चचेरे भाई ने मेरी माँ की चूत दोस्त को गिफ्ट दी

Mom Threesome Sex Story in Hindi: अंकुर ने अपने चचेरे भाई सोनू को अपनी माँ के साथ संबंध बनाते देखा था, जिसके बाद वह उन दोनों पर नज़र रखने लगा। उसने दोनों के फोन में एक ऐप इंस्टॉल कर दिया था, जिससे वह उनकी कॉल रिकॉर्डिंग सुन सके।

पिछली कहानी: मेरे चचेरे भाई ने मेरी माँ को चोदा(माँ की चुदाई छुपकर देखा)

एक दिन, अंकुर ने सोनू की कॉल रिकॉर्डिंग में उसकी और उसके दोस्त अभिनव की बातचीत सुनी। अभिनव ने सोनू से कहा, “भाई, तेरे बहुत मज़े चल रहे हैं, थोड़ा कृपा इधर भी कर दे।”
सोनू ने जवाब दिया, “तैयारी पूरी है। इस बार का बर्थडे तो यादगार होगा।”
अभिनव ने कहा, “भाई, जब से उस माल को देखा है, नींद उड़ गई है। अगर तूने मेरे लिए उसे ला दिया, तो मैं तेरा सारा उधार माफ कर दूंगा।”
सोनू ने हंसकर कहा, “ये हो ही जाएगा। मैं उसे लेकर आऊंगा, वैसे ऐसा माल तो मैं किसी को देखने भी न दूं।”

इस बातचीत से अंकुर को पता चला कि सोनू अपनी चाची को अभिनव के बर्थडे पर ले जाकर उसकी चुदाई करवाने की योजना बना रहा था। यह सुनकर अंकुर गुस्से में जल उठा। उसने तय किया कि वह इस घटना की सच्चाई जानकर रहेगा।

अंकुर ने सोनू के फेसबुक पर जाकर अभिनव को ढूंढा। सोनू की फ्रेंडलिस्ट में चार अभिनव नाम के लोग थे, लेकिन सोनू के साथ एक की फोटो देखकर अंकुर समझ गया कि वही असली अभिनव है। उसने अभिनव की प्रोफाइल चेक की और पता लगाया कि उसका एक परचून की दुकान है और उसका एड्रेस वहां लिखा हुआ था।

अगले दिन अंकुर दुकान पर गया। अभिनव वहां नहीं था, लेकिन उसके पिता ने बताया कि वह कॉलेज गया है। अंकुर को यह भी पता चला कि अभिनव के माता-पिता उसके बर्थडे पर घर पर नहीं होंगे। अंकुर को यकीन हो गया कि सोनू और माँ उसी दिन अभिनव के घर जाएंगे।

आखिरकार वह दिन आ ही गया। अंकुर की माँ ने दोपहर से ही तैयार होना शुरू कर दिया। उन्होंने मेरून रंग की साड़ी पहनी हुई थी, और गहरे गले का ब्लाउज उनके चूचों के उभार को और भी आकर्षक बना रहा था। हल्के मेकअप ने उनके गालों को गुलाबी कर दिया था।

माँ ने घर पर बताया कि वह अपने मायके जा रही हैं। यह सब दिखावे के लिए था, लेकिन अंकुर सच्चाई जानता था। उसने माँ से पूछा, “माँ, आप कहाँ जा रही हो?”
माँ ने जवाब दिया, “बेटा, मैं मौसी के घर जा रही हूँ।”
अंकुर बोला, “मैं भी चलूँगा। बहुत दिन हो गए मौसी को देखे हुए।”
माँ ने टालते हुए कहा, “अरे तुम वहाँ जाकर क्या करोगे? वहाँ तो लाइट भी नहीं रहती, बोर हो जाओगे।”

अंकुर ने थोड़ी देर तक माँ को परेशान किया लेकिन अंत में उनकी बात मान ली।

शाम होते-होते माँ घर से बाहर नहीं निकलीं, तो अंकुर ने फिर पूछा, “माँ, आप कब जाओगी? शाम होने वाली है।”
माँ ने कहा, “मैं सोनू के साथ जाऊंगी, क्योंकि उसे भी वहीं जाना है।”

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थोड़ी देर बाद सोनू घर आया। उसने चाय पी और फिर माँ के साथ निकल गया। अंकुर ने घर में अपनी दादी से कहा, “दादी, आज मैं चाचा के घर जा रहा हूँ और वहीं रुकूँगा। आप मेरा इंतजार मत करना।”
दादी ने जवाब दिया, “ठीक है बेटा, कल सुबह आ जाना।”

सोनू और माँ के निकलने के 15 मिनट बाद, अंकुर ने अपनी साइकिल उठाई और तेजी से अभिनव के घर की ओर बढ़ गया। वहां पहुँचकर उसने देखा कि सोनू की बाइक पहले से खड़ी थी। आसपास कोई नहीं था। अंकुर ने अपनी साइकिल को पीछे एक पेड़ के पास बांध दिया और पिछले दरवाजे से अभिनव के घर में दाखिल हो गया।

