भाई ने बहन की लोवर सरकाकर चूत छुआ

Bhai ne Bahan ko girlfriend bnakr choda sex story: मेरा नाम प्रतिभा है, मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहती हूँ। मैं देखने में बहुत ही कातिल लगती हूँ, मेरे मम्मे इतने सख्त हैं कि कोई भी दबाने में पागल हो जाए। मैंने खुद अपने चुच्चों को दबा-दबा कर इतना बड़ा किया है, बाथरूम में घंटों अकेले इनसे खेलती रहती हूँ, दबाती हूँ, मसलती हूँ, निप्पल को चुटकी में लेकर खींचती हूँ, मजा इतना आता है कि चूत अपने आप गीली हो जाती है।

लड़के मेरे पीछे पागल रहते हैं, स्कूल के सारे लड़के मुझे घूरते रहते हैं। मैं अभी 12वीं में पढ़ती हूँ, मेरे चुच्चे उछल-उछल कर हर किसी का लौड़ा खड़ा कर देते हैं। सब मुझे चोदने को तड़पते हैं, लेकिन मुझे किसी और से चुदवाने का मन नहीं करता, मेरा सारा नशा तो मेरा भाई अमन उतारता है।

दोस्तों, बात उस समय की है जब मैं 10वीं में थी। मैं और मेरा भाई अमन दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे, वो मुझसे दो साल बड़ा था, 12वीं में था। मेरे ही कॉलेज में पढ़ता था, साथ जाना बहुत अच्छा लगता था। स्कूल में कोई लड़का मुझे गलत नजर से नहीं देखता था, अमन का डर था सबको।

लेकिन अमन की 12वीं खत्म हुई और वो डिग्री कॉलेज चला गया। मैं अकेले कॉलेज जाने लगी, डर लगता था, लेकिन जाना पड़ता था। अमन का साथ ना होने पर धीरे-धीरे सारे लड़के मुझे घूरने लगे। हर दिन कोई ना कोई लाइन मारता, “प्रतिभा, तू तो माल है”, “एक बार चुदाई करवा ले”। मैं तंग आ चुकी थी, कॉलेज जाना बंद करना चाहती थी, लेकिन अमन से डरती थी कि पूछेगा तो क्या कहूँगी।

एक दिन अमन ने पूछा, “कोई तंग तो नहीं करता ना?” मैंने ना में सिर हिला दिया। लेकिन उसी दिन एक लड़के ने चिट्ठी डाल दी मेरे बैग में, मुझे पता भी नहीं चला। घर आकर बैग खोला तो चिट्ठी मिली। पढ़ ही रही थी कि पीछे से अमन आ गया। मैंने छिपाने की कोशिश की, लेकिन उसने देख लिया।

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मैंने बहुत समझाया, “मैंने कुछ नहीं किया भाई”, लेकिन वो नहीं माना। चिट्ठी छीन ली, पढ़ने लगा। लिखा था, “प्रतिभा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, शाम को पुल पर मिलो, बहुत जरूरी है”। चिट्ठी पढ़ते ही उसका चेहरा लाल हो गया, आँखें जल रही थीं। उसने मेरे बाल पकड़े, दीवार से सटा दिया, दो-तीन थप्पड़ मारे, “आज रात तेरी खबर लेता हूँ, पहले उस कुत्ते से निपटता हूँ”।

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शाम को अमन पुल पर गया, विकास नाम के लड़के को खूब मारा। विकास ने सब कबूल कर लिया कि उसने चिट्ठी डाली थी। बचपन से मैं और अमन एक ही बिस्तर पर सोते थे, पढ़ाई भी साथ करते थे, मजा आता था। उस रात भी अमन मेरे बिस्तर पर आया, मेरी गांड फटी जा रही थी डर से। पहली बार उसकी नजर इतनी अजीब लग रही थी।

मैंने मुंह फेर लिया, नाराजगी का नाटक किया। अमन ने मेरा चेहरा अपनी ओर घुमाया, आँखों में आँखें डालकर बोला, “क्या बात है प्रतिभा, नजर क्यों नीची है?” मैंने कहा, “कुछ नहीं”। उसने सॉरी बोला, “मैंने शक किया, गलत था”। मैं मन ही मन खुश थी, लेकिन उसकी गालियाँ सुनकर मेरी चूत में आग लग गई थी। कुंवारी थी, चुदाई का सपना देखती थी, सोचती थी काश अमन आज मेरी तड़प मिटा दे।

अमन ने कहा, “तुम्हें बॉयफ्रेंड चाहिए, समझता हूँ, लेकिन कोई गलत फायदा ना उठाए”। मैंने कहा, “इसलिए किसी को नहीं बनाया”। उसने कहा, “मैं तुम्हें हर सुख दे सकता हूँ, बस किसी और को मत देना”। इतना कहकर उसने मेरे होंठ पर किस कर दिया। मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई, मैं चुदने को बेकरार हो गई। नींद नहीं आ रही थी, अमन भी जाग रहा था, लग रहा था अभी पेल देगा।

मैं उससे लिपट गई, उसने हरी झंडी दे दी थी। उसने अपना मुंह मेरे मुंह के पास लाकर कहा, “गर्लफ्रेंड बना लूँ तुम्हें?” मैंने कहा, “हाँ, बन जाऊँगी”। मैंने पहले भी उसका लौड़ा छुआ था, जब वो सोता था, चुपके से हाथ फेरती थी। उसका मोटा लौड़ा मेरी चूत में लेने को मन मचल रहा था।

