Chachi ki chudai मैं चंडीगढ़ में रहने वाला एक 25 साल का नौजवान हूँ, मेरा नाम मनीष है। मेरी हाइट 6 फीट है, रंग गोरा और बॉडी जिम में पसीना बहाकर बनाई हुई। मेरा लंड 11 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है, जो मेरी असली पूँजी है। इसकी वजह से बड़ी-बड़ी चुदक्कड़ औरतें मेरे सामने घुटने टेक देती हैं। ये मेरा परिचय हो गया, अब ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
ये बात पिछले महीने की है, जब दीपावली का त्योहार था। मेरी एक चाची हैं, जिनका नाम सरिता है। उनकी उम्र 36 साल है, लेकिन उनका बदन ऐसा कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनका फिगर 38-30-40 का है, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, पतली कमर और भारी-भरकम गांड, जो देखने में किसी पंजाबन से कम नहीं। उनके तीन बच्चे हैं – एक 18 साल का लड़का, जो कॉलेज में है, और दो लड़कियाँ, 6 साल और 3 साल की। मैं अक्सर उनके घर आता-जाता रहता था, क्योंकि चाची का घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था। chachi ki chudai, 11 inch lund, desi chudai story
जब भी मैं उनके घर जाता, मेरी नजर उनकी चूचियों और गांड पर अटक जाती। उनकी चूचियाँ इतनी बड़ी थीं कि ब्लाउज में जैसे फटने को तैयार रहती थीं। और उनकी गांड, हाय! वो चलते वक्त ऐसा हिलती थी कि मेरा 11 इंच का लंड पैंट में तंबू बना देता। चाची भी जानबूझकर मुझे तड़पाती थीं। वो अपनी छोटी बेटी को दूध पिलाने के लिए मेरे सामने ही बैठ जातीं। उनका ब्लाउज ऊपर उठ जाता, और उनकी गोरी-गोरी जांघें साफ दिखतीं। उनकी चूची का उभार और कभी-कभी निप्पल तक नजर आ जाता। मुझे लगता था कि चाची भी मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हैं, लेकिन मैं पहल करने से डरता था। कहीं वो बुरा मान जाएँ, तो चाचा से मेरी पिटाई हो जाए।
दीपावली के दिन मैं सुबह-सुबह चाची के घर पहुँच गया। घर में त्योहार की रौनक थी, बच्चे पटाखे फोड़ रहे थे, और चाची रसोई में मिठाइयाँ बना रही थीं। वो लाल रंग की साड़ी में थीं, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। उनकी चूचियाँ साड़ी के ऊपर से उभरी हुई थीं, और गांड का उभार तो ऐसा कि मैं बस उसे पकड़कर दबा दूँ। मैं उनके पास बैठ गया, और वो अपनी छोटी बेटी को दूध पिलाने लगीं। उनका पल्लू थोड़ा सा सरक गया, और उनकी गोरी चूची का आधा हिस्सा मेरे सामने था। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया, और पैंट में तनाव साफ दिख रहा था।
चाची ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोलीं, “बेटा, क्या देख रहा है?” मैं घबरा गया, लेकिन उनके चेहरे पर शरारत थी। मैंने हिम्मत करके कहा, “कुछ नहीं, चाची।” वो फिर से मुस्कुराईं और दूध पिलाने में लग गईं। थोड़ी देर बाद बच्ची सो गई, और चाची मेरे पास आकर बैठ गईं। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा और सरक गया, और उनकी जांघें साफ दिख रही थीं। मैं बार-बार उनकी जांघों की तरफ देख रहा था। चाची ने जानबूझकर अपनी जांघें थोड़ी और फैलाईं, और उनकी बुर का उभार साड़ी के नीचे से साफ दिखने लगा। मेरे लंड में आग लग गई, लेकिन मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
अचानक चाची ने कहा, “मनीष, तू इतना शरमाता क्यों है? कुछ चाहिए तो बोल ना।” उनकी आवाज में एक शरारती लहजा था। मैं समझ गया कि चाची मुझे उकसा रही हैं। मैंने हिम्मत जुटाई और उनके करीब गया। उनकी चूचियों को छूते हुए मैंने उन्हें चूम लिया। चाची ने नाटक करते हुए कहा, “अरे, ये क्या कर रहा है? मैं तेरी चाची हूँ!” लेकिन उनकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। मैंने कहा, “चाची, बस एक बार… प्लीज, मुझे करने दो।” मैंने उनकी चूची को जोर से दबाया, और वो सिसकने लगीं।
