Virgin Sister Sex Story: दोस्तो, मैं सैम, तुम्हारा यार, एक बार फिर अपनी ज़िंदगी की आग सी चटपटी कहानी लेकर हाज़िर हूँ। पिछली बार तुमने पढ़ा कि मैं बैंगलोर में अपनी बुआ तृप्ति के घर था, जहाँ उनकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई का मज़ा लिया।
कहानी का पिछला भाग: बुआ के घर में बुआ की चूत चुदाई
अब उसी दिन की दोपहर, मैं बुआ की 18 साल की कमसिन बेटी तृषा की वर्जिन चूत की सील तोड़ने वाला हूँ।। लटका तानकर तैयार हो जाओ, ये कहानी तुम्हारे लंड को तड़पाएगी और चूत में आग लगा देगी!
दोपहर के करीब ढाई बजे मेन गेट की घंटी बजी। बुआ ने दरवाजा खोला, तो सामने कांका और तृषा खड़े थे। तृषा, 18 साल की, 12वीं की CBSE छात्रा, अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में कयामत ढा रही थी।। उसकी स्कर्ट घुटनों से तीन इंच ऊपर थी, जिससे उसकी गोरी, चिकनी जाँघें चमक रही थीं। टॉप के दो बटन खुले थे, और 32 डी की चूचियों की गहरी खाई साफ़ झलक रही थी। उसके लंबे, सिल्की बाल हवा में लहरा रहे थे, और गुलाबी लिप्सटिक में उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे कोई मॉडल हो। मेरा लंड पैंट में तड़पने लगा, और मैं उसे बस घूरता रहा।
तृषा ने बुआ से पूछा, “मम्मी, ये कौन है?” बुआ ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये तेरा मुंबई वाला भाई सैम है, तेरे मामा का बेटा।” मैंने तृषा की आँखों में देखते हुए कहा, “हाय तृषा, काफ़ी सालों बाद मिले, तू तो बड़ी हो गई!” वो शरमाई, “मुझे तेरे बारे में पता नहीं था, पर मम्मी ने बताया तो अच्छा लगा।” मैंने कहा, “मैं पूनम दीदी को उनकी ससुराल छोड़ने आया था। उनके ससुर अस्पताल में हैं।” तृषा ने सहानुभूति दिखाई, “ओह, सॉरी। तू यहाँ रुकने वाला है?” बुआ ने तपाक से कहा, “हाँ बेटा, दो-तीन दिन हमारे साथ रहेगा।”
मैंने हल्का मज़ाक किया, “नहीं बुआ, मुझे सोमवार को ऑफिस जॉइन करना है।” बुआ ने आँखें तरेरीं, “अरे, मैं तेरे मम्मी-पापा को बोल दूँगी, तू तीन दिन रुक।” तृषा की आँखें चमक उठीं, “वाह, मम्मी! आज मेरी फ्रेंड नीतू का बर्थडे है। निशा दीदी मेरे साथ नहीं जा रही, तो मुझे अकेले जाना पड़ता। अब सैम मेरे साथ जाएगा।” मैंने थोड़ा नाटक किया, “अरे तृषा, मैं तुझे अभी ठीक से जानता भी नहीं!” वो हँस पड़ी, “तू जानता है मैं तेरी बहन हूँ, बस इतना काफी है। तू मेरे साथ पार्टी में चल रहा है, फाइनल!” हमारी हल्की तकरार शुरू हो गई, और बुआ मुस्कराने लगीं।
बुआ ने बीच में टोका, “बस करो तुम दोनों, पहले लंच कर लो। डाइनिंग टेबल पर आ जाओ।” मैंने नाक सूँघते हुए कहा, “वाउ बुआ, खाने की महक से तो भूख तिगुनी हो गई!” तृषा बोली, “मम्मी, मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।” मैंने उसकी ओर देखकर कहा, “हम तेरा इंतज़ार करेंगे, जल्दी आ।” तृषा अपने रूम में चली गई और पाँच मिनट बाद एक टाइट व्हाइट टी-शर्ट और डेनिम शॉर्ट्स में लौटी। टी-शर्ट का गला इतना बड़ा था कि उसकी चूचियाँ बिना ब्रा के उभर रही थीं, और निप्पल्स हल्के से दिख रहे थे। उसकी गोरी जाँघें और टाइट गांड देखकर मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। मैं उसे घूरता रह गया।
