मैं प्रिया राठौड़, अपनी नई कहानी लेकर हाजिर हूँ(मेरी पुरानी कहानियाँ पढ़ें)। ये कहानी मेरी मम्मी की सहेली रीता आंटी की है, जो हमारे पड़ोस में रहती हैं। आंटी अक्सर हमारे घर आती थीं, और जब मम्मी नहीं होती थीं, तो मेरे साथ घंटों बतियाती थीं। उनकी जिंदगी मेरी मम्मी की तरह ही उलझनों से भरी थी। उनके पति की मृत्यु मेरे पापा के साथ एक हादसे में हुई थी। उनके पास सिर्फ एक बेटा, अनिल, था। आंटी के पति की आर्थिक हालत अच्छी थी, तो वो बिना काम किए अपनी जिंदगी गुजार रही थीं। अनिल को 19 साल की उम्र में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गई थी, जिससे उनका घर चल रहा था। लेकिन अब, पाँच साल बाद भी, अनिल को प्रमोशन नहीं मिला था, जबकि उसके बाद जॉइन करने वालों को प्रमोशन मिल चुका था।
अनिल इस बात से इतना परेशान था कि वो ना समय पर खाना खाता, ना सोता। उसकी हालत देखकर आंटी भी टेंशन में रहने लगीं। उन्होंने अनिल से पूछा कि आखिर बात क्या है, लेकिन वो टालमटोल करता रहा। आखिरकार, आंटी ने उसे अपनी कसम देकर सच उगलवाया। अनिल ने बताया कि उसका बॉस, राजेश, बहुत कमीना है। वो प्रमोशन सिर्फ उन लोगों को देता है, जो अपनी घर की औरतों या लड़कियों को उसके बिस्तर पर लाते हैं। ये सुनकर आंटी के होश उड़ गए। उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था।
एक दिन आंटी ने ये बात मुझसे साझा की। मुझे सुनकर अजीब लगा, लेकिन मेरे दिमाग में एक तरकीब सूझी। मैं सेक्स के मामले में बिंदास हूँ। मैंने कई मर्दों के साथ चुदाई की है, लेकिन ये मेरी मर्जी से था, किसी मजबूरी में नहीं। मैं आंटी की मदद करना चाहती थी, पर उनसे खुलकर बात करना मुश्किल था। आंटी उस दिन चली गईं, लेकिन मेरे मन में उनकी बात घूमती रही। मैंने सोचा कि अगर मैं अनिल के बॉस को पटाकर चुदाई कर लूँ, तो अनिल का प्रमोशन पक्का हो सकता है।
मैंने प्लान बनाया और अनिल से दोस्ती कर ली। कुछ ही दिनों में हम घुल-मिल गए। हम साथ में घूमने लगे, कभी कॉफी शॉप, कभी पार्क। अनिल खुल गया, और मैं भी उसके साथ फ्रेंडली हो गई। एक हफ्ते में ही हम होटल में जाने लगे। अनिल के साथ मेरी चुदाई शुरू हो गई। पहली बार जब हम होटल के कमरे में गए, अनिल ने मुझे अपनी बाहों में भरा और मेरे होंठ चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसका पूरा साथ दे रही थी। उसने मेरी टॉप उतारी, मेरी ब्रा खोली, और मेरे चूचों को जोर-जोर से मसलने लगा। मेरे निप्पल्स सख्त हो गए, और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने उसकी पैंट उतारी, और उसका लंड बाहर आया—लंबा, मोटा, और गर्म। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। अनिल सिसकारियाँ लेने लगा, “प्रिया… आह्ह… और चूस…” मैंने उसके लंड को गले तक लिया, और वो पागल हो गया। फिर उसने मुझे बेड पर लिटाया, मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… अनिल… और चाट… मेरी चूत को खा जा…”
कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। उसका हर धक्का मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मैं चीख रही थी, “आह्ह… अनिल… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत को…” वो मुझे 15 मिनट तक चोदता रहा। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत का पानी बेडशीट पर फैल गया था। आखिर में उसने अपना गर्म रस मेरी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए लेट गए। उस रात हमने तीन बार चुदाई की—कभी मिशनरी, कभी डॉगी स्टाइल, कभी मैं उसके लंड पर सवार होकर उछलती रही। अनिल की चुदाई में मजा था, लेकिन मेरे दिमाग में उसका प्रमोशन था।
