मेरे बॉयफ्रेंड को मेरी चुदाई देखने का शौक

मेरा नाम ऋषा है, और ये मेरी ज़िंदगी का वो गंदा, मसालेदार, और हरामीपन भरा सच है, जो मैं आज तुम सबके साथ बाँट रही हूँ। मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ, 26 साल की, और दिखने में ऐसी रंडी कि साउथ एक्स की गलियों में चलूँ तो मर्दों के लंड खड़े हो जाएँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और एक ऐसी गांड कि दिल्ली के हर लौंडे का मुँह पानी से भर जाए। दो साल पहले मेरा ब्रेकअप हुआ था मेरे बॉयफ्रेंड कनिष्क के साथ। हमारा रिश्ता डेढ़ साल चला, और उस दौरान मैंने ऐसी ज़िंदगी जी, जो हर रंडी का सपना होती है। कनिष्क को मुझसे प्यार था, लेकिन उसका प्यार गंदा था। उसे मुझे दूसरे मर्दों से चुदवाने और अपनी बेइज़्ज़ती करवाने में मज़ा आता था। हाँ, वो एक हरामी cuckold था, जो मेरी चुदाई का तमाशा देखकर अपना छोटा सा लंड हिलाता था।

कनिष्क 28 साल का था, दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में एक आलीशान थ्री-बेडरूम फ्लैट में रहता था। उसके बाप का ढेर सारा पैसा था, और वो खुद एक मल्टीनेशनल कंपनी में मोटी तनख्वाह लेता था। दिखने में वो लंबा, गोरा, और स्मार्ट था, लेकिन उसकी एक कमी थी, जिसे देखकर मैं पहली बार हँस पड़ी थी। उसका लंड… भोसड़ी के, इतना छोटा कि लगता था जैसे बच्चे का गुड्डा-गुड़िया वाला खिलौना। पहली बार जब मैंने उसका लंड देखा, मेरी आँखें चौड़ी हो गईं, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। बस मुस्कुराकर उसे चूस लिया, ताकि उसका दिल न टूटे। बाद में उसने मुझसे कहा, “ऋषा, सच बोल, मेरा लंड कैसा है?” मैं हिचकिचाई, लेकिन उसने ज़ोर दिया कि वो गंदी बेइज़्ज़ती सुनना चाहता है। मैंने हँसते हुए कहा, “ये तो ऐसा है जैसे लंड का टोटा, साला आधा-अधूरा सा टिक-टैक!” बस, वो सुनकर इतना गर्म हुआ कि उसका छोटा सा लंड तनकर कड़क हो गया। उस रात जब मैं उसकी गोद में थी, उसका लंड मेरी चूत में था, और मैंने उसे अपने पुराने लवरों के मोटे-तगड़े लंडों की कहानियाँ सुनाईं। मैंने कहा, “कनिष्क, मेरे एक लवर का लंड इतना बड़ा था कि मेरी चूत फट गई थी, और तू? तेरा तो बस गुदगुदी करता है!” वो पागलों की तरह झड़ गया, और उसके चेहरे पर एक गंदी सी मुस्कान थी।

हमारा रिश्ता शुरू हुए दो महीने बीते थे, जब कनिष्क ने अपनी गंदी ख्वाहिश ज़ाहिर की। एक रात, जब हम उसके फ्लैट में देसी दारू के पैग ठोक रहे थे, उसने धीरे से कहा, “ऋषा, मैं चाहता हूँ कि तू किसी और मर्द से चुदे, और मैं देखूँ।” मैं तो जैसे चौंक गई। मैंने कहा, “क्या हरामखोरी है ये, कनिष्क?” लेकिन उसकी आँखों में एक गंदा जोश था। उसने कहा, “मुझे बेइज़्ज़त होने में मज़ा आता है। तू किसी तगड़े मर्द को ला, और मेरे सामने उससे चुद।” मैं पहले तो झिझकी, लेकिन फिर सोचा, अगर ये हरामी यही चाहता है, तो क्यों ना मैं भी मज़ा लूँ? मेरी चूत भी तो किसी मोटे लंड की भूखी थी। मैंने अपने पुराने फक-बडी, दीपक को फोन किया। दीपक 30 साल का था, जिम में पसीना बहाने वाला, हरियाणवी गबरू जवान, जिसका लंड 8 इंच का था, मोटा और तगड़ा। मैंने उसे बताया कि मेरा बॉयफ्रेंड cuckold है, और वो मेरे सामने मुझे चोदना चाहता है। दीपक हँसा और बोला, “साली, ये तो मस्त खेल है। मैं तैयार हूँ।”

