मेरा नाम सुनंदा भार्गव है और मैं एक कुंवारी कन्या थी, जब तक मेरे सगे भाई विशाल ने मेरी वर्जिन चूत की सील नहीं तोड़ी। मैं 24 साल की हूँ, और मेरे घर में हम छह लोग हैं। मेरे पापा-मम्मी, मेरा 23 साल का भाई विशाल, और मेरी दो छोटी बहनें—20 साल की ज्योति और 18 साल की बुलबुल। मैं बी.ए. फाइनल की स्टूडेंट हूँ, और विशाल सरकारी कॉलेज में बी.कॉम कर रहा है। मैं हूँ ही इतनी सेक्सी और सुंदर कि हर कोई मुझे घूरता है, और मेरा भाई तो खास तौर पर। उसकी गंदी नजरें हमेशा मेरे बदन पर टिकी रहती थीं, जैसे वो मेरे कपड़ों के पार देखना चाहता हो। मैं जानती थी कि वो मुझे चाहता है, पर मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वो मेरी चूत और गांड का कचूमर बना देगा।
विशाल को मैंने कई बार गंदी किताबें पढ़ते और मोबाइल पर देसी पोर्न देखते हुए मुठ मारते पकड़ा था। वो अपने मोटे, तगड़े लंड पर कंडोम चढ़ाकर हिलाता, और उसकी आँखों में हवस साफ दिखती। जब मैं कपड़े बदलती, वो चुपके से मुझे देखता। कभी-कभी बाथरूम में नहाते वक्त भी उसकी नजरें मेरे नंगे बदन पर होतीं। मैं शर्मिंदगी में कुछ न बोलती, पर मेरे दिल में एक अजीब सी गुदगुदी होती थी। ये सारी बातें मुझे गलत लगती थीं, पर कहीं न कहीं मेरे जिस्म में भी आग सुलग रही थी।
ये कहानी उन सर्दियों की है, जब पापा-मम्मी एक शादी में गए थे और चार दिन बाद लौटने वाले थे। हम चारों भाई-बहन घर पर अकेले थे। एक रात हम सब एक ही कमरे में सो गए। विशाल मेरे बगल में लेटा था। रात के करीब दो बजे मुझे अपने चूतड़ों पर कुछ सख्त चुभता महसूस हुआ। मैंने पलटकर देखा तो विशाल का काला, मोटा लंड उसकी पैंट से बाहर था, मेरी गांड को छू रहा था। वो गहरी नींद में लग रहा था, पर मुझे शक था कि वो जानबूझकर ऐसा कर रहा है। मैंने उसका लंड हटाने के लिए छुआ, और उसकी गर्मी और सख्ती ने मेरे बदन में करंट दौड़ा दिया। मैं थोड़ा दूर सरक गई, पर आधे घंटे बाद फिर वही हुआ। अब मुझे यकीन हो गया कि विशाल जाग रहा है और मेरे साथ गंदी हरकत कर रहा है। मैंने सोने की एक्टिंग की और कुछ नहीं कहा।
अगले दिन विशाल कहीं बाहर गया। मेरा बॉयफ्रेंड, जो मेरी गली में रहता था, मेरे घर आया। हमने कभी सेक्स नहीं किया था, क्योंकि मैंने उसे कभी मौका नहीं दिया। उस दिन वो मुझे किस करने लगा, और मैं भी गर्म होने लगी। तभी विशाल घर लौट आया और हमें किस करते देख लिया। उसने कुछ नहीं कहा, बस अपने कमरे में चला गया। मेरा बॉयफ्रेंड डरकर भाग गया। रात को हम चारों ने खाना खाया। ज्योति और बुलबुल टीवी देख रही थीं, और मैं विशाल के साथ सोने के लिए कमरे में चली गई।
विशाल मेरे पास बैठा और बोला, “मैंने सब देख लिया कि तू आज क्या कर रही थी। पापा-मम्मी को बता दूंगा कि तू अपने बॉयफ्रेंड के साथ गंदी हरकतें करती है।” मैं डर गई। मेरी गांड फट गई थी। मैंने कहा, “तू भी तो करता होगा किसी लड़की के साथ ऐसा?” उसने कहा, “मेरी ऐसी किस्मत कहाँ? कोई लड़की मौका ही नहीं देती।” मैंने हिम्मत करके कहा, “लड़की मौका नहीं देती, लड़के को खुद मौका बनाना चाहिए।” विशाल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “अगर मैं किसी लड़की का हाथ ऐसे पकड़ लूं, तो फिर क्या करूं?” मैंने मजाक में कहा, “उसे अपनी बाहों में भर ले और उसके होंठ चूम ले।”
