पिछला भाग: भाई बहन के प्यार से सेक्स तक-2
रात का सन्नाटा और ठंड का मौसम हमारे कमरे में एक कामुक माहौल बना रहा था। मैं और श्वेता एक-दूसरे से चिपके हुए बिस्तर पर लेटे थे। मेरा लंड लोअर के अंदर तनकर उसकी नंगी गांड और बुर से रगड़ रहा था, और वो भी अपनी गांड को पीछे धकेलकर मुझे और गर्म कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ और गर्म साँसें मेरे बदन में आग लगा रही थीं। मैंने धीरे से उसके गाल पर एक गर्म चुम्मन दिया। वो पलट गई, और उसका स्कर्ट ऊपर सरक गया। उसकी रसीली, चमकदार बुर ठीक मेरे लंड के सामने आ गई। उसने मेरे चेहरे पर चुम्मनों की बरसात कर दी—माथे, गालों, ठुड्डी, और आखिर में हमारे होंठ आपस में टकरा गए।
ये हमारा दूसरा लिप किस था, लेकिन इस बार कुछ अलग था। हमारी जीभें एक-दूसरे से मिलीं, और हम एक-दूसरे को चूसने लगे। उसका बदन गर्म होने लगा, जैसे बुखार चढ़ रहा हो। उसके हाथ-पैर काँपने लगे, और वो सिर्फ किस करने से ही पागल सी हो गई। मैं उसकी पीठ सहलाते हुए उसके नंगे चूतड़ों पर पहुँचा। मेरी उंगलियाँ उसकी गांड की दरार में फिसलीं, और जब मैं उसकी बुर तक पहुँचा, तो वो पूरी तरह गीली थी। उसकी बुर का चिपचिपा रस मेरी उंगलियों पर लग गया। मैंने उसकी बुर की लकीर में उंगली से उसके दाने को रगड़ा। वो ‘आह… ऊँह…’ की सिसकारियाँ भरने लगी।
थोड़ा होश आने पर उसने शरमाते हुए पूछा, “भैया, ये क्या कर रहे हो?”
मैंने हँसकर कहा, “बेटू, तेरी प्यारी बुर को भी तो प्यार चाहिए न!”
वो शरमा गई और चुप हो गई।
मैंने उसकी एक चूची को धीरे से दबाया और फिर से उसे लिप किस करने लगा। आज मैंने ठान लिया था कि सब कुछ कर जाऊँगा। मैंने कहा, “बेटू, आज हम दोनों सारे कपड़े उतारकर सोते हैं। ऐसा मजा आएगा कि तू भूल नहीं पाएगी।”
वो बोली, “कैसे, भैया?”
मैंने कहा, “बस जैसा मैं कहता हूँ, वैसा कर।”
वो शरारती मुस्कान के साथ बोली, “ठीक है, भैया।”
रजाई के अंदर मैंने अपना लोअर और टी-शर्ट उतार दिया। उसने भी अपनी स्कर्ट और टॉप उतार दिया। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। जब हम एक-दूसरे से चिपके, तो हमारे नंगे बदन का स्पर्श ऐसा था, जैसे बिजली का झटका। उसकी नरम चूचियाँ मेरी छाती से दब रही थीं, और मेरा तना हुआ लंड उसकी बुर की लकीर पर रगड़ रहा था। ऐसा सुखद अहसास था कि शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
मैंने अचानक उठकर रूम की लाइट जला दी। श्वेता घबरा गई और बोली, “भैया, ये क्या?”
मैंने कहा, “बेटू, आज तुझे पूरी तरह नंगे देखने का मन है। तू इतनी मस्त है, लाइट में और चमकेगी।”
वो शरमाकर हँस दी और बोली, “भैया, आप भी न! मैं तो आपकी ही हूँ। जब मन करे, देख लो।” उसने रजाई भी हटा दी और अपनी पूरी नंगी बॉडी मेरे सामने पेश कर दी।
उसकी नजर मेरे तने हुए लंड पर गई। वो बोली, “भैया, ये तो कल से भी ज्यादा मोटा और खड़ा है!”
मैंने हँसकर कहा, “हाँ बेटू, ये तुझे देखकर ऐसा हो गया। तू है ही इतनी रसीली।”
मैं उसके करीब गया और उसके माथे पर चुम्मन दिया, फिर आँखों पर, गालों पर, और आखिर में फिर से लिप किस शुरू कर दिया। मैंने एक हाथ से उसकी चूची दबानी शुरू की। उसकी चूचियाँ छोटी लेकिन सख्त थीं, जैसे रसीले संतरे। वो बोली, “भैया, धीरे… दर्द हो रहा है।”
मैंने पूछा, “कहाँ दर्द हो रहा है?”
