मेरी चूचियां दबा कर मुझे गरम कर दिया

दोस्तों, मेरा नाम प्रियंका है। मैं 22 साल की हूँ, और मेरी खूबसूरती किसी का भी दिल चुरा लेती है। मेरी पतली कमर, गदराया हुआ बदन, कातिलाना मुस्कान, उभरे हुए बड़े बड़े बूब्स और मटकती हुई गांड हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है। मेरा फिगर 32-30-36 का है, और सच कहूँ तो मेरा ये हुस्न हर मर्द को पागल कर देता है। जब भी कोई लड़का मुझे देखता है, उसकी आँखें मेरे बदन पर टिक जाती हैं, लेकिन मैं ज्यादा ध्यान नहीं देती और अपनी पढ़ाई पर फोकस करती हूँ। Train Sex Story

आज मैं आपको अपनी एक ऐसी चुदाई की कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसने मेरे दिल और दिमाग को हिला कर रख दिया। इस घटना के बाद मैंने बहुत सोचा कि मेरे साथ ये सब कैसे हो गया, लेकिन मन ही मन मैं उस पल को याद करके खुश भी होती हूँ। तो चलिए, मैं आपको उस रात की पूरी कहानी विस्तार से सुनाती हूँ।

बात उस वक्त की है जब मेरे कॉलेज में दीवाली की छुट्टियाँ थीं। मुझे गाजियाबाद से अपने घर सिवान जाना था। गाजियाबाद में मेरा कॉलेज है, और मैं वहाँ हॉस्टल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हूँ। उस दिन मैं स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी। दिनभर की भागदौड़ और थकान की वजह से मैं बहुत थकी हुई थी, और नींद मेरी आँखों में भरी थी। फिर भी, मजबूरी में मैं स्टेशन की बेंच पर बैठी अपनी ट्रेन का इंतज़ार कर रही थी। मन में बस यही दुआ थी कि भगवान, ट्रेन जल्दी आ जाए।

खैर, कुछ देर बाद मेरी दुआ सुन ली गई। ट्रेन स्टेशन पर आ गई, और मैं जल्दी से अपने फर्स्ट क्लास कोच में चढ़ गई। मेरे पापा रेलवे में बड़े अधिकारी हैं, इसलिए मुझे हमेशा फर्स्ट क्लास में ही सफर करने का मौका मिलता है। मैं अपनी सीट पर बैठी थी कि तभी एक लड़का कोच में आया। उसकी हाइट अच्छी-खासी थी, बदन गठीला, रंग गोरा, और चेहरा ऐसा कि लगता था किसी रईस घराने का है। उसने मुझे देखकर एक हल्की सी स्माइल दी, और मैंने भी जवाब में मुस्कुरा दिया।

मैं ट्रेन चलने का इंतज़ार करने लगी। जैसे ही ट्रेन चली, मैंने उस लड़के से बात शुरू की। मैंने उसका नाम पूछा, तो उसने बताया कि उसका नाम माधव है। मैंने भी अपना नाम प्रियंका बताया। थोड़ी बातचीत के बाद मैंने उससे कहा, “माधव, मुझे बहुत नींद आ रही है। प्लीज़ मेरा टिकट भी टीटी को दिखा देना।” उसने तुरंत हाँ कर दी और अपनी ऊपर वाली सीट पर चला गया। मैं नीचे की सीट पर लेट गई। थकान इतनी थी कि मुझे पता ही नहीं चला कब नींद ने मुझे अपनी आगोश में ले लिया।

करीब आधे घंटे बाद टीटी आया। मुझे उसकी आवाज़ सुनाई दी, लेकिन मैं इतनी गहरी नींद में थी कि आँखें नहीं खोलीं। माधव ने दोनों टिकट दिखाए, और टीटी चला गया। इसके बाद माधव ने कोच की लाइट बंद कर दी, और हम दोनों सो गए। रात गहरी होने लगी थी, और मैं फिर से नींद की गहराइयों में डूब गई।

अचानक रात को किसी ने मुझे हल्के से छुआ। मैं हड़बड़ाकर जागी और देखा कि माधव मेरे पास खड़ा था। उसने धीमी आवाज़ में पूछा, “प्रियंका, क्या मैं तुम्हारी सीट पर बैठ सकता हूँ? अगर तुम्हें बुरा न लगे तो।” उसने बताया कि ऊपर की सीट पर बहुत हवा लग रही है, और उसे ठंड महसूस हो रही है। मैं नींद में थी, और बिना ज्यादा सोचे-समझे मैंने हाँ कर दी।

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वो मेरे पैरों के पास अपना कम्बल लेकर बैठ गया। कुछ देर बाद मुझे अपने पैर पर कुछ ठंडा-ठंडा सा महसूस हुआ। पहले तो मैं समझ नहीं पाई, लेकिन फिर मुझे अहसास हुआ कि ये माधव का हाथ था। उसने धीरे-धीरे अपने हाथ मेरे पैरों पर फेरने शुरू कर दिए। मैं गुस्से में तुरंत उठी और चिल्लाई, “ये क्या कर रहे हो तुम?”

