हेलो मेरे प्यारे दोस्तों, उम्मीद है आप सब मजे में होंगे। मैं मोहित, कानपुर से, और आज फिर आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ। सबसे पहले तो आप सबके प्यार और तारीफों के लिए दिल से शुक्रिया। मैं यहाँ सिर्फ मनोरंजन के लिए कहानियाँ लिखता हूँ, ये सब काल्पनिक हैं, किसी सच्ची घटना से कोई लेना-देना नहीं। आप अपने विचार मुझ तक जरूर पहुंचाएँ, चाहे जो भी शेयर करना हो।
बात उस वक्त की है जब मैं बी.टेक के तीसरे साल में था और छुट्टियों में घर आया था। काफी दिन बाद घर लौटा था, तो घर पर धूल-मिट्टी का आलम था। मेरे घर के बगल में एक पंजाबी परिवार रहता है। अंकल और मेरे पापा एक ही जगह काम करते हैं, तो हमारी उनकी फैमिली से अच्छी जान-पहचान है। उनके घर में तीन बच्चे हैं—एक बड़ा बेटा जो दिल्ली में रहता है, और दो बेटियाँ, जो लगभग एक ही उम्र की हैं।
बड़ी का नाम सिम्पी है और छोटी को डिम्पल बुलाते हैं। दोनों देखने में गोरी-चिट्टी हैं, और उनका फिगर भी कमाल का है। लेकिन डिम्पल का फिगर तो जैसे परफेक्ट था—पतली कमर, भरे हुए उभार, और वो चलती थी तो हर कोई बस देखता रह जाता। मेरे जितने भी दोस्त आस-पास रहते थे, वो सब जानते थे कि दोनों बहनें थोड़ी चुलबुली और चालू टाइप की हैं। मैं तो ज्यादातर बाहर ही रहता था, कभी-कभार घर आता था, लेकिन फोन पर बातें होती थीं, और जब भी आता, उनकी हरकतें देख लेता। शाम को हम लोग बैडमिंटन खेलते थे, और मुझे बड़ा मजा आता था जब डिम्पल भाग-भागकर शटलकॉक मारती थी। उसके उछलते हुए उभार देखकर मैं जानबूझकर उसे और दौड़ाता था, ताकि वो और हिलें।
एक रात की बात है, मुझे नींद नहीं आ रही थी। रात के करीब दो बज रहे थे। मैं उठा और छत पर चला गया। कानों में हेडफोन लगाकर म्यूजिक सुन रहा था। अचानक मुझे अपनी छत के पास से किसी के फुसफुसाने की आवाज सुनाई दी। मैंने धीरे-धीरे उस तरफ देखा तो पाया कि डिम्पल अपनी छत पर खड़ी किसी से बात कर रही थी। पहले मुझे लगा शायद बॉयफ्रेंड से फोन पर बात कर रही होगी, लेकिन थोड़ी देर बाद देखा कि कोई लड़का नीचे खड़ा है, और वो उसी से बात कर रही थी। ये देखकर मेरे दिमाग में शरारत सूझी।
मैंने अपना मोबाइल निकाला और कैमरे का फ्लैश मार दिया, जैसे कोई उसकी तस्वीर ले रहा हो। वो एकदम डर गई, और वो लड़का तो भाग खड़ा हुआ। डिम्पल भी सहमकर अंदर जाने लगी। तभी मैंने आवाज लगाई, “डिम्पल, क्या बात है? रात के दो बजे नींद नहीं आ रही?” वो घबराई हुई बोली, “नहीं भैया, बस ऐसे ही।” मैंने हंसते हुए कहा, “हाँ, जो तू कर रही थी, वो तो मेरे मोबाइल में कैद हो चुका है।” उसे समझते देर न लगी। वो बोली, “मतलब?” मैंने कहा, “मतलब तो कल सबके सामने पता चलेगा।”
वो डर गई और गिड़गिड़ाने लगी, “भैया, प्लीज वो फोटो डिलीट कर दो, वो बस ऐसे ही था, प्लीज।” मैंने शरारती अंदाज में कहा, “देख, अगर मैं ये फोटो किसी को दिखाऊँ, तो मुझे कुछ नहीं मिलेगा। और अगर न दिखाऊँ, तो भी कुछ नहीं मिलेगा। तो मैं क्या करूँ?” उसने पूछा, “आपको क्या चाहिए?” मेरी शरारत और बढ़ गई। मैंने कहा, “अपना टॉप और ब्रा ऊपर कर।” वो सुनकर सन्न रह गई और मना करने लगी।
मैंने कहा, “ठीक है, जा आराम से सो जा, और कल के लिए कोई बहाना ढूँढ ले।” ये सुनकर वो डरते-डरते आँखें बंद करके टॉप और ब्रा ऊपर कर दी। मैं अपनी छत पर था, तो ज्यादा करीब नहीं था, लेकिन उसके गोरे-गोरे उभार साफ दिख रहे थे। मैंने जी भरकर देखा और फिर कहा, “जा, अब सो जा। मैं ये फोटो तेरे सामने डिलीट कर दूँगा।” लेकिन मैं मौके की तलाश में था।
दो-तीन दिन बाद मौका मिला। आंटी हमारे घर गप्पे मारने आई थीं। मैंने बहाना बनाकर उनके घर चला गया। सिम्पी कॉलेज गई थी, और घर में डिम्पल अकेली थी। मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं था, शायद डेढ़ घंटा ही। डिम्पल मुझे देखकर थोड़ा घबरा गई और बोली, “मम्मी तो आपके घर गई हैं।” मैंने कहा, “हाँ, तो फोटो डिलीट नहीं करानी?” वो बोली, “हाँ, प्लीज अभी डिलीट कर दीजिए।”
मैंने बिना कुछ कहे उसके करीब जाकर उसके उभारों को दबा दिया। वो डरकर पीछे हट गई। मैंने कहा, “देख, एक ही रास्ता है। तू मेरा साथ दे, तो तू भी खुश, मैं भी खुश।” वो मना करने लगी, तो मैंने कहा, “ठीक है, रहने दे। अब बहाना सोचना शुरू कर।” ये सुनकर वो डर गई और आँखें बंद करके टॉप और ब्रा उतार दी। उसके गोरे, गोल-गोल उभार मेरे सामने थे, निप्पल हल्के गुलाबी, जैसे अभी-अभी खिले हों। मैंने धीरे से उन्हें दबाया, फिर एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी साँसें तेज हो गईं, और वो हल्का सा काँप रही थी।
