चार फौजियों ने मिलकर मेरी चुत मारी

Desi Gangbang by Army wale/Fauji सर्दियों की वो ठिठुरन भरी रात थी, जब मैं अपने मायके में थी। मेरा नाम कोमल है, उम्र 28 साल, गोरी-चिट्टी, भरे हुए चूचे, पतली कमर और गोल-मटोल गाण्ड, जो किसी को भी ललचा दे। मेरे भैया और भाभी ससुराल गए थे, घर में बस मैं, मम्मी और पापा थे। ठंड इतनी थी कि रजाई में भी मन नहीं लग रहा था। मेरी चूत में आग सी लगी थी, मन कर रहा था कि कोई आए और मेरी जमकर चुदाई कर दे। मैं बिस्तर पर लेटी-लेटी यही सोच रही थी कि कोई मोटा-तगड़ा लौड़ा मेरी चूत को शांत कर दे, कि तभी दरवाजे की घंटी बजी।

मैंने रजाई हटाई, अपनी टाइट कुर्ती और सलवार ठीक की, जिसमें मेरे चूचे उभरे हुए साफ दिख रहे थे। दरवाजा खोला तो सामने चार मर्द खड़े थे, एकदम फौजी टाइप, लंबे-चौड़े, चौड़ी छातियाँ, और चेहरों पर वो मर्दाना तेज। राठौड़ अंकल, 50 साल के, गोरे, भारी कद-काठी, मूंछों वाला चेहरा, जैसे पुराने ज़माने के हीरो। शर्मा अंकल, 48 साल के, थोड़े पतले लेकिन चुस्त, आँखों में चालाकी। सिंह अंकल, 52 साल के, काले-घने बाल, मोटी मूंछें, और भारी आवाज़। राणा अंकल, 49 साल के, सबसे लंबे, मांसपेशियों से भरे, और चेहरे पर हल्की दाढ़ी।

पापा की आवाज़ पीछे से गूंजी, “अरे, मेरे जिगरी यारो! आज कैसे रास्ता भूल आए?” वो हंसते हुए अंदर आए और पापा से गले मिले। पापा ने बताया कि ये चारों उनके आर्मी के पुराने दोस्त हैं, रिटायर्ड फौजी, जिनके साथ उन्होंने जवान दिन गुजारे थे। चारों ने मुझे देखा, और एक-एक करके गले लगाया। गले लगाने के बहाने हर एक ने मेरे चूचों को अपनी छाती से दबाया, जैसे जानबूझकर मेरी जवानी का मज़ा ले रहे हों। उनकी आँखों में वो ठरक साफ दिख रही थी, और मैं समझ गई कि ये सब मेरी चूत के भूखे हैं। मेरे मन में लड्डू फूटने लगे—मैं एक लौड़े की तलाश में थी, और यहाँ चार-चार मोटे लौड़े मेरे सामने थे।

मैं चाय बनाने रसोई में चली गई। चाय की ट्रे लेकर जब मैं ड्राइंग रूम में आई और झुककर चाय रखी, तो राठौड़ अंकल ने मेरी पीठ पर हाथ फेरा और बोले, “कोमल बेटी, तुम बताओ, क्या करती हो?” उनकी उंगलियाँ मेरी पीठ से फिसलती हुई मेरी कमर तक पहुंच गईं। मैंने जानबूझकर उनके पास सोफे के हत्थे पर बैठते हुए अपनी जिंदगी की बातें शुरू कीं। मेरी गहरी गले वाली कुर्ती से मेरे चूचे साफ झलक रहे थे, और बाकी तीनों फौजियों की नज़रें मेरे बदन पर टिकी थीं। राठौड़ अंकल का हाथ अब मेरे कूल्हों तक पहुंच गया, और वो हल्के-हल्के मेरी गाण्ड को सहलाने लगे। मैंने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मुस्कुराकर उनकी आँखों में देखा।

मम्मी की आवाज़ आई, तो मैं रसोई में चली गई और कुछ नाश्ता लेकर वापस आई। रात का खाना खाने के बाद, मम्मी ने नींद की गोली खाई और सो गईं। पापा और उनके दोस्त ऊपर वाले कमरे में शराब पीने चले गए। मैंने भी खाना खाया, लेकिन मेरी चूत में वो आग अब और भड़क रही थी। चार मोटे-तगड़े फौजी घर में हों, और मैं चुपके से अपनी चूत में उंगली डालकर सो जाऊँ? ये कैसे हो सकता था! मैंने अपनी टाइट सलवार-कुर्ती चेक की, बाल खुले छोड़े, और ऊपर के कमरे में चली गई।

