मेरा नाम राघवेंद्र है। मैं आजमगढ़ का रहने वाला हूँ। मेरा कद 5 फीट है, और मैं गोरा-चिट्टा हूँ। मेरी भूरी आँखें ऐसी हैं कि लड़कियाँ बस देखते ही फिदा हो जाती हैं। उनकी नजरें मेरी आँखों पर अटक जाती हैं, और मैं भी लड़कियों की फूली-फूली चूंचियों का दीवाना हूँ। उनकी भरी-भरी चूंचियाँ देखकर मेरा लंड तन जाता है। मैंने अपनी इन आँखों से कई लड़कियों को पटाया है। लड़कियाँ मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसना पसंद करती हैं। मैं भी उनकी चूत चाटने में बड़ा मज़ा लेता हूँ। उनकी चिकनी चूत को चाट-चाटकर लाल कर देना मुझे बहुत भाता है। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिताजी किसान हैं, लेकिन हमारे पास खेतों की अच्छी-खासी जमीन है, जिसके कारण मैं बाहर रहकर पढ़ाई कर पाया। मैंने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया है और अब बैंक की तैयारी के लिए कानपुर में रहता हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं ग्रेजुएशन पूरा करके कानपुर आया था। मैंने यहाँ एक किराए का कमरा लिया। मेरी मकान मालकिन, खुशी मिश्रा, एकदम मस्त माल थी। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था। उसकी भरी-भरी चूंचियाँ और मटकती गाँड़ मेरे होश उड़ा देती थी।
मैं जब भी छत पर जाता, तो खुशी की ब्रा और पैंटी देखकर मुठ मारता। उसकी पैंटी को सूंघते हुए मैं उसके जिस्म की कल्पना करता और मेरा लंड और सख्त हो जाता। मैं हर वक्त बस यही सोचता था कि कैसे उसे चोदूँ। खुशी अकेली रहती थी। उसके पति, कृष्णा, से उसका कुछ झगड़ा था, जिसके कारण वो घर से दूर रहता था। मैं खुशी का हर छोटा-मोटा काम कर देता था। वो भी मुझे बाकी लड़कों से ज्यादा पसंद करती थी। हर शाम वो चाय बनाती और मुझे अपने कमरे में बुलाती। मैं उसके साथ चाय पीते हुए उससे ढेर सारी बातें करता। उसकी चूंचियों की तरफ मेरी नजरें बार-बार चली जातीं, और मेरा लंड पजामे में तनकर तकिया ढूंढने लगता। वो मेरे खड़े लंड को देखती और मुस्कुराती। मैं शर्म से तकिए से ढक लेता, लेकिन मन ही मन उसकी चूत चोदने की तमन्ना पालता।
एक दिन हम दोनों शाम को चाय पी रहे थे। खुशी ने उस दिन गजब का मेकअप किया था। लाल लिपस्टिक, लिप लाइनर, और गालों पर ब्लश से वो टमाटर की तरह लाल लग रही थी। उसकी चूंचियाँ उसकी टाइट कुर्ती में से साफ झलक रही थीं। मैं हवस भरी नजरों से उसे देख रहा था। उसकी आँखों में भी चुदाई की प्यास साफ दिख रही थी। वो मेरी नजरों को भाँप गई थी।
खुशी: “क्या देख रहे हो, राघवेंद्र?”
मैं: “कुछ नहीं, आंटी, बस आपके गाल… कितने गोरे और लाल हैं!”
खुशी: “तू भी तो कम नहीं है। मुझे तू बड़ा अच्छा लगता है।”
मैं: “अरे, आंटी, आप कहाँ और मैं कहाँ!”
खुशी: “तेरी तो ढेर सारी गर्लफ्रेंड्स होंगी, है ना?”
मैं: “नहीं, आंटी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।”
खुशी: “क्या? तू अभी तक कुंवारा है? किसी लड़की को छुआ तक नहीं?”
