गदराई देहाती भाभी को पेला

रमेश, 28 साल का, लंबा-चौड़ा, गठीला मर्द, जिसकी भूरी आँखों में शरारत और जिस्म में गर्मी भरी थी, अपने दोस्त लखन के साथ एक पुराने गाँव के मकान में किसी काम से गया था। लखन, 30 साल का, थोड़ा शर्मीला लेकिन चालाक, रमेश का पुराना दोस्त था। उसका चेहरा साफ था, लेकिन आँखों में एक चमक थी जो बताती थी कि वो मौके की तलाश में रहता है। दोनों ने रास्ते में दो-दो बोतल बियर गटक ली थी, जिससे नशा हल्का-हल्का चढ़ा हुआ था। मकान पुराना था, लकड़ी के दरवाजे-खिड़कियाँ जर्जर, दीवारों में दरारें, और हवा में पुराने लकड़ी के फर्नीचर की हल्की सी महक। ऊपर की मंजिल पर लखन अपने रिश्तेदार से बात करने चला गया, और रमेश नीचे एक छोटे से कमरे में अकेला बैठा था। कमरे में एक पुरानी लकड़ी की कुर्सी और एक टेबल थी, जिस पर धूल जमी थी। हवा में ठंडक थी, और रमेश के मन में बेचैनी।

अचानक रमेश को जोर से पेशाब की तलब लगी। उसने कुर्सी छोड़ी और कमरे से निकलकर बालकनी की तरफ बढ़ा, जहाँ से टॉयलेट का रास्ता था। बालकनी में पुराने लकड़ी के फर्श पर उसके जूतों की आवाज़ गूँज रही थी। तभी पास के एक कमरे से पीली बल्ब की मद्धम रोशनी बाहर आ रही थी। पुराने लकड़ी के दरवाजे में बड़ी-बड़ी दरारें थीं, जिनसे अंदर का नजारा साफ दिख रहा था। रमेश का दिल जोर से धड़का। उसने दबे पाँव दरार से झाँका, और जो देखा, उससे उसका खून गरम हो गया।

वहाँ प्रज्ञा भाभी खड़ी थी, 32 साल की, गदराई देह, गोरी चमड़ी, और जिस्म ऐसा कि देखकर किसी का भी लंड तन जाए। प्रज्ञा का चेहरा गोल था, होंठ गुलाबी, और बाल लंबे, काले, जो उसकी कमर तक लहरा रहे थे। वो सिर्फ़ एक हल्का गुलाबी पेटीकोट और काली ब्रा में थी, ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने बालों को कंघी कर रही थी। उसके 36D के भारी-भरकम स्तन ब्रा में कसकर भरे हुए थे, और पेटीकोट में उसके गदराए चूतड़ इस तरह उभरे थे कि मानो कपड़ा फट जाएगा। रमेश का 7 इंच का मोटा लंड पैंट में तन गया, और उसका दिमाग़ भन्ना गया। वो पलटकर टॉयलेट जाने वाला था, लेकिन पैर जैसे जम गए। उसने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा खुला था, लॉक नहीं था।

प्रज्ञा ने पेटीकोट का नाड़ा खोला, और वो धीरे-धीरे नीचे सरक गया। अब वो सिर्फ़ काली पैंटी में थी, जिसमें उसकी फूली हुई चूत का उभार साफ दिख रहा था। उसकी चूत का आकार इतना उभरा हुआ था कि पैंटी मानो फटने को थी। रमेश की साँसें तेज़ हो गईं, और उसका लंड पैंट में दर्द करने लगा। तभी प्रज्ञा पलटी, और उसकी नज़र रमेश पर पड़ी। उसकी आँखें हैरानी से फैल गईं, और वो चिल्लाने वाली थी, “रमेश भैया, ये क्या…?” लेकिन रमेश ने फुर्ती दिखाते हुए उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया। उसने प्रज्ञा की चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। प्रज्ञा ने विरोध किया, “भैया, छोड़ो… ये गलत है! कोई देख लेगा!” उसकी आवाज़ में घबराहट थी, लेकिन रमेश कहाँ रुकने वाला था।

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“भाभी, तुम्हारा ये जिस्म… उफ्फ, कितना गदराया है,” रमेश ने फुसफुसाते हुए कहा, और उसकी ब्रा को खींचा। खींचतान में ब्रा का एक हुक टूट गया, और प्रज्ञा की भारी चुचियाँ आधे बाहर लटकने लगीं। उसकी गुलाबी निपल्स सख्त हो चुकी थीं, और रमेश ने उन्हें अंगूठे से रगड़ना शुरू कर दिया। प्रज्ञा ने आखिरी बार धमकी दी, “मैं शोर मचा दूँगी, बदनामी हो जाएगी!” लेकिन रमेश ने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को मसलना शुरू कर दिया। उसने एक उंगली पैंटी के किनारे से अंदर डाली और चूत की गहराई में उतार दी। प्रज्ञा की चूत पहले से गीली थी, और उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह… भैया… मत करो… मैं बदनाम हो जाऊँगी…”

