चुदासी बेटी बाप का मुठ मारने लगी

Indian baap beti sex: मेरी उम्र उस वक्त 40 साल थी, और मैं एक फिट, कसरती मर्द हूँ। जिम मेरा शौक है, और रोज़ की कसरत ने मेरे शरीर को 40 की उम्र में भी 30 का बना रखा है। चौड़ा सीना, मजबूत बाहें, और चेहरा जो अभी भी जवानी की चमक बिखेरता है। मेरी पत्नी शांति, जो मेरी ही उम्र की है, भी फिटनेस की दीवानी है। उसका फिगर 36-28-36, गोरी चमड़ी, और लंबे भूरे बाल, जो आज भी उसी तरह लहराते हैं जैसे हमारी शादी के वक्त। उसकी आँखों में एक गहराई है, और उसकी मुस्कान में वो पुरानी शरारत अभी भी बाकी है। हमारे घर में हम तीन लोग रहते हैं—मैं, शांति, और हमारी बेटी पीहू। पीहू उस वक्त 18 साल की थी, एकदम कच्ची कली, जिसका फिगर 34-26-34 था। उसकी गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और भूरी आँखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं। उसकी हाइट 5 फीट 3 इंच थी, और उसका बदन सुडौल, जैसे किसी मॉडल का। लेकिन उसकी मासूम सी सूरत के पीछे एक ऐसी आग थी, जो मुझे धीरे-धीरे जलाने वाली थी।

ये कहानी तब की है जब पीहू का 18वाँ जन्मदिन अभी-अभी बीता था। उसका जन्मदिन हमने धूमधाम से मनाया था। घर में रिश्तेदार आए, चॉकलेट केक कटा, और पीहू की हंसी पूरे घर में गूंज रही थी। वो उस दिन लाल रंग की टाइट फ्रॉक में थी, जो उसके कर्व्स को और निखार रही थी। उसकी फ्रॉक इतनी टाइट थी कि उसकी चूचियाँ और कूल्हे साफ उभर रहे थे। लेकिन एक महीना भी नहीं बीता कि मेरे एक दोस्त ने मुझे खबर दी कि पीहू गलत रास्ते पर जा रही है। उसने बताया कि वो अक्सर पड़ोस के मनीष के साथ देखी गई है। मनीष मोहल्ले का बदनाम लड़का था—नशेड़ी, आवारा, और अपने बाप की कमाई पर ऐश करने वाला। वो काले रंग की जींस और गंदी टी-शर्ट में घूमता था, और उसकी आँखें हमेशा लाल रहती थीं, जैसे नशे में डूबा हो। ये सुनकर मेरा दिल धक से रह गया। मेरी बेटी, जो मेरी जान है, वो ऐसे लड़के के साथ कैसे?

मैंने तुरंत पीहू से बात करने का फैसला किया। उस दिन वो अपने कमरे में थी, नीली टॉप और सफेद शॉर्ट्स में, जो उसकी गोरी टाँगों को और आकर्षक बना रहे थे। मैंने शांति को पहले बताया, लेकिन वो पुराने ख्यालों वाली है। उसे ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। घर में हंगामा हो गया। शांति ने पीहू को खूब डांटा, उसकी शॉर्ट्स को देखकर ताने मारे, “ये क्या पहन रखा है? मोहल्ले में नाम खराब करेगी?” मैंने शांति को शांत किया और पीहू से अकेले में बात की। मैंने प्यार से कहा, “बेटी, मुझे कोई दिक्कत नहीं कि तू किसी लड़के से मिले, लेकिन मनीष जैसा नशेड़ी? वो तुझे बर्बाद कर देगा।” पीहू ने मेरी आँखों में देखा, उसकी भूरी आँखें नम थीं। उसने नीली टॉप की स्लीव्स को खींचते हुए कहा, “पापा, मैं उससे अब नहीं मिलूँगी।” लेकिन उसकी आवाज़ में वो यकीन नहीं था, जो मुझे चाहिए था।

मेरा मन नहीं माना। मैंने कुछ दिन बाद पीहू का पीछा किया। वो कॉलेज के बाद पार्क में मनीष से मिल रही थी। वो एक काले टॉप और टाइट जींस में थी, और मनीष उसके कंधे पर हाथ रखकर बात कर रहा था। मेरा खून खौल उठा। मैंने फिर से पीहू से अकेले में बात की। इस बार वो गुस्से में थी, उसने अपनी जींस की जेब में हाथ डालकर कहा, “पापा, मैं कुछ गलत नहीं कर रही!” उसका लहजा इतना रूखा था कि मुझसे रहा नहीं गया। मैंने एक बाप के नाते उसे एक थप्पड़ जड़ दिया। “कोई गलत काम नहीं करेगी तू!” मैंने सख्ती से कहा। लेकिन मेरे इस कदम ने सब उल्टा कर दिया। पीहू और बिगड़ गई। वो शांति से बदतमीज़ी करने लगी, मुझसे बात करना बंद कर दिया, और हर रोज़ मनीष से मिलने चली जाती।

