नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम मोनू है, और मेरी बड़ी बहन का नाम आस्था सिंह है। आस्था दीदी मुझसे दो साल बड़ी हैं, यानी 22 साल की, और मैं 20 का हूँ। दीदी का रंग दूध सा गोरा, शरीर ऐसा कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां, 34D की, गोल-मटोल और तनी हुई हैं। उनकी कमर पतली, सांप सी बलखाती है, और गांड इतनी उभरी हुई कि जींस में भी हर कर्व साफ दिखता है। उनकी गांड को देखकर ऐसा लगता है जैसे मुलायम रुई का तकिया हो, जिसे बस दबाने और चूमने का मन करे। जो भी उन्हें देखता है, उसका लंड तुरंत खड़ा हो जाता है, और बिना मुठ मारे वो रह ही नहीं सकता।
आस्था दीदी की जवानी का आलम ये है कि वो साली एक नंबर की चुदक्कड़ हैं। उनकी चाल, उनकी हंसी, और वो नशीली आंखें किसी को भी बेकाबू कर दें। वो जिसके साथ चुदती हैं, उसे ऐसा मजा देती हैं कि वो बार-बार उनके पास लौट आता है। ये XXX इन्सेस्ट कहानी उसी आस्था दीदी की है।
मेरी मम्मी, राधा, भी कम नहीं। 42 साल की उम्र में भी वो इतनी हॉट हैं कि उनकी 36C की चूचियां और भारी-भरकम गांड देखकर कोई भी उनकी चुदाई के सपने देखने लगे। उनका रंग गोरा, चेहरा ऐसा कि उम्र का पता ही न चले। मम्मी स्कूल में टीचर हैं, और पापा, रमेश, मेडिकल स्टोर चलाते हैं। दोनों को दीदी की चुदक्कड़ आदतों का अंदाजा है। पापा को शायद दीदी की मोटे लंड की पसंद का पता था, पर वो उसे कभी रंगे हाथों नहीं पकड़ पाए थे। कैसे? ये मैं बाद में बताऊंगा। पापा शायद दीदी को चोदना चाहते थे, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
बात उस वक्त की है जब मैं बारहवीं में था, और दीदी कॉलेज में चली गई थीं। दीदी को मोटा लंड बहुत पसंद था। एक दिन मैं स्कूल से जल्दी घर आया। घर में सन्नाटा था, सिवाय कुछ अजीब सी आवाजों के। मैंने दीदी के कमरे की ओर देखा तो दरवाजा हल्का सा खुला था। मैं चुपके से पास गया और झांका। अंदर का मंजर देखकर मेरे होश उड़ गए। दीदी पूरी नंगी बिस्तर पर थीं, उनकी टांगें हवा में थीं, और मेरा दोस्त अजय उनका बुरा हाल कर रहा था। उसका 7 इंच का लंड दीदी की चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। “थप-थप-थप…” चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी। दीदी की चूचियां उछल रही थीं, और वो जोर-जोर से गालियां दे रही थीं, “चोद साले, और जोर से! मादरचोद, मेरी चूत फाड़ दे! आह… ऊह… साले, तेरे लौड़े में दम नहीं है क्या?” अजय पूरा जोश में था, दीदी की एक चूची को मुँह में लेकर चूस रहा था, और “हूँ-हूँ” की आवाजें निकाल रहा था।
मैं ये सब देखकर सन्न रह गया। मेरा 8 इंच का लंड पैंट में तंबू बना रहा था। जैसे ही अजय का पानी छूटने वाला था, मैंने जोर से खांसा। अजय घबरा गया, अपने कपड़े उठाए, और भाग खड़ा हुआ। दीदी बिस्तर पर नंगी पड़ी थीं, उनकी चूत गीली थी, और वो हांफ रही थीं। मैंने गुस्से में उनसे कहा, “कब से चुदवा रही हो, रंडी? साली मादरचोद कुतिया!” दीदी घबराकर बोलीं, “मोनू, पहली बार था! तूने देख लिया… अब नहीं करूंगी, पक्का!” उनकी आवाज में डर था, पर उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी।
