पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैं, शालू, धनतेरस के दिन बलदेव के साथ बाजार गई और रिक्शा में उसने मेरी चूत में उंगली की। बाद में मैंने विनोद को उसी रात दर्जी की दुकान चलने के लिए मना लिया, ताकि उदय से मिलने से बच सकूँ। अब कहानी आगे बढ़ती है।
कहानी का पिछला भाग: पति के सामने दर्जी ने चोदा-5
दर्जी की दुकान का रास्ता 35-40 मिनट का था, लेकिन त्योहार की वजह से सड़कों पर भयंकर ट्रैफिक था। कार की हेडलाइट्स भीड़ में फँसी गाड़ियों की चमक पर टकरा रही थीं, और हॉर्न की आवाजें मेरे कानों में गूँज रही थीं। हमें एक घंटे से ज्यादा लग गया। दुकान के सामने पहुँचते ही मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। शटर आधा खुला था, जैसे हर बार। विनोद ने कार एक किनारे पार्क की, और हम अंदर घुसे। दुकान में कपड़ों और तेल की वही पुरानी गंध थी। विनोद ने पिछले बार की तरह शटर पूरा नीचे गिराया और हैंडल लगा दिया। अब हम पूरी तरह बंद कमरे में थे।
हम अंदर की ओर बढ़े, तो मैंने देखा कि दर्जी—जिसका नाम मुझे बाद में पता चला, भूपेश—के चेहरे पर मुस्कान नहीं थी। उसका चेहरा सफेद पड़ गया था, जैसे उसने भूत देख लिया हो। मैंने विनोद की ओर देखा। वो भी घबराया हुआ लग रहा था, उसकी आँखें इधर-उधर भटक रही थीं। एक पल के लिए मैं भी डर गई। लेकिन फिर मैंने खुद को संभाला। पति के सामने दूसरे मर्द से चुदवाकर मैं रंडी से भी ज्यादा बेशर्म हो चुकी थी। मेरे अंदर अब डर की जगह एक अजीब सी उत्तेजना थी।
मैं मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी। भूपेश के बगल में एक औरत फर्श पर बैठी थी, कपड़ों में बटन लगा रही थी। उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था, और उसकी गोरी कमर चमक रही थी। मैंने अंदाजा लगाया कि ये भूपेश की घरवाली होगी। मुझे अपनी ओर आते देख वो खड़ी हो गई। मैंने झुककर दोनों हाथों से उसके पैर छुए और कहा- शालू दीदी, अपनी इस छोटी बहन, आपके पति की छोटी साली शालू का प्रणाम स्वीकार कीजिए।
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वो औरत 24-25 साल की लग रही थी। उसका रंग गोरा था, लेकिन मुझ जैसा छरहरा बदन नहीं था। उसका बदन गदराया हुआ था, जैसे हर अंग में रस भरा हो। वो मुझसे 2-3 इंच छोटी थी। साड़ी के ऊपर से उसकी चूचियाँ मेरी चूचियों से छोटी दिख रही थीं, शायद 32 इंच। उसकी कमर करीब 28 इंच की थी, लेकिन जांघें मोटी और चूतड़ भारी, शायद 34 इंच के। उसकी आँखें बिना काजल के भी नशीली थीं। कुल मिलाकर, वो आकर्षक थी। मैंने मन ही मन उसे शालू दीदी नाम दे दिया।
शालू दीदी ने मेरे कंधे पकड़कर मुझे उठाया। उसने पहले मेरी ओर देखा, फिर विनोद की ओर। उसकी आँखों में गुस्सा और जिज्ञासा दोनों थे। उसने कहा- मेरी प्यारी छोटी बहन, त्योहार का दिन है, झूठ मत बोलना। तुम पिछले शनिवार और पिछली रात भी यहाँ आई थीं?
