मेरा नाम अनामिका है। मैं मुंबई की रहने वाली हूँ। बचपन में मुझे सेक्स से सख्त नफरत थी। इसका कारण था मेरे पापा का मेरी मम्मी को रात-दिन चोदना। पापा की चुदाई इतनी जबरदस्त होती थी कि मम्मी बस चीखती रहती थीं, सह नहीं पाती थीं। मैं छोटी थी, तो डर के मारे कोने में दुबक कर सब देखती थी। पापा कभी मम्मी की चूत में, कभी गांड में, जिधर मन करता, उधर लंड पेल देते थे। मैं चुपके-चुपके देखती, डरती, पर कुछ समझ नहीं पाती थी। लेकिन जैसे-जैसे मैं जवान हुई, मेरे अंदर भी वही आग भड़कने लगी। मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, और मैं सोचने लगी कि काश कोई मुझे भी वैसे ही चोदे, जैसे पापा मम्मी को चोदते थे।
हर बार जब मैं किसी मर्द को देखती, मेरी चूत गीली हो जाती। किसी लड़के को देखते ही मेरी नजर सबसे पहले उसकी पैंट पर जाती, लंड का उभार देखने की कोशिश करती। अगर जीन्स या पैंट के ऊपर से लंड का आकार मोटा और भारी-भरकम दिखता, तो मैं पागल हो जाती। मुझे लगता, यही वो मर्द है जो मेरी चूत की प्यास बुझा सकता है। धीरे-धीरे मैंने पोर्न वीडियो देखना शुरू किया। उन वीडियो ने मेरी कामुकता को और भड़का दिया। मेरी चूत अब हर वक्त लंड मांगने लगी। मैंने ठान लिया कि अब मुझे अपना शिकार ढूंढना है। लेकिन ये इतना आसान नहीं था।
फिर एक दिन मेरे दिमाग में आइडिया आया। मेरे पड़ोस में एक अंकल रहते थे, बड़े पढ़े-लिखे, शेयर मार्केट का काम करते थे। सारा काम कंप्यूटर पर, घर से ही। मैंने मम्मी से कहा, “मम्मी, मेरा 12वीं हो गया है। मुझे कुछ अच्छा काम सिखा दो, जैसे वो अंकल करते हैं। देखो, उनके पास सब कुछ है, घर से ही काम करते हैं।” मम्मी को ये बात पसंद आई। उन्हें लगा कि अगर अंकल मुझे अपने पास रख लें, तो मेरी जिंदगी बन जाएगी। लेकिन मेरे दिमाग में कुछ और ही था। मैं सोच रही थी, मर्द तो मर्द होता है। इनसे चुदवा लूँगी, अपनी चूत की आग ठंडी कर लूँगी। कोई शक भी नहीं करेगा, और मेरा काम भी बन जाएगा।
एक दिन मम्मी मुझे लेकर अंकल से मिलने गईं। अंकल बड़े सज्जन और नेक इंसान निकले। उन्होंने मुझे सिखाने के लिए रख लिया। मम्मी खुश, मैं और भी खुश। उनके घर में सिर्फ वो और उनकी बीवी रहते थे। उनकी बीवी बैंक में जॉब करती थी, सुबह 9 बजे निकल जाती थी। अगले दिन से मेरा उनके घर जाना पक्का हो गया। मैं रोज जाने लगी। वो मुझे शेयर मार्केट का काम सिखाने लगे, और जिंदगी चल पड़ी। लेकिन दोस्तों, तुम्हें तो पता है, मैं वहाँ सिर्फ काम सीखने नहीं गई थी। मेरे इरादे कुछ और ही थे।
मैंने धीरे-धीरे अंकल पर डोरे डालने शुरू किए। अपने जिस्म का जलवा दिखाने लगी। रोज एक से बढ़कर एक सेक्सी ड्रेस पहनती। दुपट्टा तो मैं उनके घर में लेती ही नहीं थी। गहरे गले का सूट पहनती, ताकि मेरी चूचियाँ साफ दिखें। कभी-कभी टॉप पहनती, तो इतना गहरा गला कि मेरी चूचियों की दरार साफ झलकती। मैं जानबूझकर उनके सामने झुकती, ताकि वो मेरे माल को अच्छे से देख लें। कोई मर्द इतनी खूबसूरत, जवान लड़की को देखकर कब तक कंट्रोल कर सकता है? धीरे-धीरे मेरी चाल काम करने लगी।
एक दिन बात इतनी बढ़ गई कि अंकल ने मुझे सीधे सेक्स के लिए पूछ लिया। मैंने भी बिना नखरे हाँ कर दी। वो मेरे पास आए, मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। उन्होंने मुझे चूमना शुरू किया, और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगी। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उनके मुँह में। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे। लेकिन उस दिन ज्यादा कुछ हो नहीं पाया, क्योंकि उनके पास कंडोम नहीं था। अब तुम ही बताओ, एक 19 साल की जवान लड़की बिना कंडोम के कैसे चुदवा ले? मैं तो तैयार थी, लेकिन वो रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने सोचा, यही तो मजा है बूढ़े मर्दों का। ये जोखिम नहीं लेते, और चुदाई भी जबरदस्त करते हैं।
उस दिन अंकल ने मेरी चूचियाँ खूब दबाईं। मेरी गांड में उंगली डाली, चूत को सहलाया। मुझे अपनी गोद में बिठाकर मेरे होंठ चूसते रहे। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं बस लंड के लिए तड़प रही थी। लेकिन कंडोम न होने की वजह से चुदाई नहीं हो पाई। मैंने ठान लिया कि अगले दिन पूरी तैयारी के साथ जाऊँगी।