रमेश ने देखा कि प्रज्ञा का विरोध अब कमजोर पड़ रहा था। उसकी उंगली चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रही थी, और प्रज्ञा की साँसें उखड़ने लगी थीं। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी गर्म है… उफ्फ, ये रस तो बह रहा है,” रमेश ने कहा, और उसकी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींच दिया। प्रज्ञा अब पूरी तरह नंगी थी, उसकी चूत चमक रही थी, और रमेश का लंड पैंट में तड़प रहा था। उसने प्रज्ञा के चूतड़ों को सहलाया, उनकी गोलाई को महसूस किया, और फिर एक हल्का सा थप्पड़ मारा। “आह…” प्रज्ञा की सिसकारी निकली।

प्रज्ञा ने कमरे की लाइट बंद कर दी, और अब सिर्फ़ रोशनदान से हल्की रोशनी आ रही थी। कमरे में एक रहस्यमयी सा माहौल था, जिसमें प्रज्ञा की नंगी देह और भी कामुक लग रही थी। रमेश ने प्रज्ञा की एक टाँग ड्रेसिंग टेबल के स्टूल पर रखी, और उसकी चूत को अपने लंड पर सेट किया। “भैया, कोई आ जाएगा… प्लीज, धीरे…” प्रज्ञा ने फुसफुसाया, लेकिन रमेश ने उसकी बात अनसुनी कर दी। उसने अपने 7 इंच के मोटे लंड को प्रज्ञा की गीली चूत पर रगड़ा, और धीरे-धीरे अंदर धकेला। “आआह्ह…” प्रज्ञा की सिसकारी निकली, और उसकी चूत ने लंड को कसकर जकड़ लिया।

रमेश ने प्रज्ञा के गदराए चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “फक… फक… फक…” कमरे में लंड और चूत के टकराने की आवाज़ गूँज रही थी। प्रज्ञा की चुचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं, और रमेश ने एक हाथ से उसकी निपल को मसलना शुरू कर दिया। “आह… भैया… धीरे… उफ्फ…” प्रज्ञा सिसक रही थी, लेकिन उसकी कमर अब रमेश के धक्कों के साथ ताल मिलाने लगी थी। रमेश ने प्रज्ञा की चूत में उंगली डालकर उसका दाना रगड़ा, जिससे प्रज्ञा की चूत ने और रस छोड़ दिया। “उह्ह… आह्ह… मैं झड़ रही हूँ…” प्रज्ञा की चूत ने रमेश के लंड को भिगो दिया।

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रमेश ने धक्के और तेज़ कर दिए। “भाभी, तुम्हारी चूत का भोसड़ा तो जन्नत है,” उसने कहा और प्रज्ञा के चूतड़ों को थपथपाया। उसने प्रज्ञा को स्टूल पर और झुकाया, ताकि उसकी चूत और खुल जाए। हर धक्के के साथ प्रज्ञा की सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं, “आह्ह… उफ्फ… भैया… और जोर से…” रमेश ने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से लंड पेलना शुरू कर दिया। कमरे में “चप… चप… चप…” की आवाज़ गूँज रही थी। प्रज्ञा की चुचियाँ हवा में लटक रही थीं, और रमेश ने उन्हें पकड़कर मसलना शुरू कर दिया। “भाभी, तुम्हारी ये चुचियाँ… उफ्फ, कितनी रसीली हैं,” उसने कहा और एक निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा।

प्रज्ञा अब पूरी तरह रमेश के कंट्रोल में थी। उसकी चूत बार-बार रस छोड़ रही थी, और रमेश का लंड उसकी गहराई में बार-बार टकरा रहा था। “आह्ह… भैया… मैं फिर झड़ रही हूँ…” प्रज्ञा की आवाज़ काँप रही थी। रमेश ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, और आखिरकार वो भी झड़ गया। उसका गर्म माल प्रज्ञा की चूत में भर गया, और दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे को देखने लगे।

