दोस्तों ये नई कहानी मैं हिन्दी फ़ोन्ट में ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचने के उद्देश्य के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा करता हूँ कि इस कहानी को भी आप उतना ही प्यार और पसन्द करेंगे।
मेरा नाम विशाल है, और मेरा परिवार उत्तरी भारत के एक छोटे से कस्बे में रहता है। मेरे पिताजी एक पब्लिक सैक्टर युनिट में काम किया करते थे, लेकिन जब मैं सिर्फ़ सात साल का था तभी पापा का दिल का दौरा पड़ने से स्वर्गवास हो गया था। मम्मी की अनुकम्पा के आधार पर पिताजी के ऑफ़िस में ही क्लर्क की नौकरी लग गयी थी।
मेरी मामा और नानी हमारे कस्बे में ही रहते थे मेरे चंदर मामा सरकारी ठेकेदार थे, मेरी मामी का देहांत दूसरे बच्चे की डिलीवरी के समय हो गया था, उसके बाद उन्होने दूसरी शादी नहीं की थी, नानी ही उनके दोनों बच्चों को पाल रहीं थीं। जब हम बड़े हो गये थे तब ज्यादातर हर शनिवार और रविवार को मम्मी, मामा के घर नानी के पास उनकी हैल्प करने को चली जाया करती थीं। हमारे मामा हमारी मम्मी से दो साल बड़े थे।
एक बार जब मेरे चंदर मामाजी हमारे यहाँ रुके हुए थे तब मामाजी को मैंने मेरी मम्मी से कहते हुए सुना कि मेरे पापा ने मेरे पैदा होने के बाद शायद उनको चड्डी पहनने का भी समय नहीं दिया होगा, उस से पहले ही दोबारा पेल दिया होगा जिसकी वजह से मेरी छोटी बहन पैदा हो गयी। शायद मामाजी को नहीं मालूम कि मैंने उनकी बात सुन ली थी। लेकिन ये बात सच थी कि मेरे और मेरी छोटी बहन प्रीती के पैदा होने बीच एक साल से भी कम का अन्तर था, और इसी वजह से बचपन से ही हम दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे।
घर में मैं, मेरी मम्मी शकुंतला, और छोटी बहन प्रीती ही रहा करते थे। मम्मी अकेले ही हम दोनों भाई बहन का पालन पोषण कर रहीं थीं, और शायद इसी वजह से हमारे लिये थोड़ा ज्यादा प्रोटेक्टिव थीं, जिसकी वजह से हम दोनों एक दूसरे के और ज्यादा करीब आ गये थे। कई बार ऐसा होता कि हमारे स्कूल की छुट्टी होती, और मम्मी को ऑफ़िस जाना होता, तो मम्मी हम दोनों को घर में बन्द कर के बाहर से ताला लगा कर चली जाया करती थीं। तो इन सब परिस्थितियों में मैं और मेरी बहन बहुत समय एक दूसरे के साथ बिताया करते थे।
जब हम दोनों छोटे छोटे थे शायद पाँच छः साल के होंगे तब तक मम्मी हम दोनों को एक साथ नहलाया करती थीं। स्वाभाविक रूप से मुझे हमेशा ये कौतुहल रहता कि प्रीती के पास मेरी तरह लण्ड नहीं था, हाँलांकि तब मैं उसको लण्ड नहीं कहा करता था। मम्मी ने मुझे उसको फ़ुन्नी कहना सिखाया था। और मेरे ख्याल से मम्मी ने तब से हम दोनों को एक साथ नहलाना बन्द कर दिया था जब एक बार मैंने उनसे पूछ लिया था कि प्रीती की फ़ुन्नी किस ने काट ली। बाल सुलभ जिज्ञासायें इतनी जल्दी खतम भी नहीं होतीं, और समय के साथ मेरी भी समझ में आ गया कि सभी लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं।
हमारी उम्र में ज्यादा अन्तर ना होने की वजह से कई लोग पूछा करते कि हम दोनों जुड़वाँ तो नहीं हैं। हाँलांकि हम दोनों की शक्ल एक जैसी नहीं थी, लेकिन प्रीती अपनी उम्र से ज्यादा लम्बी थी, और जब तेरह चौदह साल तक जब मेरी यकायक एक साथ लम्बाई बढी, तब तक हम दोनों की लम्बाई करीब करीब बराबर ही थी। हम दोनों के एक जैसे हल्के काले बाल थे, हाँलांकि बेशक मेरे छोटे थे, एक जैसी गहरी भूरी आँखें, एक सा गेहुँआ रंग। और जब तक मेरा शरीर भरा हुआ गठीला होना शुरु नहीं हुआ था, तब तक दोनों एक जैसे पतले दुबले थे।
जब मेरी छाती और कन्धे चौड़े होने शुरु हुए, तब प्रीती के बदन में भी उभार आने शुरु हो गये। वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं। प्रीती ऐश्वर्या राय की तरह खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन वो एक सामान्य सुन्दर लड़की थी। मेरे ख्याल से अगर वो बाहर ज्यादा घुमा फ़िरा करती तो लड़के उसके आगे पीछे ही मँडराते रहते, लेकिन वो हमेशा अजनबियों से दूरी ही बना कर रखती। इसकी एक वजह ये भी थी कि मम्मी हम दोनों के लिये कुछ ज्यादा ही प्रोटेक्टिव थीं, और मेरा स्वभाव भी कुछ ऐसा ही हो गया था।
मैं और प्रीती कोई साधु सन्त या सन्यासी तो नहीं थे लेकिन फ़िर भी हम दोनों ही ज्यादातर घर पर ही रहा करते थे, और आपस में ही मस्ती करते रहते, हाँलांकि हम दोनों के ही अपने अपने दोस्त भी थे। हम दोनों की एक कॉमन फ़्रेन्ड पूनम हमारी गली में ही रहती थी। पूनम मेरी हमउम्र थी और मेरी ही क्लास में पढती थी, पूनम मेरी जिन्दगी में पहली लड़की थी जिसको मैंने किस किया था, शायद इसी वजह से पूनम मेरे लिये किसी अचीवमेन्ट से कम नहीं थी। जब हम शायद आठवी में थे तब उसने एक दो बार मुझे लिप्स पर किस करने दिया था। किस से आगे हम दोनों कभी नहीं बढे, लेकिन मेरे लिये उसको किस कर लेना ही बहुत बड़ी बात थी।
जब हम दोनों हाईस्कूल पास करके फ़र्स्ट ईयर और इन्टर में आ गये थे, उसके बाद से मम्मी हम दोनों को घर पर एक दो दिन के लिये अकेला छोड़कर रिश्तदारीयों के शादी ब्याह, उठावनी या फ़िर किसी और फ़न्क्शन में या फ़िर मामा के पास अपने मायके अक्सर जाने लगी थीं। उनको भी लगने लगा था कि अब हम इतने बड़े हो गये हैं कि एक दो रात अकेले रह सकें। सरकारी नौकरी की वजह से मम्मी को छुट्टी की भी कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती थी।
जब प्रीती अठारह साल की हुई, तब टेक्नीकली मैं भी अठारह साल का ही था, क्यों कि मुझे उन्नीस साल क होने में अभी कुछ हफ़्ते बाकि थे। मैं उस उम्र में भी अन्य लड़कों के विपरीत बिल्कुल कुँवारा ही था, हाँलांकि मैं बाकी सभी टीन-एज लड़कों की तरह हर मसले को अपने हाथ में लेकर उसका समधान कर लिया करता था, मेरे दिमाग में हमेशा सैक्स ही घूमता रहता, लेकिन जहाँ तक चुदाई के एक्स्पीरियेन्स का सवाल है, तो मेरा एक्स्पीरियेन्स बस पूनम को दो बार किस करने तक, और पॉर्न मैगजीन देखकर मुट्ठ मारने तक सिमटा हुआ था। मैं स्लिम बिल्ट का था और मेरी लम्बाई 5 फ़ुट 8 इन्च थी, प्रीती मेरे से 3-4 इन्च छोटी थी, इस सब के बावजूद फ़िर भी लोगबाग पूछा करते थे कि क्या हम दोनो, जुड़वाँ हैं?
जैसा कि मैंने बताया कि प्रीती मुझ से 3-4 इन्च छोटी थी यानि कि वो 5 फ़ुट 4 या सांकेतिक इन्च की होगी, वो पतली दुबली छरहरी काया की थी, उसकी गाँड़ और पतली लम्बी टाँगें किसी को भी अपना दीवाना बना सकती थीं। उसकी चुँचीयाँ हाँलांकि छोटी छोटी थीं, मेरे अनुमान से शायद उसकी ब्रा का साईज 32 रहा होगा। वो अपने बालों का पोनीटेल बना कर रखती थी। और जहाँ तक मुझे पता था कि उस वक्त अठारह साल की उम्र तक उसका कोई भी बॉय फ़्रेन्ड नहीं रहा था।
प्रीती के अठारहवें बर्थ डे के बाद एक बार मम्मी जब कहीं पर गयी हुई थीं, तब हम दोनों देर रात टीवी पर कोई मूवी देख रहे थे। उस मूवी में गर्मा गर्म चूमा चाटी और किसिंग के कुछ द्रष्य थे, हाँलांकि चुँकि ये किसी फ़्री टू ऐअर चैनल पर आ रही थी इसलिये ज्यादा तर गर्म सीन काट दिये गये थे। मैंने प्रीती की तरफ़ देखा वो उन गर्म सीन को देखने में मशगूल थी। हम दोनों अलग अलग सोफ़े पर बैठे हुए थे, मैं थ्री सीटर पर और प्रीती मेरी बांयीं तरफ़ सिन्गल सीटर पर बैठी हुई थी, उसने डेनिम का नेकर और काला टॉप और सैण्ड्ल पहन रखे थे, और हमेशा की तरह उसने बालों का पोनीटेल बना रखा था।
जैसे ही मूवी खतम हुई, प्रीती उठकर मेरे पास मेरे सोफ़े पर आकर बैठ गयी।
“विशाल?” उसने कहा। .
“क्या?” मैंने टीवी की तरफ़ देखते हुए ही पूछा।
“क्या तुमने किसी लड़की को किस किया है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ,” मैंने उसकी तरफ़ देखते हुए जवाब दिया, हाँलांकि मैं उसके सवाल से अचरज में था। “हाँ, भाई किया है।”
प्रीती एक मिनट तक खामोश रही, इसलिये मैं फ़िर से टीवी देखने लगा। मैं उसका सवाल सुनकर थोड़ा हैरान तो जरूर था।
”कितनी बार?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा, ”तुमने कितनी लड़कियों को किस किया है?”
मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी, लेकिन मैं उसका सवाल सुनकर अपने आप को मुस्कुराने से रोक नहीं पाया, और मैंने जवाब दिया, ”ज्यादा नहीं।”
“कितनी?” प्रीती ने उत्सुकता के साथ पूछा, “नम्बर बताओ।”
“तुमको इस सब से क्या मतलब है,” मैंने जवाब दिया, हाँलांकि सच तो ये था कि टीवी पर अभी अभी ऐसे सीन देखकर मैं भी इस विषय पर और ज्यादा बात करने में इन्टरेस्ट्ड था।
“कम ऑन,” प्रीती ढीठता के साथ बोली, “तुमने किस को किस किया है? अगर तुम उनका नाम नहीं बताओगे मैं समझूँगी कि होंगी कोई बदसूरत सी।”
“चलो ठीक है,”मैं समझ गया कि ये अब नाम जाने बिना मानने वाली नहीं है, ”चलो तो सुनो उनमें से एक पूनम भी है, जिसको तुम अच्छी तरह जानती हो।”
“पूनम?” प्रीती ने थोड़ा अचम्भित होते हुए पूछा, लेकिन फ़िर यकायक उसके चेहरे के भाव बदल गये, और उसने मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा, ”लाईन में लग कर किस किया होगा?” हाँलांकि पूनम हम दोनों की कॉमन फ़्रेण्ड थी, लेकिन प्रीती उस के चाल चलन से भली भांति परिचित थी।
“नहीं,” मैंने प्रीती की आँख़ों में आँख़ें डालकर बोला, ” यू नो, मैं और पूनम एक दो बार उस के घर पर ही मस्ती में किस विस कर चुके हैं।”
“तुम और पूनम,” प्रीती ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, ”विशाल, यानि बड़ा।” फ़िर कुछ सैकण्ड के बाद कुछ सोचकर उसने बोला, ”तुमने पूनम के साथ और कुछ नही किया, मेरा मतलब”
”नहीं,” मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ”बस किस ही किया था।”
“लेकिन, मन तो किया होगा, क्यों?” प्रीती ने पुछा, मानो उसको जवाब पहले से पता था।
”हाँ,” मैंने जाहिर सा जवाब दिया, ”लेकिन यू नो, हमने सचमुच कुछ नहीं किया।”
”और किस को किस किया है?” प्रीती ने मेरी आँख़ों में आँख़ें डालकर देखते हुए पूछा। वो मेरी पूरी तहकीकात करने के मूड में थी, ”बताओ ना, और किस के साथ?”
मैंने बात को पलटते हुए कहा, ”हैं कुछ जिनको तुम नहीं जानतीं, लेकिन वो भी बदसूरत नहीं हैं। तुम अपने बारे में बताओ, तुमने कितने लड़कों को किस किया है?” मन ही मन मैं इस सवाल का जवाब पहले से जानता था।
प्रीती ने मेरी तरफ़ चेहरा घुमाकर सीरियस होते हुए कहा, ”किसी को भी नहीं,” उसकी आवाज दबी हुई थी, ”मुझे तो ये भी नहीं पता कि किस करते कैसे हैं।”
“इसमें कौन सी रॉकेट साईंस है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, मैं अब समझ चुका था कि इस विषय के डिस्कशन पर अब मेरा अपर हैण्ड है।
”ओह, तुम तो बहुत बड़े एक्सपर्ट हो?” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली। ”बस इसलिये कि तुम कुछ लड़कियों को किस कर चुके हो।” उसने चुनौती भरे अन्दाज में बोला, और फ़िर पूछा, ”फ़िर भी, बताओ ना कैसा लगता है?”
“गुड,” मैंने अपने कन्धे उँचकाकर मजाकिया लहजे में होंठ दबाकर जवाब दिया। ”इट्स जस्ट,” मैंने किसी बेहतर शब्द की तलाश में एक छोटा सा पॉज लिया, और फ़िर कहा ” जस्ट गुड्।”
“कैन आई ट्राई इट?” प्रीती ने मेरे पास खिसकते हुए मेरी तरफ़ देखते हुए पूछा।
“व्हाट डू यू मीन?” मैंने उसकी तरफ़ देखते हुए पूछा। मुझे उसकी बात अच्छी तरह समझ आ चुकी थी, और मैं ये भी जानता था कि वो मेरे साथ ट्राई करना चाहती है, लकिन मुझे उसके कहे हुए शब्दों पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिये मैं डबल श्योर होना चाहता था।
”मैं तो बस तुम्हारे साथ ट्राई करके ये देखना चाहती थी कि किस करने में लगता कैसा है,” प्रीती ने मासुमियत के साथ कहा, ”जिस से कभी अगर किसी लड़के या अपने पति के साथ करने का जब भी चांस मिले तो कम से कम पता तो हो।”
”व्हाई नॉट?” मैंने ऐसे अन्दाज में कहा मानो मुझे इस से कोई आपत्ती ना हो। मैं तो मन ही मन प्रीती को ना जाने कब से किस करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को बेकरार नहीं दिखाना चाहता था। हम दोनों अगल बगल एक ही सोफ़े पर आमने सामने बैठे थे, लेकिन कोई पहल नहीं कर रहा था। ”वैल, कम ऑन,” प्रीती ने मुस्कुरा कर कहा, ”मैंने सोचा तुम मुझे किस करने वाले हो।”
“मैंने सोचा तुम मुझे किस करने वाली हो,” मैंने पलट कर उसके होंठों को देखते हुए जवाब दिया, ”इट वाज योर आईडिया।”
”वैल, लेकिन तुम तो पहले भी कर चुके हो ना,” प्रीती ने फ़िर उसी मासूमियत के साथ कहा मानो ये तो अन्डरस्टुड था कि मुझे ही शुरुवात करनी थी। ”ओके,” मैंने उसके और करीब आते हुए कहा।
मैंने उसकी तरफ़ झुकते हुए प्रीती के कन्धों पर अपनी बाहें रख दी, और उसको प्यार से अपनी तरफ़ खींच लिया, और फ़िर उसके उपर झुकते हुए हल्के से अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये। मैं भी एक्स्पेर्ट तो था नहीं, लेकिन फ़िर भी मैंने किस करना जारी रखा, मेरे पूरे बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गयी। हम दोनों के चेहरे इतने करीब थे कि मैं प्रीती की साँसों को मेहसूस कर पा रहा था। मैं उसके रेस्पोंस को जानने के लिये उसकी तरफ़ देखने लगा। वो बिना कुछ बोले बस आधा सा मुस्कुरा भर दी, और फ़िर आगे बढकर मेरे होण्ठो को फ़िर से किस करने लगी। इस बार प्रीती किस किये जा रही थी, और मेरे बदन में एक बार फ़िर से उत्तेजना की एक गजब सी लहर दौड़ गयी, ये लहर पिछली लहर से कहीं ज्यादा ताकतवर थी। मुझे पता था कि जो हम कर रहे थे वो गलत था, लेकिन साथ साथ ये उतना ही रोमांचक और अविश्वस्नीय भी था।
एक बार फ़िर से हम दोनों ने एक दूसरे की आँख़ों में देखा, हम दोनों के चेहरे बेहद करीब थे, मैंने पूछा, ”तो फ़िर, कैसा लगा?”
