Didi ke doodh: मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, मेरा नाम रवि है। उम्र 19 साल, अभी कॉलेज में हूँ, फर्स्ट ईयर। कद-काठी में मैं ठीक-ठाक हट्टा-कट्टा हूँ, जिम जाता हूँ, तो बॉडी भी अच्छी-खासी बन गई है। मेरा लंड सात इंच का है, मोटा और सख्त, जिसे देखकर लड़कियाँ अक्सर चौंक जाती हैं। ये कहानी मेरी और मेरी बड़ी दीदी, रीना, के बीच की है। रीना दीदी 28 साल की हैं, दिल्ली में रहती हैं, शादीशुदा हैं, और उनका एक डेढ़ साल का बेटा, मुन्ना, है। दीदी गोरी-चिट्टी, भरे-भरे बदन वाली, 36-28-38 की फिगर, और अब माँ बनने के बाद उनके स्तन और भी बड़े और रसीले हो गए हैं। जीजू, अंकित, 32 साल के हैं, बिजनेसमैन हैं, ज्यादातर बाहर रहते हैं।
ये बात उस वक्त की है जब मेरे फर्स्ट ईयर के एग्जाम खत्म हुए थे, और गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं। मैंने सोचा कि क्यों न दिल्ली दीदी के घर हो आऊँ। मम्मी-पापा से इजाजत ली, बैग पैक किया, और ट्रेन पकड़कर दिल्ली पहुँच गया। दीदी का घर दिल्ली के पॉश इलाके में है, बड़ा-सा फ्लैट, साफ-सुथरा। मैं जैसे ही पहुँचा, दीदी ने गले लगाकर स्वागत किया। “अरे रवि, कितना बड़ा हो गया तू!” दीदी ने हँसते हुए कहा, उनकी आँखों में खुशी साफ दिख रही थी। दो साल बाद मिल रहे थे, तो वो उत्साह स्वाभाविक था। जीजू ने भी गर्मजोशी से हाल-चाल पूछा और बोले, “जा, फ्रेश हो जा, रात हो गई है। खाना खा लेते हैं।”
मैंने जल्दी से बाथरूम में मुँह-हाथ धोया, कपड़े बदले, और डाइनिंग टेबल पर आ गया। खाना खाते वक्त मेरी नजर दीदी पर पड़ी। वो हल्के नीले रंग की साड़ी में थीं, जो उनके भरे हुए बदन को और उभार रही थी। उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े और भारी लग रहे थे, शायद माँ बनने की वजह से। साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उनके क्लीवेज की झलक मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रही थी। मेरा लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा। मैंने खुद को समझाया, “ये तेरी दीदी है, रवि, कंट्रोल कर।” लेकिन मन था कि मानने को तैयार ही नहीं था।
खाना खाते वक्त दीदी ने कहा, “रवि, तू मेरे पास ही सो जाना। मुन्ना भी मेरे साथ सोता है, तुझे कोई दिक्कत तो नहीं?” मैंने फौरन हामी भर दी, “नहीं दीदी, बिल्कुल ठीक है।” मन ही मन मैं खुश हो रहा था। जीजू ने कुछ नहीं कहा, शायद उन्हें लगा कि भाई-बहन इतने साल बाद मिले हैं, तो क्या फर्क पड़ता है। खाना खत्म होने के बाद जीजू अपने कमरे में चले गए, और मैं, दीदी, और मुन्ना उनके बेडरूम में।
बेडरूम में एक सिंगल बेड था, जो मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं था। दीदी बाथरूम गईं, और जब वापस आईं, तो उन्होंने एक पतली-सी नाइटी पहन ली थी, हल्की गुलाबी रंग की, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। नाइटी इतनी पारदर्शी थी कि उनके बूब्स और निप्पल्स का उभार साफ दिख रहा था। मेरे गले में जैसे कुछ अटक गया। दीदी बेड पर लेट गईं, मेरी तरफ मुँह करके मुन्ना को दूध पिलाने लगीं। उनका एक स्तन नाइटी से बाहर था, दूध से भरा हुआ, गोल और सख्त, जिसे देखकर मेरा लंड मेरे पायजामे में तंबू बन गया। मैंने दूसरी तरफ मुँह कर लिया, ताकि मेरी हालत दीदी को न दिखे।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
लेकिन मन कहाँ मान रहा था। मैंने चुपके से अपने पायजामे में हाथ डाला, लंड को बाहर निकाला, और धीरे-धीरे सहलाने लगा। दीदी की साँसों की आवाज और मुन्ना के दूध पीने की चुस्की मेरे कानों में गूँज रही थी। मैंने सोचा, “बस थोड़ा सा मजे ले लूँ, फिर सो जाऊँगा।” सहलाते-सहलाते मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।
