चाचा और उनकी बेटी ग्रीष्मा

हाय दोस्तों, ये कहानी मेरे आँखों देखी एक सच्ची घटना है। मेरा नाम राजेश है। बात उस समय की है जब मैं 5वीं क्लास में पढ़ता था और सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। मेरे घरवालों ने मुझे पढ़ाई के लिए मेरे चाचा के पास भेज दिया। चाचा, चाची और उनकी बेटी ग्रीष्मा के साथ मैं उनके घर में रहने लगा। ग्रीष्मा 12वीं क्लास में थी, खूबसूरत, चंचल और थोड़ी शरारती। वो मुझसे उम्र में बड़ी थी, लेकिन हम साथ में खूब खेलते थे। वो मुझे तंग करती, मेरे साथ मस्ती करती, और मैं उसकी हरकतों को मासूमियत से देखता रहता।

मैं छोटा था, सेक्स के बारे में कुछ समझ नहीं थी। ग्रीष्मा मेरे साथ सोती थी, मुझे नहलाती थी, और कभी-कभी मेरे लंड को छूकर हँसती थी। मैं कुछ समझ नहीं पाता था। रात को सोते वक्त वो मेरे लंड पर हाथ रखकर सोती और मेरे हाथ को अपने बूब्स पर रखने को कहती। मैं मासूम था, बस उसकी बात मान लेता। ऐसा करते-करते एक महीना बीत गया। फिर अचानक एक दिन चाची की तबीयत खराब हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ पता चला कि उनके फेफड़ों में इन्फेक्शन है, और डॉक्टरों ने बताया कि ये कैंसर की वजह से है। उनकी हालत गंभीर थी, और डॉक्टरों ने कहा कि उनके पास अब कुछ ही दिन बचे हैं।

ग्रीष्मा की आदत थी कि वो रात को चुपके से मम्मी-पापा के कमरे के पास जाकर की-होल से कुछ देखती थी। जब मैं पूछता कि क्या देख रही हो, तो वो कहती, “कुछ नहीं, तुझे देखना है तो देख ले।” एक बार मैंने की-होल से देखा तो चाचा चाची को किस कर रहे थे। मैं कुछ समझ नहीं पाया। ग्रीष्मा ने कहा, “जा, तू सो जा, मैं आती हूँ।” आधे घंटे बाद वो आई और मुझे किस करने लगी। मैंने कहा, “प्लीज, मुझे सोने दे,” और मैं सो गया।

समय बीतता गया। मैं 6वीं क्लास में आ गया। चाची का फेफड़ों का इन्फेक्शन ठीक नहीं हुआ और छह महीने बाद उनका देहांत हो गया। ग्रीष्मा का एडमिशन कॉलेज में हो गया। चाची की मौत के बाद ग्रीष्मा में बदलाव आने लगा। वो अब पहले से ज्यादा खुली हुई थी। कभी वो दरवाजा खुला रखकर कपड़े बदलती, कभी सिर्फ ब्रा-पैंटी में घर में घूमती, कभी मिनी स्कर्ट पहनती, तो कभी ट्रांसपेरेंट नाइटी। चाचा की नजरें उस पर टिकी रहतीं। ग्रीष्मा भी जानबूझकर अपने बूब्स दिखाती, कभी झुककर, कभी नाइटी की चेन खोलकर। चाचा इसका पूरा फायदा उठाते। कभी मौका मिलने पर वो ग्रीष्मा के बूब्स को अनजान बनकर दबा देते, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

एक दिन मैंने देखा कि चाचा ग्रीष्मा को कपड़े बदलते वक्त घूर रहे थे। ग्रीष्मा ने जानबूझकर अपनी नाइटी की चेन खोल दी। जब वो बाहर आई, तो चाचा ने उसकी चेन लगाने के बहाने उसके बूब्स को हल्के से दबाया। ग्रीष्मा अब पूरी तरह खुल चुकी थी। वो अपने पापा के साथ मजाक करने लगी, उनकी नजरों का लुत्फ उठाने लगी।

एक दिन मैं स्कूल से लौटा तो देखा कि चाचा किचन में ग्रीष्मा के पीछे से लिपटे हुए थे, उसके गाल पर किस कर रहे थे। मुझे देखकर चाचा ने उसे छोड़ दिया। एक रात जब हम सो रहे थे, चाचा ने ग्रीष्मा को बुलाया और कहा कि उनके सिर में दर्द हो रहा है। ग्रीष्मा उनके सिर में बाम लगाने लगी। मैं सोने चला गया, लेकिन कुछ देर बाद मुझे नींद नहीं आई। मैं चुपके से चाचा के कमरे के पास गया और की-होल से देखने लगा। जो मैंने देखा, उसने मुझे दंग कर दिया।