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एक दिन मुझे पता चला कि पीहू नशे की लत में पड़ गई है। मनीष उसे ड्रग्स देता था, और उसी लालच में वो बार-बार उसके पास जाती थी। ये सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसी दिन मैंने घर आकर पीहू के कमरे की तलाशी ली। वो उस वक्त गुलाबी टैंक टॉप और काले शॉर्ट्स में थी। उसके कमरे में मुझे कुछ गोलियाँ और नशे का सामान मिला। शांति ने उस दिन पीहू की जमकर पिटाई की, उसका टॉप फट गया था, और वो रोते हुए अपने कमरे में चली गई। मैंने उसे नहीं रोका। मैंने पीहू का कॉलेज जाना बंद कर दिया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरी बेटी नशे की लत में बदनाम हो। लेकिन पीहू रोज़ बाहर जाने की ज़िद करने लगी। उसकी आँखें लाल थीं, और वो तड़प रही थी।

एक दिन शांति अपनी मायके गई थी। मैं घर पर अकेला था, नीली टी-शर्ट और ग्रे ट्राउज़र में। पीहू मेरे पास आई, वो सफेद क्रॉप टॉप और काली स्कर्ट में थी, जो उसकी नाभि और गोरी टाँगों को उजागर कर रही थी। उसने मुझसे नशे की गोलियाँ मांगी। मैंने साफ मना कर दिया। उसने चीखना शुरू किया, “पापा, मुझे बस एक गोली चाहिए!” मैंने उसे प्यार से समझाया, लेकिन वो नहीं मानी। अचानक उसने अपने क्रॉप टॉप को उतार फेंका, फिर स्कर्ट को नीचे सरका दिया। वो मेरे सामने एकदम नंगी थी, सिर्फ़ काली ब्रा और पैंटी में। उसकी गोरी चमड़ी चमक रही थी, और उसकी चूचियाँ ब्रा में कसी हुई थीं। मैं स्तब्ध था। “पीहू, ये क्या कर रही है?” मैंने उसे ढकने की कोशिश की, लेकिन वो हटी नहीं। मैंने उसे पकड़कर उसके कमरे की ओर खींचा, तभी उसने मेरे ट्राउज़र के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया।

मैं सन्न रह गया। मेरा 8 इंच का लंड, जो अब तन चुका था, उसकी मुट्ठी में था। मुझे गुस्सा आया, और मैंने उसे एक थप्पड़ मार दिया। लेकिन पीहू पर कोई असर नहीं हुआ। उसने बेशर्मी से कहा, “पापा, या तो मुझे गोली दो, या मेरी चूत की आग बुझाओ।” उसकी बात सुनकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया। गुस्से में मैंने उसे 3-4 थप्पड़ और मारे, लेकिन वो और भड़क गई। उसने मेरे लंड को ज़ोर से दबाया। मैं दर्द से ज़मीन पर बैठ गया। तभी पीहू मेरे ऊपर चढ़ गई, उसकी काली ब्रा मेरे सीने से टकरा रही थी। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे चूमने लगी। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, और उसकी जीभ मेरे मुँह में थी।

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मैं कुछ समझ पाता, उससे पहले उसने मेरे ट्राउज़र की ज़िप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। मेरा लंड, जिसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था, उसके हाथों में था। वो मेरे होंठ चूमते हुए मेरी मुठ मारने लगी, उसकी उंगलियाँ मेरे लंड के चारों ओर लिपटी थीं। “पापा, आपका लंड तो मनीष से कहीं ज़्यादा मोटा है,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा। मैं हैरान था, लेकिन मेरे शरीर ने धोखा दे दिया। मैंने उसका साथ देना शुरू कर दिया, मेरी जीभ उसकी जीभ से उलझ रही थी। उसकी काली ब्रा अभी भी उसके बदन पर थी, लेकिन उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसकी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। उसकी चूचियाँ गोल, सख्त, और गुलाबी निप्पल्स वाली थीं, जैसे कच्चे नींबू। मैंने एक चूची को ज़ोर से दबाया, तो उसके मुँह से “आह्ह्ह” की सिसकारी निकली।