मैं गुस्से में घर से निकला और पापा के मेडिकल स्टोर पर चला गया। वहां बैठकर मैं सोचने लगा कि अब क्या करूं। तभी मेरे दिमाग में दीदी की चुदाई का वो मंजर फिर से चलने लगा। उनकी नंगी चूत, उछलती चूचियां, और वो गालियां… मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। सच कहूं, आज से पहले मैंने दीदी को चोदने के बारे में कभी नहीं सोचा था। लेकिन अब मेरा लंड बेकाबू हो रहा था। मैंने सोचा, अगर दीदी को लंड की जरूरत है, तो क्यों न मैं ही उनकी चूत की प्यास बुझाऊं? इससे घर की बात घर में रहेगी, और मुझे मुठ मारने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। शायद दीदी भी यही चाहती थीं, क्योंकि वो मुझे बाथरूम में देखकर भी चुप रही थीं।
उस दिन मम्मी कॉलेज में देर तक रुकने वाली थीं, बोली थीं कि कुछ जरूरी काम है। पापा दुकान पर थे। मैंने मन बना लिया कि आज दीदी से अपनी मन की बात कह दूंगा। घर लौटा तो दीदी बाथरूम में थीं। पानी की छप-छप की आवाज आ रही थी। मैंने दरवाजे की झिरी से झांका। दीदी पूरी नंगी नहा रही थीं। उनकी गुलाबी चूत बिल्कुल साफ थी, बिना झांटों वाली। उनकी चूचियां पानी से भीगी थीं, और भूरे निप्पल कड़क होकर तन गए थे। वो अपनी चूत में उंगली कर रही थीं, शायद अजय से चुदते वक्त अधूरी रह गई थीं। उनकी गांड हिल रही थी, जैसे कोई मुलायम लहर उठ रही हो। “आह… स्स्स… ऊह…” उनकी सिसकारियां सुनकर मेरा लंड तन गया।
घर पर कोई नहीं था। मैंने बाथरूम का दरवाजा दबाया, वो खुला था। मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया। दीदी को उंगली करते देखकर मैंने अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया। अचानक दीदी की नजर मुझ पर पड़ी। वो चौंक गईं और नहाने का पट्टा छोड़कर बैठ गईं। फिर वो मुझे अनदेखा करके टांगें फैलाकर अपनी चूत में उंगली करने लगीं। “आह… ऊह… स्स्स…” उनकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में गूंज रही थीं। दीदी ने अपनी उंगली चूत से निकाली और उसे चाट लिया। फिर तौलिया लपेटकर बाहर निकल आईं।
मैं नंगा खड़ा था, मेरा लंड हवा में तन रहा था। दीदी ने उसे देखा और डर गईं। फिर बोलीं, “ये क्या कर रहा है, मोनू? मम्मी को बताऊंगी कि तूने मुझे नहाते देखा!” मैंने कहा, “अच्छा? और मैं पापा को तेरी चुदाई की वीडियो दिखाऊंगा, जो मैंने आज सुबह बनाई थी!” दीदी चुप हो गईं। वो समझ गई थीं कि मैं अब उन्हें चोदकर ही मानूंगा।
उसी वक्त पापा का फोन आया, “मोनू, मरीज देखने जाना है, जल्दी दुकान आ!” मैं दीदी को घूरता हुआ चला गया। दुकान पर पहुंचकर मैंने एक लंड खड़ा करने वाली गोली खा ली और कुछ गोलियां जेब में रख लीं। मुझे पता था कि पापा एक घंटे में लौट आएंगे, और तब तक गोली का असर हो जाएगा। वही हुआ। मेरा लंड लोहे सा कड़क हो गया। मैं घर लौटा तो मम्मी कॉलेज से आ चुकी थीं। उनकी हालत देखकर लगा कि आज वो चुदकर नहीं आई थीं, क्योंकि उनकी साड़ी सलीके से बंधी थी, और चेहरा ताजा था। मुझे डर था कि कहीं दीदी मम्मी को सुबह की बात न बता दे, पर दीदी ने कुछ नहीं कहा। मैं समझ गया कि वो मुझसे चुदने को तैयार हैं।
