Slutty cousin sister sex story – mauseri behen ki chudai sex story: हैलो दोस्तों, ये कोई मनघटित कहानी नहीं, बल्कि मेरे साथ हुई एकदम सच्ची और कड़वी-सच्ची घटना है जिसने मेरी आँखें हमेशा के लिए खोल दीं। मैं 12वीं पास करके आगे की पढ़ाई के लिए अपनी बुआ के घर आया था। वहाँ बुआ-फूफा और उनकी इकलौती बेटी, मेरी मौसेरी दीदी ईशिता रहती थीं। दीदी उस वक्त 24 साल की थीं, फिगर 35-30-38, रोज़ जिम जाने से बदन ऐसा कसा हुआ कि छूते ही बिजली दौड़ जाए, दूध जैसा गोरा रंग, लंबे घने काले बाल, भरी हुई मोटी जाँघें और इतने भारी-भरकम बूब्स कि चलते वक्त भी लहराते थे। जब कई साल बाद उनसे मिला तो मेरी नज़रें उन पर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं। मिलते ही दीदी ने मुझे इतनी ज़ोर से गले लगाया कि उनके गर्म-गर्म मुलायम बूब्स मेरी छाती पर दबकर चपटे हो गए, निप्पल्स की सख्ती टी-शर्ट के आर-पार महसूस हुई, मेरे लंड में तुरंत सिहरन दौड़ गई, पर मैंने खुद को समझाया — बहन है, गंदा मत सोच।
पहले कुछ दिन सब नॉर्मल रहा। मैं कॉलेज जाता, दीदी ऑफिस। लेकिन धीरे-धीरे मैंने नोटिस किया कि रात को दीदी बहुत देर तक फोन पर किसी से फुसफुसा कर बातें करती हैं, हँसी-मज़ाक और कभी-कभी हल्की सी कराहट भी आती। एक रात मैंने उनका फोन चेक किया — सारे मैसेज उनके ऑफिस सीनियर रवि के थे। गंदे-गंदे मैसेज, नंगी फोटो, वीडियो कॉल की रिकॉर्डिंग — सब देखकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया।
एक सुबह दीदी ने कहा, “कल सुबह 7 बजे मुझे पास की कॉलोनी छोड़ देना।” मैं तैयार हो गया। सुबह 5 बजे उठकर बेड पर लेटे-लेटे इंतज़ार करने लगा। ठीक 6 बजे दीदी नहाने गईं। जब बाहर निकलीं तो सिर्फ़ एक पतला सा सफ़ेद टॉवल लपेटे हुए थीं, पानी की बूंदें उनके गोरे बदन पर लुढ़क रही थीं, टॉवल इतना छोटा था कि गांठ के नीचे से बूब्स का आधा हिस्सा बाहर झांक रहा था। कांच के सामने खड़ी होकर उन्होंने पूरे बदन पर क्रीम लगानी शुरू की — गर्दन से लेकर जाँघों तक, बूब्स के बीच में उँगलियाँ फेरते हुए, गांड की दरार में भी क्रीम मलते हुए। मैं छुपकर देखता रहा, लंड पैंट में फड़फड़ा रहा था।
तैयार होकर दीदी मुझे उठाने आईं। स्कूटी स्टार्ट की तो दीदी मेरे पीछे एकदम चिपक कर बैठ गईं। हर गड्ढे में उनके भारी बूब्स मेरी पीठ पर उछल-उछल कर दबते, पसीने से भीगी ब्रा के आर-पार निप्पल्स की सख्ती मेरी रीढ़ को चुभती, उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर गिरतीं। तीन किलोमीटर बाद एक सुनसान गली के बाहर उतरीं, मुझे 200 रुपये थमाते हुए बोलीं, “जा कॉलेज, कुछ खा-पी ले।” मैंने पैसे लिए और छुप गया। दीदी मटकती हुई उस गली में चली गईं, एक घर के सामने रुक कर इधर-उधर देखा और दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुला और वो अंदर।
मैं भी चुपके से पीछे गया। घर बिल्कुल सुनसान था। खिड़की से झांका तो अंदर रवि और दीदी थे। रवि काले रंग का, 5 फुट 7 इंच का, सिर्फ़ बॉक्सर में लेटा हुआ। दीदी हरे रंग का गाउन पहने उसके सामने खड़ी थीं। रवि की नज़रें दीदी को ऊपर से नीचे तक निगल रही थीं। अचानक उसने गाउन का बेल्ट खींचा — गाउन खुल गया। लाल ब्रा-पैंटी में दीदी किसी रंडी से कम नहीं लग रही थीं। रवि ने आवाज़ निकाली, “वाह यार ईशिता, आज तो और भी कातिल लग रही है।” दीदी ने होंठों पर जीभ फेरी और धीरे से बोलीं, “सिर्फ़ देखेगा या कुछ करेगा भी?”
