देवर ने चूत का भरता बना डाला

Devar Bhabhi chudai sex story: मेरा नाम सोनाली पांडेय है और मैं गोरखपुर की रहने वाली हूं। मेरा गोरा बदन देखकर लोग पागल हो जाते हैं, फिगर है 36-32-38 का जो हर तरफ से मदमस्त लगता है। जवानी के दीवाने तो कॉलेज के दिनों से ही मेरे पीछे पड़े हैं, मेरा रंग दूध सा गोरा है, आंखें भूरी-भूरी जो किसी को भी घायल कर दें। पूरे बदन पर एक समान गोरा रंग, बाल सिल्की जैसे रेशम के धागे, हाथ फेरते ही फिसल जाएं। कॉलेज टाइम से ही मैं लड़कों के बड़े-बड़े लंड चूसती आ रही हूं, चूसने में जो मजा आता है वो बयां नहीं किया जा सकता। मेरी चूंचियां इतनी सॉलिड हैं कि लड़के निचोड़-निचोड़ कर उनका मीठा दूध पीते हैं, निप्पल गुलाबी और टाइट। सारे लड़के सबसे ज्यादा मेरी चूंचियों पर ही फिदा होते हैं। मेरी चूत भी पूरी गोरी है, दोनों फांक लाल-लाल जैसे गुलाब की पंखुड़ियां, लेकिन चूत के दाने पर एक बड़ा सा काला तिल है जो टीके जैसा लगता है, मानो किसी ने नजर न लगे इसलिए लगा दिया हो। देवर जी को भी मेरी चूत पर दीवानगी हो गई, मुझे पता तक नहीं चला कि वो मेरी चूत चोदने के सपने देख रहे हैं। अब अपनी कहानी सुनाती हूं।

मेरी शादी एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुई है, पति राकेश आर्मी में हैं, ज्यादातर बाहर ही रहते हैं। घर में पति के अलावा सिर्फ देवर लल्लन और ससुर जी हैं, सास तो बहुत पहले गुजर चुकी हैं, ससुर जी हमेशा बीमार रहते हैं। पति के साथ कभी ठीक से ठुकाई नहीं हो पाती, वो एक-दो महीने में आते हैं और जाते हैं, पूरा महीना चूत में उंगली करके काटना पड़ता है। मेरी चूत की खुजली एक-दो दिन की चुदाई से कहां मिटती, हर रात लंड की तलब लगी रहती है। देवर लल्लन बहुत स्मार्ट है, चौड़ा चेस्ट, लंबा कद, अपनी गर्लफ्रेंड को भी मुझसे मिला चुका है।

एक दिन बातों-बातों में मैंने कहा, “लल्लन, तेरी गर्लफ्रेंड बहुत अच्छी है।”

लल्लन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “कुछ भी हो भाभी, आपकी तो बात ही अलग है।”

मैंने मज़ाक में कहा, “देवर जी, क्या बताऊं, तुम तो मुझे सबसे अच्छे लगते हो।”

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लल्लन ने तपाक से कहा, “तो मुझसे ही शादी कर लेनी चाहिए थी।”

मैंने हंसते हुए कहा, “अब क्या बताऊं, तुम तो छोटे ठहरे, तुमसे कैसे कर लेती।”

लल्लन ने जो कहा, सुनकर मैं अंदर ही अंदर गदगद हो गई, “शादी नहीं हुई तो क्या हुआ, दिन तो मैं आपके साथ बिताता हूं, लेकिन रात नहीं।” और ज़ोर से हंस पड़ा।

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मैंने कहा, “रात भी बिताओगे।”

लल्लन ने झेंपते हुए कहा, “नहीं भाभी, मैं तो मज़ाक कर रहा था।”

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उस रात मैंने चूत में उंगली करके किसी तरह खुजली मिटाई। एक दिन ससुर जी रिश्तेदार के यहां चले गए, घर पर सिर्फ मैं और लल्लन थे। मैंने कहा, “लल्लन, आज रात तुम मेरे पास ही सो जाओ।” वो मान गया। रात को हम एक ही बिस्तर पर लेटे, ग्यारह बज गए लेकिन नींद नहीं आ रही थी। हम दस बजे तक सो जाते थे, लेकिन आज कुछ अलग था। मैंने झूठ-मूठ सोने का नाटक किया। बारह बज गए, मैं लल्लन की तरफ मुंह करके लेटी थी। उसकी आंखें खुली थीं, वो मुझे घूर रहा था, धीरे-धीरे हाथ मेरी तरफ बढ़ा रहा था।