शाम को मम्मी-पापा मामा के घर बर्थडे पार्टी में गए। वो रात भर रुकने वाले थे। मैंने सोचा, आज रात दीदी की चूत और गांड दोनों फाड़ दूंगा। पापा के जाते ही मैंने दुकान बंद की, कोल्ड ड्रिंक और नाश्ता लिया, और घर आ गया। दीदी ने पूछा, “इतनी जल्दी दुकान बंद कर दी?” मैंने कहा, “दीदी, शरीर में दर्द है।” वो बोलीं, “नहा ले, मैं तेल मालिश कर दूं।” मैं समझ गया कि दीदी मौके की तलाश में हैं।
मैं नहाने गया। दीदी ने मेरा पर्स चेक किया और बोलीं, “तेरे पास सेक्स की गोलियां हैं? फीमेल वाली भी?” मैं डर गया कि कहीं पापा को न बता दे। मैंने कहा, “दीदी, तेरे लिए लस्सी लाया हूँ, फ्रिज में है, पी ले।” मैंने लस्सी में कामोत्तेजक गोली मिला दी थी। दीदी ने लस्सी पी ली। मैं इंतजार करने लगा। मैंने अपने लंड की झांटें साफ कीं, क्रीम लगाकर मालिश की। मुठ मारने की कोशिश की, पर गोली के असर से वीर्य निकल ही नहीं रहा था।
थोड़ी देर बाद दीदी बाथरूम के पास आईं और बोलीं, “बाहर निकल, मुझे नहाना है।” मैं नंगा बाहर आया। दीदी ने मेरा लंड देखा और बोलीं, “लेट जा, मैं नहाकर आती हूँ।” मैं बिस्तर पर नंगा लेट गया, सोचने लगा कि आज दीदी की चूत का भोसड़ा बना दूंगा। दीदी बाथरूम से तौलिया लपेटकर आईं। वो मिरर के सामने खड़ी होकर खुद को निहार रही थीं। मैं चादर ओढ़कर सोने का नाटक कर रहा था, पर मेरा लंड चादर में तंबू बना रहा था। दीदी ने तौलिया उतारा। उनकी मलाईदार गांड, गीली चूत, और बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर मेरा लंड गुर्राने लगा।
दीदी ने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी, फिर लेगिंग और कुर्ती। वो मेरे पास आई और बोलीं, “उठ, मालिश कर दूं।” मैं समझ गया कि वो मेरा लंड सहलाना चाहती हैं। रात के 11 बज चुके थे। दीदी गोली के असर से चुदासी हो चुकी थीं। मैंने चादर हटाई। मेरा लंड सूजा हुआ था।
दीदी ने मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। उनकी नरम उंगलियां मेरे लंड के टोपे पर फिसल रही थीं। वो तेल को मेरे लंड की जड़ तक मल रही थीं, और उनकी आंखों में वासना की चमक थी। “मोनू, तेरा लंड तो पत्थर सा कड़क है,” वो धीरे से बोलीं, उनकी आवाज में हल्की सी कांप थी। मैंने कहा, “दीदी, तू भी तो कम नहीं। तेरी चूत की गर्मी तो मुझे बाथरूम में ही महसूस हो गई थी।” वो हंस दीं और बोलीं, “साले, चुप रह! अभी तो बस शुरुआत है।”
उन्होंने मेरे लंड को और जोर से सहलाया, फिर धीरे से अपनी जीभ निकालकर मेरे टोपे को चाटा। “आह… दीदी… ऊह…” मैं सिसकारियां लेने लगा। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर लपलप कर रही थी, जैसे कोई आइसक्रीम चाट रही हो। वो मेरे लंड के साइड्स को चूम रही थीं, और बीच-बीच में मेरी आंखों में देखकर मुस्कुरा रही थीं। “मजा आ रहा है, बहनचोद?” वो बोलीं, और मैंने कहा, “हाँ, दीदी… तू तो कमाल है।”
दीदी ने मेरे लंड को मुँह में लिया। उनकी गर्म सांसें मेरे लंड को और गर्म कर रही थीं। वो धीरे-धीरे मेरे लंड को चूस रही थीं, और उनकी जीभ मेरे टोपे के चारों ओर घूम रही थी। “स्स्स… आह… दीदी… और चूस…” मैं तड़प रहा था। दीदी ने मेरे लंड को गहराई तक लिया, और उनकी सिसकारियां “मम्म… हम्म…” कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनके सिर को पकड़ा और धीरे से अपने लंड की ओर दबाया। वो और जोश में आ गईं।
