लगा। माँ ने अपने हाथों से उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वो कामुकता में पागल हो चुका था। उसने माँ का ब्लाउज फाड़ दिया, और उनकी ब्रा को भी खींचकर तोड़ डाला। ब्रा को कार की खिड़की से बाहर फेंकते हुए वो हँसने लगा। माँ की नंगी छातियाँ अब सबके सामने थीं। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ, जिनके काले निप्पल सख्त हो चुके थे, हल्के-हल्के हिल रहे थे।
दूसरे गुंडे ने माँ की छातियों को देखकर कहा, “वाह, यार! कितनी मस्त चूचियाँ हैं! इनको चूसने में तो जन्नत का मजा आएगा।” उसने माँ की चूचियों को अपने दोनों हाथों में भरा और जोर-जोर से दबाने लगा। माँ दर्द से कराह रही थीं, “आआआह… प्लीज… छोड़ दो… मेरा बेटा देख रहा है…” लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसने माँ के निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो। माँ की कराहें अब और तेज हो गई थीं, “आआह… ऊऊह… नहीं… प्लीज…”
मैं ये सब अपनी आँखों के सामने देख रहा था। मेरे दिल में डर था, लेकिन कहीं न कहीं माँ की नंगी चूचियों को देखकर मेरा लंड भी सख्त होने लगा था। मैं शर्मिंदगी और उत्तेजना के बीच फँस गया था। तभी पीछे बैठे दूसरे गुंडे ने माँ को अपनी गोद में खींच लिया। माँ अब दोनों गुंडों की गोद में पड़ी थीं। उनकी साड़ी ऊपर सरक गई थी, और उनकी गोरी जाँघें साफ दिख रही थीं। एक गुंडे ने अपनी पैंट उतारी और अपना काला, मोटा लंड माँ के मुँह के सामने लाकर हिलाने लगा। उसका लंड धीरे-धीरे और बड़ा और सख्त होता जा रहा था।
माँ ने अपने हाथों से मुँह ढक लिया, लेकिन उसने माँ के हाथ हटाए और अपना लंड उनके मुँह में जबरदस्ती ठूँस दिया। माँ ने मना करने की कोशिश की, “नहीं… प्लीज… मत करो…” लेकिन उसने माँ के बाल पकड़ लिए और उनके सिर को आगे-पीछे करके अपने लंड को उनके मुँह में चोदने लगा। माँ के मुँह से थूक निकल रहा था, जो मेरे हाथ पर गिर रहा था। मैं नीचे फर्श पर बैठा माँ को देख रहा था। उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और दर्द साफ दिख रहा था।
दूसरा गुंडा, जो माँ की कमर को पकड़े हुए था, उसने माँ की साड़ी को और ऊपर उठाया। उसने माँ की गोरी, भारी गाँड को अपने हाथों से फैलाया और उनके गाँड के छेद को चाटने लगा। चप-चप की आवाज पूरे कार में गूँज रही थी। माँ के मुँह से कराहें निकल रही थीं, “आआह… ऊऊह… नहीं…” उसने अपनी उंगली पर थूक लगाया और माँ की गाँड में डाल दिया। माँ चीख पड़ीं, “आआआह… नहीं… दर्द हो रहा है…” लेकिन उसने पूरी उंगली उनकी गाँड में ठूँस दी और बोला, “क्या टाइट गाँड है, साली! लगता है तेरा पति तेरी गाँड नहीं मारता। आज मैं इसकी कुंवारी गाँड फाड़ दूँगा।”
पहला गुंडा, जिसका लंड माँ के मुँह में था, उसने अचानक जोर से झटका मारा और अपना सारा माल माँ के मुँह में छोड़ दिया। माँ ने लंड बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन उसने नहीं निकालने दिया। माँ के मुँह से सफेद, गाढ़ा माल टपक रहा था। फिर उसने माँ को नीचे बिठा दिया। दूसरा गुंडा, जिसने माँ की गाँड में उंगली डाली थी, उसने माँ को अपनी गोद में खींचा और अपना 8 इंच लंबा लंड उनके मुँह में डाल दिया। वो माँ के बाल पकड़कर उनके सिर को जोर-जोर से आगे-पीछे कर रहा था। माँ के मुँह से “ग्लक… ग्लक…” की आवाजें आ रही थीं। वो बोला, “चूस, साली! आज तेरी चूत और गाँड की गहराई नापूँगा।”
