Classteacher Sex Story: मेरा नाम सचिन है। मैं 18 साल का हूँ, करीब छह फीट लंबा, सांवला रंग, और कसरती बदन। मैं सरस्वती विद्यालय में बारहवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। मेरी क्लास टीचर, मिसेज एग्नेस, 38 साल की हैं। वो एक क्रिश्चियन हैं, जिनकी शादी एक साउथ इंडियन से हुई है। उनकी लंबाई करीब पांच फीट सात इंच, सांवला रंग, और कमर तक लटकते रेशमी बाल, जो हवा में लहराते हैं जैसे कोई काला झरना। उनकी आँखें, जैसे गहरे कुएँ, जिनमें डूबने का मन करता है, और भौंहें ऐसी, मानो किसी शायर ने तीर-सी नजरों की तारीफ में कविता लिख दी हो। उनके होंठ, खासकर जब वो लाल लिपस्टिक लगाती हैं, बिल्कुल रसीले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे, जो चूमने को बेकरार करते हैं। उनकी गांड, भरी-भरी और गोल, जैसे दो नरम तकिए, जो हर कदम पर लचकते हैं। लेकिन उनकी चूचियां… हाय! वो तो जैसे दो पके हुए तरबूज, करीब 38DD, जो उनकी साड़ी में कैद रहकर भी आजादी की मांग करते हैं। वो हमेशा काली या लाल साड़ी पहनतीं, जो उनके जिस्म की हर वक्र को उभारती थी। मेरी क्लास के सारे लड़के उनकी चुदाई के सपने देखते थे, लेकिन किस्मत ने मुझे चुना।
मैं मैथ्स में उस्ताद था, और शायद इसीलिए एग्नेस मैडम को मुझसे खास लगाव था। ऊपर से, हमारा जन्मदिन एक ही दिन पड़ता था, जिसने हमारी दोस्ती को और गहरा कर दिया। पहले मैं उनकी इज्जत करता था, जैसे कोई अच्छा स्टूडेंट अपनी टीचर की करता है। लेकिन धीरे-धीरे मेरी नजरें बदलने लगीं। जब वो मेरे पास खड़ी होतीं, मेरी आँखें उनकी गहरी दरार में खो जातीं। मैं रातों को उनकी चूचियों और गांड के खयालों में डूबकर मुठ मारता। मैं उन्हें बिस्तर पर नंगा देखना चाहता था, उनके जिस्म को चूमना, उनकी चूत को चाटना, और उनकी चुदाई करना। लेकिन वो इतनी संयमी लगती थीं कि मुझे डर लगता था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए। फिर भी, मेरे साथ वो थोड़ा खुलकर बात करती थीं। वो मेरे घर से दो गलियां दूर रहती थीं, और अक्सर हम साथ में स्कूल से लौटते। उनकी खुशबू, जैसे कोई जंगली फूल, मेरे दिमाग को सुन्न कर देती थी। उनकी बात करने का लहजा, जैसे मखमली चादर, मेरे लंड को हर बार खड़ा कर देता। मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता था।
वो स्कूल का एनुअल डे था। रात को प्रोग्राम खत्म हुआ, और हम करीब साढ़े दस बजे लौट रहे थे। मेरे मम्मी-पापा नानी के पास गए थे, क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्होंने मुझे घर की चाबी दी थी, लेकिन मैंने मौका देखकर एग्नेस मैडम से झूठ बोला, “मैडम, मेरी चाबी खो गई है।” वो तुरंत बोलीं, “कोई बात नहीं, सचिन, तुम आज रात मेरे घर रुक जाओ।” मैंने मन ही मन खुशी से उछलते हुए शुक्रिया कहा। हम उनके घर पहुंचे। उनका पति मुंबई में ऑफशोर जॉब करता था, और उनका छोटा बेटा पहले ही सो चुका था। घर में सन्नाटा था, बस चांदनी की हल्की रोशनी खिड़की से झांक रही थी, जैसे कोई चोर हमारी मुलाकात का गवाह बनने आया हो। मैडम ने मुझे अपने बेटे के कपड़े दिए और कहा, “बाथरूम में जाकर बदल लो।”
मैं बाथरूम में गया। वहां एक बाल्टी में उनके न धुले कपड़े पड़े थे। सबसे ऊपर थी उनकी काली ब्रा, जैसे कोई काला जादू मेरी तरफ बुला रहा हो। मैंने उसे उठाया, उसकी सिल्की सतह को अपने होंठों पर फेरा, और उसकी खुशबू सूंघी, जो थी जैसे कोई नशीली शराब। मेरा लंड मेरे अंडरवियर में तन गया, जैसे कोई लोहे का रॉड। मैंने ब्रा को सूंघते हुए जोर-जोर से मुठ मारी, और हर झटके के साथ मैडम का चेहरा मेरी आँखों के सामने नाच रहा था। मैंने खुद को शांत किया और कपड़े बदलकर बाहर आया।