रवि खड़ा हुआ और दीदी को चूमने लगा। पाँच मिनट तक जीभ अंदर डालकर चूसता रहा, दीदी की साँसें तेज़ होती गईं। गाउन नीचे गिरा। फिर ब्रा का हुक खोला — दो भारी गोरे बूब्स आज़ाद होकर लहरा गए, हल्के भूरे निप्पल्स तने हुए। रवि उन पर टूट पड़ा, एक बूब मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गों… गों… की आवाज़ें आने लगीं, दूसरे बूब को हाथ से मसल रहा था। दीदी के मुँह से निकल रहा था, “आह्ह… रवि… चूस ले… पूरा खा जा… उफ्फ़…”
फिर दीदी ने रवि को बेड पर धकेला और उसका बॉक्सर उतार दिया। रवि का 6 इंच का काला, नसों वाला लंड बाहर आया। दीदी ने हल्का सा थप्पड़ मारा और मुँह में लेकर चूसने लगीं, पूरा गले तक ले जा रही थीं, ग्ग्ग्ग… गों… गोग… गी… गी… लार टपक रही थी। रवि कराह रहा था, “हाँ मेरी रंडी… ऐसे ही… पूरा निगल ले…”
फिर रवि ने दीदी की पैंटी उतारी। एकदम चिकनी, फूली हुई गुलाबी चूत, बीच में पतली सी गीली लकीर। उँगली डालते ही दीदी की कमर ऊपर उठ गई, “आअह्ह्ह… रवि… उफ्फ़…” रवि ने मुँह लगा दिया, जीभ अंदर-बाहर करने लगा। दस मिनट तक चाटता रहा, दीदी की गांड अपने आप ऊपर उठ रही थी, “प्लीज़… अब नहीं सहन होता… चोदो मुझे… फाड़ दो आज…”
दीदी ने खुद कंडोम चढ़ाया, पैर चौड़े किए। रवि ने लंड को चूत पर रगड़ा, सुपारा अंदर किया और रुक गया। दीदी की चूत खुद ही लंड को चूसने लगी। फिर एक जोर का धक्का — पूरा लंड जड़ तक। दीदी चीख उठीं, “आअह्ह्ह… माँ कसम… फट गई… ह्हीईई…” रवि ने स्पीड बढ़ाई, चपचप… चपचप… की आवाज़ें, चूत के होंठ अंदर-बाहर, सफ़ेद झाग बनने लगा। दस मिनट में रवि झड़ गया। कंडोम उतारा तो दीदी ने फिर मुँह में लेकर चूसकर दोबारा खड़ा कर दिया।
इस बार डॉगी स्टाइल। दीदी घोड़ी बनीं, रवि ने बाल पकड़ कर पीछे से ठोका। हर धक्के में दीदी की गांड लाल हो रही थी, “हाँ… और जोर से… मार डाल… आह्ह… ह्हीईई…” फिर दीदी ऊपर आईं, कंडोम उतार कर बोलीं, “बिना कंडोम के मज़ा ही अलग है…” और खुद लंड अंदर लेकर उछलने लगीं। थक गईं तो रवि ने बेड के किनारे लिटाया, पैर कंधे पर रखकर तेज़-तेज़ ठोका। दीदी की आँखें पलट गईं, “बस… आ गई… आअह्ह्ह…” और रवि ने पूरा गाढ़ा माल दीदी की चूत में ही उड़ेल दिया। दोनों हाँफते हुए लेट गए। रवि बोला, “आज तो पूरे दिन चोदूंगा।” दीदी हँसकर बोलीं, “इसलिए तो सुबह-सुबह आ गई।”
मैं चुपके से निकल गया। शाम को घर लौटा तो दीदी पहले से थीं, चेहरे पर चुदाई की चमक, होंठ सूजे हुए। रात को दीदी सो गईं, सिर्फ़ शॉर्ट्स और टी-शर्ट में। मैंने हिम्मत की, उनके बूब्स पर हाथ फेरा — निप्पल्स तुरंत सख्त। नींद में ही दीदी की टाँगें फैल गईं, शॉर्ट्स के ऊपर से चूत पर उँगली फेरी तो गीली हो गई। मैंने अपना लंड उनके हाथ में रख दिया, नींद में ही दीदी ने दो-तीन बार ऊपर-नीचे किया, मेरा माल उनके हाथ पर ही गिर गया, गाढ़ा और चिपचिपा।
अगले दिन दीदी नहाते वक्त रवि से वीडियो कॉल पर थीं, रवि लंड हिला रहा था, दीदी उँगली कर रही थीं, बोलीं, “कल सब बाहर जा रहे हैं, तू घर आ जा।” मैंने प्लान बनाया। अगले दिन बहाना बनाकर 500 रुपये लिए और दोस्त के घर छुप गया। 9 बजे रवि की गाड़ी आई। मैं पीछे की खिड़की से कमरे में घुसा।
दीदी और रवि बेड पर लिपटे थे। फिर केक लाए। दीदी ने रवि के लंड पर पूरा चॉकलेट क्रीम मला और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग… गों… गोग… क्रीम और प्री-कम उनके होंठों पर लटक रहा था। फिर रवि ने दीदी के बूब्स, नाभि, चूत पर केक मलकर चाटा। चुदाई शुरू हुई — पहले मिशनरी, फिर दीदी ऊपर, फिर डॉगी। किचन में काउंटर पर भी चोदा, दीदी चीख रही थीं, “फाड़ दो… आज मेरी चूत में अपना नाम लिख दो…” रवि ने बिना कंडोम के पूरा माल अंदर छोड़ दिया, वीर्य जाँघों से लिसलिस बह रहा था।
शाम को मैं लौटा तो दीदी पड़ोसन से हँस-हँस कर बातें कर रही थीं, चुदाई की खुशी चेहरे पर चमक रही थी। रात को फिर मैंने उनके बूब्स दबाए, लंड उनके हाथ में रखा, नींद में ही दीदी ने सहला दिया। अगले दिन घरवाले आ गए, पर दीदी आज भी रवि से मिलने जाती हैं और खूब चुदवाती हैं। मैंने अपनी मौसेरी दीदी को रंडी बनते अपनी आँखों से देख लिया।