मैंने उनकी कुर्ती के ऊपर से उनकी चूचियां दबाईं। उनकी ब्रा के नीचे उनके निप्पल कड़क हो चुके थे। मैंने उनकी कुर्ती उतारी, और उनकी काली ब्रा में उनकी चूचियां और भी सेक्सी लग रही थीं। मैंने उनकी ब्रा खोली, और उनकी चूचियां आजाद हो गईं। मैंने उनके निप्पल चूसे, और वो सिसकारीं, “आह… मोनू… और चूस… मेरी चूचियां चूस…” मैंने उनकी चूचियों को दबाया, चूसा, और उनके निप्पल को हल्के से काटा। वो तड़प उठीं, “स्स्स… मादरचोद… और कर…”
मैंने उनकी लेगिंग उतारी, और उनकी काली पैंटी में उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। पैंटी गीली थी, और उसमें उनकी चूत की खुशबू थी। मैंने उनकी पैंटी उतारी, और उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। “आह… ऊह… मोनू… चाट मेरी चूत…” दीदी की सिसकारियां तेज हो गईं। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और गर्म था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया, और वो तड़पने लगीं, “स्स्स… मम्मी… और चाट… बहनचोद…”
मैंने उनकी गांड को सहलाया, और उनकी गांड के छेद को उंगली से छुआ। वो सिहर उठीं, “मादरचोद… गांड में उंगली मत कर… चोद दे अब!” तभी दीदी के फोन पर अजय की बहन पायल का कॉल आया। दीदी ने स्पीकर ऑन किया। पायल बोली, “आस्था, मैं और मेरा भाई तेरे घर आ रहे हैं। मैं तेरे भाई से चुदवाऊंगी, और तू मेरे भाई से चुद ले।” दीदी हंसकर बोलीं, “आ जा, साली! मेरे भाई का लंड खड़ा है तेरी चूत फाड़ने को!” पायल बोली, “हाँ, रंडी! तू तो मेरे भाई से चार साल से चुद रही है!” अजय चिल्लाया, “दरवाजा खोल, बहन की लौड़ी! आज तेरे भाई के साथ तुझे चोदूंगा।”
दीदी ने दरवाजा खोला, और पायल व अजय अंदर आ गए। पायल 21 साल की थी, रंग गोरा, और शरीर आस्था दीदी जितना ही सेक्सी। उसकी चूचियां 34C की थीं, और गांड गोल-मटोल। अजय मुझसे एक साल बड़ा था, और उसका लंड 7 इंच का, मोटा और तना हुआ था। दीदी बोलीं, “पायल, मेरे भाई का ख्याल रख। मैं अजय के साथ बगल वाले कमरे में चुदूंगी।”
पायल मेरे पास बैठी और बोली, “तू आस्था को चोद रहा था?” मैंने कहा, “नहीं, पायल। मैं दीदी को चोदना चाहता हूँ, पर डरता हूँ।” पायल बोली, “डरपोक! मेरे भाई ने मुझे पहली बार में ही चोद दिया था। तू पहले मुझे चोद, फिर मैं आस्था को तुझसे चुदवाऊंगी।” पायल बगल वाले कमरे में गई और दीदी से बोली, “तेरा भाई तेरी गांड मारना चाहता है।” दीदी खुश हो गईं।
अब हम चारों एक साथ चुदाई करने वाले थे। दीदी मेरे पास आईं और मेरे लंड को फिर से चूसने लगीं। “आह… ऊह… दीदी…” मैं तड़प रहा था। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और वो मेरे लंड को गहराई तक ले रही थीं। उधर, अजय पायल की चूत चाट रहा था। वो पायल की टांगें फैलाकर उसकी चूत पर जीभ फेर रहा था, और पायल सिसकारियां ले रही थी, “आह… भाई… चाट… और चाट…”
दीदी उल्टा होकर मेरे मुँह पर अपनी गांड रखकर मेरा लंड चूसने लगीं। उनकी चूत मेरे मुँह के पास थी, और उसकी गर्मी मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। “आह… मोनू… चाट मेरी चूत…” दीदी चिल्ला रही थीं। उनकी चूत गीली थी, और उसका स्वाद नमकीन था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया, और वो तड़पने लगीं, “स्स्स… मम्मी… और चाट… बहनचोद…”