मैं: “हाँ, आंटी, मैंने तो अभी तक किसी को हाथ भी नहीं लगाया।”
खुशी: “राघवेंद्र, तू मेरा एक काम करेगा?”
मैं: “आंटी, आपका काम तो मैं हमेशा करता हूँ। बताइए, क्या करना है?”
खुशी: “आज रात को बताऊँगी।”
मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। मैं सोचने लगा कि आखिर आंटी ने रात में क्यों बुलाया? क्या वो भी मेरी तरह चुदाई की भूखी है? मैं दिन भर यही सोचता रहा और मुठ मारता रहा। रात के 9 बज गए, लेकिन खुशी का कोई बुलावा नहीं आया। मैं मन ही मन उसे गालियाँ देने लगा कि कहीं वो भूल तो नहीं गई। तभी उसकी आवाज आई, “राघवेंद्र, इधर आ!”
मैं दौड़कर उसके कमरे में गया। “क्या काम था, आंटी?”
खुशी: “कुछ नहीं, आज रात तू मेरे साथ रहेगा।”
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं सोफे पर बैठा, और मेरा लंड पजामे में तन गया। तभी खुशी काले रंग की नाइटी पहनकर बाहर आई। उसकी नाइटी में से उसकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। मैं उसे देखकर पागल हो रहा था। मेरा लंड चुदाई के लिए बेकरार था।
खुशी: “आज मैंने तेरी रोज की तमन्ना पूरी करने के लिए बुलाया है।”
मैं: “आप मेरी तमन्ना कैसे जान गईं?”
खुशी: “तेरे खड़े लंड को देखकर सब समझ गई।”
उसने मुझे बिस्तर पर खींच लिया और अपने से चिपका लिया। उसके गीले बालों से मस्त खुशबू आ रही थी। उसने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए। मैं उसके होंठ चूसने लगा। उसकी नाइटी में से उसकी ब्रा और पैंटी की शेप साफ दिख रही थी। मैं धीरे-धीरे उसके होंठ चूस रहा था, और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था। वो गर्म होकर मुझे कसकर पकड़ने लगी। मैंने उसके होंठ चूस-चूसकर लाल कर दिए। उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और दबाने लगी। “हाय, कितना मोटा लंड है तेरा!” वो बोली।
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैंने उसकी चूंचियों पर हाथ रखा। उसकी चूंचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मैं दबाते हुए पागल हो गया। मैंने उसकी नाइटी उतार दी। उसकी काली ब्रा में उसकी गोरी चूंचियाँ और भी मस्त लग रही थीं। मैंने ब्रा में हाथ डालकर उसकी चूंचियाँ दबाईं, फिर ब्रा उतार दी। उसकी गोरी-गोरी चूंचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उसके निप्पल मुँह में लिए और चूसने लगा। “आह्ह्ह… स्स्स्स… ओह्ह्ह…” उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैंने उसकी चूंचियों को दबा-दबाकर चूसा, उनके निप्पल को हल्के से काटा। वो सिसकारी भरने लगी, “उउउ… राघवेंद्र, और चूस… आह्ह्ह…”
मैंने उसकी पैंटी पर हाथ रखा। बाप रे, वो तो पूरी गीली थी! उसकी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था। मैंने उसकी पैंटी उतारी और अपनी उंगलियाँ उसकी चिकनी चूत में डाल दीं। “आह्ह्ह… स्स्स्स… और कर, राघवेंद्र!” वो चीखी। मैंने तीन उंगलियाँ डालकर उसकी चूत में मुठ मारने लगा। वो मेरे लंड को पकड़कर सहलाने लगी। मैंने अपना 9 इंच का लंड उसके सामने निकाला। वो उसे देखकर पागल हो गई। “इतना बड़ा लंड! हाय, इसे तो मैं चूसूँगी!” उसने कहा और मेरा लंड मुँह में ले लिया। वो उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, “म्म्म… कितना मज़ा आ रहा है!”