”थैन्क्स, लेकिन थोड़ी प्रैक्टीस और कर लेते हैं,” प्रीती ने धीमे से फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा। उसने अपने होन्ठों पर जीभ फ़िरा कर उनको गीला किया और फ़िर से मुझे पहले की तरह किस करने लगी। मैं हर पल और ज्यादा बेकरार होता जा रहा था। हम दोनों के मुँह थोड़े से खुले हुए थे, लेकिन जीभ का अभी कोई रोल नहीं था, मैं बस ऐसे ही करते रहना चाहता था, जब तक वो मुझे ऐसा करते रहने देती।
प्रीती ने किस करना बन्द किया और थोड़ा पीछे होकर बैठ गयी। ”ऐसे ही करते हैं ना?” उसने पूछा।
”मेरे विचार से कोई रूल तो होते नहीं हैं,” मैंने कहा, मेरी बाँहें अभी भी उसके कंधों पर ही थीं। मैं उम्मीद कर रहा था कि ये यहीं पर खत्म ना हो।
”तुमने पूनम के साथ ऐसे ही किया होगा ना?” प्रीती ने पूछा, वो थोड़ा और पीछे खिसक गयी, और मैंने अपनी बाँहें उसके कन्धों पर से हटा लीं और मैं सोफ़े पर बैक का सहारा लेकर बैठ गया। मैंने सोचा कि किसिंग अब खत्म हो गयी है, लेकिन फ़िर भी मुझे कुछ कुछ हो रहा था।
”हाँ काफ़ी कुछ इसी तरह से,” मैंने कहा।
”एक बार फ़िर से करना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा। उसकी आवाज में उत्सुकता था, और वो मुझे उकसा रही थी। इससे पहले कि मैं कुछ जवाब देता, वो घूमकर मेरे सामने आ गयी और अपनी लम्बी सुडौल टांगें मेरी गोद में रख दीं, और थोड़ा पीछे खिसक कर सोफ़े की साईड का सहारा लेकर बैठ गयी। मैं अभी तक चुप था और वो बोले जा रही थी, ”इमेजिन करो कि मैं अभी जो हम मूवी देख रहे थे उसकी हिरोइन हूँ और तुम हीरो।” वो बिना हिले वैसे ही आराम से अधलेटी होकर बैठी थी, उसकी टाँगें मेरी गोद में थीं, मैं उसको निहार रहा था। मैं घूमकर उसके सामने आ गया, और मैंने दोनों हाथ एक क्षण को उसकी टाँगों की पिंडलियों पर रख दिये, और उसकी कोमल मुलायम त्वचा को स्पर्ष करने लगा। मैंने मुँह में आया हुआ थूक निगला, और फ़िर थोड़ा आगे बढा, और प्रीती की टाँगों पर हाथ ऊपर खिसकाने लगा, उसके घुटनों के ऊपर, और फ़िर मैं सोफ़े पर ही थोड़ा और उसके ऊपर आ गया, मैं उसके ऊपर तो था लेकिन मेरा पूरा भार मेरी कोन्हीयों पर ही था, और मेरी बाँहें उसके कन्धों के पीछे। मैंने प्रीती के मुँह पर दबाकर किस किया, जैसे मूवी में उस हीरो ने किया था। उस मूवी में किस करते हुए जीभ का भी भरपूर इस्तेमाल दिखाया गया था, तो मैंने भी प्रीती के मुँह में धीरे से अपनी जीभ घुसा दी। एक पल को उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में पूरी तरह विचरण करने दिया। मैं बेहद उत्तेजित हो गया था, और मुझे ऐसा लग रहा था नस नस में उबाल आ रहा हो।
हम दोनों इसी तरह कुछ मिनट तक बिना कुछ बोले, एक दूसरे के मुँह के कोने कोने की जीभ से तलाशी लेते हुए किस करते रहे। ये सब अपने आप हो रहा था क्योंकि हम दोनों में से ही किसी को भी इस चीज का कोई तजुर्बा नहीं था। इसी बीच हम दोनों अपने आप सोफ़े पर इस पोजीशन में आ गये कि मैं अपनी बाँयीं तरफ़ साईड से लेटा हुआ था और प्रीती अपनी दाँयीं तरफ़ साईड से मुझसे चिपकी हुई थी। हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाँहों मे भर रखा था, और मैं उसकी चूँचियों को अपनी छाती से दबता हुआ मेहसूस कर रहा था, जिससे मजा दोगुना हो रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सचमुच में हो रहा है, और जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर फ़िराया, तो मेरा हाथ उसकी नंगी कमर को छू रहा था क्योंकि उसका टॉप सोफ़े पर इस तरह इधर उधर खिसकने से ऊपर सरक गया था।
उसकी त्वचा का स्पर्श सुख जादुई था, और जैसे ही मैंने अपना हाथ थोड़ा और सरकाया, मेरा हाथ उसके डेनिम शॉर्ट के वेस्ट बैण्ड को छूने लगा। जब मेरा दाँयां हाथ उसके शॉर्ट के वेस्ट बैण्ड पर था तब मैं अँगुठे से उसकी कमर के निचले हिस्से को सहलाने लगा, तभी प्रीती ने किस को ब्रेक कर अपने सिर थोड़ा पीछे कर लिया। मैं उसकी गर्म गर्म साँसों को अपने चेहरे पर मेहसूस करने लगा, और तभी वो फ़ुसफ़ुसाते हुए बोली, ”क्या तुमने कभी किसी लड़की को नीचे वहाँ टच किया है?”
मैंने अपनी गर्दन जोर से ना के इशारे में हिलायी, लेकिन उसके सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। जिस तरह से हम दोनों भाई बहन किस कर रहे थे, उसके बीच इस तरह कुछ भी बोल पाना मेरे लिये बहुत मुश्किल था, लकिन एक प्रीती थी जो मुझसे ये सवाल पूछ रही थी। क्या वो सचमुच कुछ और भी आगे करना चाहती थी?
”टच करना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा।
टच करना चाहोगे? ये तो किसी प्यासे से पानी पीने की इच्छा है क्या? इस तरह का सवाल पूछने जैसा था। फ़िर भी मैंने इस तरह जवाब दिया मानो मुझे इस से कोई ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता, ”अगर तुम मुझे टच करने दोगी तो।”
प्रीती करवट लेकर अपनी पींठ के बल लेट गयी, मेरी दाँयीं बाँह अभी भी उसके ऊपर थी, और मैंने उसको कमर पर से इस तरह पकड़ रखा था जिस से वो सोफ़े से नीचे ना गिर जाये। उसने हाथ नीचे ले जाकर अपने डेनिम शॉर्ट का बटन खोला, और फ़िर उसकी ज़िप खोल दी। उसने मेरी तरफ़ उम्मीद भरी नज़रों के साथ देखा, मानो कह रही हो कि अगला कदम मुझे उठाना होगा। मैं असमंजस में था कि वो मुझसे अपना नेकर उतरवाना चाहती है या फ़िर ऐसे ही अपने नेकर में मेरा हाथ घुसवाकर मुझे टच करने देना चाहती है। मैंने उसके खुले हुए जिपर को देखा और मुझे उसकी अन्दर पहनी हुई नीले रँग की पैन्टी दिखायी दी, फ़िर मैंने नजर उठाकर उसके चेहरे की तरफ़ देखा। प्रीती ने अपने हिप्स थोड़ा ऊपर उठा लिये, और हाथ नीचे ले जाकर अपना शॉर्ट घुटने तक नीचे कर दिया, अब वो मेरे सामने नीले रँग की पैन्टी पहने लेटी हुई थी।
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि मुझे क्या करना चाहिये, लेकिन किसी तरह मैंने अपना दाँया हाथ ले जाकर उसके नेकर के ऊपर घुमाने लगा। मैं उसके वहाँ छूना चाहता था, लेकिन ये अनुभव मेरे लिये एकदम नया और अनजान था कि मैं कन्फ़्युज था कि मैं क्या करूँ। सैक्स की सारी फ़ैन्टेसीज में तो मैं सभी लड़कियों को बेझिझक टच करता था, उनको खूब मसलता था और फ़िर ज़ी भर के उनकी चुदाई किया करता था, और आज जब असलियत में लड़की मेरे सामने थी, और वो लड़की भी कोई और नहीं, मेरी सगी छोटी बहन तो मेरी गाँड़ फ़ट रही थी।
मैंने धीमे से पैण्टी के ऊपर से ही अपना हाथ उसके झाँटों के त्रिकोण के ऊपर रखा, और अपनी छोटी ऊँगली को उसकी टाँगों के बीच घुसा के, उस से सहलाने लगा। उसकी चूत से निकल रही गर्माहट को मैं मेहसूस कर रहा था, और मैं भी बहुत एक्साईटेड हो रहा था। प्रीती ने मुझे फ़िर से किस किया, उसके मुलायम गर्म होंठ मेरे होंठों को छू रहे थे, और फ़िर वो बोली, ”तुम इसको उतार क्यों नहीं देते?”
मैंने अपने आप पर काबू रखते हुए पैण्टी के वेस्टबैण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर पैण्टी को थोड़ा सा खींचकर नीचे कर दिया, और मैं पहला व्यक्ति था जिसने प्रीती की झांटों को पहली बार देखा था। प्रीती की झांटों को देखकर मुझे कुछ कुछ होने लगा, और जैसे ही प्रीती ने अपनी गाँड़ थोड़ा सा ऊपर उठायी मैंने उसके नेकर को नीचे तक खिसका दिया, लेकिन जिस पोजिशन में हम दोनों उस वक्त थे, उसको पूरी तरह उतारना सम्भव नहीं था। ”एक मिनट,” प्रीती ने धीमे से कहा, ”मैं इसको खड़े होकर उतार देती हूँ।”
जैसे ही मैंने अपनी बाँह को उसके ऊपर से उठाया, वो उठ कर खड़ी हो गयी, और अपने नेकर को उसने फ़र्श पर गिर जाने दिया, और फ़िर उसको अपने पैरों में से निकाल दिया। फ़िर वो सोफ़े पर मेरे पास मेरी दाँयीं तरफ़ सोफ़े के आर्म रैस्ट का सहार लेकर बैठ गयी, और फ़िर उसने अपने नीली पैण्टी को भी उतार कर सोफ़े के पास फ़र्श पर रख दिया। जिस तरह कुछ पल पहले उसकी झाँटों की झलक ने मुझे बेकरार कर दिया था, उसी तरह उसकी नँगी चूत की एक झलक पाकर मेरी साँसें रुक गयीं, और जिस तरह की फ़ीलिंग मुझे मुट्ठ मारते समय हुआ करती थी वैसी सी फ़ीलिंग मुझे होने लगी। अभी तक नँगी चूत मैंने बस गंदी मैगजीनों में या फ़िर पॉर्न वीडियोज में ही देखी थी। ”कम ऑन” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली, ”मैं देखना चाहती हूँ कि जब कोई लड़का मुझे वहाँ टच करता है तो कैसा फ़ील होता है।” मैं सोफ़े पर खिसक कर प्रीती के सामने झुक गया, और धीमे से उसके नँगें खुले हुए झाँटों के त्रिकोण पर अपना हाथ रख दिया, और उसकी झाँटों को अपने हाथ से सहलाने लगा। प्रीती की झाँटों के बाल नैचुरल काले और ज्यादा घने नहीं थे, और त्रिकोणीय शेप लिये हुए थे।
मैंने धीमे धीमे अपने दाँयें हाथ की उँगलियाँ प्रीती की जाँघों के बीच घुमाना शुरु कर दिया, और उसकी चूत के ऊपर भी टच करने लगा, लेकिन मैंने अपनी उँगली उसकी चूत में घुसाने का ट्राई नहीं किया। उसने मेरी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा और बोली, ”बहुत अच्छा लग रहा है।” मैंने अपनी उँगली कि साइड को चूत की फ़ाँक पर नीचे से उपर तक लेजाकर एक दो बार सहलाया और फ़िर उसकी झाँटों को सहलाने लगा। हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसाकर फ़्रैन्च किस कर रहे थे, और मैं साथ साथ उसकी चूत को बाहर से ही घिसते हुए सहलाये जा रहा था। जब हमने किस करना बंद किया तो मैं झुककर अपना मुँह नीचे प्रीती की चूत के पास ले गया, और मैंने पहली बार किसी लड़की की चूत की मादक गँध का अनुभव किया। वो गँध ना सिर्फ़ मादक थी बल्कि इतनी ज्यादा सैक्सी और उत्तेजक थी कि उसको सूँघकर किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाये। हाँलांकि मेरा हाथ मेरे लण्ड पर नहीं था, लेकिन फ़िर भी मुझे वो मुट्ठ मारने वाली फ़ीलिंग का एहसास होने लगा।
प्रीती मुझे ये सब करते हुए अचरज से देख रही थी, तभी मैंने उसके चेहरे की तरफ़ देखा और फ़िर अपने चेहरे की लेफ़्ट साईड को उसकी झाँटों के ऊपर टिका दिया, और उसकी झाँटों को अपने गालों से मेहसूस करने लगा, और उसकी चूत की मादक गँध को सूँघते हुए उसकी चूत को बाहर से सहलाने लगा। मैंने उसकी चूत में ऊँगली घुसाने की कोई चेष्टा नहीं की, मुझे इस बात का भी कहीं ना कहीं डर था कि मैं कहीं मर्यादा की सीमा ना लाँघ जाऊँ, इसलिये मैं अपनी बहन के गुप्ताँगों को सिर्फ़ बाहर से ही छू रहा था। जब से प्रीती ने पैण्टी उतारी थी, उसके बाद से हमारे बीच शायद ही कोई सँवाद हुआ था।
कुछ पल के बाद मुझे प्रीती के चूतड़ देखने का मन किया, मैंने प्रीती के लैफ़्ट हिप पर अपना हाथ रख दिया और धीमे से अपनी तरफ़ खींचा, वो मेरा इशारा समझ गयी और अपने पेट के बल औंधी लेट गयी, और अपना सिर बायीं तरफ़ कर लिया जिससे वो देख सके कि मैं क्या कर रहा हूँ। प्रीती का पिछ्वाड़ा एक्दम मस्त था, उसकी कसी हुई गाँड़ का मैं मन भर के देखा करता था जब वो जीन्स या डेनिम शॉर्ट पहना करती थी। और आज अभी वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी, क्या मस्त नजारा था। प्रीती अपनी स्किन की बॉडी लोशन, मॉइशचराईजर लगाक बहुत देखभाल करती थी इस वजह से उसकी स्किन एकदम चिकनी और गोरी थी। मैंने अपना राईत हैण्ड उसके राईट हिप पर रख दिया और धीरे धीरे उसको सहलाने लगा, और फ़िर अपनी ऊँगलियाँ उसके बट क्रैक में घुसाने लगा, मैं उसकी गाँड़ के गुलाबी छेद से कुछ पहले रुक गया। प्रीती के गुप्तांगों को इस तरह देख कर मेरा गला सूख गया था, और मेरे पूरे बदन में उत्तेजना की झुरझुरी सी दौड़ रही थी। एक क्षण को मेरे दिमाग में विचार आया कि प्रीती की गाँड़ को देखकर मुझे ये क्या हो रहा है, लेकिन मैं उसका दीदार कर के इस कदर खोया हुआ था कि मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था। मैंने झुककर प्यार से धीमे से उसकी बट क्रैक को ऊपर से चूम लिया, और उसकी स्किन की गन्ध को सूँघने लगा, और फ़िर मैंने उसके राईट हिप को गाँड़ के छेद के बेहद करीब, जितना करीब मेरा मुँह जा सकता था, वहाँ चूम लिया। मैं अपनी छोटी बहन के अर्ध नग्न बदन को देखकर, सहलाकर और उसके साथ अपनी इच्छानुसार खेलकर, किस कदर एक्साईटेड हो गया था, उसको शब्दों में बयान कर पाना नामुमकिन है।
मैंने अपने घुटनों के ऊपर आ रहे वजन को अपने राइट घुटने पर लिया और अपनी राईट हथेली से प्रीती की राईट जांघ के पिछले चिकने हिस्से को सहलाने लगा, और एक पल को मैंने अपना लैफ़्ट गाल उसके राईट हिप पर रख दिया, और एक बार फ़िर से उसको वहाँ किस कर दिया, और अपना लैफ़्ट हाथ बढाकर अँगुठे और ऊँगली से उसकी गाँड़ की गोलाईयों को प्यार से अलग अलग करते हुए उसकी कुँवांरी चूत के छोटे से छेद को देखने लगा। एक बार फ़िर से मैंने अपनी पहली ऊँगली से उसकी चूत की स्लिट को ऊपर से नीचे तक सहलाया, लेकिन उसमें अन्दर घुसाने का कोई प्रयास नहीं किया, बस उसकी चूत से निकल रही चिकनाई को अपनी ऊँगली को ऊपर नीचे करते हुए मेहसूस करता रहा।
प्रीती बहुत देर से कुछ नहीं बोली थी, लेकिन उसने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछा, ”क्या तुम को मुझे इस तरह से टच कर के अच्छा लग रहा है?”
”हाँ,” मैंने अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, मेरी नजरें अभी भी उसकी चूत के द्वार को निहार रही थीं।
”मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है,” वो धीमे से बोली। ज़ब से हमने किस करना शुरु किया था तभी से मेरा लण्ड एक दम लक्कड़ बना हुआ था, और मैं मुट्ठ मारने को बेकरार हो रहा था, लेकिन इस परिस्थिति में ऐसा करना सम्भव नहीं था। एक ऐसे लड़के के लिये जिसको चुदाई का कोई अनुभव ना हो, मेरा ऑर्गस्म और सेक्चुअल रिलीज का जो अनुभव था वो बस मुट्ठ मारने तक ही सीमित था, इसलिये मेरे दिमाग में बस वो करने के ही ख्याल आ रहे थे। और आखिरकार प्रीती मेरी बहन थी, और छूने की सीमा को लाँघने का मुझे ख्याल भी नहीं आ रहा था, मैं तो बस उसको इसी तरह छूते रहना चाहता था, जब तक वो मुझे ऐसा करने देती।
मैं अपने घुटनों के बल उपर खिसक कर अपना चेहर प्रीती के सिर के पास ले आया, और जब वो अपने कन्धे के ऊपर से मेरी तरफ़ पीछे की तरफ़ देख रही थी, तभी उसके होंठों को चूम लिया। जब मैंने किस करना बन्द किया तो फ़िर से वो पींठ के बल सीधी लेट गयी, और अपने होंठों को चूमने के लिये मुझे फ़िर से ऑफ़र कर दिया। उसने बिना कुछ बोले, चूमते हुए अपने बाँयें हाथ से मेरी गर्दन को हल्के से पीछे से पकड़ लिया। हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसाकर किस कर रहे थे। एक बार फ़िर से ये एक लम्बी, प्यार से भरी और सैक्सी किस थी, मैं एक्साईट्मेंट में बेकरार हुए जा रहा था।
जब हमने किस करना बंद किया, तो एक बार फ़िर से मैंने प्रीती की नंगी चूत की तरफ़ देखा, और मैंने अपना दाँयां हाथ बढाकर उसकी चूत को छू लिया, और अपनी पहली उँगली की साईड को उसकी चूत की फ़ाँक पर रख दिया। प्रीती ने अपना बाँयां हाथ बढाकर मेरे हाथ को वहीं की वहीं पकड़ लिया, और मेरी तरफ़ देखने लगी। उसने कहा ”विशाल,” शायद वो कुछ पूछना चाहती थी। मैंने घूमकर उसकी तरफ़ देखा, और उसने पूछा, ”क्या तुम भी अपने आप को वहाँ टच करते हो?”
”नहीं,” मैंने झूठ बोला।
”सचमुच,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए पूछा, और फ़िर बोला, ”पूनम तो बता रही कि सब लड़के वहाँ अपने आप टच करते हैं।”
“सब लड़के नहीं करते,” मैंने कहा, शायद मेरी आवाज में वो विश्वास नहीं था, और बनावट साफ़ झलक रही थी। मेरी मम्मी मुझे एक बार मुट्ठ मारते देख चुकी थीं, और उनका वो रिएक्शन और फ़िर वो लैक्चर जो उन्होने मुझे दिया था उससे मुझे बहुत शर्मींदगी मेहसूस हुई थी, हाँलांकि मैं फ़िर भी रोजाना मुट्ठ मारा करता था। मैं चाहता था कि प्रीती बातों का टॉपिक चेन्ज कर दे।
”तुम सच बोल रहे हो?” प्रीती ने मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा। वो बार बार पूछकर मुझसे सच उगलवाना चाह रही थी, और मुझे बचने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था।
मैं चुप रहा, मैं चाहता था कि वो बोर होकर बात बदल देगी, लेकिन प्रीती ने कहा, ”मैं तो करती हूँ,” और फ़िर साथ में जोड़ दिया, ”कभी कभी।”
मुझे ये सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ, इस विषय पर बात करने में हाँलांकि मैं कम्फ़र्टेबल नहीं था, लेकिन मैं भी सब कुछ क्लियर कर देना चाहता था, मैंने झिझकते हुए कहा, ”ओके, मैं भी कभी कभी करता हूँ।” प्रीती को ये सुनकर बहुत अच्छा लगा।
”क्या तुमको ऐसा करने में मजा आता है?” प्रीती ने पूछा।
”हाँ भाई, तभी तो सब करते हैं,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
”तुम कबसे कर रहे हो?” उसने पूछा।
”मुझे याद नहीं, शायद सदियों से” मैंने जवाब दिया।
”मैंने कहीं पढा है, जब लड़कों को ऑर्गस्म होता है तो वहाँ से स्पर्मस का पानी निकलता हैं, क्या तुम्हारे भी निकलते हैं?”