पहली बार ये गंदा खेल कनिष्क के फ्लैट में हुआ। मैंने काली लेस वाली लॉन्जरी पहनी थी, जो मेरी चूचियों को आधा ढक रही थी, और मेरी गांड को ऐसा उभार रही थी कि दिल्ली का हर लौंडा पागल हो जाए। कनिष्क को दीपक ने पिंक पैंटी पहनने का हुक्म दिया, और वो चुपचाप मान गया, जैसे कोई लौंडिया। रात के 9 बजे दीपक आया। उसने आते ही कनिष्क को डाँटा, “अबे चूतिए, मेरे लिए बियर ला, जल्दी!” कनिष्क ने “हाँ भाई” कहकर तुरंत फ्रिज से ठंडी बियर निकाली। दीपक सोफे पर टाँगें फैलाकर बैठ गया, और मैं उसकी गोद में बैठकर उसका लंड सहलाने लगी। उसका लंड जींस के ऊपर से ही इतना तगड़ा लग रहा था कि मेरी चूत से पानी टपकने लगा। मैंने बीच-बीच में उसका लंड चाटा, और कनिष्क कोने में खड़ा हमें देख रहा था। उसकी पिंक पैंटी में उसका छोटा सा लंड तन गया था, और वो शर्मिंदगी के साथ-साथ मज़ा भी ले रहा था।

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दीपक ने कनिष्क को हुक्म दिया, “अबे हरामी, नीचे घुटनों पर बैठ, और मेरे पैरों का स्टूल बन।” कनिष्क ने “हाँ भाई” कहकर तुरंत घुटने टेक दिए, और दीपक ने अपने भारी जूते उसकी पीठ पर रख दिए। मैं दीपक की गोद में थी, और उसने मेरी लॉन्जरी को फाड़ डाला। उसने मेरी चूचियों को इतनी ज़ोर से मसला कि मैं चीख पड़ी, “आह… दीपक… साले, धीरे!” लेकिन वो हरियाणवी गबरू कहाँ मानने वाला था। वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगा, कभी दाँतों से काटता, तो मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, “उफ्फ… साले, और ज़ोर से… चूस मेरी चूचियाँ!” कनिष्क की पीठ पर दीपक के जूते थे, और वो हमें देखकर अपना छोटा सा लंड हिलाने लगा। दीपक ने मेरे बाल पकड़े और मुझे अपने लंड पर झुकाया। मैंने उसका मोटा, तगड़ा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका लंड इतना बड़ा था कि मेरे गले तक जा रहा था, और मेरे मुँह से थूक टपकने लगा। दीपक ने कनिष्क को ताना मारा, “देख रे चूतिए, तेरी रंडी को असली लंड का मज़ा चाहिए। तेरा वो टिक-टैक तो साला चूत में घुसने लायक भी नहीं!” कनिष्क सिर झुकाए सुन रहा था, और उसकी आँखों में गंदा जोश चमक रहा था।