रात को करीब दो बजे मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो रही थीं, और मुन्ना को दूसरी तरफ से दूध पिला रही थीं। उनका एक स्तन अभी भी नाइटी से बाहर था, और उनकी गोल, भारी गांड मेरे लंड के ठीक सामने थी। सिंगल बेड की वजह से हमारा बदन एक-दूसरे से सटा हुआ था। मेरा लंड उनकी गांड को छू रहा था, और उस गर्माहट ने मेरे अंदर आग लगा दी। मैंने धीरे से सिर उठाया, देखा कि दीदी सो रही थीं। मेरे दिमाग में शैतानी चढ़ गई।
मैंने अपने लंड को उनकी गांड पर हल्के-हल्के रगड़ना शुरू किया। उनकी नाइटी इतनी पतली थी कि मुझे उनकी गांड की गर्मी साफ महसूस हो रही थी। मैंने और जोर से रगड़ा, लंड को उनकी गांड की दरार में फंसाने की कोशिश की। दीदी अभी भी सो रही थीं। मैंने हिम्मत बढ़ाई और अपना एक हाथ उनके खुले हुए स्तन पर रख दिया। वो इतना नरम और भारी था कि मेरी उंगलियाँ उसमें धंस गईं। मैंने हल्के-हल्के दबाना शुरू किया, और मेरे लंड की रगड़ और तेज हो गई।
अचानक मुझे लगा कि दीदी की साँसें तेज हो रही हैं। मैंने रुककर देखा, उनकी आँखें खुल चुकी थीं, और वो मुझे घूर रही थीं। मेरे दिल की धड़कन रुक-सी गई। लेकिन दीदी ने कुछ नहीं कहा। उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो गुस्सा नहीं, बल्कि कुछ और चाह रही हों। मैंने हिम्मत करके फिर से उनके स्तन को दबाया। इस बार दीदी ने हल्का-सा कराहा, “उम्म…” और मेरी तरफ पूरी तरह पलट गईं।
उनकी नजर मेरे लंड पर पड़ी, जो अभी भी मेरे पायजामे से बाहर था। “ये क्या कर रहा है, रवि?” दीदी ने धीमी आवाज में पूछा, लेकिन उनकी आवाज में गुस्सा नहीं, बल्कि एक शरारत थी। मैं घबरा गया, “दीदी, वो… मैं… सॉरी…” मैंने हकलाते हुए कहा।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
दीदी हल्के से हँसीं, “सॉरी किस बात का? तू तो बड़ा मर्द बन गया है। ये देख, कितना बड़ा लंड है तेरा।” उनकी बात सुनकर मेरी शर्म गायब हो गई। दीदी ने मेरे लंड को अपने नरम हाथों से पकड़ लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के टोपे पर फिसल रही थीं, और मैं सिहर उठा। “दीदी, ये गलत है ना?” मैंने हिचकिचाते हुए कहा।
“गलत-वगलत कुछ नहीं होता, रवि। तू मेरे भाई है, और मैं तेरी दीदी। लेकिन ये जो आग लगी है ना, ये तो बुझानी पड़ेगी,” दीदी ने नशीली आवाज में कहा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनके होंठ गर्म और रसीले थे, जैसे कोई मिठाई चूस रहा हो। मैंने भी उनके होंठों को चूमा, उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। दीदी ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया, उनका भारी बदन मेरे ऊपर था। मुन्ना अभी भी उनके पीछे सो रहा था, और हम दोनों सावधानी से आगे बढ़ रहे थे।
“दीदी, आपके दूध… मतलब बूब्स… इतने बड़े कैसे हो गए?” मैंने उनके स्तन को दबाते हुए पूछा। दीदी ने शरारती अंदाज में कहा, “जब से मुन्ना हुआ है, ये और रसीले हो गए हैं। लेकिन तेरा लंड भी तो कमाल का है। मैंने रात को देख लिया था, जब तू इसे हिला रहा था।”
“आपने देख लिया?” मैंने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ, और क्या! तेरे लंड को देखकर मेरी चूत में आग लग गई थी। मैंने सोचा, चलो रवि को आज मौका देती हूँ,” दीदी ने हँसते हुए कहा। उनकी बातें सुनकर मेरी उत्तेजना और बढ़ गई। मैंने उनकी नाइटी को ऊपर खींचा, और उनके भारी स्तनों को पूरी तरह नंगा कर दिया। उनके निप्पल्स गहरे भूरे और सख्त थे, दूध की एक बूँद अभी भी उनके टिप पर चमक रही थी। मैंने झट से उनके एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“उम्म… रवि, धीरे… ये मुन्ना के लिए है,” दीदी ने कराहते हुए कहा।
“दीदी, आज मुझे भी माँ का दूध पीने दे,” मैंने शरारत से कहा और और जोर से चूसा। उनका दूध मीठा और गर्म था, मेरे मुँह में जैसे कोई अमृत घुल रहा हो। दीदी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह… रवि… तू तो पागल कर देगा…”
मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया। उनकी चूत साफ और गीली थी, जैसे वो पहले से ही तैयार थीं। मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनके चूत के होंठों पर अपनी उंगलियाँ फिराईं। दीदी सिहर उठीं, “उम्म… रवि, और कर…” मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली, वो इतनी गीली थी कि मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। दीदी की साँसें तेज हो गईं, “आह… रवि… और तेज…”
मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगा। दीदी की आँखें बंद थीं, और वो अपने होंठ काट रही थीं। “डाल दे, रवि… अब और मत तड़पा,” दीदी ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने अपने लंड का टोपा उनकी चूत में डाला, और फिर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा सात इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। दीदी जोर से चिल्लाईं, “आह्ह… मर गई!” मैंने फौरन उनके मुँह पर हाथ रखा, ताकि आवाज बाहर न जाए।
“धीरे, दीदी… जीजू सुन लेंगे,” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“सुन ले तो सुन ले… तू बस चोदता रह,” दीदी ने नशीली आवाज में कहा। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत इतनी टाइट और गीली थी कि मेरा लंड हर धक्के में और सख्त हो रहा था। “चट… चट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। दीदी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह… रवि… और तेज… फाड़ दे मेरी चूत को…”
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और हर धक्के में मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर रहा था। मैंने उनके एक स्तन को मुँह में लिया और चूसते हुए चोदता रहा। उनका दूध मेरे मुँह में आ रहा था, और उसका स्वाद मुझे और पागल कर रहा था। “उम्म… दीदी, आपकी चूत इतनी टाइट है… मजा आ रहा है,” मैंने कहा।
“हाँ… रवि… तेरा लंड… आह… इतना बड़ा… जीजू का तो इसके सामने कुछ भी नहीं,” दीदी ने कराहते हुए कहा। उनकी बात सुनकर मैं और जोश में आ गया। मैंने उन्हें उल्टा किया, उनकी गांड को हवा में उठाया, और पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया। “पट… पट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। दीदी की गांड इतनी भारी और नरम थी कि हर धक्के में वो हिल रही थी।
“आह… रवि… और तेज… मेरी गांड मार… और जोर से,” दीदी चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी गांड पर एक हल्का-सा थप्पड़ मारा, और वो और जोर से सिसकारीं, “उम्म… हाँ… ऐसा ही…” मैंने उनके बाल पकड़े और उन्हें घोड़ी बनाकर और तेज चोदा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था।
पहली बार मैंने करीब 20 मिनट तक उन्हें चोदा, और फिर मैं झड़ने वाला था। “दीदी, मैं… मैं झड़ने वाला हूँ,” मैंने हाँफते हुए कहा।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
“अंदर मत झड़, रवि… बाहर निकाल,” दीदी ने कहा। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनके बूब्स पर अपना गर्म माल छोड़ दिया। दीदी ने मेरे लंड को पकड़ा और आखिरी बूँद तक चूस लिया। “उम्म… तेरा माल भी मस्त है,” दीदी ने हँसते हुए कहा।
उस रात मैंने उन्हें तीन बार और चोदा। हर बार नई पोजीशन में। एक बार मैंने उन्हें दीवार के सहारे खड़ा करके चोदा, एक बार उनकी गोद में बैठकर, और आखिरी बार मिशनरी में, जब वो मेरी बाहों में पूरी तरह समा गई थीं। हर बार उनकी सिसकारियाँ, “आह… उम्म… रवि… और तेज…” मेरे कानों में गूँज रही थीं।
सुबह होने से पहले हमने कपड़े पहने और सो गए। अगले सात दिन तक यही सिलसिला चला। जीजू दिन में बाहर रहते थे, और हम मौका मिलते ही एक-दूसरे पर टूट पड़ते। एक हफ्ते बाद मुझे वापस अहमदाबाद जाना पड़ा। जाते वक्त दीदी ने मुझे गले लगाया और कान में फुसफुसाया, “रवि, अगली छुट्टियों में फिर आना। हम और मजे करेंगे।”
अब दीदी का फोन आता है, और वो कहती हैं, “वो रातें बहुत याद आती हैं, रवि। तूने मुझे ऐसा मजा दिया, जो जीजू कभी नहीं दे पाए।” उनकी बातें सुनकर मैं फिर से दिल्ली जाने की प्लानिंग कर रहा हूँ।
क्या आपको लगता है कि मुझे दीदी के पास फिर से जाना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।