करीब पंद्रह मिनट तक मैं उसके उभारों को चूसता रहा, कभी एक को, कभी दूसरे को, और बीच-बीच में उन्हें हल्के से काट भी लेता। उसकी सिसकारियाँ शुरू हो चुकी थीं। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटने को कहा। वो फिर मना करने लगी। इस बार मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा, “मुझे तुझसे कोई मतलब नहीं। जा, अब घर पर जवाब देना।” ये सुनकर वो तुरंत आँखें बंद करके लेट गई। उसके उभार खुले हुए थे, और उसकी साँसें तेज चल रही थीं।
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मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसके ऊपर लेट गया। उसके होंठों को चूमने लगा, गहरी-गहरी स्मूच। मेरी छाती उसके उभारों से टकरा रही थी, और वो दबाव महसूस करके हल्का सा सिहर रही थी। मेरी तो जैसे जान निकल रही थी। काफी देर स्मूच करने के बाद मैंने धी彼此
System: रे से दबा दिया। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी सलवार के ऊपर उसकी चूत पर रखा और हल्के-हल्के दबाने लगा। उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत की गर्मी मेरे हाथ में महसूस हो रही थी। मेरा ये तरीका काम कर रहा था। वो अब धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी थी। आखिर वो भी तो एक जवान लड़की थी, कब तक नखरे करती। उसकी हल्की-हल्की सिसकारियाँ मेरे जोश को और बढ़ा रही थीं। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डाल दिया। उसकी चूत इतनी मुलायम थी कि मेरे होश उड़ गए। गीली, गर्म, और टाइट। पंजाबी थी न, तो चूत भी गोरी, बस हल्के-हल्के रेशे जैसे गुलाबी होंठों पर छोटी-मोटी सजावट। मैंने अपने होंठ उसकी चूत के होंठों पर रख दिए और जीभ से अंदर तक चाटने लगा। वो तो जैसे सब कुछ भूल चुकी थी। उसका जोश देखकर मैं और पागल हो गया। करीब 15 मिनट तक मैंने उसकी चूत को चूमा, चाटा, और वो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। वो मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत में दबा रही थी, जैसे कह रही हो, “और कर, रुकना मत।” उसकी चूत लाल हो चुकी थी, गीली और चमक रही थी।
फिर मैं उठा और उसके होंठों को फिर से चूसने लगा। अब मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दी। मेरा लंड उसके सामने था, तना हुआ, तैयार। उसने उसे पकड़ा और धीरे-धीरे दबाने लगी। मैंने पूछा, “इस पर किस दे सकती हो?” उसने बिना कुछ कहे मेरे लंड का अगला हिस्सा मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कभी जीभ से चाटती, कभी हल्के से दाँतों से काटती। मेरा हाल खराब था, लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया। मुझे मुँह में झड़ना पसंद नहीं। मैं तो पहले से तैयार था, कंडोम साथ लाया था। मैंने उसे पहन लिया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपनी तरफ खींचा, उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मैंने अपने लंड पर उसकी चूत का पानी लगाया, ताकि आसानी हो। फिर धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। वो सिहर रही थी, हर धक्के के साथ उसका बदन ऊपर उठ रहा था। मैंने देखा, खून नहीं निकला। समझ गया, इसकी सील पहले ही टूट चुकी है। मैंने बिना वक्त गँवाए एक जोरदार झटका मारा। वो हल्का सा चिल्लाई, लेकिन मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी आवाज दब गई। फिर मैंने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू किए। हर झटके के साथ उसका जोश बढ़ता जा रहा था।
करीब 15-20 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग तरीके से चोदा। कभी धीरे, कभी तेज। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसका बदन पसीने से तर था, और उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैं अपने चरम पर था। कई जोरदार झटकों के बाद मेरा माल निकल गया। मैंने जल्दी से बाथरूम जाकर साफ किया। जब वापस आया, वो वैसे ही लेटी थी, साँसें तेज, बदन नंगा। मैंने फिर उसकी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और जोर-जोर से हिलाने लगा। वो दो मिनट में फिर झड़ गई। उसका बदन काँप रहा था, जैसे बिजली का झटका लगा हो।
फिर मैंने उसके उभारों और होंठों को चूमा, उसे कपड़े पहनाए, और खुद भी कपड़े पहन लिए। मैंने उससे माफी माँगी और कहा, “मेरे पास कोई फोटो नहीं थी, मैंने झूठ बोला था।” वो मुस्कुराई और बोली, “मैंने बहुत मजा किया।” मैंने उसे थैंक्स कहा, हँसा, और उसे किस करके अपने घर वापस आ गया।
बस यही थी मेरी कहानी। उम्मीद है आपको बहुत मजा आया। आपके विचारों का इंतजार रहेगा।