बॉयफ्रेंड ने गंदी गालियाँ देकर रंडी बनाकर पेला

Abusive sex story – Gandi galiyan chudai sex story – Randi kutiya sex story: मेरा नाम सीमा है, और मैं एक २४ साल की लड़की हूँ, कॉलेज में पढ़ती हूँ, लेकिन मेरी जिंदगी में सेक्स का मजा कुछ अलग ही है। उस दिन, सितंबर ३०, २०२३ को, मैं अपने बॉयफ्रेंड के घर जा रही थी। बाहर हल्की ठंडी हवा चल रही थी, मैंने एक टाइट रेड टॉप पहना था जो मेरी चूचियों को अच्छे से उभारता था, नीचे ब्लू जींस जो मेरी गांड को शेप देती थी, और अंदर पिंक ब्रा-पैंटी का सेट। रास्ते में बस में बैठी हुई मैं सोच रही थी कि आज वह मुझे कितनी गंदी गालियाँ देगा, कितना रफ तरीके से यूज़ करेगा। मेरी बुर पहले से ही हल्की गीली हो रही थी, हर झटके के साथ उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे कोई आग सुलग रही हो अंदर। मैं जानती थी कि वह घर पर अकेला है, और हमारा मिलना हमेशा ऐसे ही गर्म होता है।

जैसे ही मैं उसके फ्लैट के दरवाजे पर पहुँची, उसने दरवाजा खोला और मुझे देखकर मुस्कुराया। वह काला टी-शर्ट और ग्रे ट्रैक पैंट पहने था, जो उसके मस्कुलर बॉडी को हाइलाइट करता था। दरवाजा बंद होते ही उसने मुझे अंदर खींचा, दीवार से सटाकर जकड़ लिया। उसकी मजबूत बाहें मेरे कमर के चारों ओर लिपट गईं, और उसकी सांसें मेरे गले पर गर्म हवा की तरह लग रही थीं, हल्की पसीने की मर्दानी खुशबू आ रही थी जो मुझे और उत्तेजित कर देती है। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, पहले हल्का चूमा, फिर जीभ अंदर डालकर गहरा किस करने लगा। मैंने भी अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ाई करवाई, हमारी लार मिल गई, मीठी-नमकीन। मैं सोच रही थी, बस यहीं से शुरू हो जाए, लेकिन वह जानता था कैसे टीज़ करना है।

उसने किस तोड़कर मेरी आँखों में देखा, फिर धीरे से मेरी रेड टी-शर्ट के नीचे हाथ डाला, मेरी नंगी कमर को सहलाया। त्वचा पर उसके हाथ की गर्मी से मेरी साँसें तेज हो गईं। फिर टी-शर्ट ऊपर उठाई, धीरे-धीरे मेरे सिर से निकाली। अब मैं सिर्फ पिंक ब्रा में ऊपर से थी, मेरी गोरी चूचियाँ ब्रा से आधी बाहर झांक रही थीं। उसने ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को मुट्ठी में भरा, दबाया, और मैं सिसकारी, आह्ह्ह… उसके अंगूठे मेरे निप्पल्स पर रगड़ रहे थे, जो ब्रा के कपड़े से सख्त हो गए थे। फिर उसने ब्रा के हुक खोले, धीरे से कंधों से सरकाई, और ब्रा नीचे गिर गई। मेरी चूचियाँ खुली हवा में उछल पड़ीं, निप्पल्स पिंकिश ब्राउन कलर के, छोटे-छोटे गोल, पहले से सूजे हुए। उसने एक चूची को मुंह में लिया, जीभ की नोक से निप्पल को घुमाया, फिर दांतों से हल्का काटा। दर्द और मजा का मिश्रण था, मेरी चूची पर उसके दांतों के हल्के निशान पड़ गए, लाल हो गए। वह चूस रहा था जैसे दूध निकालना चाहता हो, लार से मेरी चूचियाँ गीली और चमकदार हो गईं।

