Coaching girl sex story – library sex story – blackmail sex story: मेरा नाम करण सिंह है, मैं नीट की कोचिंग जॉइन की थी, पहला दिन था और उसी दिन मेरी नज़र नम्रता पर पड़ी, वो कॉलेज की लड़की थी, लंबी, स्लिम, गोरी, कातिल आँखें, काले लंबे बाल, उसकी टाइट जींस में गांड और व्हाइट टॉप में उभरे हुए मम्मे देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया था। पहली नज़र में ही दिल धक से रह गया, प्यार नहीं, सीधे चुदाई का ख्याल आया।
कहानी का पिछला भाग: स्कूटी खराब हुई तो मैम ने चुदाई करवा ली
क्लास में जब भी वो सामने बैठती, मैं उसकी चुटी हुई ब्रा की स्ट्रिप देखता रहता, उसकी हल्की सी मुस्कान, होंठों पर गुलाबी ग्लॉस, सब कुछ मुझे पागल बना रहा था। मैंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, टॉपर लड़की को एडमिन बनाया ताकि सारी लड़कियाँ जुड़ जाएँ, और नम्रता भी जुड़ गई। धीरे-धीरे प्राइवेट चैट शुरू हुई, वो खुलकर बात करने लगी, बताया कि उसका एक्स था पर सेक्स नहीं हुआ था, मैंने पूछा मन था क्या, वो हँसकर बोली, मन तो बन ही जाता है ना।
बातें गंदी होने लगीं, मैंने प्रपोज़ कर दिया, वो तुरंत मान गई, “आई लव यू टू” लिखा, क्लास में साथ बैठने लगे, मौका मिलते ही किस, वो भी मुझसे लिपट जाती। पर क्लास में सबने देख लिया, बातें फैल गईं, नम्रता डर गई, मुझसे दूर हो गई, बोलचाल बंद। मैंने कोशिश की पर वो बोली, बस करण, अब नहीं, हमें दूर रहना चाहिए, मैंने भी हाँ कर दी।
एक दिन मैं लाइब्रेरी में पढ़ने गया, वहाँ हमेशा खाली रहती थी, अंदर जाकर देखा तो हैरान रह गया, नम्रता शुभम के साथ थी, दोनों एक कोने में, शुभम ने उसकी टी-शर्ट ऊपर की हुई थी, ब्रा अलग, मम्मे दबा रहा था। नम्रता की जींस नीचे, पैंटी साइड में, शुभम उसकी चूत में उंगली कर रहा था। मैं अलमारी के पीछे छुप गया, दोनों ने कपड़े उतार दिए, नम्रता पूरी नंगी, उसकी चूत पर छोटी सी स्ट्रिप बनी हुई थी, मम्मे गुलाबी निप्पल वाले।
शुभम ने लंड उसके मुँह में दिया, नम्रता ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी.. गी.. करती हुई चूसने लगी, फिर 69 में आ गए, शुभम उसकी चूत चाट रहा था, नम्रता ऊँ ऊँ उइइइ कर रही थी। फिर शुभम ने लंड चूत में डाला, नम्रता चीखी, आह्ह्ह मेरी फट गई, दर्द हो रहा है, पर दो-चार धक्के बाद शुभम झड़ गया, लंड ढीला पड़ गया, नम्रता नाराज़, अभी तो शुरू हुआ था, तू तो खत्म हो गया।
मैंने सब देख लिया, चुपके से निकल आया। अगले दिन फिर लाइब्रेरी में नम्रता अकेली थी, मैं पास बैठ गया, पूछा, कल शुभम आया था ना? वो घबरा गई, मैंने कहा, सब देखा है, वो डर गई, प्लीज़ किसी को मत बताना। मैंने कहा, बताऊँगा नहीं, बशर्ते आज तू मेरे साथ भी वही करे जो कल किया, तेरी चूत अभी भी प्यासी है ना।