मैडम ने एक सफेद मैक्सी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी थी। उनकी सफेद ब्रा साफ दिख रही थी, जैसे चांदनी में चमकता कोई गहना। शायद वो एक बटन लगाना भूल गई थीं, और उनकी चूचियों की गहरी दरार हल्की-हल्की झांक रही थी, जैसे कोई न्योता। मैं खाना भूल गया और उनकी चूचियों को घूरने लगा, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को ताकता हो। मैडम ने मेरी नजर पकड़ी और पूछा, “सचिन, क्या कर रहे हो?” मैं हड़बड़ा गया और झूठ बोला, “मैडम, चाबी खोने की टेंशन हो रही है।” वो हल्के से मुस्कुराईं, जैसे वो मेरा झूठ समझ गई हों, और बोलीं, “अरे, टेंशन मत लो, सब ठीक हो जाएगा।”
खाना खाने के बाद मैडम ने कहा, “मुझे नींद नहीं आ रही। तुम्हें नींद आ रही है?” मैंने कहा, “मैडम, मैं बारह बजे से पहले नहीं सोता।” हम हॉल में गए और टीवी चालू किया। किस्मत देखिए, “एक छोटी सी लव स्टोरी” चल रही थी, और वो भी किसिंग सीन! मैंने रिमोट उठाया, लेकिन मैडम ने कहा, “रहने दो, ये ठीक है।” उनकी आवाज में कुछ अलग सा था। मैंने उनकी आँखों में देखा, और पहली बार एक भूखी चमक देखी, जैसे कोई प्यासी औरत सालों बाद पानी की तलाश में हो। वो उस सीन को ऐसे देख रही थीं, जैसे वो खुद उसमें शामिल होना चाहती थीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
अचानक मैडम ने पूछा, “सचिन, तुमने कभी किसी को स्मूच किया है?” मैंने सच बोला, “नहीं, मैडम।” वो थोड़ा उदास सी दिखीं, लेकिन फिर फिल्म देखने लगीं। मैं थकान से चूर था, और शायद सो गया। अचानक मुझे अपने लंड पर कुछ गर्म-गर्म महसूस हुआ। आँख खोली तो देखा, एग्नेस मैडम मेरे बगल में बैठी थीं और मेरा लंड सहला रही थीं, जैसे कोई मूर्तिकार अपनी मूर्ति को तराश रहा हो। मैं सन्न रह गया। मैंने उनकी तरफ देखा, लेकिन वो रुकी नहीं। फिर उन्होंने चुप्पी तोड़ी, “तुम यही चाहते थे ना, सचिन? लो, मैं तुम्हें दे रही हूँ!” उनकी आवाज में वो ही मोहक लहजा था, जैसे कोई रंडी अपने ग्राहक को ललकार रही हो।
मैडम सोफे से उतरीं और मेरे सामने फर्श पर बैठ गईं। उन्होंने मेरी पैंट खींची, और मेरा लंड बाहर निकाला, जो पहले से ही तनकर खड़ा था, जैसे कोई सिपाही सलामी दे रहा हो। मेरे लंड का साइज देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। “हाय, कितना मोटा लंड है!” वो बुदबुदाईं, और उसे तेजी से सहलाने लगीं। फिर उन्होंने अपने रसीले होंठ मेरे लंड के टोपे पर रखे, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चाटता है। मेरे पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। धीरे-धीरे उन्होंने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं, जैसे कोई भूखी शेरनी अपने शिकार को निगल रही हो। मैं सिसकारियां लेने लगा, “आह, मैडम, क्या कर रही हो!” वो और जोर से चूसने लगीं, कभी टोपे को जीभ से चाटतीं, कभी पूरे लंड को गले तक ले जातीं। मेरा लंड उनकी लार से चमक रहा था, और मैं पागल होने की कगार पर था।