चाचा ने ग्रीष्मा के बूब्स पकड़ रखे थे और उसे किस कर रहे थे। वो कह रहे थे, “बचपन में तो तेरे बूब्स छोटे-छोटे थे, अब तो बहुत बड़े हो गए हैं।” फिर चाचा ने ग्रीष्मा को बेड पर लिटाया और उसकी सलवार-कमीज उतारने लगे। ग्रीष्मा भी उन्हें चूमने लगी और बोली, “इतने दिनों से कोशिश कर रही थी, आपकी नजर ही नहीं जाती थी। आज जाकर गई।” चाचा ने पूछा, “तेरा कोई बॉयफ्रेंड है?” ग्रीष्मा ने कहा, “नहीं, कोई नहीं।” चाचा बोले, “हुँह, यानी तूने कभी किसी से नहीं किया?” ग्रीष्मा ने शरमाते हुए कहा, “नहीं, कभी नहीं।”

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ये सुनते ही चाचा उस पर चढ़ गए। उन्होंने उसकी ब्रा खोली। जैसे ही ब्रा खुली, ग्रीष्मा के गोल-गोल, भरे हुए बूब्स बाहर आ गए। चाचा उन्हें देखते रह गए और बोले, “वाह, क्या बूब्स हैं तेरे! आज तो मजा ही आ जाएगा।” चाचा ने उसके बूब्स को अपने हाथों में लिया, जोर-जोर से दबाने लगे, और एक-एक करके उन्हें चूमने लगे। ग्रीष्मा के मुँह से “उह्ह… आह्ह…” की आवाजें निकल रही थीं। वो अपने होंठ काट रही थी। चाचा ने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों में दबाया, फिर मुँह में लेकर चूसने लगे। ग्रीष्मा सिहर उठी, उसकी साँसें तेज हो गईं।

चाचा ने अपनी शर्ट और पैंट उतारी, फिर ग्रीष्मा की पैंटी उतार दी। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। चाचा ने अपनी उंगली उसकी चूत के बालों पर फेरी और बोले, “अरे, ये तो गीली हो गई है!” फिर वो उसकी चूत के पास मुँह ले गए और उसे चाटने लगे। ग्रीष्मा पागलों की तरह तड़पने लगी, “आह्ह… पापा… उह्ह…” वो सिसकारियाँ भर रही थी। चाचा ने कहा, “चल, बाथरूम चलते हैं।” वो उसे बाथरूम ले गए। सात मिनट बाद जब वो लौटे, तो ग्रीष्मा की चूत के बाल साफ हो चुके थे। उसकी चूत चमक रही थी, गुलाबी और गीली। मैं ये सब देखकर दंग रह गया।

चाचा ने अब तक अपना अंडरवेयर नहीं उतारा था। उन्होंने ग्रीष्मा से कहा, “चल, अब मेरा अंडरवेयर उतार।” ग्रीष्मा ने जैसे ही उनका अंडरवेयर उतारा, उसकी आँखें फट गईं। चाचा का 9 इंच का मोटा, लंबा लंड देखकर वो बोली, “बाप रे! इतना बड़ा लंड? मम्मी इसे अपनी चूत में कैसे लेती थीं?” चाचा हँसे और बोले, “घबराओ मत, बीटा। पहले तुम्हारी मम्मी को भी दिक्कत हुई थी, लेकिन बाद में वो इसे आराम से लेती थीं और मजा लेती थीं। तुझे भी बहुत मजा आएगा।” ग्रीष्मा डरते हुए बोली, “मेरी चूत तो बहुत छोटी है, मैं नहीं ले पाऊँगी। प्लीज, मुझे छोड़ दीजिए।” चाचा ने कहा, “अभी तो कुछ किया ही नहीं है। पहले मेरा लंड मुँह में ले और इसे चूस।”

ग्रीष्मा ने मना किया, लेकिन चाचा ने जबरदस्ती उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया और हिलाने को कहा। ग्रीष्मा ने डरते-डरते उनके लंड को हिलाना शुरू किया। कुछ देर बाद चाचा ने उसे फिर से चूमा और बोले, “मुँह में ले, प्लीज।” ग्रीष्मा ने उनकी बात मान ली और उनके मोटे लंड को अपने मुँह में लिया। वो धीरे-धीरे चूसने लगी। चाचा “आह्ह… और जोर से… और अंदर ले…” कहते हुए मजा ले रहे थे। कुछ देर बाद चाचा के लंड से ढेर सारा पानी निकला, जो ग्रीष्मा के बूब्स पर गिर गया। चाचा ने उसे लिटाया और उस पर लेट गए। वो बोले, “मजा आया?” ग्रीष्मा, जिसके माथे पर पसीना था, बोली, “हाँ, मजा आया।” चाचा ने कहा, “आज तो पूरी रात बाकी है। आज तू यहीं सो जा, बहुत मजा करेंगे।”

