डर्टी चाची हिंदी सेक्स स्टोरी

मेरा नाम कृष्णकांत है। मैं भारत से हूँ और अभी यूरोप में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरी उम्र 25 साल है। मैं जब 10वीं में था, तब से ही मैं इंटरनेट पर ढेर सारी सेक्स स्टोरीज पढ़ता आ रहा हूँ। यानी लगभग 10 साल से। इन स्टोरीज की वजह से मैंने सेक्स की दुनिया में बहुत कुछ सीखा है। मुझे लगता है कि इन स्टोरीज ने मुझे सेक्स के मामले में सुधारा भी है, लेकिन शायद नीयत के मामले में थोड़ा बिगाड़ा भी है! ये स्टोरी धीरे-धीरे हॉट होगी, फिर वाइल्ड हो जाएगी। तो ये मत सोचो कि पहला पैरा पढ़ते ही तुम्हारी चूत गीली हो जाएगी या लंड टाइट हो जाएगा। लेकिन मैं वादा करता हूँ कि थोड़ी देर में तुम इमेजिन करके मस्तरबेट की सारी हदें पार कर दोगे।

ये बात तीन साल पहले की है, जब मैं बैचलर्स की पढ़ाई कर रहा था। दीवाली की छुट्टियों में मैं अपने अंकल और चाची के शहर गया था। वो शहर महाराष्ट्र में एक मशहूर टूरिस्टिक जगह है। मैं शाम को करीब 8 बजे उनके घर पहुँचा। मैंने गाड़ी से उतरते ही कंपाउंड की बेल बजाई। अंकल बाहर आए और उन्होंने कंपाउंड का गेट खोला। मैंने गाड़ी पार्क की और उतरकर अंकल से गले मिला। हम दोनों सामान निकालकर घर के अंदर गए। अंकल मुझे मिलकर बहुत खुश थे। हम दोनों की दोस्ती बिलकुल दोस्तों जैसी है। अंकल और चाची की शादी को 4 साल हो गए थे, लेकिन अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं था। शायद वो फैमिली प्लानिंग कर रहे थे, मुझे नहीं पता।

हॉल में घुसते ही अंकल ने मुझे सोफे पर बैठने को कहा। मैं आराम से गाँड टिकाकर सोफे पर बैठ गया। अंकल ने मुझे पानी दिया और मेरे बगल में बैठ गए। मैंने चाची के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि चाची अभी मार्केट से शॉपिंग करके आई हैं और बाथरूम में शॉवर लेने गई हैं। अंकल ने मुझसे पूछा, “कृष्णकांत, दारू पिएगा?” मैंने कहा, “क्यों नहीं, मैं तो बीयर के मूड में हूँ।” अंकल को दारू का पार्टनर मिला, वो भी खुश हो गए और कार की चाबी लेने बेडरूम चले गए। वहाँ से लौटकर बोले, “कृष्णकांत, मैं आधे घंटे में दारू खरीदकर आता हूँ। तुम तब तक रिलैक्स करो। मैंने चाची को बता दिया है, वो अभी हॉल में आएगी।”

अंकल के जाने के 5 मिनट बाद ही मैं चाची से मिलने उनके बेडरूम चला गया। बेडरूम में पीली लैंप की रोशनी थी, जो कमरे को और कामुक बना रही थी। चाची ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थीं। उन्होंने रॉयल ब्लू साड़ी और ब्लैक ब्लाउज पहना था। ब्लाउज पीछे से लगभग बैकलेस था, और उसकी स्लीव्स इतनी छोटी थीं कि उनकी बाहें पूरी तरह नंगी दिख रही थीं। उनकी पीठ इतनी चिकनी थी कि लगता था, जैसे अभी पीछे जाकर उन्हें गले लगाऊँ और उनकी गर्दन पर एक प्यार भरा चुम्मा दे दूँ। साड़ी उनके बदन से इतनी टाइट बंधी थी कि उनकी गाँड के उभार साफ दिख रहे थे। उनकी गाँड इतनी भारी और रसीली थी कि देखकर मन कर रहा था कि बस उसे पकड़कर दबा दूँ। लेकिन मैंने खुद को रोका, क्योंकि… खैर, छोड़ो।

