ये मेरी पहली स्टोरी है, और मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सबको ये पसंद आएगी। ये कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड विद्या की है। पहले थोड़ी सी बात विद्या के बारे में। वो 23 साल की है, एकदम हॉट और सेक्सी, उसका फिगर 34-28-34 है। उसका रंग इतना गोरा है कि बस ज़रा सा भी ज़ोर से छू लो तो स्किन पे लाल निशान पड़ जाए। उसके बाल लंबे, काले, और सिल्की हैं, और जब वो चलती है तो मानो कोई अप्सरा ज़मीन पे उतर आई हो। मैं, रोहन, थोड़ा सा ओवरवेट हूँ, मेरा लंड 6 इंच का है, और मैं एक स्ट्रॉन्ग बिल्ट वाला बंदा हूँ। लोग कहते हैं कि मैं दिखने में कोई रिच बिजनेसमैन लगता हूँ, और मुझे अपनी बॉडी पे थोड़ा घमंड भी है।
ये बात अभी कुछ एक महीना पहले की है, जब हम दोनों गोवा में वेकेशन पे गए थे। हम वहाँ पहुँच गए और एक बीच रिसॉर्ट में प्रेसिडेंशियल सुइट बुक किया। वहाँ कमरे से निकलते ही प्राइवेट बीच मिलता था, फुल प्राइवेसी के साथ। वहाँ पहुँचकर हम दोनों फ्रेश हुए, और पहली रात तो यूँ ही निकल गई क्योंकि ट्रैवलिंग की वजह से हम दोनों बहुत थक चुके थे। अगले दिन सुबह हम उठे और डायरेक्ट समुद्र में नहाने चले गए। ओह माय गॉड! विद्या अपनी गोल्डन बिकिनी में क्या कमाल की लग रही थी। उसका गोरा बदन, गीले बाल, और वो बिकिनी जो उसके कर्व्स को और हाइलाइट कर रही थी, उसे देखकर मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स में टाइट होने लगा। मैंने ठान लिया कि आज रात तो विद्या को पूरे जोश के साथ चोदना है।
हम दोनों ने समुद्र में करीब दो घंटे तक खूब मस्ती की। खारे पानी में उसकी मीठी-मीठी किस का मज़ा कुछ और ही था। हम एक-दूसरे को चूमते, गले लगाते, और लहरों के साथ खेलते रहे। विद्या की हँसी और उसकी आँखों में वो शरारती चमक मुझे और उत्तेजित कर रही थी। फिर हम बाहर निकले, शहर घूमने गए, और एक शानदार इटालियन रेस्तरां में लंच किया। वहाँ से गोवा की मार्केट में थोड़ा टहले, कुछ शॉपिंग की, और शाम के करीब चार बजे हम वापस होटल पहुँच गए। होटल में जाकर हमने थोड़ी देर आराम किया और फिर से समुद्र में नहाने चले गए।
शाम के छह बजे तक हम नहाते रहे, लेकिन ठंड बढ़ने की वजह से हम कमरे में वापस आ गए। मैंने विद्या से कहा, “विद्या, मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ, तुम भी चलोगी?” उसने एक शरारती स्माइल दी और बोली, “तुम जाओ, मैं बाद में फ्रेश हो जाऊँगी।” मैं बाथरूम में गया, नहाया, और करीब 15 मिनट बाद बाहर निकला तो देखा कि विद्या ने कमरे का माहौल एकदम इरॉटिक कर दिया था। उसने फ्रेग्रेंट मोमबत्तियाँ जलाई थीं, लाइट्स को डिम कर दिया था, और बैकग्राउंड में हल्का रोमांटिक म्यूजिक बज रहा था। कमरे में एकदम हनीमून वाला वाइब था, और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं।
फिर विद्या फ्रेश होने बाथरूम में गई। मैंने ठंड की वजह से कमरे में बोनफायर जला लिया। कुछ देर बाद जब वो बाहर आई, तो मैं उसे देखकर दंग रह गया। उसने अपने ब्रेस्ट्स को ढकते हुए सिर्फ एक टॉवल लपेटा हुआ था, उसके गीले बाल चेहरे पर बिखरे हुए थे, और टॉवल के नीचे से उसकी गोरी जाँघें साफ दिख रही थीं। उसे देखते ही मेरा लंड एकदम टाइट हो गया, और मुझे गर्मी सी महसूस होने लगी। वो दूसरे कमरे में गई, जहाँ से मुझे उसका पूरा व्यू दिख रहा था। उसने धीरे से टॉवल निकाला और पूरी नंगी हो गई। वो टॉवल से अपने बाल सुखा रही थी, और उसका गोरा बदन बोनफायर की रोशनी में चमक रहा था। फिर उसने अपनी ब्लैक पैंटी पहनी और मेरा व्हाइट शर्ट डाल लिया, जिसके बटन खुले थे, और उसका क्लीवेज साफ दिख रहा था।