कुछ देर बाद दीपक ने मुझे अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। उसने कनिष्क को पीछे-पीछे आने का इशारा किया। बेड पर उसने मुझे घोड़ी बनाया, ताकि मेरा चेहरा कनिष्क की तरफ हो। दीपक ने मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ा, और फिर एक ज़ोरदार धक्के में पूरा लंड अंदर पेल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह… दीपक… भोसड़ी के, फाड़ डाला मेरी चूत!” उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं कनिष्क की आँखों में देखकर सिसकारियाँ ले रही थी, “उफ्फ… कनिष्क… देख, ये है असली चुदाई! तेरा लंड तो मेरी चूत में गुदगुदी भी नहीं करता!” वो अपने छोटे से लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। दीपक ने उसे गंदा ताना मारा, “देख रे cuck, तेरी रंडी को असली मर्द चाहिए। तू तो साला बस तमाशा देखने लायक है!” मैंने भी मज़े लेते हुए कहा, “हाँ कनिष्क, तेरा लंड तो दिल्ली मेट्रो की टिकट जितना छोटा है। दीपक का लंड देख, साला पूरा मालगाड़ी है!” कनिष्क की साँसें तेज़ हो रही थीं, और वो गंदी बेइज़्ज़ती सुनकर उत्तेजना में डूबा हुआ था।

दीपक ने मुझे आधे घंटे तक हर पोज़ में चोदा। कभी मुझे अपनी गोद में बिठाकर, कभी उल्टा लिटाकर मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए। मेरी चूत इतनी गीली थी कि हर धक्के के साथ ‘पच-पच’ की आवाज़ गूँज रही थी। उसने मेरी चूचियों को मसला, मेरे निप्पल्स को काटा, और मेरी गांड में उंगली डालकर मुझे और गर्म किया। वो चोदते हुए गंदा बोल रहा था, “साली ऋषा, तेरी चूत तो रंडी की तरह खुल गई है। बोल, कितने लंड ले चुकी है तू?” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा, “आह… दीपक… बस तेरा लंड चाहिए… चोद डाल मुझे!” आखिर में उसने मेरी चूचियों पर अपना गर्म माल छोड़ा, और कनिष्क को हुक्म दिया, “चल रे हरामी, मेरे माल को चाट के साफ कर।” कनिष्क ने बिना हिचक के मेरी चूचियों से दीपक का माल चाट लिया। दीपक ने उसका गला पकड़ा और कहा, “अब जब चाहूँगा, तेरी रंडी को चोदूँगा। समझा, cuck?” कनिष्क ने सिर हिलाकर हामी भरी, और मेरी चूत फिर से सुलगने लगी।

ये गंदा खेल चल पड़ा। कभी दीपक आता, कभी कोई और लौंडा। कनिष्क को हर बार यही मज़ा चाहिए था। वो मेरी चुदाई का तमाशा देखता, गंदी गालियाँ सुनता, और अपने छोटे से लंड को हिलाकर झड़ जाता। लेकिन असली हरामीपन तब शुरू हुआ, जब दीपक ने एक नया खेल प्लान किया। कुछ हफ्तों बाद, उसने मुझे फोन किया और कहा, “साली ऋषा, इस बार मैं अपने चार दोस्तों को ला रहा हूँ। तू और वो cuck कनिष्क तैयार रहना। पूरा वीकेंड तेरी चूत और गांड का मेला लगेगा।” मैंने कनिष्क से पूछा, और वो तुरंत राज़ी हो गया। उसकी आँखों में वही गंदा जोश था, जैसे कोई दिल्ली का लौंडा पहली बार ब्लू फिल्म देख रहा हो।

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उस वीकेंड को मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल सकती। कनिष्क का फ्लैट एक आलीशान बंगले जैसा था, और दीपक ने अपने चार दोस्तों—राहुल, विक्की, अर्जुन, और करण—को साथ लाया। ये सब दिल्ली के जिम में पसीना बहाने वाले, हरियाणवी-यूपी स्टाइल के गबरू जवान थे, जिनके लंड एक से बढ़कर एक थे। दीपक ने मुझे नंगा रहने का हुक्म दिया, और मैंने वैसा ही किया। कनिष्क को उन्होंने सिर्फ़ एक पतली सी पिंक पैंटी पहनने दी, जैसे कोई रंडी। जब पाँचों मर्द फ्लैट में दाखिल हुए, दीपक ने मुझे हुक्म दिया, “साली, टाँगें फैला और अपनी चूत दिखा।” मैंने बेशर्मी से टाँगें चौड़ी कीं, और मेरी गीली चूत सबके सामने थी। राहुल ने मेरी चूत में उंगली डाली, विक्की ने मेरे क्लिट को पिंच किया, और बाकी सब मेरी चूचियों को देखकर गंदी-गंदी बातें करने लगे, “साला, ये तो मस्त माल है। कनिष्क, तू इस रंडी को चोदता कैसे है अपने टिक-टैक से?” कनिष्क सिर झुकाए उनकी गालियाँ सुन रहा था, और उसका छोटा सा लंड पैंटी में तन गया था।