चाची की हाइट 5 फीट 4 इंच है। उनके बूब्स बड़े और इतने सॉफ्ट हैं कि अगर वो नंगी लेट जाएँ तो वो इधर-उधर फैल जाते हैं। उनकी उम्र का तो मुझे अंदाजा नहीं, लेकिन उनकी गाँड उनके बदन का सबसे मस्त हिस्सा है। इतनी फ्लेशी कि हाथ लगाओ तो उछल जाए, और एक चपट मारो तो लाल हो जाए। और हाँ, चाची का नाम ही उनकी सबसे सेक्सी चीज है—मधु।

जब मैं उनके बेडरूम में पहुँचा, तो मेरे कदमों की आहट से चाची ने मुझे देखा। वो मुस्कुराईं और बोलीं, “कृष्णकांत, कैसा है तू?” फिर वो कॉम्ब टेबल पर रखकर मेरे पास आईं। उनकी चूड़ियों की खनक, साड़ी का रंग, ब्लाउज का स्टाइल और माथे की बिंदी—सब कुछ देखकर मैं पागल हो गया। उनका चलने का अंदाज भी इतना प्यारा था कि मन कर रहा था, बस उन्हें बाहों में भर लूँ। वो मेरे पास आईं और मेरे माथे पर एक चुम्मा देकर बोलीं, “तुझे देखकर हमेशा अच्छा लगता है, कृष्णकांत। अब जaldi से फ्रेश हो जा मेरे बाथरूम में, फिर साथ में खाना खाएँगे। मैंने तेरी फेवरेट मटन हांडी बनाई है।” मैंने कहा, “ठीक है, मैं मेरा एयरबैग लेके आता हूँ।” वो बोलीं, “नहीं, मैं ले आती हूँ, तू फ्रेश होने लग जा।”

मैं फट से उनके बाथरूम में गया और कपड़े उतारकर शॉवर केबिन में घुस गया। बाथरूम में एकदम मस्त खुशबू आ रही थी। चाची हमेशा Acqua di Parma का शॉवर जेल यूज करती थीं, जो बड़ा सेक्सी महकता है। मैंने भी ढेर सारा जेल लिया और पूरे बदन पर मलकर नहाने लगा। नहाते वक्त मेरी नजर चाची की पैंटी पर पड़ी, जो वहाँ सूख रही थी। पीले रंग की नेट वाली पैंटी थी। शायद चाची ने अभी-अभी शॉवर लिया था। उसे देखकर मेरा लंड टाइट हो गया और मैं उसे मसलने लगा। एक पल को लगा कि चाची मुझे की-होल से देख रही हैं, तो मैंने और जोर-जोर से मुठ मारना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे पता था कि चाची बेडरूम में नहीं होंगी, क्योंकि वो ऐसी चीछोरी हरकतें करने वालों में से नहीं हैं। मेरा नहाना हो गया और मैं तौलिया लपेटकर बाहर आ गया।

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बाहर आकर मैं बाल सुखा रहा था, तभी चाची आईं और मेरे बैग से मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट निकालने लगीं। मैंने मुड़कर उन्हें देखा तो वो बोलीं, “क्या बात है, कृष्णकांत, आजकल खाना जमकर खा रहा है तू। बड़ी मस्त बॉडी बना ली है।” फिर वो मेरे पास आईं और मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “पेट भी बड़ा हो गया है तेरा। कुछ ही दिन में सेठ जैसा दिखेगा तू। जरा एक्सरसाइज कर, नहीं तो ये पेट बढ़ जाएगा और तेरी बीवी बोर हो जाएगी।” मैंने कहा, “मधु चाची, मैं समझा नहीं। मेरे पेट की वजह से मेरी बीवी क्यों बोर हो जाएगी?” चाची ने बात काटते हुए कहा, “अंकल से पूछ लेना, वो बता देंगे। वैसे, तेरे बदन से बड़ी मस्त खुशबू आ रही है।” मैंने कहा, “क्यों नहीं आएगी, आपका ही शॉवर जेल यूज किया है।” वो हँसने लगीं और मुझे देखकर मुस्कुराईं।