घर के अंदर झाँककर उसने देखा कि पीछे के कमरे में माँ और सोनू किसी बात पर बहस कर रहे थे।

माँ गुस्से में सोनू से कह रही थीं, “यह क्या बदतमीजी है? तुम्हें क्या लगता है, मैं कोई रंडी हूँ? तुम और तुम्हारा दोस्त समझते क्या हो मुझे?”
सोनू ने सफाई देते हुए कहा, “चाची, यह मेरा दोस्त है। उसने गलती से ऐसा कह दिया।”
माँ चिल्लाईं, “गलती से नहीं किया है! तुम जानबूझकर मुझे यहाँ लाए हो, ताकि तुम दोनों मेरे साथ गलत कर सको।”

माँ की बातें सुनकर सोनू ने उन्हें पकड़ लिया और अपनी आगोश में ले लिया। उसने माँ की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया। माँ ने उसे पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन सोनू ने उन्हें मजबूती से पकड़ रखा था। धीरे-धीरे माँ की चिल्लाहट सिसकारियों में बदल गई।

सोनू ने अपनी चाची की गर्दन पर किस करते हुए उनके कानों के पास फुसफुसाते हुए कहा, “चाची, बस इस पल का मजा लो। सब कुछ सही लगेगा।”
माँ गुस्से और वासना के मिश्रित भाव से बोलीं, “सोनू, मैं तुम्हारे दोस्त के साथ कुछ नहीं करूँगी। ये सब गलत है।”
सोनू ने अपनी चाची को और कसकर पकड़ लिया। उनका शरीर अब हल्का-हल्का काँप रहा था, और उनकी सिसकारियां तेज होती जा रही थीं।

अंकुर यह सब देखता रहा और समझ गया कि सोनू ने माँ को कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिलाकर दिया था। उसने मेज पर रखी बोतल को ध्यान से देखा और अंदाजा लगाया कि शायद यह सब उसी का असर था।

सोनू ने अभिनव को इशारे से बुलाया। अभिनव धीरे-धीरे माँ के पास आया और उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसने अपना लंड माँ की गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया।

माँ ने पहले थोड़ा विरोध किया, लेकिन जल्द ही उनके हाथों ने सोनू और अभिनव को पकड़ना शुरू कर दिया। माँ अब पूरी तरह से उनके बीच सैंडविच बन चुकी थीं। सोनू उनकी गर्दन और होंठों पर किस कर रहा था, जबकि अभिनव उनके पीठ और गांड को सहला रहा था।

अभिनव ने माँ का पल्लू गिरा दिया और उनके ब्लाउज की गाँठ खोलने लगा। माँ का गुलाबी ब्रा उनके उभरे हुए चूचों को और भी आकर्षक बना रहा था। सोनू ने नीचे झुककर उनके चूचों को चूसना शुरू कर दिया, जबकि अभिनव ने पीछे से उनकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया।

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अभिनव अब पूरी तरह से अपनी ताकत झोंक चुका था। उसकी हर thrust से माँ की चूत से “पट-पट” की आवाज़ आ रही थी। माँ की सांसें तेज हो चुकी थीं, और उनकी आवाज़ें और भी उत्तेजक हो गई थीं।

“अभिनव… और तेज़! आह… तुमने तो मुझे पागल कर दिया है… और जोर से करो!” माँ बोल रही थीं, और उनकी बातें अभिनव को और उत्तेजित कर रही थीं।

अभिनव ने माँ की टाँगों को और चौड़ा कर दिया, जिससे उनकी चूत पूरी तरह से खुल गई। उसने फिर से अपना लंड माँ की चूत में गहराई तक धकेला। माँ का शरीर झटकों से काँपने लगा। उनकी आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था, “आह… अभिनव, और तेज़… और तेज़! मज़ा आ रहा है, मेरी चूत और जोर से मारो!”

अभिनव अब पूरी ताकत से माँ की चूत के अंदर-बाहर अपना लंड चलाने लगा। बेड की चरमराहट और माँ की चीखें एक साथ माहौल को और भी गरम कर रही थीं।

थोड़ी देर बाद, अभिनव ने अपना लंड बाहर निकाला और माँ के पेट पर अपना सारा माल गिरा दिया। माँ ने एक गहरी सांस ली, उनका शरीर थकावट और संतोष से कांप रहा था। अभिनव साइड में लेट गया, लेकिन माँ की चुदाई का खेल अभी खत्म नहीं हुआ था।

अब सोनू ने माँ को घोड़ी की पोजीशन में ला दिया। उन्होंने अपनी टाँगों को और फैलाकर माँ की चूत पर अपना लंड सेट किया। माँ ने पीछे मुड़कर सोनू की ओर देखा और एक हल्की मुस्कान दी, “सोनू, आराम से करना। अभी-अभी तो अभिनव ने मेरी चूत को तोड़ा है।”