अगले दिन मैं सुबह तैयार होकर उनके घर पहुँची। अंकल ने भी कंडोम का इंतजाम कर लिया था। मैंने एक टाइट टॉप और स्कर्ट पहनी थी, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड उभरकर दिख रही थीं। जैसे ही मैं उनके घर पहुँची, अंकल ने गेट बंद किया और मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर लग रही थीं। वो बोले, “अनामिका, तू आज बहुत सेक्सी लग रही है। आज तुझे चोदकर तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँगा।” मैंने शरमाते हुए कहा, “अंकल, जल्दी करो ना, मेरी चूत तो पहले से ही गीली है।”
वो मुझे चूमते-चूमते बेडरूम में ले गए। मुझे बेड पर धकेल दिया और मेरे कपड़े उतारने लगे। मैंने भी उनकी मदद की, अपना टॉप और स्कर्ट उतार फेंकी। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल मेरी चूचियों को देखकर पागल हो गए। उन्होंने मेरी ब्रा खींचकर उतार दी और मेरे निप्पलों को मुँह में ले लिया। “आह्ह… अंकल… उह्ह…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उनकी जीभ मेरे निप्पलों पर घूम रही थी, और मैं उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को सहला रही थी। मैंने उनकी पैंट उतारी और उनका मोटा लंड बाहर निकाला। “हाय… अंकल, आपका लौड़ा तो बहुत मोटा है!” मैंने शरारत से कहा।
वो हँसे और बोले, “अब ये मोटा लौड़ा तेरी चूत में जाएगा, अनामिका। तैयार है ना?” मैंने हाँ में सिर हिलाया। लेकिन उससे पहले वो मेरी चूत चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… उह्ह… अंकल… चाटो… और जोर से चाटो…” मैं उनके सिर को अपनी चूत में दबा रही थी। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और वो उसे चाट-चाटकर पी रहे थे। “अनामिका, तेरी चूत का स्वाद तो कमाल है,” वो बोले। मैं पसीने से तर-बतर हो चुकी थी। मेरी चूत में आग लगी थी, और अब मुझे लंड चाहिए था।
मैंने अपनी टाँगें फैलाईं और बोली, “अंकल, अब बस करो… अपना लौड़ा डाल दो मेरी चूत में… मुझे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।” अंकल ने कंडोम निकाला, अपने मोटे लंड पर चढ़ाया और मेरी चूत के मुँह पर सेट किया। “तैयार है, अनामिका?” उन्होंने पूछा। मैंने कहा, “हाँ, अंकल… पेल दो… मेरी चूत फाड़ दो!” उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… उह्ह… अंकल… कितना मोटा है…” मैं चीख पड़ी। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “चप… चप… चप…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उनका साथ दे रही थी। “अंकल… और जोर से… मेरी चूत को चोद डालो…” मैं चिल्ला रही थी।
वो मेरी चूचियों को मसल रहे थे, मेरे निप्पलों को दाँतों से काट रहे थे। “अनामिका, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… मजा आ रहा है,” वो बोले। मैं भी जोश में थी। “अंकल, और तेज… मेरी चूत फाड़ दो… आह्ह… उह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। करीब एक घंटे तक उन्होंने मुझे चोदा। मैं बार-बार झड़ रही थी, लेकिन मेरी चूत की प्यास कम नहीं हो रही थी। वो भी पूरे जोश में थे। “अनामिका, तू तो जवान कुतिया है… ले मेरा लौड़ा… और ले…” वो गंदी बातें करते हुए मुझे चोद रहे थे।
आखिरकार, एक घंटे बाद वो झड़ गए। मैं भी थककर चूर हो चुकी थी, लेकिन मेरी चूत अभी भी लंड मांग रही थी। अब तो रोज का सिलसिला हो गया। मैं हर दिन उनके घर जाती, और वो मुझे वाइल्ड तरीके से चोदते। उन्होंने सेक्स की दवाइयाँ खाना शुरू कर दिया, ताकि दो-दो घंटे तक मेरी चूत फाड़ सकें। लेकिन फिर भी मेरी प्यास कम नहीं हो रही थी। मुझे और लंड चाहिए था। अब मैं और मर्दों की तलाश में हूँ, जो मेरी चूत की आग बुझा सकें।
दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपको भी मेरी तरह चुदाई की प्यास है? कमेंट में बताइए!
बांह बहुत मस्त दोस्ती दोनों की , हम तो बस सोचते रह गए जैसे दोस्त के लिए, बहुत मजेदार सोचकर ही मजा आ रहा है।