Girlfriend ki seal todi usi ke ghar par – मेरा नाम गौरव है। मैं 22 साल का हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ, और दिखने में ठीक-ठाक हूँ—लंबा कद, गेहुँआ रंग, और जिम जाने की वजह से बदन भी कसा हुआ है। मेरी गर्लफ्रेंड जूली 21 साल की है। वो गोरी, पतली कमर, और भरा हुआ फिगर—उसकी चूचियाँ ज्यादा बड़ी नहीं, लेकिन उसका 32-26-34 का फिगर किसी को भी पागल कर दे। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी और होंठ गुलाबी हैं, जो उसे और भी हॉट बनाते हैं। हम दोनों की जोड़ी कॉलेज में फेमस थी।
बात जुलाई के महीने की है। गर्मी और उमस भरा मौसम था, और हम दोनों कॉलेज के बाद कैंपस में टहल रहे थे। जूली उस दिन टाइट जींस और सफेद टी-शर्ट में थी, जो उसके बदन से चिपकी हुई थी। उसकी टी-शर्ट से उसकी ब्रा का हल्का सा आउटलाइन दिख रहा था, और मैं बार-बार उसकी तरफ देख रहा था। उसकी चाल में एक अजीब सी अदा थी, जैसे वो जानबूझकर मुझे तड़पा रही हो। मैंने उसकी तारीफ तो नहीं की, लेकिन मन ही मन उसकी खूबसूरती में खोया हुआ था।
अचानक बादल गरजे और बारिश शुरू हो गई। बारिश इतनी तेज थी कि हम दोनों पलक झपकते ही भीग गए। जूली की टी-शर्ट पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और उसकी काली ब्रा साफ दिख रही थी। उसकी चूचियों के उभार और सख्त निप्पल्स टी-शर्ट से बाहर उभर रहे थे। मेरा लंड पैंट में तनने लगा। हम भागते हुए कॉलेज के एक खाली क्लासरूम में घुस गए। कमरे में सिर्फ हम दोनों थे। बारिश की ठंडक और जूली का गीला बदन देखकर मेरे बदन में आग सी लग रही थी।
हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और हँस पड़े। मैंने उससे मजाक में कहा, “लगता है बारिश को भी हमारा रोमांस देखना था।” वो शरमाते हुए बोली, “हट, पागल! अब बोल, क्या करें?” मैंने उसकी तरफ देखा और उसके गीले बालों को छूते हुए कहा, “पहले ये गीले कपड़े तो उतारने पड़ेंगे, नहीं तो ठंड लग जाएगी।” वो हँसी और बोली, “अच्छा जी, बहाना ढूंढ रहे हो?” उसकी इस अदा ने मुझे और जोश दिला दिया।
तभी जूली की नजर खिड़की के बाहर पड़ी। बाहर एक कुत्ता-कुतिया का जोड़ा बारिश में मस्ती कर रहा था। वो हँसते हुए बोली, “देखो ना, ये कितने बेशर्म हैं!” मैंने भी देखा और मजाक में कहा, “अरे, ये तो नेचर का रोमांस है।” उसकी हँसी और शरमाने का तरीका देखकर मेरा मन और मचल गया। मैं उसके पास सरक गया। उसने कोई आपत्ति नहीं की। मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ा। उसका हाथ ठंडा था, लेकिन उसकी गर्माहट मेरे बदन में करंट सा दौड़ा रही थी।
मैंने हिम्मत करके उससे पूछा, “जूली, तूने कभी… मतलब, सेक्स किया है?” वो शरम से लाल हो गई और बोली, “हट, पागल! ये भी कोई पूछने की बात है?” फिर उसने धीरे से कहा, “नहीं किया, लेकिन सब पता है।” मैंने चौंकते हुए पूछा, “कैसे पता?” वो हँसते हुए बोली, “मेरे भैया की नई-नई शादी हुई है। उनका कमरा मेरे कमरे के बगल में है। दीवार में एक छोटा सा छेद है, मैंने वहाँ से सब देखा है।” ये सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने देखा कि उसकी नजर मेरी पैंट की उभरी हुई जगह पर थी। वो शायद समझ गई थी कि मैं कितना गरम हो चुका हूँ।
मैंने मौका देखकर कहा, “तो एक चुम्मी तो दे दे!” वो शरमाते हुए नीचे देखने लगी। मैं समझ गया कि यही मौका है। मैंने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसके गालों पर जोर से चूम लिया। उसने भी मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन इतना गर्म था कि मैं पागल सा हो गया। हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे, लेकिन तभी हमें एहसास हुआ कि कमरे में कोई और भी है। शायद कोई चौकीदार था। हम दोनों डर गए और वहाँ से भाग निकले।
बाहर बारिश और तेज हो गई थी। जूली ने कहा, “गौरव, मेरे घर चलो। वो पास ही है।” मैंने हामी भर दी। उसका घर कॉलेज से कुछ ही मिनट की दूरी पर था। उसके मम्मी-पापा दोनों सरकारी नौकरी में थे और उस वक्त घर पर नहीं थे। हम दोनों उसके घर पहुँचे। जूली ने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और बोली, “मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।” मेरा मन तो पहले ही बेकाबू था। मैं चुपके से उसके पीछे चला गया। उसने बेडरूम का दरवाजा हल्का सा खुला छोड़ दिया था। मैंने देखा कि वो अपनी गीली टी-शर्ट उतार रही थी। उसकी गोरी पीठ और काली ब्रा देखकर मेरा लंड पैंट में उछलने लगा। फिर उसने अपनी जींस उतारी। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। उसका फिगर इतना सेक्सी था कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं चुपके से कमरे में घुस गया। जूली ने मुझे देख लिया और चौंक गई। वो बोली, “अरे, तू यहाँ क्या कर रहा है?” मैंने उसकी कमर पकड़ ली और कहा, “जूली, तू इतनी हॉट लग रही है, मैं खुद को रोक नहीं पा रहा।” उसने शरमाते हुए कहा, “पागल, कोई देख लेगा तो?” लेकिन उसकी आँखों में भी वही आग थी जो मेरे अंदर जल रही थी। उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। वो बोली, “आज मैं भी देखूँगी कि चुदाई में कितना मजा आता है।”
उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। मैंने भी उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं। वो ज्यादा बड़ी नहीं थीं, लेकिन गोल और सख्त थीं, जिनके भूरे निप्पल्स उभरे हुए थे। मैंने उसकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी, “आह्ह… गौरव… और जोर से…” मैंने उसकी चूचियों को बारी-बारी चूसा और उनके बीच अपनी जीभ फिराई। उसका बदन गर्म हो रहा था। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को सहलाया। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने धीरे से एक उंगली अंदर डाली। वो चिल्लाई, “उह्ह… गौरव… धीरे…” मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए उसकी क्लिट को रगड़ा। वो पागल सी हो रही थी, “आह्ह… और कर… उफ्फ…”
मैंने उसकी पैंटी उतार दी। उसकी चूत छोटी और टाइट थी, जिसके ऊपर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने उसकी चूत को चूमा और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… गौरव… ये क्या कर रहा है… उह्ह… मजा आ रहा है…” मैंने उसकी चूत को चाटते हुए अपनी जीभ अंदर-बाहर की। उसका स्वाद नमकीन और नशीला था। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी। कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई। उसका पूरा बदन काँप रहा था।
अब मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा 6 इंच का लंड पूरा तना हुआ था। जूली ने उसे देखा और शरमाते हुए बोली, “ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने कहा, “अब ये तेरी चूत में जाएगा।” मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसके पैर फैलाए। उसने कहा, “गौरव, धीरे करना… मैंने पहले कभी नहीं किया।” मैंने उसके होंठों को चूमा और कहा, “डर मत, मैं धीरे करूँगा।” मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ा। वो सिसकारी, “उह्ह… गौरव… डाल दे…” मैंने धीरे से धक्का मारा, लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर नहीं गया। मैंने थोड़ा और जोर लगाया। वो चिल्लाई, “आह्ह… दर्द हो रहा है…”
मैंने रुककर उसकी चूचियों को चूसा और उसकी चूत को फिर से सहलाया। जब वो थोड़ा रिलैक्स हुई, मैंने फिर से धक्का मारा। इस बार मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया। उसकी सील टूट गई और थोड़ा खून निकला। वो रोने लगी, “गौरव… दर्द हो रहा है…” मैंने उसे चुप कराया और कहा, “बस थोड़ा सा दर्द है, अब मजा आएगा।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… गौरव… और जोर से… उह्ह…” मैंने स्पीड बढ़ाई। हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं।
करीब 15 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। उसकी चूत इतनी गर्म और गीली थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया और उसकी चूत में ही झड़ गया। वो भी उसी वक्त झड़ गई। उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… गौरव… उह्ह…” मैं उसके ऊपर ही लेट गया। हम दोनों की साँसें तेज थीं। थोड़ी देर बाद वो बोली, “गौरव, और चोद ना… मुझे और चाहिए।” उसकी ये बात सुनकर मेरा लंड फिर से तन गया।
मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। वो तुरंत घुटनों के बल झुक गई। उसकी गोल गाण्ड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गाण्ड को सहलाया और चूमा। फिर मैंने उससे कहा, “जूली, गाण्ड में डालूँ?” वो डरते हुए बोली, “नहीं, बहुत दर्द होगा।” लेकिन उसकी आँखों में उत्सुकता थी। उसने ड्रॉअर से वैसलीन निकाली और बोली, “इसे लगा कर करो।” मैंने अपने लंड और उसकी गाण्ड पर वैसलीन लगाई। मैंने धीरे से अपने लंड का सुपारा उसकी गाण्ड में डाला। वो चिल्लाई, “आह्ह… गौरव… रुक जा…” मैंने रुककर उसकी कमर सहलाई और उसकी चूचियों को दबाया। जब वो रिलैक्स हुई, मैंने फिर से धक्का मारा। मेरा लंड उसकी टाइट गाण्ड में पूरा घुस गया। वो सिसकारी, “उह्ह… गौरव… धीरे… आह्ह…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी गाण्ड मेरे लंड को जकड़ रही थी।
करीब 10 मिनट बाद मैं फिर से उसकी गाण्ड में झड़ गया। वो भी जोर-जोर से सिसकार रही थी, “आह्ह… गौरव… उफ्फ…” मैं उसके ऊपर लेट गया। हम दोनों पसीने से तर थे। तभी मेरी नजर घड़ी पर पड़ी। शाम के 5 बजने वाले थे। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और अपने घर के लिए निकल गया।
कुछ दिन तक हम दोनों का ये सिलसिला चलता रहा। हर बार चुदाई में नया मजा आता था। लेकिन अब जूली की शादी हो गई है, और मैं अकेला रह गया हूँ।
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