प्रीती ने उत्सुकता से पूछा। मैंने उसकी नंगी चूत की तरफ़ देखने लगा, मेरा हाथ अभी भी उसके ऊपर रखा हुआ था, मैं मन ही मन सोचने लगा कि कितना मजा आयेगा अगर इस तरह एक हाथ उसकी नंगी चूत पर रखकर, उसकी चूत को निहारते हुए, उसकी चूत की गँध को सूँघते हुए मैं मुट्ठ मारूँ। मैंने उसके सवाल के जवाब में बस हामी में गर्दन हिला दी। मैं मुट्ठ मारकर लण्ड से निकलने वाले वीर्य के पानी के बारे में कोई डिस्कशन नहीं करना चाहता था, लेकिन अब जब प्रीती ने पूछ ही लिया था तो मैंने गर्दन हिलाकर कहा, ”हाँ।”
अब मेरी बारी थी, मैंने उसकी तरफ़ देखते हुए पूछा, ”और तुम कैसे होती हो?”
”कुछ महीनों से,” उसने बोलना शुरु किया, ”मेरा भी वहाँ से पानी निकलता है, लेकिन शुरु में नहीं निकलता था।” उसने अपने बाँयें हाथ से मेरे राईट हैण्ड को अपनी चूत की स्लिट पर और जोर से दबा दिया, और बोली, ”जब मैंने शूरुआत में करना शुरु किया था तो बहुत मजा आता था।” उसने स्वीकरोक्ति के लिये मेरी आँखों में आँखें डाल के देखा, और बोली, ”मेरा मतलब बहुत मजा लेकिन जैसे जैसे मैं एक्स्पीरिएन्स्ड होती गयी तो और ज्यादा मजा आना शुरु हो गया, यू नो?” उसने एक गहरी साँस ली, और फ़िर आगे बोलना शुरु किया, ”और पिछले कुछ दिनों से तो मुझे पहले ही पता चल जात है कि अब मैं होने वाली हूँ और इतना ज्यादा मजा आता है कि होने के बाद मेरा पूरा शरीर हल्का हल्का हो जाता है।”
मेरा मुँह और गला पूरी तरह सूख चुके थे, और बोलने से पहले मैंने थूक निगला और फ़िर मुस्कुराते हुए बोला, ”स्कूल में एक दोस्त ने मुझे बताया, उससे पहले मुझे नहीं पता था कि लड़कियाँ भी ये करती हैं।”
”हाँ लड़कियाँ भी करती हैं, ऑल राईट,” प्रीती भी मुस्कुरा दी। मेरा दायाँ हाथ उसकी चूत की गर्माहट और चिकनाहट मेहसूस कर रहा था।
”हाँ लड़कियाँ भी करती हैं, ऑल राईट,” प्रीती भी मुस्कुरा दी। मेरा दायाँ हाथ उसकी चूत की गर्माहट और चिकनाहट मेहसूस कर रहा था।
”मुझे एक आईडिया आया है,” प्रीती धीमे से बोली, ”अगर मैं अपने आप वहाँ पर टच करूँ और तुम देखो, तो क्या तुम भी मुझे दिखाओगे कि तुम कैसे करते हो?”
किसी के सामने मुट्ठ मारने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता था, लेकिन अगर बदले मे, प्रीती को करते हुए देखने का चाँस मिल रहा था, तो मैंने सोचा क्यों नहीं?” लेकिन फ़िर मैंने प्रैक्टीकल आस्पेक्ट देखे, और दूसरी तरफ़ देखते हुए धीमे से कहा, ”यहाँ सोफ़े पर ठीक नहीं रहेगा।”
”क्यों” प्रीती ने पूछा। उसके शायद समझ में नहीं आया, या उसको इसका आईडिया नहीं था।
मुझे थोड़ा असहज लगा, लेकिन फ़िर भी मैं मुस्कुराकर बोला, ”यहाँ सब गँदा हो जायेगा,” फ़िर से उसकी नँगी चूत की तरफ़ देखते हुए बोला। इस बार मैंने उससे नजर चुराने के लिये ऐसा किया था।
प्रीती ने एक गहरी साँस ली, और फ़िर बात को समझते हुए पूछा, ”सच में? क्या इतना ज्यादा निकलता है?”
मैंने सरलता से कहा, ”ढेर सारा।”
”मेरे रूम में करना पसंद करोगे?” प्रीती ने पूछा। उसकी आवाज में मुझे हैल्प करने वाली टोन थी।
पूछने से पहले मैं थोड़ा अचकचाया, लेकिन फ़िर मैंने पूछा, ”तुम्हारे पास हैण्ड क्रीम तो होगी ना?” उसने कुतिलता से मुस्कुराते हुए, हाँ में गर्दन हिला दी। उसकी चूत गर्म और चिकनी हो रही थी, और उसने जब अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर से हटा लिया, तो मैंने भी अपना हाथ अनमने मन से उसकी चूत के ऊपर से हटा लिया।
प्रीती ने मेरे होंठों को एक बार फ़िर से किस किया, और फ़िर उठ कर खड़ी हो गयी। उसकी चूत मेरी आँखों को चुम्बक की तरह आकर्षित कर रही थीं, और मैं अपने आप को वहाँ देखने से नहीं रोक पा रहा था। उसने अपने आप को नीचे की तरफ़ देखा, और फ़िर मुझे देखा, उसकी आँखों मे एक चमक थी, वो मुस्कुराते हुए बोली, ”कम ऑन, बहुत मजा आयेगा।” उसने फ़र्श पर पड़े अपने शॉर्ट और पैण्टी को उठाया और अपने रूम की तरफ़ चल दी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब सचमुच में हो रहा था, मैं भी उठकर प्रीती के पीछे पीछे चल दिया, चलते हुए मेरी नजरें उसकी नंगी गाँड़ पर टिकी हुई थीं। मैं इस बारे में बिल्कुल नहीं सोच रहा था कि किसी अन्य व्यक्ति के सामने मुट्ठ मारते हुए मैं क्या करने वाला था, मैं तो बस यही सोचने में मशगूल था कि प्रीती अपनी चूत में उँगलियों से खेलने वाली थी और वो भी मेरी आँखों के सामने।
जब हम दोनों उसके रुम में घुस गये तो प्रीती ने पूछा, ”हम कैसे करने वाले हैं?” उसने मेरी जीन्स को देखा, जिसमें मेरे लण्ड का उभार साफ़ नजर आ रहा था, उसको देखकर उसने एक गहरी साँस ली।
”एक दूसरे के पास लेटकर,” मैंने कहा, हाँलांकि एक्साइट्मेन्ट के बावजूद ऐसा बोलते हुए मैं थोड़ा असहज हो गया। प्रीती ने ड्रैसिंग टेबल से उठाकर मुझे एक हैण्ड क्रीम की ट्यूब दे दी, और पूछा, ”सही रहेगी ये?” उसे क्या पता था कि मैंने उससे उसकी हैण्ड क्रीम इसी परपज मे लिये ना जाने कितनी बार उसकी अनुपस्थिति में उसके रूम से उठाकर यूज की थी। जब उसने वो क्रीम मेरे हाथ में दी तो मैंने हामी में गर्दन हिला दी।
प्रीती जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहती थी, वो तुरन्त बैड पर चढ गयी, और एक तरफ़ खिसककर मेरे लिये जगह बना दी।
मैं भी बैड पर प्रीती के राइट साइड में सहारा लगाकर बैठ गया। ”क्या तुम देखना चाहोगे कि लड़कियाँ किस तरह करती हैं?” उसने प्यार से पूछा। मैंने कुछ ज्यादा ही बेकरार होते हुए तुरन्त कहा, ”हाँ जरुर।”
प्रीती ने अपने राइट हैण्ड की पहली उंगली को मुँह में डालकर चाटा, और कहा, ”जनरली मैं अपनी उँगली को गीला कर के शुरुआत करती हूँ, लेकिन,” एक क्षण को वो रुकी, मेरी तरफ़ देखा, ”जब तुम मुझे टच कर रहे थे तो मैं ऑलरेडी थोड़ी वैट हो गयी थी।” उसने मेरी तरफ़ सर कर के मेरे होंठों को फ़िर से चूम लिया, सोफ़े से उठने के बाद हमने पहली बार किस किया था। उसने आगे कहा, ”वैसे उसमें भी बहुत मजा आया।”
प्रीती ने अपनी उँगली अपनी चूत की दरार पर रख ली, और धीरे धीरे उस्को सहलाने लगी। मैं थोड़ा और ज्यादा उठ कर बैठ गया जिससे और बेहतर ढंग से देख सकूँ कि वो क्या कर रही है, और मैंने देखा कि उसकी उंगलियाँ चूत के अंदरूनी लिप्स को प्यार से अलहदा कर रही थीं। बिना मेरी तरफ़ देखे उसने कहा, ”नॉर्मली, थोड़ा ज्यादा टाईम लगता है, लेकिन एक बार जब मैं वैट हो जाती हूँ तो उससे मैं अपनी क्लिट को भी वैट कर लेती हूँ, और फ़िर प्यार से अपनी इस क्लिट ऐसे को सहलाती रहती हूँ।” मैं प्रीती को अपनी चूत के दाने यानि क्लिट को सहलाते हुए देख रहा था, और ये देख कर अचम्भित था कि वहाँ उसकी उँगलियों पर और उसकी चूत के होंठो के बीच ऑलरेडी कितना सारा जूस था।
उसने मेरे लण्ड के उभार की तरफ़ देखते हुए कहा, ”अब तुम भी मुझे दिखाओ कि तुम कैसे करते हो।”
मुझे मुट्ठ मारनी थी, हाँलांकि किसी दूसरे के सामने में ऐसा करना थोड़ा अजीब था, लेकिन प्रीती जिस तरह से मेरे सामने अपने आप को टच कर रही थी, मैंने अपनी जीन्स का बटन खोलकर उसको पैरों के नीचे खिसका कर बैड के पास के पास रख दिया। मैंने अपना अण्डरवियर भी उतार दिया, लेकिन सिर्फ़ इतना कि मेरा लण्ड और टट्टे ही बाहर निकले। मेरा लण्ड एकदम लक्क्ड़ बना हुआ था, हाँलांकि वो इतना बड़ा नहीं था, लेकिन फ़िर भी प्रीती ने उसको अचम्भित होकर देखते हुए पूछा, ”ये इतना बड़ा लड़कियों के वहाँ पर कैसे घुस जाता है?”
मेरे दिमाग में और कोई जवाब नहीं सुझा और मैंने कहा, ”हाँ घुस ही जाता होगा।” प्रीती ऑलरेडी लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी, और उसकी छाती जोरों से ऊपर नीचे हो रही थी, उसने अपनी चूत को सहलाना थोड़ा स्लो किया और कहा, ”मैं थोड़ा स्लो स्लो करती हूँ, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारे शुरू करने से पहले ही मैं हो जाऊँ।” उसने मेरे खड़े हुए लण्ड की तरफ़ देखा, और उत्सुकता से मुस्कुराते हुए अपनी चूत को प्यार से टच करने हुए बोली, ”कम ऑन, शो मी।”
मैंने उसकी हैण्ड क्रीम को थोड़ा सा हाथ पर लिया, और फ़िर उस को हथेली पर लेकर उससे अपने लण्ड को चिकना किया। और फ़िर अपनी हथेली को अपने लण्ड के गिर्द लपेटा, जैसा की मैं हमेशा किया करता था, और फ़िर उसको ऊपर नीचे करके मुट्ठियाते हुए अपने चिर परिचित परमानंद को प्राप्त करने का प्रयास करने लगा। मैं प्रीती को किस करने के बाद और उसकी चूत को सहलाने के बाद झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुका था, लेकिन किसी तरह मैं अपने आप पर काबू किये हुए था, जिस से क्लाइमेक्स को थोड़ा और डिले किया जा सके। मैं प्रीती के झड़ने से पहले अपना वीर्यपात नहीं होने देना चाहता था।
”कितना टाईम लगता है तुमको?”
”डिपेण्ड करता है,” मैंने अपने लण्ड को मुट्ठियाते हुए कहा, ”अगर तुम होल्ड कर सकती हो, तो मैं और ज्यादा देर तक रुक सकता हूँ।”
”तो क्या तुम अपने आप को होल्ड किये हुए हो?” प्रीती ने पूछा।
”हाँ, थोड़ा होल्ड कर ही रखा है,” मैं मस्ती में डूबता हुआ बोला, ”मैं चाहता हूँ कि मेरा पानी निकलने से पहले तुम झड़ जाओ।”
”ओफ़्फ़ो, विशाल हो भी जाओ,” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली, ”मैं सच कह रही हूँ, मैं तुमको होते हुए देखना चाहती हूँ, उसके बाद तुम मुझको होते हुए देखना।” प्रीती अपनी चूत को धीरे धीरे प्यार से सहला रही थी, लेकिन फ़िर यकायक उसने अपना हाथ अपनी चूत से हटा लिया, और फ़िर अपनी राईट साईड में करवट लेकर, मेरे और करीब आते हुए पूछा, ”मै इसको थोड़ा छू लूँ?”
मैं तो जल्दी से जल्दी अपने लण्ड से वीर्य निकाल कर ऑर्गस्म पाने को बेताब हो रहा था, लेकिन इस अवसर को खोना बेवकूफ़ी होती। मैंने अपना हाथ लण्ड से हटा लिया, और प्रीती ने प्यार से अपना लैफ़्ट हैण्ड मेरे खड़े औजार पर लपेट लिया। ”ओह, विशाल,” वो बोली, ”ऐसा लग रहा है मानो इसके अन्दर सॉलिड बोन हो!” उसने लण्ड के सुपाड़े और शिश्न पर अपने अँगुठे को फ़िराया, मैं तो इस एहसास से जन्नत में पहुँच गया, और फ़िर वो उसको अपने बाँये हाथ से उसी तरह मुट्ठियाने लगी जैसे मैं मुट्ठियाता था।
”तुम भी ऐसे ही करते हो ना?” प्रीती ने पूछा।
”हाँ,” मैंने कहा, ”बहुत मजा आ रहा है,” प्रीती को मुट्ठियाते हुए देखकर मैं होशो हवास खो बैठा था। उसका हाथ हाँलांकि बिल्कुल सूखा था, लेकिन फ़िर भी बहुत मजा रहा था। उसने मुट्ठियाना यकायक रोक दिया और कहा, ”म्मुझे लगता है कि थोड़ी सी वो क्रीम लगा लेनी चाहिये।” उसने मेरे बैडसाईड के राइट पर रखी उस क्रीम की ट्यूब को उठाने के लिये मेरे ऊपर चढकर हाथ बढाया, ऐसा करते हुए उसकी लैफ़्ट चूँची मेरे चेहरे को छू गयी, और उसकी झाँटें मेरे लैफ़्ट हिप और पेट को सहला गयीं। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया।
प्रीती सहारा लेकर बैठ गयी, और अपनी बायीं हथेली पर थोड़ी सी क्रीम ली, और फ़िर ट्यूब को नीचे फ़र्श पर अपनी बायीं तरफ़ फ़ेंक दिया। और फ़िर वो अपनी दायीं तरफ़ करवट लेकर लेट गयी, और अपने बाँयें हाथ से मेरे लण्ड को मुट्ठियाने लगी। ”मैं जब ऐसे कर रही हूँ, तो अच्छा लग रहा है तुमको?” उसने मेरी तरफ़ देखते हुए, और मेरे लण्ड को हिलाते हुए पूछा। मुझे बेहद मजा आ रहा था, लेकिन ये सब मैं इतने सालों से अपने आप कर रहा था, और अभ्यस्त हो चुका था कि ये कैसे किया जाता है, लेकिन प्रीती ने ये सब पहले कभी नहीं किया था, इसलिये ये बेहद रोमांचक था कि वो मेरे लण्ड को मुट्ठिया रही थी, लेकिन वो मजा नहीं आ रहा था हो मुझे अपने आप करने में आता था, लेकिन फ़िर भी मैंने कहा, ”तुम बहुत अच्छा कर रही हो।” वो अपनी प्रशंसा सुनकर मुस्कुरा दी, और मेरे लण्ड को मुट्ठियाते हुए , मेरे होंठों पर किस करने को झुक गयी।
”लो अब तुम अपने आप हो जाओ,” प्रीती ने मेरे तन कर खड़े लण्ड को देखकरे मुट्ठियाते हुए कहा। ”मैं तुमको झड़ते हुए देखना चाहती हूँ।” उसने मेरे लण्ड को छोड़ दिया, और मेरी तरफ़ उम्मीद भरी नजरों के साथ देखा। मैं अपने लण्ड को अपने हाथ मे लेकर मुट्ठियाने लगा, मेरे टट्टों की गोलीयों में प्रेशर बढने लगा था, प्रीती ने मेरे होंठों पर एक-दो बार फ़िर से सॉफ़्ट किस करते हुए अपने होंठों को मेरे होंठों पर काफ़ी देर तक रखे रही, और फ़िर मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा, और फ़िर अपनी पींठ के बल सीधी लेट कर मेरे शो का मजा लेने लगी। मुट्ठियाते हुए प्रीती के किस करने से मजा दोगुना हो गया था, और मुझे लग रहा था कि ऑर्गस्म ज्यादा दूर नहीं है।
मैं अपने लण्ड को हमेशा की तरह सहलाते हुए मुट्ठ मार रहा था, मजा बढता जा रहा था, और शायद ज्यादा उत्तेजना की वजह से, प्रीती को किस करना, उसके नंगे बदन को सहलाना, उसको अपनी चूत को सहलाते हुए हस्तमैथुन करते हुए देखना, और इस तरह प्रीती के मेरे पास लेटे होने की वजह से, मेरे लण्ड के नीचे की तरफ़ से हमेशा से कहीं ज्यादा वेग के साथ, वीर्य का लावा यकायक विस्फ़ोट की तरह फ़ूट पड़ा, और अचानक ही मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ बिना किसी कन्ट्रोल के निकलने लगीं।
”ओह गॉड, लुक ऐट दैट!” प्रीती ने अचम्भित होकर आँखें फ़ाड़ कर पिचकारी की पहली धार को देखते हुए कहा, जो चरम सुख, एक मीठे आनंद के साथ मेरी छाती पर आकर गिरी, उसके बाद दो और मोटी मोटी वीर्य की क्रीम भरी पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई मेरे पेट पर आ गिरीं, चौथी पिचकारी प्रीती के बाँयें कन्धे पर आकर गिरते ही वो अचकचा गयी और बोली, ”ओह विशाल, ये ते मेरे ऊपर गिर गया!” और अन्तिम पिचकारी मेरी राईट तरफ़ बैडशीट पर आ गिरी, और उसके बार लण्ड में से किसी ज्वालामुखी में से लावा की तरह बाकी वीर्य मेरे हाथ पर गिरकर बहने लगा। ”दैट्स इन्क्रेडिबल!” प्रीती अचम्भित होते हुए बोली। ”लुक एट इट, ये सब जगह फ़ैल गया है, मेरे ऊपर भी!”