“पापा, और ज़ोर से दबाओ,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसकी दूसरी चूची को मसला, और उसकी सिसकारी और तेज़ हो गई, “आह्ह्ह, पापा, कितना मज़ा आ रहा है!” मैं भूल गया कि ये मेरी बेटी है। मेरे अंदर का मर्द जाग चुका था। मैंने उसे गहरे चूमना शुरू किया, मेरी जीभ उसके मुँह में थी, और उसकी उंगलियाँ मेरे लंड को तेज़ी से सहला रही थीं। मैंने उसकी पैंटी को नीचे सरकाया, और उसकी चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत गुलाबी, गीली, और हल्के भूरे बालों से सजी थी। मैंने उसकी चूत को सहलाया, और उसका दाना मेरी उंगलियों से टकराया। “आह्ह्ह, पापा, वहाँ मत छेड़ो, मैं पागल हो जाऊँगी!” उसने कहा।

कुछ देर बाद हमारा चुंबन टूटा। मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और उसके बेडरूम में ले गया। उसका बेड नीली चादर से ढका था, और मैंने उसे उस पर लिटाया। उसका नंगा बदन, गोरी चमड़ी, और सुडौल फिगर देखकर मैं पागल सा हो गया। मैंने अपनी नीली टी-शर्ट उतारी, और पीहू ने मेरे ट्राउज़र को पूरी तरह नीचे खींच दिया। मेरा लंड उसके सामने था, 8 इंच लंबा, मोटा, और सुपारा चमकता हुआ। उसकी आँखें चमक उठीं। “पापा, ये तो किसी हथियार जैसा है,” उसने हँसते हुए कहा।

वो बेड पर थोड़ा ऊपर खिसकी और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। उसका मुँह गर्म और गीला था, और वो मेरे लंड को किसी रंडी की तरह चूस रही थी। उसकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और वो मेरे लंड को गहराई तक ले रही थी। “उम्म्म, पापा, कितना स्वाद है इसमे,” उसने चूसते हुए कहा। मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह की चुदाई शुरू कर दी। “आह्ह्ह, पीहू, और चूस!” मैंने कहा। वो हल्के-हल्के खाँस रही थी, लेकिन रुकी नहीं। 5 मिनट बाद मैंने अपना लंड निकाला, जो अब उसके थूक से चमक रहा था।

मैं नीचे झुका और उसकी चूत को चूमने लगा। उसकी चूत गीली थी, और उसमें से एक मादक गंध आ रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, मेरी जीभ उसके दाने को सहला रही थी। “आह्ह्ह, पापा, चूसो मेरी चूत, जैसे मम्मी की चूसते हो!” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसकी चूत को और गहराई से चाटा, मेरी जीभ उसके अंदर तक जा रही थी। उसका बदन काँप रहा था, और वो अपने कूल्हे हिला रही थी। “आह्ह्ह, पापा, मैं झड़ने वाली हूँ!” कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई, उसका गर्म पानी मेरे मुँह में था। मैंने उसे पूरा चाट लिया।

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मैं बेड पर चढ़ा और उसकी गांड के नीचे तकिया रखा। उसकी टाँगें चौड़ी करके मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा। उसकी चूत गीली और गुलाबी थी, और उसका दाना उभरा हुआ था। मैंने उसकी आँखों में देखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “सट्ट्ट!” मेरा लंड उसकी चूत में पूरा समा गया। उसका मुँह खुल गया, और उसकी आँखें ऊपर चढ़ गईं, “आह्ह्ह, पापा, कितना मोटा है!” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, हर धक्के के साथ उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। “थप्प, थप्प, थप्प!” कमरे में चुदाई की आवाज़ गूंज रही थी।

मैंने उसे कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। उसकी गांड गोल और सख्त थी, और हर धक्के के साथ थरथरा रही थी। “आह्ह्ह, पापा, और ज़ोर से चोदो!” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और तेज़ी से धक्के मारे। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। “चोदो मुझे, पापा, मेरी चूत फाड़ दो!” उसकी बातें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। मैंने उसे फिर से पलटा और मिशनरी पोज़ में उसकी चूत में लंड डाला। उसकी टाँगें मेरे कंधों पर थीं, और मैं पूरी ताकत से उसे चोद रहा था। “आह्ह्ह, पापा, आप मनीष से कहीं बेहतर चोदते हो!”

20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद वो 5-6 बार झड़ चुकी थी। मैं भी अब झड़ने के कगार पर था। “आह्ह्ह, पापा, मेरी चूत में अपना पानी डाल दो, मुझे अपनी रखैल बना लो!” उसकी बात सुनकर मैं और जोश में आ गया। “पचर्र्र!” मैंने एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए बेड पर गिर पड़े।

उस दिन के बाद से मैं और पीहू एक-दूसरे के साथ चुदाई का मज़ा लेने लगे। वो अब मनीष से नहीं मिलती। अगर घर में मौका नहीं मिलता, तो मैं उसे होटल ले जाता हूँ। आजकल वो मेरे पीछे पड़ी है कि मैं उसे अपनी पत्नी शांति के साथ उसकी सौतन बनाकर चोदूँ।

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