वो शरमाकर बोली, “वो… जो आप दबा रहे हैं।”
मैंने हँसकर कहा, “क्या दबा रहा हूँ, बता न!”
वो लजाते हुए बोली, “मेरा… दूध…”
मैं हँस पड़ा और बोला, “पगली, इन्हें चूची कहते हैं।”
वो मुस्कुराकर बोली, “हाँ भैया, मेरी चूची धीरे दबाओ न, दर्द हो रहा है।”
मैंने कहा, “बेटू, अभी तो बहुत कुछ होगा। इस दर्द में भी तुझे मजा आएगा।”
वो मेरी तरफ देखकर शरारती अंदाज में मुस्कुराने लगी। मैंने उसकी गर्दन पर चुम्मन शुरू किए और धीरे-धीरे नीचे आया। उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरी को हल्के-हल्के दबाने लगा। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं, जैसे रुई के गोले। वो आँखें बंद करके सिसकारियाँ भरने लगी—‘आह… भैया… इस्स…’। मैं बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूसा और दबाया। उसकी चूचियाँ 28B साइज की थीं, जो मुझे उसकी ब्रा से पता चला, जब उसने उसे उतारा था।
मैंने कहा, “बेटू, मेरा लंड पकड़कर कल की तरह सहला न।”
वो बोली, “क्या सहलाऊँ, भैया?”
मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और कहा, “इसे लंड कहते हैं, मेरी जान।”
वो हँस दी और मेरे लंड को ऊपर-नीचे सहलाने लगी। उसका नरम हाथ मेरे लंड पर ऐसा जादू कर रहा था कि मैं सातवें आसमान पर था।
मैं उसकी नाभि तक चूमता-चाटता पहुँचा। जब मैंने उसकी नाभि में जीभ डाली, तो वो ‘सी… आह…’ करके मचल उठी। मैंने उसकी नाभि को खूब चूसा, और अब बारी थी उसकी रसीली बुर की। मैंने उसके दोनों पैर फैलाए और उसकी बुर को प्यार से सहलाया। उसकी बुर की फाँकों को उंगलियों से फैलाकर देखा—गुलाबी, नाजुक पंखुड़ियों जैसी। उसकी बुर का गीला रस चमक रहा था। मैंने बिना देर किए अपनी जीभ उसकी बुर पर रख दी और चूसना शुरू कर दिया। उसकी बुर का स्वाद ऐसा था, जैसे कोई मीठा अमृत। मैं उसकी बुर को चाटता गया, और वो मचलती रही—‘आह… भैया… क्या कर रहे हो… इस्स…’।
मैंने अपनी जीभ नुकीली करके उसकी बुर के छेद में डाली। उसकी बुर अंदर से बंद थी, लेकिन उसका स्वाद गजब का था। मैं पूरी मस्ती में उसकी बुर चूस रहा था। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी बुर में दबाने लगी। मैं समझ गया कि उसका सैलाब निकलने वाला है। मैंने और जोर-जोर से उसकी बुर चूसी। वो अपनी गांड उठा-उठाकर बुर चुसवा रही थी। अचानक उसने गांड को और ऊपर उठाया और काँपते हुए ‘आह… भैया…’ की सिसकारी के साथ अपना यौवन रस मेरे मुँह में निकाल दिया। उसका रस खट्टा-नमकीन और अनोखा था। मैंने सारा रस पी लिया, और मेरा चेहरा भी गीला हो गया।
पहली बार झड़ने के बाद वो निढाल हो गई। उसकी साँसें तेज थीं, और वो आँखें बंद किए बिस्तर पर पड़ी थी। दो मिनट बाद मैंने उसकी बुर से मुँह हटाया और उसके बगल में लेटकर पूछा, “बेटू, क्या हुआ?”
उसने मुझे गले लगाया और बोली, “आई लव यू, भैया।”
मैंने कहा, “आई लव यू टू, मेरी जान। कैसा लगा ये प्यार?”