कुछ दिन बाद मैंने जानबूझकर उसके जॉब और प्रमोशन की बात छेड़ी। अनिल का मूड बिगड़ गया। उसने मुझे वही बताया जो आंटी ने कहा था। मैंने उसे मदद करने की पेशकश की, और हमने एक प्लान बनाया। अनिल अपने बॉस, राजेश, से मिला और प्रमोशन की माँग की। उसने कहा, “मेरे से जूनियर लोगों का प्रमोशन हो गया, मेरा क्यों नहीं?” राजेश ने बेशर्मी से जवाब दिया, “अनिल, तुम्हें पता है उनका प्रमोशन क्यों हुआ।” अनिल ने तुरंत कहा, “मेरे पास सिर्फ मेरी माँ है, लेकिन मेरी एक गर्लफ्रेंड है। अगर आप कहें, तो उसे आपके पास ला सकता हूँ।” राजेश खुश हो गया और बोला, “कब लाएगा?” अनिल ने कहा, “जब मम्मी घर पर न हों, मैं आपको ले चलूँगा।”
वो दिन आ गया जब अनिल राजेश को मेरे घर ले आया। मैंने पहले से तैयारी कर रखी थी। मैंने एक टाइट, पारदर्शी सलवार-कुर्ता पहना था, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थीं। मेरी पैंटी की लाइन तक दिख रही थी। दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने आराम से दरवाजा खोला। अनिल और राजेश अंदर आए और सोफे पर बैठ गए। मैंने पानी पूछकर अनजान बनते हुए अनिल से पूछा, “ये कौन हैं?” अनिल ने राजेश से मेरा परिचय कराया और आने का कारण बताया। मैंने जानबूझकर आनाकानी की, जैसे मुझे ये सब पसंद नहीं। लेकिन राजेश की आँखें मेरे जिस्म पर टिकी थीं। वो मुझे चोदने के लिए बेताब था। उसकी पैंट में तंबू बन चुका था।
जब मैंने मना किया, तो राजेश अनिल पर गुस्सा होने लगा। अनिल लाचार सा मुँह लटकाए बैठा था। राजेश ने गुस्से में होश खो दिए और मेरे साथ जबरदस्ती करने पर उतर आया। मैं भागकर अपने कमरे में गई, जहाँ पहले से कैमरा सेट था। राजेश ने मुझे पकड़ा और मेरा सलवार-कुर्ता फाड़ दिया। मेरी चूचियाँ मेरी ब्रा से बाहर झाँक रही थीं। उसने मेरी ब्रा और पैंटी भी फाड़ दी। अब मैं पूरी नंगी थी। राजेश ने अपने कपड़े उतारे, और उसका लंड मेरे सामने था—लंबा, मोटा, काला, और सख्त। उसका लंड देखकर मेरी चूत गीली हो गई, लेकिन मैंने अपना नाटक जारी रखा। मैंने गिड़गिड़ाने का ड्रामा किया, “प्लीज, मुझे छोड़ दो…” लेकिन राजेश पर चुदाई का भूत सवार था।
उसने मेरे हाथ कसकर पकड़े और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और वो मेरे होंठों को चूस रहा था जैसे कोई भूखा शेर। फिर उसने मेरे चूचों को अपने मुँह में लिया। मेरे निप्पल्स को वो जोर-जोर से चूस रहा था, और मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… धीरे… मेरे चूचे दुख रहे हैं…” लेकिन वो नहीं रुका। उसने मेरी एक चूची को चूसते हुए दूसरी को मसलना शुरू किया। मेरी चूत इतनी गीली थी कि मेरा पानी मेरी जाँघों तक बह रहा था। राजेश ने मेरी चूत को अपने हाथ से सहलाया, और फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं चीख रही थी, “आह्ह… राजेश… और चाट… मेरी चूत को खा जा…” उसने मेरी चूत को 10 मिनट तक चाटा, और मैं दो बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। उसका मोटा लंड मेरी चूत में पूरा समा गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… माँ… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” लेकिन राजेश पर जैसे जुनून सवार था। वो मुझे घचाघच चोदने लगा। उसका हर धक्का मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं उन्हें मसल रही थी। राजेश ने मेरे निप्पल्स को अपने दाँतों से हल्के से काटा, और मैं सिसकारी, “आह्ह… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” वो मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगा। पहले मिशनरी, फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड पेला। मैं चीख रही थी, “हाँ… राजेश… और जोर से… मेरी चूत तेरी है…” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे, और मेरी चूत और गीली हो गई।
करीब 20 मिनट तक वो मुझे चोदता रहा। मैं चार बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत का पानी बेडशीट को भिगो चुका था। राजेश का स्टैमिना गजब था। उसने मुझे पलटकर मेरे ऊपर फिर से चढ़ गया और मेरी चूत में धक्के मारने शुरू किए। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… राजेश… तेरा लंड बहुत मस्त है… और चोद… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे…” आखिर में उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चूसा, और उसका गर्म रस मेरे मुँह में भर गया। मैंने उसका सारा रस पी लिया।