डाइनिंग टेबल पर तृषा मेरे सामने बैठी। बुआ मेरे बगल में थीं और मेरी हरकतें नोटिस कर रही थीं। खाने के बीच बुआ ने धीरे से अपना हाथ मेरी जाँघ पर रखा और मेरे तने हुए लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया। उनकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर हल्के-हल्के दबाव डाल रही थीं। मैंने आँखों से इशारा किया, और वो मुस्कराईं। मैंने जल्दी से खाना ख़त्म किया, ताकि तृषा की चूचियों पर ध्यान न जाए। लंच के बाद हम पहली मंज़िल पर गए। काका टेबल साफ़ करने लगे। तृषा ने पूछा, “सैम, तू किस रूम में रुका है?” बुआ बोलीं, “गेस्ट रूम में, पहली मंज़िल पर।” तृषा ने मेरी बाँह पकड़ी, “चल मेरे साथ, मैं तुझे अपनी फोटोज़ दिखाती हूँ।”
हम तृषा के रूम की ओर बढ़े। रास्ते में बुआ ने मुझे आँख मारी और होंठों से फ्लाइंग किस दे दी। धीरे से बोलीं, “एंजॉय कर, मेरे शेर!” तृषा का रूम मॉडर्न था, जिसमें एक फ्लैट स्क्रीन टीवी और हाई-एंड कंप्यूटर सेटअप था। मैंने पूछा, “ये तेरा और निशा का है?” वो बोली, “नहीं, सिर्फ़ मेरा। दीदी का रूम बगल में है।” उसने कंप्यूटर ऑन किया, पासवर्ड डाला, और स्क्रीन पर एक XXX मूवी शुरू हो गई। एक गोरी लड़की ज़ोर-ज़ोर से एक मोटा लंड चूस रही थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। तृषा ने घबराकर माउस पकड़ा, “ओह शिट, बंद कर!” मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, “अरे रहने दे, काफ़ी दिनों बाद मस्त माल देखने मिल रहा है।” वो शरमाकर हँसी, “तेरे पास भी तो रूम है, फिर क्यूँ?”
मैंने मज़ाक में कहा, “20 दिन से दीदी के साथ एक रूम में था, मौका कहाँ मिला?” वो खिलखिलाकर हँस पड़ी, और हम मूवी देखने लगे। स्क्रीन पर लड़की अब डॉगी स्टाइल में चुद रही थी, और उसके बूब्स ज़ोर-ज़ोर से हिल रहे थे। कमरे में गर्मी बढ़ने लगी। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और तृषा की गोरी गर्दन पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। मेरा हाथ धीरे से उसके कंधे पर चला गया। मैंने उसकी टी-शर्ट को कंधे से सरकाया, और उसकी एक चूची बाहर निकल आई। बिना ब्रा के उसका लाइट पिंक निप्पल कड़क था, जैसे मुझसे चूसे जाने की माँग कर रहा हो। मैंने दो उंगलियों से निप्पल को हल्के से दबाया, फिर मसलने लगा। उसकी साँसें भारी हो गईं, और उसने आँखें बंद कर लीं।
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तृषा ने मेरा लंड पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया। मैंने अंकल की ढीली ट्रैक पैंट पहनी थी, और मेरा 7 इंच का लंड फौलाद की तरह तन गया। उसकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थीं, और मेरे पूरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी। मैंने उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया और उसके गुलाबी, रसीले होंठों को चूसने लगा। उसका मुँह गर्म और मीठा था, जैसे शहद में डूबा हो। मेरी जीभ उसकी जीभ से टकराई, और वो मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसाकर चूसने लगी। उसका पूरा जिस्म मेरे साथ लिपट गया, और उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थीं।