मैं तैयार होकर हॉल में आया, तब तक अंकल आ गए थे और ग्लास में दारू भर रहे थे। हम दोनों ने पीना शुरू किया। मैंने दो बीयर पी लीं और अंकल ने एक क्वार्टर व्हिस्की खत्म कर दी। फिर हम तीनों ने खाना खाया। खाते वक्त भी अंकल ने ढेर सारी व्हिस्की पी। चाची ने जब कहा, “बस, अब बहुत हो गया,” तब जाकर वो रुके। खाना खाने के बाद हम तीनों सोफे पर बैठे। मैंने और चाची ने आइसक्रीम खाई। अंकल को दारू का नशा चढ़ गया था, तो मैं उन्हें बेडरूम ले गया और सुला दिया। चाची ने बताया कि गेस्ट रूम का AC खराब है, इसलिए मुझे उनके बेडरूम में ही सोना होगा। अंकल ने भी जोर दिया कि मैं उनके साथ ही सो जाऊँ। उनका बेड किंग साइज था, तीनों आराम से सो सकते थे। चाची ने कहा, “कृष्णकांत, क्या तुम दो मिनट बाहर जा सकते हो? मुझे चेंज करना है।” अंकल मस्ती के मूड में थे, बोले, “इसे बाहर क्यों भेज रही हो? ये तो बच्चा है, बस बीयर पीता है। इसके सामने ही चेंज कर ले।” चाची ने हँसते हुए कहा, “आप चुप रहो, वरना आपको भी बाहर जाना पड़ेगा!” मैं बाहर चला गया। 5 मिनट बाद चाची ने मुझे बुलाया।

आह्ह्ह्ह! क्या लग रही थीं मधु चाची! उन्होंने रेड साटिन की नाइटी पहनी थी। स्लीव्स थोड़ी लंबी थीं, लेकिन नाइटी इतनी टाइट थी कि उनके कर्व्स साफ दिख रहे थे। उनकी गाँड और बूब्स का उभार देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। हम तीनों बेड पर सो गए। अंकल बीच में थे, चाची ड्रेसिंग टेबल की साइड सोई थीं, और मैं दूसरी साइड। मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि अगले एक घंटे में क्या होने वाला है।

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करीब एक घंटे बाद, मैंने करवट बदली और आँखें हल्की खोलकर देखा। अंकल और चाची एक-दूसरे के ऊपर लेटे हुए थे। दोनों ने कंबल ओढ़ा हुआ था, जिससे कुछ दिख नहीं रहा था। लेकिन उनके बदन की हलचल और सिसकारियों की आवाज से मेरा लंड टाइट हो गया। मैंने शॉर्ट्स में हाथ डाला और लंड सहलाने लगा। तभी अचानक कंबल हटने लगा। मैं डर गया और दीवार की तरफ मुँह करके लेट गया। 5 मिनट बाद मुझसे रहा नहीं गया। मैंने फिर करवट बदली, लेकिन आँखें बंद रखीं। तभी चाची की “आह्ह… आह्ह…” वाली आवाजें आने लगीं। मैंने हल्के से आँख खोली तो देखा कि अंकल और चाची एक-दूसरे को चिपके हुए थे। अंकल सिर्फ अंडरवियर में थे, और चाची का एक हाथ उनके गले में था। उस हाथ में चूड़ियाँ थीं, जो खनक रही थीं। चाची का दूसरा हाथ अंकल के अंडरवियर में था। फिर चाची ने अंकल की गाँड को जोर से दबाया। अंकल ने चाची को कसकर पकड़ा और साइड बदल ली। अब मैं चाची की पीठ देख सकता था।