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आधे घंटे तक वह मेरी दोनों चूचियों को बारी-बारी से दबाता, काटता, चूसता रहा। कभी एक हाथ से दूसरी चूची को मसलता, निप्पल को पिंच करता। मेरा बदन काँप रहा था, कमर अपने आप उछल रही थी, बुर में खुजली सी हो रही थी, मैं महसूस कर रही थी कि मेरी पैंटी गीली हो चुकी है। मैं सोच रही थी, बस अब नीचे जाओ, लेकिन वह जानबूझकर ऊपर ही रुका हुआ था, मुझे तड़पाने के लिए। फिर उसने मेरी जींस का बटन खोला, जिप नीचे की, धीरे-धीरे जींस को मेरी जांघों से सरकाया। मेरी गोरी जांघें नंगी हो गईं, जींस पैरों से निकाली। अब मैं सिर्फ पिंक पैंटी में थी, जो मेरी बुर की शेप दिखा रही थी, और बीच में गीलापन का दाग लग गया था। उसने पैंटी के ऊपर से ही मेरी बुर को सहलाया, उंगली से क्लिट पर दबाव डाला, मैं उछल पड़ी, ओह्ह्ह… फिर पैंटी के किनारे से उंगली अंदर डाली, मेरी गीली बुर को छुआ।

मैं पूरी तरह नंगी उसके सामने थी, वह मेरे ऊपर चढ़ा, मेरी गांड पर जोरदार चांटा मारा, थप्प! की आवाज गूंजी, मेरी गोरी गांड पर लाल निशान पड़ गया, दर्द के साथ जलन हुई लेकिन मजा आया। उसने गंदी मुस्कान दी, “साली रंडी, आज तुझे चोद-चोदकर अपनी बाजारू छिनाल बना लूंगा, कुतिया… तेरी ये मस्त गांड को आज लाल कर दूंगा।” मुझे चुदाई के समय गंदी से गंदी गालियाँ सुनना बहुत पसंद है, वे मुझे महसूस कराती हैं कि मैं उसकी संपत्ति हूँ, कोई सस्ती रंडी, और ये एहसास मुझे फ्री फील कराता है, जैसे सारी शर्म उतर गई हो, सिर्फ लस्ट बाकी है। मैंने भी मुस्कुराकर कहा, “हाँ, बना लो मुझे अपनी रंडी, और गंदी गाली दो।”

उसने मुझे बेड पर धकेला, टांगें चौड़ी कीं। पहले उंगलियों से मेरी बुर की दरार सहलाई, मेरी पिंक लेबिया को अलग किया, क्लिट जो छोटी सी गुलाबी मोती जैसी सूजी हुई थी, उस पर उंगली की नोक रगड़ी। मैं तड़प उठी, आह इह्ह ओह्ह… मेरी बुर से पानी रिस रहा था, चिपचिपा, मीठा-नमकीन। फिर उसकी गर्म जीभ मेरी बुर पर फिसली, पहले क्लिट को जीभ की नोक से टीज़ किया, घुमाया, फिर पूरा मुंह लगाकर चूसने लगा। जीभ अंदर घुसी, मेरी बुर की दीवारों को चाटी, दो उंगलियाँ भी अंदर डालकर धीरे-धीरे चोदने लगा, इन-आउट। मेरी बुर की मुस्की-मीठी खुशबू कमरे में फैल गई, वह हाँफते हुए चाट रहा था जैसे भूखा हो। मैं उसका सिर पकड़कर दबा रही थी, कमर उछाल रही थी, पैर काँप रहे थे, सोच रही थी कि ये जीभ मुझे पागल कर देगी, बस अब लंड दो, लेकिन वह रुका नहीं।