चाची ने धीरे से कहा, “आज दीपावली है। तेरे चाचा रात को ताश खेलने जाएँगे। तू 10 बजे आ जाना।” मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे। मैंने घर पर बहाना बनाया कि दोस्तों के साथ पार्टी है, और रात भर वहीं रहूँगा। ठीक 10 बजे मैं चाची के घर पहुँच गया। चाचा जा चुके थे, और बच्चे सो रहे थे। चाची ने हल्के गुलाबी रंग की नेट वाली नाइटी पहनी थी, जो इतनी पतली थी कि उनकी ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। उनकी चूचियाँ ब्रा को फाड़कर बाहर आने को बेताब थीं। मैंने उन्हें देखते ही बाहों में भर लिया और उनकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा।
चाची ने हँसते हुए कहा, “अरे, आराम से, मनीष! मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ। आज रात मैं पूरी तुम्हारी हूँ।” मैंने कहा, “चाची, आपने अपनी चूचियों और गांड से मुझे इतने दिन तड़पाया है। आज मैं जी भरकर इनका मजा लूँगा।” मैंने उनकी नाइटी उतार दी। अब वो काली ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थीं। उनकी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं, और उनकी जाँघों के बीच की बुर साफ दिख रही थी। मैंने उनके कपड़े उतारे, और उन्होंने मेरा अंडरवियर खींचकर मेरा 11 इंच का लंड बाहर निकाल लिया।
मेरा लंड देखकर चाची की आँखें फट गईं। वो बोलीं, “बाप रे, इतना बड़ा! तेरे चाचा का तो बस 4 इंच का है।” मैंने उनकी ब्रा फाड़ दी और पैंटी को खींचकर उनकी झांटों वाली बुर से अलग कर दिया। पहली बार मैं किसी औरत को पूरी तरह नंगी देख रहा था। उनकी चूचियाँ इतनी बड़ी और गोरी थीं कि मैं पागल हो गया। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। चाची सिसकने लगीं, “उह्ह्ह… मनीष, ऐसे ही चूस… आह्ह्ह… मेरी चूचियों को खा जा… उह्ह्ह!”
मैंने एक चूची को चूसते हुए दूसरी को जोर-जोर से मसलना शुरू किया। चाची ने मेरा लंड पकड़ लिया और अपनी झांटों वाली बुर पर रगड़ने लगीं। मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूचियों को और जोर से चूसने लगा। चाची चिल्लाईं, “मनीष, हाय… ऐसे ही चूस… उह्ह्ह… मेरी चूचियों को काट ले… आह्ह्ह!” मैंने कहा, “चाची, आज मैं आपको वो मजा दूँगा, जो आपने कभी नहीं लिया।” चाची ने कहा, “मनीष, मुझे चाची मत बोल, सरिता बोल।”
मैंने एक हाथ उनकी झांटों वाली बुर पर रखा और सहलाने लगा। उनकी बुर गीली हो चुकी थी। चाची ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी बुर पर जोर से दबाया और बोलीं, “राजा, अब मेरी बुर चाट… मैं पागल हो रही हूँ… मेरी बुर की प्यास बुझा दे।” मैं नीचे झुका और उनकी बुर को चाटने लगा। उनकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी। मैंने अपनी जीभ उनकी बुर के छेद में डाल दी और घुमाने लगा। चाची चिल्लाईं, “उह्ह्ह… मेरे राजा… ऐसे ही चाट… आह्ह्ह… तेरे चाचा ने कभी मेरी बुर नहीं चाटी… उह्ह्ह… और जोर से!”
मैं 10 मिनट तक उनकी बुर में जीभ घुमाता रहा। चाची मेरे सिर को अपनी बुर पर दबाए जा रही थीं। अचानक उन्होंने अपनी कमर ऊपर उठाई और चिल्लाईं, “मनीष, मैं झड़ने वाली हूँ… उह्ह्ह!” और वो इतनी जोर से झड़ीं कि उनकी बुर से रस की धार निकल पड़ी। मैंने उनका सारा चूत रस पी लिया और उनकी बुर को जीभ से साफ कर दिया। चाची निढाल होकर हाँफने लगीं।
मैंने उनके बाल पकड़े और अपना लंड उनके मुँह के पास ले गया। मैंने कहा, “अब मेरे लंड को चूस, सरिता।” चाची बोलीं, “नहीं, मनीष… मैंने कभी तेरे चाचा का लंड भी नहीं चूसा। मुझे घिन आती है।” मैंने कहा, “आज सारी घिन खत्म हो जाएगी।” और मैंने अपना 11 इंच का लंड उनके मुँह में ठूँस दिया। मेरा आधा लंड ही उनके मुँह में गया, और वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। मैं एक हाथ से उनकी बुर सहलाने लगा और दूसरे से उनकी चूची के निप्पल मसलने लगा। चाची “गूं… गूं…” की आवाज निकालते हुए मेरा लंड चूस रही थीं।