मैंने भूपेश की ओर देखा। वो आँखें झुकाए खड़ा था, जैसे पकड़ा गया चोर। अब कुछ छुपाने का फायदा नहीं था। मैंने साफ कहा- दीदी, हाँ, हम शनिवार और कल रात भी यहाँ आए थे। दीदी, आप चाहें तो अभी मेरी जान ले लें, लेकिन मुझे आपके पति, मेरे जीजाजी, बहुत पसंद हैं। आप खुद सोचो, मुझे आपके पति कितने पसंद आए कि मैंने अपने पति के सामने उनसे प्यार किया। आज भी मैं प्यार करने ही आई हूँ।
शालू दीदी ने तल्खी से कहा- साफ-साफ बोल, रंडी, तू मेरे पति से चुदवा रही है। जब ये आदमी शनिवार की रात घर नहीं आया, तभी मेरा माथा ठनका। अगली रात आया, तो मैंने बहुत पूछा, लेकिन इस बहनचोद ने तेरे बारे में कुछ नहीं बताया। बस यही कहा कि बहुत काम था। और जब कल रात भी नहीं आया, तो मुझे यकीन हो गया कि ये मादरचोद किसी रंडी की चूत में फँस गया है। इसलिए आज शाम को यहाँ आ गई, और मेरी किस्मत देखो, रंडी भी हाथ लग गई।
मैंने शांत स्वर में जवाब दिया- दीदी, पहली बात, मैं रंडी नहीं हूँ। आपके घरवाले से एक पैसा भी नहीं लिया। दूसरी बात, हम आज नहीं, कल रात आने वाले थे। लेकिन अच्छा हुआ कि आज आ गई और अपनी दीदी से मुलाकात हो गई। दीदी, भगवान आपको हमेशा खुश रखे, जितने बेटे चाहें, देगा। बस मुझे जीजाजी से प्यार करने दीजिए।
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शालू दीदी ने तंज कसा- तूने ठीक कहा, तू रंडी नहीं, रंडी से भी घटिया औरत है, जो अपने घरवाले के सामने दूसरे का लौड़ा चूत में लेती है। तेरा घरवाला नामर्द है क्या?
मैंने हँसकर कहा- मुझसे क्या पूछ रही हो? सामने खड़ा है, खुद देख लो कि ये आदमी नामर्द है या नहीं।
मैं चाहती थी कि शालू दीदी मेरे पति से, भूपेश के सामने चुदवाए। उसका गुस्सा मेरे लिए मौका था। शालू दीदी ने भूपेश की ओर देखा और बोली- भूपेश, अब मुँह लटकाए क्यों खड़ा है? मुझे तो 8 साल में कभी ठंडा नहीं किया। दिखा, इस खूबसूरत माल को कैसे ठंडा करते हो। लड़की, अपने कपड़े उतार। देखूँ, ऊपर से जितनी सुंदर दिखती हो, असल में कैसी हो?
मैंने नखरे क्यों करने थे? मैंने अपना सलवार-कुर्ता उतारा और पूरी नंगी हो गई। मेरी गोरी चूचियाँ और झांटों से भरी चूत दुकान की मद्धम रोशनी में चमक रही थीं। शालू दीदी ने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को मसला। उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों को खींच रही थीं। उसने कहा- उफ्फ, बहुत मस्त माल हो, शालू। भूपेश की कोई गलती नहीं। तेरा बाप भी तुझे ऐसा देखेगा, तो तुझे चोदेगा। लेकिन तुम लोगों ने चुदाई शुरू कैसे की?
मैंने पिछले शनिवार की कहानी शुरू की, लेकिन शालू दीदी ने फर्श पर एक बिस्तर बिछा दिया। उसने भूपेश से कहा- माल सामने नंगी खड़ी है। दिखा मुझे कि तू मेरी छोटी बहन को कैसे चोदता है कि ये बार-बार तुझसे चुदवाने आती है।
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लेकिन भूपेश अपनी जगह से हिला नहीं। दो रातों में मैं उससे 5 बार चुदवा चुकी थी। हमने उससे ढेर सारी बातें कीं, लेकिन उसका नाम नहीं पूछा था। शालू दीदी ने उसे नाम से बुलाया, तो हमें पता चला कि दर्जी का नाम भूपेश है। शालू दीदी के कहने पर भी भूपेश नंगा नहीं हुआ। लेकिन मेरा पति विनोद? वो मुझसे भी बड़ा बेशर्म निकला। एक ऐसी औरत के सामने, जिसे पहली बार देख रहा था, उसने सारे कपड़े उतार दिए। उसका 7 इंच का लौड़ा पूरी तरह तना हुआ था, और सुपारा चमक रहा था। मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई।
शालू दीदी ने हमें थोड़ी देर देखा। फिर वो आगे बढ़ी और विनोद के लौड़े को पकड़कर मसलने लगी। उसने मुझसे कहा- मेरी प्यारी छोटी बहन, तू सच में रंडी ही है। इतना खूबसूरत घरवाला है, बढ़िया मजबूत बदन, और ये लौड़ा भी कितना प्यारा है? और तू ऐसे मर्द की औरत होकर भी दूसरे से चुदवाती है।