नॉर्मली, मुट्ठ मारने के बाद हाँलांकि मुझे संतुष्टी तो मिलती थी लेकिन साथ साथ मुझे एक प्रकार की ग्लानि भी हुआ करती थी, लेकिन इस बार मुझे थोड़ी ज्यादा सन्तुष्टी तो मिली ही थी लेकिन ग्लानि मेहसूस नहीं हो रही थी, शायद इसलिये कि मैंने ये प्रीती के कहने पर किया था। जैसे ही मैं नॉर्मल होने लगा, मैंने एक गहरी लम्बी साँस ली, और प्रीती की तरफ़ देखा, जो अपनी गर्दन घुमाकर अपने कन्धे पर पड़े वीर्य के थक्के को देख रही थी। ”देखो!” उसने वीर्य को देखते हुए कहा, ”तुमने मेरे ऊपर भी गिरा दिया!”
मैं ये देखकर थोड़ा विस्मित जरूर था कि उसके ऊपर वीर्य गिरा हुआ था, लेकिन फ़िर भी वो तनिक भी विचलित नहीं थी, बल्कि उसने अपने राईट हैण्ड से उसको पोंछ लिया और बोली, ”ऊप्स, मुझे ऐसा नहीं नहीं करना चाहिये,” और फ़िर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, ”स्कूल में सैक्स एजूकेशन की क्लास में मैडम ने बताया था कि यदि हाथों में भी वीर्य लगा हुआ तो खुद के गुप्तांगों को नहीं छूना चाहिये।” फ़िर वो हँसते हुए बोली, ”वीर्य, हाँ, इसी शब्द को यूज किया था मैडम ने, वीर्य, थोड़ा अटपटा है ना, और तो और सबसे पहले उन्होने हमको ये भी नहीं बताया था कि ये हाथ पर लगेगा कैसे।” वो फ़िर से खिलखिलाने लगी, और बोली, ”शायद उनको पता होगा कि कुछ दिनों में हम सब लड़कियों को पता चल जायेगा कि ये हाथ पर लगता कैसे है, पर कम से कम ये तो बता देतीं कि खुद के गुप्तांगों को छूने की क्या जरूरत पड़ती है।” वो फ़िर से खिलखिलाने लगी, और बोली, ”और सुनो तो वो इनको गुप्तांग कह रही थीं! ऐसा लग रहा था मानो गुप्ता जी का कोई अंग हो! वो मैडम इतनी ज्यादा स्ट्रिक्ट हैं कि किसी भी लड़की की हिम्मत नहीं थी कि जरा सा भी हँस जाये।”
प्रीती ने बैड पर लेटे लेटे ही करवट ली, और अपने बायें कन्धे को बैड शीट पर घिसकर साफ़ कर लिया, और फ़िर मेरे वीर्य में सने हुए हाथों को देखा, और बोली, ”तुम भी इनको बैडशीट से पोंछ कर साफ़ कर लो। मैं इसको कल सुबह वॉशिंग मशीन में धो लूँगी, नहीं तो मम्मी को पता चल जायेगा।” फ़िर वो पहले की तरह आराम से बैड पर लेट गयी, और मुस्कुराते हुए बोली, ”लेकिन मम्मी थोड़ा तो जरुर सरप्राईज़ होंगीं कि मैं अपने आप, बिना उनके बोले कपड़े कैसे धो रही हूँ।”
मैंने अपने हाथ बैड शीट से पोंछ लिये, और प्रीती ने अपना राईट हैण्ड नीचे अपनी चूत पर रख लिया, और बोली, ”लो अब देखो, मैं कैसे करती हूँ।” वो पहले की तरह अपनी चूत की बाहरी और अंदरूनी फ़ाँकों को अपनी ऊँगलियों से सहलाने लगी, मैंने गौर से देखा तो मेहसूस हुआ कि उसकी चूत पहले से थोड़ी ज्यादा फ़ूल गयी थी और थोड़ा गीली भी हो गयी थी। ”जैसा मैंने पहले भी बताया था,” वो बोलते बोलते थोड़ा रुकी, और अपने होंठों पर जीभ फ़िराकर बोली, ”मुझे इस जूस को अपनी क्लिट पर पर लगाकर इस तरह घिसने में बहुत मजा आता है।” वो अपनी चूत के दाने को ऊँगली की साइड से हल्के हल्के सहलाते हुए घिस रही थी, और ऐसा लग रहा था मानो वो उसको जरा बहुत छू रही हो, फ़िर उसने एक गहरी साँस ली, और बोली, ”म्म्म्म्म्म्म, बहुत अच्छा लगता है, ऐसे करने में।
थोड़ी देर बात, प्रीती ने अपनी दो ऊँगलियाँ चूत के रस से भिगो लीं, और बोली, ”कभी कभी मैं भी अपने इस जूस को टेस्ट कर लेती हूँ।” और इतना कहते ही उसने एक ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चुसने लगी, और फ़िर दूसरी ऊँगली चूसने के लिये मेरी तरफ़ बढा दी। मैंने उस ऊँगली की तरफ़ देखा, जो कि चूत के रस में डूबी हुई थी, लेकिन चूँकि मुझे पता था कि ये अभी अभी प्रीती की चूत को सहला कर आ रही है, कुछ देर पहले ही झड़ने के बावजूद मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया। मैंने प्रीती की तरफ़ देखा, और वो बोली, ”लो चाट लो, टेस्ट तो करके देखो।” उसने अपनी ऊँगली मेरे मुँह में घुसा दी, और मैं उसकी चूत के रस का रसपान करने लगा। उसकी चूत के रस का स्वाद थोड़ा बहुत वैसा ही था जैसा उसकी चूत की गँध का था, जो मैंने उसकी चूत के पास अपना मुँह ले जाकर सूँघी थी, लेकिन एक अलग ही स्वाद था। इस तरह उसके चूत के रस का रसपान करना अकल्पनीय के साथ अविश्वसनीय भी था, लेकिन साथ साथ मुझे इस बात का भी पूरा भरोसा था कि मुझे फ़िर से एक बार इसका रसपान करने का मौका मिलेगा, और वो भी सीधे इसके स्रोत से।
प्रीती फ़िर से अपनी चूत को अपनी ऊँगलियों से सहलाने लगी। उसने अपने घुटने कर टाँगें ऊपर उठा लीं, इस प्रकार वो बैड पर सीधे लेटे हुए अपनी टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत को सहलाते हुए बोली, ”इस तरह टाँगें ऊपर कर के अच्छी वाली होती हूँ।” मैं उसकी छाती जब ऊपर नीचे होते हुए देख रहा था तभी वो बोली, ”बस अब मैं होने ही वाली हूँ,” और वो अपनी चूत को तेजी से सहलाने लगी, उसने अपनी कलाई को घुमाकर चूत को सहलाने के हाथ और ऊँगली के एन्गल को थोड़ा चेन्ज किया। मैंने उसकी ऊँगली को चूत केए छेद में एक दो बार अन्दर घुसते हुए भी देखा, और फ़िर वो उसको बाहर निकालकर चूत के दाने को सहलाने लगती। उसकी साँसें तेज होने लगी थीं, उसकी छाती जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही थी, वो अपने होंठों को भींचते हुए बोली, ”विशाल, बस अब होने ही वाली हूँ, ” फ़िर उसने एक गहरी लम्बी साँस ली, और अपनी चूत को जोर से सहलाया, और अपनी गाँड़ को बैड से ऊपर उठाते हुए बोली, ”ये लो, हो गयी, झड़ गयी मैं भी।”
उसकी ऊँगलियाँ अभी भी चूत को जोर जोर से तेजी के साथ सहला रहीं थीं, प्रीती ने अपना सिर बैड पर रखकर अपनी गाँड़ को बैड से दो तीन बार ऊपर की तरफ़ उछाला, और फ़िर ”ओह्ह्ह, ओह्ह, ओह,” की आवाजें निकालने लगी, उसके बाद उसने दो तीन बार गहरी लम्बी साँसें लीं और कुछ और ऊह्ह आह्ह्ह की और फ़िर जब उसका पूरा बदन काँप उठा तो वो बोली, ”ओह विशाल, बहुत अच्छा वाला मजा आया!!”
प्रीती सहारा लेकर लेट गयी, और रिलेक्स करने लगी, लेकिन अभी भी वो कुच पलों तक अपनी चूत को सहला रही थी, लेकिन बहुत हल्के हल्के, मानो वो अपनी एक अलग दुनिया में खोयी हुई थी, फ़िर उसने एक ठण्डी गहरी लम्बी साँस ली, और फ़िर पूरी तरह रिलेक्स करने लगी। उसने घूमकर मेरी तरफ़ देखा, और थोड़ा हाँफ़ते हुए पूछा, ”लो अब तो तुमने एक लड़की को होते हुए देख लिया ना।” उसका चेहरा लाल हो रहा था, और वो थोड़ा शर्मा भी रही थी, लेकिन उसकी मुस्कुराहट बता रही थी कि ऐसा कुछ नहीं है। ”मुझे बहुत हल्का हल्का मेहसूस हो रहा है,” उसने कहा।
उसने अपनी दायीं तरफ़ करवट ली और मेरे पास आकर मेरे ऊपर एक हाथ और टाँग रखकर मुझसे चिपक गयी। मैं सीधा पींठ के बल लेटा हुआ था, उसने मुझे एक बार किस किया और बोली, ”जब भी मैं ये सब करती थी तब अकेले ही हुआ करती थी, लेकिन कोई बाद में चिपकने के लिये हो तो और मजा आ रहा है।” उसने मुझे के बार फ़िर से किस कर लिया, इस बार थोड़ा ज्यादा देर तक। मेरी बायीं जाँघ पर उसकी गरम गरम चूत का इस तरह छूना मुझे बहुत ज्यादा एक्साईट कर रहा था, हाँलांकि मैं अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था, लेकिन फ़िर भी मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा होने लगा था। मैंने अपना बाँयां हाथ उठाया और हथेली प्रीती के चूतड़ पर रख दी, और फ़िर हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर वो बोली, ”चलो मम्मी के आने से पहले तुम अपने रूम में चले जाओ,” मैंने उसकी बात सुनकर स्वीकरोक्ति में गर्दन हिला दी। मम्मी हर फ़ाईडे को ऑफ़िस से सीधे मामा और नानी के घर चली जाया करती थीं, और वहाँ पहुँच कर फ़ोन पर बता दिया करती थीं कि वो फ़्राईडे को रात में या फ़िर शनिवार या सन्डे कब घर आयेंगी। यदी उनका फ़ोन नहीं आता था तो वो कभी भी आ सकती थीं।
प्रीती ने दूसरी तरफ़ करवट ली और मेरे ऊपर से अपना हाथ और टाँग हटा लीं, मैंने भी अपना अन्डर वियर ऊपर चढा लिया, और फ़र्श पर पड़ी अपनी जीन्स को उठाकर पहन लिया। मैंने खड़े होते हुए प्रीती को देखा, वो अपने बैड पर कमर से नीचे एकदम नंगी होकर लेटे हुई थी, और उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, जिस तरह से बैडशीट पर मेरे वीर्य के दाग लगे हुए थे, उनको देखकर विश्वास कर पाना नामुमकिन था कि वाकई में ये सब हुआ है। ”मैं अपने रूम में जाता हूँ,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा,” मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ हुआ था उसके बाद मुझे क्या बोलना चाहिये, मैं जब अपने रूम में जा रहा था, तो पीछे से प्रीती की आवाज आई, ”गुड नाईट, सुबह मिलते हैं।”
मैं हाथ धोकर अपने बैड पर लेट गया, और नींद आने से पहले जो कुछ हुआ था उसके बारे में सोचने लगा, और आशा करने लगा कि ऐसा फ़िर कब होगा।
अगली सुबह जब मैं उठा तो सोचने लगा कि जो कुछ हुआ था कहीं वो एक सपना तो नहीं था। मेरी टी-शर्ट जो कि रूम में आने के बाद मैंने एक कोने में फ़ेंक दी थी, उस पर लगे वीर्य के दाग इस बात को तो साबित कर रहे थे कि मैंने मुट्ठ मारी थी लेकिन बाकि सब का क्या? मैंने नहा धोकर नये कपड़े पहन लिये, और कुछ देर बाद प्रीती भी मेरे पास डाईनिंग टेबल पर ब्रेक फ़ास्ट करने के लिये मेरे पास आकर बैठ गयी। वो बैड से उठ कर बिना नहाये धोये सीधे डाईनिंग टेबल पर आ गयी थी, उसने नाईटी पहन रखी थी।
हमेशा की तरह हम दोनों ने ब्रेक फ़ास्ट करते हुए इधर उधर की बातें कीं, प्रीती ने पिछली बीती रात के बारे में कोई बात नहीं की, ये देखकर मुझे लगा कि कहीं वो सब एक सपना तो नहीं था, लेकिन सब कुछ सचमुच हुआ तो था। लेकिन यदि सब कुछ सचमुच हुआ था तो फ़िर प्रीती ऐसा कुछ प्रकट क्यों नहीं कर रही थी, कहीं ऐसा तो नहीं कि वो शर्मिन्दा हो, यदि ऐसा था तो फ़िर वो सब दोबारा होना नामुमकिन था। जब प्रीती उस बारे में बात नहीं करना चाह रही थी, तो मैंने भी उस बारे में बात शुरु ना करना ही मुनासिब समझा।
ब्रेक फ़ास्ट के बाद प्रीती ने अपने रूम की बैड शीट वॉशिंग मशीन में डाल दी, ऐसा करते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा, लेकिन ऐसा करना कुछ अजीब नहीं था। तभी मम्मी ने लैन्ड लाईन पर फ़ोन कर बता दिया कि वो मामा और नानी के पास से सन्डे की शाम को आयेंगी।
सारा वीकएन्ड ऐसे ही निकल गया, प्रीती की तरफ़ से किसी तरह का कोई हिन्ट नहीं था, एक दो बार जब वो अपने रूम का डोर बन्द कर के अन्दर होती तो मैं मन ही मन सोचता कि वो रूम के अन्दर क्या अपने आप को उसी तरह टच कर रही होगी जैसा उस फ़्राईडे की रात को मेरे सामने किया था, मेरा गला सूखने लगता, और इस मसले को अपने हाथों से निपटाने को मैं मजबूर हो जाता। उस सन्डे को मैंने दो बार मुट्ठ मारी, वो भी किसी पॉर्न मैगजीन की फ़ोटो देखे बिना, बस फ़्राईडे को जो कुछ हुआ था उस बारे में सोच कर ही मेरा लण्ड फ़नफ़नाने लगता था।
मन्डे को मुझे और प्रीती दोनों को ही कॉलेज जाना था, हम दोनों एक ही शेयर्ड ऑटो से कॉलेज पहुँच गये। शाम को कॉलेज खतम होने के बाद मैंने प्रीती को पूनम के साथ देखा, वो दोनों पूनम के घर की तरफ़ जा रहीं थीं। मैंने घर पहुँच कर कपड़े बदले, थोड़ी बहुत पढाई की और फ़िर टीवी देखने लगा।
प्रीती करीब एक घन्टे के बाद घर आई, उसने स्कूल यूनिफ़ॉर्म पहन रखा था, और जैसे ही वो ड्रॉईंग रूम में दाखिल हुई वो बोली, ”ये देखो।” उसने अपने स्कूल बैग में हाथ डालकर डीवीडी का एक प्लास्टिक केस निकाल कर मेरी तरफ़ बढा दिया। मैं उस डीवीडी को देखते ही समझ गया कि ये एक पॉर्न मूवी है, केस के ऊपर जो फ़ोटो के नीचे टाइटल लिखा हुआ था वो था जवानी की मस्ती। फ़ोटो में एक अर्ध नग्न लड़की चड्डि और ब्रा पहने खड़ी थी और उसने एक लड़के का लण्ड इस तरह पकड़ रखा था मानो वो उसको मुठिया रही हो। मैंने उस केस को पलट कर देखा, पीछे की तरफ़ भी मूवी की कुछ तस्वीरें थीं, और लिखा हुआ था लेडिज हॉस्टल में कुँवारी लड़कियों के कारनामे।
”तुमको ये कहाँ से मिली?” मैंने डीवीडी उसको वापस करते हुए पूछा। मैं मुस्कुराये बिना नहीं रह पाया।
”पूनम के पास से,” उसने हँसते हुए जवाब दिया, ”वो जब अपने पापा की अलमारी की तलाशी ले रही थी तो कुछ और डीवीडी के साथ उसको ये मिली थी। वो कह रही थी कि यदि हम इसको कुछ दिन अपने पास रख लेंगे उसके पापा को पता नहीं चलेगा।”
”लेकिन तुम इसका क्या करोगी?” मैंने मजाकिया अन्दाज में पूछा।
”बुद्धू, देखेंगे और क्या करते हैं मूवी की डीवीडी के साथ?” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली। ”जब मम्मी घर पर नहीं होंगी तब देखेंगे।” उसने डीवीडी को लिया और अपने रुम में चली गयी, और फ़िर कपड़े चेन्ज करके मेरे पास आकर ड्रॉईंग रूम में मेरे पास सोफ़े पर बैठ कर टीवी देखने लगी, जब तक कि मम्मी ऑफ़िस से घर नहीं आ गयीं।
किसी तरह पुरा हफ़्ता बीता और मुझे मालूम था कि एक दिन फ़्राईडे भी जरूर आयेगा। और हमेशा की तरह उस दिन भी ऑफ़िस से लौटकर मम्मी हमारा खाना बनाकर मामा नानी के यहाँ चली गयीं। उनको किसी प्रकार का कोई भान नही था कि उनके बेटा बेटी आपस में उनके पीछे क्या गुल खिलाने वाले हैं।
प्रीती ने ब्लू कलर की डेनिम की शॉर्ट स्कर्ट पहन रखी थी, और ऊपर व्हाईट कलर का टॉप जिसका गला थोड़ा बड़ा था और उसकी थोड़ी सी क्लीवेज दिखायी दे रही थी, उसने अपने बालों का हमेशा की तरह पोनीटेल बना रखा था। हम दोनों ने बैठकर कुछ देर सोनी टीवी पर आ रहे कॉमेडी शो को देखा, और उसके खतम होने के बाद मैंने टाटा स्काई की टीवी गाईड को आगे कर के देखा कि उसके बाद कुछ इन्टरेस्टिंग प्रोग्राम है या नहीं। एक चैनल पर सत्यम शिवम सुन्दरम आने वाली थी, लेकिन वो मैं पहले भी कई बार देख चुका था, जीनत अमान के मम्मे देखने के लिये इतना ज्यादा इन्तजार करना मुनासिब नहीं लगा।
प्रीती किचन से निकल कर आई और उसने पूछा, ”क्या देख रहे हो?”