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अमन ने मुझे कसकर पकड़ा, होंठ पर होंठ रख दिए। उसके होंठ बहुत नरम थे, लाल-लाल, लड़कियों से भी ज्यादा कोमल। मैंने भी उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए, पहले ऊपर वाला होंठ पकड़कर चूसा, फिर नीचे वाला, जीभ से चाटा, हल्के से काटा। वो सिहर गया, उसने भी मेरे होंठ चूसने शुरू किए, जीभ अंदर डालकर मेरी जीभ पकड़ी, चूसने लगा, लार मिलने लगी। हम दोनों की साँसें तेज हो गईं, मुँह से गर्म हवा निकल रही थी।

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उसने मेरे कान में फूँक मारी, गर्म साँस कान में गई, मेरी चूत में करंट दौड़ा। फिर कान की लौ चाटी, दाँतों से हल्के काटा, “उम्म… भाई… कितना मजा आ रहा है”। मैंने उसकी गर्दन पर किस किया, चूसा, हल्की सी चूसने की निशान बना दी। वो मेरी गर्दन पर किस करने लगा, नाक से सूँघते हुए नीचे आया, कॉलर बोन पर जीभ फेरी।

फिर उसने मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही चूंचियाँ दबाईं, पहले हल्के से, फिर कसकर। मैंने सिसकारी भरी, “आह… भाई… दबाओ ना… और जोर से”। उसने टी-शर्ट ऊपर की, ब्रा देखी, ब्रा के ऊपर से निप्पल को उँगली से रगड़ा, निप्पल खड़े हो गए। मैंने खुद ब्रा ऊपर की, चूंचियाँ बाहर निकालीं। वो पागल हो गया, एक चूंची मुंह में ली, चूसने लगा, दूसरी को हाथ से मसल रहा था।

मैंने उसका सिर पकड़कर दबाया, “चूसो… और जोर से… आह्ह… हाँ… ऐसे ही”। वो निप्पल को दाँतों से काट रहा था, जीभ से चाट रहा था, चूंची पर लार लगा दी। मैंने उसकी शर्ट उतारी, उसकी छाती पर किस किया, निप्पल चूसे। वो सिहर रहा था, उसका लौड़ा पैंट में उछल रहा था।

मैंने उसकी पैंट की चेन खोली, अंदर हाथ डाला, लौड़ा पकड़ा, मुठ्ठी में लिया, आगे-पीछे करने लगी। वो कराह रहा था, “आह… प्रतिभा… कितना अच्छा लग रहा है”। मैंने पैंट नीचे की, लौड़ा बाहर निकाला, मोटा, लंबा, सुपारा लाल। मैंने जीभ से सुपारा चाटा, नमकीन स्वाद आया, फिर पूरा मुंह में लिया, चूसने लगी।

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वो मेरे बालों में उँगलियाँ फेर रहा था, हल्के से खींच रहा था। मैंने उसकी गोलियाँ हाथ में लीं, मसलते हुए चूसीं, एक-एक करके मुंह में भरीं। वो मेरे मुँह में लौड़ा ठूँस रहा था, गले तक जा रहा था। मैंने उल्टी होने से रोका, गला ढीला किया।

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फिर उसने मुझे लिटाया, लोअर नीचे सरकाया, पैंटी पर किस किया, चूत की खुशबू सूँघी। पैंटी गीली थी, उसने जीभ से गीलापन चाटा। फिर पैंटी उतारी, चूत देखी, गुलाबी, टाइट। उसने चूत पर उँगली फेरी, दाना ढूंढा, रगड़ा। मैं तड़प गई, “आह… भाई… वहाँ… हाँ… रगड़ो”।

उसने चूत की पंखुड़ियाँ उँगलियों से खोलीं, जीभ अंदर डाली, चूत चाटने लगा। चूत का रस चूस रहा था, “तेरी बुर कितनी मीठी है रे… पूरी गीली कर दी”। मैंने उसका सिर चूत पर दबाया, कमर उछाल रही थी। वो दाने को दाँतों से काट रहा था, “उउउ… आआआ… सीसी… ऊँऊँ… भाई… मत रुको”।

फिर उसने लौड़ा चूत पर रगड़ा, सुपारा दाने पर फिराया, मैं चिल्लाई, “डालो ना… अंदर… तड़प रही हूँ”। उसने धक्का मारा, लौड़ा अंदर घुसा, चूत फट गई। मैं चीखी, “मम्मी… सीसी… हाहा… ऊँऊँ”। मेरी सील पहले ही टूट चुकी थी, लेकिन टाइट थी। पूरा लौड़ा अंदर लिया, अंदर-बाहर होने लगा।

उसने पैर उठाकर घोड़ी बनाया, कमर पकड़कर थप्पड़ मारने लगा, “चप-चप… थप-थप… ले रंडी… तेरा भाई पेल रहा है”। मेरी चूत से पानी निकलने लगा, मैं झड़ गई, “आआआह्ह… हाँ… झड़ रही हूँ… भाई…”।

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अमन ने लौड़ा निकाला, पेट पर माल गिरा दिया। रात भर उसने कई बार चुदाई की, गांड भी मारी। अब हम रोज नंगे सोते हैं, हर स्टाइल में चोदता है, मजा आता है।

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