मेरा नाम नेहा है, और मैं आपको आज एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसमें रिश्तों की मर्यादा तार-तार हो गई। पर क्या करे, जब आग लगे तो मोम को पिघल ही जाना होता है। मैं मोम की तरह पिघल गई, जब मेरे छोटे भाई शुभम का लंड मेरे चूतड़ में सट रहा था। मैं कुछ भी नहीं कर पाई, चुदना नहीं चाहती थी, पर मेरी हवस ने मुझे मजबूर कर दिया। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, पर वो आग मेरे अंदर इतनी तेज थी कि मैंने हार मान ली। खैर, जो हो गया सो हो गया।
मेरी उम्र २२ साल की है, और ये कहानी पिछली सर्दियों की है। मेरे घर में मेरे पापा, मम्मी, और मेरा छोटा भाई शुभम है। हमारा घर दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में है, जहाँ हमारा दो मंजिला मकान है। पापा एक सरकारी ऑफिस में क्लर्क हैं, और मम्मी घर संभालती हैं। वो दोनों बहुत सख्त हैं, खासकर जब बात मेरी और शुभम की आजादी की आती है। शुभम १८ साल का है, कॉलेज में पढ़ता है, और देखने में इतना खूबसूरत है कि कॉलेज की लड़कियाँ उस पर मरती हैं। उसकी गोरी चमड़ी, काली आँखें, और हल्की-सी दाढ़ी उसे और आकर्षक बनाती है। मैं भी कम नहीं हूँ। मेरी चूचियाँ इतनी भरी हुई हैं कि कोई भी उन्हें देखकर डोल जाए। मेरे चूतड़ तो ऐसे हैं कि जब मैं जींस पहनकर निकलती हूँ, तो मोहल्ले के लड़के बिना मुठ मारे शांत नहीं हो पाते।
मैं हमेशा डिज़ाइनर ब्रा और पैंटी पहनती हूँ, ३४ साइज की, जो मेरे बदन को और भी उभारती है। मेरे कई बॉयफ्रेंड हैं, पर मैंने आज तक किसी से चुदाई नहीं की थी। मेरी सील तो मेरे भाई शुभम ने ही तोड़ी।
एक रात की बात है, सर्दी का मौसम था, और ठंड इतनी थी कि रजाई के बिना रहा नहीं जाता था। हम दोनों भाई-बहन मेरे कमरे में मेरे बेड पर बैठकर टीवी पर मूवी देख रहे थे। सेट मैक्स पर कोई रोमांटिक मूवी चल रही थी। पापा और मम्मी अपने कमरे में सोने चले गए थे। मेरा बेड डबल साइज का था, और शुभम का बेड बगल में था, पर वो मेरे बेड पर ही मेरे पास बैठा था। हम दोनों रजाई ओढ़े हुए थे, और मूवी देखते-देखते कब सो गए, पता ही नहीं चला।
रात को अचानक मेरी नींद खुली। मैंने महसूस किया कि मेरा हाथ शुभम के पजामे के अंदर था, और मैं उसका लंड सहला रही थी। मैं नींद में थी, पर जब होश आया तो मेरे पसीने छूट गए। “हे गॉड, ये मैंने क्या कर लिया?” मैंने सोचा। मैं अपने भाई के लंड को सहला रही थी! अगर वो जाग गया होगा तो क्या सोचेगा? मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैं डर और शर्म से काँप रही थी। मैंने चुपचाप करवट बदली और सोने का नाटक करने लगी।
पर मुझे जल्दी ही पता चल गया कि शुभम सोया नहीं था। उसकी साँसें तेज चल रही थीं, और मैं उसकी थूक घोटने की आवाज़ साफ सुन सकती थी। वो जाग रहा था, और शायद उसे भी मेरी हरकत का पता था। मैं शर्म से पानी-पानी हो गई। मेरे दिमाग में सवाल घूम रहे थे—वो मेरे बारे में क्या सोचेगा? क्या मैंने गलत किया? पर मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी थी, जो मुझे चुप रहने को कह रही थी।
करीब पंद्रह मिनट बाद शुभम मेरी तरफ मुड़ा। उसने धीरे से अपना लंड मेरे चूतड़ों के बीच में सटाया। शुरू में तो ज्यादा कुछ समझ नहीं आया, पर कुछ ही देर में उसका लंड मोटा और लंबा हो गया। वो मेरे चूतड़ों के बीचो-बीच था, और ना वो हिल रहा था, ना मैं। मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैं सोने का नाटक कर रही थी, पर मेरे अंदर हवस जाग चुकी थी।
फिर शुभम ने कपड़ों के ऊपर से ही अपने लंड को मेरे चूतड़ों पर ऊपर-नीचे रगड़ा। “उफ्फ… ये क्या हो रहा है?” मैंने मन में सोचा। मैं बेचैन हो रही थी। आज तक मुझे किसी लंड का स्पर्श नहीं हुआ था, और ये एहसास मेरे पूरे शरीर में आग लगा रहा था। मैंने धीरे से अपने चूतड़ शुभम की तरफ दबाए, जैसे उसे बता रही थी कि मैं भी तैयार हूँ। पर मैं अभी भी सोने का नाटक कर रही थी।