दीपक ने हुक्म दिया, “ऋषा, इनके लंड चूस के कड़क कर, साली रंडी।” मैं घुटनों पर बैठ गई, और एक-एक करके उनके लंड चूसने लगी। राहुल का लंड 7 इंच का था, मोटा और काला। विक्की का लंड लंबा और टेढ़ा, जैसे कोई देसी गन्ना। अर्जुन और करण के लंड भी कम नहीं थे, दोनों 6.5 इंच के, लेकिन तगड़े। मैं उनके लंड चूस रही थी, और वो कनिष्क को हुक्म दे रहे थे, “अबे cuck, हमारे लिए बियर ला। देसी दारू निकाल।” कनिष्क भाग-भागकर उनकी खिदमत कर रहा था, जैसे कोई दिल्ली का वेटर। तभी अर्जुन ने मुझे सोफे पर झुकाया और मेरी गांड में अपना लंड पेल दिया। मैं चीख पड़ी, “आह… भोसड़ी के, धीरे… मेरी गांड फट जाएगी!” लेकिन वो हरियाणवी गबरू कहाँ मानने वाला था। उसने मेरी गांड को ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और कनिष्क को पास बुलाकर कहा, “देख रे हरामी, तेरी रंडी की गांड कैसे फट रही है।” उसी वक़्त करण ने मेरा मुँह पकड़ा और अपना लंड मेरे गले तक उतार दिया। मैं एक तरफ गांड मरवा रही थी, दूसरी तरफ लंड चूस रही थी। करण झड़ने वाला था, उसने लंड निकाला और कनिष्क के चेहरे पर अपना माल छोड़ दिया। उसने कहा, “चाट रे cuck, मेरे माल को चाट!” बाकी तीनों ने भी यही किया—मेरे मुँह को चोदा, और कनिष्क के चेहरे पर झड़ गए। अर्जुन ने आखिर में मेरी गांड में अपना गर्म माल भरा, और मुझे छोड़कर सोफे पर बैठ गया। उसने कनिष्क को ताना मारा, “बोल रे, तेरी औरत की गांड कैसी लगी मेरे लंड से?” कनिष्क ने शर्मिंदगी से कहा, “मज़ा आया, भाई।”

थोड़ी देर आराम करने के बाद उन्होंने मेरी चूत का नंबर लगाया। मुझे बेड पर लिटाया गया, मेरी टाँगें चौड़ी की गईं, और कनिष्क को बेड के पास घुटनों पर बिठाया गया। दीपक ने सबसे पहले मेरी चूत में अपना लंड पेला। उसका लंड इतना तगड़ा था कि मेरी चूत को फाड़ने लगा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… दीपक… साले, और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” वो मेरी चूचियों को मसलते हुए, मेरे निप्पल्स को काटते हुए मुझे चोद रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और हर धक्के के साथ ‘पच-पच’ की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने कनिष्क की तरफ देखा और गंदा बोला, “देख रे cuck, असली मर्द ऐसे चोदता है। तेरा लंड तो साला मेरी चूत में घुसने लायक भी नहीं!” दीपक ने कनिष्क को ताना मारा, “बोल रे हरामी, तू क्या है? एक नमूना cuck!” कनिष्क ने गंदी बेइज़्ज़ती सुनते हुए कहा, “हाँ भाई, मैं एक cuck हूँ।” वो ये बोलते हुए अपने छोटे से लंड को हिलाकर झड़ गया।