मैंने उसकी टी-शर्ट को पेट तक सरकाया और दोनों चूचियों को अपने हाथों में लिया। वो नरम, टाइट, और गर्म थीं, जैसे ताज़ा मलाई। मैंने निप्पल्स को अंगूठे से रगड़ा, और तृषा सिसकारी, “आह… सैम, और ज़ोर से… मेरी चूचियों को मसल दे!” मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, ज़ोर से चूसा, और दूसरे को उंगलियों से कसकर दबाया। उसका निप्पल मेरे मुँह में कड़क हो गया, और मैंने उसे हल्के से दाँतों से काटा। तृषा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह… खा जा इन्हें… मेरी चूचियाँ तेरे लिए हैं!” उसकी आवाज़ में हवस थी, और मेरा लंड अब पैंट फाड़ने को तैयार था।
तृषा ने मेरी पैंट नीचे खींची और मेरा लंड पकड़ लिया। उसकी नरम हथेली मेरे सुपारे पर फिसल रही थी, और वो बोली, “सैम, तेरा लंड तो कयामत है! इतना मोटा और लंबा!” मैंने कहा, “पसंद आया तो चूस ले, जान।” वो बोली, “तू किसका इंतज़ार कर रहा है, मेरे राजा?” हम खड़े हुए और एक-दूसरे के कपड़े फाड़ने लगे। मैंने उसकी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दी। उसका 32-26-34 का फिगर बुआ की तरह गज़ब था। उसकी गोरी जाँघें, पतली कमर, और गोल, टाइट गांड देखकर मेरा लंड लोहे की रॉड बन गया। तृषा ने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दिया, और मेरा लंड हवा में तनकर लहराने लगा।
हम बेड पर गिरे और 69 पोज़िशन में आ गए। मैंने उसकी चूत खोली। वो छोटी, रानी पिंक, और बिल्कुल साफ़ थी, जैसे कोई अनछुआ फूल। उसका लाइट पिंक दाना चमक रहा था, और हल्का सा रस टपक रहा था। मैंने जीभ उसकी चूत की फाँकों में डाली, और उसका गर्म, नमकीन रस मेरे मुँह में बहने लगा। मैं कुत्ते की तरह चाटने लगा, मेरी जीभ उसके दाने पर नाच रही थी। तृषा ने मेरा लंड मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसका गर्म मुँह मेरे सुपारे को लपेट रहा था, और उसकी जीभ मेरे लंड की नसों पर फिसल रही थी। वो सिसकारी, “आह… सैम, और चाट… मेरी चूत को खा जा!” मैंने उसकी चूत की गहराई में जीभ डाली, और वो मेरे लंड को गले तक ले गई।
कुछ मिनट बाद तृषा बोली, “सैम, मैं झड़ने वाली हूँ!” मैंने कहा, “मेरे मुँह में झड़, जान।” वो बोली, “मेरी चूत का रस पिएगा?” मैंने कहा, “हाँ, हर बूँद चाटूँगा।” वो बोली, “फर्स्ट टाइम है?” मैंने मज़ाक किया, “गर्लफ्रेंड्स ने ट्रेनिंग दी है।” तृषा हँसी, “तेरा लंड तो किलर है!” मैंने पूछा, “कभी लिया है?” वो बोली, “एक लड़के ने ट्राई किया, पर उसकी लुल्ली थी। झड़ गया। मैं गाजर-खीरे से काम चलाती हूँ।” मैंने कहा, “आज तेरी चूत को असली लंड का मज़ा मिलेगा।”
हम फिर चूसने-चाटने में डूब गए। तृषा की चूत का रस मेरे मुँह में बह रहा था, और उसका मुँह मेरे लंड को चूस-चूसकर गीला कर रहा था। मेरी नज़र दरवाज़े पर गई, मुझे लगा कोई झाँक रहा है। मैंने कहा, “तृषा, दरवाज़ा खुला है। मम्मी ना देख लें!” वो बोली, “चिंता मत कर, मम्मी ने कुछ नहीं देखा।” उसने जल्दी से दरवाज़ा लॉक किया और वापस बेड पर आ गई। मैंने उसे लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत गीली और गर्म थी, जैसे आग का गोला। मैंने फिर उसकी चूत चाटी, मेरी जीभ उसके दाने को रगड़ रही थी। तृषा तड़प रही थी, “सैम, लंड डाल दे… मेरी चूत जल रही है! इसे अपने लंड से ठंडा कर!”