करीब बीस मिनट तक वो मेरे लंड से खेलती रहीं। मैं अब और काबू नहीं कर सका। मैंने उन्हें खींचकर अपनी गोद में बिठाया, उनका चेहरा मेरे सामने था। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से चूम लिया, जैसे कोई प्यासा कुएं से पानी पीता हो। उनकी जीभ मेरे मुँह में घुस गई, और हम सोफे पर एक-दूसरे में खो गए। वो किस करने में उस्ताद थीं; उनकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी, जैसे कोई नर्तकी स्टेज पर। मैंने उनकी मैक्सी उतारी, और वो सिर्फ सफेद ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी चूचियां ब्रा में कैद थीं, जैसे दो पहाड़ जंजीरों में बंधे हों। मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में डाला और उनकी मोटी गांड को दबाया, जो थी जैसे गर्म रोटी, नरम और लचकदार। मैडम ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे चेहरे को अपनी चूचियों की दरार में दबा दिया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को सीने से लगाती हो।
मैं जन्नत में था। मैं उनकी गांड को सहलाता रहा, और वो मेरे चेहरे को अपनी चूचियों में और जोर से दबाती रहीं। फिर मैंने उनकी ब्रा के हुक खोले, और उनकी चूचियां आजाद हो गईं, जैसे दो चीलें पिंजरे से उड़ान भर रही हों। उनके निप्पल्स तने हुए थे, जैसे दो पके अंगूर। मैंने बिना देर किए उनके चूचों को चूसना शुरू किया। “आह, सचिन, और जोर से चूस!” मैडम सिसकारी, उनकी आवाज में वो ही रंडीपन था। मैंने उनकी पैंटी उतारी, और उनकी चूत साफ दिखी, गीली और चमकती, जैसे बारिश में भीगा कोई फूल। उस पर एक पतली सी बालों की लाइन थी, जैसे कोई कलाकार ने ब्रश से हल्का सा रंग भरा हो।
मैडम ने मेरे लंड को पकड़ा और मुझे उनके बेडरूम में ले गईं। कमरे में हल्की रोशनी थी, और बिस्तर पर सिल्क की चादर बिछी थी, जैसे कोई शाही दावत सजी हो। हम 69 की पोजीशन में लेट गए। मैं उनकी चूत को चाटने लगा; उसका रस मेरे मुँह में घुल रहा था, जैसे शहद की मिठास। वो मेरे लंड को चूस रही थीं, जैसे कोई भूखी औरत सालों बाद खाना खा रही हो। मैं उनकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, और हर थप्पड़ के साथ उनकी सिसकारियां तेज हो रही थीं, “हाय, सचिन, मार और जोर से!” उनकी गांड लाल हो रही थी, जैसे सूरज डूबते वक्त आसमान।
आखिरकार, मैडम ने कहा, “सचिन, अब और मत तड़पाओ। चोद दो इस कुतिया को! मेरी चूत को फाड़ दो!” उनकी आवाज में वही जंगलीपन था। मैंने उनकी टांगें फैलाईं और अपना लंड उनकी चूत में डाला, जैसे कोई तलवार मyan में घुसती हो। धीरे-धीरे मैंने रफ्तार बढ़ाई। मैं उनका बायां चूचा दबा रहा था, जो था जैसे मुलायम आटा, और दायां चूस रहा था, जैसे कोई बच्चा दूध पीता हो। मैडम चिल्ला रही थीं, “आह, सचिन, और तेज! चोद दे मुझे!” उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, जैसे कोई गाना बज रहा हो।
फिर मैंने अपना लंड उनकी चूचियों के बीच रखा और उनकी चूचियों को चोदने लगा। वो मस्ती में डूबी थीं, उनकी आँखें बंद, जैसे वो किसी और दुनिया में हों। अब बारी थी उनकी गांड की। मैडम मेरे ऊपर बैठ गईं और मेरे लंड को अपनी गांड के छेद में डाला, जैसे कोई चाबी ताले में फिट होती हो। उनकी टाइट गांड में मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर हो रहा था। हम फिर से किस करने लगे, उनके होंठ मेरे होंठों से चिपके थे, जैसे दो नदियां मिल रही हों। “हाय, सचिन, मेरी गांड मार दो! और जोर से!” वो चिल्लाईं, और मैंने पूरी ताकत से उनकी गांड चोदी।
आखिरकार, मैं झड़ गया, और मेरा रस उनकी चूत और गांड पर बिखर गया, जैसे बारिश की बूंदें। मैडम भी चरम पर पहुंचीं; उनकी चूत से रस बह रहा था, जैसे कोई झरना। उन्होंने मेरा सारा रस चाट लिया, जैसे कोई भूखी बिल्ली दूध चाटती हो। मैं तब भी उनके चूचों को चूस रहा था, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के सीने से चिपका हो। ये रात मेरे लिए जन्नत थी। अगली सुबह, जाने से पहले मैडम ने कहा, “और चाहिए? जब मन करे, वापस आ जाना। ये रंडी तेरी ही है।” उनकी आवाज में वही मोहक लहजा था।