कुछ देर बाद कार एक जंगल में बने छोटे से घर के सामने रुकी। वो चारों हमें जबरदस्ती उस एक कमरे वाले घर में ले गए। अंदर घुसते ही उन्होंने माँ को अपनी बाहों में ले लिया और उनके होंठों और चूचियों को चूसने लगे। माँ अब टूट चुकी थीं। वो ज्यादा विरोध नहीं कर रही थीं, शायद थकान और डर ने उन्हें हार मानने पर मजबूर कर दिया था। एक गुंडे ने माँ की कमर पर हाथ डाला और उनकी साड़ी एक झटके में उतार फेंकी। माँ ने साड़ी पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वो नाकाम रहीं।
अब माँ सिर्फ फटे हुए ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थीं। उनकी चूचियाँ ब्लाउज से बाहर झाँक रही थीं। दूसरे गुंडे ने माँ की गाँड पर जोर का थप्पड़ मारा, जिससे माँ उछल पड़ीं। वो चारों माँ को घेरकर खड़े हो गए। मैं एक कोने में डर के मारे सिकुड़ा हुआ था। जब उन्होंने माँ को घेरा खोलकर छोड़ा, तो मैं दंग रह गया। माँ पूरी तरह नंगी थीं। उनका पेटीकोट उनके पैरों के पास पड़ा था, और फटा हुआ ब्लाउज भी जमीन पर था। माँ अपनी चूचियों को हाथों से ढकने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनकी गोरी, भारी चूचियाँ और काली झाँटों वाली चूत सबके सामने थी।
मुझे माँ को इस हालत में देखकर बुरा लग रहा था, लेकिन कहीं न कहीं मेरा लंड उनकी नंगी चूत और चूचियों को देखकर सख्त हो गया था। एक गुंडे ने माँ की टाँगों के बीच बैठकर उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी। उसकी जीभ माँ की चूत के दाने को चाट रही थी, और माँ की कराहें कमरे में गूँज रही थीं, “आआह… ऊऊह… प्लीज… मत करो…” माँ मेरी तरफ शर्म से नहीं देख रही थीं।
चारों गुंडे अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे। वो माँ के ऊपर भूखे कुत्तों की तरह टूट पड़े। एक गुंडा बोला, “अब मैं इस रंडी को पहले चोदूँगा।” उसने माँ को बिस्तर पर पटक दिया और उनकी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया। उसने अपना मोटा, काला लंड माँ की चूत पर रगड़ना शुरू किया। माँ अभी भी उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं, “प्लीज, मेरे बेटे के सामने मत करो… वो सब देख रहा है…” उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे, लेकिन उस दरिंदे पर कोई असर नहीं हुआ। उसने अपनी उंगली पर थूक लगाया और माँ की चूत पर मला। फिर एक जोरदार धक्के के साथ उसने अपना 7 इंच लंबा लंड माँ की चूत में पूरा ठूँस दिया।
माँ जोर से चीखीं, “आआआह… नहीं… दर्द हो रहा है… आआह…” उनकी चीख पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैं उनकी चीख सुनकर सिहर गया, लेकिन मेरी आँखें उस सीन से हट नहीं रही थीं। उसका मोटा लंड माँ की चूत में जड़ तक घुसा हुआ था। माँ की चूत इतनी टाइट थी कि लंड के हर धक्के के साथ उनकी चूत की दीवारें फैल रही थीं। फच-फच की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। वो माँ की चूचियों को चूसते हुए उनकी चूत में धक्के मार रहा था। माँ की चूत से रस टपकने लगा था, जो उनकी जाँघों पर बह रहा था।