चाचा फिर से ग्रीष्मा के बूब्स चूसने लगे। ग्रीष्मा की चूत से पानी निकल रहा था। चाचा ने पूछा, “मजा आया?” ग्रीष्मा ने कहा, “बहुत मजा आया।” चाचा ने कहा, “अब तुझे और मजा दूँगा।” उन्होंने ग्रीष्मा के पैर फैलाए और उसकी चूत को चाटने लगे। मैंने देखा कि चाचा का लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक उठे और ग्रीष्मा को किस करने लगे। फिर उन्होंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। ग्रीष्मा “ओह… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। अचानक चाचा ने अपना लंड उसकी चूत पर रोका और एक जोरदार धक्का मारा। ग्रीष्मा की चीख निकल गई। मैंने देखा कि चाचा का लंड आधा इंच ही उसकी चूत में घुसा था। ग्रीष्मा चिल्लाई, “निकालो, प्लीज! मैं मर जाऊँगी।”

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चाचा ने उसे चूमते हुए उसका मुँह बंद किया और एक और जोरदार धक्का मारा। इस बार उनका लंड 2 इंच अंदर चला गया। ग्रीष्मा तड़प उठी, “गु… गु… गु…” की आवाजें निकालते हुए रोने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूत से खून की धार निकल रही थी। उसकी हालत खराब थी, और अभी चाचा का 7 इंच लंड बाकी था। मैं डर गया कि ये कैसे घुसेगा। तभी ग्रीष्मा बेहोश हो गई। चाचा ने पानी लाकर उसके चेहरे पर छींटा मारा। ग्रीष्मा होश में आई और बोली, “मुझे बहुत दर्द हो रहा है।” चाचा ने उसकी एक न सुनी और फिर से उस पर चढ़ गए। वो बोले, “कुछ नहीं होगा। पहली बार तेरी मम्मी को भी दर्द हुआ था। लेकिन तेरी चूत इतनी टाइट है, तेरी मम्मी की नहीं थी। साली रंडी पता नहीं किस-किस से चुदवाकर आई थी। मुझे उसकी चूत में उतना मजा नहीं आता था, जितना तेरी चूत में आ रहा है।”

चाचा ने फिर से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा। इस बार उनका 5 इंच लंड अंदर चला गया। ग्रीष्मा जोर से चीखी, “आपका लंड मेरे बच्चेदानी को फाड़ देगा!” चाचा ने कहा, “ये तो अभी आधा ही घुसा है, तुझे पूरा लेना है।” ग्रीष्मा की आँखों से आँसू निकल आए। वो बोली, “मैं मर जाऊँगी, प्लीज पूरा मत डालो।” चाचा ने फिर भी धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया। ग्रीष्मा हर धक्के के साथ चीख रही थी। अचानक चाचा ने अपना लंड बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार झटका मारा। इस बार उनका 7 इंच लंड अंदर चला गया। ग्रीष्मा फिर बेहोश हो गई। चाचा ने एक और झटका मारा और अपना पूरा 9 इंच लंड उसकी चूत में डाल दिया।

मैं ये देखकर दंग रह गया। चाचा ने ग्रीष्मा के चेहरे को चाटना शुरू किया। वो होश में आई और चीख पड़ी, “मेरी चूत में ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने गर्म लोहे का रॉड डाल दिया हो। प्लीज निकाल दो!” चाचा ने कहा, “अब दर्द नहीं होगा, मेरा पूरा लंड तेरे अंदर चला गया है।” वो पाँच मिनट तक वैसे ही रुके, फिर धीरे-धीरे झटके देने लगे। ग्रीष्मा हर झटके के साथ “ओह… उई… माँ…” चिल्ला रही थी। फिर उसने जोर से चीखा, “मैं झड़ने वाली हूँ!” चाचा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। दोनों एक-दूसरे से चिपट गए। चाचा बोले, “आज तो मजा ही आ गया। इतने दिनों बाद किसी को चोदने का मौका मिला।” ग्रीष्मा की हालत खराब थी। जब चाचा उस पर से उठे, तो उसकी चूत का सूराख साफ दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया हो। ग्रीष्मा ने अपनी चूत पर हाथ रखा और बोली, “मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मेरी चूत फट गई है।”

