हेल्लो दोस्तों, मैं श्वेता अग्रवाल, एक बार फिर आपके सामने अपनी रसीली और चटपटी कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं अग्रवाल खानदान की इकलौती वारिस हूँ, और मेरे दादा श्री शम्भू अग्रवाल का गुटखे का बिजनेस दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में छाया हुआ है। पाँच हजार करोड़ का टर्नओवर, दिल्ली के सैनिक फार्म्स में हमारा आलीशान फार्महाउस और बंगला, और मेरे पास हर वो सुख-सुविधा जो एक लड़की सपने में देखती है। मेरे दादा ने दिन-रात मेहनत करके ये साम्राज्य खड़ा किया, और मैं उनकी आँखों का तारा हूँ। वो मुझे इतना प्यार करते हैं कि मेरे लिए कुछ भी कर गुजरें। सुबह वो अपनी गुटखा कंपनी चले जाते, लेकिन शाम को मेरे साथ डिनर टेबल पर हँसी-मजाक और प्यार भरी बातें करते। मेरे कमरे को उन्होंने किसी राजकुमारी के महल जैसा सजवाया था—मखमली पर्दे, बड़ा-सा गोल बेड, और वो ड्रेसिंग टेबल जहाँ मैं घंटों खुद को निहारती थी।
धीरे-धीरे मैं बड़ी हो रही थी, और मेरा जिस्म अब जवान माल बन चुका था। जब मैं शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को देखती, तो मेरे होंठों पर मुस्कान तैर जाती। मेरा फिगर अब 34-28-32 का हो चुका था—गोल-गोल भरे हुए मम्मे, पतली कमर, और वो चूत जो अब किसी लंड की तलाश में थी। नहाने के बाद मैं टॉवल लपेटकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठती, और अपने लंबे, काले, घने बालों को एयर ब्लोअर से सुखाती। मेरे मम्मे टॉवल के ऊपर से उभरे हुए दिखते, और मैं सोचती कि अगर कोई मर्द मुझे ऐसे देख ले, तो पागल हो जाए। मैं हमेशा से ब्रिटनी स्पीयर्स जैसी पॉप दीवा बनना चाहती थी—सेक्सी, बोल्ड, और हर मर्द की फंतासी।
एक सुबह का वक्त था। मैं नहाकर निकली, और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखा रही थी। मेरे सीने पर बंधा टॉवल अचानक ढीला हुआ और फिसलकर नीचे गिर गया। मैं पूरी तरह नंगी थी। शीशे में अपनी नंगी तस्वीर देखकर मैं शरमा गई, लेकिन साथ ही मेरे अंदर एक अजीब सी उत्तेजना जाग उठी। मेरे मम्मे गोल, चिकने, और इतने बड़े थे कि कोई भी मर्द उन्हें देखकर लट्टू हो जाए। मेरी चूत पर काली-काली झांटें उग आई थीं, और वो किसी गुलाब की कली की तरह खिल रही थी। मैं अब चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी। मैंने खुद को सिर से पाँव तक निहारा—मेरी पतली कमर, गहरी नाभि, और वो चिकनी टाँगें जो किसी को भी दीवाना बना दें। मैं इतने में खोई थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे दादा जी कमरे में कब आ गए।
“दादा जी आप???” मैंने घबराकर कहा, और जल्दी से टॉवल उठाकर सीने से लपेटने की कोशिश की। लेकिन दादा जी मेरे पास आ गए। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो मुझे पहली बार देख रहे हों।
“अरे मेरी श्वेता, मेरी पोती कितनी बड़ी और खूबसूरत हो गई है!” दादा जी ने कहा, और मेरे पास आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनके हाथ मेरे नंगे कंधों पर फिसले, और फिर वो मेरे गालों पर चुम्मा लेने लगे। मैं पूरी तरह नंगी थी, सिर्फ टॉवल मेरे हाथ में था, और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। दादा जी मेरे प्यारे दादा थे, जो मुझे हमेशा लाड़-प्यार करते थे। लेकिन आज उनकी हरकतें कुछ और ही कह रही थीं। वो मेरे मम्मों को हाथों से सहलाने लगे, और मेरे होंठों को चूसने लगे।
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“दादा जी, ये क्या कर रहे हैं?” मैंने शर्माते हुए कहा, लेकिन मेरी आवाज में वो ताकत नहीं थी। मेरे अंदर एक अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी।