हाय रे, क्या सीन था! चाची ने सिर्फ डार्क रेड ब्रा और पैंटी पहनी थी। उनकी गाँड इतनी रसीली थी कि मन कर रहा था कि अभी उसमें मुँह घुसा दूँ। अंकल ने चाची की पैंटी में हाथ डाला और उनकी गाँड को दबाने लगे। फिर अचानक अंकल ने चाची की गाँड में उंगली डाल दी। चाची हल्के से चीखीं और अंकल से और चिपक गईं। उनकी चूत अंकल के अंडरवियर पर रगड़ने लगी। चाची ने अंकल का हाथ निकाला और उसे अपनी चूत पर ले गई। अंकल ने कुछ सेकंड चाची की चूत में उंगली की, फिर उनके ऊपर चढ़कर उन्हें चूमने लगे। चाची बोलीं, “पति देव, जल्दी करो, हम आज अकेले नहीं हैं।” अंकल बोले, “अरे मेरी जान, तुझे अकेले कहाँ मजा आता है? आज मैं तुझे कृष्णकांत के सामने चोदूँ?” चाची गरम हो गईं और फट से अंकल का अंडरवियर नीचे खींच दिया। फिर अपनी पैंटी भी उतार दी। चाची की चूत इतनी गीली थी कि उसकी चिकनाई की चप-चप आवाज मुझे साफ सुनाई दे रही थी।

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चाची ने अंकल का लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाल लिया। फिर बोलीं, “हरामी पति, कृष्णकांत के सामने क्यों चोदना है तुझे? अपनी पत्नी की इज्जत का ख्याल नहीं है क्या? आह्ह्ह!” अंकल बोले, “हरामी तो तू है, कृष्णकांत का नाम सुनते ही जोश में आ गई। चोद, और जोर से चोद!” चाची चिल्लाईं, “मादरचोद, आह्ह, चोद अपनी पत्नी को और जोर से!” अंकल ने चाची का मुँह दबाया और बोले, “भेनचोद, साली, आज बड़ा मजा आ रहा है। आज तुझे चोद-चोदकर मार डालूँगा!” फिर अंकल ने चाची को ऊपर किया और खुद नीचे लेट गए। चाची इतने जोर से अंकल के लंड पर कूद रही थीं कि बेड हिल रहा था। अंकल गालियाँ दे रहे थे, प्यार भरी बातें कर रहे थे। चाची बोलीं, “आह्ह, धीरे, कृष्णकांत उठ न जाए!” अंकल बोले, “साली, चुदना है तो उससे बोल, आज मैं बड़े मूड में हूँ तुझे खुश करने के लिए।” चाची ने जवाब दिया, “साले, सचमुच चोदूँगी तो तेरी गाँड जल जाएगी!” और वो और जोर से अपनी चूत को अंकल के लंड पर रगड़ने लगीं।

अंकल ने चाची को गले लगाकर मेरे और करीब खींच लिया। अब चाची और मेरे बीच बस एक उंगली का फासला था। फिर अंकल ने चाची की चूत चाटनी शुरू की। शायद उन्होंने अपनी पूरी जीभ चाची की चूत में डाल दी थी। चाची की सिसकारियाँ मेरे कान के पास थीं। वो बोल रही थीं, “आह्ह… स्वामी, और चाटो, और चाटो… अपनी जीभ लंड की तरह डालो और मेरी चूत खा जाओ!” अंकल बोले, “आज मैं तुझे डर-डर के चोदूँगा।” चाची ने पूछा, “कैसे?” अंकल ने चाची को खींचकर मेरे और करीब लाया। मैंने डर के मारे आँखें बंद कर लीं। दो मिनट बाद मुझे कुछ हलचल महसूस हुई। चाची की आवाज आई, “अजी, मत करो, कृष्णकांत उठ जाएगा।” अंकल बोले, “वो नहीं उठेगा, उसने दारू पी रखी है।”

तीन मिनट बाद मैंने हल्के से आँखें खोलीं। मेरे बाएँ तरफ चाची का एक पैर था, और दाएँ तरफ दूसरा। मतलब, मैं चाची के पैरों के बीच लेटा था। ऊपर देखा तो चाची की रसीली चूत ठीक मेरे मुँह के ऊपर थी, बस एक फीट की दूरी पर। अंकल चाची की कमर पकड़कर उन्हें पीछे से चोद रहे थे। अंकल बोले, “कैसा लग रहा है मेरी हरामी पत्नी को भतीजे के ऊपर चुदने में?” चाची बोलीं, “हरामी, भेनके लौड़े, अगर भतीजा उठ गया तो माचुद जाएगी!” क्या सीन था! मैं पागल हो रहा था, लेकिन मुठ भी नहीं मार सकता था, वरना उन्हें पता चल जाता।

