बीवी की उसके जीजा से चुदाई का राज सुहागरात में खुला

Wedding night secret Hindi sex story – Jiija ne saali ko pela sex story: घूंघट की आड़ से सिमरन बार बार अपने पतले मूंछ वाले हसबंड जिलानी को देख रही थी, उसकी काया पतली दुबली थी और लाल जोड़े में वो शर्म से लाल हो रही थी. जिलानी की बहनें कब की कमरे से चली गई थीं, दुल्हन के पास आने से पहले जिलानी ने अपने सिर पर बचे हुए शेरे के कुछ फूलों को भी हटा दिया था, उसका सफ़ेद कुर्ता पजामा उसके गोरे बदन पर बिलकुल फिट बैठ रहा था और वो उत्सुक लेकिन शांत लग रहा था.

बिस्तर पर बैठकर उसने सिमरन से बातें शुरू कीं.

जिलानी ने कहा, देखो वो रात आ गई जब हम दोनों एक हो जाएंगे.

सिमरन कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा दी, फोन पर बड़ी बड़ी बातें करने वाली सिमरन आज सुहागरात की वजह से एकदम शांत हो चुकी थी. जिलानी ने बात आगे बढ़ाई, सुनो हम बात की शुरुआत उसी चीज़ से करेंगे जिससे तुम्हें हमारे अतीत के बारे में पता चले और हम तुमसे पूरी तरह इमानदार रहें हर बात कहने में, हम चाहते हैं तुम भी हमें अपनी ज़िंदगी का हर वो पहलू दिखाओ जिससे हमें तुम्हारे हमराज़ होने चाहिए, यकीन मानो आज से पहले की तुम्हारी ज़िंदगी में जो कुछ हुआ उससे हमारा रिश्ता नहीं है फिर भी दिल के सुकून के लिए तुम हमें जरूर बताओ.

लंबी सांस लेकर जिलानी ने कहा, हमारे आखिरी अफेयर सुलताना के बारे में तो हम तुम्हें मंगनी के तुरंत बाद बता चुके थे, सुलताना हमारी शादी में आई थी लेकिन जैसा हमने तुमसे कसम खाई थी हमने उससे हर रिश्ता तोड़ रखा है.

एक सांस की आवाज़ आई और फिर जिलानी बोला, सुलताना से पहले हमारी ज़िंदगी में दो और औरतें थीं फहीम और रुकैया, रुकैया से हमारी जान पहचान सिर्फ डेढ़ महीने की थी और हम दोनों ने कभी सेक्स नहीं किया, फहीम हमारे चाचा की बेटी है जो तुमसे कुछ देर पहले मिलने आई थी, उससे हमारी मंगनी बचपन में हुई थी और हम दोनों बहुत क्लोज़ थे, फिर खानदान के झगड़ों में वो मंगनी टूट गई, आजकल हम लोगों में बातचीत है लेकिन रिश्तेदारी शायद नहीं होगी, सुलताना की तरह फहीम के साथ हमने हमबिस्तरी कई बार की है, फहीम हमारे साथ पूरा दिन होटल के कमरे में रहती थी.

फहीम की मंगनी आजकल यूएस में हुई है और अगले महीने उसकी शादी है, अब वो सिर्फ मेरी बहन है इससे बढ़कर कुछ नहीं, देखो हमने तुम्हें अपनी ज़िंदगी के बारे में बता दिया, इसके अलावा हमने लड़कियों से बहुत मज़ाक किया है लेकिन किसी के साथ कभी ऊंच नीच कम से कम हमारी तरफ से तो नहीं हुई, अब तुम अपने बारे में बताओ.

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घूंघट के पीछे से सिमरन की दबी आवाज़ आई, क्या हमें बताना भी जरूरी है, क्या हम ये कह दें कि आज से हमारी ज़िंदगी पर तुम्हारी मालिकी है फिर भी, देखिए हमने कभी कुछ ऐसा नहीं किया जिससे हमारे अब्बू को आंखें झुकानी पड़ें, फिर भी एक हादसा ऐसा काला धब्बा है हमारी ज़िंदगी पर जिसे हम अपने आंसू और खून दोनों मिलाकर भी नहीं धो सकते.

आखिरी लाइन सुनकर जिलानी की आंखों में अलग अंदाज़ आ गया, वो उत्सुक हो गया सिमरन के इस हादसे को जानने के लिए.

