Cousin sex story – Big tits fuck sex story: अपनी कजिन को चोदने का मजा मुझे मिला, उसके बड़े बूब्स एक जमाने से मेरा लंड खड़ा किये हुए थे, मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता हूं, लेकिन इतना समझ लें कि मैं अपने दिल की बात जो एक अरसे से छिपाकर बैठा था, उसे आज निकालना चाहता हूं, बात तब की है जब मैं ग्रेजुएशन के लास्ट ईयर में था, अच्छे दिन थे जब 5 रुपये पॉकेट मनी मिलती थी, जिसमें से भी 1 रुपया बच जाता था, चाचा जी बगल वाले घर में ही रहते थे, और उनकी बेटी काव्या भी, काव्या के बारे में बस इतना कहूंगा कि उसकी फिगर करीना कपूर से कम नहीं थी, यदि ज्यादा नहीं तो, और मैं एक अरसे से उसके बूब्स का दीवाना था.
एग्जाम नजदीक थे इसलिए मैं कॉलेज नहीं जाता था और घर पर ही पढ़ता था, मेरे मां-बाप उस दिन किसी काम से मौसी के गांव गए थे, मुझे बाद में पता चला कि वो मेरे रिश्ते की बात करने के लिए गए थे, काव्या से मेरी अच्छी बनती थी, वो मुझसे कुछ 4 महीने बड़ी थी, उस दिन मेरा ध्यान पढ़ाई में बिलकुल नहीं लग रहा था, मैं मुठ मारना चाहता था क्योंकि घर में कोई नहीं था मेरे अलावा, मैंने मोबाइल में एक बड़े बूब्स वाली लड़की की क्लिप निकाली और लंड सहलाने लगा, बाहर देखा तो काव्या बाथरूम से नहाकर निकली थी, उसने छाती तक रुमाल लपेटा था और उसके बूब्स मादक आकार बना रहे थे, मैं वही खिड़की में खड़े-खड़े लंड को शांत किया और वीर्य को कॉपी के एक पेज में भरकर उसे बाहर फेंक दिया.
मेरी इच्छा अब काव्या से सेक्स करने की हो रही थी, मैंने थोड़ी देर पहले ही चाची को बाहर जाते देखा था, और चाचा तो सुबह ही दुकान पर निकल जाते हैं, वो भी घर पर अकेली ही थी, मैं उठा और उसके घर में चला गया, डोर खुला ही था, मैं सीधा उसके बेडरूम की ओर गया, काव्या शायद कहीं बाहर जा रही थी क्योंकि उसने बेड के ऊपर जींस और टॉप रखा हुआ था, मैं फट से अंदर घुस गया, काव्या शीशे के सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी, उसने मुझे देखा और उसके होश उड़ गए, उसने थर्थराते गले से कहा, क्या कर रहे हो तुम, अंदर क्यों आए बिना नॉक किये हुए, मैंने कहा, काव्या मुझे कुछ काम था इसलिए आ गया, मुझे नहीं पता था कि तुम ऐसे खड़ी हो, यह सुनकर वो कुछ नहीं बोली, मैं उसे देख रहा था, काली ब्रा में उसके सफेद बूब्स सेक्सी लग रहे थे.
क्या देख रहे हो, तुम मस्त दिखती हो, अच्छा बाहर जाओ अब कोई आ जाएगा तो पंगे होंगे, देख तो लेने दो दो घड़ी, मुझे पता है अभी तुम खिड़की के पास खड़े क्या कर रहे थे, पर्दा हवा से उठा था 2 सेकंड के लिए, और मैं यह भी जानती हूं कि तुम यहां क्यों आए हो, बाप रे उसने मुझे मुठ मारते हुए देखा था, तब तो उसने मेरा काला नाग भी देखा होगा ना, मैंने कहा, फिर कुछ मजे करा दो ना काव्या, बहुत अरसे से तमन्ना थी तुम्हारे साथ की, चुप कर, ऐसे नहीं होता है, हम भाई-बहन हैं, वो टी-शर्ट उठाकर बोली, मुझे लगा कि अभी नहीं तो कभी नहीं, मैं फट से उसके नजदीक गया और बोला, कजिन हैं इसलिए ही एक-दूसरे को हेल्प करेंगे ना, और इतना कहकर मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिया, काव्या ने कहा, कोई आ जाएगा यार, अरे कोई नहीं आएगा, सभी लोग बाहर हैं.