आधे घंटे तक वह मेरी बुर को चाटता, चूसता, उंगलियाँ चलाता रहा। मेरी क्लिट सूजकर लाल हो गई थी, बुर की लेबिया फैल गईं, पानी बह-बहकर बेडशीट गीली हो गई। फिर वह खड़ा हुआ, अपना ग्रे ट्रैक पैंट नीचे सरकाया, अंडरवियर निकाला। उसका लंड बाहर उछला – मोटा, लंबा, नसों से भरा, सुपारा गुलाबी-लाल, चमकदार, प्रीकम से गीला। मैंने देखा तो मुंह में पानी आ गया। वह बोला, “ले साली… हाँफते हुए… मेरे लौड़े को गले तक उतार, कुतिया… ग्ग्ग्ग कर के चूस… तेरी ये गंदी जीभ मुझे और हार्ड बना रही है, रंडी… और गहरा ले, छिनाल, वरना सजा मिलेगी।”

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मैं घुटनों पर बैठी, हाथ में उसका लंड पकड़ा, पहले सुपारे को जीभ से चाटा, नमकीन प्रीकम का स्वाद लिया, फिर मुंह में लिया, धीरे-धीरे अंदर-बाहर। वह मेरे बाल पकड़कर जोर-जोर से मुंह चोदने लगा। ग्ग्ग्ग… गों गों… गी गी… लार टपक रही थी, मेरे होंठों से लंड पर गिर रही थी, गला भर आया, आंसू निकले, लेकिन मैं रुकी नहीं, और गहरा लेने की कोशिश कर रही थी, उसकी गेंदों को हाथ से सहला रही थी। आधे घंटे तक मुंह चोदने के बाद उसने मेरे गले में सारा गर्म, गाढ़ा, नमकीन वीर्य उड़ेल दिया, धार-धार। “पी साली, मेरे पानी को पूरा निगल, कुतिया… एक बूंद भी मत गिराना, बाजारू रंडी।”

मैंने सब निगल लिया, होंठों पर बचे मिक्स को जीभ से चाटा, फिर उसे किस किया – हमारी लार और वीर्य मिल गए, गंदा लेकिन हॉट। वह मेरे बगल में लेट गया, लंड ढीला पड़ गया, लेकिन अभी भी बड़ा लग रहा था। हम आधे घंटे ब्लू फिल्म देखते रहे, स्क्रीन पर लड़की चुद रही थी गालियाँ सुनते हुए, हम दोनों फिर से गर्म हो गए। मेरी बुर फिर से गीली होने लगी, मैंने उसके लंड को सहलाया, वह फिर सख्त हो गया। उसने कहा, “अब तेरी बुर की बारी, जल्दी कुत्तिया बन, सड़क की कुतिया… आज तेरी बुर को फाड़ दूंगा।”

मैं घुटनों पर झुकी, गांड ऊपर की, मेरी गांड की दरार खुल गई। उसने मेरी कमर पकड़ी, लंड की गुलाबी सुपारा मेरी बुर की पिंक लेबिया पर रगड़ी – टीज़ करते हुए, ऊपर-नीचे, क्लिट पर दबाया। मैं तड़प रही थी, “डालो ना अंदर… चोदो मुझे।” फिर एक झटके में पूरा अंदर ठूंस दिया, मेरी बुर की दीवारें खुल गईं, लंड की हर नस महसूस हो रही थी, गर्मी से जलन सी हुई। आअह्ह्ह्ह… मैं चिल्लाई, “आराम से चोदो!” लेकिन उसने नहीं सुनी, जोर-जोर से धक्के मारने लगा, थप थप थप की आवाज़ गूंज रही थी, उसकी गेंदें मेरी क्लिट से टकरा रही थीं। “ले साली रंडी… और अंदर ले… कैसा लग रहा है मेरे मोटे लौड़े से, बहनचोद कुतिया… मजा आ रहा है ना, बाजारू छिनाल? तेरी बुर इतनी टाइट है, आज ढीली कर दूंगा।”