वो बोली, “भैया, मत पूछो। ऐसा सुकून और मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला।”
मैंने कहा, “अभी तो असली प्यार बाकी है।”
वो उत्साह से बोली, “अच्छा? अब मैं तुझे प्यार करूँगी। तू लेट।”
मैं पीठ के बल लेट गया। उसने मेरे चेहरे पर चुम्मन शुरू किए। जब वो मेरी छाती के निप्पलों पर पहुँची, तो हँसने लगी।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोली, “भैया, तुम्हारी ये छोटी सी चूची को मैं कैसे दबाऊँ?”
मैंने हँसकर कहा, “चूस ले, मजा आएगा।”
उसने मेरे निप्पल चूसने शुरू किए। मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गई। उसी दौरान उसका हाथ मेरे लंड पर चला गया। मैंने उसे सिखाया, “बेटू, इसे ऊपर-नीचे हिला।” वो मेरे लंड को सहलाने लगी। अपनी नंगी बहन से ऐसा प्यार पाकर मैं जन्नत में था।
मैंने कहा, “बेटू, मेरे लंड पर चुम्मन दे।”
पहले तो उसने थोड़ा नखरा किया, लेकिन फिर उसने मेरे लंड पर चुम्मनों की बरसात कर दी। मैंने कहा, “अब इसे मुँह में लेकर चूस।”
वो बोली, “भैया, ये कैसे?”
मैंने कहा, “जैसे लॉलीपॉप चूसती है न, वैसे।”
उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसका गर्म मुँह मेरे लंड पर ऐसा जादू कर रहा था कि मैं सिसकारियाँ भरने लगा। मैंने उसका सिर पकड़कर जोर-जोर से ऊपर-नीचे किया। मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था, जिससे उसे तकलीफ हुई। उसने गुस्से में लंड निकाला और बोली, “भैया, मार डालोगे क्या?”
मैंने सॉरी कहा और बोला, “बेटू, जोर-जोर से चूस। बहुत मजा आ रहा है।”
वो बोली, “पहले तो अजीब लगा, लेकिन जब तुम्हारे लंड से खट्टा-चिपचिपा रस निकला, तो मुझे नशा सा चढ़ गया। अब मजा आने लगा है।”
मैंने कहा, “जैसे मैंने तेरी बुर का अमृत पिया, वैसे ही मेरा रस भी पी ले। गजब का मजा आएगा।”
वो बोली, “ठीक है, भैया।”
वो फिर से मेरे लंड को जोर-जोर से चूसने लगी। कुछ देर बाद मेरा लावा निकलने को हुआ। मैंने कहा, “बेटू, अब रुकना मत। मेरा रस निकलने वाला है।” वो और जोर से चूसने लगी। अगले ही पल मेरा लावा फूट पड़ा। इतना वीर्य निकला कि मैं खुद हैरान था। मैंने पहले कई बार मुठ मारी थी, लेकिन इतना लावा कभी नहीं निकला। श्वेता ने मेरा ज्यादातर रस पी लिया, और जो बाहर गिरा, उसे उंगली से चाट लिया।
हम दोनों लेटकर बातें करने लगे। मैंने पूछा, “कैसा लगा, बेटू?”
वो बोली, “भैया, गजब का मजा आया। अब तो मैं रोज करूँगी।”
मैंने कहा, “अभी तो असली मजा बाकी है।”
वो बोली, “क्या मतलब?”
मैंने कहा, “चल, 69 में करते हैं।”
वो बोली, “ये क्या होता है?”
मैंने समझाया, और हमने पोजीशन ले ली। मैं पीठ के बल लेटा, और वो मेरे ऊपर उलटी होकर अपनी बुर मेरे मुँह पर रख दी। उसने मेरा लंड चूसना शुरू किया, और मैं उसकी बुर चाटने लगा। उसकी गांड मेरे सामने थी। मैंने अपनी जीभ उसकी गांड के छेद पर रख दी और चाटने लगा। वो सिहर उठी और बोली, “वाह भैया, ये तो गजब का मजा है!”
मैंने कहा, “तू मेरी गांड भी चाट, मुझे भी मजा आएगा।”
वो मेरी गांड के छेद को जीभ से चाटने लगी। हम दोनों एक-दूसरे को चाट रहे थे, और कमरा हमारी सिसकारियों से गूँज रहा था। फिर मैंने उसे सीधा लेटने को कहा और बोला, “बेटू, अब असली मजा आएगा। मैं तेरी रसीली बुर में अपना लंड डालकर तुझे चोदूँगा।”
वो मदहोश होकर बोली, “भैया, जो भी करो, जल्दी करो। मेरी बुर में आग लगी है। ऐसा लग रहा है, जैसे चीटियाँ रेंग रही हों।”
मैंने उसके पैर ऊपर मोड़े और अपने लंड को उसकी बुर की लकीर पर रगड़ना शुरू किया। उसकी बुर इतनी गीली थी कि मेरा लंड फिसल रहा था। वो पागल सी हो गई और तड़पकर बोली, “आह… भैया… जल्दी कुछ करो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी!”