“बेटी श्वेता, आज हम चुदाई-चुदाई का खेल खेलेंगे। तू अब जवान हो गई है, और तेरे दादा का लंड तेरी चूत की प्यास बुझाएगा,” दादा जी ने कहा, और उनकी आवाज में वो प्यार था जो हमेशा मेरे लिए था, लेकिन अब उसमें वासना की आग भी साफ दिख रही थी।
मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। बस इतना सुना था कि चुदाई बड़ी मजेदार चीज होती है, और लड़कियाँ इसके लिए पागल हो जाती हैं। मैंने हल्के से सिर हिलाया, “ठीक है, दादा जी।”
दादा जी ने मुझे बेड पर ले जाकर लिटा दिया। वो मेरे ऊपर लेट गए, और मेरे गुलाबी होंठों को चूसने लगे। उनकी मूंछें मेरे चेहरे पर गुदगुदी कर रही थीं, और उनकी साँसें मेरे चेहरे पर गर्मी बिखेर रही थीं। मैं 18 साल की जवान लड़की थी, और मेरा जिस्म अब चुदने के लिए बेकरार था। दादा जी मेरी जवानी देखकर पागल हो चुके थे। वो मेरे होंठ चूसते हुए मेरे मम्मों को दबाने लगे। मेरे बूब्स इतने मुलायम और भरे हुए थे कि दादा जी के हाथों में समा ही नहीं रहे थे। वो बार-बार मेरे निप्पलों को उंगलियों से मसलते, और मैं “आह्ह… स्स्सी… दादा जी…” की सिसकारियाँ लेने लगी।
दादा जी ने मेरे एक मम्मे को मुँह में लिया और चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल के चारों ओर गोल-गोल घूम रही थी, और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था। मेरी चूत अब गीली हो चुकी थी, और उसमें एक अजीब सी खुजली हो रही थी। दादा जी ने मेरे दोनों मम्मों को बारी-बारी चूसा, और मेरे निप्पलों को हल्के से काटा। मैं “उई… आह्ह… दादा जी… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। मेरे जिस्म में आग लग चुकी थी, और मैं अब चुदने के लिए तड़प रही थी।
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“दादा जी, ये चुदाई वाला गेम कैसे खेलते हैं?” मैंने मासूमियत से पूछा, हालांकि मेरी चूत अब लंड माँग रही थी।
“बेटी, मैं तेरी चूत की शादी अपने लौड़े से करवाऊँगा। फिर तुझे असली मजा आएगा,” दादा जी ने कहा, और अपनी पैंट उतार दी। उनका 9 इंच का मोटा, काला लंड मेरे सामने था, और मैं उसे देखकर डर गई। इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा? लेकिन दादा जी ने मुझे सोचने का मौका नहीं दिया। उन्होंने एक जलती हुई मोमबत्ती ली, और मेरे साथ सात फेरे लिए। फिर मेरी चूत पर सिंदूर लगाया, और बोले, “अब तेरी चूत मेरे लौड़े की हो गई।”
दादा जी ने मुझे फिर से बेड पर लिटाया, और मेरे पेट को सहलाने लगे। मेरी पतली कमर और गहरी नाभि देखकर वो पागल हो रहे थे। वो मेरे पेट पर चूमने लगे, और उनकी जीभ मेरी नाभि में घुस गई। मैं “ही… ही… आह्ह… दादा जी…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और दादा जी अब मेरी चूत के पास पहुँच गए। उन्होंने मेरी टाँगें फैलाईं, और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी खुरदरी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं “आह्ह… स्स्सी… उई… दादा जी…” की आवाजें निकाल रही थी। वो मेरी चूत के होंठों को दाँतों से काटते, और मैं सनसनी से पागल हो रही थी।
“श्वेता बेटी, तू तो बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा है!” दादा जी ने कहा, और मेरी चूत को और जोर से चाटने लगे। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मैं चुदने के लिए तड़प रही थी। दादा जी ने मेरी टाँगें और चौड़ी कीं, और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा। मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत लंड के लिए बेताब थी। दादा जी ने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह… दादा जी… उई… मर गई!” मेरी आँखें बंद हो गईं, और मेरी चूत से खून निकलने लगा।
