Papa Beti Chudai: ज़िंदगी कैसे कैसे दिन लाती है, ये कोई नहीं जानता। लोग अपनी हवस बुझाने के लिए हर हद पार कर जाते हैं, तो कभी अपनों की खातिर हर सीमा लांघनी पड़ती है। मेरा नाम आसिफा है। मेरी फैमिली में अबू, उम्र 38 साल, एक सख्त मिजाज़ लेकिन दिल के नरम टीचर। अमी, 42 साल की, हाउसवाइफ, जो हमेशा पर्दे की सख्त पाबंद थीं। मैं, आसिफा, 18 साल की, 12वीं पास, थोड़ी शर्मीली लेकिन अपने अबू की लाडली। मेरा छोटा भाई आसिफ, 18 साल का, और बहन समीना, 16 साल की, दोनों स्कूल में पढ़ते हैं। हम एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं, जहाँ अबू स्कूल में पढ़ाते हैं और अमी घर संभालती थीं। मैं हमेशा अबू के सामने दुपट्टा ओढ़ती थी, ताकि मेरे 34 साइज़ के बूब्स उनकी नज़रों से छुपे रहें। अबू का स्वभाव नरम था, हमेशा मेरी हर फरमाइश पूरी करते, और अमी-अबू का आपस में बहुत प्यार था। हमारी ज़िंदगी खुशहाल थी, लेकिन अचानक सब बदल गया।
एक साल पहले की बात है। अमी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। हम उन्हें हॉस्पिटल ले गए, जहाँ टेस्ट में पता चला कि उन्हें हेपेटाइटिस है। इस खबर ने हमें तोड़ दिया। अमी ने इसे इतना सीरियसली लिया कि उन्हें फालिज का अटैक पड़ गया। उनके शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। हॉस्पिटल के बिल इतने थे कि हम अफोर्ड नहीं कर सके, इसलिए अमी को घर लाना पड़ा। घर की सारी ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई—अमी की देखभाल, अबू का खाना-पीना, भाई-बहन की पढ़ाई और खाना, सब कुछ मैं ही संभालने लगी।
अमी की बीमारी के दो-तीन महीने बाद मैंने नोटिस किया कि अबू बहुत उदास रहने लगे। उनकी हंसी-मजाक जैसे ज़िंदगी से गायब हो गया था। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ। एक रात, करीब एक बजे, प्यास की वजह से मेरी नींद खुली। मेरे रूम में पानी की बोतल थी, मैंने पानी पिया और नोटिस किया कि हॉल की टीवी की लाइट ऑन है। हम हमेशा टीवी ऑफ कर देते थे, और उस रात भी मैंने ऑफ किया था। मैंने खिड़की का पर्दा थोड़ा हटाकर देखा, तो मेरे होश उड़ गए। अबू सोफे पर बैठे थे, अपने 7 इंच के लंड को मसल रहे थे। मैं स्तब्ध रह गई। कुछ ही पलों में उनका पानी निकल गया, और वो रिलैक्स होकर बैठ गए। थोड़ी देर बाद उन्होंने टीवी ऑफ किया, एक सीडी निकाली, और अपने रूम की तरफ चले गए। दो मिनट बाद हॉल की लाइट भी बंद हो गई।
उस रात मुझे नींद नहीं आई। बार-बार वही सीन मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। मैंने पहली बार किसी का लंड देखा था, वो भी अपने अबू का। मन में उलझन थी—एक तरफ खयाल आ रहा था कि वो मेरे अबू हैं, ऐसा सोचना गलत है। दूसरी तरफ सोच रही थी कि वो मर्द भी तो हैं, उनकी भी जरूरतें हैं। सुबह होने तक मैं परेशान रही। अबू और भाई-बहन के जाने के बाद मैंने अबू के रूम की तलाशी ली। मुझे 5 सीडीज़ और 2 किताबें मिलीं। मैंने एक सीडी लगाई, आवाज़ म्यूट कर दी, और जो देखा, उससे मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। वो XXX मूवी थी, जिसमें एक बेटी अपने बाप से चुदवाती थी। गर्म सीन देखकर मैं भी उत्तेजित हो गई। मूवी खत्म होने तक मेरा एक हाथ मेरी शलवार के अंदर था, उंगली कर रहा था, और दूसरा हाथ मेरे बूब्स दबा रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगले पांच दिन मैंने सारी सीडीज़ देख डालीं। हर मूवी के बाद मेरे मन में अबू के साथ सेक्स करने की इच्छा बढ़ने लगी, लेकिन साथ ही डर था कि ये गलत है, अमी के साथ धोखा है, और क्या अबू भी ऐसा चाहेंगे?