पहले मना किया, फिर मैंने कहा, मेरे फोन में फोटो हैं, वो रोने लगी, फिर मान गई। मैंने गेट बंद किया, उसे दीवार से सटा कर किस करना शुरू किया, उसकी साँसें तेज़, मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर की, ब्रा में मम्मे दबाए, निप्पल मुँह में लेकर चूसे, वो आह्ह्ह करण, धीरे, आह्ह्ह्ह कर रही थी। जींस खोली, पैंटी गीली थी, मैंने पैंटी नीचे की, उसकी चूत पर उंगली फेरते ही वो सिहर उठी, आह्ह्ह्ह करण, अंदर डालो ना।
मैंने घुटनों पर बैठकर उसकी चूत चाटनी शुरू की, जीभ अंदर तक, वो मेरे सिर को दबाते हुए चिल्ला रही थी, आह्ह्ह्ह ह्ह्ह करण, और ज़ोर से, ऊईईईई मर गई, उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। फिर मैंने खड़ा होकर लंड बाहर निकाला, 7 इंच का मोटा, सुपारा चमक रहा था, नम्रता ने देखकर आँखें फटी की फटी, बोली, ये तो बहुत बड़ा है। मैंने उसके मुँह के पास रखा, वो पहले हिचकिचाई, फिर मुँह खोलकर चूसने लगी, ग्ग्ग्ग्ग… गों गों गोग, पूरा गले तक ले रही थी, आँखों में पानी आ गया पर चूसती रही।
मैंने उसका सिर पकड़कर धक्के देने शुरू किए, उसकी लार लंड पर लटक रही थी। फिर 69 में ले गया, उसकी चूत मेरे मुँह पर, मेरा लंड उसके गले में, दोनों एक साथ चूस रहे थे, वो बार-बार झड़ रही थी, आह्ह्ह्ह ऊउइइइ ऊईईई कर रही थी। मैंने उसे टेबल पर लिटाया, टाँगें ऊपर उठाईं, लंड चूत पर रगड़ा, वो बेचैन, करण जल्दी डालो ना, मैं एक झटके में पूरा अंदर, वो चीखी, आअह्ह्ह्ह्ह माँ मर गई, बहुत मोटा है, धीरे।
मैंने धीरे-धीरे शुरू किया, फिर स्पीड बढ़ाई, टेबल हिल रही थी, नम्रता की चीखें, आह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह आह्ह्ह फाड़ दी, और तेज़ करण, और तेज़, मैंने उसके मम्मे दबाते हुए 15-20 मिनट तक लगातार चोदा, वो तीन बार झड़ी। फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया, पीछे से लंड डाला, उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोदा, वो बोली, करण गांड में मत, मैंने कहा आज तो दोनों छेद फाड़ूँगा।
लंड निकाला, थूक लगाया, गांड में सुपारा सेट किया, वो मना कर रही थी पर मैंने ज़ोर से धक्का मारा, आधा गया, वो रोने लगी, आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दर्द, बाहर निकालो, मैं रुका नहीं, धीरे-धीरे पूरा अंदर, फिर तेज़ धक्के, वो भी मजे लेने लगी, आह्ह्ह्ह गांड में भी मज़ा आ रहा है, और तेज़। 20 मिनट गांड मारने के बाद मैंने उसकी गांड में ही सारा माल भर दिया।
दोनों पसीने से तर, वो मेरे सीने पर गिर गई, बोली, करण, तेरा लंड तो जादू है, शुभम तो कुछ भी नहीं था। मैंने उसके होंठ चूसे, कहा, अब जब भी खुजली हो, लाइब्रेरी आ जाना। वो हँसकर बोली, अब तो रोज़ आऊँगी।
अब जब भी मौका मिलता है, हम लाइब्रेरी के किसी कोने में कपड़े उतारकर एक दूसरे को चूसते-चोदते हैं, कभी टेबल पर, कभी फर्श पर, कभी कुर्सी पर घोड़ी बनाकर, दोनों को पूरा मज़ा आता है।