माधव ने मासूमियत से कहा, “मुझे ठंड लग रही थी, तो मैं तुम्हारे पैरों से थोड़ी गर्मी लेने की कोशिश कर रहा था।” मैंने गुस्से में कहा, “प्लीज़, ये सब बंद करो, वरना ऊपर अपनी सीट पर चले जाओ।” वो तुरंत माफी माँगने लगा और बोला, “सॉरी प्रियंका, मैं अब ऐसा कुछ नहीं करूँगा। प्लीज़ माफ कर दो।” मैंने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसकी इस हरकत ने मेरी नींद उड़ा दी थी।

मैं पानी पीने के लिए उठी और खिड़की के पास बैठकर बाहर देखने लगी। ठंडी हवा के झोंके मेरे चेहरे को छू रहे थे, और पता नहीं कब मेरी आँखें फिर से लग गईं। मैंने खुद को सीट पर लेटा लिया, लेकिन इस बार कम्बल नहीं ओढ़ा था। कुछ देर बाद मुझे ठंड लगने लगी। तभी मुझे लगा कि कोई मेरे कंधों को धीरे-धीरे सहला रहा है। मैं जागी, लेकिन इस बार मुझे उसका स्पर्श अच्छा लग रहा था। मैंने आँखें बंद रखीं और नाटक किया कि मैं सो रही हूँ।

माधव के हाथ अब मेरे कंधों से नीचे की ओर बढ़ रहे थे। उसने हल्के-हल्के मेरे बूब्स को छूना शुरू किया। उसका स्पर्श इतना नरम था कि मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मैं अब धीरे-धीरे गरम होने लगी थी, लेकिन मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वो समझ गया कि मुझे बुरा नहीं लग रहा। उसने हिम्मत बढ़ाई और अपने दोनों हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए। धीरे-धीरे वो मेरे बूब्स को सहलाने और दबाने लगा, जैसे डर रहा हो कि मैं जाग न जाऊँ।

लेकिन उसे क्या पता था कि मैं उसकी हर हरकत का मज़ा ले रही थी। मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं, और मेरे बदन में एक अजीब सी उत्तेजना जाग रही थी। उसने धीरे से मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स को मसलने लगा। उसका हर स्पर्श मेरे बदन में आग लगा रहा था। फिर उसने हल्के से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मैं चुप रही, और उसने मेरे नंगे बूब्स को अपने हाथों में ले लिया। वो मेरे निप्पल्स को उंगलियों से सहलाने लगा, और मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।

मैं धीरे-धीरे सिसकारियाँ लेने लगी। मेरी जाँघें आपस में रगड़ रही थीं, और मेरी चूत में एक अजीब सी बेचैनी बढ़ रही थी। माधव को अब समझ आ गया था कि मैं जाग रही हूँ और उसका साथ दे रही हूँ। उसने मेरे चेहरे को अपने पास खींचा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने भी बिना देर किए उसका साथ देना शुरू कर दिया। हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसकी जीभ से खेल रही थी। उस पल हम भूल गए कि हम एक ट्रेन में हैं।

माधव का एक हाथ मेरे बूब्स को मसल रहा था, और दूसरा हाथ मेरी कमर पर फिसल रहा था। उसने मेरी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और मेरे बूब्स को अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगा, कभी हल्के से काटता, तो कभी जीभ से चाटता। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… माधव… हाँ… ऐसे ही…” मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उसकी हर चुस्की मेरे बदन में बिजली दौड़ा रही थी। मेरी चूत में एक लंड की तलब जाग चुकी थी, और मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

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मैंने उससे कहा, “माधव, प्लीज़… अब चोद दो मुझे… और मत तड़पाओ… मेरी चूत को अपने लंड से शांत कर दो…” उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “नहीं प्रियंका, इतनी जल्दी नहीं। तू इतनी सेक्सी है कि मैं तुझे तड़पाकर ही चोदूँगा। जब से तू कोच में आई, मेरी नज़र तेरे इस गदराए बदन से हट नहीं रही। मैं तुझे रात भर चोदना चाहता हूँ।”

उसकी बातें सुनकर मेरी उत्तेजना और बढ़ गई। उसने मेरी जींस का बटन खोला और उसे मेरी जाँघों तक नीचे सरका दिया। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। उसने अपनी उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत पर फिराईं। मेरी पैंटी मेरे चूत रस से भीग चुकी थी। वो मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा, और मैं सिसकारियाँ लेते हुए तड़प रही थी। उसने मेरी पैंटी को नीचे खींचा और अपनी नाक मेरी चूत के पास ले जाकर सूँघने लगा। वो बोला, “प्रियंका, तेरी चूत की खुशबू तो मादक है… मुझे पागल कर रही है।”