मैं उस वक्त धीरे-धीरे बीयर की सिप ले रहा था, और उसे देखकर और गर्म हो रहा था। वो मेरे पास आई, मेरे बगल में बैठ गई, और ठंड की वजह से मेरा हाथ पकड़कर मुझे गले लगा लिया। उसके बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे, और मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। जैसे ही मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा, वो बोल उठी, “ओह रोहन… आह्ह!” उसकी साँसें तेज हो चुकी थीं, और वो भी गरम हो रही थी। मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया, और हम दोनों प्यार से एक-दूसरे को चूमने लगे।
मेरे हाथ उसकी गांड पर थे, और मैं उसे सहलाने लगा। वो जोर-जोर से मुझे किस कर रही थी, जैसे उसे और बेकरारी हो रही हो। फिर मैंने उसका शर्ट उतार दिया। अब वो सिर्फ अपनी ब्लैक पैंटी में मेरे सामने थी। उसका गोरा बदन, बोनफायर और मोमबत्तियों की रोशनी में चमक रहा था। मैंने उसे गले लगाया और उसके बूब्स को चूमना शुरू किया। एक बूब को मैं चूस रहा था, और दूसरे को अपने हाथ से मसल रहा था। वो लगातार “आह्ह… ओह्ह रोहन… तड़पाओ मत… और करो!” की आवाजें निकाल रही थी। उसकी साँसें और तेज हो रही थीं, और उसकी पैंटी गीली होने लगी थी।
उसने मेरा टॉवल खींचकर उतार दिया और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों से रगड़ने लगी। मुझे मज़ा आने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके पेट पर किस करते हुए नीचे उसकी चूत पर पहुँचा। उसकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। मैंने करीब 10 मिनट तक उसकी चूत को चाटा, अपनी जीभ अंदर-बाहर की, और उसे चोदा। वो सिसकियाँ ले रही थी, “रोहन… आह्ह… और करो… प्लीज!” और फिर उसका ऑर्गेज्म हो गया। उसका रस बह निकला, और मैंने उसे चाटकर साफ कर दिया। उसका स्वाद मुझे और जोश दे रहा था।
अब विद्या की बारी थी। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूसता हो। उसकी जीभ मेरे लंड के टॉप पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। अचानक वो उठी और दूसरे कमरे में चली गई। मैं कुछ समझ पाता, उससे पहले वो वापस आई, उसके हाथ में एक ठंडी बीयर का कैन था। उसने कैन खोला तो मैंने कहा, “ये क्या विद्या? पहले जो कर रही थी, वो पूरा कर न!” वो हँसते हुए बोली, “रोहन, तुम बस चुपचाप लेटो और आँखें बंद करो।” मैंने उसकी बात मानी और आँखें बंद कर लीं।
उसने फिर से मेरा लंड मुँह में लिया, लेकिन इस बार उसने पहले बीयर अपने मुँह में भरी और फिर मेरे लंड को चूसना शुरू किया। ठंडी बीयर और उसके गर्म मुँह का कॉम्बिनेशन मुझे पागल कर रहा था। वो लगातार 10 मिनट तक ऐसा करती रही, और मैंने आखिरकार अपने लंड का सारा रस उसके मुँह में छोड़ दिया। वो मेरे ऊपर आई और पूछा, “जानू, मज़ा आया?” मैंने बस मुस्कुरा दिया, और हम फिर से किस करने लगे।
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मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और अपनी उंगलियों से उसे चोदना शुरू किया। वो फिर से गर्म हो गई और “आह्ह… रोहन… और करो…” की आवाजें निकालने लगी। कुछ ही मिनटों में उसका दोबारा ऑर्गेज्म हो गया। अब उसने मेरा लंड पकड़ा और मसलने लगी। एक मिनट में ही मेरा लंड फिर से तलवार की तरह खड़ा हो गया। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। वो तड़प रही थी, लेकिन मैं उसे और तड़पाना चाहता था। आखिरकार उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाल लिया।