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी चिकनी चूत के दर्शन किए। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। “उउउ… आआआ… स्स्स्स…” उसकी चीखें निकलने लगीं। मैंने उसकी चूत को जीभ से चाट-चाटकर लाल कर दिया। उसकी चूत से गर्म पानी निकल रहा था, जिसे मैंने चाट-चाटकर साफ कर दिया। “हाय, तू तो कमाल है!” वो बोली।
अब वो मेरा लंड चूस रही थी, और मैं उसकी चूत में जीभ डाल रहा था। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ा। उसकी चूत टाइट थी। मैंने धीरे से लंड डाला, और वो चीखी, “ओह्ह माँ… आह्ह्ह… धीरे, राघवेंद्र!” मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। “उउउ… आआआ… कितना मोटा है!” वो चीख रही थी। मैंने पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी चूत को मेरे लंड ने फाड़ दिया। “आह्ह्ह… स्स्स्स… और पेल, राघवेंद्र!” वो चिल्लाई।
मैंने धक्के मारने शुरू किए। “सट्ट-सट्ट… फच-फच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं जड़ तक लंड घुसाकर चोद रहा था। वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर चुदवा रही थी। “आह्ह्ह… उउउ… और तेज़, राघवेंद्र!” वो चीख रही थी। मैंने उसे उठाया और टेबल के सहारे खड़ा किया। उसकी एक टाँग कंधे पर रखकर मैंने उसकी चूत में लंड डाला। “फच-फच-फच…” की आवाज़ के साथ मैं उसे चोद रहा था। उसकी चूंचियाँ हिल रही थीं। “आह्ह्ह… स्स्स्स… कितना मज़ा आ रहा है!” वो बोली।
20 मिनट तक मैंने उसकी चूत मारी। फिर मैंने उसकी गाँड़ पर तेल लगाया और लंड का सुपारा डाला। “हाय माँ… ऊँऊँऊँ… धीरे!” वो चीखी। मैंने धीरे-धीरे लंड उसकी गाँड़ में घुसाया। “आह्ह्ह… स्स्स्स… हा हा हा…” उसकी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। 10 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने उसे नीचे बिठाया और लंड उसके मुँह में डालकर सारा माल गिरा दिया। वो सारा माल पी गई।
थोड़ी देर बाद हमारा फिर से मूड बना। मैंने उसे कुतिया बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। “फच-फच-फच…” की आवाज़ के साथ मैंने उसकी चूत और गाँड़ चोदी। उसकी गाँड़ इतनी गहरी थी कि मेरा लंड पूरा अंदर जा रहा था। “उउउ… आह्ह्ह… और तेज़!” वो चीख रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़कर तेज़ी से चोदा। उसकी चूंचियाँ झूल रही थीं, और कमरा “आह्ह्ह… स्स्स्स… ऊँऊँ…” की आवाज़ों से गूँज रहा था।
मैं थक गया तो लेट गया। खुशी ने मेरा लंड पकड़ा और उसकी गाँड़ में डालकर उछलने लगी। “ओह्ह्ह… आह्ह्ह… कितना मज़ा है!” वो चीख रही थी। मैं भी कमर उठाकर उसे चोद रहा था। फिर मैंने उसे टेबल पर बिठाया और उसकी गाँड़ में लंड डाला। “चर-चर…” की आवाज़ के साथ मेज़ हिल रही थी। मैंने उसकी गाँड़ का कचड़ा कर दिया। 10 मिनट बाद मैं फिर झड़ा और सारा माल उसके मुँह में डाल दिया। वो सारा माल पी गई।
रात भर हम नंगे लेटे रहे। खुशी बहुत खुश थी। अब मैं उसे रोज चोदता हूँ, और वो मेरा किराया माफ कर देती है। आपको मेरी यह चुदाई की कहानी कैसी लगी? नीचे कमेंट में बताएँ।
Terms related to this sex story: Chudasi Maalkin, Bathroom Sex, Chudai Kahani, Lund Chusai, Chut Chaatna, Landlord Sex
आप यह Padosi chudai ki kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।