भाभी ने अपनी चूत चुदवाई जुए में हारकर

हाय दोस्तों, मेरा नाम राजीव है। अभी मेरी उम्र 40 साल है, लेकिन मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे साथ तब हुई जब मैं 18 साल का था। ये कहानी मेरे और मेरी छोटी भाभी के बीच की है, जो मेरे बड़े भाई की नई-नवेली दुल्हन थी। ये कहानी बिल्कुल सच्ची है और इसे सुनकर आप भी मेरी तरह उस पल में खो जाएंगे।

ये बात उस समय की है जब मेरे बड़े भाई की शादी हुई थी। मेरे घर में उस समय मेरे साथ मेरी माँ, बड़े भाई और उनकी नई दुल्हन यानी मेरी छोटी भाभी रहती थीं। मेरे दूसरे भाई, जो पहले से शादीशुदा थे, अपनी पत्नी यानी मेरी बड़ी भाभी और अपने बच्चों के साथ घर के पहले माले पर रहते थे। मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ। मेरा रंग गोरा है, मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है, और मैं उस समय जवान, फुर्तीला और थोड़ा शरारती भी था। लड़कियों को पटाने में मैं हमेशा से माहिर रहा हूँ, और शायद यही वजह थी कि मेरी भाभी के साथ जो हुआ, वो हुआ। मेरे बड़े भाई का रंग थोड़ा सांवला था, और उनकी उम्र उस समय 25 साल थी। मेरी छोटी भाभी, जिनका नाम रानी था, एकदम गोरी, चिकनी और बेहद खूबसूरत थी। उनका फिगर 34-28-30 का था, और उनकी खूबसूरती ऐसी थी कि कोई भी उन्हें देखकर पागल हो जाए। उनके लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ और चमकती आँखें किसी को भी दीवाना बना सकती थीं।

जब भाभी शादी होकर घर आईं, तो मैं बहुत खुश था। छोटा भाई होने के नाते, मैं हमेशा सोचता था कि भाभी के आने से घर में और रौनक आएगी। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मेरे मन में भाभी के लिए कुछ और ही खयाल आने लगे। भाभी घर का सारा काम संभालती थीं। मैं सुबह स्कूल जाता, फिर दोपहर में भाई के ऑफिस चला जाता। लेकिन जब से भाभी घर आई थीं, मैं उन्हें प्यासी नजरों से देखने लगा था। मेरा कमरा उनके कमरे के बगल में था, और रात को जब भाई और भाभी अपने कमरे में अंतरंग पल बिताते, तो उनकी आवाजें मेरे कमरे तक आती थीं। मैं दीवार से कान लगाकर उनकी हर सिसकारी, हर कराह को सुनता। उनकी आवाजें मेरे दिल और दिमाग में आग लगा देती थीं। रात को नींद में भी भाभी के सपने आने लगे। मैं उनके नरम होंठों, उनकी मुलायम त्वचा और उनके कसे हुए बदन के बारे में सोचकर पागल होने लगा।

भाभी को घर आए हुए 15 दिन हो चुके थे। मैंने धीरे-धीरे उनसे हंसी-मजाक शुरू कर दिया। कभी-कभी मैं गैर-मर्यादित जोक्स भी सुना देता, और भाभी बस मुस्कुराकर रह जातीं। उनकी मुस्कान में कुछ ऐसा था कि मुझे लगने लगा कि अगर मैं थोड़ा और आगे बढ़ूँ, तो शायद वो मना नहीं करेंगी। मैंने मन में ठान लिया कि कुछ तो करना पड़ेगा। शादी के 20-22 दिन बाद मुझे पूरा यकीन हो गया कि भाभी मेरे साथ थोड़ा फ्लर्ट करने को तैयार हैं।

एक दिन मैं स्कूल से जल्दी घर आ गया। मैंने भाई को फोन करके कह दिया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। मैं दोपहर करीब 1 बजे घर पहुँचा। उस समय माँ बाहर वाले कमरे में सो रही थीं, और भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थीं। मेरे आने की आवाज से माँ जाग गईं, लेकिन भाभी अपने कमरे में सोती रहीं। मैंने खाना खाया और माँ से कहा कि मैं सोने जा रहा हूँ। मैं अपने कमरे में चला गया और थोड़ा लेट गया। करीब 3 बजे मैं उठा, तब तक भाभी भी अपने कमरे से बाहर आ चुकी थीं।