”कुछ नहीं, कुछ भी इन्टरेस्टिंग आ ही नहीं रहा,” मैंने जवाब दिया।
प्रीती मेरे पास सोफ़े पर आकर बैठ गयी और शरारती अन्दाज में मुस्कुराते हुए बोली, ”चलो वो गंदी वाली मूवी देखते हैं।”
”ठीक है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, मैं शायद उस बारे में भूल ही गया था, लेकिन प्रीती उठ कर अपने रूम से वो डीवीडी लेकर आ गयी। जब वो प्लेयर में डीवीडी लगाने के लिये नीचे झुकी तो मुझे उसकी शॉर्ट स्कर्ट के नीचे पहनी हुई उसकी पिन्क कॉटन पैन्टी की एक झलक मिल गयी।
वो चप्पल उतारकर सोफ़े पर मेरे करीब आकर बैठ गयी। मेरी उमर के सभी लड़कों की तरह मैंने भी कुछ ब्लु फ़िल्मस देखीं थीं, लेकिन सच कहूँ तो पूरी एक भी नहीं देखी थी, क्योंकि कुछ मिनट देखने के बाद मैं लण्ड से पानी निकालने को इतना ज्यादा बेताब हो जाता था कि मूवी खतम होने से पहले ही मैं मुट्ठ मार लिया करता था। ये डीवीडी 40 मिनट की थी, और बाकी ब्लू फ़िल्मस की तरह ही इसमें भी पॉर्न स्टार्स को मिशनरी स्टाईल, डॉगी स्टाईल, चूत को चाटना, लण्ड को चूसना, और टीनेज लड़कियों का लेस्बियन थ्रीसम सब कुछ था। बाकि पॉर्न मूवीज की तरह इसकी कहानी भी सिर्फ़ सैक्स सीन्स को आपस में जोड़ने तक सीमित थी, लेकिन फ़िर भी ये बेहद उत्तेजक मूवी थी।
कुछ मिनट्स के बाद मैंने प्रीती की तरफ़ देखा, वो एक टक मूवी को देख रही थी, और जिस तरह से सैक्स सीन देखकर मेरा लण्ड फ़नफ़ना रहा था, मैं सोच रहा था कि उस पर क्या असर हो रहा होगा। पिछले फ़्राईडे को जो कुछ हम दोनों के बीच हुआ था उस बारे में उसने सारे वीक कोई भी बात नहीं की थी, इस बात पर भी मैं थोड़ा अचम्भित था। मुझे नहीं पता था कि प्रीती पहले कितनी ब्लू मूवीज देख चुकी है, लेकिन शायद ये उसकी पहली तो नहीं थी।
उस मूवी के एक सीन में लेडीज हॉस्टल में एक प्लम्बर बाथरूम में लीक हो रहे पानी के पाईप को ठीक करने आता है, हॉस्टल की वार्डन उसको काम समझाकर अपने क्वार्टर में चली जाती है। जब वो प्लम्बर पाईप को ठीक कर रहा होता है तभी एक लड़की आती है और कहती है, ”भैया, मैं लैक्चर के लिये लेट हो रही हूँ, आप को अगर आपत्ति ना हो तो आप पाईप ठीक करते रहो और मैं नहा लेती हूँ।” प्लमबर क्यों मना करने वाला था, जैसे उसने हाँ कहा उस लड़की ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये, और सिर्फ़ व्हाईट ब्रा और ब्लू पैण्टी में शॉवर के नीचे खड़े होकर नहाने लगी। उसको इस तरह नहाते हुए देखकर स्वाभाविक रूप से प्लम्बर का लण्ड उसकी पैण्ट में तम्बू बनाने लगा, वो उस लड़की से बोला आप मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं हैं, आप आराम से सारे कपड़े उतारकर नहाओ, वो लड़की तो बस जैसे इशारे का इन्तजार कर रही थी, वो ब्रा पैण्टी उतारकर जन्मजात नंगी हो गयी, उसने अपनी झाँटें शेव नहीं कर रखी थी।
उसको इस अवस्था में देखकर प्लमबर अपने ऊपर काबू नहीं रख पाता है, और उसको ताबड़तोड़ चूमने और चाटने लगता है, और फ़िर वहीं बाथरुम में ही उसको चोद देता है। जब वो उसको चोद रहा था तभी एक और लड़की उनको चुदाई करते हुए देख लेती है, और अपनी दो तीन सहेलियों को और चुदाई देखने के लिये बुला लेती है। जब वो नहाती हुई लड़की और प्लम्बर को चुदाई खतम करने के बाद मालूम चलता है कि 3-4 लड़कियों ने उनको चुदाई करते हुए देख लिया है तो वो थोड़ा घबरा जाते हैं, लकिन वो बाकी लड़कियाँ उस प्लमबर को अपनी चूत को खुजाते हुए पकड़ कर अपने रूम में ले जाती हैं और फ़िर लेस्बियन, थ्री सम और सभी तरह के लण्ड चूसने, चूत चाटने, मिशनरी, एक टाँग उठा के, डॉगी स्टाईल सभी तरह के चुदाई के सीन होते हैं। मूवी में उस प्लमबर का लण्ड वाकई में मोटा और लम्बा था। सभी सीन्स में भरपूर क्लोज अप दिखाया गया था, और उन लेस्बियन सीन्स में चूत चटाई को देखकर मुझ पर भी ठरक चढने लगी थी।
मूवी खत्म होने के बाद जब एक्टर डाईरेक्टर आदि के नाम आ रहे थे तो प्रीती उठकर मम्मी के रूम की तरफ़ जाने लगी, मैं जब प्लेयर में से डीवीडी निकाल रहा था तभी प्रीती फ़िर से ड्रॉईंग रूम में फ़िर से सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी पहनकर दाखिल हुई, और मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, ”ऐ, मिस्टर प्लम्बर, तुम पानी सुखाना भी जानते हो क्या?”
मैं उसको इस तरह अर्ध नग्न अवस्था में देखकर अवाक रह गया था, किसी तरह से थूक निगलते हुए मैं बोला, ”हाँ, मैडम जानता हूँ, आप एक बार मौका तो दो।”
”तो फ़िर सुखा दो ना प्लीज, देखो ना मिस्टर प्लम्बर, कितनी गीली हो रही हूँ मैं।”
मैं टीवी स्टैण्ड के पास खड़ा होते हुए कुटिलता से बोला, ”तो तुम उस मूवी की हॉस्टल की वो स्टूडेन्ट बन जाओ और मैं प्लम्बर बन जाता हूँ। प्रीती मेरे पास आकर बोली, ”लो अब मुझे वैसे ही किस करो जैसे वो प्लम्बर मूवी में कर रहा था।”
मैं उस प्लम्बर की ही तरह अपनी छोटी बहन के सॉफ़्ट सॉफ़्ट होंठों को किस करने लगा, और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसाकर, उसके हर हिस्से का अपनी जीभ की टिप से जायजा लेने लगा, मेरे पूरे बदन में एक्साईट्मेंट की एक लहर सी दौड़ गयी।
जब हमने एक पल को अपने होंठ अलग किये तो प्रीती उस मूवी वाली लड़की की तरह बोली, ”मिस्टर प्लम्बर, देखो कहीं तुम्हारा पाईप लीक तो नहीं कर रहा?” मैं उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दिया, और फ़िर से उसे ताबड़तोड़ चूमने लगा। हम दोनों अब उस मूवी वाले करैक्टर से बाहर निकलकर, एक दूसरे से प्रेमियों की तरह चिपककर अपनी इस हॉट सैक्सी किस का आनंद लेने लगे।
जैसे ही हम साँस लेने को अलग हुए, प्रीती पीछे होते हुए अर्ध नग्नावस्था में ही सोफ़े पर बैठ गयी। मैं भी उसके राईट साईड में सोफ़े अर बैठ गया, उसने मेरे करीब आकर मेरे कंधों पर अपनी बाँहें डाल दी। उसने अपने होंठो पर जीभ फ़िराई और फ़िर से मुझे किस करने लगी, एक छोटी सॉफ़्ट और सैक्सी किस। इस हालात में जब हम दोनों के चेहरे बेहद करीब थे, वो धीमी सी आवाज में बोली, ”बहुत सैक्सी गर्मा गर्म मूवी थी, क्यों?”
मैंने एक गहरी लम्बी साँस लेते हुए कहा, ”हाँ।”
”ऐसी मूवी देखकर तो तुम भी एक्साईटेड हो जाते होंगें, क्यों?” प्रीती ने धीमी आवाज में पूछा। उसका चेहरा मेरे चेहरे के बेहद करीब था, और मैं उसकी गर्म गर्म साँसों को मेहसूस कर पा रहा था।
मैंने उसकी आँखों में आँखें डालकर जवाब दिया, ”ऐसी मूवी देखकर तो किसी का भी खड़ा हो जायेगा।”
”मैं समझ सकती हूँ, तुम क्या कहना चाह रहे हो,” वो मुस्कुराते हुए बोली, और मुझे फ़िर से किस करने लगी, लेकिन मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया, और उसको अपने कन्ट्रोल में कर लिया, और किस को भी अब मैं कन्ट्रोल करने लगा, जिस से मैं जब तक चाहूँ किस को जारी रख सकूँ। हम कुछ देर वैसे ही किस करते रहे, प्रीती मेरे लैफ़्ट में थी, मेरी बाँहें उसकी कमर के गिर्द लिपटी हुई थीं, उसकी राईट आर्म मेरे कंधे पर रखी हुई थी, और मैं हर बीतते पल के साथ और ज्यादा बेकरार होता जा रहा था। हम दोनों आपस में ज्यादा कोई बातें नहीं कर रहे थे, लेकिन हमने किस करना बंद किया, और प्रीती अपनी लैफ़्ट साईड में सोफ़े का सहारा लेकर बैठ गयी, जैसे एक हफ़्ते पहले उस दिन बैठी थी। उसने अपनी गोरी लम्बी सुडौल टाँगें मेरी गोद में रख दीं, और अपने हिप्स को थोड़ा हिलाकर इस पोजीशन में आ गयी कि उसके हिप्स ने अब मेरी जाँघों का सहारा ले रखा था, और उसकी जाँघें मेरी गोद में थीं। इस तरह खिसकने और पोजीशन बदलने की वजह से उसकी पैण्टी थोड़ा ज्यादा ही ऊपर हो गयी थी, और वो टाईट होकर चूत से चिपकी हुई थी। उसकी गोरी लम्बी टाँगें और केले के तने जैसी चिकनी जाँघों को देखकर मेरे अंदर भुत कुछ हो रहा था, और मैंने हिम्मत कर के कम्फ़र्टेबल होने के लिये उसी पोजीशन में उन पर अपना हाथ रख दिया, नॉर्मली कोई भी लड़का अपनी बहन की जाँघ पर इस तरह हाथ नहीं रखता। नॉर्मली तो इस तरह कोई बहन भी अपने भाई की गोद में सिर्फ़ ब्रा और पैण्टी पहन के इस तरह नहीं लेटती।
प्रीती ने पैण्टी में उभरी हुई अपनी चूत की तरफ़ देखा, और फ़िर कुटिलता से मुस्कुरा दी। पिछले हफ़्ते मैं उसकी चूत और गाँड़ पर अपने हाथ फ़िरा चुका था, लेकिन इस हफ़्ते थोड़ी झिझक सी मेहसूस हो रही थी, की कहीं वो मना ना कर दे। प्रीती ने पैण्टी को थोड़ा नीचे कर के नॉर्मल तरीके से कर लिया, और फ़िर धीमे से बोली, ”लास्ट वीक, तुमने कहा था ना कि तुमको मेरे वहाँ नीचे टच करना अच्छा लगता है, आज वैसे नहीं करोगे?”
”क्यों नहीं करूँगा,” मैंने जवाब दिया, ”मैं तो तुम्हारे सिग्नल का वेट कर रहा था।” मेरा राईट हैण्ड प्रीती की लैफ़्ट जाँघ पर रखा हुआ था, उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से थपथपाया और फ़िर अपना हाथ हटा लिया। मैंने अपना राईट हैण्ड बढाकर उसकी पैण्टी पर रख दिया, ऐसा करते ही मेरे अंदर एक्साईट्मेंट की एक लहर दौड़ गयी, और मैं अपने राईट अंगूठे से पैण्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के होंठों को मेहसूस करने लगा। प्रीती किसी नॉर्मल कुँवारी लड़की की तरह मुस्कुराई, और आगे बढकर उसने मुझे किस कर लिया। मैं उसकी चूत को पैण्टी के ऊपर से ही सहला रहा था, किस करते हुए मुझे मेहसूस हुआ कि उसकी सांसे और ज्यादा गर्म हो गयी थीं, किस करने के बाद वो अपने दोनों हाथ साईड में रखकर सोफ़े का सहारा लेकर बैठ गयी।
मैंने प्रीती की पैण्टी पर नजर डाली, तो देखा कि मेरे अँगुठे से उसकी चूत को पैण्टी के ऊपर से इस तरह सहलाने के कारण कैमल-टो बन गया था, और पैण्टी की साईड से उसकी झाँटों के एक दो बाल निकल रहे थे। शायद मेरे अँगुठे ने उसकी चूत के दाने को छेड़ दिया था क्योंकि वो यकायक हल्का सा उछली और मुस्कुराते हुए बोली, ”आराम से करो, प्लीज, पता है ना तुम ये जो अपनी छोटी बहन के साथ कर रहे हो इसको इन्गलिश में इन्सेस्ट कहते हैं।”
“लेकिन तुम भी तो अपने भैया के साथ वो ही कर रही हो,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
”चलो मेरे रूम में चलें?” प्रीती ने पूछा। ”वहाँ पर हम ज्यादा कम्फ़र्टेबल रहेंगे।” मैंने प्रीती के ऊपर से अपने हाथ हटाये और फ़िर पहले वो और उसके पीछे पीछे मैं, दोनों उठ कर खड़े हो गये।
मैं ड्रॉईंग रुम में प्रीती के पीछे पीछे चल दिया, और पैण्टी में कैद उसकी गाँड़ की गोलाईयों को चलते हुए ऊपर नीचे होते हुए देखकर मैं और ज्यादा एक्साईटेड होने लगा। हाँलांकि अभी तक हम दोनों केवल चूमा चाटी और चूत को पैण्टी के ऊपर से छुने तक ही सीमित थे, लेकिन मुझे विश्वास था कि लास्ट वीक की तरह आज भी प्रीती मुझे अपनी पैण्टी उतारकर उसकी चूत की फ़ाँकों के साथ खेलने का मौका देगी, मन ही मन मैं सोचने लगा कि शायद हर किसी लड़के को सैक्स करने से पहले इसी तरह की फ़ीलिंग होती होगी।
जब हम दोनों प्रीती के रूम में पहुँच गये, तो अन्दर पहुँचते ही उसने रुककर पीछे घूमकर मेरी तरफ़ देखा, शायद कुछ इसी तरह का सीन उस पॉर्न मूवी में भी था, मैंने उसके पीछे आते हुए उसको अपनी बाँहों में भरते हुए उसके सिर को पीछे से चूम लिया। उसने थोड़ा पीछे होते हुए, मेरे और करीब आकर मेरी बाँहों को पकड़कर आगे की तरफ़ अपने गिर्द कस कर लपेट लिया। मैं उसकी नाजुक कोमल काया को अपनी बाँहों मे भरकर, उसके सिर के बालों में से आ रही शैम्पू की खुशबू को सूँघने लगा।
मेरी बाँहों में जकड़े हुए ही प्रीती ने घूमकर मुझे मेरे होंठों पर किस कर लिया और बोली, ”तुमको भी किस करना अच्छा लगता है ना?”
”हाँ,” मैं जाहिर सी बात को मुस्कुराते हुए बोला।
”मुझे भी बहुत अच्छा लगता है,” प्रीती ने कहा, ”मुझे सॉफ़्ट्ली प्यार से स्लोली करने में ज्यादा मजा आता है, सैक्सी वे में” वो मुस्कुराते हुए बोली। जिस तरह से उसने सैक्सी शब्द को आखिर में जोड़ा था वो अपने आप में भुत सैक्सी था। मुझे भी उसी तरह किस करना पसंद था, इसलिये मैंने कहा, ”हाँ, मुझे भी ऐसे ही अच्छा लगता है।”
”वैसे, मैं तो कम्पेयर करने की स्थिति में नहीं हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कह सकती हूँ कि तुम बहुत अच्छी तरह से करते हो,” प्रीती ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा। उसने अपने आप को मेरी बाँहों में से छुड़ाते हुए बैड की तरफ़ जल्दी से कदम बढा दिये। प्रीती मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पण्टी पहन कर बैड पर तकिये का सहारा लगा कर बैठ गयी। वो पींठ के बल लेट कर, अपना सिर राईट साईड में घुमाकर मेरी तरफ़ देख रही थी।
मैं उसका इशारा समझ गया और बैड के करीब बढ कर, उस पर बैठ गया, और फ़िर राईट साईड में घूमकर उसको किस करने के लिये झुक गया। उसने मुझे अपनी बाँहों में कैद कर लिया और फ़िर कुछ देर तक हम वैसे ही किस करते रहे। कुछ देर बाद प्रीती ने मुझे अपनी बाँहों की कैद से आजाद कर दिया, और मैं बैड के ऊपर अपने पैर लाकर अपनी बाँयीं करवट से लेट गया, जबकि प्रीती सीधे पींठ के बल लेटी हुई थी। मैंने नीचे उसकी पैण्टी की तरफ़ देखा, और लास्ट वीक की तरह पैण्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के उभार को धीरे धीरे प्यार से सहलाने लगा। इतना ही मेरे लिये जन्नत की सैर से कम ना था, और मैं धीमे धीमे चूत की फ़ाँकों को ऊपर से नीचे तक राईट हैण्ड की पहली ऊँगली से सहला रहा था। मैं उसकी चूत को पैण्टी के ऊपर से ही लास्ट वीक से कहीं ज्यादा पनियाते हुए मेहसूस कर रहा था।
जब मैंने उसकी चूत की फ़ाँकों को काफ़ी देर तक सहला लिया, तो मेरा मन प्रीती की चूत की सुगंध को लास्ट टाईम की तरह सूँघने का किया, मैंने उसके चेहरे की तरफ़ देखा, और एक बार फ़िर से उसकी पैण्टी की तरफ़, और फ़िर नीचे झुककर उसकी चूत के पास बाँयी जाँघ के अन्दरूनी हिस्से को किस करने के लिये झुक गया। वहाँ पर उसकी स्किन बहुत कोमल और मुलायम थी, और फ़िर से एक बार मुझे उसकी चूत की मादक गंध सूँघने को मिल गयी।
मैंने बैड पर कम्फ़र्टेबल होने के लिये अपनी पोजिशन में थोड़ा बदलाव किया, और फ़िर प्रीती की पैण्टी की इलास्टिक को पकड़कर धीमे से नीचे खिसका दिया। प्रीती ने अपनी गाँड़ को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया और मुझे आराम से पैण्टी को नीचे खिसका लेने दिया, पैण्टी को नीचे खिसकाते हुए मैंने देखा कि चूत से निकले लिसलिसे पानी ने उसकी पैण्टी पर गोल निशान बना दिया था। प्रीती ने अपने घुटने मोड़ कर मुझे पैण्टी को पूरी तरह टाँगों में से निकालने में मेरी मदद की, और फ़िर मैंने पैण्टी को उतारकर नीचे फ़र्श पर फ़ेंक दिया। उसकी नंगी चूत और झाँटों के त्रिकोण को देखना मेरे लिये लास्ट वीक की ही तरह एक्साइटिंग था, और मैंने नीचे झुकते हुए उसकी झाँटों के त्रिकोण के ठीक बीच में किस कर लिया, साथ ही साथ मैं उसकी चूत की मादक गँध को भी सुँघ रहा था, जो उसकी टाँगों के बीच से थोड़ा कम जरूर थी, लेकिन फ़िर भी उतनी ही ज्यादा उत्तेजक थी।
प्रीती ने फ़िर वो किया जो उसने पहले कभी नहीं किया था। मैं उसकी राईट साईड से उसके ऊपर उसकी झाँटों को किस करने के लिये झुका हुआ था, और उसने मेरी टाँगों के बीच में पीछे से हाथ डाल दिया और जीन्स के ऊपर से ही मेरे लण्ड को छूने लगी। उसने बस एक बार हल्के से छू के सहलाया, और फ़िर बोली, ”तुम्हारा ये तो खड़ा हो गया है, और हार्ड भी।” वो धीमे धीमे फ़ुसफ़ुसाते हुए बोल रही थी, और मैंने अपनी लैफ़्ट पर पर उसकी तरफ़ देखा, और वो बोली, ”अगर तुम मुझे टच करोगे, तो मैं भी तो तुम को टच करूँगीं ना।”
”क्या मैं तुम्हारे हिप्स टच कर लूँ?” मैंने पूछा, और प्रीती पलट कर औंधी पेट के बल लेट गयी। उसकी नंगी गाँड़ देखकर एक पल को मैं जन्नत में पहुँच गया, उसने गर्दन घुमाकर पीछे की तरफ़ देखा कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैंने उसके हिप्स के बीच क्रैक में ऊपर से नीचे तक एक उँगली को अन्दर घुसा के सहलाया, वो बस मुस्कुरा भर दी, लेकिन उसने कहा कुछ नहीं। मैंने उसके राईट हिप को अपनी राईट हथेली से सहला रहा था, और उअँगलियाँ उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच खेल रही थी। फ़िर मैंने अँगुठे और पहली उँगली से चूत की फ़ाँकों के साईड से ऊपर से नीचे तक सहलाया, उसकी झाँटों के बाल गाँड़ के पास आगे से थोड़ा ज्यादा थोड़े मुलायम थे। प्रीती ने मुस्कुराते हुए पूछा, ”मजा आ रहा है?” मैंने उसके हिप्स के क्रैक पर और फ़िर राईट हिप पर किस किया, और फ़िर अपने हाथों से उसकी जाँघों के पिछले हिस्से की मुलायम, चिकनी स्किन को सहलाने लगा।
जब मुझे उसके पिछवाड़े को सहलाते सहलाते कुछ देर हो गयी, तो मैंने अपना गाल उसके राईट हिप पर रख दिया, और उसकी मुलायम स्किन को अपने चेहरे से मेहसूस करने लगा, उसने गर्दन घुमाकर पीछे देखा कि मैं क्या कर रहा हूँ, और फ़िर बोली, ”विशाल?”