जैसे ही मेरा लंड अंदर गया, उसने जोर से “आह्ह्ह!” की आवाज निकाली। मुझे और जोश चढ़ गया। मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। वो “आह… आह… रोहन… और तेज…” की सिसकियाँ ले रही थी। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और करीब 15 मिनट तक उसे जोर-जोर से चोदा। फिर वो मेरे ऊपर आई और मेरे लंड पर बैठ गई। वो इतनी तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी कि कमरा उसकी सिसकियों और हमारी बॉडी की आवाजों से गूँज रहा था। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और मुझे ऐसा मज़ा आ रहा था कि मैं बयान नहीं कर सकता।
फिर मैंने उसे रोका और कहा, “बेबी, तुमने मुझे बीयर से मज़ा दिलाया, अब तुम्हारी बारी है।” मैंने उसे आँखें बंद करने को कहा। उसने ऐसा किया, और मैंने एक मिंट फ्लेवर की क्रीम निकाली, अपने लंड पर लगाई, और उसे फिर से बैठने को कहा। जैसे ही वो मेरे लंड पर बैठी, उसे ठंडक का एहसास हुआ, और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “रोहन… प्लीज… मुझे आज झूम के चोदो… मेरी चूत को फाड़ दो!” हम दोनों एक-दूसरे को गर्म और ठंडा मज़ा दे रहे थे। फिर हमने डॉगी स्टाइल में सेक्स किया। करीब 10 मिनट बाद हम दोनों का ऑर्गेज्म एक साथ हुआ, और हम एक-दूसरे की बाहों में लेट गए।
हम करीब 30 मिनट तक नंगे ही एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे। फिर विद्या ने फिर से मेरा लंड अपने हाथों में लिया और मसलने लगी। मेरा लंड फिर से तन गया। मैं उसकी गांड पर हाथ फेर रहा था, और मैंने उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल दी। वो हँसते हुए बोली, “रोहन, इसे मत भूल जाना!” मैंने हँसकर कहा, “बेबी, सबकी बारी आएगी!” हम दोनों इस बात पर जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी गांड में डाली और छेद को थोड़ा बड़ा किया। वो उठी और ऑयल की बोतल ले आई। उसने मेरे लंड पर और अपनी गांड के छेद पर ऑयल लगाया।
मैंने उसे डॉगी स्टाइल में पोजीशन में लाया और धीरे से अपना लंड उसकी गांड में डाला। जैसे ही मैंने धक्का मारा, वो चिल्ला उठी, “नहीं… बहुत दर्द हो रहा है!” मैंने कहा, “मेरा हाथ पकड़ लो और छोड़ना मत जब तक दर्द कम न हो।” उसने मेरा कहा माना, और मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, और मैंने उसे चोदना शुरू किया। मैं करीब 20 मिनट तक उसकी गांड मारता रहा, और आखिरकार मैंने अपना सारा रस उसकी गांड में छोड़ दिया। हम दोनों थककर एक-दूसरे की बाहों में लेट गए।
अगले दिन सुबह हम उठे, फ्रेश हुए, और फिर से सेक्स किया। दिन भर हमने समुद्र में मस्ती की, बीच पर घूमे, और रात को फिर से चुदाई का दौर चला। सात दिन तक हमने अपनी कंपनी को खूब एंजॉय किया। हर रात हम नए-नए तरीकों से एक-दूसरे को मज़ा देते। कभी बाथरूम में शावर के नीचे, कभी बोनफायर की गर्मी में, और कभी प्राइवेट बीच की रेत पर। विद्या की सिसकियाँ, उसकी शरारती हँसी, और उसका गोरा बदन मेरे दिमाग में बस गया था।
उम्मीद है आपको मेरी स्टोरी पसंद आई होगी। अगर कुछ गलती हो गई हो तो माफ़ी चाहता हूँ।