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भाभी ने मुझसे पूछा, “क्या हुआ, राजीव? तबीयत ठीक नहीं है?” मैंने कहा, “हाँ, भाभी, पेट में थोड़ा दर्द है।” उसी समय माँ तैयार होकर मंदिर चली गईं। माँ का रोज का रूटीन था कि वो 3:30 बजे मंदिर जाती थीं, फिर वहाँ से 6 बजे दूधवाले के पास जाती थीं और 6:30 से 7 बजे तक घर लौटती थीं। मेरी बड़ी भाभी अपने बच्चों में व्यस्त रहती थीं और नीचे कम ही आती थीं। घर में अब सिर्फ मैं और मेरी छोटी भाभी थे। मेरे दिमाग में शरारत सूझी। मैंने सोचा, आज मौका है, कुछ तो करना चाहिए।

मैंने भाभी से कहा, “भाभी, चलो कोई मूवी देखते हैं।” उन्होंने मना कर दिया। फिर मैंने कहा, “अच्छा, चलो ताश खेलते हैं।” इस बार वो मान गईं। हम दोनों ड्राइंग रूम में बैठकर ताश खेलने लगे। खेलते-खेलते मैंने मजाक में कहा, “भाभी, देखो, मेरी बेगम पर मेरा गुलाम आ गया। अब तो मैं आप पर आ गया!” भाभी जोर से हँस पड़ीं। उनकी हँसी देखकर मेरा हौसला और बढ़ गया। मैंने मौका देखकर झट से उनके गाल पर एक चुम्मा ले लिया। भाभी चौंक गईं और बोलीं, “ये क्या कर रहे हो, राजीव?” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे भाभी, देवर का तो हक बनता है। और वैसे भी, मैं तो आपका गुलाम हूँ।” वो फिर हँस पड़ीं।

मैंने कहा, “भाभी, यहाँ गर्मी हो रही है। चलो, आपके कमरे में चलकर ताश खेलते हैं, वहाँ AC है।” वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर मान गईं। हम उनके कमरे में चले गए। कमरे में उनकी परफ्यूम की खुशबू बिखरी हुई थी। मैंने पूछा, “भाभी, ये कौन सा परफ्यूम है? इतनी अच्छी खुशबू!” वो बोलीं, “ये तुम्हारे भैया का है, वो ज्यादा यूज करते हैं।” मैंने मजाक में कहा, “जरा दिखाओ तो!” और मैंने उनकी अलमारी खोल दी। वहाँ उनकी नाइटी, ब्रा और पैंटी टँगी हुई थीं। मैंने जानबूझकर उनकी लाल रंग की ब्रा उठा ली और कहा, “भाभी, ये तो बहुत सेक्सी है! प्लीज, इसे पहनकर दिखाओ ना!” वो शरमा गईं और अलमारी बंद करने लगीं। मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा को हवा में लहराया और फिर मजाक में उन्हें अपनी बाहों में खींच लिया।

मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। भाभी ने पहले तो थोड़ा विरोध किया, अपनी बाहें छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन मैंने उन्हें कसकर पकड़ रखा था। मैं उनके नरम, गुलाबी होंठों को चूसने लगा। धीरे-धीरे उनकी साँसें तेज होने लगीं, और मुझे लगा कि वो अब गरम हो रही हैं। मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया। भाभी बोलीं, “राजीव, ये गलत है। रुक जाओ।” लेकिन उनकी आवाज में वो दृढ़ता नहीं थी। मैंने कहा, “भाभी, मैं कुछ नहीं करूँगा, बस थोड़ा प्यार करूँगा।” वो चुप हो गईं। मैंने फिर से उनके होंठों को चूमना शुरू किया। उनकी साँसें अब और तेज हो रही थीं। मैंने उनके गाल, उनकी गर्दन, और फिर धीरे-धीरे उनके कंधों को चूमा। उनकी साड़ी का पल्लू धीरे-धीरे सरकने लगा। मैंने उनकी साड़ी को और ऊपर किया, और उनकी मुलायम, गोरी टाँगें मेरे सामने थीं।

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मेरा लंड अब पूरी तरह से तन चुका था। 8 इंच का मेरा लंड उनकी टाँगों को छू रहा था, और मुझे लग रहा था कि भाभी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी हैं। मैंने अपनी हाफ-पैंट और अंडरवियर उतार दिया। अब मेरा लंड उनकी टाँगों से टकरा रहा था। भाभी की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। “उह्ह… राजीव, ये क्या कर रहे हो?” वो कराहते हुए बोलीं। मैंने कहा, “भाभी, बस थोड़ा मजा ले रहा हूँ।” मैंने उनकी साड़ी को और ऊपर किया, और उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने धीरे से उनकी पैंटी उतार दी। उनकी चूत एकदम चिकनी और गुलाबी थी, जैसे कोई गुलाब की पंखुड़ी। मैंने अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पर फिराईं, और वो सिसक उठीं, “आह्ह… राजीव, प्लीज… धीरे…”