सिमरन ने देखा कि जिलानी कुछ नहीं बोला तो वो आगे बोलने लगी, तब हम सिर्फ उन्नीस साल की थीं और हमारी बड़ी बहन नसरीन के घर हम अक्सर जाती थीं, कसम से हमें कभी अपने जीजा रफीक के लिए दिल में बुरे ख्याल नहीं आने दिए थे, लेकिन वो हर पल हमें अपनी नज़रों से ही मारते थे, ऊपर से दीदी भी जैसे उनकी कठपुतली बन चुकी थीं, मैं उनकी शिकायत करती तो वो कहतीं कि जीजा साली के बीच ये सब तो होता है पगली, और फिर वो हमें कहतीं कि इन बातों का टेंशन नहीं लेना चाहिए, अब बहन भी तो एक ही है हमारी इसलिए उसका घर टाल भी नहीं सकती थीं, और घर में कहते भी तो किससे, अम्मी अब्बू के अलावा घर में कोई था भी नहीं, जो मेरी सच्ची दोस्त थी नसरीन दीदी उसके लिए तो ये सब बिलकुल सही था एक जीजा साली के रिश्ते जैसा.

सिमरन ने आगे कहा, लेकिन हमारा दिल जानता था कि रफीक जीजू कितने गंदे थे, वो जानबूझकर हमें अपने आगे वाले हिस्से से टच करते थे, हमारे कमर के नीचे के भाग पर और जांघों पर ना जाने कितनी बार उनका हाथ एक्सीडेंट से आ जाता था, हम जानती थीं कि ये एक्सीडेंट कतई नहीं हैं.

जिलानी बड़े आराम से अपनी बीवी की बात सुन रहा था.

फिर एक दिन हमारी ज़िंदगी का काला दिन आ गया, नसरीन दीदी के वहां पापड़ बनाने गई थी मैं, रफीक जीजा दोपहर को चिल्ली चिकन और बेसन के लड्डू लेकर आए थे, हम दोनों बहनें वैसे साथ में खाती हैं लेकिन पता नहीं क्यों उस दिन हमारी थालियां अलग अलग आईं, खाने के बाद थोड़े पापड़ बनने बाकी थे जो निपटाने से पहले ही मुझे सिर में चक्कर सा आने लगा था, नसरीन दीदी ने कहा कि जाओ ऊपर मेरे कमरे में सो जाओ मैं पापड़ खत्म करके आती हूं, मैं दुपट्टा सिर पर बांधकर दीदी के पलंग पर लेट गई, कुछ देर बाद मेरे पैरों में किसी के दबाने की आहट लगी, मुझे लगा नसरीन दीदी हैं, आंख खोलने का मन नहीं कर रहा था क्योंकि सिर दर्द से फटा जा रहा था, फिर मुझे नींद का अहसास होने लगा.

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एक दो मिनट बाद मुझे लगा कि दीदी मेरी जांघें सहला रही हैं, आंख खोलकर देखने की ताकत नहीं बची थी, और आंख खोलनी चाही तो सिर्फ थोड़ा ही खोल सकी, और जो देखा उसे ज़िंदगी भर नहीं भूल सकती, पलंग के पास मेरी दीदी साइड में चेयर लगाकर बैठी हुई थीं, और रफीक जीजा मेरे ऊपर एकदम नंगे खड़े हुए थे, उनके लंड का वो भयानक चेहरा और उनकी आंखों में वो हवस, मैंने अपनी लाज़ भी तो सिर पर बांधकर रखी थी, अब क्या होगा मैं तो इतने होश में भी नहीं थी कि उठकर वहां से भाग जाती, शायद अलग थालियों का इंतज़ाम मुझे कुछ खास दवाई खिलाने के लिए ही किया गया था, लेकिन मेरी दीदी ऐसा क्यों कर रही थीं भला, उसे क्यों अपनी बहन की इज़्ज़त प्यारी नहीं थी.

रफीक जीजा ने अब जांघों से आगे बढ़ना शुरू किया, मैंने सोचा कि आंखें खोलकर अपने आप को जलील नहीं करवाना इसलिए मैं जागते हुए भी सोती रही, बहन के सामने ही रफीक ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच डाला, अंदर पैंटी नहीं थी इसलिए हमारी चूत उनके सामने थी, झांट हमें पहले से पसंद नहीं इसलिए हम हर हफ्ते शेव करती हैं बहुत पहले से, और इस साफ़ चूत को देखकर रफीक के मुंह में पानी आ गया, नसरीन दीदी भी मेरी चूत को देख रही थीं, रफीक ने अब अपना लंड हाथ में लिया और वो मेरी चूत की फांकों पर उसे घिसने लगा, गरम गरम अहसास होने से मुझे भी गुदगुदी सी होने लगी थी, शर्म और डर की इंतेहा कैसे बताऊं आपको.

