दोस्तों, मेरा नाम अनुराधा है, और मैं कानपुर की रहने वाली हूँ। उम्र मेरा अठारह साल है, और मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हूँ। मेरी जिंदगी में इससे पहले कोई बॉयफ्रेंड नहीं था, लेकिन मेरी एक सहेली अंकिता, जिसका बॉयफ्रेंड मनीष है, वो हमेशा अपनी चुदाई की कहानियाँ सुनाती थी। कभी कहती, “आज मनीष ने मेरी चूचियों को ऐसे दबाया,” तो कभी, “उसका लंड मेरी चूत में ऐसे घुसा कि मैं पागल हो गई।” उसकी बातें सुन-सुनकर मेरे मन में भी चुदाई की आग भड़कने लगी। मेरा दिल अब किसी लड़के के साथ वो सब करने को बेताब था जो अंकिता बताती थी।
मैंने सोच लिया कि मुझे भी एक ऐसा बॉयफ्रेंड चाहिए, जो मुझे प्यार करे, मेरी चूचियों को दबाए, और मेरी चूत में अपना लंड घुसाकर मुझे सातवें आसमान पर ले जाए। बस, यही चाहत लेकर मैं इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगी। हर जगह मैं हॉट और सेक्सी लड़कों को ताड़ने लगी। काफी दिन ढूंढने के बाद मेरी नजर पड़ी अपने ही क्लास के विक्रांत पर। वो लड़का था ही इतना हॉट कि क्या बताऊँ! लंबा-चौड़ा, कातिलाना स्माइल, और वो स्टाइल जो किसी भी लड़की को घायल कर दे। उसकी पहले से एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन मुझे क्या! मुझे तो बस अपनी चूत की प्यास बुझानी थी।
थोड़े ही दिनों में मैंने उसे अपने जाल में फंसा लिया। हम दोनों की चैट शुरू हुई, और फिर घूमना-फिरना, बाइक राइड्स, और धीरे-धीरे वो पल भी आए जब वो मेरी चूचियों को दबाने लगा। मैं जब उसकी बाइक पर पीछे बैठती, तो जानबूझकर अपनी चूचियों को उसकी पीठ से चिपका देती। मेरे निप्पल्स उसकी पीठ पर रगड़ते, और मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती। वो भी मजा लेता था, और मुझे भी उसकी हरकतों से चूत में गुदगुदी होने लगती थी। लेकिन मुझे अब वो आखिरी मंजिल तक पहुंचना था—मेरी चूत की सील टूटने का वक्त आ गया था।
15 अगस्त का दिन मेरे लिए वो खास दिन बन गया। मैंने घर पर बहाना बनाया कि मेरी सहेली के यहाँ पार्टी है, और मैं वहाँ जा रही हूँ। मम्मी-पापा ने ज्यादा सवाल नहीं किए और कह दिया, “ठीक है, शाम को जल्दी घर आ जाना।” मैंने सुबह 11 बजे विक्रांत को व्हाट्सएप किया, “जल्दी आ जा, मैं तैयार हूँ।” उसने रिप्लाई किया, “बस, पांच मिनट में आ रहा हूँ, बेबी।” मैंने अपने घर से थोड़ी दूर पर उसका इंतजार शुरू किया। जैसे ही वो अपनी बाइक पर आया, मैं तो उसे देखते ही पिघल गई। काला चश्मा, टाइट टी-शर्ट, और वो हीरो वाला स्टाइल—हाय, मेरा तो दिल धक-धक करने लगा।
मैं उसकी बाइक पर पीछे बैठ गई और अपनी चूचियों को उसकी पीठ से सटा दिया। उसने पूछा, “कहाँ चलें? कोई होटल या कहीं और?” मैंने कहा, “तू बता, जहाँ तुझे ठीक लगे।” उसने बताया कि उसके दोस्त का फ्लैट खाली है, वो बाहर गया है, और हमें वहाँ पूरा मजा करने की आजादी मिलेगी। मैंने तुरंत हामी भर दी। रास्ते में मैं उसकी कमर से लिपटकर बैठी थी, मेरी चूचियाँ उसकी पीठ पर रगड़ रही थीं, और मेरी चूत में पहले से ही गीलापन शुरू हो गया था।
फ्लैट में पहुंचते ही हम दोनों एक-दूसरे पर टूट पड़े। विक्रांत ने मुझे अपनी बाहों में भरा और मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं भी उसका साथ देने लगी, उसके होंठों को चूमते हुए, उसकी जीभ को अपनी जीभ से लड़ाने लगी। उसका एक हाथ मेरी चूचियों पर आ गया, और वो जोर-जोर से उन्हें दबाने लगा। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मैं उसके बालों को सहलाने लगी। धीरे-धीरे हम बेडरूम में पहुंच गए। विक्रांत ने मुझे बेड पर धकेल दिया और मेरी कमीज़ उतार दी। मैंने भी उसकी टी-शर्ट खींचकर उतार दी। वो मेरे ऊपर झुक गया और मेरी सलवार के नाड़े को खोलने लगा। मेरी सलवार नीचे सरक गई, और अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
विक्रांत जल्दबाजी में नहीं था। वो जानता था कि मुझे तड़पाना है। उसने मेरे होंठों को फिर से चूमा, फिर मेरे गले पर अपनी जीभ फिराई। मेरी चूचियों के बीच उसने अपना मुँह रगड़ा, और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे निप्पल्स को चूसने लगा। मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… विक्रांत… और कर…” वो नीचे सरक गया, मेरे पेट को चूमते हुए मेरी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। मैं तकिए को जोर से पकड़ रही थी, मेरे होंठ मेरे दांतों के बीच दब गए, और मेरी आँखें बंद हो गईं।
वो और नीचे गया, मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सूँघने लगा। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और उसकी गर्म साँसें मुझे पागल कर रही थीं। उसने मेरे घुटनों को चूमा, फिर मेरे पैरों के अँगूठों को अपने मुँह में लिया। मैं तड़प रही थी, मेरे बदन में आग लगी थी। फिर वो वापस ऊपर आया और मेरी ब्रा खोल दी। मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और वो उन्हें अपनी जीभ से हल्के-हल्के छूने लगा। उसका हर स्पर्श मेरे शरीर में सिहरन पैदा कर रहा था। मैं बस सिसकार रही थी, “उफ्फ… विक्रांत… ये क्या कर रहा है तू…”