हमारा एक साथ सोना नया नहीं था, कभी-कभी हो जाता था, लेकिन आज उसकी नज़रों में कुछ और था, कामोत्तेजना साफ झलक रही थी। मैंने अपना हाथ उठाकर उसके ऊपर रख दिया, सिर नीचे कर लिया ताकि उसे पता न चले कि मैं देख रही हूं। उसका लंड खड़ा होकर साफ दिख रहा था, मेरे पति से कहीं बड़ा, कच्छा तना हुआ जैसे कोई डंडा अंदर हो। लल्लन धीरे-धीरे मेरी तरफ खिसक रहा था, आखिरकार मुझसे चिपक गया। मेरे बिखरे बाल सूंघने लगा, सिल्की बालों को सहलाने लगा। बाल सहलाते ही मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई। लल्लन ने आंखें बंद करके होंठ मेरी तरफ बढ़ाए, मैंने भी आंखें बंद कर लीं।

उसने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, मुझे पता ही नहीं चला कब। मन हुआ अभी काट ही डालूं, लेकिन चुप रही, उसे आगे बढ़ने का मौका दे रही थी। कुछ देर होंठों पर होंठ रखे रहे, फिर हल्के-हल्के चूमने लगा। धीरे-धीरे हिम्मत बढ़ी, ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगा। मैं चुपचाप होंठ चुसवा रही थी। लल्लन जोश में था, डर खत्म हो चुका था, मेरे होंठों का रस निकाल-निकाल कर चूस रहा था। फिर दोनों चूंचियों पर हाथ रख दिया, उंगलियों से दबाने लगा, निप्पल चुटकी में पकड़ लिया। मैंने विरोध नहीं किया। निप्पल पकड़कर होंठ चूस रहा था। मैंने करवट बदली, गांड उसकी तरफ करके लेट गई।

कुछ देर खामोश रहा, फिर टांग उठाकर मेरी गांड पर रख दी। मैंने उसकी टांग को अपने ऊपर रहने दिया। लल्लन धीरे-धीरे लंड मेरी गांड में चुभा रहा था, पीछे से चूंचियां पकड़ लीं, दबा रहा था। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर और ज़ोर से दबवाया। लल्लन चौंक गया, हाथ छुड़ा लिया। मैंने मुंह उसकी तरफ किया, “चुपके-चुपके मेरी चूंचियां दबाने में मज़ा आता है? तुम कह रहे थे आज रात मेरे साथ बिताओ ना।” और उसके होंठों पर होंठ रख दिए। लल्लन चुप रहा, मैंने किस करना शुरू किया। कुछ देर बाद वो भी होंठ चूसने लगा।

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धीरे-धीरे हाथ उठाकर मेरे बूब्स पर रख दिया, मसलने लगा। हम कुछ बोल नहीं रहे थे, बस मजे ले रहे थे। होंठ चूस-चूस कर लाल कर दिए। मैंने उस रात साड़ी और ब्लाउज़ पहना था। लल्लन ने ब्लाउज़ पर हाथ रखकर फिर मसलना शुरू किया, अंदर हाथ डालकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। मेरे मुंह से निकल रहा था, “सी…सी…सी…आ आ आअह्हह्हह….ईईई ईईईई…. ओह्ह् ह्ह ह्ह…..अई…अई–अई…अई…” चूत की खुजली बढ़ गई, मैंने पेटीकोट ऊपर उठाकर नीचे से चूत में उंगली करने लगी। लल्लन ने ब्लाउज़ के हुक खोल दिए, ब्रा के ऊपर से दबाने लगा। मैं उंगली करके “सी….सी….सी….सी…. सी….सी…इस्स… स्स…इस्स्स…उफ़्फ़ …उफ्फ्फ..!!” कर रही थी।

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लल्लन ने ब्लाउज़ निकाल दिया, ब्रा की हुक खोल दी। हुक खुलते ही ब्रा उछलकर नीचे सरक गई। मेरी गोरी चूंचियां देखकर टूट पड़ा, निप्पल पीने लगा, दबा-दबाकर निचोड़ रहा था, रस निकालकर मजे से पी रहा था। बूब्स टाइट होने लगे। मैंने साड़ी निकाल दी, अब सिर्फ पेटीकोट में खड़ी थी। लल्लन तीखी नज़रों से देख रहा था, बूब्स दबाने लगा। मैंने भी उसे सहलाना शुरू किया, उसका लंड और तेज़ खड़ा हो गया। लल्लन ने चूंचियां पीना छोड़कर पेटीकोट का नाड़ा खोला, पेटीकोट नीचे गिर गई। चूत झांटों से ढकी थी।

लल्लन ने कहा, “भाभी, तुम कभी झांटें नहीं बनातीं?”