उसने अपनी जीभ मेरी चूत की फाँकों पर रखी और हल्के-हल्के चाटना शुरू किया। मैं सातवें आसमान पर थी। मेरे मुँह से बस यही निकल रहा था, “हाँ माधव… चाटो… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ… आह…” वो मेरी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से फैलाकर जीभ अंदर तक डालने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं अपने चूतड़ उठाकर उसका मुँह अपनी चूत में दबा रही थी। मेरी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं, “उह्ह… हाँ… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोद दो अपनी जीभ से…”

करीब दस मिनट की चुसाई के बाद मैं झड़ गई। मेरा चूत रस उसके मुँह पर बिखर गया। उसने मेरे रस को चाट लिया और बोला, “प्रियंका, तेरा रस तो अमृत है… इतना मज़ेदार कि मैं बार-बार चाटना चाहता हूँ।” मैं हाँफ रही थी, लेकिन मेरी चूत में अभी भी आग बाकी थी। मैंने उससे कहा, “अब और मत तड़पाओ… अपना लंड डाल दो मेरी चूत में… चोद दो मुझे…”

उसने अपनी पैंट उतारी, और जब मैंने उसका लंड देखा, तो मेरी आँखें फटी रह गईं। उसका लंड लंबा और मोटा था, शायद 8 इंच का, और इतना सख्त कि मेरी चूत में तहलका मचाने को तैयार था। उसने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर रखा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसका लंड एक ही धक्के में आधा अंदर चला गया। मैंने एक हल्की सी चीख मारी, “आह… धीरे…” लेकिन वो रुका नहीं। उसने एक और धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक समा गया।

मेरी चूत में एक मीठा सा दर्द उठा, लेकिन वो दर्द मज़े में बदल गया। माधव ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और हर धक्के के साथ मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… माधव… चोदो… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” वो मेरे बूब्स को मसलते हुए ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था, और मैं मज़े से पागल हो रही थी।

करीब पंद्रह मिनट तक वो मुझे उसी पोज़ में चोदता रहा। फिर उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं तुरंत घुटनों के बल झुक गई, और उसने पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया। इस बार उसका लंड और गहराई तक जा रहा था। वो मेरी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, और मेरे बूब्स हवा में लटककर हिल रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “हाँ… और ज़ोर से… मेरी चूत को चोद डालो… आह…” उसने मेरी गांड पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा, जिससे मेरी उत्तेजना और बढ़ गई।

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करीब दस मिनट की इस चुदाई के बाद उसने कहा, “प्रियंका, मेरा होने वाला है…” मैंने हाँफते हुए कहा, “मेरी चूत में ही झड़ जाओ… मैं गोली खा लूँगी…” उसने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी, और कुछ ही पलों में उसका गरम-गरम वीर्य मेरी चूत में छूट गया। मैं भी उसी वक्त झड़ गई। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के ऊपर ढेर हो गए। उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था, और मैं उसके वीर्य को अपनी चूत में टपकता महसूस कर रही थी।

थोड़ी देर बाद हम दोनों ने कपड़े ठीक किए और अपनी-अपनी सीट पर लेट गए। लेकिन रात अभी बाकी थी। करीब एक घंटे बाद माधव फिर मेरे पास आया। इस बार वो और जोश में था। उसने मुझे फिर से चूमना शुरू किया, और मेरे बूब्स को मसलने लगा। मैं भी दोबारा गरम हो गई। इस बार उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरी चूत को उंगलियों से सहलाने लगा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “माधव… फिर से चोद दो मुझे…”

उसने मुझे सीट पर लिटाया और मेरी टाँगें फैलाकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। इस बार वो और ज़ोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूत अभी भी पिछले राउंड के रस से गीली थी, और उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो मेरे निप्पल्स को चूसते हुए मुझे चोद रहा था, और मैं मज़े से चिल्ला रही थी, “हाँ… और तेज़… मेरी चूत को फाड़ दो…” करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो फिर मेरी चूत में झड़ गया, और मैं भी एक बार फिर झड़ गई।

रात में उसने मुझे तीसरी बार भी चोदा। इस बार उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके पीछे से चोदा। उसका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि मुझे लगा मेरी चूत फट जाएगी। लेकिन वो मज़ा इतना गज़ब था कि मैं दर्द को भी भूल गई। हम दोनों सुबह तक थककर चूर हो गए थे।

सुबह करीब 11:20 बजे जब हम अपने-अपने स्टेशन पर उतरने लगे, हमने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर लिए। फिर वो अपने रास्ते चला गया, और मैं अपने रास्ते। लेकिन वो रात मेरे लिए ज़िंदगी की सबसे यादगार रात थी। माधव ने मुझे चोदकर सिखाया कि असली चुदाई क्या होती है। उस रात के बाद मैं सेक्स का असली मज़ा समझ पाई, और आज भी उस रात को याद करके मेरी चूत गीली हो जाती है।

दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताएँ।

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