वो अब मेरी पैंटी के पास आया और उसे धीरे-धीरे उतार दिया। मेरी चूत को देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। उसने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत की फांकों को अपने उंगलियों से खोला। “वाह, कितनी टाइट चूत है तेरी,” उसने कहा और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया। जैसे ही उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छुआ, मेरे मुँह से चीख निकल गई, “आह्ह… हाय… विक्रांत…” वो मेरी चूत को चाटने लगा, उसकी जीभ मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ रही थी। मैं पागल हो रही थी, ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था। मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और वो बार-बार मेरे चूत के रस को चूस रहा था।
उसने मेरी चूत को और ध्यान से देखा और बोला, “तू सच में वर्जिन है, अनुराधा। आज मैं तेरी सील तोड़ दूँगा।” मैंने शरमाते हुए कहा, “हाँ, मैंने तो तुझे पहले ही कहा था… आज तू ही मेरी चूत का उद्घाटन कर।” वो हँसा और अपनी पैंट की जेब से दस हज़ार रुपये निकाले। उसने मुझे पकड़ाते हुए कहा, “ये तेरी वर्जिनिटी का इनाम है। मैं बहुत दिनों से ऐसी लड़की ढूंढ रहा था जो कोरी हो।” मैंने पैसे लिए और मुस्कुराते हुए कहा, “बस, अब धीरे-धीरे करना, मुझे दर्द ना हो।”
विक्रांत ने अपना लंड निकाला। दोस्तों, उसका लंड इतना मोटा और लंबा था कि मैं डर गई। उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी चूत पर सेट किया। उसने धीरे से धक्का दिया, लेकिन मेरी चूत इतनी टाइट थी कि लंड अंदर नहीं गया। मुझे हल्का दर्द हुआ, और मैंने कहा, “रुक, विक्रांत… धीरे…” उसने फिर कोशिश की, और इस बार उसका लंड थोड़ा अंदर गया। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैंने कहा, “बस, रुक जा…” लेकिन वो नहीं रुका। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से चिल्ला उठी, “आह्ह… मर गई…” मेरी चूत की झिल्ली टूट चुकी थी, और खून निकलने लगा।
विक्रांत ने मेरे माथे को चूमा और कहा, “बस, अब दर्द खत्म हो जाएगा।” उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगा। उसका लंड मेरी चूत में पूरी तरह फिट हो गया था। वो बार-बार लंड को बाहर निकालता और फिर अंदर डालता। हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ बढ़ रही थीं, “आह्ह… विक्रांत… और जोर से…” वो मेरी चूचियों को दबाते हुए मुझे चोद रहा था। मेरी चूत से खून और रस दोनों मिलकर बेडशीट पर फैल रहे थे।
कुछ देर बाद उसने मुझे ऊपर आने को कहा। मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया। धीरे-धीरे मैं उस पर उछलने लगी। अब दर्द की जगह मजा लेने लगी थी। मेरी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और वो उन्हें पकड़कर दबाने लगा। मैं जोर-जोर से उछल रही थी, “हाय… विक्रांत… कितना मोटा लंड है तेरा…” वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला, “चल, और जोर से उछल, मेरी रानी।”
फिर उसने मुझे डॉगी स्टाइल में किया। मेरी गांड हवा में थी, और उसने पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। इस बार वो और गहराई तक गया। मैं सिसकार रही थी, “उफ्फ… मार डाला तूने…” वो मेरी कमर पकड़कर जोर-जोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूत अब पूरी तरह खुल चुकी थी, और हर धक्के के साथ मुझे जन्नत की सैर हो रही थी।
करीब दो घंटे तक हमने अलग-अलग पोजीशन में चुदाई की। कभी मैं नीचे, कभी ऊपर, कभी साइड में, कभी डॉगी स्टाइल में। मैं पांच बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत से रस की धार बह रही थी। विक्रांत भी दो बार झड़ चुका था। उसका गर्म माल मेरी चूत में और मेरी चूचियों पर गिरा। आखिरी बार जब वो झड़ा, तो उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया और कहा, “चूस इसे।” मैंने पहली बार लंड को मुँह में लिया और उसके रस का स्वाद चखा।
चुदाई के बाद मैं बेड पर लेटी थी, मेरी चूत सूज चुकी थी, और चलने में दर्द हो रहा था। लेकिन जो मजा मुझे मिला, वो मैं कभी नहीं भूल सकती। विक्रांत ने मुझे गले लगाया और कहा, “तूने मेरा दिन बना दिया, अनुराधा।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “तूने तो मेरी चूत की दुनिया बदल दी।” उस दिन के बाद मेरी जिंदगी में चुदाई का एक नया रंग चढ़ गया। अब मैं जब भी चुदवाती हूँ, वो पल याद आता है जब विक्रांत ने मेरी सील तोड़ी थी। अगली बार की चुदाई की कहानी भी जरूर सुनाऊँगी। तब तक के लिए, तुम भी इस कहानी को पढ़कर मूठ मार लो!