दादा जी रुके नहीं। वो मेरी कुंवारी चूत को चोदने लगे। उनका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और मैं दर्द और मजा दोनों महसूस कर रही थी। मैं “आऊ… आऊ… आह्ह… स्स्सी…” की आवाजें निकाल रही थी। दादा जी मेरे ऊपर सवार थे, और उनके धक्के मेरे पेट तक महसूस हो रहे थे। उनका लंड मेरी चूत में सट-सट फिसल रहा था, और मेरी चूत अब उसकी आदी हो रही थी। दादा जी लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे, और उनकी आँखों में मेरी जवानी का नशा साफ दिख रहा था।
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20 मिनट तक वो मुझे चोदते रहे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और मेरे मुँह के सामने लाकर फेटने लगे। मैंने मुँह खोला, और उनके लंड से गर्म-गर्म माल की पिचकारियाँ मेरे मुँह में गिरीं। मुझे गंदा लगा, और मैं थूकने लगी।
“नहीं बेटी, इसे थूको मत। पी जा, मेरी शाबाश बेटी!” दादा जी ने कहा। मैंने सारा माल गटक लिया, और दादा जी मुस्कुराने लगे।
“श्वेता, अब तेरी चूत की मेरे लौड़े से शादी हो चुकी है। यही है चुदाई वाला गेम,” दादा जी ने कहा, और मेरे बगल में लेट गए। हम दोनों ने थोड़ी देर आराम किया। फिर दादा जी ने मेरा हाथ पकड़ा, और अपने लंड पर रख दिया।
“इसे फेट, बेटी,” उन्होंने कहा। मैंने उनका मोटा लंड हाथ में लिया, और ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे लंड को पकड़ने में अजीब सा मजा आ रहा था। मैं उसे जोर-जोर से फेट रही थी, और दादा जी “आह्ह… श्वेता… और तेज…” कह रहे थे। फिर उन्होंने मेरा सिर पकड़ा, और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चूसना शुरू किया। इतना मोटा लंड मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था, और मुझे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन दादा जी मेरे सिर को दबाकर लंड को और अंदर धकेल रहे थे। मैं आधे घंटे तक उनका लंड और उनकी गोलियाँ चूसती रही।
फिर दादा जी ने मुझे अपनी कमर पर बिठाया, और मेरी चूत में लंड डाल दिया। मैं उनके लंड पर उछलने लगी, और वो मेरे चूत के दाने को उंगलियों से रगड़ने लगे। मैं “आह्ह… उंह… उंह… दादा जी… और जोर से…” चिल्ला रही थी। मेरे मम्मे हवा में उछल रहे थे, और मेरे बाल मेरे चेहरे पर बिखर रहे थे। दादा जी नीचे से गहरे धक्के मार रहे थे, और मेरी चूत फटने की कगार पर थी। मैंने अपने हाथ उनके सीने पर रखे, और उनके लंड पर डिस्को डांस करने लगी। मेरी कमर अपने आप गोल-गोल घूम रही थी, और मैं चुदाई के नशे में डूब चुकी थी।
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दादा जी ने मेरी कमर पकड़ी, और मुझे हवा में उछाल-उछाल कर चोदने लगे। मेरी चूत उनके लंड पर टेनिस की गेंद की तरह उछल रही थी। फिर एकाएक मेरी कमर ने अपने आप नाचना शुरू कर दिया। मैंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया, और मेरी चूत दादा जी के लंड पर नाच रही थी। दादा जी मेरे होंठ चूस रहे थे, और मैं “आह्ह… दादा जी… चोदो मुझे… और जोर से…” बड़बड़ा रही थी।
कुछ देर बाद मैं और दादा जी एक साथ झड़ गए। उनके लंड का गर्म माल मेरी चूत में भरा, और मैंने उसे अपने अंदर महसूस किया। दादा जी मेरे मम्मे चूसने लगे, और मेरे गालों पर चुम्मा लेने लगे। मैं उनके ऊपर लेट गई, और हम दोनों सुस्ताने लगे।
“दादा जी, इस चुदाई वाले गेम में तो बड़ा मजा है। अब आप रोज मेरे कमरे में आया करो, और मेरे साथ ये खेल खेलो,” मैंने शरारत से कहा।
दादा जी हँसे, और मेरे माथे पर चुम्मा लिया। अब वो रोज मेरी चूत को अपने लौड़े से बजाते हैं, और मुझे चुदाई के इस खेल का नशा हो चुका है।
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