वहाँ शराब का दौर चल रहा था। मुझे देखकर पापा ने कहा, “कोमल, नीचे जाओ, सो जाओ।” लेकिन सिंह अंकल ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी बगल में बिठा लिया और बोले, “अरे यार, बच्ची को हमारे पास बैठने दे, हम इसके अंकल ही तो हैं।” पापा मान गए। चारों फौजी मुझे आर्मी की कहानियाँ सुनाने लगे, लेकिन उनकी नज़रें मेरे चूचों और गाण्ड पर टिकी थीं। सिंह अंकल ने मेरे खुले बालों में उंगलियाँ फिरानी शुरू कीं, और धीरे-धीरे उनका हाथ मेरी गाण्ड पर पहुंच गया। मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी हरकतों का मज़ा ले रही थी। वो मेरी बगल से हाथ डालकर मेरे चूचों को टटोलने लगे, लेकिन पापा की मौजूदगी की वजह से वो सावधानी बरत रहे थे।

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मेरी चूत गीली होने लगी थी। मैं चाह रही थी कि सिंह अंकल मेरे चूचों को ज़ोर से दबाएँ, लेकिन पापा सामने थे। मैंने अपने बालों को कंधे के ऊपर से आगे लटकाया, ताकि मेरा एक चूचा ढक जाए। सिंह अंकल ने मौका पाते ही मेरे बालों के नीचे से मेरा चूचा पकड़ लिया और ज़ोर से मसल दिया। मेरे मुँह से “आह…” निकल गया, लेकिन मैंने होंठ काटकर आवाज़ दबा ली। बाकी फौजियों ने भी ये सब देख लिया, और उनकी पैंट में हलचल साफ दिख रही थी। पापा को ज़्यादा शराब पिलाई जा रही थी, और वो छोटे-छोटे पैग ले रहे थे। मैं समझ गई कि ये चारों पापा को जल्दी सुलाने की फिराक में हैं।

मैंने उठकर कहा, “पापा, मैं सोने जा रही हूँ।” बाहर अंधेरे में जाकर खड़ी हो गई और सिंह अंकल को इशारा किया। थोड़ी देर बाद वो फोन पर बात करने के बहाने बाहर आए। मैंने धीरे से आवाज़ दी, और वो मेरी तरफ लपके। आते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उनका एक हाथ मेरे चूचों को कुर्ती के ऊपर से मसल रहा था। मैंने भी उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से पकड़ लिया—लगभग 7 इंच का, मोटा और कड़क। मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई। मैं उनके लौड़े को सहलाने लगी, और वो मेरे चूचों को और ज़ोर से दबाने लगे। तभी पापा की आवाज़ आई, “सिंह, कहाँ है यार?” वो जल्दी से पापा की तरफ चले गए।

मैं अंधेरे में खड़ी रही, सोच रही थी कि अब क्या होगा। तभी राणा अंकल बाहर आए, जैसे उन्हें पता हो कि मैं कहाँ हूँ। वो सीधे मुझ पर टूट पड़े। उनकी मूंछें मेरे गालों पर रगड़ रही थीं, और वो मेरी गाण्ड को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगे। उन्होंने मेरी कुर्ती ऊपर उठाई और मेरे निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगे। “उम्म… आह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैं उनके बालों को सहलाने लगी, और उनका लौड़ा मेरी जांघों से टकरा रहा था। तभी शर्मा अंकल की आवाज़ आई, “राणा, चल अंदर, मेरी बारी है।” हम दोनों चौंक गए।

राणा अंकल चले गए, और शर्मा अंकल मेरे पास आए। वो पजामा पहने थे। उन्होंने मेरे होंठ चूसने शुरू किए और मेरे चूचों को कुर्ती के ऊपर से दबाने लगे। मैंने उनके पजामे में हाथ डाला और उनका लौड़ा पकड़ लिया—लगभग 6 इंच, कड़क और गर्म। मैंने उसे बाहर निकाला, नीचे बैठी, और मुँह में ले लिया। “आह… कोमल, तू तो जादूगरनी है,” शर्मा अंकल बोले। मैं उनके लौड़े को जीभ से चाट रही थी, और वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के मारने लगे। “चूस… और ज़ोर से चूस…” वो सिसक रहे थे। कुछ ही मिनटों में उनका गर्म लावा मेरे मुँह में फूट पड़ा। मैंने सारा माल निगल लिया। वो मेरे होंठों को फिर से चूमने लगे और बोले, “राठौड़ को भेजता हूँ।”