उसकी हवस भरी आवाज़ ने मेरे जिस्म में आग लगा दी। मैंने लंड पर डेर सारा थूक लगाया, सुपारा उसकी चूत के मुँह पर सेट किया, और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा 7 इंच का लंड आधा उसकी टाइट चूत में घुस गया। तृषा चीख पड़ी, “ुई माँ! मर गई! सैम, बाहर कर, मेरी चूत फट गई!” उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जकड़ा गया था, जैसे रबर बैंड में फँस गया हो। मैंने कहा, “जान, अभी तो चूत की आग बुझाने को बोली थी। थोड़ा सहन कर!” वो कसमसाती रही, और उसकी आँखों में आँसू थे। मैंने लंड वैसे ही रखा और उसकी चूचियाँ मसलीं। उनकी नरम, गोल चूचियाँ मेरे हाँथों में पूरी तरह से दब रही थीं, और मैं उनके निप्पल्स को चुटकी में लेकर खींच रहा था। तृषा की सिसकारियाँ दर्द में डूबी थीं, पर उसकी चूत धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनाने लगी।
कुछ मिनट बाद मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। तृषा की चीखें सिसकियों में बदलीं, और वो बोली, “आह… सैम, अब मज़ा आ रहा है… और ज़ोर से!” वो अपनी गोल गांड उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। मैंने स्पीड बढ़ाई, और मेरे हर झटके में उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। उसकी चूत मेरे लंड को चूस रही थी, और उसका गर्म रस मेरे लंड को भिगो रहा था। मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और गहरे धक्के मारने लगा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में जड़ तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी चूत और टाइट हो रही थी। तृषा सिसकारी, “और ज़ोर से चोद, मेरे राजा! मेरी चूत को फाड़ दे! पहली बार लंड का सुख मिला है!” मैंने कहा, “जान, जब मन करे, बुला ले, ये लंड तेरी चूत का गुलाम है।”
कमरे में हमारी भारी साँसें, तृषा की सिसकारियाँ, और चट-चट की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने उसकी चूचियों को मसला, उनके निप्पल्स को चूसा, और उसकी गर्दन पर काटा। तृषा का जिस्म पसीने से चमक रहा था, और उसकी चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं। 12 मिनट बाद मेरा लंड अकड़ गया। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरे लंड ने गर्म, गाढ़ी पिचकारी छोड़ी। तृषा की चूत मेरे माल से भर गई। वो भी झड़ते हुए चीखी, “आह… सैम, मेरी चूत को भर दे!” उसका रस मेरे लंड पर बह रहा था, और हमारी जाँघें गीली हो गईं। हम पसीने से तर, नंगे बेड पर लेट गए।
कुछ देर बाद मेरी आँख खुली। तृषा बेड पर नहीं थी। मैं बाथरूम गया, तो वो बाथटब में थी, गर्म पानी में डूबी। मैं निकलने लगा, तो उसने सेक्सी अंदाज़ में कहा, “आ जा सैम, गर्म पानी और मैं, दोनों तुझे बुला रहे हैं।” मैं टब में उसके पीछे बैठ गया। पानी की गर्मी ने मेरे थके जिस्म को सुकून दिया। तृषा ने सिर मेरे सीने पर टिकाया, और मैं उसकी चूचियों को मसाज करने लगा। उसके निप्पल्स फिर कड़क हो गए, और वो धीरे-धीरे सिसक रही थी। हमारी आँखें लग गईं।
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शाम 5:30 बजे आँख खुली। मैंने तृषा को गोद में उठाकर बेड पर लिटाया, कंबल ओढ़ाया, और वो सो गई। मैं तौलिया लपेटकर अपने रूम गया, पर गलती से ट्रैक पैंट और टी-शर्ट तृषा के रूम में छोड़ आया। मैं बेड पर लेटकर सोने की एक्टिंग करने लगा। बुआ आईँ, बोलीं, “सो रहा है, मेरा शेर?” मैंने कहा, “हाँ बुआ, थकान है।” वो हँसीं, “इतना चोदेगा तो थकेगा ही!” उन्होंने कंबल में हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ा और हँस पड़ीं, “नंगा शेर! कपड़े कहाँ हैं?” वो तृषा के रूम से मेरे कपड़े लाईं।