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रमेश ने जल्दी से अपनी पैंट ठीक की और ऊपर चला गया, जहाँ लखन एक बूढ़ी औरत से बात कर रहा था। थोड़ी देर बाद प्रज्ञा कमरे में आई, साड़ी में लिपटी हुई, लेकिन उसने रमेश की तरफ देखा तक नहीं। उसकी चाल में एक हल्की सी काँप थी, लेकिन चेहरे पर कोई भाव नहीं। जब दोनों दोस्त जाने लगे, रमेश ने चुपके से 100 रुपये के नोट पर “सॉरी” लिखकर प्रज्ञा की तरफ फेंक दिया। प्रज्ञा ने नोट को पैर से दबाया और चुपके से उठा लिया। वो दोनों को नीचे तक छोड़ने आई। लखन तेज़ी से आगे बढ़ रहा था, लेकिन रमेश धीरे-धीरे चल रहा था। उसने एक और नोट पर अपना मोबाइल नंबर लिखकर प्रज्ञा को पकड़ा दिया।

रमेश को प्रज्ञा से ये तीसरी मुलाक़ात थी। पहली बार उसने प्रज्ञा की अदाओं से समझ लिया था कि वो चुदाई के लिए तड़प रही है। दूसरी मुलाक़ात में उसने मौका पाकर प्रज्ञा की चुचियों को मसल दिया था, और प्रज्ञा ने सिर्फ़ 5 मिनट बाद चाय लेकर आकर सबके सामने हँस-हँसकर बात की थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

लखन को प्रज्ञा पर फ़िदा था। वो उसे चोदना चाहता था, लेकिन डरता था। उसने रमेश को इस मिशन पर लगाया था। लखन को पता था कि प्रज्ञा का पति उसे संतुष्ट नहीं कर पाता, और उसे एक मज़बूत लंड की ज़रूरत थी। चुदाई के बाद लखन ने प्रज्ञा से बात की, लेकिन प्रज्ञा ने उसे नहीं बताया कि रमेश ने उसे चोद दिया था।

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दो दिन बाद प्रज्ञा का फोन रमेश के पास आया। वो उस रात की चुदाई से बहुत खुश थी। उसे खड़े-खड़े चुदवाने का अनुभव रोमांचक लगा था। वो बस यही चाहती थी कि लखन को कुछ पता न चले।

कुछ दिन बाद रमेश और लखन फिर उस मकान में गए। लखन ऊपर चला गया, और रमेश ने प्रज्ञा को फोन करके नीचे बुलाया। प्रज्ञा बहाने से आई, नीली साड़ी में लिपटी हुई, लेकिन पैंटी नहीं पहनी थी। रमेश ने उसकी चुचियों को साड़ी के ऊपर से दबाया, “भाभी, आज फिर चुदाई करनी है?” प्रज्ञा ने मना किया, “भैया, अभी नहीं… लखन भैया नीचे आ गए तो?” लेकिन रमेश ने उसे मनाया।

प्रज्ञा ने साड़ी ऊँची की और घोड़ी बन गई। उसकी नंगी चूत चमक रही थी। रमेश ने अपना लंड निकाला और प्रज्ञा की चूत में धीरे से घुसेड़ा। “आह्ह… उफ्फ…” प्रज्ञा की सिसकारी निकली। रमेश ने धीरे से लखन को मिस्ड कॉल दिया। प्रज्ञा अपनी कमर हिलाकर लंड ले रही थी, तभी लखन ने दरवाजा खोला।

प्रज्ञा हड़बड़ा गई, उसने रमेश का लंड अपनी चूत से निकाला और साड़ी ठीक करने लगी। उसका ब्लाउस भी खुला था, वो हड़बड़ाहट में हुक लगाने लगी। “लखन भैया, ये… मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं करता…” प्रज्ञा ने सफाई दी। तभी लखन ने उसकी चुचियाँ पकड़ लीं। प्रज्ञा हैरानी से उसे देखने लगी। लखन ने उसका ब्लाउस खोल दिया, और प्रज्ञा मुस्कुराने लगी।

चंद पलों में प्रज्ञा पूरी नंगी थी। लखन उसकी चूत को चाटने लगा, और प्रज्ञा की सिसकारियाँ गूँजने लगीं, “आह्ह… लखन भैया… उफ्फ…” लखन ने अपनी जीभ प्रज्ञा की चूत के दाने पर फिराई, और प्रज्ञा की टाँगें काँपने लगीं। रमेश और लखन दोनों प्रज्ञा की गदराई जवानी के मज़े ले रहे थे। लखन ने प्रज्ञا को चोदा, और फिर रमेश ने उसे फिर से पेला। प्रज्ञा 30 मिनट तक दोनों के लंड पर हिचकोले खाती रही।

अंत में प्रज्ञा अपनी सास के सामने चाय लेकर आई, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

क्या आपको प्रज्ञा भाभी की चुदाई की कहानी पसंद आई? नीचे कमेंट में बताएँ कि आपको क्या सबसे ज़्यादा रोमांचक लगा!

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