राठौड़ अंकल आए और मुझे बेतहाशा चूमने लगे। मैंने कहा, “अंकल, कब तक ऐसा चलेगा? मैं सारी रात यहाँ खड़ी रहूँ?” वो बोले, “तेरा बाप लुढ़क ही नहीं रहा, क्या करें?” मैंने कहा, “तो मैं जाकर अपनी चूत में उंगली डालकर सोती हूँ।” राठौड़ अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोले, “बस पाँच मिनट रुक, मैं देखता हूँ।” वो अंदर चले गए।

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पाँच मिनट बाद राणा और राठौड़ अंकल बाहर आए और बोले, “चल छमकछल्लो, तुझे उठाकर अंदर ले जाएँ या खुद चलेगी?” मैंने हँसते हुए कहा, “खुद चलूँगी।” अंदर गए तो पापा कुर्सी पर लुढ़के पड़े थे। मैंने कहा, “पहले पापा को दूसरे कमरे में छोड़ो।” राठौड़ और राणा अंकल ने पापा को उठाकर दूसरे कमरे में लिटा दिया।

वापस आते ही शर्मा और सिंह अंकल ने मुझे बाँहों में लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। शर्मा अंकल मेरे होंठ चूसने लगे, और सिंह अंकल मेरे ऊपर बैठ गए। उनकी मूंछें मेरे गालों पर रगड़ रही थीं। तभी राणा और राठौड़ अंकल आए और बोले, “अरे, रुको! सारी रात पड़ी है, पहले मज़ा तो लें।” मैं बिस्तर पर बैठ गई और हँसते हुए कहा, “थैंक्स अंकल, आपने बचा लिया, वरना ये तो मुझे चैन नहीं लेने देते।”

राणा अंकल ने पाँच पैग बनाए और सबको पीने को कहा। मैंने मना किया, लेकिन वो बोले, “अरे, शर्म छोड़, चार फौजी तुझे चोदेंगे, बिना पैग के नहीं झेल पाएगी।” मैंने हँसकर पैग उठाया और गटक लिया। गर्म शराब मेरे गले से उतरते हुए मेरे बदन में आग लगा गई। मैंने चार पैग और बनाए। राणा अंकल बोले, “बस एक ही पैग था।” मैंने कहा, “नहीं, मुझे तो चार और चाहिए।”

मैं राणा अंकल के सामने नीचे बैठ गई। उनकी पैंट खोली, कच्छा उतारा, और उनका 7 इंच का मोटा लौड़ा मेरे सामने तनकर खड़ा था। मैंने उनके हाथ से पैग लिया, उनके लौड़े को शराब में डुबोया, और मुँह में ले लिया। “आह… कोमल, तू तो आग है,” राणा अंकल सिसक रहे थे। मैं उनके लौड़े को जीभ से चाट रही थी, और वो अपने चूतड़ उछालकर मेरे मुँह में धक्के मार रहे थे। “उम्म… और चूस… हाय…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनके लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से सहलाया, और उनका गर्म वीर्य मेरे मुँह पर छलक गया। मैंने सारा माल पैग में डाला और पी लिया।

फिर मैं राठौड़ अंकल के पास गई। वो लुंगी पहने थे। मैंने उनकी लुंगी खींचकर उतारी और उनका 6.5 इंच का लौड़ा शराब में डुबोकर चूसने लगी। “आह… कोमल, तू तो रंडी से भी तेज़ है,” वो बोले। मैंने उनका लौड़ा जीभ से चाटा, और उनका वीर्य मेरे मुँह में आ गया। मैंने सारा निगल लिया।

सिंह अंकल बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने मेरी कुर्ती उतारी, और मैं सलवार और ब्रा में थी। उन्होंने मेरी ब्रा खोल दी, और मेरे 34D के चूचे आज़ाद हो गए। सिंह अंकल ने अपना 8 इंच का लौड़ा मेरे चूचों के बीच रखा और उन्हें चोदने लगे। “उम्म… आह…” मैं सिसक रही थी। वो मेरे चूचों पर शराब डाल रहे थे, और मैं उसे चाट रही थी। उनका लौड़ा मेरे मुँह तक पहुँच रहा था, और मैं उसे चूस रही थी। “हाय… कोमल, तू तो जन्नत की सैर करा रही है,” वो बोले। मैंने उनके लौड़े को ज़ोर से पकड़ा, और उनका वीर्य मेरे गले तक उतर गया।

