मेरा नाम विजय है। मैं 22 साल का हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ और दिल्ली में रहता हूँ। मेरा दोस्त अनुज भी मेरे साथ ही पढ़ता है। हम दोनों की दोस्ती गहरी है, साथ में कोचिंग जाते हैं, पबजी खेलते हैं और घंटों गप्पे मारते हैं। अनुज का घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं है, तो मैं अक्सर उसके घर चला जाता हूँ। अनुज की माँ, रीना आंटी, को मैंने पहली बार तब देखा जब मैं एक दिन अनुज के घर नोट्स लेने गया। आंटी ने दरवाजा खोला और मैं उन्हें देखकर दंग रह गया। रीना आंटी 38-40 साल की होंगी, लेकिन उनकी खूबसूरती और फिगर किसी 30 साल की हसीना से कम नहीं था। उनकी साड़ी में उनकी गोरी कमर और भारी-भरकम चुचियाँ साफ झलक रही थीं। उनकी आँखों में एक अजीब सी गहराई थी, जो मुझे तुरंत लुभा गई। मैंने मन ही मन सोचा, “ये तो माल है, विजय, मौका मिले तो छोड़ना मत।”
आंटी ने मुझे अंदर बुलाया और अनुज मुझे अपने कमरे में ले गया। हम दोनों पबजी खेलने लगे। गेम में अनुज ने मुझे मार दिया, तो मैं बोर होकर उसे खेलता देखने लगा। तभी मुझे पेशाब लगी और मैंने अनुज से पूछा, “बाथरूम कहाँ है?” उसने इशारा किया और मैं बाथरूम की ओर चला गया। बाथरूम से निकलते वक्त मुझे कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी। मैंने सोचा शायद कोई और है घर में। मैं चुपके से उस आवाज की दिशा में गया और जो देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।
रीना आंटी अपने बेडरूम में थीं और उनके साथ एक आदमी था, जो उनके करीब खड़ा था। वो कोई और नहीं, बल्कि कोई बाहर का मर्द था, जो आंटी को जबरदस्ती पकड़कर उनके होंठों को चूमने की कोशिश कर रहा था। आंटी बार-बार उसे धकेल रही थीं और कह रही थीं, “छोड़ो, अभी नहीं, बेटा और उसका दोस्त घर पर हैं।” वो आदमी नहीं मान रहा था। उसने आंटी की साड़ी में हाथ डालकर उनकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के नीचे उनकी जांघों की ओर ले जा रहा था। मैंने तुरंत अपना फोन निकाला और ये सब रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।
तभी अनुज की आवाज आई, “विजय, कहाँ है?” आंटी और उस आदमी ने मुझे देख लिया। मैं जल्दी से वहाँ से भागा और अनुज के कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद मैं घर जाने लगा तो आंटी ने अनुज को छत से कपड़े लाने भेजा। जैसे ही अनुज गया, आंटी मेरे पास आईं और गिड़गिड़ाने लगीं, “बेटा, तुमने जो देखा, प्लीज किसी को मत बताना। मैं तुम्हारी माँ जैसी हूँ। मेरी बदनामी हो जाएगी।” उनकी आवाज में डर था, लेकिन मैंने मौके का फायदा उठाया। मैंने उनसे कहा, “आंटी, इसमें मेरा क्या फायदा? मैं तो अनुज को सब बता दूँगा।” आंटी के चेहरे का रंग उड़ गया। वो हाथ जोड़कर बोलीं, “प्लीज, ऐसा मत करो।” तभी अनुज आ गया और मैं उसे बाय बोलकर घर चला गया।
उस दिन के बाद मैंने मौके की तलाश शुरू कर दी। मैं रोज अनुज को फोन करके पूछता, “कहाँ है?” एक दिन उसने बताया कि वो बाहर गया है और रात तक आएगा। मैंने सोचा, यही मौका है। मैं तुरंत अनुज के घर पहुँच गया। आंटी ने दरवाजा खोला। वो हल्की नीली साड़ी में थीं, जिसमें उनकी गोरी कमर और गहरी नाभि साफ दिख रही थी। मुझे देखकर वो चौंकीं और बोलीं, “अनुज तो घर पर नहीं है।” मैंने कहा, “हाँ, मुझे पता है। इसीलिए तो आया हूँ।” मैं बिना इजाजत अंदर घुस गया और सोफे पर बैठ गया। आंटी घबराई हुई थीं। मैंने कहा, “आंटी, उस दिन की बात पूरी नहीं हुई थी।” वो मेरी बात सुनकर सिहर गईं और बोलीं, “क्या चाहिए तुम्हें? पैसे चाहिए? बोलो।”