मैं उसके पिछवाड़े के ऊपर से उठ गया, और वो पलटकर सीधी हो गयी, अब वो अपनी पींठ के बल लेटी हुई थी, सिर के नीचे तकिया लगा कर उसने मुझसे पूछा, ”तुमको लड़कियों के बूब्स अच्छे लगते हैं?”
”हाँ,” मैंने जवाब दिया, और मुस्कुराते हुए पूछा, ”क्यों?”
“वैसे ही,मैं सोच रही थी बस” प्रीती ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। उसकी ये बात सुनकर मुझे एहसास हुआ कि उसकी चूत को छूने और उसके साथ खेलने के एक्साईट्मेन्ट में, मैं उसके बूब्स को छूना और देखना तो भूल ही गया था।
“तुम्हारा मेरे छुने का मन नहीं कर रहा। मैंने सोचा क्योंकि मेरे छोटे छोटे हैं, कहीं इस वजह से तो नहीं,” उसने कहा।
”मैं, मेरा मतलब मैं सोच रहा था कि तुम मुझसे ऐसे करवाना पसंद करोगी या नहीं, मैं हकलाते हुए बोला, लेकिन प्रीती ने कहा, ”तुम इनको टच करना चाहोगे?”
”तुम्हारे ये तो बहुत अच्छे हैं, मैंने कहा, ”मुझे नहीं पता था कि तुम इनको मुझसे टच करवाना पसंद करोगी।”
”कभी, कभी जब मैं अपने आप इनको टच करती हूँ,” प्रीती ने बोलना शुरू किया, ”मैं राईट वाले के साथ लैफ़्ट हैण्ड से और लैफ़्ट वाले के साथ राईट हैण्ड से खेलती हूँ, ये बहुत सेन्सिटिव होते हैं।” इतना कह कर वो मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुरा दी और बोली, ”लो, दबा लो मेरे बूब्स।”
मैं अपने लैफ़्ट साईड करवट लेकर लेटा हुआ था, और प्रीती की आँखों में देख रहा था, मैंने अपना राईट हैण्ड बढाकर धीमे से उसकी हथेली उसकी लैफ़्ट चूँची पर रख दी। ऐसा करना बहुत एक्साईटिंग था, लेकिन उसने अपने राईट हैण्ड से मेरी हथेली को थोड़ा ऊपर कर के ब्रा के अन्दर कैद चूँची के ऊपर ठीक से रख दिया। मैं उसकी लेस वाली ब्रा को मेहसूस कर रहा था, और साथ साथ उसके अन्दर कैद चूँची की निप्प्ल को मेरे टच की वजह से हार्ड होते हुए भी मेहसूस कर रहा था। मैंने मुँह में आया थूक अंदर निगल लिया।
”रुको, मैं अपनी ये ब्रा उतार देती हूँ,” प्रीती ने कहा, और मैंने उसके ऊपर से अपना हाथ हटा लिया।
”ऐसे तो तुम पूरी नंगी हो जाओगी,” मैंने कहा, ”आर यू ओके लाईक दैट?”
“तुम मेरे भाई हो विशाल,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, ”आई फ़ील ओके विद यू। और वैसे भी मैं तुम्हारे भी कुछ देर में कुछ कपड़े उतारने वाली हूँ।” वो बैड पर उठकर बैठ गयी, और पीछे हाथ लेजाकर ब्रा का हुक खोल दिया, और कंधों पर से उतारकर उसको फ़र्श पर फ़ेंक दिया, और फ़िर से सीधी लेट गयी। मेरी छोटी बहन अब बिल्कुल नंगी होकर मेरे पास बैड पर लेटी हुई थी, और फ़िर उसने कहा, ”मेरी निप्प्ल को टेस्ट करो।”
प्रीती की चूँचियाँ ज्यादा बड़ी बड़ी नहीं थीं, लेकिन उनकी शेप बहुत उम्दा थी, और उसकी गोरी गोरी चूँचियों पर वो गाढी गुलाबी निप्प्ल बेहद फ़ब रही थीं। उनको देखकर ही मैं उनको छुने को बेकरार हो उठा। मैंने झुककर अपने होंठ उसके लैफ़्ट निप्प्ल पर रख दिये, और अपनी जीभ से उनको हल्का सा छेड़ दिया, प्रीती यकायक चिहुँक उठी, और उसने एक गहरी लम्बी साँस ली। ”गुदगुदी हो रही है, लेकिन ऐसी अच्छी वाली गुदगुदी पहले कभी नहीं हुई,” उसने कहा। उसने अपनी दोनों बाँहें मेरी गर्दन में डाल दी, और मैं प्यार से उसकी लैफ़्ट निप्प्ल को चूसे जा रहा था। चूसना शायद सही शब्द नहीं होगा, मैं उसको अपने होंठों के बीच लेकर उसके गिर्द अपनी जीभ घुमा रहा था, और बस इतना ही चूस रहा था जिससे वो मेरे होंठों के बीच बनी रहे। जैसे ही मैंने प्रीती को काँपते हुए मेहसूस किया, मैंने उसकी चूँची पर से अपना मुँह हटा लिया, और उसकी तरफ़ देखा, और वो बोली, ”बहुत अच्छा लग रहा है।”
मुझे उसको होंठों पर चूमने का मन किया, और फ़िर हम दोनों ही एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। कुछ देर ऐसे ही चूमने के बाद मैं उसके पास तकिये पर सिर रखकर सीधा लेट गया। फ़िर प्रीती ने करवट ली और अपनी नंगी छाती मेरी छाती पर रख दी, उसके पैर अभी भी बैड पर मेरे पैरों के पास ही थे।
”तुमको याद है उस मूवी में जब उन लड़कियाँ उस प्लम्बर को अपने रूम में लाकर बैड पर लिटाने के बाद क्या किया था?” उसने मेरी तरफ़ देखते हुए पूछा।
मुझे अच्छी तरह याद था उन्होने मूवी में क्या किया था। लड़कियों ने उस प्लम्बर का लण्ड चूसा था, और उस प्लम्बर ने उनकी चूत चाटी थी, और फ़िर तीन अलग अलग पोजिशन में उन्होने चुदाई की थी, लेकिन फ़िर भी मैंने सिर्फ़ इतना कहा, ”उन्होने,” एक पल को मैं रुका, मैं समझ नहीं पा रहा था कि कैसे कहूँ, ”ओरल सैक्स किया था।”
पता नहीं मैंने ऐसा क्यूँ कहा, ”उन्होने ओरल सैक्स किया था,” शायद मैं ये भी कह सकता था ”कि उसने उन लड़कियों के ऊपर चढ के उनकी चुदाई की थी,” या फ़िर, ”उसने उनकी चूत चाटी थी,” लेकिन जो कहना था वो मैं कह चुका था। प्रीती ने मेरी तरफ़ अचरज में देखा और बोली, ”हाँ, विशाल, उन्होने ओरल सैक्स किया था।” उसने बड़ी मासूमियत के साथ ये लास्ट के तीन शब्द बोले, और फ़िर मेरे शब्दों के इस्तेमाल पर हँसने लगी। मुझे भी हँसी आ गयी, उसने अपना सिर हिलाते हुए कहा, ”कभी कभी मुझे तुम पर दया आती है।”
प्रीती खिलखिलाते हुए तकिये पर सिर रख कर लेट गयी, और उसने फ़िर से एक अजीब आवाज में रिपीट किया, ”उन्होने ओरल सैक्स किया था,” और फ़िर से खिलखिला कर हँसने लगी। हम दोनों ऐसे ही कुछ देर तक खिलखिला कर हँसते रहे। थोड़ी देर बाद जब हम दोनों की हँसी रुकी, तो प्रीती ने करवट लेकर अपनी छाती फ़िर से मेरी छाती पर रख दी, और अपना चेहरा मेरे चेहरे के सामने ले आयी। ”तो फ़िर,” उसने बोलना शुरु किया, ”मैं सोच रही थी, कि विशाल, तुम भी वैसे ही ट्राई करना चाहोगे?”
क्या मैं वैसा ट्राई करना चाहता था? मैं तो प्रीती के साथ वो सब करने के लिये कुए में छलाँग लगाने को भी तैयार था, लेकिन मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वो मुझसे वो सब करने के लिये पूछ रही थी। इससे पहले कि मैं कोई जवाब देता, उसने कहा, ”तुमको मेरे वहाँ नीचे टच करना अच्छा लगता है ना, मुझे भी अच्छा लगता है, चलो ऐसा करते हैं कि पहले तुम मेरे वहाँ टच करो, फ़िर मैं तुमको करुँगी।”
प्रीती यदि मेरे लण्ड को हाथ से हिलाकर पानी निकाल देती तो शायद मुझे इतना मजा नहीं आता, लेकिन मैं तो उसकी चूत को चाटकर उसकी चूत के पानी का स्वाद लेने में ज्यादा इन्टरेस्टेड था, मैंने कहा, ”उम्म, चलो ऐसा करते है,” मैं रुककर हकलाते हुए बोला, ”तुम्हारे मुँह में।”
प्रीती मुस्कुरा दी, और बोली, ”आई डोन्ट नो, लेकिन पूनम ने मुझे एक बुक दिखायी थी, जिसमें लिखा हुआ था कि कुछ लड़कियों को ऐसा करना अच्छा लगता है। जब तक मैं खुद ट्राई नहीं कर लेती, मुझे कैसे पता चलेगा।” मैंने नीचे अपने लण्ड की तरफ़ देखा, प्रीती भी उसी को देख रही थी। मैंने एक गहरी लम्बी साँस ली, और इस से पहले मैं कुछ बोल पाता, प्रीती ने कहा, ”देखो विशाल, हम दोनों के पास कोई और तो है नहीं जिसके साथ हम ये सब ट्राई कर सकें, तो क्यों ना हम आपस में एक दूसरे के साथ ही ट्राई कर लें।
”हाँ, ये ठीक है,” मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। ऐसा नहीं था कि मैं अपनी बहन के साथ ओरल सैक्स करना नहीं चाहता था, लेकिन मैं आश्वस्त नहीं था कि अगर मैंने अपने लण्ड पानी उसके मुँह में निकाल दिया तो उसको ये पसंद आयेगा या नहीं।
प्रीती खिसक कर मेरे पास आ गयी, अब उसका चेहरा मेरे चेहरे के और ज्यादा करीब आ गया था, मैंने कहा, ”उस मूवी में जब वो लड़कियाँ उस प्लम्बर का लण्ड चूस रही थीं, तो मुझे वहाँ नीचे कुछ गीला गीला मेहसूस हो रहा था, वैसा ही जैसा मैं अपने आप को वहाँ टच करता हूँ तो मुझे मेहसूस होता है।” उसने मुझे धीमे से प्यार भरा एक किस कर कर लिया, इस किस पहले से कहीं ज्यादा गर्माहट थी, और उसने मेरे होंठों को अपने थूक से भरपूर गीला कर दिया था, और फ़िर उसने अपना चेहरा थोड़ा दूर कर लिया। और फ़िर बोली, ”तो फ़िर पहले कौन करेगा?”
”तुम ही अपनी पैण्टी उतारकर तैयार हो,” मैंने बिना मुस्कुराये सीरियस रहते हुए उसके नंगे बदन को देखते हुए कहा और फ़िर पूछा, ”अगर तुम कहो तो तुमको ही पहले करता हूँ।”
”तो कैसे करोगे, मुझे क्या करना होगा?” प्रीती ने पूछा। जैसा कि आप को पता ही है कि उस से पहले मैंने किसी लड़की की चूत नहीं चाटी थी, हाँलांकि मैंने कई ब्लू फ़िल्मस में दोनों लेस्बियन और स्ट्रेट में ऐसे करते हुए देखा जरूर था, इसलिये मैं ये ही मान कर चल रहा था कि जब कभी ऐसा करने की जरूरत पड़ेगी तो ये सब आसानी से हो जायेगा। मैंने प्रीती की तरफ़ देखा और कहा, ”मेरे ख्याल से तुम सीधी पींठ के बल लेट जाओ।” उसने एक गहरी लम्बी साँस ली, और सीधी बैड पर पींठ के बल लेट गयी। मैं उसके नग्न शरीर का जी भर के दीदार कर रहा था, और उसकी चूत चाटने का वेट कर रहा था। ”मुझे थोड़ी घबराहट सी हो रही है,” उसने ऊपर छ्त की तरफ़ देखते हुए कहा।
”थोड़ी तो मुझे भी हो रही है,” मैंने उसकी चूत की तरफ़ देखते हुए जवाब दिया, और फ़िर कहा, ”लेकिन ज्यादा नहीं,” मैं अपने आप को नर्वस नहीं दिखाना चाहता था। मैं नीचे आकर प्रीती की चूत के ऊपर झुक गया, और प्यार से उसकी दोनों टाँगों को अलग कर दिया। फ़िर मैंने अपना मुँह उसकी झाँटों के त्रिकोण के निचले कोण पर, यानि चूत की फ़ाँक के ऊपरी छोर पर रख दिया, और चूत की मादक गंध को सूँघते हुए वहाँ पर प्यार से किस कर लिया। बहनचोद माँ कसम मजा आ गया! उसकी चूत के अंदरूनी गुलाबी होंठ कैसे पाव रोटी की तरह फ़ूले हुए थे, और मैं चूत की उन फ़ाँकों के बीच अपनी उँगली घुमा रहा था, और फ़ाँक के ऊपरी छोर को जीभ से टेस्ट कर रहा था, मैंने ऐसा करते हुए अपना सिर उठाकर प्रीती के चेहरे की तरफ़ देखा। वो मुझे देखकर मुस्कुरा दी, और मैं फ़िर से नीचे झुक गया, और अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में घुसाने लगा, और अपनी लाईफ़ में पहली बार किसी चूत को टेस्ट करने लगा।
मैंने अपनी जीभ को थोड़ा और ज्यादा उसकी चूत के अंदर घुसाया, और फ़िर बाहर निकाल लिया, इस तरह प्रीती की चूत के और ज्यादा रस का रसपान करने का मजा मिला। मैंने एक बार फ़िर से अपनी जीभ को उसकी चूत के और ज्यादा अंदर तक घुसा दिया, और इस दौरान शायद उसकी चूत का दाना मेरी जीभ की साईड से छू गया, क्योंकि वो चिहुँक उठी और यकायक उसके मुँह से ”ऊह” की आवाज निकल गयी, उसके बाद उसने एक गहरी लम्बी साँस ली।
प्रीती की चूत की सैक्सी, मादक, उत्तेजक गँध को सूँघकर और उसकी चूत को चाटते हुए, उसके रस का रसपान कर, मैं हर एक साँस के साथ और ज्यादा एक्साईटेड होता जा रहा था। मैंने अपनी पोजीशन चेन्ज करने का डिसाईड किया, मैं उठकर उसकी दोनों टाँगों के बीच आ गया, और प्यार से उनको और ज्यादा चौड़ा कर अलग अलग कर दिया। प्रीती की चूत अब मेरे सामने पुरी तरह नग्न और खुली हुई थी। मैंने उसके चेहरे की तरफ़ देखा, और वो धीरे से बुदबुदाई, ”ऐसे ही करते रहो ना, मजा आ रहा है।” मैं फ़िर से नीचे झुककर उसकी चूत की फ़ाँकों के ऊपरी छोर को किस कर लिया, और अपने राईट हैण्ड से, मैंने प्यार से उसकी चूत की दोनों फ़ाँकों को अलग अलग कर दिया, और फ़िर उसकी चूत के अन्दरूनी लिप्स के बीच आ रहे चूत के रस को चाट लिया। मैं उसको कराहते हुए सुन रहा था, और मैं समझ रहा था कि मैं जो कुछ कर रहा था उसका प्रीती पर क्या प्रभाव हो रहा था। चुँकि मैं ये सब अपनी लाईफ़ में पहली बार कर रहा था, इसलिये मैं अपनी परफ़ोर्मेस से खुश था।
पोर्न मूवीज में मैंने लड़कों को लड़की की चूत के अंदरूनी लिप्स को चुसते हुए देखा था, इसलिये मैं भी वैसा ही कर रहा था, और ऐसा करते ही जिस तरह प्रीती चिहुँक उठी थी, वो देखकर मैं समझ गया था कि ऐसा करना प्रीती को भी मजा दे रहा था। मैं एक पल को प्रीती की चूत का स्वाद को अपने अंदर सम्माहित करने के लिये रुका। फ़िर मैंने अपना मुँह को थोड़ा आगे खिसकाकर चूत के दाने को को चूसने का प्रयास किया, लेकिन सच्ची कहूँ तो मुझे पता नहीं था कि मैं चूत के किस हिस्से को चूस रहा था। मैं प्रीती के बदन के उस प्राईवेट हिस्से के हर भाग को चूस सकता था, और मैं उसकी चूत से निकल रहे रस को पहले अपनी जीभ से उसकी चूत के हर हिस्से पर फ़ैलाता था, और फ़िर उसको चाटकर चूस लेता था, और इस तरह उसकी चूत को ऊपर से निचे तक जब मैं चाट रहा था, उस वक्त प्रीती ने अपनी गाँड़ को उछालना शुरु कर दिया था।
अपनी सगी छोटी बहन के बदन के उस प्राईवेट पार्ट को चूसना, चाटना मुझको बेहद आनंदित और एक्साईटेड कर रहा था। मैंने अपने सिर को थोड़ा आगे सरकाया, जिससे मैं अपनी जीभ थोड़ी और अंदर तक घुसा सकूँ, उसकी चूत को चूसते और चाटते हुए, मेरी जीभ उसकी चूत के द्वार तक पहुँच गयी। मैंने चूत की छेद की ओपनिंग पर थोड़ी देर अपनी जीभ फ़िरायी, और फ़िर धीमे से उसके अंदर घुसा दी, वहाँ मैं एक पल को रुका और मैं चूत की अंदरूनी हिस्से का स्वाद लेने लगा। फ़िर मैंने उसकी चूत के इनर लिप्स को जीभ से नीचे से ऊपर तक चाटते हुए फ़िर से चूत के दाने को मुँह में भर लिया।
”तुम तो मेरी जान ही निकाल दोगे, विशाल” प्रीती ने धीमे से कहा, मैंने जवाब देने के लिये अपना सिर थोड़ा ऊपर किया।
”मजा आ रहा ना?” मैंने पूछा।
”बहुत मजा आ रहा है, अपने भैया के साथ,” प्रीती ने फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा।
”मैंने सुना है कि इस तरह चटवा कर कुछ लड़कियाँ झड़ भी जाती हैं,” मैंने कहा, ”लेकिन उसके लिये प्रेक्टिस चाहिये, मुझे नहीं लगता मैं ऐसा कर पाऊँगा,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन मैं मन ही मन सोच रहा था कि कितना अच्छा हो कि अगर प्रीती की चूत मेरे चुसने चाटने से पानी छोड़ दे।
”ठीक है, तुम उस की टैन्शन मत लो, हम दोनों को पता है कि किस तरह पानी निकाला जाता है,” उसने फ़िर आगे बोला, ”याद रखना, अगली तुम्हारी बारी तुम्हारी ही है।” मैं बस मुस्कुरा कर रह गया, मैंने कुछ नहीं कहा, और फ़िर से सिर नीचे कर के उसकी चूत में मुँह घुसा दिया, और उसकी पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत के होंठो के ऊपरी हिस्से को चाटने लगा, उस ऊपर की जगह जहाँ दोनों फ़ाँकें एक दूसरे से मिलती हैं।
मैंने अपना मुँह उसकी चूत के भग्नासे और दाने के ऊपर रख दिया, और उसको मुँह में भरकर उसका स्वाद लेने लगा, तभी उसको अपनी गाँड़ ऊँचकाते हुए देखकर मुझे एहसास हुआ कि शायद मैं उसको सही जगह टच कर रहा हूँ, मैं धीमे धीमे उसी जगह अपनी जीभ उसी जगह घुमाने लगा, प्रीती की साँसें तेज तेज चलने लगी, उसके गाँड़ को जल्दी जल्दी ऊँचकाने लगी, मैं समझ गया कि उसको कुछ कुछ हो रहा है। ”बहुत मजा आ रहा है, भैया!” प्रीती बोली। .