शर्मा अंकल ने मुझे बिस्तर पर बिठाया और मेरी सलवार उतार दी। राठौड़ अंकल ने मेरी पैंटी खींचकर उतारी, और मेरी चूत नंगी हो गई। सिंह अंकल मेरे सिर की तरफ बैठे और मेरे मुँह में शराब डालकर चूसने लगे। शर्मा अंकल ने मेरी जांघों को मसला, और मैंने उनकी तरफ टाँगें खोल दीं। मैंने शर्मा अंकल को नीचे लिटाया और उनके 6 इंच के लौड़े पर अपनी चूत टिकाई। धीरे-धीरे मैं उनके लौड़े पर बैठी, और वो मेरी चूत में पूरा घुस गया। “आह… शर्मा अंकल, कितना मोटा है आपका…” मैं सिसक रही थी। मैं उनकी चूत में लौड़ा घुमाने लगी, और वो मेरी गाण्ड पकड़कर मुझे ऊपर-नीचे करने लगे। “चोद… कोमल, और ज़ोर से चोद…” वो चिल्लाए। मेरे चूचे उछल रहे थे, और राणा अंकल ने उन्हें पकड़कर मसलना शुरू किया।

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राणा अंकल ने मुझे आगे झुकाया और मेरी गाण्ड के पीछे आ गए। उन्होंने अपना 7 इंच का लौड़ा मेरी गाण्ड पर टिकाया और धक्का मारा। “आह… नहीं… दर्द हो रहा है…” मैं चीखी। लेकिन वो रुके नहीं। उनका लौड़ा मेरी कसी गाण्ड में धीरे-धीरे घुस गया। “उम्म… आह… हाय…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। राठौड़ अंकल मेरे सामने आए और अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसे चूसने लगी। राणा अंकल की गाण्ड में धक्कों से राठौड़ अंकल का लौड़ा मेरे गले तक जा रहा था। “आह… आह… और ज़ोर से…” मैं चिल्ला रही थी। राणा अंकल ने आखिरी धक्का मारा, और उनका वीर्य मेरी गाण्ड में भर गया। मैं थककर नीचे गिर गई।

हम सबने एक-एक पैग और लिया। मेरी गाण्ड में अभी भी दर्द था, लेकिन शराब ने फिर से जोश जगा दिया। मैं राठौड़ अंकल की जांघों पर सिर रखकर लेट गई और उनके लौड़े से खेलने लगी। सिंह अंकल मेरी टाँगों की तरफ आए, और मैंने अपनी चूत उनके सामने खोल दी। वो मेरे ऊपर आए और अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया। “आह… सिंह अंकल, धीरे…” मैं सिसकी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “कोमल, तेरी चूत तो आग है…” वो बोले। वो जल्दी झड़ गए, और उनका वीर्य मेरी चूत में फैल गया।

राठौड़ अंकल ने मुझे नीचे लिटाया और मेरी टाँगें उठाकर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाला। “आह… और ज़ोर से… चोदो मुझे…” मैं चिल्लाई। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे। फिर उन्होंने मेरी गाण्ड में भी लौड़ा डाला और ज़ोर से चोदा। “उम्म… आह… हाय…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। उनका वीर्य मेरी गाण्ड में भर गया। मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे गिनती भी याद नहीं थी।

मेरा बदन टूट रहा था। मैं बिस्तर पर लेट गई, और हम सब नंगे ही सो गए। रात को 3 बजे मेरी आँख खुली। मैंने कपड़े पहने और नीचे जाने लगी, लेकिन मेरी टाँगें काँप रही थीं। मेरी चूत और गाण्ड में दर्द हो रहा था। सुबह मैं देर से उठी और बुखार का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटी रही। जब अंकल जाने लगे, तो वो मुझसे मिलने आए। पापा और मम्मी साथ थे, इसलिए उन्होंने मेरे सिर को चूमा और जल्दी आने का वादा करके चले गए।

मैं सारा दिन और रात अपनी चूत और गाण्ड को सहलाती रही। आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताएँ।

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