मैं चीख रही थी, “हाँ… और जोर से चोदो… और गंदी गाली दो… बोलो मैं तेरी सस्ती रंडी हूँ, बोल ना! फाड़ दो मेरी बुर को।” फिर उसने मेरे गले पर हल्का हाथ रखा, लाइट चोकिंग – सांस थोड़ी रुक गई, लेकिन उत्तेजना दोगुनी हो गई, मैं हँस पड़ी, “और टाइट करो, मुझे लगता है मैं तुम्हारी गुलाम हूँ, यूज़ करो मुझे।” उसने मुझे आईने के सामने ले जाकर पीछे से चोदना जारी रखा। मैं खुद को देख रही थी – चूचियाँ आगे-पीछे उछल रही थीं, निप्पल्स सख्त, चेहरा लाल, पसीने से चमकता, खुद को चुदते देखकर शर्म और मजा दोगुना हो गया, जैसे मैं पॉर्न स्टार हूँ, मेरी बुर से पानी बह रहा था, लंड पर चिपक रहा था।

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फिर वह बेड पर लेट गया, मुझे ऊपर बिठाया। मैं उसके लंड पर बैठी, सुपारा मेरी बुर में घुसा, धीरे-धीरे पूरा अंदर लिया, मेरी लेबिया फैल गईं। मैं ऊपर-नीचे कूदने लगी, हाथों से उसकी छाती पकड़ी, नीचे से वह भी धक्के मार रहा था, लंड अंदर-बाहर हो रहा था, हर धक्के में मेरी क्लिट रगड़ रही थी। आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उइईई… ह्ह्हीईई… मेरी बुर सिकुड़ रही थी, दीवारें लंड को कस रही थीं, पानी निकलने वाला था। मैं चीखी, “जोर से… और तेज… फाड़ दो मेरी बुर को… गंदी गाली दो, मादरचोद! बोलो मैं तेरी छिनाल हूँ।”

उसने स्पीड बढ़ाई, हाथों से मेरी कमर पकड़कर नीचे दबाया, “ले रंडी… ले मेरे लौड़े की हर नस महसूस कर… हाँ कुतिया, उछल… तेरी बुर को आज फाड़कर ही छोड़ूंगा, साली छिनाल… ले और ले, तेरी क्लिट को मसल दूंगा!” मेरी बुर कस गई, पूरा बदन काँपा, सारा गर्म, चिपचिपा पानी उसके लंड पर छूट गया, धार-धार, मैं हाँफते हुए उसके ऊपर गिर पड़ी, पैर अभी भी थरथरा रहे थे।

उसने पूछा, “कैसा लगा मेरी रंडी?” मैं हाँफते बोली, “बहुत मजा आया… मैं चाहती हूँ तुम मुझे रोज ऐसे रंडी बनाकर चोदो, गंदी-गंदी गालियाँ दो, मुझे यूज़ करो।” वह हँसा, “अरे मेरी कुतिया, अभी तेरी गांड भी मारनी है, अगली बार फाड़ दूंगा।” मैं बोली, “नहीं अभी लेट हो रहा है… अगली बार जो चाहे कर लेना, लेकिन वादा करो गंदी गालियाँ दोगे।”

जाते-जाते उसने कहा, “एक बार फिर मेरे लौड़े का पानी निकाल दे, रंडी।” मैंने लंड हाथ में लिया, सहलाया, फिर मुंह में लिया, जोर-जोर से चूसा, जीभ से सुपारे को घुमाया, ग्ग्ग्ग… गों गों… उसकी गेंदों को मसला। जल्दी ही उसका गर्म वीर्य मेरे मुंह में छूट गया, मैंने सब पी लिया, फिर होंठ साफ करके मुस्कुराई। फिर घर चली गई, रास्ते में मेरी बुर अभी भी धड़क रही थी, गांड पर चांटे का निशान जल रहा था, मन में अगली मुलाकात की कल्पनाएँ घूम रही थीं, कि अगली बार वह क्या-क्या करेगा।

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