मैंने कहा, “बेटू, थोड़ा दर्द होगा। मुँह में कपड़ा दबा ले, वरना चीख निकलेगी।”
उसने कपड़ा मुँह में दबाया। मैंने अपने लंड को हिलाकर और टाइट किया और उसकी बुर के छेद पर सेट किया। मैंने थोड़ा थूक उसकी बुर पर लगाया और उसके ऊपर लेट गया। मैंने उसका सिर पकड़ लिया ताकि वो हिले नहीं। फिर एक जोरदार झटका मारा। मेरा लंड उसकी कुंवारी बुर में आधा घुस गया। उसकी घुटी हुई चीख निकली—‘आ… ई… मर गई!’ उसकी आँखों से आँसू छलक आए, और वो तड़पने लगी।
मैं एक मिनट रुका, क्योंकि मुझे भी दर्द हुआ था। मैंने उसके मुँह से कपड़ा निकाला। वो गुस्से में बोली, “भैया, मार ही डालोगे क्या? बहुत दर्द हो रहा है!”
मैंने कहा, “बेटू, पहली बार ऐसा होता है। अब मजा आएगा।”
वो बोली, “क्या पूरा अंदर गया?”
मैंने कहा, “नहीं, अभी आधा ही गया है।”
वो डरकर बोली, “बस, अब और मत डालो। मैं मर जाऊँगी।”
मैंने कहा, “कुछ नहीं होगा। अब तू बस मजा ले।”
मैंने आधे लंड से उसकी बुर को धीरे-धीरे पेलना शुरू किया। उसकी बुर गीली होने लगी, और रस की चिकनाई से लंड आसानी से अंदर-बाहर होने लगा। उसे दर्द के साथ मजा भी आने लगा। मैंने देखा कि अब मौका है। मैंने एक और जोरदार झटका मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी बुर में समा गया। वो फिर चीखी और मुझे मारने लगी, “भैया, मर गई! आप बहुत गंदे हो!”
मैं रुक गया और उसकी एक चूची चूसने लगा। उसका दर्द कम हुआ, तो मैंने लंड को हिलाना शुरू किया। वो मस्त होने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी—‘आह… भैया… अब मजा आ रहा है…’। मैंने उसे करीब 20 मिनट तक उसी पोजीशन में पेला। वो दो बार अपनी बुर से पानी छोड़ चुकी थी। उसकी बुर का रस बिस्तर पर फैल रहा था।
मैंने पूछा, “बेटू, मेरा रस निकलने वाला है। पिएगी या तेरी बुर को पिला दूँ?”
वो डरते हुए बोली, “अंदर कुछ होगा तो नहीं?”
मैंने कहा, “कल दवा ले आएँगे। फिकर मत कर।”
वो बोली, “भैया, ये मेरा पहला प्यार है। तुम मेरी बुर को ही पिला दो। तुम्हारा रस या तो मैं पियूँगी, या मेरी बुर पिएगी।”
उसकी बात सुनकर मैं जोश में आ गया। मैंने ताबड़तोड़ 7-8 जोरदार शॉट मारे, और मेरा लावा उसकी बुर में फूट पड़ा। उसी वक्त वो भी काँपते हुए अपना रस निकालने लगी। हम दोनों की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसकी बुर मेरे रस से भर गई, और कुछ रस बाहर बहने लगा।
हम दोनों निढाल होकर लेट गए। वो मेरे सीने पर सिर रखकर बोली, “भैया, ये जिंदगी का सबसे मस्त पल था।” मैंने उसके माथे पर चुम्मन दिया और कहा, “बेटू, अभी तो ये शुरुआत है।”
हमारी पहली चुदाई आज भी याद आती है, तो मेरा लंड तन जाता है। आगे की मस्त चुदाई की कहानी अगले भाग में। तब तक अपनी चुत में उंगली करो या लंड की मुठ मारो, लेकिन कमेंट जरूर करना।
कहानी जारी है।
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