मैंने अपनी जीभ से चूत से निकल रहे रस को उसकी चूत के दाने पर लगा दिया, और फ़िर से चूत के दाने को अपने होंठों के बीच ले लिया, और धीरे धीरे अपने सिर को आगे पीछे करने लगा। मैं अपने हाथ प्रीती के हिप्स पर रख दिये, जिससे कि यदि वो अपनी गाँड़ ऊँचकाये तो उसको पकड़ के सही जगह रख सकूँ। और फ़िर मेरे मुँह के एक दो झटकों के बाद ही प्रीती मचल उठी और कराहते हुए कहने लगी, ”भैया, विशाल, भैया!! मैं बस मैं होने ही वाली हूँ!”
मैंने उसको अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया, और अपने सिर को आगे पीछे करने लगा, मेरे होंठ और जीभ अभी भी उसकी चूत के दाने पर थे, और वो पहले से और ज्यादा मचलने लगी। फ़िर मैंने उसको कहते हुए सुना, ”बहुत अच्छा लग रहा है, विशाल भैया, अब और बर्दाश्त नहीं होता!” और फ़िर उसके बाद एक लम्बी ”आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!” की आवाज, और मेरे साथ जद्दो जहद, क्यों कि वो अपनी गाँड़ को बैड से ऊपर उछालना चाहती थी, और मैंने उसकी पनिया रही चूत में मूँह घुसाकर उसको नीचे से पकड़ रखा था। मैं प्रीती को ऑर्गेस्म के उस चरम पर ले जाना चाहता था जो कि पहली बार वो अपने हाथों से नहीं कर रही थी, वो अपनी परम सुख की अलग दुनिया में खोकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर घिस रही थी, मैं भी बेहद उत्तेजित हो उठा था।
मैं प्रीती को रिलेक्स होते हुए देख रहा था, मेरा मुँह अभी भी उसकी चूत के ऊपर था, और मेरे सिर को प्रीती ने कानों के ऊपर से अपनी जाँघों के बीच जकड़ रखा था। अपनी बहन की चूत के ऊपर मुँह रखकर उसकी गोरी चिकनी जाँघो के बीच सिर फ़ँसे होने का अपना ही मजा आ रहा था! फ़िर उसने अपनी जाँघों को थोड़ा लूज और रिलेक्स किया, और मैं पीछे हटकर बैठ गया, उसने हाँफ़ते हुए पूछा, ”विशाल भैया, आर यू ओके?”
मेरे चेहरे पर बरबस मुस्कान आ गयी, और मैं बोला, ”तुमको पता नहीं है कि तुम्हारा वहाँ का जूस कितना ज्यादा टेस्टी है,” ये सुनकर प्रीती ने कहा, ”और तुमको भी नहीं पता कि मुझे कितना ज्यादा मजा आया।” उसने अपने पेट पर इस तरह हाथ रखकर कहा, जैसे छोटे बच्चे गुदगुदी होने पर करते हैं, फ़िर वो बोली, ”जब मैं अपने आप करती हूँ तो कुछ चीजों पर मेरा कंट्रोल रहता है, लेकिन जब तुम कर रहे थे तो मेरे बस में कुछ नहीं था।” वो एक पल को रुकी और फ़िर एक लम्बी साँस लेकर फ़िर बोलना शुरु किया, ”सच कहूँ तो मेरी, मेरी, मेरी चूत में एक विस्फ़ोट सा हुआ! और मैं हिल डुल भी नहीं पायी।” उसने अपने पेट पर हाथ रखे हुए ही अपने पैरों को अपनी छाती तक मोड़ा और फ़िर अपनी राईट साईड में करवट ले ली, और फ़िर हल्के से मुस्कुरा कर बोली, ”अब तुम्हारी बारी है, बस मैं थोड़ा नॉर्मल हो जाऊँ, अभी भी मेरा सारे बदन में मीठी मीठी सी गुदगुदी हो रही है।”
मैं प्रीती के पास उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा कर के लेट गया, और उसने अपने पैर सीधे कर लिये, और मेरे पास खिसक आयी, और अपनी लैफ़्ट बाँह को मेरे ऊपर ले आयी, और अपने राईट हैण्ड को मेरे मुँह के पास ले आयी। उसने अपने हाथ से मेरे होंठों को प्यार से सहलाया, और एक दो बार उनको अँगुठे और उँगली के बीच लेकर प्यार से उनकी हल्की चिकोटी भी भर ली, और फ़िर बोली, ”तुम बहुत शैतान हो, तुमने अपने मुँह से ही मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया।”
प्रीती ने एक हल्की सी आह भरी और फ़िर बोली, ”जब तुम मेरे वहाँ पर लिक कर के टेस्ट कर रहे थे, तो बहुत मजा आ रहा था, मैं तुम्हारी साँस और सब कुछ मेहसूस कर पा रही थी, और मैं मन ही मन सोच रही थी कि तुम बस वैसे ही सारी रात मुझे वहाँ चुसते और चाटते रहो!” उसने फ़िर एक लम्बी साँस ली और बोलना जारी रखा, ”और जब तुमने ऊपर उस दाने जैसी चीज को चुसना शुरु किया तो बस, फ़िर तो पता नहीं मुझे क्या होने लगा!” उसने एक लम्बी साँस के साथ अपनी बात खत्म की।
मैंने अपनी लैफ़्ट बाँह प्रीती के कंधों के नीचे खिसका दी, और राईट बाँह उसके ऊपर रख दी, और हम दोनों बस इसी अवस्था में कुछ देर लेटे रहे, मैं कपड़े पहने हुए और प्रीती एकदम नंगी। कुछ देर बाद जब वो संयत हो गयी तो बोली, ”अब तुम्हारी बारी है, विशाल भैया। तुम भी चाहते हो ना कि मैं भी तुम्हारे साथ वैसे ही करूँ, क्यों चाहते हो ना?”
मैंने हामी में गर्दन हिलायी, ”हाँ,” मेरा लण्ड लक्क्ड़ हो रहा था और वीर्य का पानी निकालने को बेताब था, लेकिन अब जब हम एक दूसरे से बेहद खुल चुके थे, तो शायद मुझे ज्यादा मजा आता, यदि हम एक दूसरे को एक साथ चाट के एक दूसरे का पानी निकालते, जैसा कि हमने लास्ट वीक किया था। प्रीती बैठते हुए मेरी टाँगों के बीच में आ गयी। ”इसको पूरी तरह उतारना पड़ेगा,” मेरी जीन्स की बैल्ट के बक्क्ल को खोलते हुए, और जीन्स के बटन को खोलने के बाद चैन को अनजिप करते हुए वो बोली।
मैंने अपने कूल्हे ऊपर उठाकर उसको जीन्स और अन्डरवियर पूरी तरह पैरों में से उतार कर निकालने में उसकी मदद की। उसने उनको उतारकर फ़र्श पर फ़ेंक दिया, और मेरे खड़े लण्ड को निहारने लगी। हाँलाकि मैं उसकी चूत चाट चुका था, और उसके साथ इस तर्ह नंगा लेटा हुआ था फ़िर भी ना जाने क्यों जिस तरह से वो मेरे औजार को देख रही थी,मुझे थोड़ा अजीब लगा, वो बोली, ”इस शैतान को देखो।”
प्रीती ने मेरे लण्ड को अपने राइट हैण्ड से छुआ, और फ़िर मुस्कुराते हुए उसने उसको मुट्ठी में भर लिया, जिस तरह से उसने लास्ट वीक लैफ़्ट हैण्ड से किया था, जब उसने कुछ देर मेरी मुट्ठ मारी थी। उसने अपने हाथों से मेरे लण्ड को हल्के से पकड़कर सुखा ही मुठियाना शुरु कर दिया, और फ़िर बोली, ”विश्वास नहीं होता ये कितना बड़ा और हार्ड हो जाता है।”
उसका इस तरह प्यार से मेरे लण्ड को सहलाना मुझे बहुत आनंदित कर रहा था, उसने मेरे चेहरे की तरफ़ देखा और बोली, ”जब हम छोटे छोटे थे 8-9 साल के और एक साथ नहाया करते थे, तब ये कितना छोटा सा हुआ करता था, तब और अब में कितना फ़र्क आ गया है।”
प्रीती ने मेरे लण्ड पर से अपना हाथ हटा लिया, और मेरे लण्ड के ऊपर अपना सिर झुकाते हुए बोली, ”मैंने आज तक सिर्फ़ वीडियो पर ही देखा है, देखो मैं किस तरह कर पाती हूँ।” उसने अपने होंठों पर जीभ फ़िराकर उनको गीला किया, और फ़िर प्यार से मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूम लिया, और फ़िर मुस्कुराते हुए बोली, ”इस तरह से वीडियो चूमते हुए नहीं देखा होगा।” और फ़िर उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े को आईस क्रीम कोन की तरहज जीभ से चाटना शुरु कर दिया, मैं जन्नत की सैर करने लगा।
कुछ देर जीभ से चाटने के बाद, प्रीती ने अपने होंठ मेरे लण्ड के सवेदनशील सुपाड़े के ऊपर रख दिया, और फ़िर पूरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर लिया, और फ़िर अपना सिर ऊपर नीचे करने लगी, लेकिन उसने सिर्फ़ सुपाड़ा ही मुँह के अन्दर ले रखा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, और मैं बरबस अपनी गाँड़ उँचकाने लगा। प्रीती ने अपना सिर उठा कर पूछा, ”अच्छा लग रहा है?” वो मेरा जवाब जानती थी, और बस मुस्कुरा दी।
”स्स्स बहुत मजा आ रहा है,” मैं किसी तरह बोला। प्रीती मुस्कुराई और फ़िर से अपने काम में लग गयी, अपने थूक से होंठो को गीला कर, लण्ड के सुपाड़े को मुँह में भरकर, होंठो को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे मुट्ठ मारने के साथ साथ उसकी जीभ से मेरे लण्ड को सहलाया जाना बेहद उत्तेजित कर रहा था, और मुझे मजा नहीं बहुत ज्यादा मजा आ रहा था, और मैं बहुत जल्दी झड़ने के बेहद करीब पहुँच गया था, और आखिर मुझे कहना ही पड़ा, ”प्रीती, मुझसे अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा, प्लीज रुक जाओ!”
प्रीती फ़िर से अपना सिर ऊँचा करके मुस्कुरायी और बोली, ”बहुत ज्यादा ही सेन्सिटिव हैं हम दोनों ही, क्यों? बस थोड़ी देर और मुझे इसको एक बार पूरा अपने मुँह में तो ले लेने दो।” वो अपने कूल्हे थोड़ा इधर उधर किये और फ़िर अपने घुटनों पर बैठे बैठे ही मेरे लण्ड के ऊपर उसने अपना सिर झुका लिया, तो इस प्रकार उसके हिप्स और चूत मेरे लैफ़्ट कन्धे के समीप थे। ”मेरी चूत पनिया रही है, विशाल भैया, प्लीज उसका भी थोड़ा ध्यान रखो।”
मैंने प्रीती की चूत की तरफ़ देखा, मुझे वो फ़ूली हुई दिखायी दी, जिस पर पानी की बूँदे चमक रही थीं। सच कहूँ तो, मुझे लड़कियों की वो वाली पॉर्न इमेजेस ज्यादा पसंद आती थीं जिसमें लड़की की फ़ोटो पीछे से ली गयी होती थी, वो अपने घुटनों के बल बैठ हो, उसका सिर नीचे झुका हो, गाँड़ ऊपर उठी हुई हो, और इस तरह उसकी चूत खुल कर दिखायी दे रही हो, और यदि उस चूत में से पानी निकल रहा हो तो सोने पर सुहागा, मैं इस तरह की पॉर्न ईमेजेस देख कर ही ज्यादातर मुट्ठ मारा करता था, और यहाँ इस वक्त प्रीती ठीक उसी तरह से मेरे सामने थी, और उसी पोज में मेरे लण्ड को चूस और चाट रही थी। मैंने प्यार से उसकी चूत के अन्दरूनी लिप्स को अपने बायें हाथ से छुआ, और फ़िर पहली उंगली से उसकी चूत के द्वार को टटोलने लगा, और फ़िर बोला, ”तुम्हारी चूत तो बहुत ज्यादा पनिया रही है, प्रीती।” मैं धीमे धीमे उसको अपनी उंगली से चोदने लगा, लेकिन मैं अपनी उँगली बस आधी ही घुसा रहा था, मुझे पता था कि वो कुँवारी थी, हाँलांकि उसकी चूत भी बहुत टाईट थी, लेकिन अंदर से पनिया कर बेहद चिकनी हो रही थी।
प्रीती मेरे लण्ड के सुपाड़े को चूसे और चाटे जा रही थी, लेकिन इस बार बेहद प्यार से, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, और मैं किसी तरह अपने आप को कन्ट्रोल किये हुए था। मैंने उसकी चूत में से ऊँगली को बाहर निकाला और उस पर लगे चिकने पानी को चाट लिया, और फ़िर अपनी बहन की चूत को हाथ से सहलाने लगा, जो उसने अपने भाई के लिये टाँगें चौड़ी कर के खोल रखी थी।
प्रीती ने मेरे लण्ड को और ज्यादा अपने मुँह के अन्दर ले लिया, और मुझे लगा कि यदि ऐसे ही चलता रहा तो मैं बहुत जल्द झड़ जाऊँगा। मुट्ठ मारते हुए बहुत कुछ अपने खुद के कन्ट्रोल में होता है, लेकिन यहाँ ऐसा नहीं था। मुझे लगा कि प्रीती को बता देना चाहिये कि किसी भी समय उसका मुँह मेरे लण्ड से निकले वीर्य के पानी से भरने वाला है।
मैं किसी तरह हिम्मत करके बोला। ”प्रीती, मैं बस होने ही वाला हूँ।” प्रीती ने मेरी बात सुनकर गर्दन हिलाई और उसने लण्ड को चूसना जारी रखा। उसको ऐसा करते हुए बहुत मजा आ रहा था, उसकी चूत बहुत ज्यादा पनिया रही थी।
प्रीती ने मेरे लण्ड पर से अपना सिर ऊपर करते हुए कहा, ”मुझे बहुत मजा आ रहा है।” मैं उसकी चूत को प्यार से सहालाते और चूमते हुए खेल रहा था। उसने एक बारगी अपनी चूत की तरफ़ देखा, और बोली, ”तुम समझ रहे हो ना, मैं कितनी ज्यादा एक्साईटेड हो रही हूँ।
मैंने उसकी खुली हुई पनिया रही चूत को देखते हुए कहा, ”हाँ, वो तो दिखाई पड़ रहा है।” मैंने उसकी चूत के पानी से सनी अपनी ऊँगली को एक बार फ़िर से चाट लिया, मुझे ऐसा करते देख, उसने अपने होंठों को जीभ से चाट लिया।
”मुझे एक आईडिया आया है,” प्रीती ने कहा, ”चलो हम दोनों करते हैं।” इतना कहकर वो मेरी तरफ़ देखने लगी।
”करते हैं?” मैंने कहा, कहीं उसका मतलब सैक्स करते हैं से तो नहीं ना।
”विशाल, मेरा मतलब सैक्स करते हैं,” इतना सुनकर भी जब मैं अचम्भित होकर उसकी तरफ़ देखता रहा, तब वो बोली, ”ऐसे क्या देख रहे हो, चलो चुदाई करते हैं।”
इससे पहले मुझे याद नहीं मैंने कभी प्रीती के मुँह से चुदाई का शब्द सुना हो, मैं किसी तरह बोला, ”लेकिन हमारे पास उम्म्म,” एक पल को मैं बोलते बोलते रुक गया। ”कोन्डोम” फ़िर आगे हकलाते हुए बोला, ”ऐसे तो तुम प्रेग्नेन्ट भी हो सकती हो।”
”नैक्स्ट वीक से मेरे पीरियड्स शुरु हो जायेंगे, इसलिये ये सेफ़ टाईम है,” प्रीती ने कहा, और फ़िर स्मार्ट बनते हुए बोली, ”ये हम दोनों का ही पहला एक्स्पीरियेन्स होगा, और अगर ठीक तरह से नहीं भी हुआ तो कोई बात नहीं, क्यों कि ये तो हमारा आपस का मामला है,” इतना कहकर वो मुस्कुराने लगी, और फ़िर बोली, ”क्यों, तुम क्या सोचते हो?”