मैंने कहा, “क्या करूं, जब चोदने वाला ही कोई नहीं था।”

लल्लन ने कहा, “हूं ना मैं अब चोदने वाला।”

मैंने कहा, “अब साफ कर लिया करूंगी।”

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लल्लन बैठकर चूत पर हाथ फेरने लगा, झांटें हटाकर जीभ लगाई, चूत चाटने लगा, अंदर तक जीभ डालकर। मैं “सी.. सी…सी… सी..इस्स्स…इस्स्स…इस्स्स!” की आवाज़ें निकाल रही थी। दाने को बार-बार काट रहा था, मैं उसके सिर को चूत में दबा रही थी। लल्लन को मज़ा आ रहा था। फिर खड़ा हो गया, मुझे बैठा दिया, लोअर और कच्छा निकाला। लंड आगे-पीछे करके मुंह में रख दिया। मैं चूसने लगी, लंड गरम था, लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। लल्लन तड़प रहा था।

लंड मुंह से निकालकर मैं बिस्तर पर लेट गई। लल्लन ने टांगें फैलाईं, लंड चूत पर रगड़ने लगा। मैंने लंड पकड़कर चूत में डालने की कोशिश की। लल्लन ने छेद पर रखकर धक्का मारा, टोपा घुसा। मैं चीखी, “…..मम्मी….मम्मी….सी सी सी सी… हा हा हा …..ऊऊऊ …..ऊँ….ऊँ…..ऊँ…उनहूँ उनहूँ–” फिर धक्का, पूरा लंड अंदर। मैं तड़पने लगी। लल्लन लगातार फाड़ रहा था, मैं उंगलियों से चूत सहला रही थी।

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मैंने कहा, “लल्लन, तेरा लंड तो तेरे भैया से काफी बड़ा है।”

लल्लन ने हांफते हुए कहा, “भाभी, बहुत मुठ मार-मार कर मालिश की है लंड की, तब जाकर ये इतना बड़ा हुआ है।”

और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा। मैं चिल्ला रही थी, झांटें आपस में टकरा रही थीं। लल्लन ने एक टांग उठाकर लेट गया, पीछे से डालकर चोदने लगा। मैं गांड आगे-पीछे करके चुदवा रही थी। लल्लन की गोलियां छुईं। फिर कुतिया स्टाइल बनाया, कमर पकड़कर तेज़-तेज़ धक्के। गांड पर थैला लड़ रहा था, “थप-थप-थप” की आवाज़ें। चूत का भरता बना डाला, फिर चटनी। मैंने कहा चाटो, लल्लन ने सारा माल चाट लिया, अंदर तक साफ।

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लल्लन लेट गया, मैं उसके लंड पर बैठ गई, मुठियाते हुए चूत में डाला। लल्लन कमर उठा-उठाकर चोद रहा था, थक गया। मैं ऊपर-नीचे करके पूरा लंड ले रही थी, “आह्ह…आह्ह…गहरा…ओह्ह…” दीवार के पास खड़ी कर दी, टांग उठाकर फिर धक्के। नाखून गड़ा रही थी, चूत पानी छोड़ रही थी। लल्लन तेज़ चोद रहा था। झड़ने वाला था, रुक गया, चूंचियां दबाकर चूमा। फिर झुकाया, लंड गांड में डालने लगा। थूक लगाया, टोपा घुसा। मैं चीखी, “ओह्ह माँ…ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…अ अ ..अ अ अ ..आ ..आ ..आ आ……” पूरा धक्का, गांड फटने लगी। स्पीड तेज़, “धप-धप-धप” फिर निकाला।

मुझे बिठाया, मुंह के सामने मुठ मारी, सारा माल मुंह में। मैं पी गई। लल्लन बेहाल गिर गया, मैं ऊपर लेट गई। पूरी रात नंगे लेटे रहे। अब रोज़ चुदाई करते हैं, रात भर मजे।

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