इतना कहते ही विशाल ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका गर्म सांस मेरे चेहरे पर टकरा रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश की, पर उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं हिल भी न सकी। उसने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रखा और जोर से दबाया। मैं सिसक उठी, “आह…” मेरे जिस्म में आग लग गई। मैंने विरोध किया, पर कुछ देर बाद मैं भी उसका साथ देने लगी। उसकी जीभ मेरे मुंह में थी, और मेरे होंठों को वो किसी भूखे शेर की तरह चूस रहा था। उसने मेरा टॉप उतार दिया, और मैं सिर्फ ब्रा में थी। फिर उसने मेरी ब्रा भी खींचकर फेंक दी। मेरे गोरे, मोटे बूब्स उसके सामने नंगे थे। वो मेरे निप्पलों को दबाने लगा, और मेरी चूत पर हाथ फेरने लगा।
मुझे ग्लानि हुई कि ये मेरा भाई है। मैं उससे छूटकर दूसरे कमरे में भाग गई और दरवाजा बंद कर लिया। मैंने नए कपड़े पहने, पर मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मुझे मजा तो आ रहा था, पर भाई-बहन का रिश्ता मुझे रोक रहा था। थोड़ी देर बाद ज्योति और बुलबुल सोने आईं। उन्होंने विशाल से मेरे बारे में पूछा, तो उसने कहा कि मैं दूसरे कमरे में हूँ। मैं शर्मिंदगी में विशाल के सामने नहीं जाना चाहती थी। लेकिन वो मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाने लगा। मैंने बहुत मनाने के बाद दरवाजा खोला। वो अंदर आया, दरवाजा बंद किया, और मुझे फिर से किस करने लगा।
इस बार उसने मेरी टॉप उतारी और मेरी जींस पर हाथ फेरने लगा। मैंने कहा, “ये गलत है, तू मेरा भाई है।” उसने कहा, “तूने ही तो कहा कि लड़के को मौका बनाना चाहिए। तू लड़की है, और भगवान ने तुझे चोदने के लिए बनाया है। आज नहीं तो कल कोई तुझे अपनी रंडी बनाकर चोदेगा।” उसकी बातों ने मुझे हिला दिया। वो जिद करने लगा। मैंने कहा, “ऊपर-ऊपर से जो करना है कर, उससे ज्यादा नहीं।” उसने मेरे बूब्स चूसने शुरू किए। मेरे निप्पल उसके दांतों के बीच थे, और वो उन्हें काट रहा था। मैं सिसकार रही थी, “आह… विशाल…” उसने मेरी जींस उतारी, और मेरी पैंटी भी खींचकर फेंक दी।
अब मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी थी। उसने मेरी वर्जिन चूत में उंगली डाली। मैं तड़प उठी। उसकी उंगली मेरी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं गर्मी से पागल हो रही थी। फिर उसने मुझे मेज पर बैठाया। मेरी चूत पूरी खुल गई। वो झुककर मेरी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत की दीवारों को चूम रही थी, मेरे क्लिट को चूस रही थी। मैं उसके सिर को अपनी चूत में दबा रही थी, “आह… विशाल… और चाट…” मेरी सांसें तेज थीं, और मेरा पानी निकलने वाला था। उसने मेरी चूत को तब तक चाटा जब तक मैं झड़ नहीं गई। मेरा पानी उसके मुंह में था, और वो उसे चाट गया।
फिर उसने अपना लंड निकाला। मैं डर गई। उसका लंड 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, काला और सख्त। उसने मेरी चूत पर लंड रगड़ा। मैंने कहा, “मैंने कहा था सिर्फ ऊपर-ऊपर!” उसने कहा, “दीदी, मैं वही कर रहा हूँ। मेरे लंड की किस्मत कहाँ कि तेरी चूत चोदे।” जैसे ही मैंने कहा, “अच्छा,” उसने एक तेज धक्का मारा। उसके लंड का टोपा मेरी वर्जिन चूत में घुस गया। मैं चीख पड़ी, “आई… मर गई!” मेरी चूत से खून निकल रहा था, और मेरी आँखों में आंसू थे। मैंने छुड़ाने की कोशिश की, पर उसकी पकड़ लोहे की थी। उसने एक और धक्का मारा, और आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं फिर चीखी, “विशाल… निकाल… दर्द हो रहा है!”