मैंने उनकी चूचियां दबाईं। उनके निप्पल कड़क थे, और मैंने उन्हें चूसा। “आह… ऊह… मोनू… और चूस…” दीदी की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनकी गांड को सहलाया, और उनकी गांड के छेद को उंगली से छुआ। वो सिहर उठीं, “मादरचोद… गांड में उंगली मत कर… चोद दे अब!” मैंने अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया। “ऊई… मम्मी… फट गई मेरी चूत!” दीदी दर्द से चिल्लाईं। मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। “थप-थप-थप…” चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी। दीदी की चूत गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।
मैंने उनकी चूचियां पकड़ीं और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “आह… ऊह… मोनू… चोद… और जोर से… साले… मेरी चूत फाड़ दे…” दीदी गालियां दे रही थीं। मैंने उनकी कमर पकड़ी और और जोर से पेला। आधे घंटे बाद मैं उनकी चूत में झड़ गया। “आह… स्स्स…” दीदी हांफ रही थीं।
पायल ने कहा, “मोनू, मेरी चूत चोद या गांड?” मैंने कहा, “पायल, मैं तेरी चूत और गांड दोनों चोदूंगा।” वो बोली, “लेट जा, मैं तेरे लंड पर चढ़ती हूँ, और मेरा भाई मेरी गांड मारेगा।” मैं लेट गया। पायल ने अपनी जींस और पैंटी उतारी, और मेरे लंड पर बैठ गई। उसकी चूत मेरे लंड को निगल गई। “आह… मोनू… तेरा लंड तो बहुत मोटा है…” वो सिसकारी। अजय ने उसकी गांड में लंड पेल दिया। “ऊई… मम्मी… फट गई…” पायल कांप रही थी।
हम दोनों ने पायल को खूब चोदा। “थप-थप-थप…” चुदाई की आवाज और पायल की सिसकारियां “आह… ऊह… स्स्स…” कमरे में गूंज रही थीं। पायल की चूचियां उछल रही थीं, और मैंने उन्हें पकड़कर दबाया। अजय उसकी गांड मार रहा था, और वो चिल्ला रही थी, “आह… भाई… धीरे… मेरी गांड फट जाएगी…” एक घंटे बाद हम दोनों झड़ गए। पायल की चूत और गांड से वीर्य टपक रहा था।
पायल बोली, “मोनू, मेरी गांड फिर से मार।” अजय ने रोका, “नहीं, उसका लंड बहुत मोटा है, तेरी गांड फट जाएगी।” मैंने कहा, “अजय, एक बार मुझे पायल की गांड चोदने दे। वैसे भी अब आस्था दीदी मुझसे रोज चुदेगी।” दीदी बोलीं, “हाँ, घर का माल घर में रहेगा।” मैंने कहा, “आज पायल की गांड मार लेने दे, फिर दीदी को हम दोनों मिलकर चोदेंगे।” अजय बोला, “ठीक है, मैं लेटता हूँ। पायल मेरे लंड पर चढ़ेगी, और तू उसकी गांड मार।”
मैंने पायल की गांड में लंड डाला। “ऊई… मम्मी… निकाल साले… मेरी गांड फट जाएगी!” पायल चिल्लाई। मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरा लंड अंदर पेल दिया। “थप-थप… आह… ऊह…” पायल की गांड टाइट थी, और मैंने उसके दूध पकड़कर उसे जोर-जोर से पेला। वो चिल्लाती रही, फिर मजा लेने लगी। एक घंटे बाद हम झड़ गए।
अजय ने कहा, “चल, एक और डोज लेते हैं, फिर आस्था को चोदेंगे।” दीदी अजय के लंड पर बैठ गईं। मैंने दीदी की गांड चाटी। उनकी गांड कुंवारी थी। मैंने अपनी जीभ उनके छेद पर फेरी। “आह… मोनू… चाट… मेरी गांड चाट…” दीदी तड़प रही थीं। मैंने उनकी गांड में उंगली डाली, और वो सिहर उठीं। फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड में पेल दिया। “ऊई… मम्मी… निकाल साले… फट गई मेरी गांड!” दीदी चिल्लाईं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे। “थप-थप… आह… ऊह…” दीदी की गांड टाइट थी, और मेरा लंड उसमें फंस रहा था। मैंने पूरा लंड अंदर डाला और चोदने लगा।