मैं भी उसको चोदना चाहता था, लेकिन ये एक बहुत बड़ा कदम था, उसकी चूत के साथ खेलने से कहीं ज्यादा बड़ा। ये सब बहुत एक्साईटिंग होता जा रहा था, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ जवाब देता, प्रीती ने कहा, ”तुमको तो पता ही है कि मैं चुदने को कितनी बेकरार हो रही हूँ।” उसने मेरे लण्ड की तरफ़ देखते हुए कहा, ”मेरा तो मन कर रहा है कि बस इस को अपनी चूत में घुसा के अपनी चूत की आग को शांत कर लूँ।”
“मैंने पढा है कि पहली बार में लड़कियों को बहुत दर्द होता है,” मैंने कहा, और फ़िर आगे किसी तरर्ह हकलाते हुए बोला, ” और शायद खून भी निकलता है।”
प्रीती थोड़ा ऊपर होकर मेरे पास आकर मेरी लैफ़्ट साईड में पहले की तरह लेट गयी, और बोली, ”हाँ मैंने भी मैगजीन्स में पढा है, लेकिन उसमें ये भी पढा था कि जो लड़कियाँ अपनी ऊँगली से अपने आप पहले से करते रहीं हो, य जो हॉर्स राईडिंग वगैरह करती हों उनको पहली बार में भी ब्लीडिंग नहीं होती।” इतना कहकर उसने मेरे होंठों को प्यार से चूम लिया, और फ़िर बोली, ”और मैं ये दोनों काम करती हूँ,” उसने एक बार फ़िर से मेरे होंठों को किस किया और फ़िर कहा, ”चलो एक बार एक दूसरे को प्यार करके तो देखते हैं, पता तो चलेगा कैसा लगता है।”
मैं तो एक्साईट्मेंट के मारे मरा जा रहा था, और मेरे बगल में प्रीती मादरजात नंगी होकर लेटी हुई थी, मैंने अपनी लैफ़्ट साईड करवट लेकर प्रीती को किस करने लगा, और साथ साथ उसके लैफ़्ट निप्प्ल को मींजने लगा। उसके होंठों को चूसने के बाद मैं उसके राईट निप्पल को किस करने लगा, और उसको होंठों के बीच लेकर उसको अपनी जीभ से चूसने लगा। फ़िर मैं प्रीती की कुँवांरी चूत को चुदने से पहले एक बार लास्ट टाईम देखने के लिये जैसे ही नीचे की तरफ़ जाने लगा, प्रीती मेरी तरफ़ अचरज से देखने लगी। उसने मरी टी-शर्ट को ऊपर उठाते हुए कहा, ”इसको भी उतार दो ना, हम दोनों पूरे नंगे होकर करेंगे।”
मैंने अपनी टी-शर्ट उतारकर अपने बाकी सभी कपड़ों के पास नीचे जमीन पर फ़ेंक दी। फ़िर जैसे ही मैं उसके पेट पर किस करते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढा, प्रीती हल्का सा मुस्कुरा दी। फ़िर मैं अपना चेहरा उसकी चूत के पास ले गया, और उसकी चूत से निकल रही मादक गँध को सूँघने लगा। मैंने पहले ऊपर उसकी झाँटों के पास किस किया, और फ़िर चूत की दरार के ऊपरी छोर पर, और फ़िर अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में ऊपर से लेकर नीचे तक फ़िराने लगा। और फ़िर उसकी चूत से निकल रहे रस को चाट लिया, ऐसा करते हुए मैंने एक बार प्रीती की तरफ़ देखा।
उसकी दोनों टाँगों के बीच और ऊपर आते हुए, मैंने उसकी पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत को निहारा, जो पनिया कर मेरे लण्ड के अपने अन्दर घुसने का इंतजार कर रही थी। उसकी चूत का मुँह हल्का सा बाहर निकला हुआ था, मैंने उसके अन्दर अपनी एक ऊँगली घुसा दी, और फ़िर एक दो बार अंदर बाहर की, जिससे की वो पूरी अन्दर तक घुस गयी। मैंने पहले कभी किसी लड़की को नहीं चोदा था, और जो कुछ मैं कर रहा था वो सब कुछ अपने आप हो रहा था। फ़िर मैंने उँगली को बाहर निकाला, और प्रीती के ऊपर लेट गया, मैंने अपना वजन घुटनों और लैफ़्ट एल्बो पर ले रखा था, और सीधे हाथ से अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के द्वार पर ले जा रहा था।
‘ये आराम से अन्दर तो घुस जायेगा ना?” प्रीती ने धीमे से पूछा।
हाँलांकि मैं खुद अत्यधिक नर्वस था, और उतना ही एक्साईटेड भी, लेकिन फ़िर भी मैंने हामी में गर्दन हिलाई, प्रीती की चूत से निकल रही चिकनाहट को थोड़ा सा अपने लण्ड के सुपाड़े को गीला किया, और फ़िर उसको प्रीती की चूत के मुहाने पर लाकर उसको थोड़ा सा अन्दर घुसाया। वो थोड़ा अचकचाई, मुझे बिल्कुल भान नहीं था कि कुँवारी चूत की सील तोड़ने में कितनी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन फ़िर भी मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी कल्पना से कहीं बेहतर, आराम से अन्दर घुस गया। अब मेरे लण्ड का सुपाड़ा मेरी छोटी बहन की चूत के अन्दर घुसा हुआ था, और मैं धीमे धीमे छोटे छोटे झटके मार रहा था, और बस सुपाड़े से ही उसको चोद रहा था। प्रीती ने एक गहरी लम्बी साँस ली, और फ़िर फ़ुसफ़ुसाकर पूछा, ”तुमने अन्दर घुसा दिया ना, विशाल।”
स्वाभाविक था कि मेरा मन लण्ड को पूरा उसकी घुसा कर घचाघच चोदने का कर रहा था, लेकिन साथ ही साथ मुझे ये भी पता था कि प्रीती पहली बार चुदवा रही है, इसलिये मैं आराम से सब कुछ कर रहा था, मैं आराम से हर झटके के साथ, लण्ड को थोड़ा और अन्दर घुसाने का प्रयास कर रहा था, प्रीती की चूत ने मेरे लण्ड को कस कर जकड़ रखा था।
प्रीती को शायद ये लग रहा था कि मुझे अपना लण्ड अन्दर घुसाने में दिक्कत हो रही है, लेकिन सच तो ये था कि मैं नहीं चाहता था कि प्रीती को थोड़ा भी दर्द हो। प्रीती बोली, ”थोड़ा, जोर से करो ना, भैया।” मैंने उसको जवाब दिया, ”मैं तो इसलिये जोर जोर से नहीं कर रहा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुमको दर्द हो।”
”मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा, विशाल,” वो मुस्कुराते हुए बोली, ”मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, तुम पूरा अन्दर घुसा दो, अगर दर्द होगा तो मैं तुमको बता दूँगी।”
मैंने प्रीती की बात मानकर, लण्ड को थोड़ा और उसकी चूत के अन्दर घुसाया, और फ़िर हर झटके के साथ और ज्यादा अन्दर घुसाने लगा। कुछ ही झ्टकों के बाद, मेरा लण्ड पूरा प्रीती की चूत के अन्दर घुस गया। उसकी चूत बहुत ज्यादा टाईट थी, और उसने मेरे लण्ड को पूरी तरह जकड़ रखा था, लेकिन साथ साथ उसकी चूत इतनी ज्यादा पनिया रही थी कि मेरे लण्ड को अन्दर बाहर करने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी। मैंने कहा, ”शायद अब मेरा ये पूरा अन्दर घुस गया है।”
”हाँ, मुझे पता है अब पूरा अन्दर है,” प्रीती ने कहा, ”मैं उसको फ़ील कर रही हूँ।” उसने मुझे किस करने के लिये अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाया, और मैंने तभी अपने लण्ड को झटके से फ़िर उसकी चूत में पेल दिया, तो तीन प्यारी सी किस करने के बाद, उसने एक साँस ली, और फ़िर कहा, ”कितना मजा आ रहा है, है ना?”
मैंने जवाब दिया, ”हाँ,” उस वक्त जब प्रीती की चूत ने मेरे लण्ड को कस कर प्यार से जकड़ रखा था, मैंने आगे कहा ”बहुत मजा आ रहा है।”
”पता नहीं मैं तो कब होऊँगी,” चुदाई करवाते हुए प्रीती ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा, ”लेकिन जब तुम्हारा मन करे तब हो जाना, ओके?” उसने फ़िर से एक लम्बी साँस ली, और फ़िर बोली, ”चलो अब करो भी।”
”तुमको दर्द तो नहीं हो रहा ना?” मैंने झटके मारते हुए कहा।
”तुम तो बस ऐसे ही जोर जोर से करते रहो, जब मुझे दर्द होगा तो मैं तुमको बता दूँगी,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, उसने मुझे अपनी बाँहों में भर रखा था, ऐसा कहते हुए उसने मुझे और जोरों से जकड़ लिया।
मैंने अपनी पोजीशन को हल्का सा बदला, और फ़िर से जोरदार अन्दर तक झटके मारकर उसको चोदने लगा, ऐसा होते देख प्रीती की आँखें खुली की खुली ही रह गयीं, और वो बोली, ”विशाल, मेरे भैया, बहुत मजा आ रहा है !” उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी, और वो बड़बड़ाये जा रही थी, ”ऐसे ही करते रहो भैया!” और फ़िर उसने अपने मुँह से साँस ली, और बोली, ”जब तुमने अन्दर तक पूरा घुसाया ना, तब से बहुत ज्यादा मजा आ रहा है।” वो अपनी गाँड़ नहीं उछाल रही थी, लेकिन मुझे मुझे अपनी बाँहों मे भरकर, अन्दर तक लण्ड घुसवाने में पूरा सहयोग कर रही थी।
मुझे अपनी छोटी बहन की चूत में अपना लण्ड अन्दर तक घुसाकर जोर जोर से झटके मारने में परम आनन्द मिल रहा था। मैं चाहता तो कभी भी झड़ जाता, लेकिन जिस तरह से प्रीती ने कहा कि उसको अनदर तक घुसवा कर और ज्यादा मजा आ रहा है, तो मैंने सोचा कि हो सकता है कि थोड़ी देर में वो भी मेरे साथ ही झड़ जाये। ” और जोर से करूँ क्या?” मैंने पूछा।
”बस ऐसे ही करते रहो,” प्रीती ने हाँफ़ते हुए जवाब दिया, ”बहुत अच्छा लग रहा है, बस मेरी चूत में ही नहीं, सब जगह।” उसने अपनी बाँहें मेरे सिर के पीछे लाकर मेरे सिर को नीचे झुकाया, और मेरे होंठों को अपना मुँह खोलकर कसकर चूम लिया, उसके इस तरह चूमने से मुझे और ज्यादा जोश आ गया, और वो बोली, ”मुझे चोदते हुए मुझे ऐसे ही किस करते रहो, विशाल!”
प्रीती और मैं इसी तरह एक मिनट तक और चूमते हुए चुदाई करते रहे, मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में पेले जा रहा था, और हम दोनों के बदन होंठ और चूत लण्ड से चिपके हुए थे। हम दोनों ही पहली चुदाई का मजा ले रहे थे, मुझे पता था कि मैं किसी भी वक्त झड़ने वाला हूँ, मुझे नहीं पता था कि प्रीती की चुदास मिटी है या नहीं। लेकिन अब मेरे लिये रुकना असम्भव था, जैसे ही मेरे बदन ने वीर्य का पानी छोड़ने की तैयारी की, बस फ़िर ऑर्गस्म का आनंद लेने के सिवा मेरे पास और कुछ सोचने के लिये समय नहीं था।
लेकिन तभी, प्रीती ने झटके के साथ अपना सिर पीछे किया, और उसकी आँखें खुली कि खुली ही रह गयीं, और वो जोर से चीख कर बोली, ”विशाल! लगता है मैं बस… … ” वो अपना वाक्य पूरा नहीं कर पायी, और बस वो दबी दबी आवाज, ”ओह, ओह ओह्ह्ह,” निकालने लगी। वैसी ही आवाज जैसी वो अपनी चूत को सहलाते हुए निकाला करती थी, उसकी चूत में लण्ड पेलते हुए मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि प्रीती झड़ रही थी। प्रीती ने अपनी आँखें बंद कर लीं और सिर को पीछे झटकते हुए बोली, ”ओह, गॉड!!” और फ़िर उसने मुझे अपनी बाँहों में और कस कर ज्कड़ लिया। प्रीती की चूत मेरे लण्ड को निचोड़ रही थी, मेरे लण्ड का ज्वालामुखी भी फ़ूट गया था, और मैं अपनी बहन की चूत में अपने वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी छोड़े जा रहा था, और हर पिचकारी के साथ मुझे अजीब गजब आनन्द की अनुभूती हो रही थी।
मुझे नहीं पता कि मेरे लण्ड ने वीर्य की कितनी पिचकारियाँ प्रीती की चूत में छोड़ी थीं, लेकिन ऑर्गस्म के कुछ देर बाद मैं रिलेक्स होने लगा, और प्रीती अभी भी जोर जोर से तेज साँसें ले रही थी, उसकी आँखें अभी भी आधी बंद थीं, वो बोली, ”बहुत मजा आया, मुझे नहीं पता था चुदाई में इतना मजा आता है।”
”मुझे नहीं लग रहा था कि तुम मेरे साथ ही झड़ जाओगी,” मैंने भी थोड़ा हाँफ़ते हुए कहा, ”तुमने तो मुझे सरप्राईज ही कर दिया।”
मुझे नहीं पता कि मेरे लण्ड ने वीर्य की कितनी पिचकारियाँ प्रीती की चूत में छोड़ी थीं, लेकिन ऑर्गस्म के कुछ देर बाद मैं रिलेक्स होने लगा, और प्रीती अभी भी जोर जोर से तेज साँसें ले रही थी, उसकी आँखें अभी भी आधी बंद थीं, वो बोली, ”बहुत मजा आया, मुझे नहीं पता था चुदाई में इतना मजा आता है।”
”मुझे नहीं लग रहा था कि तुम मेरे साथ ही झड़ जाओगी,” मैंने भी थोड़ा हाँफ़ते हुए कहा, ”तुमने तो मुझे सरप्राईज ही कर दिया।”
“तुमने भी तो मुझे सरप्राईज कर दिया,” प्रीती ने कहा, ”अपनी पहली चुदाई में ही तुमने तो मेरी चूत की सारी आग बुझा दी!” मैं थक कर प्रीती के बगल में बैड पर लेट गया। लेटे हुए प्रीती ने कहा, ”अभी थोड़ा देर पहले जो मैं अभी अभी झड़ी थी शायद उसकी वजह से मैं इतनी ज्यादा एक्साईटेड थी, और फ़िर भैया तुमने जब मेरी चूत को चाटा ना, तो उसके बाद तो मैं बहुत ज्यादा चुदासी हो गयी थी।” फ़िर प्रीती अपने पेट के बल उलटा होकर लेट गयी, और मेरे से चिपक गयी, उसने अपना राईट बाँह मेरी छाती पर रख दी और फ़िर बोली, ”और फ़िर जब भैया तुमने जब थोड़ा सा पोजीशन चेन्ज कर के फ़िर से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाया था ना तब तो बस मजा ही आ गया, मेरी चूत तो उसी वक्त पानी छोड़ने को तैयार हो गयी थी!”
फ़िर प्रीती ने अपना सिर नीचे करके अपनी दोनों टाँगों के बीच देखते हुए बोला, ”ओह, लगता है वहाँ तो पानी का सैलाब आया हुआ है!” फ़िर खिलखिला कर हँसते हुए बोली, ”लगता है कल सुबह ढेर सारे कपड़े धोने पड़ेंगें।”
प्रीती और मैं फ़िर वहाँ बैड पर सतुष्ट होकर वैसे ही कुछ देर और नंगे लेटे रहे, और फ़िर प्रीती ने कहा, ”तुमको पता है विशाल?”
मैंने पूछा, ”क्या?”
”मैं और तुम दोनों ही अब वर्जिन नहीं रहे,” प्रीती ने धीमे से संतुष्टी भरे अंदाज में कहा, ” और सबसे मजे की बात तो ये है कि हम किसी को बता भी नहीं सकते कि हम अपना कौमार्य एक दूसरे के साथ चुदाई करके खो चुके हैं, है ना मजे की बात?”
”हाँ, ये बात तो तुम सही कह रही हो,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा। ”अगर किसी और लड़की को चोदा होता, तो मैं कल ही अपने सब दोस्तों को बता देता, लेकिन तुमको चोदने की बात तो किसी को बता भी नहीं सकता।”
”ये बस हम दोनों के बीच सीक्रेट रहेगा,” प्रीती ने कहा। फ़िर कुछ देर कुछ सोचने के बाद वो बोली, ”लेकिन अगर तुम को नींद आ गयी और तुम यहीं पर सो गये, और अगर मम्मी आ गयीं तो फ़िर ये कोई सीक्रेट नहीं रहेगा।” प्रीती ने फ़िर से मेरे होंठों को प्यार से चूमते हुए कहा, ” चाहती तो मैं भी नहीं हूँ कि तुम मेरे रूम से बाहर जाओ, लेकिन बेहतर ये ही होगा कि जब मम्मी आयें तो तुम उनको अपने रूम में अपने बैड पर लेटे मिलो, हमको कोई चान्स नहीं लेना चाहिये। जब मैं बैड पर से उठकर नीचे से अपने कपड़े उठाकर प्रीती के रूम से बाहर निकलने लगा तो प्रीती ने कहा, ”अभी तो शुरूआत हुई है।”
मैंने अपने रूम में पहुँचकर, लॉन्ड्री बास्केट में अपने कपड़े फ़ेंक दिये, और अपने बैड पर धड़ाम से गिर पड़ा, और प्रीती की चूत का रस जो अभी भी मेरे होंठों पर लगा हुआ था, उसको स्वाद लेकर चाटने लगा। पिछले जो दो फ़्राईडे आकर चले गये थे, उस बीच हमारे घर की चारदीवारी के बीच बहुत कुछ घट चुका था, और किसी को कानोकान कोई खबर नहीं थी। मैं मन ही मन सोचने लगा कि कैसे सब कुछ बदल चुका था।