और मैं उसके बूब्स को दबाने लगा, उसके नरम बूब्स हाथ में मसलते ही आह ह्ह्ह इह्ह की हल्की सिसकारी निकली काव्या के मुंह से, फिर एक पल की भी देर किये बिना मैंने पीछे हाथ करके उसकी ब्रा की हुक खोल दी, बाप रे कयामत थे उसके बूब्स तो, गोल मटोल और भारी, काव्या को शर्म आ गई और उसने अपना हाथ छाती के ऊपर रख दिया, लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए और उसके बूब्स मसलने लगा, उसकी निप्पल्स अकड़ चुकी थीं और वो आह आह ओह्ह करने लगी, मैंने उसे मसलते हुए ही अपनी पैंट खोलकर लंड बाहर निकाल लिया, काव्या का हाथ पकड़कर मैंने अपने लंड पर रख दिया, वो उसे मसलने लगी, मेरा लंड काफी गर्म हो चुका था, काव्या ने अब मेरे लंड को मुट्ठी में बांधा और वो उसे ऐसे हिलाने लगी जैसे कि मुठ मार रही हो, उसके हाथ की गर्मी से मेरा लंड और सख्त हो गया.
मैंने कहा, इसे अपने मुंह का मजा भी दे दो काव्या, नहीं मैं मुंह में और पीछे नहीं लूंगी, यह सब गंदी चीजें हैं और मुझे नहीं पसंद, मैंने मन ही मन सोचा कि कोई नहीं फिर चूत ही अच्छी तरह दे देना साली रंडी, काव्या की चूत के ऊपर हाथ रखने के लिए मैंने पेंटी को खिसकाया और मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बहुत गर्म हो गई थी, उसने शायद आजकल में ही चूत के बाल निकाले थे क्योंकि चूत के ऊपर सब सफाई की हुई लगती थी, मैंने हल्के से उंगली को चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलने लगा, काव्या के मुंह से आह इह्ह ओह्ह की आवाज निकलने लगी, मैंने उसके बूब्स मसलते हुए उंगली को चूत के छेद में डाल दी, इससे तो काव्या जैसे उछल पड़ी, उसने लंड छोड़ दिया और मेरे कंधे को पकड़कर दबाने लगी, आह ह ह ह ह्हीईई की तेज सिसकारियां भरते हुए वो कांपने लगी.
मैंने उसे कहा कि चलो बेड में लेट जाओ, वो बेड के ऊपर की जींस और टॉप को साइड में करके लेट गई, मैंने सरकाई हुई पेंटी को निकाल फेंका और उसकी टांगें फैला दी, काव्या की चूत मस्त गुलाबी थी जिसे देखकर मेरा लंड मानो उसे सलामी दे रहा था, मैंने अपनी उंगली को उसकी चूत में डाला और उसे अंदर-बाहर करने लगा, काव्या की आंखें बंद हो गईं और उसके मुंह से वही आह आह ओह्ह निकलने लगा, वो बड़ी गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए बेताब लग रही थी, मैंने उसकी चूत की साइज चेक करने के लिए दूसरी उंगली भी डालनी चाही, उफफ्फ्फ अरे क्या पागल हो, अंदर बैठोगे क्या, कितना दर्द हुआ मुझे, काव्या दूसरी उंगली नहीं ले पाई, उसका मतलब था कि उसकी चूत ढीली नहीं बल्कि टाइट ही थी, मैंने अब चूत से अपनी उंगली निकाली और उसे सूंघी, चूत की खुसबू पूरी उंगली से आ रही थी, मैं समझ गया कि काव्या ने चूत के ऊपर भी लक्स रोज लगाया था, अब मैंने उंगली चाटी और काव्या ने टांगें और खोल दीं, उसके चूत के होंठ चमक रहे थे रस से.