चुदते-चुदते चाची सिसकने लगीं, “गाँडू, चोद, और चोद! मादरचोद, और जोर से चोद, नहीं तो इसके मुँह पर बैठ जाऊँगी!” अंकल ने ये सुनते ही चाची की गाँड पर थप्पड़ मारा और जोर-जोर से चोदने लगे। फिर उन्होंने चाची की गाँड में उंगली डाल दी। चाची चिल्लाईं, “गाँडू भड़वे!” और एक हाथ अपनी चूत के पास ले जाकर अपने क्लिट को रगड़ने लगीं। दोनों पागल हो गए थे। अचानक चाची की चूत इतनी गीली हो गई कि उसका एक बूंद मेरे होंठ पर गिर गया। मधु चाची का मधुर रस मेरे होंठों को छूकर मुझे दीवाना कर गया। मैंने उसे चाट लिया। अब मेरे शेर ने खून चख लिया था।

अंकल ने चाची की ब्रा को पीछे से पकड़ा और जोर-जोर से चोदने लगे। चाची के बूब्स हिल रहे थे, लेकिन मैं उन्हें देख नहीं पा रहा था। चाची चिल्लाईं, “कम ऑन, कम ऑन, मैं झड़ने वाली हूँ, कमीने, हरामखोर, चोद! भेनचोद!” और दोनों एक साथ झड़ गए। उनका थोड़ा सा रस मेरी छाती और गर्दन पर गिरा। अंकल और चाची अलग हुए। अंकल तुरंत नशे में सो गए। चाची ने अपनी पैंटी से मेरे ऊपर गिरा रस साफ किया और मेरे नाम से पुकारा, “कृष्णकांत?” मैंने सोने का नाटक किया। फिर चाची भी नंगी ही मेरे बगल में सो गईं। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। पता नहीं क्यों, वो आधा घंटा रोते-रोते सो गईं। मैं समझ नहीं पाया कि वो खुशी के आँसू थे, पछतावे के, डर के, या प्यार के।

करीब एक घंटे बाद अंकल जोर-जोर से खर्राटे लेने लगे। मुझे यकीन हो गया कि वो गहरी नींद में हैं। चाची भी शायद सो गई थीं। मेरा मुठ मारना बाकी था। मैंने जोर-जोर से लंड हिलाना शुरू किया। फिर अनजाने में मेरा हाथ चाची की गाँड पर चला गया। उनकी गाँड को छूते ही मेरा लंड और टाइट हो गया। मैंने हल्के से उंगली उनकी गाँड के बीच में डाली और चूत के पास ले गया। उनकी चूत अभी भी थोड़ी गीली थी। मैंने उस रस को उंगली पर लगाया और अपने लंड पर मला। फिर एक बार उनकी चूत को छुआ और उस रस वाली उंगली को मुँह में डाल लिया। बस, फिर मैं झड़ गया। मेरा रस मेरे हाथ में था। मैंने थोड़ा सा रस चाची की चूत पर लगा दिया और खुशी-खुशी सो गया।

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अगले दिन सुबह जब मैं उठा, अंकल तैयार होकर चाची से कुछ बात कर रहे थे। वो मंडे था, और अंकल को जॉब के लिए दूसरी सिटी जाना था। अंकल ने मुझे गुड मॉर्निंग कहा, मैंने भी उन्हें और चाची को गुड मॉर्निंग बोला। अंकल ने बताया कि वो 5 दिन घर पर नहीं होंगे, अगले वीकेंड को आएँगे। मैंने “OK” कहा और फिर सो गया। मैं खुशी से पागल हो गया, ये सोचकर कि अब मैं और मधु चाची अकेले होंगे—एक ही बेड पर, एक ही शॉवर में, एक ही सोफे पर, एक ही किचन में। आह्ह्ह!