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एक-एक करके बाकी चारों ने मेरी चूत को चोदा। राहुल ने मुझे अपनी गोद में बिठाकर चोदा, और मेरी चूचियों पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “साली, तेरी चूत तो दिल्ली की गलियों जितनी खुली है!” विक्की ने मुझे उल्टा लिटाकर मेरी गांड पर देसी स्टाइल में थप्पड़ मारते हुए चोदा, और बोला, “बोल रे कनिष्क, तेरी रंडी को मेरा लंड कैसा लगा?” अर्जुन ने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखकर चोदा, और मेरी चूत में इतने ज़ोरदार धक्के मारे कि मैं चीख पड़ी, “आह… अर्जुन… साले, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे!” करण ने मुझे दीवार से टिकाकर चोदा, और मेरे मुँह में उंगली डालकर कहा, “चूस साली, जैसे मेरा लंड चूसती है!” मैं चीख रही थी, “आह… उफ्फ… और ज़ोर से… मेरी चूत और गांड फाड़ दो!” मेरी चूत और गांड दोनों लाल हो चुकी थीं, लेकिन मज़ा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी। कनिष्क हर बार पास में घुटनों पर बैठा हमें देख रहा था, और अपने लंड को हिलाकर झड़ रहा था।

पूरा वीकेंड ऐसा ही चला। पाँचों मर्दों ने कनिष्क के फ्लैट को अपने अड्डे जैसा बना लिया। वो दिन-रात मेरी चुदाई करते, और कनिष्क को गंदे-गंदे हुक्म देते। कभी उसे बियर लाने को कहते, कभी देसी चखना लाने को। दीपक ने कनिष्क को अपना फुटरेस्ट बनाया, और बाकी लोग भी उसकी पीठ पर पैर रखकर मज़े लेते। एक बार उन्होंने कनिष्क को हुक्म दिया, “चल रे cuck, दिखा तू अपनी रंडी को कैसे चोदता है।” कनिष्क ने मेरी चूत में अपना छोटा सा लंड डाला, लेकिन मुझे कुछ महसूस ही नहीं हुआ। मैं बोर होकर लेटी रही, और बोली, “साले, ये क्या हरामीपन है? तेरा लंड तो मेरी चूत में गायब हो गया!” दीपक और बाकी लोग हँसने लगे, “हाहा, ये क्या नमूना है!” फिर दीपक ने कनिष्क को धक्का देकर हटाया और मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। मैं तुरंत सिसकारियाँ लेने लगी, “आह… दीपक… साले, यही चाहिए मुझे… चोद डाल!” बाकी लोग तालियाँ बजाने लगे, और कनिष्क को ताना मारा, “देख रे, असली मर्द ऐसे चोदता है, cuck!”

वीकेंड के आखिरी दिन, जब सब थक गए थे, दीपक ने कनिष्क को पास बुलाया और कहा, “बोल रे हरामी, तुझे कैसा लगा अपनी रंडी को चुदते देखकर?” कनिष्क ने गंदी शर्मिंदगी और गंदी संतुष्टि के मिश्रण से कहा, “भाई, ये मेरा सबसे गंदा सपना था। मेरी रंडी को तुम सबने चोद-चोदकर भोसड़ा बनाया, और मैंने सब देखा।” मैंने कनिष्क की तरफ देखा और सोचा, ये हरामी कितना गंदा है, लेकिन उसकी ये गंदी ख्वाहिश ही थी जिसने मेरी चूत को इतना मज़ा दिया।

उस वीकेंड के बाद हमारा रिश्ता और कुछ महीने चला, लेकिन फिर हम अलग हो गए। मैं आज भी उस गंदे मज़े को याद करती हूँ, जब मैं दीपक और उसके दोस्तों की रंडी बनी थी, और कनिष्क मेरी चुदाई का गंदा तमाशा देखता था। ये मेरी ज़िंदगी का वो गंदा, रसीला पन्ना है, जो मैं कभी नहीं भूलूँगी।

 

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