चुदाई के बाद मैं जानबूझकर रोने लगी और उसे कोसने लगी, जैसे उसने मेरे साथ जबरदस्ती की हो। राजेश मुस्कुराता हुआ बाहर चला गया। मैं अनिल के पास गई और उसे गले लगाया। अगले दिन अनिल के हाथ में प्रमोशन लेटर था, और मेरे पास वो वीडियो। मैंने ये वीडियो इसलिए बनाया था ताकि राजेश बाद में कोई बहाना न बनाए। लेकिन सच कहूँ, राजेश का लंड मुझे इतना पसंद आ गया था कि मैं अनिल के लंड से चुदने से बचने लगी। उसका लंड मेरी चूत की प्यास बुझाने में नाकाम था।
कुछ दिन बाद मुझसे रहा नहीं गया। मैं अनिल के साथ उसके ऑफिस पहुँच गई। राजेश मुझे देखकर मुस्कुराया। उसने अनिल को बाहर भेजा और मुझे अपने केबिन में ले गया। उसने अपनी दराज से वोडका की बोतल निकाली और एक पैग बनाकर मेरी ओर बढ़ाया। मैंने गिलास लिया और एक घूँट में खाली कर दिया। राजेश हँसने लगा, “वाह, प्रिया, तू तो कमाल है!” उसने मुझे भुने हुए काजू ऑफर किए। मैंने दो काजू खाए और उसकी ओर वासना भरी नजरों से देखने लगी। मुझे नहीं पता था कि उसने वोडका में कामोत्तेजक दवा मिलाई थी। कुछ ही मिनटों में मेरी चूत में आग लगने लगी। मैंने उसकी सिगरेट छीनी, दो कश लिए, और सोफे पर बैठकर अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी।
राजेश ने अपने कपड़े उतारे और नंगा मेरे पास आ गया। उसका लंड मेरे सामने लहरा रहा था। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। मैंने उसके लंड की टोपी को अपनी जीभ से चाटा, और वो सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह… प्रिया… तू तो जादूगरनी है…” उसने मेरे चूचों को मसला और मेरे कपड़े उतार दिए। मैं भी नंगी होकर उसका साथ देने लगी। उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं चीख रही थी, “आह्ह… राजेश… और चाट… मेरी चूत को चूस ले…” उसने मेरी चूत को 15 मिनट तक चाटा, और मैं तीन बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने मुझे सोफे पर घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… राजेश… तेरा लंड बहुत मस्त है… और जोर से चोद…” उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारे और मेरे चूचों को मसलते हुए मुझे चोदने लगा। वो मुझे 25 मिनट तक चोदता रहा। मैं पाँच बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत का पानी सोफे पर टपक रहा था। फिर उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया और मुझे अपने लंड पर उछालने लगा। मैं उसके लंड पर सवार थी, और मेरी चूचियाँ उसके मुँह में थीं। वो मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… राजेश… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे…”
करीब 40 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा। वो बोला, “प्रिया, मेरा होने वाला है… कहाँ छोड़ूँ?” मैंने कहा, “मेरे मुँह में… मैं तेरा रस पीना चाहती हूँ।” उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे चूसा, और उसका गर्म रस मेरे मुँह में भर गया। मैंने उसका सारा रस पी लिया और उसके लंड को चाटकर साफ कर दिया। राजेश ने हाँफते हुए कहा, “प्रिया, वो वीडियो डिलीट कर दे। मैं जानता था कि मेरा लंड तुझे वापस खींच लाएगा।” मैं हँस पड़ी और उसके होंठ चूमने लगी।
उसने मुझे एक ऑफर दिया, “प्रिया, मेरी पर्सनल रंडी बन जा। तुझे बहुत पैसे और मजे मिलेंगे।” मैंने तुरंत हामी भर दी। उस दिन से मैं उसकी रियल एस्टेट कंपनी की रंडी बन गई। मैं उसके क्लाइंट्स को सेट करती, लाखों रुपये कमाती, और हर बार नए-नए मोटे लंडों का स्वाद लेती। राजेश का लंड मेरी चूत का सबसे बड़ा शौक बन गया।