दूसरा गुंडा माँ के चेहरे के ऊपर आ गया और अपना लंबा लंड उनके मुँह में डाल दिया। माँ की कराहें अब “ग्लक… ग्लक…” की आवाजों में बदल गई थीं। वो माँ के मुँह को चोद रहा था, और उसका लंड माँ के गले तक जा रहा था। तीसरा गुंडा नीचे लेट गया और माँ को अपने ऊपर खींच लिया। उसने माँ की चूत में अपना लंड डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। माँ की चूत अब गीली हो चुकी थी, और फच-फच की आवाजें तेज हो रही थीं। माँ दर्द और मजबूरी में कराह रही थीं, “आआह… ऊऊह… बस करो…”
तभी दूसरा गुंडा, जिसने पहले माँ की गाँड में उंगली डाली थी, उसने फिर से माँ की गाँड को मसलना शुरू किया। उसने अपनी उंगली पर थूक लगाया और माँ की गाँड में डाल दिया। माँ चीख पड़ीं, “आआआह… नहीं… प्लीज…” लेकिन उसने अपनी पूरी उंगली उनकी गाँड में ठूँस दी। फिर उसने अपना लंड निकाला, उस पर थूक लगाया, और माँ की गाँड के छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। लंड का अगला हिस्सा माँ की गाँड में घुस गया। माँ दर्द से चिल्लाईं, “आआआह… ऊऊह… निकालो… दर्द हो रहा है…”
वो धीरे-धीरे अपना पूरा लंड माँ की गाँड में ठूँसने लगा। माँ दर्द से तड़प रही थीं, लेकिन वो रुका नहीं। अब माँ दो लंडों के बीच पिस रही थीं। एक लंड उनकी चूत में था, और दूसरा उनकी गाँड में। दोनों गुंडे एक साथ धक्के मार रहे थे, और माँ की चूत और गाँड की दीवारें आपस में सट रही थीं। फच-फच और पट-पट की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। माँ की कराहें अब कम हो रही थीं, शायद वो थक चुकी थीं। चौथा गुंडा भी माँ को चोदने के लिए तैयार था। उसने माँ को घोड़ी बनाया और उनकी चूत में अपना लंड डाला, जबकि दूसरा उनकी गाँड चोद रहा था।
उन चारों ने रात भर माँ को बारी-बारी से चोदा। हर गुंडे ने कम से कम चार बार माँ की चूत और गाँड मारी। माँ की चूत और गाँड इतनी चुदाई के बाद लाल हो चुकी थीं। उनकी जाँघें रस और थूक से चिपचिपी हो गई थीं। सुबह के पाँच बजे तक वो चारों माँ को चोदते रहे। फिर उजाला होने से पहले वो हमें वहाँ छोड़कर भाग गए।
उनके जाने के बाद मैं माँ के पास गया। माँ थकान से चूर होकर बिस्तर पर पड़ी थीं। उनके होंठ प्यास से सूखे हुए थे। मैंने उन्हें पानी पिलाया। माँ पूरी तरह नंगी थीं। उनकी चूत की झाँटें गीली थीं, और उनकी जाँघें लाल हो चुकी थीं। मैं उनकी चूत को देखता रह गया। रात भर की चुदाई से उनकी चूत छिल गई थी और लाल हो चुकी थी। मैंने माँ से पूछा, “मम्मी, आपको दर्द तो नहीं हो रहा?” माँ ने रोते हुए कहा, “बेटा, जो कुछ भी हुआ, उसे किसी को मत बताना।”
कुछ देर आराम करने के बाद माँ ने अपने फटे हुए कपड़े पहने और कार में बैठ गईं। हम वापस घर के लिए निकल पड़े। दोस्तों, उस रात माँ को उस हालत में देखने के बाद मेरे मन में उनकी चुदाई करने की इच्छा जाग गई। मैं अकेले में कई बार माँ के ब्लाउज को खोलकर उनकी चूचियों को चूसता हूँ।
दोस्तों, अगर मुझे कभी माँ की चूत चोदने का मौका मिला, तो मैं आप सबको जरूर बताऊँगा। आप लोग क्या सोचते हैं, क्या मुझे माँ के साथ ऐसा करना चाहिए? अपनी राय जरूर बताएँ।