मैंने शर्माते हुए कहा, “बुआ, सॉरी, तृषा के साथ जो हुआ…” बुआ ने आँख मारी, “अरे, तृषा को मर्द चाहिए था। मैंने तुझे 69 में देखा, तभी समझ गई थी तू उसकी सील तोड़ेगा। निशा का बॉयफ्रेंड उसे तृप्त नहीं करता। हम तीनों कभी-कभी लेसबियन सेक्स करते हैं। अब नीचे आ, नाश्ता तैयार है।” मैंने कहा, “15 मिनट दो, तृषा को लाता हूँ।”
मैं नहाकर नीचे गया। बुआ अपनी दो सहेलियों, टीना और शूमा, के साथ चाय पी रही थीं। बुआ ने परिचय कराया, “टीना नीतू की माँ है, और शूमा नेहा की। आज नीतू की बर्थडे पार्टी है।” मैंने दोनों से हाथ मिलाए। टीना, 36 की, गोरी, भरे बदन वाली, टाइट ड्रेस में हॉट लग रही थी। उसने मेरा हिस्साह ज़ोर से दबाया और आँख मारी, “सैम, पार्टी में ज़रूर आना।” मैंने कहा, “पक्का हूँ।” तृषा भी आ गई। हम बातें करने लगे। तृषा ने कहा, “मम्मी, मैं सैम के लिए टी-शर्ट लाने मार्केट जा रही हूँ।” बुआ बोलीं, “सैम, अंकल की बाइक ले जा, बाज़ार में गाड़ी मुश्किल है।”
काका ने बाइक की चाबी दी। तृषा मेरे पीछे बैठी, और उसकी चूचियाँ मेरी पीठ में चिपक गईं। उसने मेरा लंड सहलाना शुरू किया। मैंने कहा, “पहले टी-शर्ट लेते हैं, फिर कपड़े उतारेंगे।” वो बोली, “पार्टी के बाद सब उतर जाएगा, मेरे जaan!” मार्केट में एक दुकान पर गए। दुकानदार ने तृषा को पहचाना। हमने दो टी-शर्ट्स और दो जीन्स चुनीं। मैं ट्रायल रूम गया, और तृषा ने कपड़े चेक किए। दुकानदार ने 900 रुपये माँगे। मैंने 550 का ऑफर दिया। तकरार के बाद 600 में डील हुई। रास्ते में तृषा ने मेरे लिए छह कट वाली अंडरवेयर खरीदीं।
शाम 6:30 बजे हम घर गए। बुआ और निशा हॉल में कॉफी पी रही थीं। बुआ ने निशा से मेरा परिचय कराया, “ये सैम, तेरा मुंबई वाला भाई।” निशा, 24 की, स्लिम, गोरी, टाइट टॉप और स्कर्ट में हॉट थी। उसने हाय कहा, और मैंने भी। तृषा ने टी-शर्ट और जींस दिखाए, पर अंडरवेयर नहीं। निशा बोली, “मैं तो तृषा के साथ पार्टी में थी!” बुआ ने टोका, “परेशान ना कर। कॉफी पी, और रूम में आराम कर।” निशा और तृषा अपने रूम में गईं। मैं अपने रूम में लेट गया।
बुआ आईं। उन्होंने ट्रांसपेरेंट ब्लैक नाइटी पहनी थी, जिसमें उनकी 36 की चूचियाँ और गोल गांड साफ़ दिख रही थीं। वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगीं। मैंने उनका सिर झुकाया और उनके रसीले होंठ चूसे। उनकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी, और उनकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थीं। मैंने उनकी डोरी खींची, और नाइटी नीचे गिरी। उनकी पिंक ब्रा और पैंटी में वो आग थीं। मैं उनकी चूचियाँ ब्रा से निकालकर चूसने लगा। बुआ सिसकारीं, “आह… सैम, और ज़ोर से…”
अचानक कदमों की आहट सुनाई। बुआ चेयर पर बैठ गईं। काका ने कहा, “बेटा, दीदी का फोन।” मैंने दीदी से बात की। दीदी बोलीं, “बुआ ने तेरा टिकट अगले रविवार का करवाया। मम्मी को ऑफिस में बता दिया।” मैंने कहा, “यहाँ मज़ा है, बाद में बताऊँगा।” रूम में लौटा, तो बुआ थीं। उन्होंने टिकट दिया और दरवाज़ा लॉक किया। मैंने उनकी नाइटी उतार दी। उनकी चूचियाँ चूसने लगा। निशा ने खटखटाया, “मम्मी यहाँ हैं?” मैंने कहा, “नहीं, अपने रूम में।” बुआ ने नाइटी पहनी, और मैं बाहर निकला। निशा नीचे थी। मैंने बुआ को इशारा किया, और वो अपने रूम में चली गईं।
दोस्तो, तृषा की वर्जिन चूत का मज़ा कैसा लगा? अब नई चूतों से मेरे लंड का मिलन होगा!
कहानी का अगला भाग: फुफेरी बहन की सहेली चुद गयी
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