मैंने अब लंड को चूत के छेद पर सेट किया, काव्या ने हाथ बढ़ाकर लंड की बागडोर अपने हाथ में ले ली और उसे चूत पर रगड़ने लगी, एकदम से मत घुसेड़ देना, जब मैं कहूं तब झटका देना धीरे से, उसने चूत पर लंड रगड़ते हुए कहा, मुझे उसकी चूत की गर्मी लंड पर मिलते ही बड़ा मजा आ रहा था, वो करीब पूरे दो मिनट चूत के ऊपर मेरा लंड घिसती रही, और उसकी चूत से बहुत सी चिकनाहट निकलकर पूरा गिला कर चुकी थी, मैं समझ गया कि वो चूत में घर्षण नहीं चाहती थी इसलिए उसे चिकनी बना रही थी, काव्या ने अब आंखों से इशारा किया और मैंने हल्के से पेला, मेरा लंड उसकी चूत में जाते ही उसकी आह निकली लेकिन उसमें सुख के भाव भी थे, आह्ह ह्ह आऊ की मधुर आवाज आई, मैंने लंड को थोड़ा और अंदर किया और मेरे अंडकोष उसकी चूत के होंठों को छूने लगे, मेरा लंड पूरा अंदर घुस गया था और काव्या आह आह कर रही थी, काव्या की चूत में मेरा लंड अब गोते लगाकर गिला हो रहा था, टाइट दीवारें लंड को जकड़ रही थीं.
2 मिनट तक आह आह करने के बाद अब काव्या भी मचलने लगी, उसकी कमर और गांड हिलने लगे और उसकी वजह से उसके बूब्स भी हवा में उड़ रहे थे, मैंने नीचे झुककर बूब्स को मुंह में भर लिया और जोर-जोर से झटके देने लगा, उसके निप्पल्स को दांतों से हल्का काटते हुए चूसा, मजे आ रहा है, और जोर से करो, आह आह आह ओह्ह ऊउइ ऊईईई, काव्या ने अब चुदने का मजा लूटना चालू कर दिया था, मैं भी उसके बूब्स चूसकर उसे जोर-जोर से ठोकने लगा, मेरा लंड उसकी चूत में पूरा जाकर बाहर आता था और जब वो चूत को दबाती थी तब तो मेरी जान ही निकल जाती थी जैसे, काव्या की मोनिंग बढ़ने लगी और उसके साथ ही मैं और भी जोर से उसे चोदने लगा, कभी कमर पकड़कर ऊपर उठाकर पेलता, कभी टांगें कंधे पर रखकर गहराई तक घुसाता, 10 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया, काव्या ने चूत को दबाकर सब अंदर ले लिया, गर्म वीर्य की धार से वो ऊऊ उईईई की चरम सिसकारी भर उठी, मैंने लंड चूत से निकाला और उसे हिलाकर बचीकुची बूंदें भी उसके शरीर पर ही निकाल दी, काव्या ने उठकर अपने बदन को मेले कपड़े से साफ किया, वही कपड़े से मैंने अपना लंड भी पोंछ लिया, काव्या खुश थी मेरी चुदाई से.
क्यों मजा आया कि नहीं, मैंने पूछा, मजा तो बहुत आया, लेकिन अब तुम भागो कोई आ गया तो पंगे होंगे, मैंने कपड़े पहने और काव्या के बूब्स दबाकर घर से निकल गया, उस दिन से चालू हुई हमारी चुदाई अब और भी गहरी हो चुकी थी, काव्या भी कई बार मुझे फोन करके बुलाती थी जब घर कोई नहीं होता था, मुझे उसके बूब्स और चूत का लुत्फ पूरा मिलता था, और जैसे उसने पहले ही कहा था गांड और मुंह में मैं उसे आजतक नहीं दे पाया हूं, लेकिन उसका कोई गम नहीं है क्योंकि उसके बूब्स और चूत कसर पूरी कर देते हैं, चलो मिलते हैं दोस्तों, बाय बाय.