मैंने हँसते हुए कहा, “आंटी, इतने सस्ते में नहीं।” फिर मैंने अपना फोन निकाला और उस दिन की रिकॉर्डिंग चला दी। आंटी ने वीडियो देखा और उनके चेहरे पर खून उतर गया। वो गिड़गिड़ाने लगीं, “बेटा, ये वीडियो डिलीट कर दो। मैं तुम्हें 5000 रुपये देती हूँ।” मैंने पैसे ले लिए, लेकिन फिर भी सोफे पर बैठा रहा। आंटी ने कहा, “अब तो डिलीट कर दो।” मैंने कहा, “आंटी, पहले मेहमान को चाय तो पिलाओ।” वो चाय बनाने चली गईं।
जब आंटी चाय लेकर लौटीं, तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए थे और सोफे पर नंगा बैठा था। मेरा लंड पूरा खड़ा था और मैं उसे सहला रहा था। आंटी ने मुझे देखा और चीख पड़ीं, “ये क्या कर रहे हो? कपड़े पहनो और मेरे घर से निकलो!” मैंने शांत स्वर में कहा, “आंटी, चाय तो पीने दो।” मैंने उनके हाथ से चाय ली और पीने लगा, साथ ही उनके सामने अपने लंड को मसलता रहा। आंटी की नजरें मुझसे हट रही थीं, लेकिन मैं उनकी खूबसूरती को निहार रहा था।
मैंने कहा, “आंटी, अगर कोई मेरे इस खड़े लंड को चूस ले, तो मैं वीडियो डिलीट कर दूँ।” आंटी गुस्से में बोलीं, “पैसे ले लिए, अब ये सब क्या?” मैंने कहा, “आंटी, आपको पहली बार देखा था, तभी से मेरा लंड आपके लिए तड़प रहा है। आज अनुज भी नहीं है। अब आप ही बताओ, वीडियो डिलीट करना है या नहीं?” आंटी की आँखों में आँसू आ गए। वो बोलीं, “बेटा, मैं तुम्हारे दोस्त की माँ हूँ। मेरी जगह तुम्हारी माँ होती, तो तुम्हें कैसा लगता?” मैंने गुस्से में कहा, “चुप, रंडी! चुपचाप मेरा लंड चूस, वरना अभी अनुज को वीडियो भेज दूँगा।”
आंटी डर गईं। वो धीरे-धीरे मेरे पास आईं और घुटनों के बल बैठ गईं। उन्होंने काँपते हाथों से मेरा लंड पकड़ा। जैसे ही उन्होंने उसे मुँह के पास लाया, वो हिचकने लगीं। मैंने उनके बाल पकड़े और उनका मुँह अपने लंड पर दबा दिया। मेरा 7 इंच का लंड उनके चेहरे पर चिपक गया। आंटी ने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, लेकिन मैंने और जोर से दबाया। आखिरकार, उन्होंने मेरा लंड मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे चूसने लगीं। मैं एक हाथ से चाय पी रहा था और दूसरे हाथ से उनके सिर को पकड़कर अपने लंड पर दबा रहा था। आंटी के होंठ मेरे लंड पर फिसल रहे थे, और उनका थूक मेरे लंड को गीला कर रहा था। “आह्ह… आंटी, कितना मजा आ रहा है,” मैंने कहा।
चाय खत्म होने के बाद मैंने उनके सिर को दोनों हाथों से पकड़ा और उनके मुँह में अपना लंड जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। आंटी “उम्म… उम्फ…” की आवाजें निकाल रही थीं। वो खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मैंने उन्हें छोड़ा नहीं। आखिरकार, उन्होंने मुझे धक्का देकर पीछे हटाया। उनके मुँह से ढेर सारा थूक निकला, जो मेरे लंड पर लगा था। मैं हँसने लगा। आंटी मुझे देखकर और डर गईं। मैं उनके पास गया, लेकिन वो पीछे हटने लगीं। मैंने उन्हें पकड़ा और कहा, “आंटी, अभी तो शुरुआत है। असली मजा तो अब आएगा।”
मैंने उनकी साड़ी का पल्लू खींचा और उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा। आंटी ने रोकने की कोशिश की, लेकिन मैंने एक झटके में उनका ब्लाउज फाड़ दिया। मेरी आँखें फटी रह गईं- आंटी ने ब्रा नहीं पहनी थी। उनकी गोरी, भरी-भरकम चुचियाँ और उनके भूरे निप्पल देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। “आह्ह… विजय, प्लीज… रुको,” आंटी कराह रही थीं, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उनकी दूसरी चूची को हाथ से मसला, और उनके निप्पल को उंगलियों से कसकर दबाया। आंटी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उह्ह… आह्ह…”