सोनू ने अपनी चाची की बात अनसुनी करते हुए, लंड को एक ही झटके में उनकी चूत के अंदर डाल दिया। माँ ज़ोर से चीखी, “आह… सोनू, धीरे करो!” लेकिन सोनू नहीं रुका। उसने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी और अपनी चाची की चूत में लगातार झटके मारने लगा।

सोनू की हर थ्रस्ट के साथ, माँ की आवाज़ बढ़ती गई। “ओह… सोनू… और करो! और जोर से चोदो!”
सोनू ने उनके झूलते चूचों को पकड़कर ज़ोर से दबाया और उनकी चूत के अंदर-बाहर अपना लंड चलाता रहा।

अभिनव, जो अब तक आराम कर रहा था, माँ के पास आया और उनके निप्पल्स को अपने मुँह में ले लिया। माँ की सिसकारियां अब और तेज हो गईं।

अभिनव ने सोनू से कहा, “अब मेरी बारी, मैं इसके मुँह में अपना लंड डालता हूँ।” सोनू ने हामी भर दी। अभिनव ने माँ के मुँह के पास अपना लंड लाया। माँ ने बिना झिझक के उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।

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कमरे में अब एक अद्भुत तालमेल बन गया था। सोनू पीछे से माँ की चूत को मार रहा था, जबकि माँ ने अभिनव का लंड अपने मुँह में ले रखा था। उनकी चूचियां हर झटके के साथ झूल रही थीं।

माँ अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थीं। उनकी आवाज़ों ने सोनू और अभिनव दोनों को और उत्तेजित कर दिया। “ओह… और करो… और तेज़ करो!” माँ ने उनके साथ तालमेल बनाते हुए कहा।

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सोनू अब अपनी रफ्तार बढ़ा चुका था। उसने अपनी चाची की चूत के अंदर इतनी जोर से झटके मारे कि बेड की चरमराहट तेज़ हो गई। माँ की आवाज़ और भी तेज़ हो गई थी। “आह… सोनू… और तेज़! मेरी चूत फाड़ दो। मैं तुम्हारी रंडी चाची हूँ!”

पीछे से सोनू अपनी पूरी ताकत से झटके मार रहा था, और आगे से माँ ने अभिनव का लंड चूसते हुए उसे फिर से खड़ा कर दिया था। अभिनव ने कहा, “सोनू, अब थोड़ा आराम कर। अब मैं इसकी चूत का मज़ा लूंगा।”

सोनू ने माँ के बालों को खींचते हुए कहा, “चाची, अब तुम अभिनव को और भी अच्छे से चूसो।” माँ ने जवाब दिया, “हाँ, मेरे दोनों शेर मुझे रंडी बना दो।”

अब अभिनव ने माँ को फिर से बिस्तर पर लिटाया और उनकी टाँगों को उठाकर उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया। इस बार उसने और भी गहराई तक धकेला। माँ जोर से चीखीं, “आह… अभिनव! तुम मेरी चूत को पूरी तरह से भर दो। और तेज़ करो!”

अभिनव अब पूरे जोश में आ चुका था। उसने अपनी रफ्तार इतनी बढ़ा दी कि माँ की चूत से “पट-पट” की आवाज़ गूँजने लगी। सोनू ने माँ के झूलते चूचों को पकड़ लिया और उन्हें मसलना शुरू कर दिया।

माँ ने सिसकारी लेते हुए कहा, “ओह… मेरे दोनों शेर, मुझे ऐसे ही चोदते रहो। मैं तुम्हारी रंडी हूँ। मेरी चूत और चूचियों को और मसलो।”

थोड़ी देर बाद अभिनव ने अपने झटकों को धीमा कर दिया और कहा, “चाची, अब मैं तुम्हारे मुँह पर झाड़ने वाला हूँ।”
सोनू ने भी अपना लंड बाहर निकाला और माँ से कहा, “अब तुम लेट जाओ। हम दोनों तुम्हारे ऊपर झाड़ेंगे।”

माँ ने हंसते हुए कहा, “ठीक है, मेरे शेरों। अपनी रंडी चाची को पूरा गीला कर दो।”
माँ बिस्तर पर लेट गईं, और सोनू और अभिनव ने अपने लंड को मसलते हुए सारा पानी माँ की चूत और चूचियों पर गिरा दिया।

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उसके बाद सबने कपड़े पहन लिए। माँ ने अपने कपड़े ठीक किए और सोनू के साथ अभिनव के घर से बाहर निकल गईं।

जब माँ वापस आईं, तो उन्होंने कहा, “आज की रात तो बहुत मजेदार थी। सोनू, अगली बार फिर से मुझे लेकर आना।”
सोनू ने मुस्कुराते हुए कहा, “जरूर, चाची। तुम मेरी सबसे प्यारी रंडी हो।”

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