मैं कॉलेज नहीं जा पा रही थी, क्योंकि घर और अमी की देखभाल में वक्त निकल जाता था। उन किताबों में भी इन्सेस्ट सेक्स की कहानियाँ थीं। एक दिन मैंने अबू से कंप्यूटर और इंटरनेट लगवाने को कहा। वो मान गए। सुबह के वक्त मैंने नेट पर ढेर सारी बाप-बेटी की सेक्स स्टोरीज़ पढ़ीं। अबू हर रात मूवी देखते और मुठ मारते। मैं चुपके से उन्हें देखती। मैंने सोचा, क्यों ना ट्राई किया जाए, पता लगाया जाए कि अबू क्या चाहते हैं। लेकिन इसके लिए प्लानिंग चाहिए थी।
मैंने सबसे पहले दुपट्टा ओढ़ना छोड़ दिया। जब अमी के रूम में जाती, तो दुपट्टा ओढ़ लेती, लेकिन बाहर निकलते ही उतार देती। अबू ने कुछ नहीं कहा, लेकिन चुपके-चुपके मुझे घूरने लगे। मेरे 34 साइज़ के बूब्स को देखते, और मैं नोटिस करती थी। कुछ दिन बाद मैंने गले वाले ढीले-ढाले कपड़े पहनना छोड़ दिया। अबू के सामने झुककर चाय देती, झाड़ू लगाती, ताकि वो मेरे बूब्स को और करीब से देख सकें। अबू भी अब मेरे करीब रहने की कोशिश करने लगे। कभी-कभी मेरे हिप्स या बूब्स को हल्का सा टच करते, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। मुझे ये सब अच्छा लग रहा था, क्योंकि मेरा प्लान काम कर रहा था।
एक दिन मैंने अबू से कहा कि मुझे कुछ सामान चाहिए। वो बाइक पर ले गए। रास्ते में वो तेज़ बाइक चलाते और ब्रेकर पर ज़ोर से ब्रेक लगाते, जिससे मैं उनसे चिपक जाती। उनके लंड का उभार मेरे पेट से टकराता, और मुझे मज़ा आने लगा। मैं समझ गई कि अबू भी वही चाहते हैं जो मैं चाहती हूँ। हम एक स्टोर पर रुके। मैंने अबू को कहा कि वो बाहर रुकें, मैं अंदर जाकर हेयर रिमूवर और दो ब्रा खरीद लाई। सामान शॉपर में डालकर मैं बाइक पर बैठी और जानबूझकर अबू से चिपककर बैठी। रास्ते भर मुझे मज़ा आ रहा था, और यकीनन अबू को भी।
घर लौटकर मैंने और पतले कपड़े पहनने शुरू किए, जिनमें मेरी ब्रा साफ दिखती थी। अबू मेरी तारीफ करते, मेरे लिए चॉकलेट लाते, मेरे साथ बैठते, और कभी-कभी मेरा हाथ या बूब्स टच करते। मुझे उनका लंड उनकी पैंट में उभरा हुआ साफ दिखता था। एक दिन मैंने जानबूझकर नहाने से पहले अपने कपड़े बाहर रखे और नहाना शुरू किया। मैंने पहले अपनी चूत के बाल साफ किए, उसे चिकनी बनाया। नहाते वक्त अबू आ गए और मुझे आवाज़ देने लगे। मैंने कहा, “अबू, मैं नहाकर आती हूँ।” नहाने के बाद मैंने जानबूझकर कहा, “अबू, मैं कपड़े बाहर भूल गई, प्लीज़ दे दीजिए।” मैंने दरवाज़ा थोड़ा खोला, ताकि मेरा आधा जism दिखे। अबू ने जैसे ही कपड़े देने के लिए दरवाज़ा खोला, उनकी नज़र मेरे बूब्स की साइड पर टिक गई। वो मुझे घूरते रहे। पहले उन्होंने ब्रा दी, फिर शलवार, और आखिर में कमीज़। मैं समझ गई कि अबू अब तैयार हैं, बस सही मौके का इंतज़ार है।
वो मौका मेरे बर्थडे पर आया। मैंने उस दिन को चुना था। रात को खाना खिलाकर मैंने भाई-बहन को सुला दिया। अबू मेरी पसंद का केक और गिफ्ट लाए थे। मैं अपने रूम में तैयार होने गई। पहले अपनी चूत के बाल दोबारा साफ किए, नहाया, और अमी की एक साड़ी पहनी। ब्लाउज़ की जगह सिर्फ ब्रा पहनी। रात 12 बजे अबू ने दरवाज़ा नॉक किया। मैंने खोला, तो मेरी ड्रेसिंग देखकर उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं। मैंने पूछा, “क्या हुआ, अबू?” उन्होंने कहा, “हा, कुछ नहीं।” हमने केक काटा, एक-दूसरे को खिलाया, और फिर मैंने अबू को गले लगाया। मैंने उनके होंठों पर हल्का सा किस किया। बस, फिर तो जैसे बांध टूट गया। अबू ने मुझे ज़ोर से गले लगाया और एक लंबी, गहरी किस शुरू हो गई।