दीदी चिल्ला रही थीं, “आह… ऊह… मम्मी… तेरा लंड गहराई तक जा रहा है… साले… धीरे…” मैंने उनकी चूचियां पकड़ीं और जोर-जोर से पेला। आधे घंटे बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया। अजय बोला, “चल, अब आस्था की चूत में दो लंड डालते हैं।” दीदी बोलीं, “साले, पहले मेरी गांड की सील तोड़ी, अब चूत भी फाड़ दोगे?” मैंने कहा, “दीदी, आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।”
हमने कोशिश की, पर दो लंड एक छेद में नहीं जा रहे थे। मैंने जोरदार झटका मारा, और दोनों लंड अंदर चले गए। “आह… मम्मी… फट गई मेरी चूत!” दीदी चिल्ला रही थीं। हमने उसे खूब चोदा। “थप-थप-थप…” चुदाई की आवाज और दीदी की सिसकारियां “आह… ऊह… स्स्स…” कमरे में गूंज रही थीं। दीदी की चूत गीली थी, और हमारा वीर्य उसमें मिल गया। हम दोनों झड़ गए। दीदी की चूत भोसड़ा बन गई थी।
दीदी कराहते हुए बोलीं, “साले, तुम भाई-बहन घर जाओ। अब मैं अपने भाई से चुदवाऊंगी। जो मजा मोनू के लंड में है, वो किसी और में नहीं।” पायल बोली, “मोनू, एक बार मेरी गांड मार ले, फिर हम चले जाएंगे।” दीदी बोलीं, “जा, साली, अपने भाई से घर जाकर गांड मरवा! अब मैं अपने भाई के साथ मजा करूंगी।” पायल बार-बार कह रही थी, “मोनू का लंड मोटा है, मेरे भाई का छोटा और पतला है।” दीदी बोलीं, “मोनू, इस रंडी की गांड जल्दी मार दे!”
मैंने पायल की गांड फिर से चोदी। “थप-थप… आह… ऊह…” पायल चिल्ला रही थी। एक घंटे बाद मैं झड़ गया। अजय और पायल चले गए। सुबह चार बजे थे। दीदी बोलीं, “मोनू, तेरे लंड ने मेरी चूत-गांड फाड़ दी।” हम 69 में लेट गए। मैं उनकी गांड चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। “आह… स्स्स… ऊह…” हम फिर से चुदाई की तैयारी कर रहे थे।
तभी मम्मी-पापा मामा के घर से लौट आए। दरवाजा खुला था, क्योंकि हम भूल गए थे। वो सीधे हमारे कमरे में आ गए। मैं दीदी की गांड मार रहा था, और दीदी चिल्ला रही थीं, “बहनचोद, सारी रात मेरी गांड मारी, अभी मन नहीं भरा? आह… तेरा लंड गहराई तक जा रहा है… ऊह…” मम्मी-पापा बेड के पास खड़े थे। मम्मी बोलीं, “साले, अपनी बहन की गांड चाट रहा है!” मैंने घबराकर पूछा, “आप कब आए?” मम्मी बोलीं, “दस मिनट से देख रहे हैं कि ये रंडी तेरे लौड़े से गांड मरवा रही है। साले, दरवाजा भी खुला छोड़ा!”
पापा बोले, “मोनू को अपनी बहन की गांड चोद लेने दो।” मैंने चादर फेंकी और दीदी की गांड फिर से मारी। “थप-थप… आह… ऊह…” दीदी चिल्ला रही थीं। बीस मिनट बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया। दीदी की गांड से वीर्य टपक रहा था। पापा दीदी की चूचियां देखते हुए बोले, “उठ, बेटी, सुबह हो गई। अब नहा ले।”
मम्मी बोलीं, “साले, इतना चोदा कि इसकी चूत-गांड में घोड़े का लंड जाएगा!” पापा बोले, “घर का माल घर में है।” मम्मी भुनभुनाती हुई मेरा हाथ पकड़कर बाहर ले गईं। मैंने पलटकर देखा तो पापा दीदी की चूचियां मसल रहे थे। मैं समझ गया कि अब घर में नंगा नाच शुरू होगा।
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी चुदाई का मजा लिया है? कमेंट में बताएं!
Koi ho girls ya aunty to message karo
Koi girl’ ya aunty ho to message kre