चाचा ने अलमारी से पेनकिलर निकालकर उसे दी। पंद्रह मिनट बाद दोनों सोने लगे। मैं अपने कमरे में चला गया, लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ थी। मैं फिर से चाचा के कमरे के पास गया। चाचा ग्रीष्मा से फिर से अपना लंड चुसवा रहे थे। उनका लंड फिर से खड़ा हो गया था। चाचा ने कहा, “एक बार और हो जाए?” ग्रीष्मा बोली, “नहीं, प्लीज। अब नहीं हो पाएगा। मुझे सुसु लगी है।” वो बेड से उठने की कोशिश कर रही थी, लेकिन एक कदम भी नहीं चल पा रही थी। चाचा ने उसे गोद में उठाकर बाथरूम ले गए और फिर वापस गोद में लाकर बेड पर लिटाया। वो फिर से उसके बूब्स चूसने लगे।

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ग्रीष्मा को बेड पर लिटाते ही चाचा उस पर चढ़ गए और फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब ग्रीष्मा को भी मजा आने लगा था। तभी चाचा ने एक गोली खाई और फिर उसे चोदने लगे। करीब आधे घंटे तक चोदने के दौरान ग्रीष्मा दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन चाचा गोली खाने के बाद झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। एक घंटे बाद चाचा बोले, “अब मैं तेरी गांड मारूँगा।” ग्रीष्मा डर गई और बोली, “नहीं, ये नहीं हो सकता। मैं आपका लंड अपनी गांड में लूँ? मुझे मारना है क्या? मेरी चूत फाड़कर आपको मजा नहीं आया, जो अब मेरी गांड मारना चाहते हैं?” चाचा बोले, “दोनों छेद में अनुभव होगा तो ज्यादा मजा आएगा।”

चाचा ने ग्रीष्मा को पलटने को कहा। उसने मना किया तो चाचा ने उसके गाल पर जोर का थप्पड़ मारा और बोले, “साली रंडी, मैंने तेरी मम्मी की गांड मारी थी, और आज तेरी भी मारूँगा। तू समझती क्या है अपने आप को? आज मैं तुझे दुनिया की सबसे बड़ी चुदाई का मजा दूँगा।” ग्रीष्मा जोर-जोर से रोने लगी। चाचा ने उसकी एक भी न सुनी। उन्होंने अलमारी से तेल निकाला, थोड़ा अपने लंड पर लगाया और थोड़ा ग्रीष्मा की गांड के छेद पर। ग्रीष्मा चिल्लाई, “नो, डैडी, प्लीज! मेरी चूत का तो भोसड़ा बना दिया, अब मेरी गांड का मत बनाओ।” लेकिन चाचा ने अपना 9 इंच का लंड उसकी टाइट गांड पर रखा और एक ही झटके में 4 इंच अंदर पेल दिया। ग्रीष्मा चीख पड़ी। एक और झटके के साथ चाचा ने 6 इंच अंदर डाल दिया। ग्रीष्मा बोली, “मैं मर गई! मेरी गांड फट गई! आपका लंड नहीं, ये तो लोहे का गर्म डंडा लग रहा है। मैं आपकी बेटी हूँ, कोई रंडी नहीं।”

चाचा ने कहा, “थोड़ा दर्द तो तेरी मम्मी को भी हुआ था। लेकिन साली तेरी मम्मी पूरी चनल थी। उसकी गांड पहले से ही भोसड़ा थी। पता नहीं किस-किस से चुदवाकर आई थी। जब मैंने उसकी गांड मारी, तो उसे कुछ हुआ ही नहीं। लेकिन तेरी गांड इतनी टाइट है, मजा आ रहा है।” चाचा ने एक और जोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड ग्रीष्मा की गांड में डाल दिया। ग्रीष्मा की हालत खराब हो गई थी। चाचा आधे घंटे तक उसकी गांड मारते रहे। फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी गांड पर ढेर सारा माल छोड़ दिया। वो बोले, “सचमुच, तू तो जन्नत है। मुझे आज तक ऐसी चूत और गांड नहीं मिली। आज से मैं तुझे रोज चोदूँगा। हर रात तेरे साथ अपनी प्यास बुझाऊँगा। थैंक्स रेनू, ऐसी बेटी देने के लिए।”

चाचा ने ग्रीष्मा से कहा, “आज से तू हर रात मेरे कमरे में सोएगी, और मैं तुझे रोज चोदूँगा।” फिर चाचा ने उसे एक और पेनकिलर दी और एक ग्लास पानी पिलाया। दोनों सो गए। मैं अपने कमरे में चला गया, लेकिन मेरी आँखों में नींद नहीं थी। ये सब मेरे दिमाग में घूम रहा था। ग्रीष्मा की हालत देखकर मुझे दुख हुआ, लेकिन साथ ही ये सब देखकर मेरे अंदर भी कुछ अजीब सा चल रहा था। मैं सोच रहा था कि ये सब क्या था, और आगे क्या होगा।

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