शुभम ने अब हिम्मत बढ़ाई। उसने अपनी एक टांग मेरे ऊपर चढ़ाई और अपना लंड मेरे दोनों जांघों के बीच में घुसा दिया। फिर उसने अपना हाथ मेरे टी-शर्ट के नीचे डाला और मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई, पर मैंने खुद को चुप रखा। उसने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे बड़े-बड़े चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। वो उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। “दीदी… तेरे चूचे कितने मुलायम हैं… उफ्फ,” उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में हवस साफ झलक रही थी।
मैं चुप थी, पर मेरा बुर पानी-पानी हो रहा था। मेरे अंदर की आग और तेज हो रही थी। मुझे लग रहा था कि मैं अभी उसके ऊपर चढ़ जाऊँ और उसका मोटा लंड अपनी बुर में घुसा लूँ। शुभम ने अब मेरा ट्रैक सूट और पैंटी को नीचे खिसकाया। उसने मेरे गांड के छेद को सहलाया, फिर मेरे बुर के छेद को। “आह्ह… शुभम… धीरे…” मैंने मन में सोचा, पर मुँह से कुछ नहीं कहा। मेरी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी। उसे भी समझ आ गया कि मैं जाग रही हूँ।
“दीदी, तू सोई नहीं है ना?” उसने धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया। मैं चुप रही, पर मेरे शरीर ने जवाब दे दिया। उसने अपने लंड को मेरी बुर के ऊपर रखा और धीरे से धक्का देने की कोशिश की। पर मेरी बुर इतनी टाइट थी कि लंड अंदर नहीं गया। “आआह्ह… शुभम… दर्द हो रहा है,” मैंने आखिरकार बोल ही दिया। मेरी आवाज़ काँप रही थी, डर और हवस दोनों से।
“बस दीदी… थोड़ा और… मज़ा आएगा,” उसने कहा और फिर से कोशिश की। इस बार करीब चार इंच लंड अंदर गया। “आआआह्ह… मम्मी… उउह्ह,” मैं चीख पड़ी। दर्द के साथ-साथ खून भी निकला, मेरी सील टूट चुकी थी। शुभम रुक गया। “दीदी, ठीक है ना तू?” उसने चिंता से पूछा, पर उसका लंड अभी भी मेरी बुर में था।
“हाँ… बस… धीरे कर,” मैंने हल्की आवाज़ में कहा। मेरे अंदर दर्द था, पर चुदने की चाहत उससे कहीं ज्यादा थी। शुभम ने फिर से एक जोरदार धक्का मारा, और इस बार उसका पूरा लंड मेरी बुर में समा गया। “आआआह्ह… उउह्ह… शुभम… मर गई…” मैं कराह रही थी। “चप… चप… चप…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। शुभम ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। “दीदी… तेरी बुर इतनी टाइट है… उफ्फ… मज़ा आ रहा है,” वो बड़बड़ा रहा था।
मैंने भी अपनी गांड को उसके लंड की तरफ सटाया और चुदवाने लगी। “आह्ह… शुभम… और तेज़… चोद मुझे… आह्ह,” मैंने बेशर्मी से कहा। मेरे अंदर की शर्म अब पूरी तरह खत्म हो चुकी थी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे दोनों टांगों को फैलाकर मुझे चोदने लगा। “उउह्ह… दीदी… तेरी बुर में कितना मज़ा है… आह्ह,” वो कह रहा था। मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगी।
हर धक्के के साथ मेरा शरीर हिल रहा था। “चप… चप… चप…” की आवाज़ और हमारी सिसकारियाँ—“आह्ह… उउह्ह…”—कमरे में गूँज रही थीं। उसने मेरे चूचियों को कभी हाथों से दबाया, कभी मुँह में लेकर चूसा। “आह्ह… शुभम… मेरे चूचे चूस… और जोर से… उउह्ह,” मैं चिल्ला रही थी। मैंने उसे और कसकर जकड़ लिया और चुदवाती रही।
करीब २० मिनट बाद शुभम झड़ गया। “आह्ह… दीदी… निकल रहा है… उउह्ह,” उसने कहा और मेरे अंदर ही झड़ गया। मैं तो तीन बार झड़ चुकी थी। “आआह्ह… हाँ… भर दे मुझे… उउह्ह,” मैंने चिल्लाते हुए कहा। फिर हम दोनों एक-दूसरे को पकड़कर सो गए।
मेरी पहली चुदाई का मज़ा मैंने अपने भाई से लिया। अब तो मैं रोज़ उससे चुदती हूँ। इस महीने मेरा मासिक धर्म भी नहीं हुआ। लगता है मैं प्रेगनेंट हो गई हूँ। पता नहीं आगे क्या होगा, पर चुदाई तो रोज़ हो रही है मेरी।
आपको मेरी और शुभम की ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? नीचे कमेंट में जरूर बताएँ!
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