मैंने उनकी साड़ी को ऊपर उठाया और उनकी मोटी, गोल गांड को देखा। मैंने उसे जोर से दबाया और मसला। आंटी की गांड इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड और बेकाबू हो गया। मैंने उनकी साड़ी पूरी तरह उतार दी और उन्हें नंगा कर दिया। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो पहले से ही गीली थी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। आंटी सिहर उठीं, “नहीं, विजय, ये गलत है…” लेकिन मैंने उनकी बात अनसुनी की और अपना लंड उनकी चूत में धीरे-धीरे घुसा दिया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में घुस गया हो। “आह्ह… उह्ह…” आंटी कराह रही थीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए।
कुछ देर बाद मैंने आंटी को सोफे पर झुकाया और उन्हें कुतिया की तरह बना दिया। उनकी चूत और गांड मेरे सामने थीं। मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाला और तेज-तेज धक्के मारने लगा। “थप… थप… थप…” की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। आंटी की सिसकारियाँ भी तेज हो गई थीं, “आह्ह… उह्ह… विजय, धीरे…” मैंने उनकी गांड पर एक जोरदार चपत मारी और कहा, “रंडी, चुपचाप ले!” मैं कभी उनकी चूत में लंड डालता, तो कभी उनकी गांड में। आंटी की चूत से पानी टपक रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था।
तभी डोरबेल बजी। अनुज की आवाज आई, “मम्मी, गेट खोलो!” आंटी घबरा गईं और मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल लिया। वो जल्दी से बेडरूम में गईं और एक मैक्सी डालकर गेट खोलने चली गईं। मैं अपने कपड़े उठाकर किचन में भाग गया। अनुज अंदर आया और बोला, “मम्मी, इतनी गर्मी क्यों है? और ये आवाजें क्या थीं?” आंटी ने घबराते हुए कहा, “कुछ नहीं, बेटा। मैं मार्केट से आई थी, कपड़े बदल रही थी। शायद पड़ोस से आवाज आई होगी।” अनुज सोफे पर बैठकर पबजी खेलने लगा। आंटी ने पूछा, “तू इतनी जल्दी कैसे आ गया?” अनुज बोला, “पापा को कुछ काम आ गया, तो मुझे घर भेज दिया।”
मैं किचन में नंगा खड़ा था। मैंने जानबूझकर एक बर्तन गिरा दिया। अनुज ने पूछा, “किचन में क्या गिरा?” आंटी ने कहा, “शायद चूहा होगा, मैं देखती हूँ।” अनुज पबजी में व्यस्त हो गया। आंटी किचन में आईं। मैंने उन्हें पकड़कर अपनी ओर खींचा और उनके कान में कहा, “साली, रंडी, इधर तेरा बेटा बैठा है और उधर तू मेरे लंड का इंतजार कर रही है। जल्दी से झुक!” आंटी ने मना किया, “अनुज आ जाएगा।” लेकिन मैंने उनकी मैक्सी ऊपर उठा दी। पास में रखी तेल की डिब्बी उठाकर मैंने आधा तेल उनकी गांड और चूत पर डाला और आधा अपने लंड पर। फिर मैंने उनका कमर पकड़ा और अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया। “थप… थप…” की आवाज किचन में गूँजने लगी। आंटी दबी आवाज में कराह रही थीं, “आह्ह… उह्ह… विजय, प्लीज, धीरे…”
तभी अनुज ने आवाज लगाई, “मम्मी, ज्यादा पानी लेकर आना!” आंटी ने कराहते हुए कहा, “आयी, बेटा!” मैंने उनकी चूत में और तेज धक्के मारने शुरू किए। आंटी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उनकी कमर को और जोर से पकड़ा और तेजी से चोदने लगा। “आह्ह… उह्ह…” आंटी की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मैंने महसूस किया कि मेरा माल निकलने वाला है। मैंने आंटी को और जोर से पकड़ा और उनकी चूत में ही झड़ गया। मेरा गर्म माल उनकी चूत में भर गया।
अनुज ने फिर आवाज लगाई, “मम्मी, पानी लाओ!” आंटी जल्दी से मुझसे अलग हुईं और ग्लास में पानी भरने लगीं। उनकी मैक्सी अभी भी ऊपर थी। मैंने देखा कि मेरा गाढ़ा, सफेद माल उनकी चूत से निकलकर उनकी गोरी जांघों पर टपक रहा था। आंटी ने मैक्सी ठीक की और अनुज को पानी देने चली गईं। मैं किचन में खड़ा सोच रहा था कि अनुज अपनी माँ के हाथ से पानी पी रहा है, और उसकी माँ की चूत से मेरा माल बह रहा है।
दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, जो अपने दोस्त की माँ को चोदने की थी? कमेंट में जरूर बताएँ!