फिर उसने अपनी कहानी सुनाई- शादी से दो साल पहले मेरे गाँव में एक शहरी बाबू आया था। मुझे वो बहुत पसंद आ गया। हम चुपके-चुपके मिलने लगे। खूब चूमते थे, उसने मेरे अंग-अंग को दबाया। एक दिन मेरे बाबूजी ने मुझे उसके साथ देख लिया। इससे पहले कि हम चुदाई करते, वो गाँव से चला गया। तब से मैं किसी खूबसूरत शहरी मर्द से प्यार करने को तरस रही हूँ।
शालू दीदी की बात खत्म हुई, और विनोद ने उसी उम्र की औरत को, उसके पति के सामने अपनी बाहों में लिया। उसने शालू दीदी के गालों और होंठों को चूमना शुरू किया। मैं देखकर हैरान थी कि मेरे पति में इतनी हिम्मत है कि वो भूपेश के सामने उसकी पत्नी को नंगा करेगा। देखते-देखते शालू दीदी भी नंगी हो गई। उसकी गोरी चूचियाँ और चिकनी चूत विनोद के हाथों में थीं। विनोद का हाथ उसकी चूत और चूचियों पर नाच रहा था।
जैसे उस रात विनोद ने भूपेश को मुझे नंगा करने से नहीं रोका, वैसे ही भूपेश भी अपनी पत्नी को नंगी होते देखता रहा। विनोद ने शालू दीदी को बिछे बिस्तर पर लिटाया। उसकी आदत के मुताबिक, वो उनके ऊपर 69 की पोज में आ गया। विनोद ने शालू दीदी की चूत को चूसना और चाटना शुरू किया। उसकी जीभ शालू दीदी की चूत की पंखुड़ियों पर फिसल रही थी, और वो सिसकारियाँ ले रही थीं- आह्ह…।
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शालू दीदी ने कहा- उफ्फ, शालू, तेरे पति ने मेरा 10 साल का सपना पूरा कर दिया। करीब 10 साल पहले एक सहेली ने हमें चुदाई की एक सिनेमा दिखाई थी, जिसमें हर मर्द अपनी औरत की चूत चूसने-चाटने के बाद ही चोदता था। हमारी शादी को 8 साल हो गए। हम लगभग रोज चुदाई करते हैं, लेकिन तेरे जीजाजी ने एक बार भी मेरी चूत को चूमा नहीं, चाटने की बात तो दूर है। आह्ह… विनोद साहब, बहुत बढ़िया लगा, फिर से करो…
मैंने कहा- चूत चूसने-चाटने का मजा तब और बढ़ता है, जब तुम साथ में लौड़ा भी चूसो। मालूम नहीं, आज जीजाजी को क्या हो गया? पिछली रात दोनों ने मुझे 3-3 बार चोदा था, लेकिन आज मेरी ओर देख भी नहीं रहे।
लेकिन शालू दीदी अब मेरी बात नहीं सुन रही थी। वो विनोद के लौड़े को अपने मुँह में लेती, लेकिन विनोद कुछ ऐसा करता कि वो लौड़ा निकालकर जोर-जोर से सिसकारियाँ मारती। भूपेश की पत्नी और मेरे पति एक-दूसरे में खो गए थे। उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि उस छोटे से कमरे में कोई और भी है।
मैं भूपेश के पास गई और उसके सामने घुटनों के बल बैठकर उसके सारे कपड़े खोल दिए। लेकिन उसका 9 इंच का लौड़ा, जिसने पिछली दो रातों में मुझे पागल कर दिया था, बिल्कुल ढीला था। मैं ढीले लौड़े को सहलाते हुए उसे अपनी ओर खींचने लगी। मैंने धीरे से कहा- राजा, तुम्हारी घरवाली को मेरा आदमी चोद रहा है, इसलिए तुम दुखी हो? तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि उस बेवकूफ आदमी ने अपनी 18 साल की घरवाली का मजा लेने दिया। मेरी शादी को 4 महीने हुए हैं, और विनोद ने मुझे कुल 40-45 बार ही चोदा होगा। लेकिन तुम अपनी घरवाली को पिछले 8 साल में कम से कम 2500 बार पेल चुके होगे। तुम्हें लगता है कि तुम्हारी घरवाली सती-सावित्री है? देखते रहो, वो खुद बोलेगी कि शादी से पहले और बाद में भी दूसरों से चुद चुकी है। यार, मैं सिर्फ तुमसे चुदवाने आई हूँ। प्यार करो मुझसे।
मैं बहुत धीरे-धीरे बोल रही थी। इधर, विनोद कुछ ऐसा कर रहा था कि शालू दीदी जोर-जोर से सिसकारियाँ मार रही थी। करीब 15 मिनट तक ओरल हुआ। शालू दीदी ने जोर से कहा- बस, विनोद, अब बर्दाश्त नहीं कर सकती। चोदो मुझे…
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और देखते-देखते विनोद ने दर्जी के सामने उसकी घरवाली की चूत में लौड़ा पेल दिया, दाना-दान चोदने लगा।
जारी रहेगा… अगले भाग में पढ़ें कि क्या शालू भूपेश से चुदवाती है, और क्या शालू दीदी और विनोद की चुदाई आगे बढ़ती है।
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