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मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। उनकी चूत का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैं उनकी चूत को चाटने लगा, और वो अपने कूल्हों को ऊपर-नीचे करने लगीं। “उह्ह… आह्ह… राजीव, ये क्या कर रहे हो… ओह्ह…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उनकी चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ा, और वो जोर-जोर से कराहने लगीं। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को पूरी तरह से उतार दिया। अब वो सिर्फ ब्लाउज और ब्रा में थीं। मैंने उनका ब्लाउज खोला, और जैसे ही उनकी ब्रा उतारी, उनके गोरे, गोल-मटोल मम्मे मेरे सामने थे। उनके गुलाबी निप्पल देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उनके एक मम्मे को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… राजीव… धीरे… ओह्ह…” भाभी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं।

वो अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थीं। उन्होंने कहा, “राजीव, अब और नहीं सहेगा… अपनी लंड डाल दो मेरी चूत में!” मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा। जैसे ही मैंने हल्का सा धक्का दिया, वो दर्द से चीख पड़ीं, “आह्ह… बहुत मोटा है… धीरे करो!” उनकी चूत पहले से ही गीली थी, जिससे मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर सरकने लगा। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया। “उह्ह… ओह्ह… राजीव…” वो कराह रही थीं। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ताकि उनकी आवाज बाहर न जाए। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे लग रहा था कि मेरा लंड किसी गर्म, मुलायम मखमल में फंस गया है।

मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। “चटाक… चटाक…” मेरे लंड के धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी। भाभी की सिसकारियाँ भी तेज हो रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… राजीव, और जोर से… चोदो मुझे…” मैंने उनके मम्मों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया, और उनके निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलने लगा। वो अब पूरी तरह से मेरे कंट्रोल में थीं। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उनकी चूत में समा गया। “आह्ह… उह्ह…” वो दर्द और मजा दोनों से चीख रही थीं। मैंने धक्के मारने की रफ्तार और तेज कर दी। उनकी चूत का पानी बार-बार छूट रहा था, जिससे मेरे लंड को और आसानी हो रही थी।

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करीब 15 मिनट तक मैं उन्हें चोदता रहा। फिर भाभी बोलीं, “राजीव, मुझे तुम्हारा लंड चूसना है।” उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई भूखी शेरनी। “उम्म… उम्म…” उनकी चूसने की आवाज और मेरे लंड को चाटने की हरकत मुझे पागल कर रही थी। मैंने उनके मम्मों को मसलना शुरू किया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं। वो और जोर से सिसकने लगीं, “आह्ह… राजीव… और चूसूँ?” मैंने कहा, “हाँ, भाभी, चूसो… पूरा मुँह में लो!”

करीब 10 मिनट तक वो मेरा लंड चूसती रहीं। फिर मैंने उन्हें फिर से लिटा दिया और उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया। इस बार मैंने और जोर-जोर से धक्के मारे। “चटाक… चटाक…” धक्कों की आवाज और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… ओह्ह… राजीव, चोदो… और जोर से…” वो चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी टाँगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और और गहराई तक धक्के मारने लगा। उनकी चूत का पानी बार-बार छूट रहा था, और मेरा लंड उसमें डूबा हुआ था।

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लगभग 25 मिनट तक चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है। मैंने कहा, “भाभी, मेरा निकलने वाला है!” वो बोलीं, “अंदर ही कर दो, राजीव!” मैंने एक आखिरी जोरदार धक्का मारा, और मेरा गर्म-गर्म पानी उनकी चूत में छूट गया। “आह्ह… ओह्ह…” वो मजे से सिसक रही थीं। हम दोनों पसीने से तर-बतर थे। मैंने उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके होंठों को फिर से चूम लिया।

तभी मुझे खयाल आया कि माँ के आने का समय हो रहा है। हमने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने। भाभी ने अपनी साड़ी ठीक की, और मैंने अपनी पैंट पहन ली। हम दोनों ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराया। भाभी बोलीं, “राजीव, ये बात किसी को मत बताना।”

इसके बाद हमारा ये सिलसिला कई बार चला। अगली बार की कहानी फिर कभी सुनाऊँगा।

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? नीचे कमेंट में जरूर बताएँ!

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