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उसने मेरे होंठों को चूमकर मेरी चीख दबा दी। तीसरे धक्के में उसका पूरा लंड मेरी चूत की सील तोड़कर मेरी बच्चेदानी तक घुस गया। मैं दर्द से कराह रही थी, पर वो रुका नहीं। वो मेरे बूब्स दबाते हुए, मेरे निप्पल चूसते हुए धक्के मार रहा था। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… ऊई… विशाल… धीरे…” लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत की खुजली मिटा रहा था। मैं अब उसका साथ दे रही थी, अपनी कमर हिला रही थी।
वो मुझे मेज से उठाकर बिस्तर पर ले गया। उसने मेरे होंठ चूमे, मेरे बूब्स दबाए, और फिर से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। उसका लंड मेरी बच्चेदानी से बार-बार टकरा रहा था, और मैं सिसकार रही थी, “आह… विशाल… और जोर से…” वो मेरे निप्पलों को काट रहा था, मेरी चूत को अपने लंड से चोद रहा था। उसका हर धक्का मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। वो मेरी चूत को 20 मिनट तक चोदता रहा। आखिरकार उसका माल मेरी चूत में निकल गया, और उसी वक्त मेरा पानी भी निकला। मैं थककर चूर हो गई थी। विशाल मेरे ऊपर ही सो गया।
जब हमारी आँखें खुलीं, रात के 2 बजे थे। विशाल फिर से गर्म हो रहा था। उसने मेरे बूब्स दबाने शुरू किए, मेरी चूत पर हाथ फेरा। मैंने मना किया, “विशाल, दर्द हो रहा है।” वो चुपचाप मेरी बहनों वाले कमरे में सोने चला गया। मैं बाथरूम गई, पेशाब किया, और फिर उसी कमरे में विशाल के पास लेट गई। सुबह ज्योति ने मुझे उठाया। मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी। उसने पूछा, “दीदी, क्या हुआ?” मैंने कहा, “पैर में मोच आ गई।” लेकिन उसने मेरी जींस पर खून देख लिया। वो सब समझ गई कि रात को मेरी चुदाई हुई है।
ज्योति ने कहा, “दीदी, भाई को चाय के लिए जगा दो।” मैं विशाल को जगाने गई। उसने पूछा, “ज्यादा दर्द तो नहीं?” मैंने कहा, “तूने मेरी सील तोड़ दी, मेरा घमंड तोड़ दिया। तेरा लंड इतना मोटा था, फिर भी मेरी चूत में चला गया।” वो हँसा, “ये मेरे लंड का कमाल है।” हमने खाना खाया। ज्योति और बुलबुल टीवी देख रही थीं, और मैं रसोई में थी। तभी विशाल पीछे से आया और मेरे बूब्स जोर से भींच दिए। मैं चिल्ला उठी। ज्योति ने ये सब सुन लिया और रसोई की तरफ आई।
विशाल ने मेरे कपड़े उतार दिए। एक मिनट में मैं पूरी नंगी थी। वो मेरी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को चूम रही थी। मैं गर्म हो गई। उसने अपना लंड निकाला और मुझे चूसने को कहा। मैंने मना किया, पर उसकी जिद के आगे हार गई। मैंने उसका मोटा लंड मुंह में लिया। उसका स्वाद अजीब था, पर मैं चूसती रही। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैंने मना किया, पर उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी कुंवारी गांड में टोपा सेट किया। एक जोरदार धक्के में उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया। मैं कराह उठी, “आह… विशाल… निकाल… मर गई!”
उसने मेरी बात अनसुनी की और एक और धक्का मारा। उसका 9 इंच का लंड मेरी गांड में पूरा घुस गया। मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “विशाल… बस कर… गांड फट गई…” लेकिन वो रुका नहीं। वो मेरी गांड को चोदता रहा, मेरे बूब्स दबाता रहा। उसका लंड मेरी गांड की दीवारों को रगड़ रहा था, और हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। आधे घंटे तक उसने मेरी गांड मारी। जब उसका माल निकलने वाला था, उसने लंड निकाला और मेरा चेहरा अपने माल से भिगो दिया। उसने पूछा, “मजा आया?” मैं शर्म से चुप रही।
बाथरूम जाते वक्त मैंने देखा कि ज्योति हमारी चुदाई देख चुकी थी। वो वहाँ से भाग गई। मैंने ये बात विशाल को बताई। उसने कहा, “उसे भी चुदवा दे। उसका भी मन करता होगा।” लेकिन मुझे विशाल से प्यार हो गया था। मैं उसका लंड किसी और के साथ शेयर नहीं करना चाहती थी, चाहे वो मेरी बहन ही क्यों न हो। मैंने कहा, “वो अभी बच्ची है। उसे तेरे लंड के लिए बड़ा होने दे।” विशाल समझ गया कि उसे अभी मेरी चूत और गांड से ही काम चलाना होगा।
अब मैं और विशाल हर रात चुदाई करते हैं। उसका मोटा लंड मेरी चूत और गांड की प्यास बुझाता है। मुझे नहीं पता था कि चुदाई में इतना मजा है, वरना मैं कब की किसी मर्द से चुद जाती। लेकिन अब विशाल मेरा सब कुछ है। उसका लंड मेरे दिल और जिस्म पर राज करता है।