हम दोनों गर्म हो चुके थे। अबू ने मेरी साड़ी उतार दी। मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अबू मुझे भूखे भेड़िए की तरह चूम रहे थे—मेरे होंठ, गाल, गर्दन। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। मैंने उनकी कमीज़ उतार दी। अबू की जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, एक अजीब सा नशा चढ़ रहा था। उन्होंने मेरी ब्रा खोल दी, और मेरे 34 साइज़ के बूब्स उनके सामने थे। अबू ने उन्हें इतने प्यार से चूसा कि मैं सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह… अबू… ओह्ह…” उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं मज़े की दुनिया में खो गई थी। फिर उन्होंने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चिकनी चूत को चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसक रही थी, “उह्ह… अबू… आह्ह… और करो…” मेरी चूत गीली हो चुकी थी।
अबू ने अपना 7 इंच का लंड मेरे मुँह में डाल दिया और खुद मेरी चूत चाटने लगे। मैं उनके लंड को चूस रही थी, उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। “आह्ह… अबू, कितना मोटा है…” मैंने सिसकते हुए कहा। अबू ने कहा, “बेटी, तू तो जन्नत की हूर है।” कुछ देर बाद अबू उठे और मेरी टांगों के बीच बैठ गए। उन्होंने अपने लंड से मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। ऐसा लग रहा था जैसे चिंगारियाँ निकल रही हों। मैंने कहा, “अबू, मैं कुँवारी हूँ… धीरे करना।” उन्होंने कोल्ड क्रीम ली, मेरी चूत पर लगाई, और कहा, “बेटी, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन मैं आराम से करूँगा।”
अबू ने अपने लंड का टोपा मेरी चूत पर रखा और हल्का सा ज़ोर लगाया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… अबू!” उनका टोपा मेरी चूत में थोड़ा अंदर गया। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। फिर उन्होंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। ऐसा लगा जैसे किसी ने जलता हुआ लोहा मेरी चूत में डाल दिया हो। मैं चीखी, “आह्ह… अबू… नहीं… दर्द हो रहा है!” लेकिन अबू रुके नहीं। उन्होंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, “फच… फच…” की आवाज़ गूँज रही थी। मैं दर्द से कराह रही थी, “उह्ह… अबू… धीरे…” लेकिन कुछ ही पलों में दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा। अबू के धक्के तेज़ हो गए, और मैं सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… अबू… और ज़ोर से… चोदो मुझे…”
अचानक दर्द इतना बढ़ गया कि मैं बेहोश हो गई। जब होश आया, करीब आधे घंटे बाद, मैंने देखा कि अबू का पूरा लंड मेरी चूत में था, और वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे। “फच… फच… फच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। अबू ने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। मेरी चूत से खून निकल रहा था, जिसे अबू ने टिश्यू से साफ किया। मैं अबू से चिपक गई, मेरे जिस्म में अभी भी हल्का दर्द था, लेकिन मैं फिर से गर्म हो रही थी।
हमने उस रात तीन बार और सेक्स किया। हर बार अबू मेरी चूत को चाटते, मेरे बूब्स को चूसते, और फिर ज़ोर-ज़ोर से चोदते। “आह्ह… अबू… कितना मज़ा आ रहा है…” मैं सिसक रही थी। अबू कहते, “बेटी, तेरी चूत तो जन्नत है।” सुबह तक हमने प्यार किया। मेरी हालत ऐसी थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। अबू ने मुझे गिफ्ट में एक ब्रा और ड्रेस दी।
उस दिन के बाद अबू मुझे रोज़ दो बार चोदते हैं। अमी की तबीयत और बिगड़ गई है। डॉक्टर ने कहा कि वो हेपेटाइटिस की लास्ट स्टेज में हैं। भाई और बहन अब मुझे अमी कहते हैं, क्योंकि अबू ने उन्हें समझाया कि बड़ी बहन भी अमी की जगह ले सकती है।
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