फिर रफीक जीजू ने मेरे बूब्स पर हाथ मारा, वो तो ऊपर के कपड़े भी उतारने वाला था लेकिन नसरीन दीदी ने उसे रोक लिया, अरे लड़की जाग जाएगी, जो करना है फट से कर लो आप.

दीदी पता नहीं क्यों मुझे चुदवाने पर तुली हुई थीं.

रफीक जीजू ने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और फिर उसे वापस चूत पर लगा दिया, एक झटका सा लगा जब उनका सुपाड़ा अंदर घुसा, दर्द की लिमिट ओवर हो चुकी थी लेकिन मैं बेबस थी, दीदी के शौहर ये कर रहे थे और दीदी उनका साथ दे रही थीं, अब मैं किसे शिकायत करती और कौन मेरा यकीन करता, रफीक जीजा ने लंड वापस निकाला क्योंकि वो अंदर घुस नहीं रहा था, मैं तो पूरी वर्जिन थी उस वक्त, नसरीन दीदी ने ये देखा तो बोलीं, थोड़ा चिकना कीजिए उसे अभी और, अपने लौड़े को वहीं पर घिसिए कुछ देर अंदर से चिकना पानी निकलेगा.

रफीक जीजा एक हाथ से मेरी जांघ पकड़कर दूसरे हाथ से मेरी चूत को घिसने लगा अपना लंड से, कुछ देर में सच में चूत से चिकना पानी निकल पड़ा, रफीक जीजा ने अबकी लंड डाला तो थोड़ा आराम था लेकिन दर्द बड़ा कातिलाना था, उनके आधे से भी कम लंड से मेरे बदन पर पसीना छूट चुका था, उन्होंने अपने गंदे पान वाले दांत मेरे गले पर रखे, उनकी सांसों की बदबू से मैं पागल सी होने वाली थी, लेकिन आंख मैंने खोली ही नहीं.

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रफीक जीजा ने थोड़ा फ़ोर्स डालकर पूरा लंड अंदर किया और मैंने दर्द कम करने के लिए नींद में अंगड़ाई का नाटक किया, उन्होंने मेरे दोनों हाथ पकड़कर पलंग पर दबा दिए, फिर उनका लंड मेरी जवान चूत में रगड़ खाने लगा, कमरे में उनकी हवस की इकलौती गवाह मेरी दीदी मुझे चुदता देखती रही, जब रफीक जीजा का वीर्य निकलने को आया तो उन्होंने फट से अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया, दीदी की एक पुरानी ओढ़नी में उन्होंने अपनी मर्दानगी के सबूत निकाल लिए, फिर मेरी चूत को मेरी दीदी ने उसी ओढ़नी की दूसरी साइड से साफ़ किया.

दीदी ने अब रफीक जीजा की ओर देखकर कहा, अब ऊपर वाले के लिए आप बस भी कर दीजिए, आपकी जवान लड़कियों की चाह में आज मैंने इतना बड़ा गुनाह किया है, सिमरन को पता चलेगा तो मुझपर कभी भरोसा नहीं करेगी.

रफीक जीजा बोला, देख तुझे मैंने उस बावर्ची के साथ सेक्स करते देखा तो कुछ कहा था, जब तू अपनी मर्ज़ी से बाहर चुदवाती है तो मुझे क्यों रोकती है, और जैसे मैंने कहा था कि सिमरन की सिल तोड़नी है मुझे बस, अब हम सिमरन को अभी बेहोश नहीं करेंगे पागल, और मैंने उसे दवाई खिलाई है साथ में पेनकिलर भी था, जब वो होश में आएगी तो पता भी नहीं चलेगा कि उसके छेद का दरवाज़ा खुल चुका है, लेकिन उन्हें कहा पता कि मैं सब महसूस और देख चुकी थी.

आधे घंटे बाद मैं उठकर दीदी के वहां से निकल गई, दीदी ने रुकने को कहा तो मैंने कहा कि नहीं दर्द कम हुआ है इसलिए जल्दी चली जाती हूं, उन्होंने कुछ कहा नहीं और मैंने दिखाया नहीं कि मैं सब जानती थी, बस अपनी इज़्ज़त उस दिन मैं दीदी के घर रखकर आ गई.

जिलानी की ओर देखकर अब सिमरन ने कहा, मैं नहीं जानती कि आप इसका क्या मतलब लेंगे लेकिन यही एक सेक्स था जो मैंने अपनी ज़िंदगी में किया है, मर्ज़ी हो या न हो लेकिन मेरी शर्मगाह खुल चुकी है.

जिलानी ने सिमरन के माथे पर चुंबन देते हुए कहा, इसके बारे में मुझे भी कुछ पता नहीं है लेकिन तुम आज से अपने जीजा के घर कभी नहीं जाओगी.

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