5 मिनट तक चूसने के बाद मैंने उन्हें पीठ के बल लिटाया और उनकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया। मैंने अपना लंड उनकी झांटों वाली बुर पर रगड़ना शुरू किया। चाची चिल्लाईं, “साले, जल्दी डाल… मेरी बुर में इतनी खुजली हो रही है!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा मोटा लंड उनकी चुदाई हुई बुर में आधा घुस गया। चाची चीख पड़ीं, “उईईई… माँ… मैं मर गई… मेरी बुर फट गई… साले, तेरा लंड बहुत मोटा है!” मैंने कहा, “साली, अब तो चिल्ला रही थी, अब नहीं चुदवाएगी?” मैं उनकी चूचियों को जोर-जोर से चूसने लगा।
2 मिनट बाद उन्हें थोड़ी राहत मिली, तो मैंने आधा लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। चाची को अब मजा आने लगा। वो अपनी गांड उछालने लगीं और बोलीं, “हाय… और जोर से चोद… मेरी बुर को फाड़ दे… उह्ह्ह… इतना मजा मुझे कभी नहीं मिला!” मैंने उनका मुँह अपने मुँह में दबाया और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा 11 इंच का लंड उनकी बुर को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया। चाची छटपटाने लगीं, उनकी कमर इधर-उधर होने लगी। मैंने एक हाथ से उनकी चूची दबाई और दूसरे से उनकी गांड सहलाने लगा। diwali chudai, badi gand chudai
2 मिनट बाद वो शांत हुईं, तो मैंने धीरे-धीरे कमर हिलाना शुरू किया। चाची बोलीं, “हाय… ऐसे ही चोद… मेरी बुर का नस-नस ढीला कर दे… उह्ह्ह… तेरा लंड मुझे पहले क्यों नहीं मिला?” मैंने कहा, “साली, पहले तो अपनी गांड हिलाकर तड़पाती थी, अब बोल रही है पहले नहीं मिला!” मैं जोर-जोर से उनकी बुर चोदने लगा। चाची चिल्लाईं, “उह्ह्ह… आह्ह्ह… और जोर से… मेरी बुर फाड़ दे… उईईई… मैं झड़ने वाली हूँ!” और 5 मिनट में वो कमर उछालकर झड़ गईं।
मैंने कहा, “अब मैं तेरी गांड मारूँगा। तेरी गांड किसी पंजाबन से भी बड़ी है।” मैंने उन्हें उल्टा लिटाया। चाची रोने लगीं, “नहीं, मेरी गांड मत मार… मैं मर जाऊँगी… मेरी गांड फट जाएगी!” मैंने कहा, “जब तक मैं तेरी गांड नहीं मारूँगा, मैं नहीं झड़ूँगा।” मैंने ढेर सारा थूक उनकी गांड पर लगाया। चाची हाथ जोड़ने लगीं, लेकिन मैंने कहा, “कुछ नहीं होगा। अपना चेहरा तकिए में छुपा ले और थोड़ा बर्दाश्त कर।” मेरा लंड उनकी चूत रस से गीला था। मैंने उसे उनकी गांड के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी गांड में तीर की तरह घुस गया।
चाची रोने लगीं, लेकिन मैंने उनकी परवाह न करते हुए जोर-जोर से चोदना शुरू किया। 3 मिनट बाद उन्हें राहत मिली, तो मैंने उन्हें कुतिया की तरह झुकाया और उनकी गांड मारने लगा। मैंने तीन उंगलियाँ उनकी बुर में डाल दीं और अंदर-बाहर करने लगा। चाची को अब मजा आने लगा। वो चिल्लाईं, “भोसड़ीवाले, और जोर से चोद मेरी गांड… मेरी गांड फाड़ दे… उह्ह्ह… आह्ह्ह… और जोर से!” मैं उनकी बुर को उंगलियों से और गांड को लंड से चोद रहा था। 5 मिनट में वो मेरी उंगलियों पर झड़ गईं, और मैंने उनका सारा चूत रस चाट लिया।
मैं उनकी गांड को 10 मिनट तक चोदता रहा। जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने पूछा, “कहाँ झड़ूँ?” चाची बोलीं, “मेरे मुँह में… सारा माल मेरे मुँह में निकाल… मैं बरसों से प्यासी हूँ।” मैंने उन्हें सीधा लिटाया और सारा माल उनके मुँह में निकाल दिया। चाची ने मेरे लंड को चाटकर साफ कर दिया। उस दीपावली की रात मैं तीन बार झड़ा, और चाची पाँच बार झड़ीं। तब से लेकर आज तक, जब भी हमें मौका मिलता है, हम खूब चुदाई का मजा लेते हैं।
दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अगर अच्छी लगी हो या बुरी, तो जरूर बताएँ। खासकर पंजाब और हरियाणा वाले दोस्त, आपका फीडबैक चाहिए। अगर आप मुझे प्रोत्साहित करेंगे, तो मैं जल्दी ही अपनी अगली कहानी लिखूँगा।