अगले दिन सुबह चाची ने मुझे नाश्ते के लिए बुलाया। वो किचन में खड़ी थीं, हल्की पिंक साड़ी में, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। मैं किचन में गया और चाची को देखकर बोला, “मधु चाची, आप तो सुबह-सुबह भी इतनी हॉट लग रही हो।” चाची हँसीं और बोलीं, “बस कर, कृष्णकांत, सुबह-सुबह तारीफ मत कर। नाश्ता कर, फिर बताऊँगी तुझे हॉट क्या होता है।” उनकी ये बात सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने नाश्ता किया, लेकिन मेरी नजर बार-बार चाची की गाँड और बूब्स पर जा रही थी। नाश्ते के बाद चाची बोलीं, “कृष्णकांत, आज मैं तुझे शहर घुमाऊँगी। तैयार हो जा।” मैंने कहा, “चाची, आप जो कहो, मैं तैयार हूँ।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “अच्छा, तो आज रात को भी तैयार रहना।”

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शाम को हम शहर घूमकर लौटे। चाची ने मुझे एक रेस्टोरेंट में डिनर करवाया। वो रेड ड्रेस में थीं, जो इतनी टाइट थी कि उनकी हर एक कर्व दिख रही थी। डिनर के दौरान चाची मेरे करीब बैठी थीं। उनकी जाँघ मेरी जाँघ से टच हो रही थी। मैंने जानबूझकर अपना हाथ उनकी जाँघ पर रख दिया। चाची ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुराईं। फिर बोलीं, “कृष्णकांत, तू बड़ा शरारती हो गया है।” मैंने कहा, “चाची, आपके सामने तो कोई भी शरारती हो जाए।” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “रुक, घर चल, फिर देखती हूँ तेरी शरारत।”

घर पहुँचकर चाची ने कहा, “कृष्णकांत, तू फ्रेश हो जा। मैं भी चेंज करके आती हूँ।” मैं बाथरूम गया और शॉवर लिया। जब बाहर आया तो चाची ने फिर वही रेड साटिन नाइटी पहनी थी। वो सोफे पर बैठी थीं, एक ग्लास वाइन लिए हुए। मैं उनके पास गया और बोला, “चाची, आप तो आज रात कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही हो।” चाची ने मुझे अपने पास बुलाया और बोलीं, “कृष्णकांत, तू भी तो कम नहीं है।” फिर वो मेरे करीब आईं और मेरे गाल पर एक चुम्मा दे दिया। मेरे बदन में करंट दौड़ गया। मैंने हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ा और बोला, “चाची, आप मुझे पागल कर रही हो।” वो बोलीं, “तो पागल हो जा, लेकिन आज रात कुछ नहीं होगा। अंकल के आने तक इंतजार कर।”

उस रात हम एक ही बेड पर सोए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। चाची की साँसों की गर्मी और उनकी खुशबू मुझे रात भर सता रही थी। अगले 4 दिन हम दोनों ने साथ में बहुत वक्त बिताया। चाची मुझे शहर घुमातीं, मेरे साथ मस्ती करतीं, और हर बार उनकी हरकतें मुझे और जोश दिलातीं। पाँचवें दिन अंकल वापस आए। उस रात फिर वही हुआ। अंकल और चाची ने मेरे सामने ही चोदना शुरू कर दिया। इस बार मैंने हिम्मत की और चाची की गाँड को हल्के से छुआ। चाची ने कुछ नहीं कहा, बस सिसकारी भरी। फिर वो मेरे और करीब आईं और मेरे कान में बोलीं, “कृष्णकांत, तू बहुत बुरा है।” मैंने कहा, “चाची, आपने मुझे ऐसा बनाया है।”

स्टोरी अभी बाकी है। अगले पार्ट में बताऊँगा कि कैसे मैंने और चाची ने अंकल के सामने और अकेले में गंदा सेक्स किया। और हाँ, चाची उस रात क्यों रो रही थीं, वो भी पता चलेगा।

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